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हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से हो सकती है मरीजों की मौत

Posted on :23-May-2020
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से हो सकती है मरीजों की मौत

एजेंसी 

नई दिल्ली : क्या मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या क्लोरोक्वीन कोरोना वायरस को रोक सकती है? यह एक ऐसा सवाल है जो अक्सर आपके मन में आता होगा। दरअसल यह दवा अचानक से दुनियाभर में तब सुर्खियों में आ गई, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसकी मांग की थी। 

ऐसे में फिर से वही सवाल कि क्या यह कोविड-19 के खिलाफ लोगों की जान बचा सकती है? तो इसका अब तक कोई भी सीधा जवाब नहीं है। हालांकि, एक लाख लोगों पर किए गए एक नए शोध के मुताबिक कोरोना वायरस के खिलाफ इसके इस्तेमाल के बाद लोगों की मौत या दिल की धड़कन संबंधी समस्याएं देखने को मिली हैं।

जर्नल लैंसेट में शुक्रवार की रिपोर्ट में बताया गया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या क्लोरोक्वीन को लेकर किए गए शोध में छह महाद्वीपों के 671 अस्पताल शामिल हैं।

बोस्टन में ब्रिघम और महिला अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ मनदीप मेहरा ने एक अध्ययन में कहा, "कोरोना वायरस के खिलाफ इसका कोई फायदा नहीं है, बल्कि कई मामलों में इसके इस्तेमाल से मरीजों में नुकसान के संकेत भी देखे गए हैं।"

वहीं, वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में संक्रामक रोग प्रमुख डेविड एरोनॉफ ने कहा, "यह वास्तव में हमें कुछ हद तक विश्वास दिलाता है कि हमें कोविड-19 के इलाज में इन दवाओं से बड़े फायदे की संभावना नहीं है और संभवतः इससे नुकसान भी हो सकता है।"

साभार amarujala

 

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बिना लक्षण वाले मरीज नहीं फैला सकते हैं कोरोना संक्रमण :स्वास्थ्य मंत्रालय

Posted on :21-May-2020
बिना लक्षण वाले मरीज नहीं फैला सकते हैं कोरोना संक्रमण :स्वास्थ्य मंत्रालय

एजेंसी 

नई दिल्ली: कोरोना वायरस को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है. स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ़ से कहा गया है कि जिन मरीज़ों में कोरोना के हल्के लक्षण हैं या जिन्हें बुखार नहीं है, वो संक्रमण नहीं फैला सकते हैं. ऐसे मरीज़ों को लक्षण शुरू होने के 10 दिनों के बाद डिस्चार्ज किया जा सकता है अगर उन्हें लगातार 3 दिन तक बुखार नहीं है. उनको डिस्चार्ज करने से पहले टेस्ट कराने की भी ज़रूरत नहीं है. लेकिन ऐसे लोगों को डिस्चार्ज होने के बाद सात दिन तक घर पर आइसोलेट रहना होगा. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक आंकड़े के मुताबिक़ भारत में 69% कोरोना मरीज बिना लक्षण वाले हैं.

बता दें कि देश में कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. पिछले 24 घंटों में 5789 नए मरीज सामने आए हैं. एक दिन में 3002 ठीक हुए हैं तो वहीं 132 लोगों की मौत भी हुई है. भारत में अब इस जानलेवा वायरस के 112359 मरीज हो गए हैं. वहीं 45300 लोग इस बीमारी को मात देकर ठीक हो चुके हैं. अबतक 3435 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.

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16 मई-विश्व डेंगू दिवस

Posted on :16-May-2020
16 मई-विश्व डेंगू दिवस

सोशल मीडिया से डेंगू पर जागरूकता बढ़ाने के निर्देश

इस वर्ष की थीम – ‘‘इफेक्टिव कम्युनिटी इंगेजमेंट: की टू डेंगू कंट्रोल’’

 डेंगू से बचाव के लिए सप्‍ताह में एक दिन कूलर का पानी खाली कर मनाए ड्राई –डे

 

रायपुर: प्रत्येक वर्ष 16 मई को विश्‍व डेंगू दिवस के रूप में मनाया जाता है परंतु इस वर्ष वैश्विक महामारी कोविड-19 की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस दिवस पर किसी प्रकार की जागरूकता रैली या सभा का आयोजन नहीं किया जाएगा|

इस दिवस के उद्देश्य की पूर्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग कोरोना संक्रमण के दौरान सोशल मीडिया के माध्यम से जन जागरूकता का प्रयास कर रही है। छोटी-छोटी फिल्मों और स्लोगन के जरिए मच्छर जनित रोगों से बचाव की जानकारी दी जा रही है जिसके माध्यम से डेंगू ट्रांसमिशन सीजन शुरू होने से पहले बीमारी नियंत्रण के लिए निवारक उपायों को करने का आह्वान किया जा रहा है।

स्वास्थ्य विभाग कोविड-19 के मद्देनजर विश्‍व डेंगू दिवस पर आम जागरूकता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया, फेसबुक, व्हाट्सएप आदि माध्यमों का सहारा लेगा| इस वर्ष के विश्‍व डेंगू दिवस -2020 का थीम- ‘‘इफेक्टिव कम्युनिटी इंगेजमेंट: की टू डेंगू कंट्रोल’’ रखी गयी है|

बरसात शुरू होते ही मच्छर जनित रोगों जैसे डेंगू एवं चिकनगुनिया का खतरा बढ़ जाता है| मच्छरों से फैलने वाले इन दोनों रोगों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए राज्य के साथ जिला भी पूर्व से ही सतर्क है| जुलाई महीने में डेंगू के नियंत्रण के लिए घर-घर जाकर कूलरों की सफाई करने जागरुकता अभियान चलाया जाएगा|

दिल्ली की तर्ज पर डेंगू बचाव की अपील -  राष्‍ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी  डॉक्टर विमल किशोर राय ने बताया दिल्ली की तर्ज पर राजधानी में भी डेंगू से बचाव के उपाय अपनाए जाएंगे। इसके तहत सप्ताह में एक दिन रविवार को ड्राई डे मनाने की अपील लोगों से की जाएगी ताकि इस दिन कूलर की सफाई कर उसका  पानी लोग अवश्य बदलें जिससे कूलर के पानी में एडीज मच्छर ( डेंगू का मच्छर) न पनप सके । उन्होंने कहा जैसे दिल्ली सरकार ने सप्ताह में एक दिन कूलर सफाई की अपील लोगों से कर वहां डेंगू बीमारी पर काफी हद तक सफलता पाई है उसी तर्ज पर राजधानी में भी लोगों से एक दिन कूलर की सफाई यानि रविवार ड्राई डे की अपील की जाएगी।

मच्छरों से रहें सावधान :

राष्‍ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी  डॉक्टर विमल किशोर राय ने बताया डेंगू एवं चिकनगुनिया की बीमारी संक्रमित एडीस मच्छर के काटने से होती है. एडिस मच्‍छर में ट्रांसओवेरियन ट्रांसमिशन होता है। जो मच्‍छर के अंडे में भी डेंगू के संक्रमण फैलाने के लिए नए मच्‍छर होते हैं। यह मच्छर सामान्यता दिन में काटता है एवं यह स्थिर पानी और कूलर के पानी में पनपता है. इस लिए घरों में उपयोग किए जाने वाले कूलर को सप्‍ताह में एक दिन ड्राई-डे मनाते हुए कूलर का पानी पूरी तरह से बदल कर सावधानियां बरत सकते हैं।

डेंगू का असर-  शरीर में 3 से 9 दिनों तक रहता है. इससे शरीर में अत्यधिक कमजोरी आ जाती है और शरीर में प्लेटलेट्स लगातार गिरने लगती है. वहीँ चिकनगुनिया का असर शरीर में 3 माह तक होती है.  गंभीर स्थिति में यह 6 माह तक रह सकती है. डेंगू एवं चिकनगुनिया के लक्षण तक़रीबन एक जैसे ही होते हैं. इन लक्षणों के प्रति सावधान रहने की जरूरत है.तेज बुखार, बदन, सर एवं जोड़ों में दर्द ,जी मचलाना एवं उल्टी होना ,आँख के पीछे दर्द. त्वचा पर लाल धब्बे/ चकते का निशान , नाक, मसूढ़ों से रक्त स्त्राव ,काला मल का आना डेंगू एवं चिकनगुनिया के लक्षण होते हैं|

डेंगू का निदान

डेंगू का निदान रक्त परीक्षण की मदद से किया जाता है जो इसमें वायरस और एंटीबॉडी की जांच करने में मदद करता है। डॉ. विमल राय ने बताया बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है परहेज और संतुलित आहार लेकिन अगर बीमार हो गये तब भी खान-पान में ध्यान रखकर घातक परिणाम से बचा जा सकता है। खासकर डेंगू बुखार का इलाज सबसे महत्वपूर्ण होता है। डेंगू बुखार से संक्रमित लोगों को बहुत सारे तरल पदार्थ लेने और प्रमुखता से डॉक्टर से सहायता लेने के लिए कहा जाता है। ऐसी स्थिति में बिना देर लगाए , तुरंत नजदीकी अस्पताल जाना चाहिए। क्योंकि सावधानी रखकर ही बीमारी से बचा जा सकता है।

ऐसे करें बचाव:

घर में साफ सफाई पर ध्यान रखें, कूलर एवं गमले का पानी रोज बदलें

सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें. मच्छर भागने वाली क्रीम का इस्तेमाल दिन में करें

पूरे शरीर को ढंकने वाले कपडे पहने एवं कमरों की साफ़-सफाई के साथ उसे हवादार रखें

आस-पास गंदगी जमा नहीं होने दें. जमा पानी एवं गंदगी पर कीटनाशक का प्रयोग करें

खाली बर्तन एवं समानों में पानी जमा नहीं होने दें. जमे हुए पानी में मिट्टी का तेल डालें

डेंगू के लक्षण मिलने पर तुरंत ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें

टायर व पुराने बर्तन का पानी फेंक दें

पक्षियों के पीने के पानी का बर्तन, फूलदान इत्‍यादि को प्रति सप्‍ताह खाली कर धूप में सुखाएं।

