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    सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं, तुलसी के पत्तों से मिलते हैं चमत्कारी स्वास्थ्य लाभ

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सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं, तुलसी के पत्तों से मिलते हैं चमत्कारी स्वास्थ्य लाभ

Posted on :06-Sep-2025
सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं, तुलसी के पत्तों से मिलते हैं चमत्कारी स्वास्थ्य लाभ

Tulsi Ke Fayde:  तुलसी जी की, वैसे तो सनातन धर्म में पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन इनके पत्तों के औषधीय फायदे भी कई बीमारियों में लाभकारी हैं. आयुर्वेदिक चिकित्सा में सुबह तुलसा जी के पत्तों का सेवन करने की सलाह दी जाती है, जिससे कई बीमारियां कोसों दूर रहती हैं. आइए जानते है इसके फायदे..

tulsi sukh jaye to kya karna chahiye tulsi ka sukha paudha kis din ukhadna  chahie How to dispose dried Tulsi plant Tulsi Niyam: घर में तुलसी का पेड़  सूख जाए तो क्या

रोजाना सुबह खाली पेट तुलसी के पत्ते चबाने से पाचन बेहतर होता है. रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, सर्दी-खांसी से राहत मिलती है, तनाव कम होता है और मधुमेह नियंत्रण में मदद मिल सकती है. इसके अलावा, यह दिल और दिमाग के लिए भी फायदेमंद है, शरीर को डिटॉक्स करता है और त्वचा में निखार लाता है. 

तुलसी के पत्ते खाने से कौन सी बीमारियां होती हैं दूर? - which diseases are  cured by eating basil leaves-mobile

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर गीतिका शर्मा ने बताया कि सुबह खाली पेट तुलसी के पत्ते चबाने से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है. तुलसी में फाइबर होता है, जो कब्ज और गैस जैसी समस्याओं से बचाता है और पेट का पीएच लेवल संतुलित रखता है, यह पेट के पाचन एंजाइमों को भी सक्रिय करता है, जिससे खाना ठीक से पचता है और एसिडिटी व अपच में राहत मिलती है. 

Tulsi Remedies for Money: जानिए तुलसी के ये उपाय, जो आर्थिक तंगी से  दिलाएंगे छुटकारा - Tulsi Remedies for Money These remedies of Tulsi can  remove money crunch

लसी के पत्ते चबाने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, क्योंकि इनमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं. ये गुण संक्रमण से लड़ने और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. 

Tulsi Plant Tips: व्यक्ति के अच्छे दिन आने से पहले तुलसी देती है ये संकेत,  जानिए - IBC24 News : Chhattisgarh News, Madhya Pradesh News, Chhattisgarh  News Live , Madhya Pradesh News

तुलसी के पत्ते चबाने से तनाव में कमी आती है. तुलसी में मौजूद एडाप्टोजेन नामक तत्व तनाव के स्तर को नियंत्रित करता है और तंत्रिका तंत्र को शांत करता है. इसके सेवन से शरीर में कॉर्टिसोल (तनाव हार्मोन) का स्तर संतुलित रहता है. 

Tulsi Remedies for Money: जानिए तुलसी के ये उपाय, जो आर्थिक तंगी से  दिलाएंगे छुटकारा - Tulsi Remedies for Money These remedies of Tulsi can  remove money crunch

तुलसी के पत्ते चबाने या तुलसी का काढ़ा पीने से सर्दी, खांसी और गले की खराश में राहत मिलती है, क्योंकि तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. ये गुण रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं. 

तुलसी की 4-5 पत्तियां दवा गोली से हैं ज्यादा असरदार, पथरी से लेकर  सर्दी-जुकाम का हैं इलाज - India TV Hindi

तुलसी के पत्ते चबाने से रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और मधुमेह के प्रबंधन में मदद मिल सकती है. तुलसी में मौजूद यूजेनॉल और अन्य यौगिक इंसुलिन के उत्पादन और संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं, जिससे ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है. 

Eating Tulsi leaves on an empty stomach will give you magical benefits your  health will improve खाली पेट इन पत्तों को खाने से मिलेंगे जादुई फायदे, सेहत  हो जाएगी दुरुस्त

तुलसी के पत्ते दिल और दिमाग दोनों के लिए बहुत फायदेमंद हैं. ये याददाश्त बढ़ाते हैं, एकाग्रता में सुधार करते हैं और तनाव, चिंता व डिप्रेशन को कम करते हैं. वहीं, हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं, कोलेस्ट्रॉल कम करते हैं और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. (एजेंसी)

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दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे कैंसर के मामले, बचाव के लिए डॉ हृदयेश कुमार ने विस्तार से जानकारी दी

Posted on :30-Aug-2025
दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे कैंसर के मामले, बचाव के लिए डॉ हृदयेश कुमार ने विस्तार से जानकारी दी

डॉ ह्रदयेश कुमार : अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट  संस्थापक डॉ ह्रदयेश कुमार ने बैंगलोर के Ritz Comfort, Hotel में अपने ट्रस्ट द्वारा प्रोजेक्ट के तहत स्वास्थ्य जागरूकता अभियान आयोजित किया गया यहां पर होटल के मैनेजर सहित अन्य पूरा स्टाप इस मुहिम से बहुत खुश हुआ जिसमें ट्रस्ट के संस्थापक डॉ ह्रदयेश कुमार ने बढ़ रहे कैंसर जैसे मामलों को देखते हुए आमजन को अपने वास्तविक जीवन और खान पान पर ध्यान देने के लिए बताया कि 

कैंसर एक गंभीर समस्या है जिससे बचाव के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव और सही खानपान जरूरी है। व   3 में से एक कैंसर से बचाव हो सकता है अगर आप कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें। आइए जानते हैं कैंसर से बचने के लिए किन बातों का रखें ध्यान।

कैंसर से बचाव लाइफस्टाइल में बदलाव और खानपान से कम करें खतरा 

कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो किसी को भी अपना शिकार बना सकती है। कैंसर से बचाव में मदद मिल सकती है। इन दिनों कैंसर दुनियाभर में एक गंभीर समस्या बनी हुई है। यह बीमारी किसी को भी अपना शिकार बना सकती है। वर्तमान में कई लोग इससे पीड़ित है और कई इसकी वजह से अपनी जान तक गंवा चुके हैं। कैंसर कई तरह का होता है और यह कई वजह से हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि इसके रिस्क फैक्टर की पहचान की जाए और इससे बचाव के लिए जरूरी बातों का ध्यान रखा जाए।
कैंसर से बचाव के लिए आप कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव और डाइट से कुछ फूड्स को बाहर कर आप कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं । उन्होंने बताया कि लाइफस्टाइल में कुछ छोटे-मोटे बदलाव कर आप 20 से 30 प्रतिशत तक कैंसर से बचाव कर सकते हैं। इन फूड्स से बढ़ता है कैंसर का खतरा , व्हाइट ब्रेड ,  पैकेज्ड फ्रूट जूस , कोल्ड ड्रिंक्स , मैदा प्लास्टिक की बोतल में पानी , फ्राइड फूड्स , रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट , शराब और तंबाकू , प्रोसेस्ड फूड्स से दूरी

प्रोसेस्ड मीट और अन्य प्रोसेस्ड फूड्स जितना कम खाएंगे, उनता ही कैंसर का खतरा कम होगा। इनकी जगह अपनी डाइट में हरी सब्जियों को शामिल करना फायदेमंद होगा।

सनस्क्रीन लगाना हमेशा जरूरी है। भले ही बाहर धूप न हो, फिर भी इसे लगाएं। आप चाहें घर पर रहें या बाहर कहीं जाएं, सनस्क्रीन लगाना कभी भूलें।
रोजाना एक्टिव रहने की कोशिश करें। अगर ज्यादा समय नहीं है, तो कम से कम 30 मिनट तक एक्टिव रहने का टारगेट रखें। आप चाहें तो वॉक कर सकते हैं, जिम में कसरत या अपने कुत्ते को टहलाकर भी खुद को एक्टिव रख सकते हैं।

पेट में गड़बड़ी को न करें नजरअंदाज! भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं गैस्ट्रिक कैंसर के मामले
लंबे समय तक बैठे रहने से बचें
ऑफिस में लंबे समय तक बैठे रहने से बचें। ऐसा करना आपके लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए दिन भर में छोटे-छोटे ब्रेक लें और बीच-बीच घूमने की कोशिश करें।
7-8 घंटे की अच्छी नींद लेने से तनाव कम होता है, इंफ्लेमेशन कम होता है और पूरी हेल्थ बेहतर होती है।

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दालचीनी का पानी पीने के 5 बड़े फायदे, बढ़ेगी इम्युनिटी और मेटाबॉलिज्म

Posted on :06-Aug-2025
दालचीनी का पानी पीने के 5 बड़े फायदे, बढ़ेगी इम्युनिटी और मेटाबॉलिज्म

Benefits of Cinnamon : दालचीनी सिर्फ एक मसाला नहीं है, बल्कि आयुर्वेद में इसे औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है। इसके सेवन से कई गंभीर बीमारियों से बचाव संभव है। अगर आप रोज़ाना खाली पेट दालचीनी का पानी पीते हैं, तो यह आपके शरीर को अंदर से डिटॉक्स करता है और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाता है। जानिए दालचीनी के पानी के फायदे, सेवन का सही तरीका और इससे जुड़े जरूरी टिप्स।

खाली पेट दालचीनी का पानी पीने से मिलेंगे ये 4 ज़बरदस्त फायदे, सेहत हो जाएगी  दुरुस्त - India TV Hindi


दालचीनी में छुपे हैं चमत्कारी गुण
दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं। यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने, वजन घटाने, पाचन सुधारने और दिल की सेहत बेहतर करने में मदद करती है।

