Garja Chhattisgarh News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    वरिष्ठ भाजपा नेता अजय चौहान की माता के निधन से बागपत में शोक की लहर

    वरिष्ठ भाजपा नेता अजय चौहान की माता के निधन से बागपत में शोक की लहर

    ऐतिहासिक रहा सेंट एंजेल्स पब्लिक स्कूल का वार्षिकोत्सव-2023, छात्र-छात्राओं की शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियां...

    ऐतिहासिक रहा सेंट एंजेल्स पब्लिक स्कूल का वार्षिकोत्सव-2023, छात्र-छात्राओं की शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियां...

    संस्कार की पाठशाला के तहत डॉ एमपी सिंह ने सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा का पाठ पढ़ाया

    संस्कार की पाठशाला के तहत डॉ एमपी सिंह ने सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा का पाठ पढ़ाया

    संत रविदास जयंती मनाई गयी।

    संत रविदास जयंती मनाई गयी।

    सीडीएस स्कूल में हुई सीनियर गर्ल्स दौड़ में अंशु ने मारी बाजी

    सीडीएस स्कूल में हुई सीनियर गर्ल्स दौड़ में अंशु ने मारी बाजी

  • छत्तीसगढ़
    जन समर्पण सेवा संस्था ने जरूरतमंदों को भोजन एवं जरूरत की सामग्री वितरण करके मानव सेवा का कार्य किये..

    जन समर्पण सेवा संस्था ने जरूरतमंदों को भोजन एवं जरूरत की सामग्री वितरण करके मानव सेवा का कार्य किये..

    हर्षोल्लास के साथ मनाया गया संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती

    हर्षोल्लास के साथ मनाया गया संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती

    हर्राठेमा मे रेत का अवैध खनन, cm हॉउस का आदमी बता कर दिन रात कर रहे मशीन से खुदाई

    हर्राठेमा मे रेत का अवैध खनन, cm हॉउस का आदमी बता कर दिन रात कर रहे मशीन से खुदाई

    बालोद

    बलोदा बाजार

    बलरामपुर

    बस्तर

    बेमेतरा

    बीजापुर

    बिलासपुर

    दन्तेवाड़ा

    धमतरी

    दुर्ग

    गरियाबंद

    जशपुर

    जान्जगीर-चाम्पा

    कोण्डागांव

    कोरबा

    कोरिया

    कांकेर

    कवर्धा

    महासमुन्द

    मुंगेली

    नारायणपुर

    रायगढ़

    राजनांदगांव

    रायपुर

    सूरजपुर

    सुकमा

    सरगुजा

    गोरेला पेंड्रा मरवाही

    खैरागढ़-छुईखदान-गंडई

    मोहला मानपुर चौकी

    सारंगढ़-बिलाईगढ़

    मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर

    सक्ति

  • संपादकीय
  • विश्व
    पाकिस्तान के पेशावर मस्जिद में भीषण धमाका, नमाज पढ़ रहे थे लोग, 28 की मौत, 150 घायल

    पाकिस्तान के पेशावर मस्जिद में भीषण धमाका, नमाज पढ़ रहे थे लोग, 28 की मौत, 150 घायल

    बांग्लादेश के लोगों की चमकी किस्मत, जमीन से निकला बेशकीमती खाजना;

    बांग्लादेश के लोगों की चमकी किस्मत, जमीन से निकला बेशकीमती खाजना;

    बाढ़ का कहर, कैलिफोर्निया में अब तक 19 लोगों की हुई मौत

    बाढ़ का कहर, कैलिफोर्निया में अब तक 19 लोगों की हुई मौत

    पत्नी ने मांगा तलाक तो पति ने खोया आपा, 5 मासूमों समेत परिवार के 7 लोगों का कत्ल

    पत्नी ने मांगा तलाक तो पति ने खोया आपा, 5 मासूमों समेत परिवार के 7 लोगों का कत्ल

    ईरान में 3.86 लाख पहुंच गई डॉलर की कीमत... सरकार के हाथ-पांव फूले

    ईरान में 3.86 लाख पहुंच गई डॉलर की कीमत... सरकार के हाथ-पांव फूले

  • मनोरंजन
    त्रिदेव फेम सोनम की वापसी, ओए ओए गर्ल सोनम की बॉलीवुड में वापसी

    त्रिदेव फेम सोनम की वापसी, ओए ओए गर्ल सोनम की बॉलीवुड में वापसी

    दीपक मुकुट अपनी आने वाली 3 बड़ी फिल्मों के साथ फिर से करेंगे खुद को साबित...