मच्‍छरों से बचने घरों के दरवाजें

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लॉकडाउन में बच्चों के लिए जरूरी है शारीरिक में गतिविधियां व्‍यायाम व योगा

Posted on :15-May-2020
लॉकडाउन में बच्चों के लिए जरूरी है शारीरिक में गतिविधियां व्‍यायाम व योगा

रायपुर: लॉकडाउन में बच्चों के लिए शारीरिक गतिविधियां जरूरी है। लॉकडाउन से बच्चे की सेहत पर भारी पड़ सकता है। उनके फिटनेस के स्तर को कुछ एक्सरसाइज के साथ बढ़ाने के लिए कई तरह के टिप्‍स आसानी से घर पर कर सकते हैं। बच्‍चों के स्‍कूल की छुट्टी 15 मार्च से 60 दिन हो गए हैं। नए सत्र में 15 जून को स्‍कूल खुलने में अभी 30 दिन बांकी हैं। ऐसे में बच्‍चों को घरों से बाहर निकलने में पाबंदी लगी हुई है। आयुर्वेदिक अस्‍पताल की योग टीचर डॉ. सुनीता जैन बताती हैं बढ़ते बच्चे के लिए शारीरिक गतिविधि बहुत महत्वपूर्ण है। वर्तमान में लॉकडाउन के कारण बच्चें खेलने के लिए मैदान और पार्कों में नहीं जा पा रहे हैं। इस तरह उनकी सारी शारीरिक गतिविधियां थम गई हैं। डॉ. जैन ने बताया, बच्‍चों के मानसिक विकास के लिए 5 से 8 साल के बच्‍चों को 7 से 13 मई तक ऑनलाइन समर कैम्‍प के माध्‍यम से एक्‍टीविटी जैसे योगा, ड्राइंग, कलरिंग, आर्ट, क्रापट, गुड हैबिट़स, क्‍वीज और ड्रांस कराया गया।

क्यों है बच्चों को योग करना आवश्यक ...

डॉ. सुनीता जैन कहती हैं लॉकडाउन में घर के अंदर ही बच्‍चें टीवी व मोबाइल जैसे गैजेट तक ही सीमित रहते हैं और ये उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य और फिटनेस पर भारी पड़ सकता है। ऐसे में अभिभावक को बच्‍चों के मनोविज्ञान के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है और सक्रिय तौर पर कुछ जरूरी कदम उठाने चाहिए। नियमित व्यायाम ही इस समय आपके बच्चे को शरीर गतिविधियों में लिप्त रहने और वजन संतुलन रखने में मदद कर सकता है। इससे उसकी मानसिक दृढ़ता में भी सुधार होगा और शारीरिक तौर पर भी मतबूत होंगे।

5 साल से ऊपर के बच्चों के लिए ख़ास ...

बच्चों के लिए जरूरी है एक्सरसाइज-

बच्चों के लिए एक्सरसाइज करना बेहद जरूरी है क्योंकि ये उन्हें एक सक्रिय जीवन शैली की ओर अग्रसर करता है। जिन बच्चों में शारीरिक सक्रियता कम होती है, उनमें मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर जैसी स्थितियों के विकास का जोखिम बढ़ने लगता है। यही कारण है कि शुरू से ही बच्चों में व्यायाम को प्रोत्साहित करना और कम उम्र से फिट रहने की आदत डालना महत्वपूर्ण हो गया है। बच्चों में एक्सरसाइज के फायदों के बारे में बात करते हुए ये भी बताते हैं कि यह नियमित शारीरिक गतिविधि आत्मसम्मान,  मनोदशा और नींद की गुणवत्ता को बढ़ावा दे सकती है, जिससे उनमें तनाव, अवसाद और मनोभ्रंश की संभावना कम हो जाती है। यह शरीर के लचीलापन में सुधार करेगा और मांसपेशियों के समन्वय को आसान बनाता है। साथ ही ब्लड सर्कुलेशन कोभी बेहतर बनाने में मदद करता है। बच्चों के लिए ये एक्सरसाइज ज्यादा आसान होगी। बच्चे के लिए रोज इसे थोड़ा भी करना पूरे शरीर के कसरत हो सकती है। वहीं रोज इसे करने का फायदा ये होगा कि उनका वजन संतुलित रहेगा और वो दिन भर एक्टिव रहेंगे। हमें सुबह के समय प्रमुखरुप से योग आसन करना चाहिए जिसमें सूर्य नमस्कार, त्रिकोणासन, तदासना, सर्व अंगासना, चक्र आसन, सेतुबंध आसन, भुजंग आसन, पद्मासन, प्राणायाम, ओम का जाप, मंत्र जाप से काफी लाभ होता है।

बच्चों का दिमाग तेज करने के लिए उनसे ...

लॉकडाउन में हो बड़ों के साथ बच्‍चों का अटेचमेंट-

राज्‍य शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद रायपुर में मास्टर ऑफ़ एजुकेशन  के प्रशिक्षर्थी शिक्षक कृष्ण कुमार साहू के अनुसार देशभर में लॉकडाउन के चलते बच्‍चों की पढाई को नियमित तौर पर चालू रखने के लिए छत्‍तीसगढ़ सरकार ने पढई तुहर दुवार वेब पोर्टल जारी कर घर बैठे ऑनलाइन पढा़ई के लिए विषय सामाग्री को मनोरंजन तरीके से उपलब्‍ध करा रही है।

बच्‍चों को शारीरिक ख़ुराक जैसे भोजन, व्यायाम और  नींद के साथ-साथ मानसिक विकास भी एक अहम हिस्सा है। 2 से 5 वर्ष की आयु में बच्‍चे भाषा सीखने के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। जिससे परिवार के वयस्क सदस्यों की ज़िम्मेदारी थोड़ी बड़ जाती है।

एक्सपर्टकीसलाह - बच्चों को दें योग ...

श्री साहू ने बताया, हम बच्चों को कहानी सुना और सुनाने के लिए प्रेरित कर भाषा सीखने की कमी को पुरा कर सकते है। वयस्क सदस्यों को जितने भी बोली और भाषा आती हो अपने बच्चों के साथ बातचीत करना चाहिए और बच्चों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें। कहानी सुनना-सुनाना बच्चे की भाषा को समृद्ध करती है। कल्पना करना, तर्क करना और साथ ही संवेदनशील होना भी सिखाती है। कहानियों के चयन में वयस्क सदस्यों को ध्यान रखना होगा कि कहानियों में मार धार के दृश्यों का वर्णन शामिल न हो इससे बच्चों के मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ता है।  मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रोनिक उपकरणोंंं से बच्चों के पहुंच को दूर रखा जाना चाहिये।

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कोविड-19 से बचाव हेतु रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने आयुर्वेदिक उपाय

Posted on :12-May-2020
कोविड-19 से बचाव हेतु रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने आयुर्वेदिक उपाय

TNIS

कोरोना वायरस (कोविड-19) से बचाव हेतु रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के आयुर्वेदिक उपाय कारगर हैं। इस संबंध में छत्तीसगढ़ शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्रालय (महानदी भवन) रायपुर द्वारा समस्त कलेक्टरों को इसके व्यापक प्रचार हेतु दिशा-निर्देश दिये गये हैं। कलेक्टर श्री संजीव कुमार झा ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के जारी दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि ’आयुर्वेदिक उपाय’ में प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट योगासन, प्राणायाम एवं ध्यान करें। पूरे दिन केवल गर्म पानी पिएं। हल्दी, जीरा, धनिया एवं लहसुन आदि मसालों का भोजन बनाने में प्रयोग करें। तुलसी 40 ग्राम, काली मिर्च, सोंठ एवं दाल चीनी 20-20 ग्राम लेकर इन्हें सूखाकर पावडर बनाकर बन्द डिब्बे में रख लें और 3 ग्राम पाउडर को 150 एम.एल पानी में उबालकर दिन में 2-3 बार सेवन करें। त्रिकुट पाउडर 5 ग्राम, तुलसी 3 से 5 पत्तियां 1 लीटर पानी में डालकर उबालें, आधा रहने पर आवश्यकता अनुसार घूंट-घूंट कर पिएं। गोल्डन मिल्क -150 एम.एल. गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी चूर्ण दिन में एक से दो बार लें। उन्होंने कहा कि जन मानस इसका उपयोग कर रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि कर सकता है। प्राचीन काल से आयुर्वेद मनुष्य के लिए लाभाकारी एवं गुणकारी रहा है।

 

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अंतर्राष्ट्रीय नर्सेज दिवस पर विशेष : सेवा और समझाइश देती हुई स्टाफ नर्स सुनिशा फिलिप्स

Posted on :11-May-2020
अंतर्राष्ट्रीय नर्सेज दिवस पर विशेष : सेवा और समझाइश देती हुई  स्टाफ नर्स सुनिशा फिलिप्स

रायपुर 11 मई । बलोदा बाजार के जिला अस्पताल परिसर में कोरोना वायरस के बारे में सतर्क करते हुए और सामाजिक दूरी बनाये रखने की ज़रुरत पर समझाइश देती हुई आवाज़ स्टाफ नर्स सुनिशा फिलिप्स की है| कोविड-19 के 100 बिस्तर में तब्दील जिला अस्पताल में 4 साल से सेवाएं देती हुयी सिस्टर सुनिशाको कोरोना वायरस के मरीजों की देखबाल के लिए अप्रैल मेंमास्टर ट्रेनर की ट्रेनिंग दी गयी थी जिसके बाद जिले की सभी नर्सों की ट्रेनिंग उसी ने की|

सुनिशा कहती है कोविड-19 को लेकर जनता को जागरुक होने की जरूरत है ।अस्पताल परिसर में भी देखनेमें आता है बहुत सारे लोग सोशल डिस्टेंसिंग का सही रूप में पालन नहीं करते हैं और न ही  सैनिटाइजेशन के लिए बनाई गई टनल का उपयोग करते हैं ।उन्हें यह ज़रूर जानना चाहिए अस्पताल परिसर में उनकेपरिजनों के साथ-साथ और भी मरीजों के परिजन हैं जिनके सुरक्षा के लिए भीसोशल डिस्टेंसिंग ज़रूरीहै|लोगों में यह जागरूकता बढाने का ज़िम्मा उसने खुद पर लियाहै|