दालचीनी के पानी के 5 जबरदस्त फायदे
1. ब्लड शुगर कंट्रोल करे

दालचीनी का पानी डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है। यह शरीर में इंसुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल स्थिर रहता है।

2. वजन घटाने में मददगार

अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो रोज सुबह खाली पेट दालचीनी का पानी पीना शुरू करें। यह भूख को नियंत्रित करता है और फैट बर्न करने में मदद करता है।

3. पाचन को बनाए दुरुस्त

दालचीनी का पानी पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। गैस, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।

4. इम्यून सिस्टम को करे मजबूत

इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।

5. स्किन और बालों के लिए फायदेमंद

दालचीनी का पानी त्वचा को ग्लोइंग बनाता है और बालों की जड़ों को पोषण देता है।

दालचीनी के पानी का सही सेवन तरीका

वेट लॉस में बेहद फायदेमंद है दालचीनी-धनिया का पानी, इस तरह बनाकर पीने से  मिलेगा अच्छा रिजल्ट Weight Loss Cinnamon Drink: know how to make Dalchini  dhania water to lose weight quickly

दालचीनी का पानी बनाने की विधि
1. एक गिलास पानी में दालचीनी डालें।

2. इसे रातभर के लिए ऐसे ही छोड़ दें।

3. अगली सुबह इसे छानकर खाली पेट पी लें।

दालचीनी का पानी पीने का तरीका

एक गिलास पानी में दालचीनी उबालें और गुनगुना करके पी लें।

किन लोगों को दालचीनी से परहेज करना चाहिए?
गर्भवती महिलाएं
जिन्हें दालचीनी से एलर्जी हो
जो पहले से ब्लड शुगर की दवा ले रहे हों, उन्हें डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। (एजेंसी)

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सोने के समय Heart Attack आने के कारण जाने विस्तार से- डॉ ह्रदयेश कुमार

Posted on :01-Aug-2025
सोने के समय Heart Attack आने के कारण जाने विस्तार से-  डॉ ह्रदयेश कुमार

फरीदाबाद : बल्लबगढ़ फरीदाबाद हरियाणा तिरखा कॉलोनी शिव मंदिर परिसर में अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ ह्रदयेश कुमार ने सर्व शिक्षा अभियान के साथ ही स्वास्थ्य भारत जैसे अन्य संकल्पों को अपनी दिनचर्या में शामिल कर हमेशा ही  अपने जीवन के साथ सामाजिक सेवाओं पर निरंतर विकास कार्यों में समर्पित रहते हैं इस पर लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों को अपनी सेहत का ख्याल नहीं रहता है। थक-हारकर जब वे घर आते हैं तो उन्‍हें सोने का मन करता है। लेक‍िन सोने से भी कई खतरा रहता है। नींद के दौरान दिल से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। नींद में शरीर रेस्ट मोड में चला जाता है जिससे हार्ट रेट धीमी हो जाती है।

दिल हमारे शरीर का जरूरी हिस्सा है।

ये हमारे पूरे शरीर में खून पंप करता है।

इन दिनों दिल की बीमारियां भी बढ़ रही हैं।

आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगाें को अपनी सेहत का भी ख्याल नहीं रहता है। दिनभर की बिजी शेड्यूल के बाद जब इंसान थका हारा घर आता है तो उसे बिस्तर के सिवा कुछ नजर नहीं आता है। कहते हैं कि शरीर को आराम देने के लिए सोना बहुत जरूरी होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल (heart) के लिए ये वक्त कभी-कभी सबसे ज्यादा खतरों से भरा भी हो सकता है?

खासतौर पर उन लोगों के लिए जिन्हें पहले से दिल से जुड़ी कोई बीमारी हो। अक्सर आपने सुना होगा कि सामने वाले को सोते-सोते हार्ट अटैक आया और तुरंत उस व्यक्ति की मौत हो गई।  उन्होंने कहा कि नींद के दौरान दिल से जुड़ी समस्याओं, खासकर हार्ट फेलियर जैसी स्थिति का खतरा बढ़ जाता है और इसकी वजहें कई हैं। जब हम सोते हैं, तो हमारा शरीर एक्टिव मोड (sympathetic) से रेस्ट मोड (parasympathetic) में चला जाता है। ये बदलाव सामान्य लोगों के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन जिन लोगों को पहले से दिल की बीमारी है, उनके लिए ये कंडीशन धीमी हार्ट रेट (bradycardia), लो ब्लड प्रेशर, और अनियमित सांस की वजह बन सकती है। खासतौर पर ऐसा तब होता है जब इंसान गहरी नींद यानी REM sleep में होता है।

स्लीप एपनिया से बढ़ता है खतरा

उन्होंने बताया कि स्लीप एपनिया भी एक ऐसी ही स्थिति है जिसमें व्यक्ति की नींद के दौरान सांस बार-बार रुकने लगती है। इस वजह से शरीर में ऑक्सीजन का लेवल कम होने लगता है। जिससे अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इससे दिल पर दबाव पड़ता है और धीरे-धीरे दिल की कमजोरी या हार्ट फेलि‍यर का कारण बन सकता है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि ये समस्या कई बार बिना पता चले बनी रहती है।

इसके अलावा जब कोई व्यक्ति लेटता है, खासकर अगर उसका दिल पहले से सही ढंग से काम नहीं कर पा रहा है तो पैरों में जमा हुआ फ्लूइड शरीर के ऊपरी हिस्से की तरफ खिसकने लगता है। इससे लंग्स में Fluid भरने, सांस फूलना और दिल पर दबाव जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसी वजह से बहुत से हार्ट फेलियर पेशेंट्स को रात में नींद टूटने या अचानक सांस फूलने की शिकायत होती है। इसे मेडिकल भाषा में Paroxysmal Nocturnal Dyspnea कहा जाता है।

स्लीप डिसऑर्डर जैसे स्लीप एपनिया की जांच करवाएं

दिल की दवाइयां समय पर लें और लाइफस्टाइल में सुधार करें

सोने का तरीका सही रखें, सिर थोड़ा ऊंचा रखें ताकि Fluid चेस्ट की तरफ न बढ़े

रात को सोने से पहले हल्का खाना खाएं

ज्यादा पानी पीने से भी बचना चाहिए

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हाई ब्लड प्रेशर से राहत: रोजाना पिएं चुकंदर का जूस, दिखेगा असर

Posted on :30-Jul-2025
हाई ब्लड प्रेशर से राहत: रोजाना पिएं चुकंदर का जूस, दिखेगा असर

health News : चुकंदर का जूस बुजुर्गों में हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में प्रभावी हो सकता है। यह चौकाने वाला दावा किया है ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर द्वारा किए गए नए अध्ययन में। अध्ययन में बताया गया कि नाइट्रेट, जो सब्जियों से मिलने वाला एक आवश्यक तत्व है, शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड बनने में मदद करता है, जिससे रक्त वाहिकाएं ठीक से काम करती हैं और ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है।

इस शोध में दो अलग-अलग आयु वर्गों के कुल 75 प्रतिभागियों को शामिल किया गया 30 वर्ष से कम उम्र के 39 युवा और 60 से 70 वर्ष के बीच के 36 बुजुर्ग। इन्हें दो हफ्तों तक नाइट्रेट युक्त चुकंदर का जूस दिया गया और अगले दो हफ्ते प्लेसबो यानी बिना नाइट्रेट वाला जूस पिलाया गया। नतीजों से पता चला कि बुजुर्गों में चुकंदर के जूस का सेवन करने से ब्लड प्रेशर में उल्लेखनीय गिरावट आई, जबकि युवाओं में ऐसा कोई बदलाव नहीं देखा गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि नाइट्रेट युक्त जूस पीने से बुजुर्गों के मुंह में ‘प्रिवोटेला’ जैसे हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या घट गई, जबकि ‘नीसेरिया’ जैसे लाभकारी बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ गई। ये अच्छे बैक्टीरिया मुंह में नाइट्रेट को नाइट्रिक ऑक्साइड में बदलने में मदद करते हैं।

जब मुंह के माइक्रोबायोम में असंतुलन होता है, तो यह प्रक्रिया बाधित होती है और ब्लड प्रेशर पर नकारात्मक असर पड़ता है। प्रोफेसर एंडी जोन्स ने कहा कि यह अध्ययन बताता है कि कैसे नाइट्रेट युक्त खाद्य पदार्थ मुंह के बैक्टीरिया को बदलकर सूजन घटाते हैं और रक्तचाप को संतुलित करते हैं। प्रोफेसर एनी वन्हातालो ने यह भी बताया कि अगर किसी को चुकंदर पसंद नहीं है, तो पालक और सौंफ जैसे अन्य नाइट्रेट युक्त विकल्प भी लिए जा सकते हैं।(एजेंसी)

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रात को देर तक जागने की आदत कर रही है दिमाग कमजोर और आपकी सेहत का होता है नुकसान डॉ ह्रदयेश कुमार

Posted on :23-Jul-2025
रात को देर तक जागने की आदत कर रही है दिमाग कमजोर और आपकी सेहत का होता है नुकसान डॉ ह्रदयेश कुमार

फरीदाबाद हरियाणा :  फरीदाबाद सेक्टर 3 राम मंदिर में वर्ल्ड ब्रेन डे के उपलक्ष्य पर विशेष जगरूता करने की चर्चा की गई सदैव आप की सेवा में समर्पित हो कर समाज हित में रहते हैं डॉ ह्रदयेश कुमार  हर साल 22 जुलाई को वर्ल्ड ब्रेन डे (World Brain Day 2025) मनाया जाता है। यह दिन ब्रेन हेल्थ के लिए जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। इसलिए हमने एक्सपर्ट के माध्यम से जानने की कोशिश की कि युवाओं की सबसे कॉमन आदत यानी रात को देर तक जगना कैसे उनके दिमाग को नुकसान पहुंचा रहा है। इस बात पर विशेष ध्यान दे कर बताया 

दिमाग के लिए भी जरूरी है 7-8 घंटे की नींद 

हर साल 22 जुलाई को वर्ल्ड ब्रेन डे मनाया जाता है

इस दिन दिमागी स्वास्थ्य के महत्व के बारे में लोगों को बताया जाता है

लाइ रात की नींद हमारी सेहत के लिए बेहद जरूरी है। इस दौरान दिमाग भी खुद को आराम देता है, रिपेयर करता है और दिनभर की मेमोरी को स्टोर करता है। हालांकि, आजकल की लाइफस्टाइल में लोग रात को देर तक जागते हैं, खासकर युवा। लेकिन क्या आप जानते हैं नींद की कमी सीधे तौर पर हमारे दिमाग को नुकसान (Sleep and Brain Health) पहुंचा सकती है?