    दीपक मुकुट अपनी आने वाली 3 बड़ी फिल्मों के साथ फिर से करेंगे खुद को साबित...

    एक-दुजे के हुए अथिया शेट्टी-केएल राहुल, पापा सुनील शेट्टी ने जमकर बांटा मिठाई का डिब्बा...

    एक-दुजे के हुए अथिया शेट्टी-केएल राहुल, पापा सुनील शेट्टी ने जमकर बांटा मिठाई का डिब्बा...

    फरिश्ता बना सोनू सूद,  दुबई से लौटते समय एक यात्री की जान बचाई

    फरिश्ता बना सोनू सूद, दुबई से लौटते समय एक यात्री की जान बचाई

    शूटिंग के दौरान रोहित शेट्टी को लगी चोट, अस्पताल भर्ती

    शूटिंग के दौरान रोहित शेट्टी को लगी चोट, अस्पताल भर्ती

  • रोजगार
    खुशखबरी! नौकरी तलाश कर रहे युवाओं के लिए प्लेसमेंट कैंप का आयोजन...

    खुशखबरी! नौकरी तलाश कर रहे युवाओं के लिए प्लेसमेंट कैंप का आयोजन...

    छत्तीसगढ़ सरकार का युवाओं के हित में बड़ा फैसला,  400 पदों पर होगी सीधी भर्ती...

    छत्तीसगढ़ सरकार का युवाओं के हित में बड़ा फैसला, 400 पदों पर होगी सीधी भर्ती...

    छत्तीसगढ़ रोजगार : आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यकर्ता पद की नियुक्ति हेतु आवेदन आमंत्रित

    छत्तीसगढ़ रोजगार : आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यकर्ता पद की नियुक्ति हेतु आवेदन आमंत्रित

    छ.ग. के युवकों एवं युवतियों को रोजगार हेतु प्लेसमेंट कैम्प के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी...

    छ.ग. के युवकों एवं युवतियों को रोजगार हेतु प्लेसमेंट कैम्प के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी...

    4055 युवाओं ने अग्निवीर बनने दिखाया कौशल

    4055 युवाओं ने अग्निवीर बनने दिखाया कौशल

  • राजनीति
  • खेल
    बड़ी खबर : भारतीय क्रिकेटर ने किया संन्यास का ऐलान, उम्र को लेकर कही यह बात...

    बड़ी खबर : भारतीय क्रिकेटर ने किया संन्यास का ऐलान, उम्र को लेकर कही यह बात...

    ऑल इंडिया सिविल सर्विसेस में सूरजपुर जिले से सोमेश सिंह लामा का चयन...

    ऑल इंडिया सिविल सर्विसेस में सूरजपुर जिले से सोमेश सिंह लामा का चयन...

    Ind vs NZ: अर्शदीप सिंह को लगेगा तगड़ा झटका, टीम इंडिया से दिखाया जाएगा बाहर का रास्ता

    Ind vs NZ: अर्शदीप सिंह को लगेगा तगड़ा झटका, टीम इंडिया से दिखाया जाएगा बाहर का रास्ता

    भारत और न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों का रायपुर में जोरदार स्वागत...

    भारत और न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों का रायपुर में जोरदार स्वागत...