स्टाफ नर्स सुनिशाफिलिप्स ने बताया देश में जब से कोविड-19 का खतरा बढ़ा है तब से उसकीदिनचर्या में भी परिवर्तन आया है क्योंकिड्यूटी के घंटे बढ़ गए हैं औरआपातकाल सेवा के लियें तत्पर रहना पड़ता है । सुनिशा फिलिप्स कहती है रोगी की देखभाल उसकापहला दायित्व है । ``स्टाफ नर्स होने के नाते हमारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है मरीज कीदेखभाल करके उसे स्वास्थ करना|’’

सुनिशाबताती हैं उसे ड्यूटी पर आए हुए कुछ ही माह बीते थे कीएक जोखिम भरा प्रेगनेंसी का केस अस्पताल में आया| उस समय गायनोलॉजिस्टमौजूद नहीं थी । ``एक सीनियर डॉक्टर और मैंने उस डिलीवरी केस को हैंडल किया| प्रसव के समय बच्चा  उल्टा बाहर आ रहा था जो बच्चा और मां दोनों के लिए बहुत खतरनाक था ।  गायनोलॉजिस्ट  एक अन्य ऑपरेशन में थी । हमारे साथ जो वरिष्ठ डॉक्टर साथी थी उन्हें प्रसवकरवानेका अनुभव नहीं था लेकिनहमदोनों ने  उस प्रसव को करवाया ।‘’ आज वह बच्चा और मां दोनों स्वस्थ हैं और अपने जन्मदिन पर वह बच्चा और उसकी मां मुझसे हमेशा मिलने आते है|``मुझे बहुत खुशी होती है जब मैं उन दोनों को देखती हूँ ।‘’

नौकरी के दौरान मिले अनुभव में नर्स सुनिशाकहती है ऐसा भी  होता है जब  व्यक्ति अपनी बीमारी को बढ़ा लेता है और अंतिम समय पर हॉस्पिटल में पहुंचता है| तब उसकी देखबालऔर उसकी जान बचाना बहुत ही कठिन हो जाता है । ``ऐसी विषम परिस्थितियों में हमें अपना मानसिक संतुलन भी बनाना होता है और उस व्यक्ति के प्रति संवेदना और उसकेप्रति सेवा भाव भीरखना होता है । क्या पता भगवान हमारी सेवा को स्वीकार कर ले और उसकी जान बच जाये ।‘’

जबसिस्टर सुनिशा प्रोबेशन पर थी,उस समय नियमित नर्स कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी थी| ऐसे समय में जिला अस्पताल में केवल4 नर्स मौजूद थे और इन्ही परऊपर पूरे जिला अस्पताल का भार था| और 15 दिन तकचली हड़ताल जब समाप्त हुई उसके बादअधिकारियों ने उनकाधन्यवाद कियाऔर कहा यह सब उनकीमेहनत से संभव हो सका है|

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रनिंग करते समय पीछे दौड़ रहे व्यक्ति को होता है कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा

Posted on :04-May-2020
रनिंग करते समय पीछे दौड़ रहे व्यक्ति को होता है कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा

एजेंसी 

नई दिल्ली : कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच हर काम में सावधानी रखने की सलाह दी जा रही है। इस वायरस से बचने के लिए फिलहाल सोशल डिस्टेंसिंग ही एकमात्र तरीका है। एक-दूसरे के संपर्क में आने से बचना बहुत जरूरी है, तभी इस बीमारी को और फैलने से रोका जा सकता है। चूंकि, कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से फैलता है। यह मुख्य रूप से श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है।

डॉ. अजय मोहन का कहना है कि यह संक्रमित व्यक्ति से छींकने, खांसने या यहां तक कि बोलने के दौरान उसके मुंह से निकली द्रव की सूक्ष्म बूंदें हवा के माध्यम से स्वस्थ व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकती हैं। ऐसे में दूरी बनाकर रखना बहुत जरूरी हो जाता है। यह ऐसा समय है जब व्यायाम को लेकर भी सतर्कता बरतने की जरूरत है। तो इस महामारी के दौरान रनिंग, वॉकिंग और साइकलिंग के लिए सुरक्षित दूरी क्या है? शोधकर्ताओं का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग के लिए बताई गई 1.5 से 2 मीटर या 6 फीट की दूरी से यह अधिक होना चाहिए।

नीदरलैंड और बेल्जियम के शोधकर्ताओं के एक समूह के मुताबिक, 1.5 मीटर का नियम एक जगह खड़े लोगों के लिए है, लेकिन जब लोग चल या गतिशील हों तो उन्होंने पाया कि बूंदें बहुत आगे जा सकती हैं और संभावित रूप से पीछे आने वाले किसी भी व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकती हैं।
 
शोधकर्ता बताते हैं कि जब कोई दौड़ यानी रनिंग के दौरान सांस लेता है, छींकता है या खांसता है, तो वे कण हवा में पीछे रह जाते हैं। पीछे चल रहा व्यक्ति इस बूंदों से होकर गुजरता है। शोधकर्ता ने व्यक्ति के अलग-अलग पोजिशन पर मूवमेंट देखकर इस निष्कर्ष पर पहुंचे, जिसमें व्यक्ति एक-दूसरे के बगल में, एक दूसरे के तिरछे हों और एक-दूसरे के एकदम पीछे हों।
 
नतीजे यह संकेत देते हैं कि वॉकिंग और रनिंग के समय बूंदों के संपर्क में आने का सबसे बड़ा जोखिम पीछे वाले व्यक्ति को तब होता है जब आगे वाले व्यक्ति के साथ कतार में होता है।
 
संक्रमण की आशंका बढ़ती है जब आगे और पीछे वाले व्यक्ति के बीच की दूरी कम हो जाती है। शोध के मुताबिक सांस लेने या छींक के दौरान छोड़ी गई बूंदें 4 किमी / घंटे की गति से चलने वाले व्यक्ति से 5 मीटर और 14.4 किमी / घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाले व्यक्ति से 10 मीटर पीछे तक जा सकती हैं।
 
टीम का कहना है कि अगल-बगल में चलना या दौड़ना बेहतर है, लेकिन बताई गई 1.5 मीटर की दूरी बनाए रखना जरूरी है। एक पंक्ति में तेज चलने (4 किमी / घंटा) के लिए कम से कम 5 मीटर की दूरी है। 10 मीटर के लिए तेज गति से दौड़ना (14.4 किमी / घंटा) और साइकलिंग (30 किमी / घंटा) के लिए कम से कम 20 मीटर की दूरी आवश्यक है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक कोरोना वायरस संकट के दौरान, दुनियाभर के देशों ने सलाह दी है कि व्यक्तियों के बीच लगभग 1.5 मीटर की सोशल डिस्टेंसिंग रखी जाए। यह महत्वपूर्ण और प्रभावी माना जाता है, क्योंकि उम्मीद की जाती है कि अधिकांश बूंदें वास्तव में फर्श पर नीचे गिरती हैं या 1.5 मीटर की दूरी तय करने से पहले वाष्पित हो जाती हैं।
 
वे आगे कहते हैं, 'हालांकि, इस सोशल डिस्टेंसिंग को उन व्यक्तियों के लिए बताया गया है जो खड़े हुए स्थिति में हैं। अध्ययन इस बात की जांच करता है कि क्या पहला व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को 1.5 मीटर या उससे ज्यादा की दूरी पर बूंदों को व्यक्ति में स्थानांतरित करता है या नहीं।

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Covid-19: आंखों से भी कोरोना संक्रमण की पहचान संभव

Posted on :25-Apr-2020
Covid-19: आंखों से भी कोरोना संक्रमण की पहचान संभव

एजेंसी 

नई दिल्ली : आंखों का गुलाबी होना कोरोना संक्रमण का शुरुआती संकेत हो सकता है। साथ ही इसका वायरस 21 दिन तक आंखों में भीतर टिका रह सकता है। इटली के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इन्फेक्शियस डिजीज के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन  के बाद यह बात कही है।

उन्होंने 65 साल की एक बुजुर्ग महिला में पहली बार संक्रमण विकसित होने के 21 दिनों तक उनकी आंखों में कोरोना वायरस पाया।  अब तक दुनियाभर से कई कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की आंखें गुलाबी होने की रिपोर्ट सामने आई हैं। लेकिन ऐसे लक्षण वाले रोगियों की संख्या काफी कम है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि आंखों से निकलने वाले आंसुओं से भी संक्रमण फैल सकता है।  हालांकि कोरोना वायरस मुख्य रूप से खांसने और छींकने पर निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है। आंखों का लाल या गुलाबी होना कई वायरस या बैक्टीरिया के कारण हो सकता है।

वहीं, न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार चीन के एक हजार कोरोना पीड़ितों में से सिर्फ नौ लोगों को नेत्र संक्रमण हुआ था। एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में 30 मरीजों में से केवल एक में कंजक्टिवाइटिस का मामला देखा गया। आंखों का संक्रमण निश्चित रूप से लगातार बना रह सकता है।

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लॉकडाउन की वजह से एआरटी सेंटरों में एड्स के मरीजों को दी जा रही 3 माह की दवाएं

Posted on :18-Apr-2020
लॉकडाउन की वजह से एआरटी सेंटरों में एड्स के मरीजों को दी जा रही 3 माह की दवाएं

लॉकडाउन की वजह से एआरटी सेंटरों में एड्स के मरीजों को दी जा रही 3 माह की दवाएं

दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में एएनएम व आरएचओ के माध्‍यम से घर तक पहुंच रहा दवा

रायपुर, 17 अप्रेल 2020। लॉकडाउन की वजह से एचआईव्‍ही पॉजिटिव मरीजों को तीन माह की दवाईंयां एक साथ एआरटी व लिंक एआरटी सेंटर्स में वितरित की जा रही है। वहीं दूर दराज के जिन मरीजों को लॉकडाउन की वजह से एआरटी सेंटर्स में पहुंचने में समस्‍याएं हो रही हैं उन्हें एएनएम के माध्‍यम के दवाईंया उपलब्‍ध करायी जा रही है। छत्तीसगढ राज्य एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 14,000 पंजीकृत एड्स के मरीजों 10 एआरटी सेंटर व 22 लिंक एआरटी सेंटरों में दवाइंया जिला अस्‍पतालों के माध्‍यम से निशुल्‍क वितरित की जा रही है। प्रदेश में ज्‍यादातर एचआईवी पॉजिटिव के मरीज़ों को यानी स्टेज 1की दवा दी जा रहा है। वहीं लाइन-2 की मरीजों की संख्या मात्र 11 है।

छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के ए‍डीशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ.एस.के. बिंझवार ने बताया, देशभर में लॉकडाउन जारी होने से जिलों के भीतर वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित होने एड्स के मरीजों एआरटी सेंटर्स पहुंचने में काफी समस्‍या होने की शिकायत मिल रही थी। वहीं दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों के मरीजों को मेडिकल कॉलेज व जिला अस्‍पताल पहुंचने असुविधाएं हो रही है। मरीजों को लॉकडाउन के नियमों व सोशल डिसटेंसिंग का पालन करते हुए स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के मैदानी अमले एएनएम व आरएचओ के माध्‍यम से एड्स की दवाईंयां सीधे पहुंचाने की पहल की गई है। एड्स के मरीजों को असुविधाएं न हो इस लिए तीन माह अप्रेल, मई व जून तक की निशुल्क दवाइयां वितरण की जा रही है। 

डॉ. बिंझवार ने बताया, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के अंतर्गत स्‍वीकृत प्रदेश में कुल 10  एआरटी केंद्र मेडिकल कॉलेज रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, सरगुजा, रायगढ़, राजनांदगांव और जिला अस्पतातल दुर्ग व कोरबा में एटीआर सेंटर संचालित हैं। इसके अलावा दो निजी मेडिकल कॉलेज शंकराचार्य दुर्ग और रिम्स  मे‍डिकल कॉलेज रायपुर में भी एटीआर सेंटर में दवाईयां दी जा रही हैं। सुकमा, नारायणपुर व बीजापुर को छोड़कर 22 जिला अस्पतालों में लिंक एआरटी सेंटर की सुविधाएं हैं। जिन जिलों एड्स के 50 से अधिक मरीजों की संख्या होती है वहां लिंक एआरटी सेंटर्स संचालित किए जाते हैं। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की गाइडलाइन के अनुसार प्रत्येक एआरटी सेंटर में एक डॉक्टंर, एक स्टॉफ नर्स, एक काउंसलर, एक लैब टेक्नेशियन कार्यरत होते हैं। डॉं. बिंझवार का कहना है एचआईवी एड्स के रोकथाम के लिए जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं। इसके अलावा प्रदेश के एआरटी सेंटरों के माध्‍यम से एचआईव्‍ही संक्रमित मरीजों का काउंसिलिंग भी करायी जाती है।

उन्‍होंने बताया एड्स के प्रति जागरुकता आने कई बीमारियों के साथ एड्स की जांच अनिवार्य रुप से करायी जाती है। टीबी के मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से ऐसे मरीजों का एचआईव्‍ही जांच भी कराया जाता है। वहीं गर्भवती माता से उसके होने वाले बच्चों को संक्रमण से बचाने एतिहात के तौर पर एचआईवी टेस्ट करवाया जाता है। इससे बच्चे को संक्रमित होने से बचाया जा सकता, ऐसी दवाइयाँ उपलब्ध हैं जिनसे संक्रमण को माँ से बच्चे में जाने से रोका जा सकता है

 

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मानसिक रोगियों को मिलेगी टेली मनोचिकित्सा सुविधा

Posted on :05-Apr-2020
मानसिक रोगियों को मिलेगी टेली मनोचिकित्सा सुविधा

-THENEWS INDIA 

कोविड-19 महामारी के दौरान टेली मनोचिकित्सा
- नई दिल्ली के एम्स मनोरोग विभाग ने जारी किया दिशानिर्देश

रायपुर. 5 अप्रैल 2020। कोरोनावायरस (कोविड-19) महामारी संक्रमणकाल के दौरान संपूर्ण देश में लॉकडाउन है। ऐसे समय में मानसिक रोगियों का इलाज करना चुनौतिपूर्ण है। इसे देखते हुए नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के मनोरोग विभाग ने मनोरोगियों के इलाज के लिए टेलीमनोचिकित्सा की सलाह देते हुए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये है जिसके तहत संचार के विभिन्न साधनों जैसे मोबाइल फोन, टेक्स्ट मैसेज, वाट्सऐप, ईमेल आदि के जरिए मनोरोगियों को इलाज परामर्श प्रदान करने को कहा है|
महामारी से लॉकडाउन की इस अवधि में मनोरोगियों को अस्पताल पहुंचने और दवा खरीदने में भी कठिनाई हो रही है। दवा की अनुपलब्धता और मानसिक रोगियों को समय पर दवा नहीं मिलने के कारण उनके विकार के बढ़ने या ठीक होने की गति रूकने की संभावना है। इस समय टेली मनोचिकित्सा अनुकूल और सार्थक पहल है जिसमें मनोचिकित्सक रोगियों को वायरस संक्रमण से बचाकर उनका मूल्चांकन कर उनके स्वास्थ्य संबंधी परामर्श प्रदान कर सकेंगे। खासकर ऐसे रोगी जिनका मनोरोग विभाग द्वारा पहले से ही इलाज किया जा रहा है, जो भर्ती हैं, और जिन्हें फॉलोअप के लिए बुलाया गया हो, नए रोगी जिन्हें इलाज की जरूरत है आदि को चिकित्सकीय लाभ मिलेगा। टेली मनोचिकित्सा में मनोरोगियों की देखभाल करने वाले  "केयरगिवर" (मरीज का प्रतिनिधित्व करने के लिए परिवार के किसी सदस्य या रोगी द्वारा अधिकृत कोई भी व्यक्ति हो सकता है)  को भी मानसिक रोगियों के इलाज संबंधी सलाह की जानकारी दी जाएगी। 
ऐसी होगी व्यवस्था- मनोरोगियों की चिकित्सा के लिए दो जूनियर और दो सीनियर डॉक्टरों की तैनाती करने की सिफारिश की गई है। यह चिकित्सक मनोरोगियों की आवश्यकता के अनुसार मोबाइल फोन से वीडियो या ऑडियो द्वारा, सामान्य टेक्सट संदेशों और ईमेल के जरिए मरीजों को परामर्श प्रदान करेंगे। सरकारी टेली मेडिसीन प्रैक्टिस गाइडलाइन के अनुसार दिए केन्द्रीकृत नंबर 9999625860 पर मरीजों को मैसेज भेजकर चिकित्सकीय सेवा लेना होगा जिसमें उनका नाम, एप्वाइंटमेंट की तारीख और यूएचआई़डी नंबर देना अनिवार्य होगा। इसके बाद चिकित्सक ऑडियो या वीडियो कॉल द्वारा पंजीकृत या अन्य मरीजों को परामर्श देंगे। चिकित्सक दवाएं लेने और अन्य परामर्श डिजीटल पर्ची वाट्सऐप के माध्यम से मरीजों को भेजेंगे। आपातकाल लगा तो मनोरोगियों को नजदीकी मनोचिकित्सा अस्पताल में जाने की सलाह देंगे।
ई-प्रिस्क्रिप्शन - सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार टेली मनोचिकित्सकीय परामर्श के बाद वाट्सऐप या ईमेल के जरिए रोगियों को ई-प्रिस्क्रिप्शन दिया जाएगा । ई-प्रिस्क्रिप्शन में रोगी की पहचान का विवरण (नाम, यूएचआईडी और पूर्ण पता), समय, दिनांक और वह स्थान जहां से टेली मनोचित्सा दी गई, परामर्श और ऑडियो या वीडियो कॉल का समय, वीडियो कॉल कर मरीज की पहचान (फोटो), पहले से चल रही दवाओं, वर्तमान उपचार और मानसिक स्थिति परिक्षण की जानकारी अंकित होगी।

 

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World Sleep Day 2020 : अच्छी नींद के लिए सोने से पहले करें ये 5 काम

Posted on :13-Mar-2020
World Sleep Day 2020 : अच्छी नींद के लिए सोने से पहले करें ये 5 काम

एजेंसी 

नई दिल्ली : अक्सर ऐसा होता है कि बहुत थके होने पर हम सोना तो चाहते हैं लेकिन सो नहीं पाते। बेहतर नींद लेने के लिए हम बहुत कोशिश करते हैं लेकिन बीच-बीच में हमारी नींद टूट जाती है। ऐसे में नींद के लिए जरूरी कुछ टिप्स फॉलो करने से आपको बेहतर नींद आ सकती है। आइए, जानते हैं क्या है वो टिप्स- 

गुनगुने पानी से नहाएं 
गुनगुने पानी से नहाना आपको कई बीमारियों से ही नहीं बचाता बल्कि इससे आपको अच्छी नींद भी आती है। ऐसे में अगर आपको नींद न आ रही हो, तो आप गुनगुने पानी से नहाकर सोने के लिए जा सकते हैं, इससे आपकी दिनभर की थकान उतर जाएगी। 

कोई किताब पढ़ें 
आपको सोने से पहले अगर फिल्म या वीडियो देखने की आदत है, तो इस आदत को यहीं छोड़ दीजिए क्योंकि इससे आपकी नींद में खलल पड़ता है। आप नींद के लिए कोई अच्छी किताब पढ़ सकते हैं, जिससे आप दिन भर की बातों को भूलकर उस दिशा में सोचने लग जाएं। 

मेडिटेशन करें 
मेडिटेशन सिर्फ सुबह के समय ही न करें बल्कि आप कभी भी आंखें बंद करके ध्यान लगा सकते हैं। मेडिटेशन करने के कई फायदे हैं। इन फायदो में सबसे अहम फायदा है कि इससे हमारा मन शांत होता है और हम बेहतर तरीके से सो सकते हैं। 

अपने किसी करीबी या दोस्त से बात करें 
यह थेरेपी सबसे कारगर है। आपको अगर नींद न आने की समस्या है, तो आप अपने किसी करीबी से बात कर सकते हैं। इससे आप अपने मन की सारी बातें शेयर कर पाएंगे, जिससे आपका मन हल्का होगा और आप चैन की नींद सो पाएंगे। 