इसलिए ब्रेन हेल्थ डे (World Brain Day 2025) के मौके पर अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ ह्रदयेश कुमार ने बताया कि जब हम पूरी नींद नहीं लेते तो इसका हमारे दिमाग पर क्या असर पड़ता है। नींद के दौरान हमारा दिमाग दिनभर की एक्टिविटीज और सीखी गई चीजों को ऑर्गेनाइज करता है। डीप स्लीप और REM स्लीप साइकिल के दौरान दिमाग नई जानकारी को लंबे समय तक याद रखने के लिए स्टोर करता है। अगर नींद पूरी नहीं होती, तो यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है, जिससे याददाश्त कमजोर होने लगती है और नई चीजें सीखने में मुश्किल होती है।

फोकस करने और फैसले लेने की क्षमता में कमी

नींद की कमी से दिमाग के सेल्स यानी न्यूरॉन्स ठीक से काम नहीं कर पाते, जिससे सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है। इसका सीधा असर हमारे फोकस, रीजनिंग और फैसले लेने की क्षमता पर पड़ता है। इतना ही नहीं, जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती, उनमें रिएक्शन टाइम भी धीमा हो जाता है, जिससे एक्सीडेंट का खतरा बढ़ जाता है।

मूड स्विंग और मेंटल हेल्थ पर दुष्प्रभाव

कम सोने वाले लोग अक्सर चिड़चिड़े, स्ट्रेसफुल या उदास महसूस करते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि नींद की कमी अमिगडाला नाम के दिमाग के हिस्से को ज्यादा एक्टिव कर देती है, जो इमोशन्स को कंट्रोल करता है। इसके साथ ही, नींद की कमी से सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे हैप्पी हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ जाता है, जिससे डिप्रेशन और एंग्जाइटी का खतरा बढ़ जाता है।

लंबे समय तक नींद की कमी दिमाग के सेल्स को नुकसान पहुंचा सकती है। नींद की कमी से दिमाग के कुछ हिस्सों में न्यूरॉन्स की संख्या कम हो सकती है। साथ ही, नींद के दौरान दिमाग टॉक्सिक प्रोटीन्स, जैसे बीटा-एमिलॉइड को साफ करता है, जो अल्जाइमर जैसी बीमारियों से जुड़े होते हैं। नींद पूरी न होने पर ये हानिकारक प्रोटीन जमा होने लगते हैं, जिससे दिमाग की काम करने की क्षमता प्रभावित होती है।

क्रिएटिविटी और प्रॉब्लम सॉल्विंग में कमी

नींद हमारी क्रिएटिविटी और इनोवेटिव थिंकिंग के लिए भी जरूरी है। जब हम सोते हैं, तो दिमाग नई जानकारी को जोड़कर समस्याओं का हल ढूंढता है। नींद पूरी न होने पर यह प्रक्रिया बाधित होती है, जिससे नए आइडियाज आने कम हो जाते हैं।

इसलिए अगर आप अपने दिमाग को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो रोजाना 7-9 घंटे की गहरी नींद लेना जरूरी है। नींद की कमी न सिर्फ आपकी रोजर्मरा के जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि लंबे समय में यह आपके दिमाग की संरचना को भी नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए अपनी नींद को प्राथमिकता दें और हेल्दी लाइफस्टाइल और अपने स्वास्थ्य को सेहत से भरपूर रखें

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नशे की लत को दूर भगाना भारत देश को स्वास्थ्य बनाना : डॉ हृदयेश कुमार

Posted on :28-Jun-2025
नशे की लत को दूर भगाना भारत देश को स्वास्थ्य बनाना : डॉ हृदयेश कुमार

सीता राम सैक्टर 3 फरीदाबाद में अंतरास्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस पर स्वास्थ्य के लिए 

Vitamin-B12 की कमी  और बचाव पर विशेष चर्चा डॉ हृदयेश कुमार 

डॉ हृदयेश कुमार  :  हर साल 26 जून को ‘नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को नशे की लत और गैरकानूनी ड्रग्स के व्यापार के खतरों के बारे में जागरूक करना है। नशे के दुरुपयोग के खतरों के बारे में जागरूकता फैलाना। नशे की रोकथाम और इलाज के बारे में जानकारी देना। नशे की गिरफ्त में आए लोगों को मदद और पुनर्वास देना। देशों के बीच सहयोग बढ़ाना और नशे के खिलाफ सख्त कानून बनाना। युवाओं और समाज को नशे से बचाने के लिए प्रोत्साहित करना। इस दिन का उद्देश्य लोगों में नशे की लत के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, रोकथाम के उपायों को बढ़ावा देना, इलाज और पुनर्वास को समर्थन देना, और देशों के बीच सहयोग को मजबूत करना है। स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। युवाओं और अभिभावकों के लिए कार्यशालाएं, सेमिनार और काउंसलिंग सत्र आयोजित किए जाते हैं


देशभर में सरकारी और गैर-सरकारी पुनर्वास केंद्रों की स्थापना की गई है, जहां नशा पीड़ितों को इलाज, काउंसलिंग और पुनर्वास की सुविधा मिलती है।
विटामिन B12 की कमी से शरीर में कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं, जिनमें थकान, कमजोरी, सुन्नपन, झुनझुनी, याददाश्त की समस्या, और मूड में बदलाव शामिल हैं. गंभीर मामलों में, यह एनीमिया, तंत्रिका क्षति, और हृदय संबंधी समस्याओं का कारण हो सकता है। विटामिन B12 की कमी से शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे एनीमिया होता है, और थकान और कमजोरी महसूस होती है। यह कमी नसों को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे हाथों और पैरों में सुन्नता और झुनझुनी हो सकती है। विटामिन B12 की कमी से याददाश्त, एकाग्रता, और सोचने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। अवसाद, चिड़चिड़ापन, और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी विटामिन B12 की कमी से जुड़ी हो सकती हैं। विटामिन B12 की कमी से शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे एनीमिया होता है।  गंभीर मामलों में, विटामिन B12 की कमी से तंत्रिका क्षति हो सकती है, जिससे चलने में परेशानी, मांसपेशियों में कमजोरी, और अन्य तंत्रिका संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। 
 
विटामिन B12 की कमी से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। विटामिन B12 की कमी से त्वचा का पीला पड़ना, जीभ में सूजन, मुंह के छाले, और सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है। यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।  हाथ-पैर में झनझनाहट, मुंह में छाले होना या थकान जैसे लक्षण विटामिन-बी12 की कमी के साधारण लक्षण (Vitamin-B12 Deficiency Symptoms) हैं। लेकिन एक लक्षण ऐसा भी है, जिसपर लोगों का ध्यान काफी कम जाता है। रात में दिखने वाला यह लक्षण विटामिन-बी12 की कमी का प्रमुख संकेत हो सकता है। 

Vitamin-B12 की कमी के कारण कई परेशानियां हो सकती हैं
कुछ लक्षणों की मदद से विटामिन-बी12 की कमी को पूरा किया जा सकता है
विटामिन-बी12 की कमी दूर करने के लिए कुछ फूड्स को डाइट में शामिल करना चाहिए
सेब विटामिन बी12 का एक अच्छा स्रोत माना जाता है, खासकर यदि आप छिलके के साथ खाते हैं
केले में विटामिन बी12 के साथ-साथ कैल्शियम, मिनरल्स और पोटैशियम भी होता है
पालक एक हरी पत्तेदार सब्जी है जो विटामिन बी12 का एक अच्छा स्रोत है
मशरूम, खासकर जंगली मशरूम, विटामिन बी12 का एक अच्छा स्रोत है. 
चुकंदर में विटामिन बी12 के साथ-साथ आयरन, पोटैशियम और अन्य पोषक तत्व भी होते हैं
आलू में भी थोड़ी मात्रा में विटामिन बी12 पाया जाता है. 
ब्लूबेरी में विटामिन बी12 के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं. 
संतरे में नेचुरल रूप से विटामिन बी12 भरपूर मात्रा में होता हैं।

विटामिन-बी12 की कमी होना कोई साधारण समस्या नहीं है। इसे नजरअंदाज करने से शरीर बीमारियों का घर बन जाएगा। दरअसल, विटामिन-बी12 की कमी के कारण कमजोरी, हर वक्त थकान, खून की कमी, हाथ-पैर में झनझनाहट, शरीर पीला पड़ना, मुंह में छाले, डिप्रेशन और मूड स्विंग्स जैसी परेशानियां (Vitamin-B12 Deficiency Symptoms) हो सकती हैं। इसलिए विटामिन-बी12 की कमी के लक्षणों को इग्नोर करने की भूल बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। हालांकि, इसका एक लक्षण और है, जो अक्सर सिर्फ रात के समय ही…

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ब्लैक कॉफी या ग्रीन टी? जानें इनके फायदे और सेहत पर असर, एक्सपर्ट की सलाह

Posted on :26-Mar-2025
ब्लैक कॉफी या ग्रीन टी? जानें इनके फायदे और सेहत पर असर, एक्सपर्ट की सलाह

Black Coffee vs Green Tea: आजकल लोग अपनी हेल्थ और फिटनेस को लेकर काफी सतर्क हो गए हैं. इसके लिए वह फिजिकली एक्टिव रहने के साथ ही हेल्दी फूड्स का सेवन करते हैं. फिट रहने के लिए लोग दूध वाली और कॉफी की जगह पर ग्रीन टी या फिर ब्लैक कॉफी पीना पसंद करते हैं. ये दोनों ही सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद होती है. ज्यादातर लोग तो वेट लॉस के लिए ग्रीन टी पीते हैं.

