Garja Chhattisgarh News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    पुलिसकर्मी बन 15 लाख के हीरे ले उड़े बदमाश!

    पुलिसकर्मी बन 15 लाख के हीरे ले उड़े बदमाश!

    गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर केस: उत्तर प्रदेश पुलिस को मिला क्लीन चिट!

    गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर केस: उत्तर प्रदेश पुलिस को मिला क्लीन चिट!

    अल्लाह की रहमतों का खजाना है रमजान का महीना - हाजी निजात खान

    अल्लाह की रहमतों का खजाना है रमजान का महीना - हाजी निजात खान

    मैहर नगरपालिका वा शारदा प्रबंधक समिति के सफाई कर्मचारियो को करोना वायरस की भयानक दूसरी लहर पर मिले पूरी सुरक्षा किट - विष्णुनाथ पाण्डेय

    मैहर नगरपालिका वा शारदा प्रबंधक समिति के सफाई कर्मचारियो को करोना वायरस की भयानक दूसरी लहर पर मिले पूरी सुरक्षा किट - विष्णुनाथ पाण्डेय

    ढ़िकौली में पगड़ी पहनाकर किया दीपक यादव का सम्मान -बागपत। विवेक जैन

    ढ़िकौली में पगड़ी पहनाकर किया दीपक यादव का सम्मान -बागपत। विवेक जैन

  • छत्तीसगढ़
    सूरजपुर : कोरोना लॉकडाउन के चलते कुम्हारों का व्यापार चौपट

    सूरजपुर : कोरोना लॉकडाउन के चलते कुम्हारों का व्यापार चौपट

    बीजापुर : लाकडाउन के दौरान अवैध शराब के साथ आरोपी गिरफ्तार

    बीजापुर : लाकडाउन के दौरान अवैध शराब के साथ आरोपी गिरफ्तार

    सूरजपुर कलेक्टर रणवीर शर्मा कोरोना संक्रमित, संपर्क में आने वालों को तत्काल टेस्ट कराने और घरों में रहने की सलाह दी

    सूरजपुर कलेक्टर रणवीर शर्मा कोरोना संक्रमित, संपर्क में आने वालों को तत्काल टेस्ट कराने और घरों में रहने की सलाह दी

    बालोद

    बलोदा बाजार

    बलरामपुर

    बस्तर

    बेमेतरा

    बीजापुर

    बिलासपुर

    दन्तेवाड़ा

    धमतरी

    दुर्ग

    गरियाबंद

    जशपुर

    जान्जगीर-चाम्पा

    कोण्डागांव

    कोरबा

    कोरिया

    कांकेर

    कवर्धा

    महासमुन्द

    मुंगेली

    नारायणपुर

    रायगढ़

    राजनांदगांव

    रायपुर

    सूरजपुर

    सुकमा

    सरगुजा

  • संपादकीय
  • विश्व
    सऊदी अरब का बड़ा ऐलान- भारत के खिलाफ कच्चे तेल की कीमतों में किया इजाफा

    सऊदी अरब का बड़ा ऐलान- भारत के खिलाफ कच्चे तेल की कीमतों में किया इजाफा

    अमेरिका में कैदी के हमले में नर्स और अधिकारी की मौत!

    अमेरिका में कैदी के हमले में नर्स और अधिकारी की मौत!

    जापान: भूकंप के तेज झटकों से दहला टोक्यो, 6.8 मैग्निट्यूड दर्ज की गई तीव्रता

    जापान: भूकंप के तेज झटकों से दहला टोक्यो, 6.8 मैग्निट्यूड दर्ज की गई तीव्रता

    श्रीलंका में बस दुर्घटना में 13 लोगों की मौत, दो दर्जन से ज्यादा घायल

    श्रीलंका में बस दुर्घटना में 13 लोगों की मौत, दो दर्जन से ज्यादा घायल

    अप्रैल में भारत आएंगे ब्रिटेन के पीएम जॉनसन!

    अप्रैल में भारत आएंगे ब्रिटेन के पीएम जॉनसन!

  • मनोरंजन
    उत्तर दो ' फ़िल्म में दिखाई न्याय की पंचायत

    उत्तर दो ' फ़िल्म में दिखाई न्याय की पंचायत

    काजल अग्रवाल ने की छात्रा की मदद, फीस के लिए दिए 1 लाख रुपए!

    काजल अग्रवाल ने की छात्रा की मदद, फीस के लिए दिए 1 लाख रुपए!

    कोविड की चपेट में आए बप्पी लाहिड़ी, अस्पताल में भर्ती

    कोविड की चपेट में आए बप्पी लाहिड़ी, अस्पताल में भर्ती

    बॉलीवुड एक्‍टर KRK ने मोदी के खिलाफ कसा तंज, बोले-वो वोट के लिए कुछ भी करेंगे

    बॉलीवुड एक्‍टर KRK ने मोदी के खिलाफ कसा तंज, बोले-वो वोट के लिए कुछ भी करेंगे

    नरेश कामथ ने जीता

    नरेश कामथ ने जीता "मैनी" के लिए बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर अवार्ड

  • रोजगार
    संविदा भर्ती- कोविड अस्पताल में विभिन्न पदों की नियुक्ति हेतु वाॅक इन इन्टरव्यू 31 मार्च और 1 अप्रैल  को

    संविदा भर्ती- कोविड अस्पताल में विभिन्न पदों की नियुक्ति हेतु वाॅक इन इन्टरव्यू 31 मार्च और 1 अप्रैल को

    छत्तीसगढ़ रोजगार: वाॅक इन इन्टरव्यू आज- चिकित्सा अधिकारी के लिए 10 पदों पर किया जाएगा चयन

    छत्तीसगढ़ रोजगार: वाॅक इन इन्टरव्यू आज- चिकित्सा अधिकारी के लिए 10 पदों पर किया जाएगा चयन

    बेरोगार जल्दी करें- संविदा भर्ती हेतु 15 अप्रैल तक आवेदन आमंत्रित...

    बेरोगार जल्दी करें- संविदा भर्ती हेतु 15 अप्रैल तक आवेदन आमंत्रित...

    युवाओं के लिए सुनहरा अवसर... राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत... 49 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित...

    युवाओं के लिए सुनहरा अवसर... राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत... 49 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित...

    युवाओं के लिए सुनहरा मौका...कोरबा में आज रोजगार मेला का आयोजन... 358 पदों पर होगी भर्ती

    युवाओं के लिए सुनहरा मौका...कोरबा में आज रोजगार मेला का आयोजन... 358 पदों पर होगी भर्ती

  • राजनीति
  • खेल
    ऋषभ पंत भविष्य में टीम इंडिया के बने कप्तान तो नहीं होगी कोई हैरानी :मोहम्मद अजहरूद्दीन

    ऋषभ पंत भविष्य में टीम इंडिया के बने कप्तान तो नहीं होगी कोई हैरानी :मोहम्मद अजहरूद्दीन

    कोरोना की चपेट में आए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर...

    कोरोना की चपेट में आए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर...

    दिल्ली कैपिटल्स को बड़ा झटका- IPL 2021 से बाहर हुए श्रेयस अय्यर

    दिल्ली कैपिटल्स को बड़ा झटका- IPL 2021 से बाहर हुए श्रेयस अय्यर

    पैरा जुडो में छत्तीसगढ़ ने जीता स्वर्ण व रजत पदक, सेवती ध्रुव को मिला 'बेस्ट-फाइटर' अवार्ड

    पैरा जुडो में छत्तीसगढ़ ने जीता स्वर्ण व रजत पदक, सेवती ध्रुव को मिला 'बेस्ट-फाइटर' अवार्ड

    क्रुणाल पांड्या की पारी से इम्प्रैस हुए वीवीएस लक्ष्मण...

    क्रुणाल पांड्या की पारी से इम्प्रैस हुए वीवीएस लक्ष्मण...

  • राजधानी
    जल प्रदाय योजना के लिए 12 करोड़ से अधिक की राशि मंजूर

    जल प्रदाय योजना के लिए 12 करोड़ से अधिक की राशि मंजूर

    छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय ई-पंचायत पुरस्कारों में दूसरा स्थान

    छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय ई-पंचायत पुरस्कारों में दूसरा स्थान

    आगजनी मामले में दोषियों पर हो कठोर कार्रवाई - कन्हैया

    आगजनी मामले में दोषियों पर हो कठोर कार्रवाई - कन्हैया

     एयरपोर्ट के साथ-साथ रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्डों और अंतर्राज्यीय सीमाओं पर बाहर से आने वाले यात्रियों की कड़ाई से टेस्टिंग हो :मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

    एयरपोर्ट के साथ-साथ रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्डों और अंतर्राज्यीय सीमाओं पर बाहर से आने वाले यात्रियों की कड़ाई से टेस्टिंग हो :मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

    वन मंत्री मोहम्मद अकबर की पहल पर कोरोना की रोकथाम और पीड़ितों की सहायता के लिए 50 लाख रूपए मंजूर

    वन मंत्री मोहम्मद अकबर की पहल पर कोरोना की रोकथाम और पीड़ितों की सहायता के लिए 50 लाख रूपए मंजूर

  • ज्योतिष
    वैरिकोज वेन्स से बचने के लिए जीवनशैली पर ध्यान देना ज़रूरी-डॉ. शिवराज इंगोले

    वैरिकोज वेन्स से बचने के लिए जीवनशैली पर ध्यान देना ज़रूरी-डॉ. शिवराज इंगोले

    बच्चों में भी हो सकते हैं टीबी के लक्षण...दो हफ्ते से लगातार आये खांसी तो ना करें नज़रअंदाज

    बच्चों में भी हो सकते हैं टीबी के लक्षण...दो हफ्ते से लगातार आये खांसी तो ना करें नज़रअंदाज

    आंगनबाड़ियों में बच्चों को मिल रही गर्मा-गर्म पोषण थाली, कोविड-19 के दिशा निर्देशों का हो रहा है पालन

    आंगनबाड़ियों में बच्चों को मिल रही गर्मा-गर्म पोषण थाली, कोविड-19 के दिशा निर्देशों का हो रहा है पालन

    छत्तीसगढ़ योग आयोग द्वारा चलाई जा रही निःशुल्क योग कक्षाएं...

    छत्तीसगढ़ योग आयोग द्वारा चलाई जा रही निःशुल्क योग कक्षाएं...

    कुपोषित भोजन भी बन सकता है कमजोर याददाश्त का कारण, डाइट में शामिल करें ये चीजें

    कुपोषित भोजन भी बन सकता है कमजोर याददाश्त का कारण, डाइट में शामिल करें ये चीजें

  • गैजेट्स
    MotoG 5G को टक्कर देने के लिए Xiaomi लाने वाली है 15000 रुपए से भी सस्ता 5G स्मार्टफोन!

    MotoG 5G को टक्कर देने के लिए Xiaomi लाने वाली है 15000 रुपए से भी सस्ता 5G स्मार्टफोन!

    Redmi K30 Ultra पॉप-अप सेल्फी कैमरा के साथ लॉन्च

    Redmi K30 Ultra पॉप-अप सेल्फी कैमरा के साथ लॉन्च

    Google Pixel 4a हुआ लॉन्च, OnePlus Nord, Samsung Galaxy A51 और A71 को मिलेगी चुनौती

    Google Pixel 4a हुआ लॉन्च, OnePlus Nord, Samsung Galaxy A51 और A71 को मिलेगी चुनौती

    Samsung ने Galaxy M31s को भारत में किया लॉन्च, 6000एमएएच बैटरी, 8 जीबी रैम और 64एमपी क्वॉड कैमरा

    Samsung ने Galaxy M31s को भारत में किया लॉन्च, 6000एमएएच बैटरी, 8 जीबी रैम और 64एमपी क्वॉड कैमरा

    फेसबुक मैसेंजर में आने वाला है कमाल का फीचर

    फेसबुक मैसेंजर में आने वाला है कमाल का फीचर

  • संपर्क

ज्योतिष और हेल्थ

Previous1234567Next

घर में ही मौजूद है पोषण के सारे आहार

Posted on :15-Sep-2020
घर में ही मौजूद है पोषण के सारे आहार

गृह भ्रमण और बैठकों के माध्यम से दी जा रही जानकारी

ग्राम पंचायत द्वारा मुनगा, केला,आम और सब्जी भाजी के पेड़ एवं बीजों का किया जा रहा वितरण

प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय पोषण माह के तहत शिशुवती माताओं को पौष्टिक आहार के साथ-साथ पौष्टिक आहार बनाने की सीख भी मिल रही है । साथ ही गर्भवती महिलाओं को गर्भ में पल रहे शिशु की उचित देखभाल के साथ स्वस्थ शिशु के लिए किन पौष्टिक आहार का उपयोग करना है के बारे में भी गृह भ्रमण और बैठकों के माध्यम से जानकारी दी जा रही है ।

इसी कडी में विकाखण्ड अभनपुर के सेक्टर तोरला की ग्राम पंचायत टीला में आंगनबाड़ी क्रमांक 1 से 4 तक में कई गतिविधियों का आयोजन किया गया,  इस दौरान शिशुवती माता जानकी निराला कहती हैं, मुनगा फली हमारे घर के आंगन और खेत में लगी हुई है लेकिन उसके महत्व के बारे में हमें नहीं पता था ।

ग्राम में चल रहे राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान पौष्टिक आहार की जानकारी आंगनवाड़ी दीदी से मिली , दीदी ने बताया इसकी पत्तियों में प्रोटीन विटामिन बी 6, विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई, आयरन, मैग्नीशियम पोटेशियम, जिंक जैसे तत्व पाये जाते हैं, इसकी फली में विटामिन ई और मुनगा की पत्ती में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाये जाते है ।

मुनगा में एंटी ओग्सिडेंट बायोएक्टिव प्लांट कंपाउंड होते हैं, यह पत्तियां प्रोटीन का भी अच्छा स्रोत है। एक कप पानी में 2 ग्राम प्रोटीन होता है, यह प्रोटीन किसी भी प्रकार से मांसाहारी स्रोत से मिले प्रोटीन से कम नहीं है क्योंकि इसमें सभी आवश्यक एमिनों एसिड पाए जाते है । जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं ।