गर्म दूध या गुनगुना पानी पीकर सोएं 
सोने की परेशानी को हल करने के लिए आप गर्म दूध या गुनगुना पानी पीना चाहिए जिससे कि आपको नींद आसानी से आ जाएगी। इसके अलावा गर्म दूध या गुनगुना पानी पीकर सोने से आपको कब्ज से भी छुटकारा मिलेगा। 

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स्किन की समस्याओं के लिए उपयोग करें पुदीना

Posted on :14-Feb-2020
स्किन की समस्याओं के लिए उपयोग करें पुदीना

एजेंसी 

नई दिल्ली : कुछ चीजें ऐसी हैं, जो सेहत के साथ सुंदरता को निखारने में भी फायदेमंद होती हैं लेकिन इनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।जैसे, पुदीना सिर्फ सेहत के लिए ही नहीं बल्कि आपकी खूबसूरती को निखारने का काम भी करता है।

आइए, जानते हैं पुदीने के ब्यूटी सीक्रेट्स- 

पुदीने में पाए जाने वाले गुणकारी तत्व 
पुदीने में फाइबर पाया जाता है।विटामिन ए के अलावा इसमें आयरन, मैंगनीज की भी काफी मात्रा पाई जाती हैं। पुदीने को मुख्य रूप से एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए का स्रोत माना जाता है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट, ऑक्सीडेटिव तनाव से हमारे शरीर की सुरक्षा करते हैं। साथ ही इन्हें स्किन के लिए भी फायदेमंद माना जाता है।

रंगत निखारता है पुदीना 
पुदीने में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट स्किन के लिए बहुत फायदेमंद है।इसका फेस मास्क सप्ताह में दो बार लगाने से धीरे-धीरे आपकी रंगत निखरने लगती है।वहीं, अगर आपको छाईयों की समस्या है, तो आप पुदीने के रस को दही में या गेहूं के आटे में मिलाकर लगा सकते हैं।

पिम्पल को रखता है दूर 
आपको अगर पिम्पल की समस्या है, तो आपको रेगुलर पुदीने का इस्तेमाल करना चाहिए।आप पुदीने के रस को नारियल तेल में डालकर पिम्पल पर लगा सकते हैं।ऐसा करने से कुछ ही दिनों में न सिर्फ पिम्पल दूर होने लग जाएंगे बल्कि उनके निशान और दाग-धब्बे भी हल्के होने लग जाएंगे।

जलन और कीड़े के काटने पर 
आपको अगर जलने या मच्छर के काटने पर जलन हो रही है, तो आप वहां पुदीने को पीसकर लगा सकते हैं।ऐसा होने से आपको तुंरत ही जलन होनी बंद हो जाएगी और आप इंफेक्शन से भी बच जाएंगे।

एंटी एजिंग 
आप अगर अपनी बढ़ती उम्र को थाम लेना चाहते हैं, तो पुदीने का इस्तेमाल करना शुरू कर दें।पुदीना उम्र से पहले बुढ़ापे के स्किन इफेक्ट को दूर करने में मदद करता है।

डार्क सर्कल 
ऐसी बहुत कम चीजें हैं, जिनका असर डार्क सर्कल्स यानी काले घेरो पर होता है, पुदीना इन कम चीजों में ही शामिल है।किसी भी वजह से डार्क सर्कल होने पर आप रात को सोते समय पुदीने का रस लगा लीजिए।10-15 दिनों में आपके डार्क सर्कल 70-80 प्रतिशत तक कम हो जाएंगे।

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सर्दियों में देर तक नहीं होते हाथ पैर गर्म तो आजमाएं ये नुस्खे

Posted on :20-Jan-2020
सर्दियों में देर तक नहीं होते हाथ पैर गर्म तो आजमाएं ये नुस्खे

एजेंसी 

नई दिल्ली : फरवरी का महीना शुरू होने वाला है लेकिन दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में ठंड का प्रकोप बना हुआ है। लोग ठंड से बचने के लिए कभी चाय तो कभी रजाई में घुसकर खुद को सर्दी की मार से बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। लेकिन इस बीच कई लोग ऐसे भी हैं जो रजाई में घंटों घुसे रहने के बाद यही शिकायत करते हैं कि उनके हाथ पैर गर्म नहीं होते, लाख कोशिश के बावजूद वो ठंडे ही बने रहते हैं। आइए जानते हैं आखिर क्या है इसके पीछे की वजह और उपाय। 

हाथ-पैर ठंडे रहने की ये है वजह-
दरअसल, सर्दियों में हाथों की हथेलियां और पैर के पंजे ठंडे रहने की वजह शरीर में खून के जरिए पर्याप्त मात्रा में  ऑक्सीजन नहीं पहुंचना माना जाता है। शरीर में खराब ब्लड सर्कुलेशन की वजह से व्यक्ति को हाथ-पैरों में ठंड अधिक लगती है। इसके अलावा कई बार अनीमिया,नर्व डैमेज, डायबिटीज की अधिकता की वजह से भी ये समस्या झेलनी पड़ सकती है।  

हाथ-पैर गर्म करने के घरेलू उपाय-

1-गर्म तेल की मसाज- ठंड में हाथ-
पैरों को गर्म करने का सबसे आसान तरीका गर्म तेल से हाथ-पैरों की मालिश करना है। ऐसा करने से शरीर में सही तरह से ऑक्सीजन की स्पलाई होती है। हाथ-पैरों को गर्म करने के साथ गर्म तेल से मालिश करने के और भी कई फायदे हैं। 

2-सेंधा नमक के पानी से नहाएं- 
अगर आपके हाथ-पैर सर्दियों में ठंडे रहते हैं तो घर में मौजूद सेंधा नमक से नहाने के अलावा सेंधा नमक वाले गर्म पानी में सिर्फ अपने हाथ और पैरों को डालकर भी कुछ देर बैठने से राहत मिलेगी। सेंधा नमक आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम देता है।  

3-आयरन से भरपूर भोजन करें- 
अगर आप अनिमिया से पीड़ित हैं तो भी आपको हाथ-पैरों में ठंड अधिक लगेगी। ऐसे व्यक्तियों के हाथ-पैर भी हमेशा ठंडे बने रहते हैं। ऐसे में शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए आयरन से भरपूर चीजें जैसे खजूर, सोयाबीन, पालक, सेब, अखरोट, ऑलिव और चुकंदर आदि का सेवन करना चाहिए।  

4-मीठा और वसायुक्त भोजन करने से बचें-
इस तरह का भोजन करने से व्यक्ति को कोलेस्ट्रोल की समस्या होने लगती है। जिसकी वजह से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही तरह से नहीं हो पाता और हाथ और पैरों के ठंडे रहने की समस्या बढ़ सकती है।  

5-सर्दियों में भी ज्यादा पानी पिएं-
सर्दियों में ज्यादातर लोग यह शिकायत करते हैं कि उन्हें प्यास बहुत कम लगती है। लेकिन शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही बनाए रखने के लिए आपको ठंड के मौसम में भी पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए।   

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सर्दी के मौसम में खाने में शामिल करें ये गर्म तासीर वाले FOOD

Posted on :24-Dec-2019
सर्दी के मौसम में खाने में शामिल करें ये गर्म तासीर वाले FOOD

एजेंसी 

नई दिल्ली : देशभर में कड़ाके की ठंड ले लोगों को कंपा कर रख दिया है। कहीं स्कूलों में छुट्टियां हो गई हैं तो कहीं जगह-जगह पर प्रशासन अलाव जलाकर राहगीरों का सर्दी से बचाने की जुगत कर रहा है। ऐसे में आम आम आदमी के लिए जरूरी है कि इस मौसम में पर्याप्त गर्म कपड़े पहनने के साथ ही अपने खान पान पर विशेष ध्यान रखे। हमारे आसपास मौजूद भोज्य पदार्थों में कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं जिन्हें खाने से शरीर में गर्मी बढ़ती है। ऐसे खाद्य पदार्थों को आयुर्वेद या घरेलू चिकित्सा में गर्म तासीर वाले पदार्थों के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि गर्म तासीर के पदार्थों का सेवन करने से अन्य के मुकाबले शरीर में कुछ ज्यादा गर्मी पैदा करते हैं। 

तो आइए जानते हैं गर्म तासीर वाले 6  फूड्स के के बारे में जिन्हें पूरे सर्दी में रोजाना इस्तेमाल कर सकते हैं-

1- अदरक वाली चाय : 
सर्दी में चाय पीने वाले लोगों को सबसे अदरक की चाय पसंद होती। लेकिन आपको जानकर यह खुशी होगी कि अदरक की चाय सिर्फ स्वाद ही नहीं बढ़ाती बल्कि यह सर्दी जुकाम से भी रक्षा करती है। इसि सर्दी के मौसम में अदरक की चाय जरूर अपनी डाइट में शामिल करें।
अदरक वाली चाय के 7 बेहद खास फायदे :
ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में मददगार
दर्द में राहत दिलाने में कारगर
माहवारी के दौरान होने वाली परेशानी में राहत
मितली और दस्त पर काबू पाने के लिए
रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में
सांस संबंधी बीमारियों में असरदार
कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने के लिए

2- देशी घी : शरीर को ताकत देने और सर्दी से लड़ने में घी काफी सहायक है। घी में हाई कैलोरी होने से शरीर शरीर को जल्दी ठंड नहीं लगती, क्योंकि ठंड के विपरीत जब शरीद कैलोरी बर्न कर गर्म रहता है तो घी इसके लिए काफी टिकाऊ साबित होता है। इसलिए सर्दियों रोटी या दाल व सब्जी के साथ देशी घी जरूर खाएं। देशी घी में एंटीऔक्सिडेंट पाये जाते हैं। इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। कफ की समस्या वाले लोग ठंडा घी न खाएं।


3- हल्दी : रिसर्च के मुताबिक हल्‍दी रोजाना खाने से पित्‍त ज्‍यादा बनता है जिससे खाने को पचाने में आसानी होती है। हल्दी के फायदे की बात करें तो डायबिटीज नियंत्रण, खून साफ रखने, शरीर की सूजन व  दर्द कम करने से लेकर शरीर के जहरीले तत्वों को बाहर निकालने में मददगार है।

4- शहद : सर्दी के मौसम में मिल सके तो देशी शहद का इस्तेमाल करना फायदेमंत हो सकता है। खांसी जुकाम होने पर अदरक के गुनगुने रस के साथ इसे खा सकते हैं। या सेहत बनाने के लिए दूध में डालकर पी सकते हैं।