ब्लैक कॉफी और ग्रीन टी दोनों को ही वजन घटाने के लिए फायदेमंद माना जाता है. अगर बात ब्लैक कॉफी की करें, तो ये कई तरह की होती है. ब्लैक कॉफी में कैलोरी कम होती है और इसमें कैफीन और क्लोरोजेनिक एसिड जैसे प्लांट बेस्ड कंपाउंड्स के साथ ही कई तरह के विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं. इसी तरह ग्रीन टी भी वजन घटाने और कई तरह से सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं. साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट स्किन को हेल्दी रखने में मदद करते हैं.

ब्लैक कॉफी और ग्रीन टी दोनों ही सेहत के लिए फायदेमंद होती है, जिसे हर कोई अपने स्वाद और पसंद के मुताबिक लेना पसंद करते हैं. लेकिन इन दोनों में से सेहत के लिए कौन-सा ज्यादा फायदेमंद है और आपकी लिए क्या सही है, आइए जानते हैं इसके बारे में एक्सपर्ट से

ब्लैक कॉफी या ग्रीन टी

दिल्ली के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल में डायबिटोलॉजिस्ट डॉक्टर नवनीत कौर ने बताया कि ब्लैक कॉफी और ग्रीन टी दोनों के अपने फायदे हैं, लेकिन कौन-सा बेहतर है, ये बात आपकी सेहत, जरूरत और लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है. ब्लैक कॉफी में कैफीन ज्यादा होता है, जो शरीर को तुरंत एनर्जी देता है और अलर्ट रखने में मदद करता है. इसके साथ ही इससे मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मदद मिलती है. अगर वर्कआउट से पहले इसे पीया जाए, तो यह अच्छा असर दिखा सकता है और ये टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकती है. लेकिन ज्यादा कैफीन लेने से नींद में की समस्या, एसिडिटी और ब्लड प्रेशर बढ़ने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.

दूसरी ओर, ग्रीन टी में कैफीन कम होता है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं, जो इम्यूनिटी बढ़ाने, वजन कम करने और हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करते हैं. ये शरीर में सूजन को कम करने और दिमाग के कार्य में सुधार करने के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है. अगर आप स्ट्रेस कम करना चाहते हैं और दिनभर हल्का महसूस करना पसंद करते हैं, तो ग्रीन टी बेहतर विकल्प हो सकती है. लेकिन जिन लोगों को ज्यादा अलर्टनेस और एनर्जी की जरूरत होती है, उनके लिए ब्लैक कॉफी सही रह सकती है. किसी भी चीज का ज्यादा सेवन करने से सेहत को नुकसान पहुंच सकता है, इसलिए संतुलित मात्रा में सेवन करें और अपनी सेहत के हिसाब से सही विकल्प चुनें.

इसलिए अपना लाइफस्टाइल, मेडिकल कंडीशन साथ ही शरीर की प्रकृति और जरूरत के मुताबिक ही आपको किसी भी चीज को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए. वो भी एक सीमित मात्रा में, नहीं तो इससे आपकी सेहत को नुकसान पहुंच सकता है.(एजेंसी)

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खाने के बाद लौंग खाने से मिलते हैं जबरदस्त फायदे, क्या आप जानते हैं?

Posted on :21-Mar-2025
खाने के बाद लौंग खाने से मिलते हैं जबरदस्त फायदे, क्या आप जानते हैं?

Benefits of chewing cloves after meals : हमारे भारतीय भोजन संस्कृति में खाने के बाद माउथ फ्रेशनर के रूप में कई चीजों का सेवन किया जाता है, जिनमें सौंफ, इलायची और लौंग प्रमुख हैं। खासकर लौंग को खाने के बाद चबाने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है।

लौंग: एक प्राकृतिक औषधि

लौंग केवल एक मसाला नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि भी है। इसमें यूजेनॉल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए कई प्रकार से फायदेमंद होते हैं।

पाचन तंत्र को बनाए मजबूत 

खाने के बाद लौंग चबाने से पाचन शक्ति बेहतर होती है। यह पाचन एंजाइम्स को सक्रिय करता है, जिससे भोजन तेजी से पचता है और गैस, अपच व एसिडिटी की समस्या से राहत मिलती है।
सांसों को बनाए ताजा लौंग में प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो मुंह के बैक्टीरिया को खत्म कर सांसों को ताजगी प्रदान करते हैं। यह एक प्राकृतिक माउथ फ्रेशनर के रूप में काम करता है और मुंह की दुर्गंध को दूर करता है।

दांतों और मसूड़ों के लिए फायदेमंद

यूजेनॉल नामक तत्व के कारण लौंग दांत दर्द और मसूड़ों की सूजन को कम करने में सहायक होती है। इसलिए, आयुर्वेद में लौंग के तेल का उपयोग दांतों की समस्याओं के लिए किया जाता है।

गले की खराश और सर्दी में राहत

लौंग के एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण गले की खराश, खांसी और सर्दी से राहत दिलाने में मदद करते हैं। ठंड के मौसम में लौंग चबाने से कफ आसानी से बाहर निकल जाता है और गले में आराम मिलता है।

ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक

शोध से यह साबित हुआ है कि लौंग का सेवन ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसमें ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर में इंसुलिन की कार्यशीलता को बढ़ाते हैं, जिससे डायबिटीज के मरीजों को फायदा हो सकता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए

लौंग में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं। यह शरीर को संक्रमण से बचाने और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।

कैसे करें सेवन?

विशेषज्ञों के अनुसार, खाने के बाद 1-2 लौंग चबाना लाभकारी होता है। इसे धीरे-धीरे चबाएं, ताकि इसका रस अच्छे से मुंह में घुल जाए और अधिक प्रभावी हो। लौंग एक छोटी लेकिन बेहद उपयोगी औषधि है, जो पाचन, सांसों की ताजगी, दांतों की सुरक्षा, गले की समस्या और ब्लड शुगर नियंत्रण में मददगार साबित होती है। इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर आप संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। (एजेंसी)

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डायबिटीज में फायदेमंद आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ: विजयसार, गुड़मार और करेला

Posted on :19-Mar-2025
डायबिटीज में फायदेमंद आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ: विजयसार, गुड़मार और करेला

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मधुमेह (डायबिटीज) एक आम समस्या बन चुकी है। बढ़ते तनाव, अनुचित खान-पान और अस्वस्थ जीवनशैली के कारण रक्त में शुगर का स्तर असंतुलित हो जाता है। आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियाँ हैं जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं। विशेष रूप से विजयसार, गुड़मार और करेला को मधुमेह नियंत्रण के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। आइए जानें कि ये तीनों तत्व किस प्रकार डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।

1. विजयसार (Pterocarpus Marsupium)

विजयसार एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि है जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए जानी जाती है। यह एक प्रकार की लकड़ी होती है जिसका उपयोग पानी पीने के लिए किया जाता है। विजयसार में प्राकृतिक एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं जो अग्न्याशय (Pancreas) को उत्तेजित कर इंसुलिन उत्पादन को बढ़ावा देते हैं। इसके अतिरिक्त, यह शरीर में वसा को कम करने और चयापचय दर को सुधारने में भी सहायक होता है।

2. गुड़मार (Gymnema Sylvestre)

गुड़मार को ‘शुगर डिस्ट्रॉयर’ के नाम से जाना जाता है। यह एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है जो शरीर में ग्लूकोज के अवशोषण को कम करती है और अग्न्याशय को सक्रिय कर इंसुलिन स्राव को नियंत्रित करने में मदद करती है। इसके सेवन से मीठे के प्रति लालसा भी कम होती है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को अधिक मिठाइयाँ खाने की इच्छा नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। नियमित रूप से गुड़मार का सेवन करने से रक्त शर्करा के स्तर में गिरावट आती है और यह टाइप-2 डायबिटीज के उपचार में विशेष रूप से लाभकारी होता है।

3. करेला (Bitter Gourd)

करेला अपने कड़वे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इसमें मौजूद करकुर्बिटासिन और चारेंटिन नामक तत्व रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। करेला इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने में मदद करता है और शरीर में प्राकृतिक रूप से ग्लूकोज के चयापचय को सुधारता है। इसके अलावा, यह पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है और वजन कम करने में भी सहायक होता है। डायबिटीज के मरीजों को सुबह खाली पेट करेला जूस पीने की सलाह दी जाती है, जिससे रक्त शर्करा को नियंत्रित किया जा सकता है。

MyUpchar मधुरोध कैप्सूल

MyUpchar मधुरोध कैप्सूल एक प्रभावी आयुर्वेदिक उत्पाद है जो मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक है। इसमें विजयसार, गुड़मार, करेला और अन्य प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का संयोजन होता है, जो रक्त शर्करा को संतुलित रखने में मदद करता है। यह कैप्सूल शरीर में इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है और अग्न्याशय के कार्य में सुधार करता है। नियमित रूप से इसके सेवन से डायबिटीज के लक्षणों को कम किया जा सकता है और संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।

निष्कर्ष

विजयसार, गुड़मार और करेला तीनों ही अत्यधिक प्रभावी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ हैं जो डायबिटीज नियंत्रण में मददगार होती हैं। इनका नियमित सेवन करने से रक्त शर्करा का स्तर सामान्य बना रहता है और शरीर की इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है। हालाँकि, इनका सेवन करने से पहले किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह आपके शरीर के लिए उपयुक्त है या नहीं। एक स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के साथ इन प्राकृतिक औषधियों को अपनाकर आप डायबिटीज को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं।