वहीं 6 माह की गर्भवती सुजाता कहती हैं कि गृह भेंट के दौरान आंगनबाड़ी और मितानिन दीदी ने बताया कि गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चे के लिए मुनगा भाजी कितना लाभकारी है, बच्चा हो जाने के उपरांत दूध पिलाने वाली मां के लिए भी मुनगा भाजी अमृत के समान है । दीदी ने बताया मुनगा की पत्ती को घी में गर्म करके प्रसूता स्त्री को दिए जाने का पुराना रिवाज है, इससे दूध की कमीं नहीं होती और जन्म के बाद भी कमजोरी और थकान का भी निवारण होता है। साथ ही बच्चा भी स्वस्थ रहता है और वजन भी बढ़ता है। मुनगा में पाये जाने वाला पर्याप्त कैल्शियम किसी भी अन्य कैल्शियम पूरक से कई गुना अच्छा है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता करुणा सोनी ने बताया विभाग द्वारा विभिन्न गतिविधियां का आयोजित किया जा रहा है। ग्राम में सुपोषण के बारे में जागरूकता लाने के लिए स्कूली बच्चों के सहयोग से चित्रकारी, स्लोगन तथा रंगोली द्वारा संदेश बनवाये गये और व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से भी पोषण से संबंधित जागरूकता संदेश दिए जा रहे है।

ग्राम में सुपोषण चौपाल कृषक बैठक का भी आयोजन किया जा रहा है। सुपोषण चौपाल में पौष्टिक आहार से संबंधित जानकारियां दी जा रही है। सुपोषण से संबंधित इन रचनात्मक गतिविधियों के द्वारा महिलाओं तथा बच्चों मे सुपोषण के बारे मे जागरूकता लाई जा रही है। ऐसी बैठकों के माध्यम से ग्राम पंचायत द्वारा मुनगा, केला, आम और सब्जी भाजी के पेड़ एवं बीजों का वितरण भी किया जा रहा है ।

चौपाल और कृषक बैठक के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा, शारीरिक दूरी अपनाकर कृषि कार्यों के साथ-साथ हाथ को अच्छे से धोना । जगह-जगह गुटका खा कर थूकने से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है ।

कोरोना महामारी के इस दौर मे कोविड-19 के संबंधित गाईडलाइन का पालन कर सभी गतिविधियां सम्पन्न की जा रही है। सुपोषण के बारे मे जागरूकता लाने तथा बच्चों, महिलाओं को कुपोषण से बचाने के चित्रकारी, सुपोषण से संबंधित स्लोगन तथा रचनात्मक चित्रकारी को बच्चों के साथ बड़े भी रूचि लेकर सुपोषण का महत्व समझ रहे हैं।

बच्चों तथा महिलाओं को कुपोषण से मुक्ति दिलाने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर पौष्टिक आहार “रेडी टू ईट”का वितरण किया भी किया जा रहा है।

Read More

सिरदर्द को हल्के में ना लें, हो सकता है माइग्रेन का खतरा

Posted on :14-Sep-2020
सिरदर्द को हल्के में ना लें, हो सकता है माइग्रेन का खतरा

TNIS

रायपुर: माइग्रेन की समस्या आजकल अधिकांश लोगों में देखने को मिल रही है। अक्सर ही इसे सामान्य सिरदर्द मानकर लोग इसपर उतना ध्यान नहीं देते हैं।  लेकिन यह साधारण सिरदर्द नहीं है, बल्कि यह विशेष तरह का सिरदर्द है, जिसमें सिर के आधे हिस्से में दर्द होता है, और कई बार छनछनाहट भी महसूस हो सकती है। माइग्रेन जागरूकता सप्ताह के दौरान चिकित्सकों ने सिर में दर्द होने पर डॉक्टरी सलाह लेने की अपील की है।

 माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है। माइग्रेन जागरूकता सप्ताह हर साल 6 से 12 सितंबर तक मनाया जाता है, ताकि लोगों को माइग्रेन के प्रति जागरूक किया जा सके। अम्बेडकर अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. विजय कुर्रे ने बताया माइग्रेन की समस्या लोगों में काफी देखने को मिल रही है। 10 लोगों में से 4 से 5 व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हैं। लोगों में माइग्रेन के उपचार के संभावित तरीकों के प्रति जागरूकता की कमी है, जिसके कारण वे इस सिर की बीमारी का सही इलाज नहीं करा पाते हैं। इसलिए जरूरी है लोगों को माइग्रेन की सही जानकारी दी जाए, ताकि वे सिर की बीमारी के प्रति सतर्क रहें।

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में समस्या होने की संभावना अधिक - डॉ. विजय कुर्रे ने बताया माइग्रेन आमतौर पर एक मध्यम या गंभीर सिरदर्द होता है, जिसमें सिर के आधे हिस्से में भारीपन महसूस होता है। सिर में असहनीय दर्द कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में माइग्रेन की समस्या के होने की संभावना अधिक रहती है। कुल माइग्रेन के मरीजों में 85 प्रतिशत महिलाएं और 15 प्रतिशत पुरूष होते हैं। विशेषकर यह बीमारी किशोरावस्था की शुरूआत यानि 13 वर्ष से 45 वर्ष तक के महिला-पुरूषों में ज्यादा देखने को मिलती है। इसका मुख्य कारण तनाव होता है।

माइग्रेन कई तरह के - न्यूरो सर्जन के मुताबिक माइग्रेन कई तरह के होते हैं। इनमें क्लासिक माइग्रेन दृष्टि संबंधी समस्या जैसे- काला धब्बा आना, रोशनी में चकाचौंध नजर आना, सामान्य माइग्रेन यानि तेज सिरदर्द के साथ उल्टी होना, मूड बदलना, मासिक धर्म माइग्रेन यानि मासिक धर्म के शुरू होने की तिथि पर होता है। क्रोनिक माइग्रेन जो कि तनाव की वजह से उत्पन्न होता है। ऑप्टिकल माइग्रेन या आई माइग्रेन , जिसका असर केवल एक आंख पर ही पड़ता है।

लक्षण- किसी व्यक्ति को यह लक्षण नज़र आते हैं, तो उसे इन्हें नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए और इनकी सूचना तुरंत अपने डॉक्टर को देनी चाहिए जैसे- कब्ज का होना, भूख लगना, गर्दन में अकड़न का होना,  थकावट होना, अत्याधिक प्यास लगना एवं बार-बार पेशाब का आना, ज्यादा जम्हाई आना, उल्टी, चक्कर आना आदि।

मूड स्विंग होने पर ले मनोवैज्ञानिक सलाह- मूड स्विंग का होना भी माइग्रेन में देखने को मिलता है। मनोचिकित्सक डॉ. सुचिता गोयल के मुताबिक अगर सिर में दर्द के साथ व्यक्ति परेशान है और उसका मूड बार-बार बदलता है या व्यक्ति इससे परेशान है तो उसे तुंरत मनोवैज्ञानिक से मिलकर इसका इलाज कराना चाहिए।

ऐसे करें बचाव- ज्यादातर लोगों को एलर्जी, तेज खुशबू, बदबू, हेयर डाई, शैंपू के इस्तेमाल, चाय, कॉफी, खट्टे फल, तेज रोशनी, तेज ध्वनि आदि से भी सिर में तेज दर्द माइग्रेन हो सकता है। इसलिए चिकित्सक इन सारी ट्रिगर फैक्टर को पहचानकर  इससे दूर रहने, योगा या मेडिटेशन करने, तनाव कम से कम लेने, भरपूर नींद लेने, पौष्टिक आहार लेने की सलाह देते हैं।

Read More

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस: समय पर परिवार ने समझी परेशानी, बच गई जान

Posted on :09-Sep-2020
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस:  समय पर परिवार ने समझी परेशानी, बच गई जान

TNIS

मानसिक अस्वस्थता पर विजय पाकर दे रहीं औरों को हौसला

महासमुंद: सविता सिंह और पुष्पा (परिवर्तित नाम) आज सामान्य और खुशहाल जीवन जी रही हैं। सविता जहां अपनी पढ़ाई जारी रखी हैं तो वहीं पुष्पा भी अपने परिवार में खुशियां बिखेर रही हैं। इतना ही नहीं सविता पहले की तरह अब कॉलेज की विभिन्न गतिविधियों में भी हिस्सा लेकर कॉलेज सहपाठियों की चहेती हैं और समुदाय को मानसिक स्वास्थ्य , तनाव और अवसाद के प्रति जागरूक भी कर रहीं हैं। दोनों में जीने की ललक उनके परिवार और साथी के प्रयास से संभव हुआ है ।

समय पर सविता और पुष्पा की मानसिक स्थिति और व्यवहार में बदलाव का आंकलन आसपास के लोग नहीं कर पाते, तो शायद दोनों ही अपने जीवन का अंत कर लेतीं।

इन्होंने त्यागा नकारात्मक विचार-

मनोचिकित्सक डॉ. सुचिता ने बताया दो माह पहले ग्रामीण इलाके की 22 वर्षीय सविता जब उनके पास आई तो एकदम शांत, चेहरे पर उदासी, मायूसी, चिंता और शारीरिक दुर्बलता के साथ आत्महत्या का करने पर उतारू थी। डॉ. सुचिता गोयल के मुताबिक वह हमेशा नाराश और बुझी-बुझी सी रहती थी। पढ़ाई में भी उसका मन नहीं लगता था और आत्महत्या का विचार कई बार उसके मन में आता था। लेकिन परिवार के लोगों ने उसकी इस मनोदशा को समझा और समय रहते उन्हें चिकित्सकीय परामर्श के लिए उनके पास लेकर आई। इसके बाद उनकी और उनके परिवार की काउंसिलिंग हुई और आज ना सिर्फ सविता ने आत्महत्या को गलत माना है बल्कि अपनी पढ़ाई पूरी कर औरों के मन में इस तरह उठ रही भावनाओें को दूर करने के प्रयास में जुटी हैं।

 महासमुंद की रहने वाली 45 वर्षीय पुष्पा छह वर्षों से अवसाद और तनाव में थीं। उनके मन में निराशा, हीन भावना ने घर कर रखा था। इसलिए अक्सर उन्हें आत्महत्या करने का विचार आता था। एक दिन उन्होंने आत्महत्या का प्रयास किया Iसमय पर अस्पताल पहुंचने की वजह से उन्हें उनका जीवन वापस मिल गया। परंतु उन्हें जीवित रहने का अफसोस था। मनोचिकित्सक ने उनकी और उनके परिवार की काउंसिलिंग की और जरूरी दवाएं भी दी, आज वह खुशहाल जीवन जी रही हैं।

मामूली मदद किसी की बचा सकती है जान -

मनोचिकित्सक डॉ. सुचिता कहती हैं “हमारे आस-पास कोई ऐसा व्यक्ति (महिला या पुरुष) है, जिसका व्यवहार पहले की अपेक्षा असामान्य सा हो रहा है तो उस वक्त ही उसकी परेशानी समझनी चाहिए। ऐसा करने से उस व्यक्ति के मन में आ रहे आत्महत्या के विचार को खत्म कर, जीने की आस जगाई जा सकती है।“ डॉ. गोयल के अनुसार कुछ परिस्थियां होती हैं जिसे देखकर व्यक्ति की मनोदशा को पहचाना जा सकता है। जैसे- लोगों के व्यवहार में बदलाव आना, नकारात्मक सोच रखना, जीवन के प्रति निराश होना, चिड़चिड़ाना, गुमसुम रहना, मिलने-जुलने से कतराना आदि। ऐसे व्यवहार वाले लोगों की उपेक्षा नहीं करें, उनकी बात को सुनें और किसी मनोचिकित्सक से फौरन उसे परामर्श करने की सलाह दे। हो सके तो उन्हें लेकर जाएं।

मुख्य कारण-

मनोचिकित्सक के अनुसार आत्महत्या का विचार आने का मुख्य कारण निराशा और मानसिक तनाव है। इसके अलावा अवसाद, चिंता, मादक द्रव्यों का सेवन, सिज़ोफ्रेनिया, जीवन में कई विफलताएं हो सकती हैं जैसे -उपेक्षा, अनउपलब्धियां, रिश्ते आदि। अधिकांश लोग ऐसे घातक विचारों के बारे में अपने परिवार, दोस्तों से इसकी चर्चा नहीं करते हैं और मनोचिकित्सकीय परामर्श भी नहीं लेते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य पर चल रहे कई कार्यक्रम-

राष्ट्रीय अपराध  रिकॉर्ड ब्यूरो (एन सी आर बी) 2019 के आंकड़ों के अनुसार 26.4 प्रति 100,000 व्यक्ति की दर के साथ छत्तीसगढ़ देश में सर्वाधिक आत्महत्या की दरों वाले राज्यों में से एक है। इनको ध्यान में रख, तनाव प्रबंधन और लोगों की मदद करने मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं। महासमुंद  में प्रशासन की पहल पर `नवजीवन 'का शुभारंभ किया गया। तनाव आत्म-क्षति का एक प्रमुख कारण या ट्रिगर है इस भावना के मद्देनजर जिला मुख्यालय से गांवों तक मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करने कि मुहीम छेड़ी गई है। आत्महत्या की रोकथाम और तनाव प्रबंधन के अलावा, जीवन कौशल के लिए प्रशिक्षण, विशेषज्ञों द्वारा मुफ्त परामर्श और मानसिक विकारों वाले लोगों की पहचान करने जैसी गतिविधियां भी की जा रही हैं।

Read More

कोविड-19 के समय भी यौन स्वास्थ्य के प्रति समाज में जागरुकता जरुरी

Posted on :05-Sep-2020
कोविड-19 के समय भी यौन स्वास्थ्य के प्रति समाज में जागरुकता जरुरी

विश्व यौन स्वास्थ्य दिवस : कोविड-19 के समय भी यौन स्वास्थ्य के प्रति समाज  में जागरुकता जरुरी - glibs.in

TNIS

रायपुर : सितंबर को विश्व यौन स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।  विश्व यौन स्वास्थ्य दिवस दुनिया भर में यौन स्वास्थ्य के बारे में अधिक से अधिक सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। यौन स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से देखने के लिए कामुकता और यौन संबंधों के लिए सकारात्मक और सम्मानजनक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।  विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 महामारी की वजह से विश्व यौन स्वास्थ्य दिवस -2020 का थीम “ कोविड-19 के समय में यौन आनंद ” विषय पर आधारित रखा है।

 

विभिन्न यौन गतिविधियों से संबंधित सामान्य लोगों के बीच में मिथक व जागरुकता के अभाव में हमेशा यौन स्वास्थ्य में गिरावट एक खतरनाक संकेत है। मनोचिकित्सक डॉ. सुचीता गोयल का कहना है समाज में यौन स्वास्थ्य के प्रति गलत धारणाओं की वजह से लोग मानसिक रुप से तनाव से जुझते रहते हैं। तनावग्रस्त लोगों में अवसाद अधिक होने पर वे आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं। डॉ. गोयल कहती हैं, यौन संबधित किसी भी तरह के मानसिक विकार उत्पन्न होने पर मनोचिकित्सक से सलाह लेने की बहुत जरुरत होती है। कोविड-19 से बचाव के लिए शारीरिक दूरी बनाए रखने को लेकर सावधानी बरतनी जरुरी है। क्योंकि COVID-19 एक श्वसन संबंधी रोग है, इसलिए लार के साथ सीधा हमारा संपर्क होता है।