5- लहसुन : बहुत से शाकाहारी और वैष्णव लोग अपने भोजन में लहसुन प्याज शामिल नहीं करते। लेकिन आपको बता दें कि सर्दी में सब्जी के साथ लहसुन को शामिल करना काफी ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर लहसुन एक गर्म तासीर का पदार्थ हो जो लीवर को दुरुस्त रखता है। 

6- और ड्राई फ्रूट : ड्राई फ्रूट सानी सूखे मेवे सेहत के लिए हमेशा फायदेमंद होते हैं। खासकर सर्दी के मौसम में इनका सेवन काफी अच्छा माना जाता है। ड्राई फ्रूट के तौर पर आप बादाम, काजू, किशमिश, खजूर, अखरोट, खुबानी, पिस्ता और छुहारे खा सकते हैं।

इनके अलावा अंडे और नॉनवेज फूड भी गर्म तासीर वाले माने जाते हैं जिन्हें हम सर्दियों में अपने खाने में शामिल कर सकते हैं।

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सर्दियों में दूध के साथ करे गुड़ का सेवन, ये होता है फायदा

Posted on :01-Dec-2019
सर्दियों में दूध के साथ करे गुड़ का सेवन, ये होता है फायदा

एजेंसी 

नई दिल्ली : सर्दियों से बचने के लिए हम कितने ही जैकेट, स्वेटर क्यों न पहन लें लेकिन जब तक हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर रहेगी, तब तक हम छोटी-छोटी बीमारियों का शिकार होते रहेंगे। ऐसे में गुड़ के साथ दूध का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ सर्दियों में होने वाली सर्दी-जुकाम, कफ जैसी कई परेशानियों को भी दूर करता है। 
आइए, जानते हैं गुड़ के साथ दूध पीने के फायदे- 

दूध और गुड़ में मौजूद तत्व 
दूध में अधिक मात्रा में विटामिन ए, विटामिन बी और डी के अलावा कैल्शियम, प्रोटीन और लैक्टिक एसिड पाया जाता है। वही दूसरी ओर गुड़ में अधिक मात्रा में सुक्रोज, ग्लूकोज, खनिज तरल और पानी कुछ मात्रा में पाई जाती है। इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा और कई तत्व पाएंं जातेे हैंं।


नेचुरल ब्लड प्यूरीफायर 
गुड़ में ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो आपके शरीर में मौजूद अशुद्धियों को साफ कर देता है इसलिए रोजाना गर्म दूध और गुड़ का सेवन करने से आपके शरीर से ऐसी अशुद्धियां निकल जाती है। जिससे आपको कोई बीमारी नहीं होगी।

 

मोटापा को करें कंट्रोल
माना जाता है कि अगर आप दूध के साथ चीनी का इस्तेमाल करते है, तो इसकी जगह आप गुड़ का इस्तेमाल करें। ऐसा करने से आपका वजन कंट्रोल में रहेगा। जिससे आप मोटापा का शिकार नहीं होंगे।

पेट संबंधी समस्या को रखें ठीक

अगर आपको पाचन संबधी कोई भी समस्या है, तो गर्म-गर्म दूध और गुड़ का सेवन करने से आपको पेट संबंधी हर समस्या से निजात मिल जाती है।

जोड़ों के दर्द को करें दूर
गुड़ खाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है, अगर रोजाना गुड़ का एक छोटा पीस अदरक के साथ मिला कर खाया जाए, तो जोड़ों में मजबूती आएगी और दर्द दूर होगा। आपकी खूबसूरती को बढ़ाएं। गर्म दूध और गुड़ का सेवन करने से आपकी त्वचा मुलायम होने के साथ-साथ त्वचा संबंधी समस्या न होगी। साथ ही इसका सेवन करने से आपके बाल भी हेल्दी रहेंगे।

पीरियड्स में दर्द को करें ठीक

कहा जाता है कि अगर आपको कही दर्द हो,तो गर्म दूध पीने से तुरंत आराम मिल जाता है और महिलाओं को पीरियड के समय का दर्द हो रहा हो तो गर्म दूध के साथ गुड़ का सेवन करने से आपको इससे निजात मिल सकता है। आप फिर पीरियड शुरु होने के 1 हफ्ते पहले 1 चम्मच गुड़ का सेवन रोजाना करें। इससे आपको दर्द से निजात मिलेगी। 

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अपनी सुंदरता में लगाना है चार चांद तो आजमाइए ये एस्ट्रो टिप्स

Posted on :20-Nov-2019
अपनी सुंदरता में लगाना है चार चांद तो आजमाइए ये एस्ट्रो टिप्स

दिल्ली : सुंदर दिखने की चाह भला किसे नहीं होती। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वो खूबसुरत दिखे, जहां भी जाए सभी के आकर्षण का केंद्र बना रहा। महिलाएं तो विशेष रुप से सुंदर दिखना चाहती है। इसके लिए महिलाएं  जो संभव हो वह करती भी हैं। अपने सौंदर्य की प्रशंसा सुनने के लिए सदैव आतुर रहती हैं। अगर यह कहा जाए कि महिलाओं का सबसे पसंदीदा कार्य अपनी प्रशंसा सुनना है तो अतिशोक्ति नहीं होगी। महंगे से महंगे सौंदर्य सामग्रियों का प्रयोग और सोलह श्रृंगार कर स्वयं को सुंदर बनाए रखती हैं। आज के आधुनिक समय में स्वयं को सुंदर और आकर्षक बनाए रखना सहज कार्य नहीं है, एक तो समय की कमी दूसरे उपलब्ध सामग्री में शुद्धता का अभाव होने के कारण सौंदर्य में बढ़ोतरी कम, कमी अधिक होती है। सुंदर छवि के साथ लोगों के दिलों में घर करने की चाह लिए इधर उधर प्रयासरत रहते हैं। बहुत प्रयास करने पर भी यदि यह संभव न हो पा रहा हो तो निराशा और हताशा होना स्वभाविक है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही ज्योतिषीय उपायों की जानकारी देने जा रहे हैं जिनके द्वारा आप अपने खूबसूरती में चार चांद लगाने में सफल रहेंगे। इन उपायों से आप अपने रुप में निखार करने में सफल रहेंगे।

जन्मपत्री का पहला भाव जिसे लग्न भाव के नाम से जाना जाता है। लग्न भाव व्यक्तित्व और शारीरिक रचना का भाव है। व्यक्ति के रुप, सौंदर्य और चेहरे का विश्लेषण लग्न भाव से ही किया जाता है। पहला भाव मुख, मुखाकॄति, सिर, मस्तिष्क और रुप का प्रतिनिधित्व करता है। लग्न भाव का शुभ ग्रहों से युक्त होना जातक को सौंदर्यपूर्ण बनाता है। इस भाव के ग्रह स्वामी की वस्तुओं को धारण करना और उपाय करना व्यक्तित्व और रुप में सुधार करता है।

 जन्मकुंडली के आधार पर स्वास्थ्य सुख और सुंदरता पाने के लिए लग्न भाव को बल दिया जाता है। लग्न भाव मजबूत हो जाए तो व्यक्ति का सौंदर्य स्वयं खिल उठता है। लग्न भाव को बल्देने के लिए लग्नेश ग्रह का मंत्रोच्चारण, हवन, अभिषेक और यंत्र पूजन किया जाता है। इन उपायों से व्यक्तित्व उभर कर आता है और व्यक्ति प्रत्येक स्थान पर प्रशंसा का पात्र बनता है। सुंदरता और लोकप्रियता दोनों का प्रत्यक्ष संबंध है। सुंदर व्यक्ति को सहजता के साथ लोकप्रियता प्राप्त होती है।
 
सौंदर्य वॄद्धि का अचूक उपाय - देवी लक्ष्मी का पूजन  
देवी लक्ष्मी न केवल धन की देवी हैं, अपितु उन्हें सौंदर्य के लिए भी जाना जाता है और नवग्रहों में शुक्रवार का दिन साज-सज्जा और सौंदर्य प्रसाधन प्रयोग करने का दिन है। जो व्यक्ति शुक्रवार के दिन सुसज्जित होकर मां लक्ष्मी का पूजन और श्रृंगार करता है उसे देवी धन, सुख और सौंदर्य सभी कुछ प्रदान करती है। मां लक्ष्मी को गुलाबी रंग के वस्त्र अतिप्रिय है। धन की देवी का प्रतिदिन गुलाबी रंग के वस्त्र पहन कर करने से मुख पर तेज और सुंदरता का भाव विराजित होता है। सौंदर्य से जुड़े सभी कार्य करने के लिए शुक्रवार के दिन का प्रयोग विशेष माना गया है।  
 
शुक्र ग्रह को सौंदर्य प्रदान करने वाले ग्रह हैं। शुक्र ग्रह से संबंधित उपाय करने से न केवल खूबसूरती में निखार आता है अपितु वैवाहिक और प्रेम संबंधों में भी स्नेह बढ़ता है। किसी के दिल में जगह बनाने के लिए शुक्र ग्रह के उपाय करना कारगर उपाय है। इसके लिए शुक्र ग्रह की वस्तुओं का प्रयोग किया जा सकता है साथ ही शुक्र ग्रह का मंत्र जाप भी करना चाहिए।

शुक्रवार के दिन सफेद वस्त्र और दही का दान करना भी सौंदर्य वृद्धि करने में सहयोगी साबित होता है। ये सभी वस्तुएं क्योंकि शुक्र ग्रह से संबंधित है अत: यह रुप निखार करने के साथ साथ भाग्य और धन बढ़ाने का कार्य भी करती हैं।  

शुक्रवार के व्रत का पालन करने से भी धन की देवी लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है और सौंदर्य में चमत्कारिक निखार आता है।

6 मुखी रुद्राक्ष भी सौंदर्य के कारक ग्रह शुक्र ग्रह का रुद्राक्ष है। इस रुद्राक्ष को नियमित रुप से धारण करने पर धारक के व्यक्तित्व बेहतर होता है।