MyUpchar मधुरोध कैप्सूल विशेष रूप से विजयसार, गुड़मार और करेला से मिलकर बना है, जो प्राकृतिक रूप से रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। यह कैप्सूल उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो बिना किसी हानिकारक प्रभाव के अपने ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रखना चाहते हैं।

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Benefits of Punarnava : किडनी और हार्ट के लिए संजीवनी बूटी है पुनर्नवा, जानें सेवन करने का तरीका

Posted on :04-Mar-2025
Benefits of Punarnava : किडनी और हार्ट के लिए संजीवनी बूटी है पुनर्नवा, जानें सेवन करने का तरीका

Benefits of Punarnava : आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियां हैं जो विभिन्न बीमारियों के उपचार में सहायक होती हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है ‘पुनर्नवा’। इसे संस्कृत में ‘पुनः’ (फिर से) और ‘नवा’ (नया) शब्दों से मिलकर बना माना जाता है, जिसका अर्थ है ‘फिर से नया बनाने वाली’। यह पौधा न केवल गुर्दे (किडनी) और हृदय के लिए लाभकारी है, बल्कि अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में भी उपयोगी है।

गुर्दे के लिए पुनर्नवा का महत्व 

गुर्दे हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करते हैं। लेकिन जब उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है, तब कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। पुनर्नवा में मूत्रवर्धक (डाययूरेटिक) गुण होते हैं, जिससे यह मूत्र विसर्जन को बढ़ावा देता है और गुर्दे की सफाई में सहायता करता है। इसके नियमित सेवन से किडनी फेल्योर और क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।

हृदय स्वास्थ्य में Punarnava की भूमिका

पुनर्नवा हृदय को स्वस्थ रखने के लिए भी जाना जाता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। साथ ही, यह रक्त संचार को सुचारू बनाए रखने में सहायक होता है, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।

Punarnava : अन्य स्वास्थ्य लाभ

पुनर्नवा सिर्फ गुर्दे और हृदय के लिए ही नहीं, बल्कि कई अन्य बीमारियों के उपचार में भी उपयोगी है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में सहायक होते हैं।

मधुमेह नियंत्रण Diabetes Control: पुनर्नवा का सेवन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है।

मोटापा कम करने में सहायक Weight loss with Punarnava: यह शरीर में अतिरिक्त वसा को कम करने में सहायक होता है।

पाचन तंत्र को मजबूत करता है Strengthens the digestive system: यह पाचन में सुधार लाता है और पेट की समस्याओं से राहत देता है।

त्वचा रोगों में उपयोगी: पुनर्नवा का उपयोग त्वचा के संक्रमण और एलर्जी को दूर करने में किया जाता है।

सूजन और दर्द में राहत: यह शरीर की सूजन को कम करने में सहायक होता है, जिससे जोड़ों के दर्द और गठिया जैसी समस्याओं में आराम मिलता है।

नेत्र रोगों में सहायक: इसकी जड़ का रस आंखों के लिए फायदेमंद होता है, विशेषकर रतौंधी जैसी समस्या में।

कैसे करें Punarnava का सेवन?

पुनर्नवा को विभिन्न रूपों में सेवन किया जा सकता है:

चूर्ण: पुनर्नवा की जड़ या पत्तियों को सुखाकर बनाया गया चूर्ण पानी या शहद के साथ लिया जा सकता है।

काढ़ा: इसकी पत्तियों को उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से शरीर को लाभ मिलता है।

कैप्सूल और टैबलेट: बाजार में पुनर्नवा के सप्लीमेंट्स भी उपलब्ध हैं, जिन्हें डॉक्टर की सलाह पर लिया जा सकता है।

रस: पुनर्नवा के ताजे पत्तों या जड़ का रस भी औषधीय गुणों से भरपूर होता है।

पुनर्नवा एक अत्यंत प्रभावी औषधीय जड़ी-बूटी है, जो गुर्दे, हृदय और अन्य कई बीमारियों के उपचार में सहायक होती है। इसके नियमित सेवन से न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, बल्कि कई गंभीर बीमारियों से बचाव भी होता है। हालांकि, इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेद विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेना चाहिए। (एजेंसी)

डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें। 

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सुबह-सुबह भीगी किशमिश खाने से होंगे ये 6 बड़े फायदे, जरूर आजमाएं

Posted on :03-Mar-2025
सुबह-सुबह भीगी किशमिश खाने से होंगे ये 6 बड़े फायदे, जरूर आजमाएं

Benefits of Soaked Raisins : हमारे खान-पान में कई ऐसी चीजें शामिल हैं जो स्वाद और सेहत दोनों के लिए बेहतरीन होती हैं। इन्हीं में से एक है किशमिश। छोटे आकार वाली यह सूखी मेवा पोषण से भरपूर होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे भिगोकर खाने से इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं? अगर आप स्वस्थ और ऊर्जावान रहना चाहते हैं, तो अपनी दिनचर्या में भिगोई हुई किशमिश को जरूर शामिल करें।

1. भिगोई हुई किशमिश के पोषक तत्व 

किशमिश में आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह न केवल ऊर्जा बढ़ाने में मदद करती है, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाती है।

2. पाचन तंत्र के लिए अमृत समान

अगर आपको कब्ज, अपच या एसिडिटी की समस्या रहती है, तो भिगोई हुई किशमिश आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। यह आंतों की सफाई करती है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है। रोज़ाना खाली पेट किशमिश खाने से पेट की समस्याएं दूर हो सकती हैं।

3. : रक्तशुद्धि और एनीमिया में लाभकारी

किशमिश में आयरन की भरपूर मात्रा होती है, जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में सहायक है। खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए यह बहुत फायदेमंद होती है। इसका नियमित सेवन करने से खून की कमी दूर होती है और शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।

4. हृदय को बनाए स्वस्थ 

भिगोई हुई किशमिश रक्तचाप को संतुलित करने में मदद करती है, जिससे हृदय संबंधी रोगों का खतरा कम हो जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में भी सहायक है, जिससे हृदय की सेहत बेहतर बनी रहती है।

5. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद 

एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स से भरपूर किशमिश त्वचा को निखारने और झुर्रियों को कम करने में सहायक होती है। यह बालों की मजबूती और चमक बनाए रखने में भी मदद करती है।

6. लिवर डिटॉक्स और वजन नियंत्रण

किशमिश का नियमित सेवन शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और लिवर को स्वस्थ बनाए रखता है। साथ ही, यह वजन को संतुलित करने में भी सहायक होती है।

7. सही तरीका और सेवन का समय

रात में 8-10 किशमिश एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह खाली पेट इसे खाएं और बचा हुआ पानी पी लें। इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसमें शहद या नींबू का रस भी मिला सकते हैं। सर्दियों में गुनगुने पानी में भिगोई हुई किशमिश का सेवन अधिक लाभकारी होता है। भिगोई हुई किशमिश एक आसान, सस्ता और प्रभावी उपाय है जो शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाती है। इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करके आप न केवल स्वस्थ रह सकते हैं, बल्कि  अपनी ऊर्जा और त्वचा की चमक भी बरकरार रख सकते हैं। तो आज ही सेहतमंद जीवन की ओर पहला कदम बढ़ाएं और किशमिश को अपने आहार में शामिल करें। (एजेंसी)

डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।

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अश्वगंधा: तनाव कम करने और ऊर्जा बढ़ाने का प्राकृतिक समाधान

Posted on :28-Feb-2025
अश्वगंधा: तनाव कम करने और ऊर्जा बढ़ाने का प्राकृतिक समाधान

अश्वगंधा : अश्वगंधा (Withania somnifera), जिसे 'भारतीय जिनसेंग' भी कहा जाता है, एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है। यह पौधा भारत में उत्पन्न होता है और लंबे समय से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। अश्वगंधा के अद्भुत गुण इसे एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि बनाते हैं, जो शरीर और मस्तिष्क दोनों के लिए लाभकारी है। इसके सेवन से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, तनाव कम होता है, और जीवन शक्ति में वृद्धि होती है।

अश्वगंधा के स्वास्थ्य लाभ:

1.तनाव और चिंता को कम करना: अश्वगंधा एक अद्भुत 'एडाप्टोजेन' है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर को मानसिक और शारीरिक तनाव से निपटने में मदद करता है। यह शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) के स्तर को नियंत्रित करता है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। इसके सेवन से मानसिक शांति प्राप्त होती है और व्यक्ति ज्यादा संतुलित और शांत महसूस करता है।

2.प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना: अश्वगंधा के एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त बनाते हैं। यह शरीर को हानिकारक फ्री रैडिकल्स से बचाता है और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से शरीर में प्रतिरक्षा 


अश्वगंधा: तनाव कम करने और ऊर्जा बढ़ाने का प्राकृतिक समाधान

अश्वगंधा (Withania somnifera), जिसे 'भारतीय जिनसेंग' भी कहा जाता है, एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है। यह पौधा भारत में उत्पन्न होता है और लंबे समय से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। अश्वगंधा के अद्भुत गुण इसे एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि बनाते हैं, जो शरीर और मस्तिष्क दोनों के लिए लाभकारी है। इसके सेवन से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, तनाव कम होता है, और जीवन शक्ति में वृद्धि होती है।

अश्वगंधा के स्वास्थ्य लाभ:

1.तनाव और चिंता को कम करना: अश्वगंधा एक अद्भुत 'एडाप्टोजेन' है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर को मानसिक और शारीरिक तनाव से निपटने में मदद करता है। यह शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) के स्तर को नियंत्रित करता है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। इसके सेवन से मानसिक शांति प्राप्त होती है और व्यक्ति ज्यादा संतुलित और शांत महसूस करता है।

