राजनादगांव : भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि विगत दिनों सहकारी समितियों के औचक निरीक्षण के दौरान कर्मचारियों से चर्चा करने पर ज्ञात हुआ कि वर्ष 2022_23 में हुई धान खरीदी के सात माह व्यतीत हो जाने के बाद भी जीरो शॉर्टेज आने वाली सोसाइटियों को ना तो प्रोत्साहन राशि मिली है और ना तो धान खरीदी के एवज में मिलने वाली कमीशन की राशि ही मिली है ।
प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने इसे संज्ञान में लेते हुए छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ ( मार्कफेड)के प्राधिकृत अधिकारी एवं पंजीयक सहकारी संस्थायें रायपुर को ज्ञापन सौंपकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया। साथ ही मार्कफेड मुख्यालय में जाकर मुख्य लेखाधिकारी से इस बारे में बृहद चर्चा की एवं बताया कि सहकारी समितियां आर्थिक रूप से कमजोर होती जा रही है। कर्मचारियों को कई महीनो से वेतन नहीं मिल पा रहा है। अतः इनके कमीशन एवम् प्रोत्साहन की राशि तत्काल जारी किया जाए। इस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए मुख्य लेखाधिकारी ने बताया कि 13 जिलों के सोसाइटियों को कमीशन की राशि दी जा चुकी है बाकी शेष राजनादगांव ,मोहला मानपुर चौकी एवं के सी जी आदि जिलों के सोसाइटियों के कमीशन की राशि एवम् प्रोत्साहन राशि एक सप्ताह के अंतर्गत सीधे हस्तांतरित कर दी जाएगी ।
श्री द्विवेदी ने यह भी बताया कि प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों को ब्याज अनुदान की राशि समयावधि में सहकारी बैंकों द्वारा नहीं दी जा रही है और ब्याज अनुदान की पूरी राशि ऋण खाते में जमा कर दी जाती है जबकि नियमानुसार लोन खाते में उतनी ही राशि समायोजित करनी चाहिए जितना लोन है। शेष राशि सेविंग खाते में डालनी चाहिए। किंतु ऐसा नहीं किया जा रहा है। अल्पकालीन कृषि ऋणों पर ब्याज दर वर्ष 2023 _24 के लिए शासन के ब्याज अनुदान में दिए गए निर्देशानुसार बैंक के लिए पी एल आर 8.01% प्रभारित किया गया है। किन्तु सहकारी बैंक द्वारा निर्धारित पी एल आर ब्याज दर से ज्यादा 12 % और यहां तक कि 15% तक वसूली की जा रही है जो सर्वथा अनुचित है। इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए श्री द्विवेदी ने तत्काल रोक लगाए जाने की मांग की है ।
छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड )के प्राधिकृत अधिकारी एवं सहकारी संस्थाओं के पंजीयक महोदय को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि विगत वर्षों में धान खरीदी के समय राइस मिलरों द्वारा प्रदान किए जाने वाले बारदानों की छटनी वास्ते उपार्जन केन्द्रों के कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में मानक/ अमानक बारदानों का प्रावधान रहता था किंतु विगत दो वर्षों से इसे हटा दिए जाने के कारण सड़े गले बारदानों की आपूर्ति मिलरों द्वारा की जा रही है जिससे अमानक बारदानों का अंबार लग जाता है और उसकी वसूली सोसाइटियों को दिए जाने वाले कमीशन की राशि से कर ली जाती है ।
जिससे सहकारी समितियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है ।इस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए पंजीयक महोदय ने आश्वासन दिया कि इस वर्ष कंप्यूटर मॉड्यूल में ही मानक/ अमानक बारदानों का प्रावधान पुनः लागू किया जाएगा। श्री द्विवेदी ने यह भी मांग की है कि खाद्य विभाग के एजेंट के रूप में सहकारी समितियां धान की खरीदी करती हैं। मंडी टैक्स के रूप में जो राशि शासन को मिलती है उसे उप मंडी के रूप में काम करने वाली सहकारी सोसाइटियों को दिया जाना चाहिए। इससे सहकारी सोसाइटियों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगीऔर जिसमें किसानों की शेयर राशि लगी है और किसानों को लाभांश मिलेगा।