मनोरोग चिकित्सक डॉ. गोयल का कहना है पुरुष ज्यादा समय घर से बाहर नौकरी सहित व्यवसाय के संबंध में कई लोगों के संपर्क में आते हैं। ऐसे में जब वापस घर आते हैं तो अपने पाटर्नर से यौन संबंध बनाने के लिए मास्क व कंडोम का उपयोग कर सावधानियां बनाए रख सकते हैं। कोरोना वायरस सांसों के जरिये मुख से संक्रमण फैला सकता है। अपने साथी के साथ कोविड-19 के बारे में बात करें, पिछले 10 दिनों में बुखार, खांसी के लक्षण होने जैसे जोखिम का आकलन करें। घर के बाहर किसी के साथ भी सेक्स सहित निकट संपर्क को कम करना चाहिए।

मनोरोग चिकित्सक डॉ. गोयल बताती हैं, यौन रोगों में धातु सिंड्रोम भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृतियों में पाई जाने वाली एक सामान्य स्थिति है। इसमें पुरुष रोगी थकान, कमजोरी, चिंता, भूख न लगना, अपराध बोध और यौन रोग के अस्पष्ट मनोदैहिक लक्षणों का प्रदर्शित करते हैं, जिसके कारण रोगी को रात के उत्सर्जन में वीर्य की हानि होती है। हालांकि वीर्य के नुकसान का कोई सबूत नहीं है। उन्होंने बताया इरेक्टाइल डिसफंक्शन (22-62%) और समय से पहले स्खलन (22-44%) सबसे आम तौर पर जुड़े मनोवैज्ञानिक रोग थे; जबकि अवसाद सिंड्रोम (40-42%), चिंता न्युरोसिस (21-38%), सोमाटोफ़ॉर्म / हाइपोकॉन्ड्रिआसिस (32-40%) धातु सिंड्रोम वाले रोगियों में सबसे अधिक मनोरोग संबंधी विकार है। धातु सिंड्रोम के प्रबंधन में यौन शिक्षा, विश्राम चिकित्सा और दवाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा इस तरह की शाररिक व मानसिक अवस्था के मिथकों से निपटने के लिए मानसिक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए ।

छत्तीसगढ राज्य एड्स कंट्रोल प्रोग्राम के अतिरक्त परियोजना संचालक डॉ.एस के बिंझवार ने बताया, कोविड-19 के समय सुरक्षित यौन संबंध बनाने के लिए सावधानियां जरुरी है। इससे यौन जनित रोगों व कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है। यौन संबंध बनाने के दौरान कंडोम और मास्क का उपयोग जरुरी है। कंडोम के उपयोग से एचआईवी एड्स जैसे यौन जनित रोगों के संक्रमण का खतरा नहीं होता है। उन्होंने कहा कोविड-19 सांस से संबंधित रोग है जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है. संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ जैसे लार, छींकने और खांसने से निकलने वाली बूंदों से कोरोना संक्रमण फैलता है। इसलिए सेक्स के दौरान अतिरिक्त सावधानियां बरतनी जरूरी हो जाती है।

Read More

पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को मिल रही कुपोषण से मुक्ति

Posted on :04-Sep-2020
पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को मिल रही कुपोषण से मुक्ति

TNIS

मां को मिल रही पोष्टिक आहार बनाने की सीख

कुपोषित शिशुओं को मिल रहा पोष्टिक आहार

रायपुर : जिले में कुपोषित शिशुओं को चिन्हित कर पोषण पुनर्वास केंद्र के माध्यम से मां को पोष्टिक आहार बनाने और बच्चों  को समय समय पर भोजन करवाने की सीख के साथ बच्चे को कुपोषण मुक्त करने का कार्य किया जा रहा है ।जिले में संचालित दो पोषण पुनर्वास केंद्रों में गैर कोविड गतिविधियों संचालित किया जा रहा है ।

पोषण पुनर्वास केंद्र, जिला अस्पताल कालीबाड़ी में किलकारी करते 9 माह के संजय (बदला हुआ नाम) और 2 वर्ष की सुनीता (बदला हुआ नाम) के माता पिता खुश है कि उनके बच्चे खाना खाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं । संजय की मां बताती हैं उनका बच्चा कुछ नहीं खाता था, जबरदस्ती खिलाओ तो रोने लगता और कमजोर होता जा रहा था । जब उसका वजन कराया गया तो वजन और आयु के अनुसार उसका वजन सामान्य से कम निकला । ``26 अगस्त को जब हम पोषण पुनर्वास केंद्र में आए तब हमारे बच्चे का फिर से वजन लिया गया तब उसका का वजन 5.7 किलोग्राम निकला । नियमित रूप और नियमित अंतराल से मिले पोषण आहार के कारण 3 सितंबर को 5.96 किलोग्राम वजन हो गया है ।‘’

 ऐसी ही कुछ कहानी सुनीता की भी है। बच्ची 2 वर्ष की है लेकिन वज़न और ऊंचाई के अनुसार उसका वजन सामान्य से कम है । सुनीता का स्वभाव चिड़चिड़ा और खाना खाने की इच्छा बिल्कुल नहीं होती है । सुनीता की मां बताती है सुनीता को कुछ भी खाने को दो तो नहीं खाती थी । ``जब हम 26 अगस्त को यहाँ आये तब इसका का वजन 8.2 किलोग्राम था जो अब 3 सितंबर को बढ़कर 8.64 किलोग्राम हो गया है ।‘’

बच्चों की माताओं ने बताया  यहां पर जिस तरह से भोजन दिया जाता है वह भोजन हम घर पर भी बना सकते हैं  लेकिन उनको इसकी जानकारी नहीं थी ।साथ ही वह लोग यह समझते थे कि बच्चे एक बार में ही पूरा खाना खा लेते हैं लेकिन ऐसा नही है । यहां आकर पता चला बच्चों को नियमित अंतराल से थोड़ा थोड़ा भोजन खिलाने से बच्चों को लाभ होता है । एक साथ भोजन खिला देने से बच्चा भोजन नहीं पचा पाता है और या तो वह उस भोजन को बाहर निकाल देता है या उसकी तबीयत खराब हो जाती है ।

डाइटिशियन पूनम कहती हैं एडमिशन के समय बच्चों को हल्की सर्दी और बुखार भी होता है । कुपोषण में अक्सर ऐसी शिकायत हो जाती है । एडमिशन के बाद शिशु का उपचार शुरू किया । उपचारात्मक डाईट एफ-75 और एफ-100 कहलाती है । ज़्यादातर उपचारात्मक डाईट एफ-75 से खान-पान कराना शुरू किया जाता। दो से तीन घंटे में थोड़ी-थोड़ी डाइट बच्चे को दी जाती है । इसमें विशेष रुप से खिचड़ी हलवा, दलिया दिया जाता है । साथ ही डिस्चार्ज के समय यह भी ध्यान रखा जाता है एडमिशन के समय और डिस्चार्ज के बीच में कुपोषित बच्चे के वज़न में  15 प्रतिशत की वृद्धि हुई या नही हुई है । यदि नहीं हुई होती है तो उसको 1 सप्ताह के लिए और एडमिट रखा जाता है । कभी-कभी एक माह तक भी एडमिट रखा जाता है । ऐसी स्थिति में जो व्यक्ति (बच्चे की मॉ ) को कार्य क्षतिपूर्ति के रूप में 15 दिन का 150 रुपये प्रतिदिन दिया जाता है । पोषण पुनर्वास केंद्र से डिस्चार्ज होने के पूर्व मां को घर पर बनने वाले पौष्टिक आहार की जानकारी भी विशेष रुप से दी जाती है । साथ ही माता को भी पौष्टिक आहार कैसे बनाया जाए और खाया जाए पर भी बताया जाता है । 

डाइटिशियन पूनम का कहना है बच्चों की माताओं को पता ही नहीं होता है कि उनका बच्चा कुपोषित है या हो रहा है । आंगनबाड़ी या मितानिन के माध्यम से उनको जानकारी मिलती है कि उनका बच्चा कुपोषित है । हमारे कार्यकर्ता भी बच्चों के खानपान के बारे में बताते हैं ।कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रो, मितानिनों  या शिशु संरक्षण माह के दौरान चिन्हित और अस्पतालों के माध्यम से चिन्हित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंन्द्र भेजा जाता है। 

उपचार और निः शुल्क दवाईयां मिलती है
शिशुओं के शारीरिक विकास के थैरेपिक फूड और दूध, खिचड़ी, हलवा दलिया दिया जाता है। यहां विशेंष रूप से चिकित्सकीय देख रेख में नियमित स्वास्थ्य जांच की जाती है। साथ ही कुपोषण का उपचार एवं निः शुल्क दवाईयां भी दी जाती है।

क्या है कुपोषण 
शरीर को लंबे समय तक संतुलित आहार नहीं मिलना कुपोषण कहलाता है। शरीर बीमारियों का शिकार होने लग जाता है।  स्त्रियों और बच्चों में यह रोग अधिक देखने को मिलता है । कुपोषित बच्चों को दो प्रकार से नापते हैं  । बच्चों को वजन और आयु , वजन और लम्बाई के अनुसार कुपोषण निर्धारित किया जाता  है ।

कैसे पहचाने कुपोषण 
थकान का रहना,मांसपेशियां मेंढीलापन ,चिड़चिड़ापन,बालों में सूखापन,चेहरे पर चमक की कमी होना, शरीर में सूजन, आंखों के चारों तरफ कालापन होना, हाथ पैरों का पतला होना, किसी भी काम करने में मन नालगना, शारीरिक विकास में कमी.नींद का ज़्यादा आना कुपोषण के लक्षण है।

कोविड महामारी से बचाने में किया जा रहा दिशा- निर्देशों का पालन 
कोविड महामारी के दौरान भी खुले हैं पोषण पुनर्वास केंद्र में संक्रमण को रोकने के लिए दिए निर्देश का पालन किया जा रहा है । कुपोषण से ग्रस्त बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण कोरोना महामारी के समय उन्हें देखभाल की अत्यंत आवश्यक है। साथ ही माताओं को कुपोषित बच्चों के खान-पान व साफ़-सफाई से सम्बंधित ज़रूरी संदेश भी दिए जा रहे है । उचित चिकित्सीय देखरेख को सुनिश्चित करने के निर्देश का पालन भी किया जा रहा हैं ।

एनएफएचएस- 4 के अनुसार
एनएफएचएस-4 (2015-16) के अनुसार रायपुर में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे जो कम वजन वाले हैं (वजन-आयु) शहरी क्षेत्र में 32.4 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 39.8 प्रतिशत है वहीं ज़िले में कुल 37.4प्रतिशत है ।

Read More

कोरोना संकट :जाने काढ़ा बनाने के उपाय

Posted on :04-Sep-2020
कोरोना संकट :जाने  काढ़ा  बनाने के उपाय

जिला आयुर्वेद अधिकारी द्वारा कोरोना वायरस (कोविड-19) से बचाव एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु आयुर्वेदिक उपाय जारी किए गए हैं। जिनके द्वारा आम जनों को राहत मिल सकती है। आयुर्वेद अधिकारी द्वारा खासतौर पर सलाह दी गई है कि अच्छी इम्युनिटी के लिए पूरे दिन गर्म पानी पीना, प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट योगासन प्रणायाम एवं ध्यान करना कारगर है। साथ ही यह भी सलाह दी गई है कि भोजन में हल्दी, जीरा, धनिया एवं लहसुन आदि मसालों का प्रयोग भी लाभदायक है। इसके अलावा उन्होंने 3 प्रकार के काढ़े का सेवन भी लाभप्रद बताया। उन्होंने कहा है कि काढ़े का संतुलित मात्रा में ही सेवन करें आवश्यकता से अधिक नहीं।

काढ़ा प्रकार 1
तुलसी 40 ग्राम,काली मिर्च 20 ग्राम,सोंठ 20 ग्राम, दालचीनी 20 ग्राम इन्हें सूखाकर पावडर बनाकर हवा बंद डिब्बे में रख लें और 03 ग्राम पावडर को 150 मि.ली. पानी में उबालकर दिन में एक से दो बार सेवन करें।
काढ़ा प्रकार 2
त्रिकटु पावडर 05 ग्राम, तुलसी 03 से 05 पत्तियां 01 लीटर पानी में डालकर उबालें, आधा शेष रहने पर पियें।
 काढ़ा प्रकार -3
घटक द्रव्य-शुंठी,  मरीच, पिप्ली, गुडुची, काढ़ा बनाने की विधि- एक चम्मच क्वाथ मिश्रण को एक कप पानी (100 मिली लीटर) में धीमी आंच पर उबालें, पानी आधा बचने पर छानकर पीएं, स्वाद हेतु 1/2 चम्मच गुड़ का प्रयोग भी कर सकते हैं और प्रतिदिन 02 से 03 बार सेवन करें।
इसके अतिरिक्त  गोल्डन मिल्क - 150 मिली लीटर गर्म दूध में 1/2 चम्मच हल्दी चूर्ण मिलाकर दिन में 01 से 02 बार सेवन करें । इसके अलावा होम्योपैथी औषधि आर्सेनिक एल्बम-30 का उपयोग कोविड-19 में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु सुबह-शाम 05-05 ग्लोबुल्स खाली पेट सेवन करना भी लाभकारी है परंतु इस बात का विशेष ध्यान रखें कि किसी भी चीज का सेवन बताई गई मात्रा से अधिक न करें।

Read More

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन 23 सितम्बर से

Posted on :02-Sep-2020
 राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन 23 सितम्बर से

TNIS

रायपुर : राज्य शासन के निर्देशानुसार आगामी 23 सितम्बर से 30 सितम्बर 2020 तक राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन किया जाएगा। इसके अंतर्गत समुदाय स्तर पर मितानिन एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा गृह भ्रमण कर 1 से 19 वर्षीय बच्चों को कृमि की दवा (अल्बेन्डाजोल) खिलाई जाएगी।

एक साल से दो साल की उम्र वाले बच्चों को आधी गोली पीसकर, दो से तीन वर्ष के बच्चों को एक गोली पीसकर तथा तीन से 19 साल तक के बच्चों को एक गोली चबाकर खिलाई जाएगी।