2.प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना: अश्वगंधा के एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त बनाते हैं। यह शरीर को हानिकारक फ्री रैडिकल्स से बचाता है और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से शरीर में प्रतिरक्षा कोशिकाओं की कार्यक्षमता में सुधार होता है, जिससे बीमारियों से बचाव होता है।

3.शारीरिक ऊर्जा और जीवन शक्ति में वृद्धि: अश्वगंधा का सेवन शारीरिक कमजोरी और थकान को दूर करता है। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और शारीरिक ताकत को बढ़ाता है। इसके सेवन से व्यक्ति पूरे दिन सक्रिय और ऊर्जावान महसूस करता है, और मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

4. थायरॉयड समस्याओं में सहायक: अश्वगंधा थायरॉयड ग्रंथि को संतुलित करने में मदद करता है। यह हाइपोथायरॉयडिज़्म (कम थायरॉयड हार्मोन) और हाइपरथायरॉयडिज़्म (अधिक थायरॉयड हार्मोन) दोनों में सुधार कर सकता है। इसके सेवन से थायरॉयड के स्वास्थ्य में सुधार होता है, जिससे शरीर में ऊर्जा और संतुलन बना रहता है।
5.मांसपेशियों और जोड़ दर्द में राहत: अश्वगंधा के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करते हैं। यह शरीर में सूजन को नियंत्रित करता है और गठिया जैसे विकारों में राहत प्रदान करता है। 

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अश्वगंधा: तनाव कम करने और ऊर्जा बढ़ाने का प्राकृतिक समाधान

Posted on :25-Feb-2025
अश्वगंधा: तनाव कम करने और ऊर्जा बढ़ाने का प्राकृतिक समाधान

अश्वगंधा (Withania somnifera), जिसे 'भारतीय जिनसेंग' भी कहा जाता है, एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है। यह पौधा भारत में उत्पन्न होता है और लंबे समय से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। अश्वगंधा के अद्भुत गुण इसे एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि बनाते हैं, जो शरीर और मस्तिष्क दोनों के लिए लाभकारी है। इसके सेवन से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, तनाव कम होता है, और जीवन शक्ति में वृद्धि होती है।

शुद्ध प्राकृतिक और आयुर्वेदिक लड़ाई चिंता और तनाव अश्वगंधा पाउडर (1 kg) :  Amazon.in: स्वास्थ्य और व्यक्तिगत देखभाल

 

अश्वगंधा के स्वास्थ्य लाभ:

1.तनाव और चिंता को कम करना: अश्वगंधा एक अद्भुत 'एडाप्टोजेन' है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर को मानसिक और शारीरिक तनाव से निपटने में मदद करता है। यह शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) के स्तर को नियंत्रित करता है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। इसके सेवन से मानसिक शांति प्राप्त होती है और व्यक्ति ज्यादा संतुलित और शांत महसूस करता है।

2.प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना: अश्वगंधा के एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त बनाते हैं। यह शरीर को हानिकारक फ्री रैडिकल्स से बचाता है और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से शरीर में प्रतिरक्षा कोशिकाओं की कार्यक्षमता में सुधार होता है, जिससे बीमारियों से बचाव होता है।

3.शारीरिक ऊर्जा और जीवन शक्ति में वृद्धि: अश्वगंधा का सेवन शारीरिक कमजोरी और थकान को दूर करता है। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और शारीरिक ताकत को बढ़ाता है। इसके सेवन से व्यक्ति पूरे दिन सक्रिय और ऊर्जावान महसूस करता है, और मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

4.थायरॉयड समस्याओं में सहायक: अश्वगंधा थायरॉयड ग्रंथि को संतुलित करने में मदद करता है। यह हाइपोथायरॉयडिज़्म (कम थायरॉयड हार्मोन) और हाइपरथायरॉयडिज़्म (अधिक थायरॉयड हार्मोन) दोनों में सुधार कर सकता है। इसके सेवन से थायरॉयड के स्वास्थ्य में सुधार होता है, जिससे शरीर में ऊर्जा और संतुलन बना रहता है।

5.मांसपेशियों और जोड़ दर्द में राहत: अश्वगंधा के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करते हैं। यह शरीर में सूजन को नियंत्रित करता है और गठिया जैसे विकारों में राहत प्रदान करता है।

MyUpchar Ashwagandha Tablet:

MyUpchar Ashwagandha Tablet एक प्राकृतिक और प्रभावी आयुर्वेदिक उत्पाद है, जो अश्वगंधा के सभी लाभों को संकलित करता है। यह तनाव और चिंता को कम करने, मानसिक शांति प्राप्त करने, और शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, थकान और कमजोरी दूर होती है, और थायरॉयड ग्रंथि को संतुलित रखने में सहायता मिलती है। MyUpchar Ashwagandha Tablet का उपयोग मांसपेशियों और जोड़ दर्द में राहत देने, साथ ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किया जा सकता है। यह आयुर्वेदिक उपचार के रूप में एक सरल और प्रभावी तरीका है, जो स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में मदद करता है।

निष्कर्ष:
अश्वगंधा एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि है, जो शारीरिक, मानसिक और प्रतिरक्षात्मक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए अत्यधिक लाभकारी है। इसके नियमित सेवन से तनाव कम होता है, जीवन शक्ति में वृद्धि होती है, और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। MyUpchar Ashwagandha Tablet इसका एक बेहतरीन रूप है, जो इन सभी लाभों को सरलता से प्रदान करता है। हालांकि, इसका सेवन किसी भी चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह से करना चाहिए, ताकि इसके अधिकतम लाभ प्राप्त किए जा सकें। अश्वगंधा का सही तरीके से उपयोग करके हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। (एजेंसी)

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40 प्लस उम्र में स्किन को जवां रखने के आसान घरेलू नुस्खे

Posted on :17-Feb-2025
40 प्लस उम्र में स्किन को जवां रखने के आसान घरेलू नुस्खे

Skin Care: हर किसी की इच्छा होती है कि उनकी स्किन हेल्दी, सॉफ्ट और ग्लोइंग हो. लेकिन प्रदूषण, मौसम में बदलाव और उम्र के साथ ही स्किन में बदलाव देखने को मिलते रहते हैं. 30 से 40 की उम्र के बाद स्किन ढीली होने लगती है और झुर्रियों जैसे एजिंग साइंस नजर आने लगते हैं. ऐसे में अपनी स्किन को टाइट बनाए रखने और एजिंग साइंस से बचाव करने के लिए आप घर पर मौजूद कुछ चीजों का उपयोग कर सकती हैं.40 की उम्र के बाद झुर्रियां, डार्क स्पॉट्स, और रूखी त्वचा जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं. लेकिन कुछ घरेलू नुस्खों से आप अपनी स्किन को जवां और खूबसूरत बना सकते हैं. इसके इन चीजों को मिलाकर फेस मास्क बना सकते हैं.

हल्दी और दूध का फेस पैक

हल्दी एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट है जो त्वचा को निखारने और ताजगी देने में मदद करता है. दूध में लैक्टिक एसिड होता है जो त्वचा को हाइड्रेट करता है और उसे सॉफ्ट बनाने का काम करता है. एक चम्मच हल्दी में दो चम्मच दूध मिलाकर एक पेस्ट तैयार करें. इसे चेहरे पर लगाकर 15-20 मिनट तक के लिए छोड़ दें. बाद में गुनगुने पानी से चेहरे को धो लें. यह फेस पैक स्किन को नमी और ग्लो देता है और उम्र के असर को कम करने में मदद करता है.

आलू का रस

आलू में ब्लीचिंग गुण होते हैं जो त्वचा के डार्क स्पॉट्स और दाग-धब्बों को हल्का करने में मदद करते हैं. साथ ही, आलू में स्टार्च और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो स्किन को ग्लोइंग बनाने में भी मददगार साबित हो सकते हैं. आलू को कद्दूकस करके उसका रस निकालें. इस रस को चेहरे पर हल्के हाथों से लगाएं और 15 मिनट तक छोड़ दें. इसके बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें. इससे डार्ट डार्क सर्कल्स और दाग-धब्बों को कम करने में मदद मिल सकती है.

आंवला और गुलाब जल

आंवला में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो एजिंग साइंस को कम करने में मदद कर सकते हैं. गुलाब जल त्वचा को हाइड्रेट करता है और उसे ताजगी प्रदान करता है. एक चम्मच आंवला पाउडर में गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बनाएं. इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट के बाद धो लें. यह नुस्खा त्वचा को निखारने के साथ-साथ उसे टाइट और यंग बनाने में मदद कर सकता है.

इन बातों का भी रखें ध्यान

इसके साथ ही सही डाइट फॉलो करना, एक्सरसाइज करना, क्लीनअप और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना बहुत जरूरी है. इसके अलावा कोई स्किन केयर प्रोडक्ट्स हो या फिर नेचुरल इंग्रीडिएंट्स आपको हमेशा अपनी स्किन टाइप के मुताबिक ही उन्हें चुनना चाहिए. साथ ही अगर किसी चीज से एलर्जी है तो उसे चेहरे पर लगाने से भी बचना चाहिए, इससे आपकी स्किन को नुकसान पहुंच सकता.(एजेंसी)

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मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बनाए रखें? एक्सपर्ट्स ने साझा किए हेल्दी टिप्स

Posted on :14-Feb-2025
मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बनाए रखें? एक्सपर्ट्स ने साझा किए हेल्दी टिप्स

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का ध्यान रखना जरूरी है. सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक सेहत को भी फिट रखने पर ध्यान देना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि आज के समय में लोग एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी बीमारियां बढ़ रही है. ये सब खराब मानसिक सेहत से होता है. ऐसे में आपको मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना जरूरी है. मानसिक स्वास्थ्य को कैसे अच्छा रखें और बिना दवाओं के ही कैसे फिट रहें इस बारे में एक्सपर्ट्स से जानते हैं.