शुक्र रत्न हीरा अपने खूबसूरती के लिए जाना जाता है। 84 रत्नों में यह एकमात्र रत्न है जो आकर्षण में वॄद्धि करने के लिए जाना जाता है। इस रत्न के विषय में कहा जाता है कि जो व्यक्ति इसे धारण करता है उसके रुप, रंग और व्यक्तित्व में एक नई छ्टा देखने में आती है।  
व सधन्यवाद सर जी    
ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव
“श्री मां चिंतपूर्णी ज्योतिष संस्थान
5, महारानी बाग, नई दिल्ली -110014
8178677715, 9811598848
 
 
ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव कुंडली विशेषज्ञ और प्रश्न शास्त्री
8178677715, 9811598848
 
ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव पिछले 15 वर्षों से सटीक ज्योतिषीय फलादेश और घटना काल निर्धारण करने में महारत रखती है. कई प्रसिद्ध वेबसाईटस के लिए रेखा ज्योतिष परामर्श कार्य कर चुकी हैं। आचार्या रेखा एक बेहतरीन लेखिका भी हैं। इनके लिखे लेख कई बड़ी वेबसाईट, ई पत्रिकाओं और विश्व की सबसे चर्चित ज्योतिषीय पत्रिकाओं  में शोधारित लेख एवं भविष्यकथन के कॉलम नियमित रुप से प्रकाशित होते रहते हैं। जीवन की स्थिति, आय, करियर, नौकरी, प्रेम जीवन, वैवाहिक जीवन, व्यापार, विदेशी यात्रा, ऋण और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, धन, बच्चे, शिक्षा, विवाह, कानूनी विवाद, धार्मिक मान्यताओं और सर्जरी सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं को फलादेश के माध्यम से हल करने में विशेषज्ञता रखती हैं।

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अमेरिकी डॉक्टरों को बड़ी सफलता, धूम्रपान से खराब दोनों फेफड़ों का सफल ट्रांसप्लांट

Posted on :14-Nov-2019
अमेरिकी डॉक्टरों को बड़ी सफलता, धूम्रपान से खराब दोनों फेफड़ों का सफल ट्रांसप्लांट

एजेंसी 

वॉशिंगटन : अमेरिकी डॉक्टरों ने पहली बार किसी युवक के दोनों फेफड़ों के प्रत्यारोपण किए जाने का दावा किया है। मिशिगन के एक अस्पताल में डक्टरों ने करीब 6 घंटे की सर्जरी के बाद 17 साल के युवा एथलीट के छलनी हो चुके दोनों फेफड़ों का सफल प्रत्यारोपण का दावा किया है। युवक के दोनों फेफड़े वेपिंग के कारण पूरी तरह खराब हो गए थे, जिससे प्रत्यारोपण करना जरूरी हो गया था।

डॉक्टरों को मिली बड़ी कामयाबी दरअसल, ई-सिगरेट या किसी ऐसी चीज से भाप के रूप में निकोटिन लेना वेपिंग कहलाता है। एथलीट को सबसे पहले 5 सितंबर को सेंट जॉन अस्पताल में भर्ती किया गया था। हालांकि, कुछ दिनों के भीतर ही उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी। हालत बिगड़ने पर डॉक्टर्स ने उसे 12 सितंबर को वेंटिलेटर पर रखा था। इसके बाद मरीज की हालत में सुधार होने लगा तो उसे मिशिगन ले जाया गया। डॉक्टरों ने कहा कि मरीज की स्थिति अति गंभीर थी, इसलिए उसके दोनों फेफड़े ट्रांसप्लांट करने पड़े।

17 साल के एथलीट के दोनों फेफड़ों का सफल ट्रांसप्लांट अस्पताल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट विभाग के डायरेक्टर हसन नेमह ने कहा, 'मैं 20 साल से फेफड़ों का प्रत्यारोपण कर रहा हूं, लेकिन एथलीट के फेफड़ों में जो देखा, ऐसा कभी नहीं देखा था। ये पहली बार ही सामने आया था। मृत ऊतको के अलावा मरीज के फेफड़ों में काफी सूजन और जख्म थे। फेफड़ों की हालत इतनी खराब थी कि सर्जरी कर उसे निकालने के अलावा कोई चारा ही नहीं था।'

वेपिंग के कारण खराब हुए थे दोनों फेफड़े एथलीट के फेफड़ों की स्थिति को लेकर डॉक्टर्स ने काफी लंबी जांच की। सीडीसी ने ई-सिगरेट के इस्तेमाल को इसके लिए संभावित तौर पर जिम्मेदार पाया। डॉक्टरों के मुताबिक, वेपिंग के चलते जान गंवाने वाले या बीमार मरीजों के फेफड़ों से लिए तरल पदार्थ के नमूनों में उन्हें ऐसा चिपचिपा पदार्थ मिला, जिसका उपयोग कई ब्लैक-मार्केट टीएचसी उत्पादों में एक गाढ़ा करने वाले एजेंट के रूप में होता है। सीडीसी के मुताबिक, इस सर्जरी ने अमेरिका में वेपिंग से पड़ने वाले बुरे प्रभाव की तरफ गंभीर इशारा किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, वेपिंग से जुड़ी बीमारियों की वजह से कम से कम 39 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 2 हजार से अधिक लोग अस्पताल में हैं।

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स्वस्थ: जाने हार्ट अटैक के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

Posted on :14-Nov-2019
स्वस्थ: जाने हार्ट अटैक के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

एजेंसी 

नई दिल्ली : काम का बढ़ता दबाव, बदलता लाइफ स्टाइल, खान-पान में गड़बड़ी और जंक फूड के कारण दिल की बीमारी का खतरा बढ़ रहा है। वहीं सर्दी के मौसम में हार्ट अटैक की संभावना अधिक होने से अधिक सतर्कता की जरूरत है। ऐसे में हमें सर्दी की शुरूआत के साथ हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज और विशेष सावधानी रखकर इस खतरे को कम किया जा सकता है। 

बुजुर्गों और बच्चों के सीनियर हार्ट सर्जन डॉ. राजू व्यास के अनुसार, थोड़ी सावधानी रखी जाए तो हार्ट अटैक के खतरे को 80 फीसदी तक कम कर सकते हैं। डॉ. व्यास के अनुसार अधिकांश लोगों को हार्ट अटैक के लक्षण, कारण और बचाव की जानकारी नहीं होने के कारण मरीज यह समझ ही नहीं पाता कि उसे हार्ट अटैक आया है या उसकी चपेट में है। 

सर्दी के साथ बढ़ जाता है खतरा 
फोर्टिस शालीमार बाग नई दिल्ली के कार्डियक साइंसेज के निदेशक डॉ. राजू व्यास के अनुसार सर्दी में सुबह के समय सभी को विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता है। जैसे कम कपड़ों में न रहे, मॉर्निग वॉक के लिए धूप निकलने पर ही जाएं, बाथरूम में नहाएं और पानी को हल्का गर्म रखें। ठंडे पानी से नहाना मुसीबत का कारण हो सकता है। सर्दी में घर से बाहर निकलने से पहले गर्म कपड़ों को पहनने के साथ कान और सिर को ढक कर रखें। 

हार्ट अटैक के लक्षण 
1. कंधे, गर्दन और पीठ दर्द के साथ घबराहट
2. सीने में तेज दर्द के साथ सांस लेने में तकलीफ
3. शुरूआत में मिचली के साथ उल्टी आना
4. सांस फूलना
5. चक्कर आना
6. अशांत मन और बेचैनी
डायबिटीज (शुगर ) के मरीजों में कई बार यह लक्षण दिखाई नहीं देता है। इस तरह के मरीजों में बिना किसी लक्षण के ही हार्ट अटैक आता है जिसे साइलेंट हार्ट अटैक (Silent Heart Attack) कहा जाता है।

हार्ट अटैक के कारण ( Reasons For Heart Attack )
1. बढ़ता मोटापा
2. अनियंत्रित डायबिटीज
3. हाई कोलेस्ट्रॉल
4. हाई प्रेशर का होना
5. जेनेटिक प्रॉब्लम 

हार्ट अटैक से बचाव के उपाय  Heart Attack Prevention 

डॉ. राजू व्यास के अनुसार 
1. तनाव न लें 
कम उम्र में आने वाले अधिकांश हार्ट अटैक के मामलों की वजह तनाव होती है। तनाव दिल की धडकनों को प्रभावित करने के साथ हार्मोनल चेंजेज लाता है। तनाव दूर करने के लिए मेडिटेशन के साथ योग और  एक्सरसाइज से तनाव को दूर किया जा सकता है। 
2. बिगड़ती लाइफस्टाइल 
भागदौड़ के जीवन में लाइफस्टाइल का ध्यान किसे रहता है। अनियंत्रित और अव्यवस्थित लाइफस्टाइल का खामियाजा हमें हार्ट अटैक और अन्य बीमारी को दावत देते हैं। नियंत्रित खानपान और जीवनशैली को अपनाकर आप हार्ट अटैक समेत दूसरी बीमारियों से बच सकते हैं।
3. बढ़ता वजन और मोटापा 
अनियंत्रित मोटापा और लगातार बढ़ता वजन किसी भी महिला-पुरुष या बच्चे के दिल के लिए ठीक नहीं है। इसलिए वजन को नियंत्रण में रखें। या मोटापा से हाई कोलेस्ट्रॉल, बढ़ाने के साथ डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी को बढ़ावा देता है। बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) पर नजर रखें।
4. कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है सीवीडी का खतरा
कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने से हार्ट अटैक की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से अधिक होना दिल के अच्छा नहीं है। इससे कार्डियोवैस्क्यूलर बीमारियां (सीवीडी) होने का खतरा बढ़ता है। इससे बचने के लिए डाइट का ध्यान रखें। 
5. हाई ब्लड प्रेशर 
हाई ब्लड प्रेशर यानि हाई बीपी नसों को प्रभावित करने के साथ इसका सीधा असर दिल पर पड़ता है. उच्च रक्तचाप यानी हाई बीपी आर्टरीज पर भी असर डालती है, जो हार्ट अटैक के खतरे को कई गुना बढ़ा सकता है।