शासन द्वारा कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए कन्टेनमेंट जोन और बफर जोन में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम के आयोजन के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं। कन्टेनमेंट जोन में स्थिति सामान्य होने के बाद ही यह सेवा प्रदान की जायेगी। जबकि बफर जोन में सामान्य दिशा निर्देशों का पालन कर सेवाएं जारी रखी जायेगी।

Read More

बरसाती मौसम में चर्म रोग को आयुर्वेदिक पद्धति से रोके

Posted on :31-Aug-2020
बरसाती मौसम में चर्म रोग को आयुर्वेदिक पद्धति से रोके

TNIS

अत्याधिक मिर्च मसालेदार खाने के सेवन से करें परहेज़

गौ घृत का उपयोग इन दिनों है लाभकारी

शरीर को सुखाकर साफ सुथरे कपड़े पहने

बरसात अपने साथ जीतनी खुशहाली लाती है उतनी ही त्वचा से संबधिंत समस्या भी साथ लेकर आती है । इस मौसम में शरीर में नमी, उमस और पसीने के कारण त्वचा नीरस हो जाती है। जिससे कई प्रकार के त्वचा रोग भी हो जाते है । किन्तु खान-पान का ध्यान रखने से त्वचा स्वस्थ रहती है। बिना चिकित्सक की सलाह के किसी भी दवाइयों या क्रीम के प्रयोग से बचना चाहिए ।

शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय रायपुर के पंचकर्म विभागाध्यक्ष के डॉ.रंजीप दास कहते है बरसात में त्वचा रोग का मुख्य कारण नमी, अनियमित आहार, शरीर की नियमित सफाई न रखना, कब्ज या अन्य एलर्जिक कारण हैं। बदले हुए मौसम में नमी बढ़ने से हवा में चर्म रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं की संख्या बढ़ रही है। ये जीवाणु धूल, मिट्टी और बारिश के साथ मिलकर लोगों के शरीर को नुकसान पहुँचाते हैं।

बारिश में अत्याधिक खतरा चर्म रोग होने का रहता है। बरसात की वजह से व्यक्ति के शरीर में खुजली हो जाती है या शरीर पर छोटे-छोटे दाने भी निकल आते हैं ।जिससे फंगस संक्रमण हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति स्वंय उपचार ना करें तुरंत किसी विशेषज्ञ को दिखाए, स्वंय से किया गया उपचार नुकसानदायक सिद्ध हो सकता है ।

त्वचा रोग का कारण

बरसात में बिना कारण भीगना,गंदे तौलिया का इस्तेमाल,असंतुलित आहार, पत्तेदार सब्जियों, उड़द की दाल और तली-भुनी चीजों के प्रयोग से, सिंथेटिक कपड़े पहनने से भी त्वचा रोग या चर्म रोग हो सकता है ।

प्रमुख लक्षण

प्रभावित स्थान से सफेद पाउडर जैसा पदार्थ निकलना,पपड़ी पड़ना और खाल का उतरना, त्वचा पर लाल या बैंगनी रंग के चकत्ते हो जाना। प्रभावित हिस्से में तकलीफ होना, बारिश में गीले या पानी में ज़्यादा देर रहने पर, भीगने के बाद गीले कपड़े पहने रहने से , खुजली वाले दाने चर्म रोग का का रुप ले सकते हैं।

बचाव और आयुर्वेदिक उपचार

किसी व्यक्ति या बच्चे को इस तरह की बीमारी होती है तो उसे नीम के पत्ते के उबले हुए पानी से नहलाएं। दूध में रोजाना आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पीएं । कोशिश करें बच्चों को बारिश में नहाने से रोकें। तौलिया को नियमित रुप से धोंए, शरीर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, खाने में संतुलित आहार और मौसमी फल लें, चिकित्सक की सलाह के बिना कोई भी दवा न लें । पत्तेदार सब्जियों, उड़द की दाल और तली-भुनी चीजों का सेवन ना करें।

डॉ.दास ने बताया दही और अम्लीय पदार्थों के साथ-साथ अधिक मिर्च मसाले के खाने के सेवन से भी बचें दही कफ को बढ़ाता है गौ घृत  का उपयोग करें  हरिद्रा खंड  दिन में  दो बार  एक एक चम्मच गर्म पानी से लें  कच्चा हल्दी और नीम की पत्ती चबाएं त्वचा को शुष्क रखें शरीर में नमी वाली जगह पर पाउडर का इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह से करें।

नियमित स्नान करें, 2-3 गिलास गुनगुना पानी पीएं। खाने में सलाद लें, सिंथेटिक कपड़े न पहनें। नहाने के बाद शरीर को सुखाकर साफ सुथरे कपड़े पहने, पसीना ज्यादा आए तो उसे बार-बार पोंछें । फलों में खासतौर पर, सेब, नाशपाति, अन्नानास और सूखे मेवों का इस्तेमाल करना चाहिए ।

डॉ.दास ने कहा बारिश के पानी में सीवरेज का पानी भी मिल जाता है और इससे लीवर और किडनी को प्रभावित करने वाली लेप्टोस्पायरोसिस ( Leptospirosis ) जैसी गंभीर समस्या हो सकती है इससे बचने के लियें साफ पानी या पानी को उबालकर प्रयोग करें ।रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए व्यक्ति को रोजाना पांच-छह बादाम, एक-दो  अखरोट, सात से दस किशमिश दाने और तीन-चार खजूर खाने चाहिये

डॉ.दास कहते है बारिश के समय घर से निकलने से पहले शरीर के खुले हिस्से जैसे पैरों में हाथों में चेहरे पर नारियल या सरसों का तेल लगाने से, और नाखूनों को समय समय पर काटने से भी बरसात में होने वाले चर्म रोगों से बचा जा सकता है ।

Read More

बेफिक्री सही नहीं, कोरोना से बचने को अभी भी स्वच्छता और सावधानी जरूरी

Posted on :28-Aug-2020
बेफिक्री सही नहीं, कोरोना से बचने को अभी भी स्वच्छता और सावधानी जरूरी

TNIS

रायपुर : अगर दो लोग बिना मास्क के हैं और शारीरिक दूरी का पालन नहीं कर रहे है तो उन्हें 90% संक्रमण होने की संभावना है। वहीं यदि एक व्यक्ति मास्क पहन रहा है और शारीरिक दूरी का पालन नहीं कर रहा है तो उसे 30% संक्रमण होने की संभावना है। यदि दोनों व्यक्ति मास्क पहनते हैं और शारीरिक दूरी का पालन करते हैं तो उनको संक्रमण होने की संभावना न के बराबर  है।

लेकिन जैसे जैसे समय बीत रहा है लोगों में कोरोना के प्रति बेफिक्री बढती जा रही है जो चिंताजनक है। कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों में जब कोरोना के मामले आते थे तो लोग पूरी सावधानी बरत रहे थे किन्तु अब कुछ लोग  सावधानी बरतना तो दूर बेफिक्र होकर घूम रहे हैं और अपने काम में मशगूल हैं ।

उपरोक्त परिस्थिति चिंतनीय है, इसलिए अगर हमें कोरोना को हराना है तो पर्याप्त स्वच्छता और सावधानी बरतने के साथ साथ कोरोना अनुकूल व्यवहारों का पालन करना ही होगा इसके अतिरिक्त हमारे पास और कोई भी विकल्प नहीं है।

कैसे फैलता है कोरोना

रायपुर की मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मीरा बघेल ने बताया किसी व्यक्ति को खांसी या जुकाम है तो उसके छींकने या खांसने के साथ सूक्ष्म चीज़ें भी बाहर आती हैं। अगर इनमें वायरस है तो सांस लेने के दौरान इन्हें ग्रहण कर इससे संक्रमित हो सकते हैं या किसी सतह अथवा वस्तु पर वायरस के कण मौजूद हैं तो संक्रमित वस्तु को छूने से भी संक्रमित हो सकते हैं । 

उन्होंने बताया कुछ सावधानियों का हमेशा पालन करें। ध्यान रखें आप और आसपास के लोग साफ-सफाई के प्रति जागरूरक रहें। खांसी या जुकाम की स्थिति में सभी कोहनी या टिशू पेपर का इस्तेमाल करें। इससे अगर कोई व्यक्ति संक्रमित है तो भी अन्य व्यक्तियों में कोरोना फैलने की संभावना कम होगी।

सलाह का पालन करें

राष्ट्रीय व स्थानीय स्तर पर लागू किए जा रहे चिकित्सीय नियमों का पालन करें। डॉक्टर के संपर्क में रहें और सलाह का पालन करते रहें।

साबुन से हाथ अवश्य धोएं

हाथ धोते समय साबुन का इस्तेमाल जरूर करें और कम से कम 20 सेकंड तक हाथ धोये क्योंकि ऐसा करने से अगर हाथ में वायरस है तो नष्ट हो जाएगा।

तनाव को भगाएं दूर

किसी भी बीमारी का तनाव जायज है लेकिन उससे निपटना जरूरी है। इसके लिए मन में डर पनपने न दे । किसी तरह की चिंताएं व मानसिक तनाव होने पर टोल फ्री नंबर 08046110007 पर मनोचिकित्सक से जरूर बात करें ।

दोस्तों व परिवार के संपर्क में रहें

अगर डर या तनाव की स्थिति में हैं तो विश्वसनीय लोगों से बात करें। परिवार और दोस्तों के संपर्क में रहें और सही सलाह का पालन करें।

 

स्वस्थ जीवनशैली का पालन करें

अगर घर पर हैं तो एक हेल्दी लाइफस्टाइल का पालन करें। पर्याप्त नींद, खानपान और व्यायाम करें। फोन और ईमेल के जरिए लोगों के संपर्क में रहें।

एल्कोहल का सहारा न लें

तनाव से निपटने के लिए दवाओं, ध्रूमपान या एल्कोहल का सेवन न करें। ज्यादा तनाव की स्थिति में काउंसलर की मदद ले सकते हैं।

मास्क का करें इस्तेमाल

अगर किसी को खांसी या जुकाम है या किसी संक्रमित व्यक्ति की देखभाल कर रहे हों, ऐसी स्थिति में आप मास्क जरुर पहनें । कई लोग एक ही मास्क को कई-कई दिन तक लगातार पहने रहते  हैं। ऐसा कतई न करें, अगर धुलने योग्य मास्क है तो उसे एक बार प्रयोग के बाद अवश्य धो लें।

इन वचनों का पालन कर कोरोना संक्रमण की करें रोकथाम ।

सतर्कता कोरोना से बचाव का बेहतर उपाय है। इसके लिए विशेष सावधानी एवं सतर्कता जरुरी है जैसे- मास्क लगा ने व 2 गज की शारीरिक दूरी बनाए रखें, सार्वजनिक स्थल हो, किसी ऑफिस के कमरे में अन्य व्यक्तियों के साथ हों या फिर सर्दी, जुकाम हो तो बाहर निकलने से पहले मास्क जरूर लगाएं, छींकते या खांस ने समय रूमाल या टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें, बहुत अधिक इस्तेमाल होने वाली सतहों दरवाजे के हैंडल, या ऐसी जगहों का नियमित सफाई जरूरी है, सार्वजनिक या खुले स्थानों पर नहीं थूकें, ऐसा करना दंडनीय अपराध है, बहुत जरूरी हो तभी यात्रा करें, कोवि़ड- 19 संक्रमित या उसके परिवार वालों से भेदभाव नहीं करें सहानुभूति से पेश आएं, अपने स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग करने के लिए आरोग्य सेतु ऐप का इस्तेमाल करें, कोविड-19 को लेकर होने वाली चिंताएं या मानसिक दबाव के लिए 08046110007 फ्री हेल्पलाइन नंबर पर बातकर मनोचिकित्सक से आवश्यक सलाह लें।

Read More

आयुर्वेद में खास स्थान है अजवाइन का, वात से लेकर सर्दी तक को करती है दूर

Posted on :25-Aug-2020
आयुर्वेद में खास स्थान है अजवाइन का, वात से लेकर सर्दी तक को करती है दूर

TNIS

अजवाइन एक ऐसी औषधि है जो सौ तरह के खाद्य पदार्थों को पचाने वाली होती है। अनेक औषधीय गुणों से भरपूर अजवाइन पाचक रूचि कारक,तीक्ष्ण, कढवी, अग्नि प्रदीप्त करने वाली, पित्तकारक तथा शूल, वात, कफ, उदर आनाह, प्लीहा, तथा कृमिका नाश करने वाली होती है। अजवाइन आयुर्वेद के अनुसार गुणों का भंडार है । एंटी बैक्टीरियल अजवाइन की ताजा पत्ती में प्रचुर पोषक तत्व और विटामिन होता है विटामिन सी, विटामिन ए, लोहा, मैग्निज और कैल्शियम युक्त ओमेगा -3 फैटी एसिड का एक अच्छा स्रोत है। अजवाइन में कैलशियम, फास्फोरस, लोहा सोडियम व पोटेशियम जैसे तत्व मिलते हैं। इसे घर में छुपा हुआ डॉक्टर भी कहा सकते है। अजवाइन वात और कफ दोष को नाश करता है। इसलिए नजला और श्वास कष्ट में इसकी भाप लेने से आराम मिलता है। पेट दर्द में इसे गरम पानी के साथ सेवन करने तथा इसकी लेप लगाने से भी लाभ मिलता है।

शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय रायपुर के पंचकर्म विभागाध्यक्ष डॉ.रंजीप दास ने बताया अजवाइन को आयुर्वेद में रामबाण माना गया है । सर्दी से बचने के लिए यह एक बेहतर औषधि है। अजवाइन में एंटीऑक्सिडेंट है, अजवाइन मोटापे को कम करता है जंगली अजवाइन की पत्ती का तेल उत्तम माना है यह प्रतिरक्षा प्रणाली को दृढ़ बनाता है, श्वसन क्रिया को मजबूत करता है जोड़ों और मांसपेशियों में लचीलापन को बढाता है और त्वचा को भी बहरी और अंदरुनी संक्रमण से बचाता है। पाचन क्रिया में लाभदायक है। अपच को दूर करता है।

उन्होंने कहा खीरे के रस में अजवाइन पीसकर चेहरे पर लगाने से झाइयों में लाभ होता है। अजवाइन, काला नमक, सौंठ तीनों को पीसकर चूर्ण बनाकर भोजन के  बाद सेवन करने से पेट में अशुद्ध वायु का बनना और  ऊपर चढ़ना बंद होता है । गर्भकाल में अजवाइन जरुर खानी चाहिए इससे ना सिर्फ खून साफ होता है बल्कि शरीर में रक्त प्रवाह भी अच्छे से संचालित होता है।