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि योग और ध्यान की मदद से आप मानसिक सेहत का अच्छा रख सकते हैं. योग से कई बीमारियों का काबू में किया जा सकता है और ध्यान से भी शरीर को काफी फायदा मिलता है. ध्यान वह साधना है जो न केवल हमारे मन को शांत करती है, बल्कि शरीर में सकारात्मक ऊर्जा भी देता है. ध्यान से मन और शरीर दोनों को शांति मिलती है. ध्यान से न केवल मानसिक अव्यवस्था दूर होती है, बल्कि यह शरीर को भी फिट रखने में मदद करता है.

रोज मेडिटेशन जरूर करें

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगर शरीर को फिट रखना है तो इसके लिए मेंटल हेल्थ को भी अच्छा रखना जरूरी है .यशोदा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ शोभा शर्मा ने अच्छी मेंटल हेल्थ के लिए कुछ टिप्स दिए हैं. डॉ शोभा कहती हैं कि ध्यान से मन और शरीर दोनों को शांति मिलती है. जब हम खुद को शांत और केंद्रित महसूस करते हैं, तो जीवन में संतुलन आ जाता है. इसलिए रोज ध्यान यानी मेडिटेशन जरूर करें. इसके अलावा जरूरी है कि सही आहार और जीवनशैली का भी पालन करें.

सकारात्मक सोच रखें

डॉ शोभा कहती हैं कि अपने दिमाग में कभी भी निगेटिव चीजों को न लाएं. खुद को हमेशा सकारात्मक रखें. आध्यात्मिक गुरु विजनरी मैत्रेय दादाश्रीजी कहते हैं कि ध्यान, आयुर्वेद और आध्यात्मिक साधनाओं से मानसिक सेहत को अच्छा रख सकते हैं. अच्छी मानसिक सेहत के लिए जरूरी है कि रोज योग और ध्यान करें. ध्यान करने से आप कई बीमारियों को कंट्रोल में रख सकते हैं. सही समय पर सोना और नियमित व्यायाम करना भी जरूरी है.

कौन से योग करें

भ्रामरी प्राणायाम मानसिक तनाव, थकान और नकारात्मक भावनाओं को दूर करने में मदद करता है.

वृक्षासन

मन को शांत करता है और हार्ट बीट को कंट्रोल में करता है.

पद्मासन

ब्रेन को मज़बूत करता है और मन को शांत करता है.

अनुलोम-विलोम

इससे मानसिक सेहत अच्छी रहती है

कपालभाति

मानसिक शांति मिलती है और मानसिक ताकत भी बढ़ती है . (एजेंसी)

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गाजर खाने के चमत्कारी फायदे, रोज़ इसे अपनी डाइट में करें शामिल

Posted on :30-Jan-2025
गाजर खाने के चमत्कारी फायदे, रोज़ इसे अपनी डाइट में करें  शामिल

Carrots Health Benefits:  गाजर हमारे शरीर के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होते हैं. आंख की रोशनी बढ़ाने से लेकर ओवरऑल हेल्थ के लिए गाजर फायदेमंद होता है. गाजर के साथ सबसे अच्छी चीज यह है कि इसे आप कई तरीके से खा सकते हैं. जैसे- गाजर का हलवा, गाजर का जूस, सलाद, आचार, सब्जी इत्यादि. गाजर में फैट की मात्रा न के बराबर होती है. यह कई सारे पोषक तत्वों से भरपूर होती है. इसमें विटामिन ए, सी, के, बी8, फाइबर, बीटा कैरोटीन, पोटेशियम, आयरन, मैंगनीज, कॉपर, पैंटोथेनिक एसिड होते हैं. आइए जानें इसके खाने के फायदे. 

आंखों के लिए होता है फायदेमंद

गाजर को आंखों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद माना जाता है. क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ए और अल्फा-कैरोटीन, बीटा-कैरोटीन नाम  के दो कैरोटीनॉयड होते हैं. लेकिन गाजर में सिर्फ एक पोषक तत्व नहीं बल्कि कई सारे पोषक तत्व होते हैं जो आंखों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होते हैं. गाजर में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन आंखों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. यह आंखों की रेटिना और लेंस के लिए अच्छा होता है. रोज एक गाजर खाएं यह सेहत के लिए अच्छा होता है. 

शुगर मैनेज करने में मददगार

गाजर में ढेर सारे फाइबर होते हैं जो ब्लड शुगर और इंसुलिन के लिए काफी ज्यादा अच्छा होता है. कच्ची या थोड़ी पकी हुई गाजर में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है.जो शुगर बैलेंस में मदद करता है. डायबिटीज के मरीज आराम से गाजर खा सकते हैं. 

वजन कंट्रोल करने में है फायदेमंद

गाजर की सबसे खास बात यह है कि इसमें 88 प्रतिशत तक पानी होता है. इसमें फाइबर और रफेज होती है. जिससे वजन कंट्रोल में रहता है. इसके अलावा अगर आप हर रोज एक गाजर खा लेते हैं तो लगभग 80 प्रतिशत कैलोरीज खा लेते हैं जिसके कारण काफी देर तक पेट भरा हुआ लगता है. यह सब्जी वजन कंट्रोल करने में मदद करता है. 

बीपी करता है बैलेंस 

अगर आपका बीपी हाई है तो हर रोज 1 गाजर खाना चाहिए. गाजर में पोटेशियम की मात्रा काफी ज्यादा होती है. जो बीपी बैलेंस करने का काम करती है. साथ ही यह शरीर में सोडियम का लेवल बैलेंस करता है. जिससे बीपी कंट्रोल में रहता है. दिल को हेल्दी रखने में गाजर काफी ज्यादा अच्छा होता है. (एजेंसी)

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लौंग का सेवन से सर्दी-खांसी समेत कई बीमारियों से बचाता है? जानें एक्सपर्ट की राय

Posted on :25-Jan-2025
लौंग का सेवन से सर्दी-खांसी समेत कई बीमारियों से बचाता है? जानें एक्सपर्ट  की राय

Cloves Health Benefits: किचन में मौजूद मसाले में से लौंग एक ऐसा मसाला है जिसके कई सारे फायदे हैं. आयुर्वेद में लौंग को जड़ी-बूटी के लिए तैयार किया जाता है. लौंग से कई तरीके फायदे होते हैं. आयुर्वेदिक डॉक्टर बताते हैं कि लौंग हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद है. प्रतिदिन सोने से पहले 2 लौंग इस्तेमाल करने से पाचन क्रिया, जुकाम और खांसी से राहत, दांत दर्द की समस्या दूर होती है और कई प्रकार की बीमारियों में ये काम आता है.

Cloves Health Benefits : रात को सोने से पहले लौंग का इस तरह करें प्रयोग तो  इम्‍यूनिटी रहेगी स्‍ट्रॉन्‍ग, जानें इसके अन्‍य फायदे भी Eat 2 cloves with  warm water before sleeping

आयुर्वेद में लौंग को सेहत के लिए बेहद फायदेमंद बताया गया है। औषधिय गुणों से भरपूर इस मसाले का सेवन अगर नियमित रूप से किया जाए तो आप कई गंभीर समस्याओं से बच सकते हैं। दिखने में काला और छोटा सा लौंग कई आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर होता है। इसमें ऐसे कई एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो कई बीमारियों के इलाज में मदद कर सकते हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल गुणों के अलावा विटामिन ई, विटामिन सी, फोलेट, राइबोफ्लेविन, विटामिन ए, थायमिन और विटामिन डी, ओमेगा 3 फैटी एसिड जैसे आवश्यक तत्व पाए जाते हैं जो सेहत का बेहतरीन ख्याल रखते यहीं। ऐसे में चलिए जानते हैं रात के समय सिर्फ 2 लौंग खाने से क्या फायदे होंगे और इसका सेवन कैसे करें?

लौंग का उपयोग सदियों से आयुर्वेद में कई स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता रहा है. रात में लौंग का सेवन करने के क्या-क्या हैं फायदे जाने 

पाचन तंत्र में सुधार: आयुर्वेदिक डॉक्टर बताते हैं कि रात में सोने से पहले 2 लौंग का सेवन करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है और अपच, गैस जैसी समस्याओं से राहत मिलती है.

जुकाम और खांसी में राहत: आयुर्वेदिक डॉक्टर के अनुसार लौंग में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो सर्दी, जुकाम और खांसी में राहत प्रदान करते हैं.

दांत दर्द में लाभ: आयुर्वेदिक डॉक्टर  के अनुसार लौंग के तेल में युजेनॉल नामक तत्व होता है, जो दांत दर्द और मसूड़ों की सूजन को कम करने में सहायक होता है.

इम्यूनिटी बढ़ाना: आयुर्वेदिक डॉक्टर बताते है कि लौंग में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं.

तनाव कम करना: लौंग का सेवन नर्वस सिस्टम को शांत करता है और नींद में सुधार करता है.

मुंह की दुर्गंध दूर करना: लौंग को चबाने से मुंह की दुर्गंध कम होती है और ओरल हेल्थ बेहतर रहती है.

आयुर्वेदिक डॉक्टर के अनुसार, लौंग का नियमित सेवन कई प्रकार की बीमारियों को रोकने में सहायक हो सकता है. हालांकि, इसे सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए, क्योंकि अधिक सेवन से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है.(एजेंसी)

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कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करें और दिल को बनाए रखें स्वस्थ, ये पीले फल हैं बेहद फायदेमंद!

Posted on :24-Jan-2025
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करें और दिल को बनाए रखें स्वस्थ, ये पीले फल हैं बेहद फायदेमंद!