हेल्दी हार्ट के लिए खान-पान

1. शरीर की आवश्यकता के अनुसार ही खाएं न कि मन के अनुसार। हरी सब्जी और फल की मात्रा को अपने आहार में शामिल करें। 
2. जंक फूड विशेषकर मैदा से बने खाने की चीजों जैसे पिज्जा, पास्ता, बर्गर आदि से बचें।
3. घर के खाने में छिपा है आपके हेल्दी होने का राज। कोशिश करें की घर का बना ही खाना खाएं। जिसमें भरपूर पोषण के साथ हरी सब्जी के साथ कम चिकनाई और मसाले में बना हो। चीनी को अपने आहार में घटाएं। 
4. नमक की मात्रा को नियंत्रित करें। ज्यादा नमक खाने से रक्तचाप बढ़ जाता है. जिसके चलते हृदय में कई बीमारियां होने की संभावना भी बढ़ जाती है। 
5. सब्जियों को ज्यादा न पकाएं। उबालकर या कम तेल में खाना पकाने की कोशिश करें। हमेशा ताजा खाना खाएं। 
6. साबूत दालें-अनाज, सब्जियां जैसे गाजर, टमाटर आदि में ना घुलने वाला फाइबर होता है. दलिया, सेम, लोबिया, सूखे मेवे और फल जैसे सेब, नींबू, नाशपाती, अनानास आदि में घुलनशील फाइबर होते हैं। इसलिए इनको कम पकाएं या साबूत ही खाएं।

डॉ .राजू व्यास 
निदेशक  कॉर्डीऐक सर्जरी 
फ़ोर्टिस इस्कोर्ट्स होसिपटल  
दिल्ली

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जाने शरीर में आयोडीन की कमी को कैसे करें दूर

Posted on :22-Oct-2019
जाने शरीर में आयोडीन की कमी को कैसे करें दूर

एजेंसी 

नई दिल्ली : जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर के अनुसार, भारत में लगभग 20 करोड़ लोगों में आयोडीन की कमी से होने वाले विकार (आईडीडी) का खतरा है। इनके अलावा 7.1 करोड़ लोग गॉइटर (गलगंड) और अन्य आईडीडी से पीड़ित हैं। दुनिया भर में यह आंकड़ा 2 अरब है। आईडीडी किसी को भी अपना शिकार बना सकता है, लेकिन 6 से 12 आयु वर्ग के बच्चे-किशोर सबसे ज्यादा प्रभावित रहते हैं। आईडीडी का सबसे बुरा असर जीवन के पहले 1000 दिनों में और गर्भाधान से 2 वर्ष की आयु तक होता है।

आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियां

यदि समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो आयोडीन की कमी से हार्ट संबंधी बीमारियां हो सकती हैं जैसे- हार्ट का बढ़ा हुआ आकार और हार्ट फेल होना। वहीं इसकी कमी से महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हो सकती हैं, जैसे-अवसाद और बांझपन। आयोडीन की कमी वाली महिलाओं के प्रेग्नेंट होने की संभावना 46 फीसदी कम होती है। गर्भवती महिलाओं में थायराइड हार्मोन की कमी का असर बच्चे पर पड़ता है। नवजात जन्म से कमजोर होगा। वहीं गर्भपात, मृत बच्चों का जन्म और जन्म से ही होने वाली असामान्यताओं का जोखिम बढ़ जाता है।

शरीर को आयोडीन की जरूरत

आयोडीन एक पोषक तत्व है, जो शरीर में थायरॉयड नामक रसायन बनाने के लिए आवश्यक होता है। थायरॉइड ही शरीर के समग्र विकास को नियंत्रित करता है। श्वास लेने और हृदय गति से लेकर शरीर के वजन और मांसपेशियों की शक्ति तक, सब कुछ बेहतर कार्य करे  यह आयोडीन पर निर्भर करता है। जब आयोडीन का स्तर बहुत कम होता है, तो नींद आने लगती है। मरीज ध्यान लगाकर काम नहीं कर पाता है। जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द के साथ डिप्रेशन होने लगता है। कुल मिलाकर भले ही आयोडीन बहुत थोड़ी मात्रा में जरूरी हो, लेकिन इसकी कमी शरीर को बड़ा नुकसान पहुंचाती है। वयस्कों को आमतौर पर प्रति दिन 150 माइक्रोग्राम (एमसीजी) आयोडीन की आवश्यकता होती है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रति दिन 200 एमसीजी जरूरी है। 

myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. अनुराग शाही के अनुसार, ‘हमारे शरीर में आयोडीन का निर्माण नहीं होता, यानी हमें आहार के रूप में ही इसे शरीर में पहुंचाना होता है। आयोडीन की कमी से थायराइड ग्रंथि का आकार असाधारण रूप से बढ़ जाता है।’ अन्य खाद्य पदार्थों के साथ आयोडीन युक्त नमक इसका विकल्प है, लेकिन राजस्थान, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में इसके सेवन की मात्रा देश में सबसे कम है। इंडिया आयोडीन सर्वे 2018-19 के अनुसार, ‘भारत में 85.6 फीसदी लोगों को आयोडीनयुक्त नमक के बारे में जानकारी है और 74.6 फीसदी यह जानते हैं कि इसकी कमी से कौन-कौन सी बीमारियां होती हैं।’ यही कारण है कि हर वर्ष 21 अक्टूबर को आयोडीन डेफिशिएंसी डे के रूप में मनाया जाता है, ताकि लोगों को जागरूक बनाया जा सके। 

आयोडीन की कमी के लक्षण

डॉ. अनुराग शाही के अनुसार, गर्दन में सूजन, अचानक वजन बढ़ना, कमजोरी या थकान महसूस होना, बालों का झड़ना या कम होना, याददाश्त कमजोर होना, गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं, मासिक धर्म की अनियमितता या मासिक धर्म में अधिक खून आना आयोडीन की कमी के सामान्य लक्षण हैं। इसके अलावा सूखी और परतदार त्वचा, सामान्य से अधिक ठंड लगना और असामान्य धड़कन भी इसकी कमी के संकेत हैं। बच्चों में आयोडीन की कमी मानसिक विकलांगता का कारण बन सकती है। दांतों का विकास नहीं होता, मानसिक विकास रुक जाता है, बच्चा मंदबुद्धि की तरह बर्ताव करता है।

 आयोडीन की कमी का पता लगाने के टेस्ट

 यूरिन या ब्लड टेस्ट से आयोडीन की कमी का पता लगाया जा सकता है। आयोडीन पैच टेस्ट भी होता है, जिसमें डॉक्टर त्वचा पर आयोडीन के एक पैच पेंट करते हैं और जांचते हैं कि 24 घंटे के बाद यह कैसा दिखता है।

 ऐसे दूर करें आयोडीन की कमी

मछली, अंडे, मेवे, मीट, ब्रेड, डेयरी उत्पाद और समुद्री शैवाल, कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनमें प्रचूर आयोडीन होता है।  यदि आहार से पर्याप्त आयोडीन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, तो डॉक्टर इसके सप्लिमेंट की सलाह देते हैं। आयोडीन नमक इसका एक तरीका है। लेकिन ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में आयोडीन नमक का सबसे कम इस्तेमाल होता है। यहां महज 65.5 फीसदी घरों में ही आयोडीन युक्त नमक खाया जाता है। इसके बाद तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश हैं। यानी इन राज्यों को आयोडीन की कमी से बचाना है तो आयोडीन युक्त नमक का सेवन बढ़ाना होगा। 

भारत में नेशनल आयोडीन डिफिशन्सी डिसऑर्डर कंट्रोल प्रोग्राम (एनआईडीडीसीपी) लागू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य है - आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों को रोकना, नियंत्रित करना और जड़ से खत्म करना। इस प्रोग्राम के तहत आयोडीन युक्त नमक की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आईडीडी सेल और आईडीडी निगरानी प्रयोगशालाओं की स्थापना की जा रही है। 

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अध्ययन: 40 वर्ष की आयु से पहले हुए मोटे तो कैंसर का गंभीर खतरा

Posted on :12-Oct-2019
अध्ययन: 40 वर्ष की आयु से पहले हुए मोटे तो कैंसर का गंभीर खतरा

एजेंसी 

सिडनीः 40 वर्ष की आयु से पहले वजन बढ़ने या मोटे होने से विभिन्न तरह के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी' में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार 40 वर्ष की आयु से पहले वजन बढ़ने से अंतर्गर्भाशय कैंसर होने की आशंका 70 प्रतिशत, गुर्दे की कोशिका का कैंसर होने की आशंका 58 प्रतिशत, बृहदान्त्र (कोलोन) का कैंसर होने की आशंका 29 प्रतिशत बढ़ जाती है। अध्ययन में पाया गया कि वजन बढ़ने के कारण स्त्री और पुरुषों दोनों में मोटापे संबंधी कैंसर होने की आशंका 15 प्रतिशत बढ़ जाती है।

अनुसंधानकर्ताओं ने तीन साल में अलग-अलग समय वयस्कों का दो या अधिक बार वजन का माप लिया। इसमें उन्हें कैंसर होने की आशंका से पहले का भी माप शामिल था। उन्होंने कैंसर के जोखिम से संबंधित चयापचय कारकों की जांच करने के लिए 2006 में शुरू किए गए ‘मी-कैन' अध्ययन के 220,000 व्यक्तियों के आकंड़ों का भी इस्तेमाल किया। इसमें नॉर्वे, स्वीडन और ऑस्ट्रिया के लगभग 5,80,000 प्रतिभागी शामिल थे। अध्ययन में कहा गया कि 27,881 लोग जिन्हें जांच के दौरन कैंसर होने का पता चला, उनमें से 9761 (35 प्रतिशत) मोटापे से ग्रस्त थे।

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, सामान्य बीएमआई वाले प्रतिभागियों की तुलना में पहले और दूसरे स्वास्थ्य परीक्षण में 30 से अधिक ‘बॉडी मास इंडेक्स' (बीएमआई) वाले मोटे प्रतिभागियों में मोटापे से संबंधित कैंसर विकसित होने का खतरा सबसे अधिक था। अध्ययन के सह-लेखक टोने बजॉर्ग ने कहा, ‘‘पुरुषों में यह खतरा 64 प्रतिशत और महिलाओं में 48 प्रतिशत है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा मुख्य संदेश यह है कि वजन बढ़ने से रोकना कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण जन स्वास्थ्य रणनीति हो सकती है।''

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