डॉ.दास कहते हैं घरेलू औषधि से लेकर मसाले और आयुर्वेदिक दवाओं तक में इसका इस्तेमाल होता है।मासिक धर्म में पीड़ा होती है तो 15 से 30 दिनों तक खाना खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ अजवाइन के सेवन से दर्द में राहत मिलती  है। सुबह खाली पेट 2-4 गिलास पानी पीने से अनियमित मासिक स्राव में काफी लाभकारी होता है। तेल की कुछ बूंदें गुनगुने पानी में मिलाकर कुल्ला करने से मसूड़ों की सूजन में आराम होता है। चोट लगने पर अजवाइन हल्दी बाँधने से चोट की सूजन और दर्द में आराम आता है। अजवाइन चूर्ण बनाकर दो-दो ग्राम की मात्रा दिनभर में तीन चार बार लेने से ठंड का बुखार कम होता है।पेट का दर्द, दाँत का दर्द, वात व्याधि, कृमि रोग, चर्म रोग, रजो दोष, में लाभ होता है ।

कोविड-19 के दौर में अजवाइन को गर्म करके पतले कपड़े में पोटली बाँधकर सूँघने से लाभ मिल सकता है ।जुकाम और सर्दी में पोटली बाँधकर सूँघना इसके अलावा अजवाइन को चबाना उसका धुआँ तथा बफारा लेने से भी लाभ होता है । शरीर का दर्द , माथे का भारीपन भी दूर होता है। किसी भी प्रकार की औषधि या आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग करने से पूर्व विशेषज्ञ की राय जरूर लें क्योंकि कई लोगों को बहुत सारी औषधि अनुकूल नहीं होती है ।

वचनों का पालन कर कोरोना संक्रमण की करें रोकथाम

सतर्कता कोरोना से बचाव का बेहतर उपाय है। इसके लिए विशेष सावधानी एवं सतर्कता जरुरी है जैसे- मास्क लगाने व 2 गज की शारीरिक दूरी बनाए रखें, सार्वजनिक स्थल हो, किसी ऑफिस के कमरे में अन्य व्यक्तियों के साथ हों या फिर सर्दी, जुकाम हो तो बाहर निकलने से पहले मास्क जरूर लगाएं, छींकते या खांसने समय रूमाल या टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें, बहुत अधिक इस्तेमाल होने वाली सतहों दरवाजे के हैंडल, या ऐसी जगहों का नियमित सफाई जरूरी है, सार्वजनिक या खुले स्थानों पर नहीं थूकें, ऐसा करना दंडनीय अपराध है, बहुत जरूरी हो तभी यात्रा करें, कोवि़ड- 19 संक्रमित या उसके परिवार वालों से भेदभाव नहीं करें सहानुभूति से पेश आएं, अपने स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग करने के लिए आरोग्य सेतु ऐप का इस्तेमाल करें, कोविड-19 को लेकर होने वाली चिंताएं या मानसिक दबाव के लिए 08046110007 फ्री हेल्पलाइन नंबर पर बात कर मनोचिकित्सक से सलाह आवश्यक लें।

Read More

लॉकडाउन से बढ़ रहें मानसिक तनाव से पति-पत्नि के बीच रिश्तों में कड़वाहट

Posted on :18-Aug-2020
लॉकडाउन से बढ़ रहें मानसिक तनाव से पति-पत्नि के बीच रिश्तों में कड़वाहट

TNIS

काउंसलिंग और योग से सुलझ सकते हैं मामले  

रायपुर:  कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच घरों में बंद लोग परेशान हो रहे हैं जिसके कारण बेवजह परिवार में झगडे होने लगे हैं। झगड़े पति-पत्नि के रिश्तों में दूरियां, और कड़वाहट भी पैदा कर रहे हैं। ज्यादातर मामलों में पति और पत्नी को लेकर आपसी विवाद सामने आ रहे हैं जो मामूली बात से शुरू होकर विवाद बनकर उभर रहे हैं ।

शिकायतों में काउंसलिंग से 75 फीसदी मामले सुलझ जाते हैं तो लगभग 20 से 25 फीसदी मामलों में कोर्ट जाने की नौबत आ जाती हैं। अब तक 17 मामलों में एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है ।

मनोचिकित्सक डॉ.अविनाश शुक्ला बताते हैं कि लॉकडाउन के बीच परिवार में लोग डिप्रेशन के  शिकार हो रहे हैं। डिप्रेशन या मानसिक अवसाद के कारण परिवार के सदस्य एक दूसरे पर गुस्सा कर चिल्लाने लगते हैं, बाहर घूमने व मनोरंजर के अवसर नहीं होने और लंबे वक्त से घर में रहने से ऐसा हो रहा है, लोग ज्यादातर समय छोटे कमरों में बिता रहे हैं जिस वजह से नकारात्मक विचार आ रहे हैं और इमोशनल लगाव पीड़ा में बदल रहा है।

डॉ. शुक्ला के मुताबिक स्पर्श क्लीनिक में हर महीने 60 से अधिक लोग डिप्रेशन का इलाज कराने पहुंच रहे हैं। ऐसे में इस स्थिति को बदलने पर काम करने की ज़रुरत है जिससे विवाद को कम किया जा सकता है |  उन्होंने कहा कि अगर परिवार में झगडा भी होता है तो भी पॉजीटिव रहने की ज़रुरत है, झगड़ने की बजाय शांत होकर एक दूसरे की भावनाओं व परेशानियों को समझे, विवाद को हल करने के लिए  काउंसलर का सहारा ले सकते हैं। सबसे बेहतर है आपस में बात करें।

इस वर्ष लॉकडाउन के बाद ऐसी शिकायतों में इजाफा हुआ है और पति-पत्नी के बीच विवाद सहित घरेलू हिंसा के ज्यादा प्रकरण सामने आ रहे हैं। आंकडों के अनुसार इस वर्ष में जनवरी में 260, फरवरी में 240, मार्च में 50, अप्रेल में 80, मई में 100, जून में 350 तो जुलाई में 300 शिकायतें दर्ज की गयी हैं।

लॉकडाउन में नौकरी चली जाना और आर्थिक तंगी भी मानसिक रुप से तनाव पैदा कर रही है। इससे आपसी रिश्तों में कड़वाहट बढ रही है। महिला थाना टीआई मंजू राठौर से मिली जानकारी के अनुसार शिकायतों में पत्नी के चरित्र पर शंका, शराब पीकर मारपीट, सास बहु में अनबन सहित आर्थिक तंगी भी परिवारों के बीच कलह की वजह बन रही है। राजधानी के महिला थाने में दर्ज शिकायतों के अनुसार इस वर्ष जनवरी से जुलाई तक घरेलू विवाद के 1380 मामले सामने आए हैं जबकि वर्ष 2019 में राजधानी के महिला थाने में इस प्रकार की 2000 शिकायतें आयी थी।

सामाजिक कार्यकर्ता काउंसलर श्रीमती अनिता खंडेलवाल भी काउंसलिंग कर रिश्तों को मजबूत करने में योगदान देती हैं। लॉकडाउन के बीच एकल परिवार में कोई समझाने वाला बड़ा बुजुर्ग नहीं होने से झगड़े सुलझने की बजाय बढ़ रहे हैं। शहरी कल्चर की जीवन शैली और लोगों का रोजगार चला जाना,   कमाई से ज्यादा खर्च भी तनाव के मुख्य कारण बनते हैं। ऐसे में मानसिक तनाव को दूर करने के लिए और एकाग्रता के लिए मेडिटेशन व योग करना जरुरी है। काउंसलिंग से ज्यादातर मामले सुलझ जाते हैं।

Read More

आदतों को खुद पर न होने दे हावी

Posted on :18-Aug-2020
आदतों को खुद पर न होने दे हावी

TNIS

ओसीडी का उपचार सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में निशुल्क उपलब्ध

रायपुर : कोरोना महामारी के दौरान लोगों की बहुत-सी आदतों और व्यवहार में परिवर्तन देखने में आ रहा है ।कुछ परिवर्तन तो स्वाभाविक है लेकिन कुछ मन का डर भी दर्शाते हैं|

ऐसी ही एक मनोदशा से आजकल कई लोग गुज़र रहे हैं जिससे मनोग्रसित बाध्यता विकार यानि ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) से जाना जाता है। इस विकार से रोगी कुछ अजीब सी आदतें का आदि हो जाता है जो कई बार डर का रूप लेती हैं ।

रायपुर मनोरोग स्पर्श क्लीनिक के चिकित्सा मनोवैज्ञानिक डीएस परिहार कहते है:‘’मनोग्रसित बाध्यता विकार एक चिंता विकार है, जो व्यक्ति के दिमाग में चल रहे विचारों से उत्पन्न होता है। यह ऐसे विचार हैंजिनके बारे में लगातार सोचते रहने से यह आदत बन जातेहै या फिर आपके डर का रूप भी लेते हैं।’’

कोरोना काल में ऐसे व्यक्तियों का आंकड़ा बढ रहा है।जुनूनी बाध्यता विकार के नाम से भी जाने जाए वाले इस विकार में व्यक्ति हमेशा एक तरह के डर से घिरा रहता है। एक ही क्रिया को न चाहते हुए भी बार-बार करता रहता  है।डर और खौफ के चलते जैसे दिनभर अकारण  हाथ धोते रहना, किसी भी चीज़ को छूने के बाद बार-बार हाथों को सेनेटाइज़ करना,या बार बार मुंह धोते रहना बिना कारण और ऐसी कोई क्रिया करना जिसका कोई औचित्य नहीं है ।विकार से परेशान व्यक्ति को पता नहीं होता वह जो कर रहा है, वह सही है या नहीं।

यह विकार होने पर व्यक्ति की सामान्य जिदंगी पर भी प्रभाव पड़ता है। यहां तक कि व्यक्ति के नियंत्रण में उसकी गतिविधियां नहीं होतीं।

ओसीडी(OCD) पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में आम है। गन्दगी से डरते रहना,दिन भर अकारण बार-बार हाथ धोना,सामान सलीके से रखते रहना,दिल दुखानेसे आहत होना,रंगों को अच्छा बुरा मानना,पलके झपकना,करिबियोंको विश्वासघाती समझना,पूर्ण हो गये कार्य पर संदेह करना,या दूसरों से हाथ मिलाते समय डरना इसके कुछ लक्षण है ।तनाव,अवसाद,दुर्घटना होने के कारण,या फिर बचपन में शारीरिक या यौन शोषण होने से यह स्थिति हो सकती है । इसके बाद जैसे-जैसे तनाव बढ़ता है, वैसे वैसे इसके लक्षण भी भयावह होते जाते हैं।

चिकित्सा मनोवैज्ञानिक परिहार का कहना है: इस विकार से निकला जा सकता है लेकिन पहले से बचा नहीं जा सकता है। ऐसी स्थिति में चिकित्सक मरीज को दवा और साइकोथैरेपी देते हैं।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल ने कहा ज़िला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत ज़िला चिकित्सालय में स्पर्श क्लीनिक की स्थापना की गई है । किसी भी प्रकार की मानसिक समस्या होने पर व्यक्ति यहाँ  परामर्श कर सकते है । इसके अलावा पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के सहयोग से मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में 17 मनोवैज्ञानिकछात्र-छात्राओं  द्वारा स्वैच्छिक सेवा प्रदान कर काउंसलिंग की सुविधा दी जा रही ।

कहॉ से मिल रही है सेवा

आरंग में राहत केंद्र भानसोज ,सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फरफ़ौद,रीवा,चंद्रखुरी,कुरुदकुटेला के स्वास्थ्य केंद्रों से सम्पर्क कर मनोवैज्ञानिक परामर्श मानसिक स्वास्थ्य से पीडित लोग ले सकते है ।

अभनपुर में उपरवारा, अभनपुर, गोबरा नवापारा,तोरला, खोरपा, गुढियारी,खिलोरा के स्वास्थ्य केंद्र से मनोवैज्ञानिक परामर्श पीडित लोग ले सकते है ।

धरसींवा में सिलयारी,मांढर और दोंदेकलॉ बिरगॉव के स्वास्थ्य केंद्र से सम्पर्क कर मनोवैज्ञानिक परामर्श पीडित लोग ले सकते है ।

तिल्दा में खरोरा, बंगोली,खैरखुट केस्वास्थ्य केंद्र से मनोवैज्ञानिक परामर्श ले सकते है ।

रायपुर में हिरापुर कबीरनगर और भाटागॉव, डीडी नगर के स्वास्थ्य केंद्र सेसम्पर्क कर मनोवैज्ञानिक परामर्श पीडित लोग ले सकते है ।

Read More

Heart Attack के कारण और बचाव के उपाय - श्री हुलेश्वर जोशी

Posted on :17-Aug-2020
Heart Attack के कारण और बचाव के उपाय - श्री हुलेश्वर जोशी

स्वास्थ्य जागरूकता पर आधारित लेख

यदि आप नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं या जंकफू खाते हैं; कठोर परिश्रम या योगा अथवा व्यायाम नहीं करते और स्मार्टफोन अथवा लेपटॉप / कंप्यूटर का अधिक इस्तेमाल करते हैं तो सावधान 50% से अधिक गारंटी है कि आपको Heart Attack होगा।

महिलाओं में हार्ट अटैक से बचने के लिए पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता होती है, मगर यदि कोई महिला नशीले पदार्थों का सेवन, जंकफूड का सेवन और स्मार्टफोन अथवा लेपटॉप/कंप्यूटर का अधिक इस्तेमाल करती हो तो मोनोपॉज के 5-10 साल के बाद पुरुषों के बराबर ही संभावना होगी कि उन्हें भी Heart Attack आ जाए। इसलिए महिलाओं को नशीले पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
खराब दिनचर्या के कारण अब 30 साल से कम उम्र के युवाओं में भी Heart Attack की संभावना दिनोंदिन बढ़ती जा रही है; इसलिए सीने में अधिक दर्द होने की स्थिति में तत्काल चिकित्सकीय सहायता लें।

Heart Attack से बचाव कैसे संभव है?
 कभी भी किसी भी शर्त में नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
 जंकफूड अर्थात अधिक तेल में तले भोज्यपदार्थों का सेवन न करें। भोजन में सलाद और कम पके सब्जियों को शामिल करें। अधिक मसालेदार भोजन आपके सेहत के लिए हानिकारक ही होगा। अपने भोजन में न्यूनतम मात्रा में ही नमक को शामिल करें।
 स्मार्टफोन, गैजेट्स, लेपटॉप अथवा कंप्यूटर सिस्टम का न्यूनतम इस्तेमाल करें।
 नितमित रूप से कठोर शारीरिक परिश्रम करें; अर्थात अपने सारे काम खुद करें। यदि संभव न हो तो योगा अथवा व्यायाम करें।
 भरपूर नींद लें और तनावमुक्त रहें।
 मोटापा से बचें।
 बेवजह औषधियों के प्रयोग से बचें।