गुड कोलेस्ट्रॉल यानी HDL हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।

बैड कोलेस्ट्रॉल यानी LDL शरीर को कई तरह की बिमारियों का शिकार बनाता है।

विटामिन सी और फाइबर वाले फलों को खाने से दिल को मिलता है काफी सपोर्ट।

Cholesterol Reducing Foods: कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना मतलब शरीर में कई अन्य बीमारियों का घर करना। ये कोलेस्ट्रॉल शरीर में हमारी अनहेल्दी डाइट और शारीरिक गतिविधियों में कमी की वजह से बढ़ता है। कोलस्ट्रॉल दो तरह का होता है।पहला है गुड कोलेस्ट्रॉल यानी हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL) जो हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। दूसरा है बैड कोलेस्ट्रॉल यानी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL) जो हमारे शरीर को कई तरह की बिमारियों का शिकार बना सकता है।

ऐसे में खुद को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हमें अपनी डाइट में हेल्दी चीजों को शामिल करना चाहिए, जिससे बैड कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सके। इसके लिए आप अपनी डाइट में कुछ पीले फलों को शामिल कर सकते हैं, जो हमारी नसों में जमा बैड कोलेस्ट्रॉल को पिघलाकर पानी की तरह बाहर निकाल देंगे। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ हेल्दी पीले फलों के बारे में…

हाई कोलस्ट्रॉल को कम करने वाले पीले फल

आम- विटामिन सी, पेक्टिन और फाइबर से भरपूर फलों का राजा आम बैड कोलेस्ट्रॉल को आसानी से खत्म करने में सहायक होता है। इससे हार्ट सुरक्षित रहता है।

अनानास- अनानास विटामिंस और अन्य कई खनिज पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें मौजूद ब्रोमेलेन नामक एंजाइम नसों में जमा बैड कोलेस्ट्रॉल को तोड़कर ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने में मदद करता है। इससे हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या से मुक्ति मिलती है।

केला- केले को घुलनशील फाइबर के लिए जाना जाता है, जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के साथ साथ हमें हमेशा स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। इसके साथ ही केले में मौजूद पोटेशियम और फाइबर हमारे शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को मेंटेन रखने में मदद करता है।

नींबू- विटामिन सी से भरपूर नींबू का रस हमारे शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसलिए डेली 2-3 नींबू का रस पानी में मिलाकर जरूर सेवन करें। ये हार्ट हेल्थ को सुरक्षा प्रदान करता है।

पपीता- एंटी ऑक्सीडेंट और हाई फाइबर से भरपूर पपीता हमारे शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है। साथ ही हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम को भी मजबूत बनाने में मदद करता है।(एजेंसी)

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आयुर्वेद में भृंगराज बालों के लिए रामबाण इलाज, जानिए इसके फायदे और नुकसान

Posted on :23-Jan-2025
आयुर्वेद में भृंगराज बालों के लिए रामबाण इलाज, जानिए इसके फायदे और नुकसान

Bhringraj Benefits : भृंगराज (bhringraj) एक बहुत ही उपयोगी औषधीय पौधा है जिसका उपयोग शरीर के अंदर या बाहर होने वाली अनेक प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। आयुर्वेद चिकित्सक प्रायः बालों को झड़ने से रोकने, बालों के पकने, बालों के बढ़ने, लीवर, किडनी सहित पेट की कई बीमारियों के लिए मरीज को भृंगराज के सेवन की सलाह देते हैं।

भृंगराज अर्क प्राइस, निर्माता, आपूर्तिकर्ता और डीलर

भारत में भृंगराज (bhringraj) (एक्लिप्टा अल्बा) को अनेक नामों जैसे- भांगड़ा, थिसल्स, माका, फॉल्स डेज़ी, मार्कव, अंगारक, बंगरा, केसुति, बाबरी, अजागारा, बलारी, मॉकहैंड, ट्रेलिंग एक्लीप्टा, एक्लीप्टा, प्रोस्ट्रेटा आदि से पहचाना जाता है।

आयुर्वेद में भृंगराज (bhringraj in Hindi) को केसराज के नाम से भी जाना जाता है। इसे वर्षों से झड़ते बालों को रोकने, बालों को काला करने एवं त्वचा संबंधी बीमारी के उपचार के रूप प्रयोग किया जा रहा है। वास्तव में भृंगराज (एक्लीप्टा अल्बा) एक जड़ी बूटी है, जिसका काम शरीर को स्वस्थ बनाए रखना है। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. दीपक कुमार सोनी भृंगराज के फायदे, नुकसान और उपयोग के बारे में बता रहे हैं।

भृंगराज के फायदे

*आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मत है कि भृंगराज बालों और लीवर से जुड़ी समस्याओं के लिए लाभदायक है, क्योंकि इसमें केश्य गुण पाया जाता है।भृंगराज के अदभुत प्रयोग है। 

ये हर्बल पत्ती बालों के लिए है वरदान,सफेद बालों की कर देती है छुट्टी -  bhringraj hair mask benefits for hair care xbw - MyNation Hindi

*भृंगराज केशों के लिए यह महत्वपूर्ण तो है ही लेकिन इसके अन्य औषधीय गुण शायद और ज्यादा महत्वपूर्ण लगते हैं क्या आप जानते है कि भृंगराज(False daisy)आपका कायाकल्प करने में भी सक्षम है यदि सही तरीके से प्रयोग किया जाये तो यहाँ तक कि कैंसर से आप इसके सहारे लड़ सकते हैं और जीत भी सकते हैं

*यदि आपको बाल काले रखने हैं तो भृंगराज की ताजी पत्तियों का रस रोजाना सिर पर मल कर सोयें-

*यदि पेट बहुत खराब हो तो भृंगराज की पत्तियों का रस या चूर्ण दस ग्राम लीजिये उसे एक कटोरी दही में मिला कर खा जाइए ।दिन मे 3 times 2 days लेना है।

*पीलिया एक जानलेवा रोग है लेकिन रोगी को पूरे भृंगराज के पौधे का चूर्ण मिश्री के साथ खिला दीजिये 100 ग्राम चूर्ण पेट में पहुंचाते ही पीलिया ख़त्म  या फिर भृंगराज के पौधे को ही क्रश करके 10 ग्राम रस निकालिए और उसमें एक ग्राम काली मिर्च का पावडर मिलाकर मरीज को पिला दीजिये दिन में 3 बार 3 दिनों तक इस मिश्रण में थोड़ा मिश्री का चूर्ण भी मिला ले। 

*भृंगराज सफ़ेद दाग का भी इलाज करता है मगर काली पत्तियो और काली शाखाओं वाला भृंगराज चाहिए इसे आग पर सेंक कर रोज खाना होगा एक दिन में एक पौधा लगभग चार माह तक लगातार खाए। 

*आँखों की रोशनी तेज रखनी है तो भृंगराज की पत्तियों का 3 ग्राम पाउडर एक चम्मच शहद में मिला कर रोज सुबह खाली पेट खाएं।

*अगर कोई तुतलाता हो तो इसके पौधे के रस में देशी घी मिला कर पका कर दस ग्राम रोज पिलाना चाहिए बस एक माह तक लगातार दे ।

*त्रिफला के चूर्ण को भृंगराज के रस की 3 बार भावना देकर सुखा कर रोज आधा चम्मच पानी के साथ निगलने से बाल कभी सफ़ेद होते ही नही है पर इसे किसी जानकार वैद्य से ही तैयार कराइये। 

*इसके रस में यकृत की सारी बीमारियाँ ठीक कर देने का गुण मौजूद है लेकिन जिस दिन इसका ताजा रस दस ग्राम पीजिये उस दिन सिर्फ दूध पीकर रहिये भोजन नहीं करना है यदि यह काम एक माह तक लगातार कर लिया जाय तो कायाकल्प भी सम्भव है यह एक कठिन तपस्या है। 

*बच्चा पैदा होने के बाद महिलाओं को योनिशूल बहुत परेशान करता है उस दशा में भृंगराज के पौधे की जड़ और बेल के पौधे की जड़ का पाउडर बराबर मात्रा में लीजिये और शहद के साथ खिलाइये 5 ग्राम पाउडर काफी होगा दिन में एक बार खाली पेट लेना है सिर्फ केवल 7 दिनों तक ही काफी है। 

*इसका तेल बालों के लिये बहुत उपयोगी माना जाता है बालों को घने, काले और सुंदर बनाने के लिए भृंगराज का उपयोग कई तरह से किया जाता है भृंगराज के पत्तों का रस निकालकर बराबर का नारियल तेल लें और धीमी आंच पर रखें जब केवल तेल रह जाए तो बन जाता है "भृंगराज केश तेल"-अगर धीमी आंच पर रखने से पहले आंवले का रस मिला लिया जाए तो और भी अच्छा तेल बनेगा-बालों में रूसी हो या फिर बाल झड़ते हों तो इसके पत्तों का रस 15-20 ग्राम लें। 

* एसिडिटी होने पर भृंगराज के पौधे को सुखाकर चूर्ण बना लिया जाए और हर्रा के फलों के चूर्ण के साथ समान मात्रा में लेकर गुड के साथ सेवन कर लिया जाए तो एसिडिटी की समस्या से निजात मिल सकती है। 

* माईग्रेन या आधा सीसी दर्द होने पर भृंगराज की पत्तियों को बकरी के दूध में उबाला जाए व इस दूध की कुछ बूँदें नाक में डाली जाए तो आराम मिलता है। 
* भृंगराज एवं आंवले लें के ताजे पत्तों को पीस कर बालों की जड़ों में लगायें साथ ही नीम-शिकाकाई आंवला-कालातिल-रीठा इन सब को साथ मिलाकर एक पेस्ट बना लें यह आपके लिए एक हर्बल शैम्पू का काम करेगा जो बालों को कंडिशनिंग के साथ ही जड़ों को मजबूत बनाता है।

*भ्रंगराज की पत्तियों का रस निकालकर उसमे रुई भिगोकर सरसों के तेल में काजल बनाकर आँखों में लगाने से आँखो से पानी नहीं निकलता और आँखों में खुजली भी नहीं होती हैं (एजेंसी)

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