 

 

Read More

शिशु के लिए अमृत है प्रसव के तुरंत बाद स्तनपान

Posted on :07-Aug-2020
शिशु के लिए अमृत है प्रसव के तुरंत बाद स्तनपान

TNIS

स्तनपान के प्रति जागरुकता से ही दूर होंगे व्याप्त भ्रांतियां 

रायपुर: शिशु के लिए मां के दूध से ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक दुनिया में कोई भी चीज नहीं है। इसलिए हमेशा यह कहा जाता है कि शिशु को पहले 6 महीने तक मां के दूध के अलावा और कुछ भी न दें। शिशु को स्तनपान कराना मां एवं  बच्चे  दोनों के लिए काफी फायदेमंद होता है प्रसव के तुरंत बाद स्तनपान कराने से मां को प्रसव के बाद होने वाली पीड़ा से काफी राहत मिलती है। मां की ममता के साथ छाती से लगाकर बच्चा जब दूध पीता है तो वह सम्पूर्ण आहार और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ग्रहण करता है। स्तनपान के प्रति समाज में जागरुकता लाने और भ्रांतियों को दूर करने के लिए 1 से 7 अगस्त तक स्तनपान सप्ताह आयोजित किए जाते हैं। इसके तहत अस्पतालों के अलावा अन्य सार्वजनिक स्थानों में ब्रेस्ट फीडिंग कार्नर बनाए गए हैं, तो वहीं मितानिन घर-घर जाकर गृह भ्रमण के दौरान शिशुवती व गर्भवती माताओं को स्तनपान कराने का तरीका भी सीखा रही  हैं। स्तनपान शिशु के लिए जीवनदान है, तो कोरोनावायरस महामारी के दौरान अपने बच्चे को इस घातक वायरस से बचाए रखने के लिए इस जीवनदान से दूर न रखें।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे वर्ष 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ के एनएफएचएस-4 के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यह पता चलता है कि केवल 47.1 प्रतिशत शिशुओं को ही जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराया गया है। वहीं 6 माह तक केवल स्तनपान की बात करें तो यह आंकड़ा 77.2 प्रतिशत है। एनएफएचएस-4 के आंकड़े कहते हैं कि प्रदेश में जागरुकता, कुपोषण, भ्रांतियों एवं अन्य कारणों से 22.8 प्रतिशत शिशुओं को 6 माह की उम्र तक ब्रेस्ट फीडिंग  का लाभ नहीं मिल पाता है। इस आंकड़े में सुधार लाने के लिए बेहतर काउंसिलिंग की जरूरत है। इन कमियों को दूर करने के लिए हर वर्ष स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है और इस दौरान महिलाओं को स्तनपान कराने हेतु जागरुक किया जाता  है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि शिशुवती माता को दूध, दलिया, पोषणयुक्त भोजन के साथ-साथ खूब पानी पीना चाहिए। प्रसव के तुरंत बाद एक घंटे के भीतर या जितना जल्दी हो सके शिशु को स्तनपान कराना चाहिए, माँ का पहला पीला गाढा दूध शिशु के लिए अत्यधिक महत्तवपूर्ण होता है। जिसे कोलेस्ट्रम एंजाइम भी कहा जाता है। जो बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता व आईक्यू विकसित करता है।

कालीबाड़ी के मातृ एवं शिशु अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. निर्मला यादव ने बताया, प्रसव के बाद प्रथम तीन दिन तक यानी 36 घंटे मां का दूध कम आता है लेकिन बच्चे के आहार के लिए पर्याप्त होता है। संस्थागत प्रसव के दौरान अस्पतालों में प्रशिक्षित नर्स, ट्रेनर व काउंसलर द्वारा प्रसूता महिला को स्तनपान के तरीके बताये जाते हैं साथ ही  संस्थागत प्रसव में जन्म के तुरंत बाद शिशुओं को शत् प्रतिशत स्तनपान भी कराया जाता है।

डॉ. निर्मला यादव  के मुताबिक कुछ माताओं में प्रसव के तुरंत बाद दूध नहीं आने की शिकायत होती है। इसके लिए बच्चे को ज्यादा से ज्यादा बार स्तनपान कराया जाना चाहिए। सही तकनीक से स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करने से तीन दिनों के बाद मां को पर्याप्त पोषण आहार मिलने से पर्याप्त मात्रा में दूध आना शुरु हो जाता है। समाज में फैली भ्रांतियों, रुढियों व अशिक्षा की वजह से यह मान लेते हैं कि मां स्तनपान नहीं करा सकती है। इन्हीं वजहों से शिशु को मां की बजाय ऊपर का दूध, किसी अन्य महिला व गाय का दूध पिलाना शुरु कर देते हैं। जो कि गलत परंपरा होती है। बच्चा अगर बाहरी दूध पीना शुरु कर देगा तो मां का दूध के प्रति ज्यादा इच्छा नहीं रखते हुए धीरे-धीरे स्तनपान नहीं कर पाता है। जबकि 6 माह तक बच्चे को किसी भी तरह का बाहरी दूध नहीं देते हुए मां का दूध ही पिलाया जाना चाहिए।

शासकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ सी.एम. घाटगे का कहना है स्तनपान नहीं कराने वाली ऐसी महिलाओं में जागरुकता की कमी होती है। स्तनपान के लिए परिवार की बुजुर्ग महिलाओं द्वारा सहयोग प्रदान किया जाना चाहिए। जो माताएं प्रसव के बाद 6 महीने तक दूध पिलाती हैं उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा नहीं होता है। मां का दूध बच्चे के लिए वरदान और संजीवनी होता है। जिसमें सभी जरूरी पोषक तत्व होते हैं साथ ही इससे बच्चे की  रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। गर्भवती माताओं के पोषण स्तर में सुधार से लेकर स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए कई योजनाएं सरकार द्वारा संचालित हैं ताकि माँ एवं बच्चा स्वस्थ्य रह सकें । इसके लिए पीएम मातृत्व वंदना योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को 5 हजार रुपए की सहायता राशि भी प्रदान की जाती है जिससे गर्भावस्था के दौरान महिला के पोषण आहार सहित महिला के  गर्भ में पल रहे शिशु की भी केयर की जा सके । इसके अलावा जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रसव के बाद लगभग 1000 से 2000 रुपए की राशि प्रदान की जाती है। जिससे जच्चा व बच्चा का देखभाल हो और माता सही पोषण आहार ले सके। इसके अलावा महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं व शिशुवती माताओं को पोषण आहार भी वितरण किया जाता है।

Read More

मॉनसून में इन पांच वायरल इंफेक्शन का बढ़ जाता है खतरा जाने के उपाय

Posted on :06-Aug-2020
 मॉनसून में इन पांच वायरल इंफेक्शन का बढ़ जाता है खतरा जाने के उपाय

विशेषज्ञों के मुताबिक किसी दूसरे महीने की तुलना में मॉनसून के दौरान वायरल इंफेक्शन होने का खतरा दोगुना हो जाता है. हवा में नमी की ज्यादा मात्रा बैक्टीरिया और इंफेक्शन को पनपने में मददगार साबित होती है. मॉनसून में पांच इंफेक्शन से इंसान जल्दी प्रभावित होता है.

डायरिया (Diarrhea)

मॉनसून के दौरान अगर खाने-पीने के सामान को ठीक से नहीं रखा जाए तो उसमें जीवाणु या विषाणु पैदा हो जाते हैं. ये जीवाणु या विषाणु बैक्टीरिया का कारण बनते हैं. जिससे डायरिया होने का खतरा रहता है. इस इंफेक्शन से बचाव का तरीका घर का पका हुआ खाना है. खाने में किसी भी फफूंद या कीड़े की जांच-पड़ताल कर लेें. सब्जियों और फलों को इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह पानी से धोकर डायरिया से बचा जा सकता है.

हैजा (Cholera)

ये पानी से पैदा होनेवाला इंफेक्शन है और मॉनसून के दौरान आम तौर से होता है. इससे बचने का सबसे बेहतर उपाय है शरीर में पानी की मात्रा बढ़ाने के लिए हाइड्रेटेड रहना. साफ-सुथरा खाना खाने से इंफेक्शन से बचने में मदद मिलती है.

सर्दी और फ्लू (Cold and Flu)

मॉनसून के दौरान वायरल होनेवाली आम बीमारियों में से एक सर्दी और फ्लू भी है. इस मौसम में ज्यादातर लोगों को कम से कम एक बार जरूर बीमार पड़ने की आशंका रहती है. वायरल बीमारी से संक्रमित लोगों से दूर रहकर खुद को बचाया जा सकता है. अगर परिवार के किसी सदस्य को ये इंफेक्शन हो जाता है तो पीड़ित सदस्य को अलग तौलिया और बर्तन का इस्तेमाल करना चाहिए. उसे हाथ ज्यादा से ज्यादा धोते रहने की विशेषज्ञ सलाह देते हैं.

टाइफाइड (Typhoid)

टाइफाइड बुखार सैल्मोनेला टाइफी की वजह से होनेवाली एक बैक्टीरियल बीमारी है. ये बीमारी मॉनसून के मौसम में आम हो जाती है. बीमारी से ग्रसित शख्स की त्वचा और जिगर प्रभावित होते हैं. इससे बचने के लिए जरूरी है कि साफ पानी पिया जाए और बाहर के खुले पेय इस्तेमाल करने से बचा जाए.

डेंगू (Dengue)

मूसलाधार बारिश से पानी जमा हो जाता है. बारिश का जमा पानी मच्छरों को पनपने का अनुकूल अवसर मुहैया कराता है. इसलिए बेहतर है अपने घर के आसपास पानी को जमा न होने दें. उसके अलावा आस्तीन वाले कपड़े पहनकर खुद को मच्छरों के काटने से बचा सकते हैं.

 

Read More

पोषण व इम्युनिटी बढाने को मशरुम में मौजूद हैं विटामिन और मिनरल्स

Posted on :18-Jul-2020
पोषण व इम्युनिटी बढाने को मशरुम में मौजूद हैं विटामिन और मिनरल्स

TNIS

सनलाइट के अलावा विटामिन –डी से भरपूर है मशरुम

रायपुर:  कोरोना वायरस और अन्य बीमारियों से लड़ने के लिए शरीर में रोग प्रतिरोध क्षमता का होना जरुरी होता है। ऐसे में प्रकृति में मौजूद जैव विविधता पर्यावरण के साथ ही  शरीर के लिए विभिन्न पोषक तत्व प्रदान करती है। बरसात के मौसम में गरज और बारिश में उगने वाला मशरूम दीमक की बामियों, पैरा, साल के पेड़ों और बांसों की ढेर में निकलता है। जंगलों और खेत खिलहानों में प्राकृतिक और कृत्रिम रुप से उत्पादन किए जाने वाले औषधीय गुणों व पोषक तत्व से भरपूर मशरूम यानी फूटू सब्जी का स्वाद बहुत ही लजीज होता है।

छत्तीसगढ़ में यह फुटू (पुटू) नाम से जाना जाता है जिसको आयुर्वेद में धरती का फूल कहा जाता है। मशरूम में कई ऐसे जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं जिनकी शरीर को बहुत आवश्यकता होती है। सूर्य की धूप के बाद पोषण आहार के रुप में विटामिन-डी तथा फाइबर यानी रेशे का यह एक अच्छा स्रोत है। कई बीमारियों में मशरूम का इस्तेमाल औषधि के तौर पर किया जाता है। मशरुम में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व जैसे खनिज एवं विटामिन पाया जाता है जो शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत करता है और रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्वि होती है। मशरूम में एक खास पोषक तत्व पाया जाता है जो मांसपेशियों की सक्रियता और याददाश्त बरकरार रखने में बेहद फायदेमंद रहता है।

विटामिन और मिनरल्स है भरपूर:

प्राकृतिक तौर पर जंगलों में मिलने वाली यह सब्ज़ी (फंगस) मशरुम में गुड फैट, स्टार्च, शुगर फ्री, विटामिन और खनिज तत्व के साथ प्रोटीन पाया जाता है। इसमें कैलोरीज ज्यादा नहीं होतीं। नॉनवेज पसंद नहीं करने वालों के लिए पनीर की तरह प्रोटीनयुक्त शुद्व शाकाहारी है। महंगे प्राणीज पदार्थ के स्थान पर मशरुम का उपयोग लाभकारी होगा, क्योंकि इसमें विटामिंन और मिनरल्स पाये जाते हैं जो 100 ग्राम मशरुम में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है। विटामिन–बी6, सी, डी, आयरन, काबोहाइड्रेट, फाइबर, प्रोटीन, पोटेशियम, मैग्निशियम मशरुम में मिलते हैं।

पोषण व औषधिय गुणों से भरपूर है मशरुम:

डिग्री गर्ल्स कॉलेज की फूड एवं न्यूट्रेशन विभाग की प्रोफेसर डॉ. अभ्या आर. जोगलेकर बताती हैं सावन-भादों के मौसम में मशरुम प्राकृतिक रुप से जंगलों व खेतों में मिलती है।  मशरुम की पौष्टिकता का रोग निवारण में प्रभाव देते हैं जैसे- बीपी, शुगर, कब्ज, हृदय रोग, मोटापा, कैंसर, एड्स, हड्डी रोग, कुपोषित बच्चे, कमजोर व्यक्तियों, एनिमिक व गर्भवती महिलाएं के लिए मशरूम में मौजूद तत्व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इससे सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियां जल्दी-जल्दी नहीं होती। मशरूम में मौजद सेलेनियम इम्यूनिटी सिस्टम के रिस्पॉन्स को बेहतर करता है। मशरूम विटामिन डी का भी एक बहुत अच्छा माध्यम है। यह विटामिन हड्डियों की मजबूती के लिए बहुत जरूरी होता है। इसमें बहुत कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जिससे वह वजन और ब्लड शुगर लेवल नहीं बढ़ाता। मशरूम में एंटी-ऑक्सीडेंट भूरपूर होते हैं। इसके अलावा मशरूम को बालों और त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। वहीं कुछ स्टडीज में मशरूम के सेवन से कैंसर होने की आशंका कम होने की बात तक कही गई है।

70 फीसदी महिलाओं में हडडी से संबंधित रोग:

शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज पंचकर्म विभाग के एचओडी डॉ. रंजीप कुमार दास का कहना है अस्पताल की ओपीडी में आने वाली 40 वर्ष की उम्र पार कर चुके महिलाओं में हड्डी, कमर दर्द और कैलैशियम की कमी की समस्या प्रमुख रुप से पायी जाती है। इस तरह की बीमारियों की शिकायत लेकर आने वाली 70 फीसदी महिलाओं में अर्थराइटिस और ऑस्टियो-पोरोसिस की समस्याएं होती  है। इसके लिए मशरुम में मिलने वाला पोषक तत्व और विटामिन-डी हडडी से संबंधित रोगों से लड़ने के लिए कारगर होता है।

प्राकृतिक मशरुम के उत्पादन के लिए हो रहा रिसर्च:

इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्लांट पैथोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. सीएस शुक्ला ने बताया मशरुम की अलग-अलग प्रजातियों का बीज तैयार कर कृत्रिम रुप से व्यवसायिक उत्पादन के लिए अखिल भारतीय मशरुम अनुसंधान परियोजना के तहत रिसर्च कार्य चल रहा है। डॉ. शुक्ला ने बताया छत्तीसगढ की जलवायु मशरुम के लिए अनुकूल होने की वजह से यहां 30 से 35  प्रजातियां खाने योग्य है। कुछ औषधीय मशरुम पर भी कृषि विवि में रिसर्च चल रहा है।

प्राकृतिक रुप से कनकी फूटू, भिंभोरा फुटू, बोडा, पेहरी एवं अन्य प्रकार के मशरुम मिलते हैं। वहीं कृत्रिम रुप से आयस्टर, पैरा फुटू, बटन, सफेद दुधिया मशरुम की खेती की जा रही है। डॉ. शुक्ला ने बताया, दुनियाभर में मशरुम की 42,000 प्रजातियां हैं जिसमें से 800 प्रजातियों की पहचान भारत में कर ली गई है। सीड तैयार कर मशरुम की कृत्रिम खेती घर के अंदर सरलता से वर्षभर की जा सकती है। प्राकृतिक मशरुम को सब्जी बनाने से पहले घर के बुजुर्गों से खादय मशरुम की पहचान कराने के बाद ही खाना चाहिए।

 

Read More

मौसमी फल और सब्जियों के सेवन से बढ़ेगी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता

Posted on :16-Jul-2020
 मौसमी फल और सब्जियों के सेवन से बढ़ेगी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता

TNIS

रायपुर : कोरोना वायरस संक्रमण के साथ ही अब बारिश में डेंगू, टायफायड, मौसमी बुखार, मलेरिया और सर्दी-जुकाम के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। बच्चे और बड़ो के साथ ही बुजुर्गों की मुशिकलें बढ़ गईं हैं। ऐसे में अगर इन मौसमी बीमारियां की गिरफ्त में आ गए तो कोरोना से खतरा और भी बढ़ जाएगा। कोरोना वायरस व मौसमी बीमारियों से निपटने के लिए बारिश के मौसम में आने वाले फलों व सब्जियों का सेवन सेहत के लिए बेहद जरुरी है।

आयुर्वेदिक अस्पताल के पंचकर्म विभाग के एचओडी डॉ. रनजीप कुमार दास ने बताया इन बीमारियों से लड़ने में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाने में मदद करेगी। ऐसे में जरूरी है कि हर उम्र के लोग शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर खासा ध्यान दें। ``खानपान और अच्छी दिनचर्या से ही हम अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं।‘’

डॉ. दास का कहना है  मौसमी फल, सब्जी, नींबू के अलावा रसोई में बहुत सी चीजें उपलब्ध हैं जिनकी मदद से हर कोई शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकता है। आयुर्वेदिक अस्पताल परिसर में कोरोना वायरस से बचाव और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए आयुष विभाग की ओर से काढा का वितरण किया जा रहा है। इसका लाभ प्रतिदिन ओपीडी में आने वाले मरीज व अन्य लोग सहित लगभग 300 लोग काढा का सेवन कर रहे हैं।

सीएमएचओ रायपुर डॉ.मीरा बघेल ने बताया, जिले के अस्पतालों में कोविड से पहले इस वर्ष जनवरी, फरवरी व मार्च में कुल ओपीडी 4.22 लाख दर्ज किया गया था जो औसत प्रति माह 1.40 लाख मरीजों थी। साल के पहले तिमाही रिपोर्ट के अनुसार हर दिन औसत 5,550 मरीज ओपीडी में स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे। आयुष अस्पतालों में तीन महीने का ओपीडी 8,400 रहा, हर महीने 2800 मरीज पहुंच रहे थे जो कि प्रतिदिन औसत 107 मरीजों का रहा है।

लॉकडाउन के दौरान ओपीडी में गिरावट के साथ के साथ अप्रेल, मई व जून में जिले के स्वास्थ्य केंद्रों का कुल ओपीडी 3.14 लाख है। वहीं प्रतिमाह औसत 1.04 लाख मरीजों को ओपीडी में मरीज पहुंच रहे हैं । यानी प्रति दिन अस्पतालों में 4,000 मरीजों का इलाज चल रहा है जबकि आयुष के अस्पतलों का ओपीडी बीते तीन महीने में कोरोना की वजह से 4800 है। महीनेभर में 1600 मरीज और प्रतिदिन का औसत 61 मरीज आयुर्वेदिक अस्पतालों में चिकित्सा सेवा का लाभ ले रहे हैं। कोविड-19 की वजह से अस्पताल में नॉन-कोविड के मरीजों की संख्या कमी आयी थी जो अब अस्पतालों में मरीजों की तादात धीरे-धीरे बढ़ने लगी है।

डॉ. बघेल ने बताया कोरोना वायरस के लक्षण के बारे में जानकारी ही बचाव का सबसे बड़ा उपाय है। वायरस के लक्षण जैसे –बुखार आना, सिरदर्द, नाक बहना, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, खांसी, गले में खराश, और सीने में जकड़न होता है। कोरोना से बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क से बचना, कई बार हाथों की साबुन से धुलाई, नाक-आंख-कांन व मुंह न छूना ज़रूरी है । संक्रमित सामग्रियों को छूने से बचना।

अधिक जानकारी के लिए शासकीय जिला अस्पताल से अथवा राज्य सर्वेलेंस इकाई  के नंबर- 0771-2235091, 9713373165 या फिर टोल फ्री नंबर -104 से संपर्क कर सकते हैं।

सावधानी के लिए जरुरी उपाय-

बाहर की खानपान की चीजों से बचें, यदि विषम परिस्थितियों में खाना पड़े तो ठंडी चीजों से परहेज करें।

पैक्ड और बाहर फलों का जूस पीने के बजाय घर पर निकाल कर पीये। बेहतर होगा मौसमी फल खाए।

घर या बाहर चाय और काफी का सेवन करें।

गरम दूध में हल्दी डालकर पीएं, यदि अंडा खाते हैं तो इसे ले।

अदरक, काली मिर्च, लोंग, दालचीनी, मुलेठी, तुलसी का काढ़ा दिन में दो बार पीएं।

संतुलित भोजन ले जिसमें प्रोटीन की मात्रा हो अधिक हो, एक ग्राम प्रति किग्रा शरीर के वजन के अनुसार प्रोटीन लेनी चाहिए।

विटामिन और मिनरल के लिए मौसमी फल और सब्जिया और ड्राईफ्रूट का सेवन करें।

चना, मूंग, अरहर समेत सभी दाल खायें।

अंकुरित चना, मूंग, सोयाबीन और मोठ ले सकते हैं।

Read More

सप्ताह में एक दिन करें घरों में जमें हुए पानी की सफाई

Posted on :11-Jul-2020
सप्ताह में एक दिन करें घरों में जमें हुए पानी की सफाई

GCN

डेंगू रोधी माह के तहत विशेषज्ञों ने सुझाए उपाय
नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग संयुक्त रूप से कर रहा कार्य, रोगों का खात्मा

कोरबा:  हर रविवार मच्छर पर वार यानि सप्ताह में एक दिन घरों में जमें हुए पानी की सफाई कर डेंगू समेत जल जनित और कीट जनित रोगों से बचा जा सकता है। बीते साल कोरबा जिले में  डेंगू के 19 मामले आए थे।  इसे  देखते हुए इस वर्ष स्वास्थ्य विभाग एवं नगर निगम संयुक्त रूप से कार्य कर भिन्न बीमारियों का खात्मा करने संकल्पित हैं। वैसे भी जुलाई माह यानि डेंगू रोधी माह है, इसे देखते हुए जिले में डेंगू और जल जनित बीमारियों का खात्मा करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। 

इसके साथ ही डेंगू मच्छरों और जल जनित बीमारियों से पाने के लिए जानकारी को लेकर एक कार्यशाला भी बीते दिनों आयोजित हुई i जिसमें कीट और जलजनित रोगों के खात्मे के संबंध में विशेषज्ञों ने उपाय सुझाए। इसके बाद डेंगू रोधी माह के तहत स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम के कर्मचारी घर में गमले, कूलर, पुराने टायर या अन्य स्थानों पर जमें हुए पानी को निकालने और घर के बाहर पानी जमाव नहीं रखने की सीख दे रहे हैं। साथ ही  डेंगू, मलेरिया, जल जनित रोगों जैसे डायरिया, पीलिया और फ्लू आदि से बचाव के बारे में भी उपाय सुझा रहे हैं। सीएमएचओ कोरबा डॉ. बी.बी. बोर्डे के अनुसार कोरोना वायरस महामारी की जागरूकता एवं सर्विलेंस के लिए व्यापक पैमाने पर कार्य किया जा रहा है। वहीं जुलाई को डेंगू रोधी माह के रूप में मनाया जा रहा है। इसलिए जिले में मच्छर पनपने के श्रोतों की सफाई की जा रही है। साथ ही टेमीफॉस का छिड़काव भी कराया जा रहा है। बीते दिनों कार्यशाला भी एक आयोजित हुई, जिसमें बरसात के मौसम में  जल जनित और कीट जनित रोगों के बारे में जानकारी देकर जागरूक किया गया। इस दौरान सीपीएम अशोक सिंह, शहरी कार्यक्रम अधिकारी दीपक राज, एपीडेमोलॉजिस्ट डॉ. प्रेम प्रकाश आनंद, एएनएम एवं सुपरवाइजर मुख्य रूप से मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि कोरबा जिले में वर्ष 2018 में कुल 44 मामले तो वर्ष 2019 में 19 मामले दर्ज किए गए। विभागीय प्रयास है कि जिले से डेंगू समेत संक्रामक रोगों पर भी निदान हासिल किया जा सके।

क्या है डेंगू - डेंगू एक वेक्टर जनित बीमारी है जो एक गम्भीर बीमारी है। अगर इसका समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो यह घातक हो सकता है। डेंगू 4 में से 1 बारीकी से संबंधित डेंगू वायरस के कारण होता है। ये वायरस वेस्ट नाइल संक्रमण और यहां तक कि पीले बुखार से संबंधित हैं। 

डेंगू के लक्षण - डेंगू बुखार के लक्षण इसके संक्रमित होने के 6 दिन बाद दिखाई देने लगते हैं। अचानक और तेज बुखार डेंगू बुखार के सबसे आम लक्षणों में से एक है। अन्य लक्षणों में आंखों के पीछे दर्द, गंभीर सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, मतली, थकान, उल्टी,  त्वचा पर चकत्ते आना होता है। 

बरतें विशेष सावधानी- कूलर और अन्य छोटे कंटेनरों (प्लास्टिक के कंटेनर, बाल्टी, इस्तेमाल किए गए ऑटो मोबाइल टायर, वाटर कूलर, पालतू पानी वाले कंटेनर और फूलों के फूल) से पानी सप्ताह में कम से कम एक बार हटाया जाना चाहिए।  उपयुक्त लार्विसाइड्स का उपयोग जल भंडारण कंटेनरों के लिए किया जाना चाहिए जिन्हें खाली नहीं किया जा सकता है। पानी के भंडारण कंटेनरों को ढक्कन के साथ कवर किया जाना चाहिए।  मच्छरों के काटने से रोकने के लिए दिन के समय में भी सावधानी रखनी चाहिए।  ट्रांसमिशन सीज़न (बरसात के मौसम) के दौरान, सभी व्यक्ति ऐसे कपड़े पहन सकते हैं जो हाथ और पैर को कवर करते हैं।  मच्छरदानी  का इस्तेमाल सोते समय  किया जा सकता है।

 

Read More

जानें शिव के इस ज्योतिर्लिंग को आखिर क्यों कहते हैं मल्लिकार्जुन

Posted on :09-Jul-2020
 जानें शिव के इस ज्योतिर्लिंग को आखिर क्यों कहते हैं मल्लिकार्जुन

 मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग देश का दूसरा ज्योतिर्लिंग माना जाता है. मान्यता है कि सावन के महीने में 12 ज्योतिर्लिंगों में से किसी भी एक ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र सभी प्रकार के कष्ट मिट जाते हैं. सावन का महीना आरंभ हो चुका है. सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है.

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूरे देश में मान्यता है. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट के पास पवित्र श्री शैल पर्वत पर स्थित है. इस पर्वत को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है. यहां पर शिव और पार्वती दोनों का सयुंक्त रूप मौजूद है.

यहां मल्लिका से तात्पर्य पार्वती और अर्जुन भगवान शिव के लिए प्रयोग किया गया है. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भोलेनाथ और माता पार्वती दोनों की ज्योतियां समाई हुई हैं.

एक पौराणिक कथा के अनुसार जब गणेश जी और कार्तिकेय पहले विवाह के लिए झगड़ने लगे, तब भगवान शिव ने कहा जो पहले पृथ्वी का चक्कर लगाएगा, उसी का विवाह पहले होगा. गणेश जी ने अपने माता-पिता के ही चक्कर लगा लिए, लेकिन जब कार्तिकेय पूरी पृथ्वी के चक्कर लगाने के बाद वापिस आए तो गणेश को पहले विवाह करते हुए देखकर वह भगवान शिव और पार्वती से नाराज़ हो गए.

नाराज होने के बाद कार्तिकेय क्रोंच पर्वत पर आ गए. सभी देवताओं ने कार्तिकेय को लौटने के लिए आग्रह कियाए लेकिन वे नहीं माने. कार्तिकेय के लौटकर न आने पर माता पार्वती और भगवान शिव को पुत्र वियोग होने लगा, वे दुखी हो गए. एक बार जब शिव और माता पार्वती से नहीं रहा गया तो दोनों स्वयं क्रोंच पर्वत पर आ गए.

लेकिन कार्तिकेय माता-पिता को आता देख और दूर चले गए. अंत में पुत्र के दर्शन की लालसा से भगवान शिव ज्योति रूप धारण कर उसी पर्वत पर विराजमान हो गए. कहा जाता है उसी दिन से यह शिवलिंग मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाने लगा. मान्यता है कि भगवान शिव और पार्वती प्रत्येक पर्व पर कार्तिकेय को देखने के लिए यहां आते हैं. ऐसी भी प्रबल मान्यता है कि  भगवान शिव स्वयं अमावस्या के दिन और माता पार्वती पूर्णिमा के दिन यहां आती हैं.

शिव भक्तों में इस ज्योतिर्लिंग को लेकर विशेष आस्था है. सावन के महीने में इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से विशेष प्रकार की सुख की अनुभूति प्राप्त होती है. यह एक सिद्ध स्थान है जहां दर्शन करने मात्र से जीवन सुख, शांति और समृद्धि से पूर्ण हो जाता है.

Read More

कोरोना बच्चों एवं किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य को कर सकता है बाधित, सतर्कता जरुरी

Posted on :08-Jul-2020
कोरोना बच्चों एवं किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य को कर सकता है बाधित, सतर्कता जरुरी
GCN
• निमहांस ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जारी की विस्तृत मार्गदर्शिका 
• परिवार के किसी सदस्य के क्वारंटाइन होने पर बच्चे एवं किशोर हो सकते हैं परेशान
• निरंतर असुरक्षा की भावना किशोरों को आत्मघाती बनने पर कर सकता मजबूर  
• किशोरों को विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी प्राप्त करने के लिए करें प्रोत्साहित 
 
रायपुर :  विगत 4 महिनों से लोगों के मन में कोरोना को लेकर असुरक्षा की भावना में अधिक बढ़ोतरी हुयी है। ऐसा नहीं है कि पहले कोई महामारी नहीं थी। प्लेग,हैजा,स्पेनिश फ्लू,एशियाई फ्लू, सार्स (SARS), मर्स (MERS) एवं इ-बोला (Ebola)जैसी महामारी ने पूर्व में भी वैश्विक स्तर पर लोगों को प्रभावित किया है । लेकिन कोविड-19 की महामारी बिल्कुल अलग पैमाने पर है। इसने पूरी दुनिया में दहशत पैदा कर दी है। वैश्विक स्तर पर निरंतर किये जा रहे प्रयासों के बाद भी कोविड-19 का सटीक उपचार उपलब्ध नहीं होने से लोगों के मन में निरंतर डर की भावना बढ़ रही है, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य गंभीर रूप से बाधित हो रहा है। इसको लेकर मानसिक स्वास्थ्य पर कार्य करने वाली संस्था निमहांस(नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज, बैंगलोर) ने कोरोना संक्रमण काल में लोगों के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की दिशा में समुदाय के सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए मार्गदर्शिका जारी की है।
 
किशोरों की मानसिक स्थिति समझने की जरूरत:
मार्गदर्शिका में बताया गया है कि किशोरावस्था के दौरान होने वाले मानक विकासात्मक परिवर्तनों के बारे में माता-पिता को जागरूक होना चाहिए। किशोरों को बच्चों की तुलना में कोविड-19 संबंधित मुद्दों की बेहतर समझ होती है। कोरोना के कारण किशोरों एवं युवाओं में अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितिता में काफी बढ़ोतरी भी हुयी है, जिसके कारण युवाओं में मानसिक अवसाद, निरंतर चिंता एवं गंभीर हालातों में आत्महत्या तक की नौबत आ रही है। इसके लिए यह जरुरी है कि माता-पिता किशोरों की मानसिक स्थिति को समझें एवं संक्रमण के कारण होने वाले चुनौतियों का सामना करने में उनका सहयोग करें। लंबे समय से स्कूल एवं कॉलेज का बंद होना, दोस्तों से संपर्क खोना, परीक्षाओं के बारे में अनिश्चितता और उनके करियर विकल्पों पर प्रभाव एवं युवाओं के सामने अपनी नौकरी बचाने के दबाब के कारण उनमें अकेलापन, उदासी ,आक्रामकता और चिड़चिड़ापन की भावनाएँ पैदा हो सकती हैं. ऐसी हालातों में किशोर बोरियत, अकेलेपन और भावनात्मक परिवर्तनों को संभालने के लिए तम्बाकू एवं शराब आदि मादक पदार्थों का उपयोग करना शुरू कर सकते हैं।
 
किशोरों एवं युवाओं को अवसाद से बचाएं: 
माता-पिता को अपने किशोर बच्चों में किसी भी भावनात्मक या व्यवहार परिवर्तन के लिए उत्सुकता से निरीक्षण करना चाहिए। कभी-कभी ये परिवर्तन सूक्ष्म हो सकते हैं। माता-पिता यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। माता-पिता को किशोरों एवं युवाओं की बातों को सुनकर, उनकी कठिनाइयों को स्वीकार कर, उनकी शंकाओं को दूर कर एवं उन्हें आश्वस्त कर समस्याओं को हल करने में भावनात्मक सहायता करना चाहिए। ऐसे दौर में कोरोना को लेकर कई भ्रामक जानकारियां भी फैलाई जा रही है। इसलिए माता-पिता किशोरों को विश्वसनीय स्रोतों जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, आईसीएमआर. सीडीसी आदि से जानकारी प्राप्त करने के लिए करें प्रोत्साहित करें ताकि उन्हें सही जानकारी प्राप्त हो सके। 
 
बच्चों का भी रखें ख्याल:
कोरोना काल में बच्चे मानसिक अवसाद का आसानी से शिकार हो सकते हैं । परिवार के किसी सदस्य में कोरोना की पुष्टि होना, किसी सदस्य का क्वारंटाइन सेंटर जाना, कोरोना काल में परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने एवं उनकी जरूरत की चीजें आसानी से उपलब्ध नहीं होने की दशा में बच्चे मानसिक तौर पर अधिक परेशान हो सकते है. इसलिए माता-पिता यह सुनिश्चित करें कि बच्चे महामारी से संबंधित जानकारी के संपर्क में न हों। मीडिया एक्सपोजर को सीमित करें, खासकर अगर डर, विरोध या संक्रमण को लेकर कोई खतरनाक जानकारी हो। बच्चों के सामने अक्सर कोरोना प्रसार पर चर्चा करने से बचें।
 
दैनिक दिनचर्या पर माता-पिता करें कार्य: 
माता-पिता बच्चे के लिए एक नई दिनचर्या का चित्र बनाएं। इस दिनचर्या में शैक्षणिक कार्य, खेल, साथियों के साथ फोन पर बातचीत या प्रौद्योगिकी के अन्य रूपों के साथ परिवार के समय का उपयोग करना शामिल होना चाहिए। बच्चों का भोजन और सोने का समय निर्धारित करें। इस दिनचर्या के हिस्से के रूप में कुछ इनडोर अभ्यास भी करना बेहतर पहल होगी जैसे योग, स्ट्रेच, स्किपिंग, आदि। हालांकि, इस दिनचर्या को अधिक सख्त बनाने की जरुरत नहीं है। समय के साथ इसमें बदलाव करते रहना चाहिए । 
Read More

Previous1234567Next

Advertisement

Read More

Live TV

Join Us

WhatsApp Group Invite Chhattisgarh Daily News

विशेष रिपोर्ट

जीवन का रिसेट बटन नहीं होता और न तो टाइम मशीन जैसी कोई मशीन होती है इसलिए जीवन के सुरक्षा को प्रथम प्राथमिकता में रखें... प्लीज Covid-19, कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने का प्रयास करें : HPJoshi

जीवन का रिसेट बटन नहीं होता और न तो टाइम मशीन जैसी कोई मशीन होती है इसलिए जीवन के सुरक्षा को प्रथम प्राथमिकता में रखें... प्लीज Covid-19, कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने का प्रयास करें : HPJoshi

छत्तीसगढ़ के 7 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन प्रमाण-पत्र

छत्तीसगढ़ के 7 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन प्रमाण-पत्र

चुनौतियों से भरा रहा पढ़ई तुंहर दुआर, फिर भी दे गया अमिट छाप

चुनौतियों से भरा रहा पढ़ई तुंहर दुआर, फिर भी दे गया अमिट छाप

महिला स्व-सहायता समूह ठेलका द्वारा ग्रामोद्योग गतिविधियों को बढ़ावा, समूह द्वारा 2.50 लाख रुपये का मुनाफा अर्जित

महिला स्व-सहायता समूह ठेलका द्वारा ग्रामोद्योग गतिविधियों को बढ़ावा, समूह द्वारा 2.50 लाख रुपये का मुनाफा अर्जित

ज्योतिष और हेल्थ

वैरिकोज वेन्स से बचने के लिए जीवनशैली पर ध्यान देना ज़रूरी-डॉ. शिवराज इंगोले

वैरिकोज वेन्स से बचने के लिए जीवनशैली पर ध्यान देना ज़रूरी-डॉ. शिवराज इंगोले

बच्चों में भी हो सकते हैं टीबी के लक्षण...दो हफ्ते से लगातार आये खांसी तो ना करें नज़रअंदाज

बच्चों में भी हो सकते हैं टीबी के लक्षण...दो हफ्ते से लगातार आये खांसी तो ना करें नज़रअंदाज

आंगनबाड़ियों में बच्चों को मिल रही गर्मा-गर्म पोषण थाली, कोविड-19 के दिशा निर्देशों का हो रहा है पालन

आंगनबाड़ियों में बच्चों को मिल रही गर्मा-गर्म पोषण थाली, कोविड-19 के दिशा निर्देशों का हो रहा है पालन

छत्तीसगढ़ योग आयोग द्वारा चलाई जा रही निःशुल्क योग कक्षाएं...

छत्तीसगढ़ योग आयोग द्वारा चलाई जा रही निःशुल्क योग कक्षाएं...

खेल

ऋषभ पंत भविष्य में टीम इंडिया के बने कप्तान तो नहीं होगी कोई हैरानी :मोहम्मद अजहरूद्दीन

ऋषभ पंत भविष्य में टीम इंडिया के बने कप्तान तो नहीं होगी कोई हैरानी :मोहम्मद अजहरूद्दीन

कोरोना की चपेट में आए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर...

कोरोना की चपेट में आए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर...

दिल्ली कैपिटल्स को बड़ा झटका- IPL 2021 से बाहर हुए श्रेयस अय्यर

दिल्ली कैपिटल्स को बड़ा झटका- IPL 2021 से बाहर हुए श्रेयस अय्यर

पैरा जुडो में छत्तीसगढ़ ने जीता स्वर्ण व रजत पदक, सेवती ध्रुव को मिला 'बेस्ट-फाइटर' अवार्ड

पैरा जुडो में छत्तीसगढ़ ने जीता स्वर्ण व रजत पदक, सेवती ध्रुव को मिला 'बेस्ट-फाइटर' अवार्ड

व्यापार

मर्सिडीज-बेंज ने ए-क्लास लिमोजिन को लॉन्च किया

मर्सिडीज-बेंज ने ए-क्लास लिमोजिन को लॉन्च किया

इंडिगो एयरलाइंस ने लौटाये लॉकडाउन में कैंसिल हुए टिकटों के 1,030 करोड़ रुपये

इंडिगो एयरलाइंस ने लौटाये लॉकडाउन में कैंसिल हुए टिकटों के 1,030 करोड़ रुपये

Flipkart अगले छह महीने में 70 से अधिक शहरों में शुरू करेगी किराना बिजनेस!

Flipkart अगले छह महीने में 70 से अधिक शहरों में शुरू करेगी किराना बिजनेस!

होंडा ने फरवरी में बेचे 4,11,578 टू-व्हीलर, बिक्री 31% बढ़ी

होंडा ने फरवरी में बेचे 4,11,578 टू-व्हीलर, बिक्री 31% बढ़ी

गैजेट्स

MotoG 5G को टक्कर देने के लिए Xiaomi लाने वाली है 15000 रुपए से भी सस्ता 5G स्मार्टफोन!

MotoG 5G को टक्कर देने के लिए Xiaomi लाने वाली है 15000 रुपए से भी सस्ता 5G स्मार्टफोन!

Redmi K30 Ultra पॉप-अप सेल्फी कैमरा के साथ लॉन्च

Redmi K30 Ultra पॉप-अप सेल्फी कैमरा के साथ लॉन्च

Google Pixel 4a हुआ लॉन्च, OnePlus Nord, Samsung Galaxy A51 और A71 को मिलेगी चुनौती

Google Pixel 4a हुआ लॉन्च, OnePlus Nord, Samsung Galaxy A51 और A71 को मिलेगी चुनौती

Samsung ने Galaxy M31s को भारत में किया लॉन्च, 6000एमएएच बैटरी, 8 जीबी रैम और 64एमपी क्वॉड कैमरा

Samsung ने Galaxy M31s को भारत में किया लॉन्च, 6000एमएएच बैटरी, 8 जीबी रैम और 64एमपी क्वॉड कैमरा

राजनीति

Entertainment

बांग्ला फिल्म अभिनेता पार्थ मुखोपाध्याय का निधन

बांग्ला फिल्म अभिनेता पार्थ मुखोपाध्याय का निधन

बीमार मुक्केबाज की मदद को आगे आएं शाहरुख, की पांच लाख रूपये की मदद

बीमार मुक्केबाज की मदद को आगे आएं शाहरुख, की पांच लाख रूपये की मदद

सड़क पर वरुण धवन ने ली सेल्फी, पुलिस ने किया 600 रुपए का जुर्माना

सड़क पर वरुण धवन ने ली सेल्फी, पुलिस ने किया 600 रुपए का जुर्माना

एकता कपूर के स्टूडियो पर चला BMC का बुल्डोजर, करोड़ों का नुकसान

एकता कपूर के स्टूडियो पर चला BMC का बुल्डोजर, करोड़ों का नुकसान

Quick Links

  • होम
  • राष्ट्रीय
  • संपादकीय
  • विश्व
  • मनोरंजन


  • रोजगार
  • राजनीति
  • खेल
  • राजधानी
  • ज्योतिष


  • गैजेट्स
  • फोटो गैलरी
  • वीडियो गैलरी
  • Entertainment
  • संपर्क

Location Map

Contact Us

Address :

Baran Bazar, Favara Chowk, Gowli Para Road, Behind SBI ATM, Raipur (Chhattisgarh) - 492001

Phone No. : 0771-4032133

Email Id : garjachhattisgarh@gmail.com

RNI No. :
CHHHIN16912 GARJA CHHATTISGARH NEWS

Copyright © 2013-2021 Garja Chhattisgarh News All Rights Reserved | Privacy Policy | Disclaimer | Powered by : Softbit Solution