    क्रिकेट के अलावा बाकी खेलों को भी मिले बढ़ावा...  रामविचार नेताम

    क्रिकेट के अलावा बाकी खेलों को भी मिले बढ़ावा... रामविचार नेताम

  • राजधानी
    केंद्रीय बजट के खिलाफ काला दिवस मनाएगी किसान सभा

    केंद्रीय बजट के खिलाफ काला दिवस मनाएगी किसान सभा

    गुरु परिवार के भक्तों ने जगतगुरु शँकराचार्य स्वामी जी से आश्रम में भेंट, दर्शन कर आशीर्वाद लिये

    गुरु परिवार के भक्तों ने जगतगुरु शँकराचार्य स्वामी जी से आश्रम में भेंट, दर्शन कर आशीर्वाद लिये

    छत्तीसगढ़ कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन की मेजबानी 24 से 26 फरवरी तक रायपुर मे

    छत्तीसगढ़ कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन की मेजबानी 24 से 26 फरवरी तक रायपुर मे

    पूर्ववर्ती जिला सहकारी कृषि एवं विकास बैंक द्वारा वितरित कालातीत ऋणो के लिए एकमुश्त समझौता योजना लागू

    पूर्ववर्ती जिला सहकारी कृषि एवं विकास बैंक द्वारा वितरित कालातीत ऋणो के लिए एकमुश्त समझौता योजना लागू

    अब बुढ़ा तालाब की जगह नवा रायपुर राज्योत्सव मैदान के सामने होंगे धरना -प्रदर्शन : प्रशासन ने तय की जगह

    अब बुढ़ा तालाब की जगह नवा रायपुर राज्योत्सव मैदान के सामने होंगे धरना -प्रदर्शन : प्रशासन ने तय की जगह

  • ज्योतिष
    जागरूकता से कैंसर पर काबू पाना संभव - डा विभाष राजपूत

    जागरूकता से कैंसर पर काबू पाना संभव - डा विभाष राजपूत

    जागरूकता और उचित खानपान से बचा जा सकता है कैंसर से - डॉ एमपी सिंह

    जागरूकता और उचित खानपान से बचा जा सकता है कैंसर से - डॉ एमपी सिंह

    तुलसी पूजा के चमत्कारिक लाभ... आपको पता होना चाहिए

    तुलसी पूजा के चमत्कारिक लाभ... आपको पता होना चाहिए

    शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का भंडार हैं ये खाद्य-पदार्थ

    शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का भंडार हैं ये खाद्य-पदार्थ

    सभी बीमारियों का इलाज रसोई घर में उपलब्ध है -डॉ हृदयेश कुमार

    सभी बीमारियों का इलाज रसोई घर में उपलब्ध है -डॉ हृदयेश कुमार

  • गैजेट्स
    भारत में लॉन्च हुआ OnePlus 10T 19 मिनट में होगा चार्ज...

    भारत में लॉन्च हुआ OnePlus 10T 19 मिनट में होगा चार्ज...

    बम की तरह फटा OnePlus Nord 2 स्मार्टफोन, कंपनी ने शुरू की जांच

    बम की तरह फटा OnePlus Nord 2 स्मार्टफोन, कंपनी ने शुरू की जांच

    MotoG 5G को टक्कर देने के लिए Xiaomi लाने वाली है 15000 रुपए से भी सस्ता 5G स्मार्टफोन!

    MotoG 5G को टक्कर देने के लिए Xiaomi लाने वाली है 15000 रुपए से भी सस्ता 5G स्मार्टफोन!

    Redmi K30 Ultra पॉप-अप सेल्फी कैमरा के साथ लॉन्च

    Redmi K30 Ultra पॉप-अप सेल्फी कैमरा के साथ लॉन्च

    Google Pixel 4a हुआ लॉन्च, OnePlus Nord, Samsung Galaxy A51 और A71 को मिलेगी चुनौती

    Google Pixel 4a हुआ लॉन्च, OnePlus Nord, Samsung Galaxy A51 और A71 को मिलेगी चुनौती

  • संपर्क

ज्योतिष और हेल्थ

Previous1234567891011Next

गुटका, पान, तंबाकू कैंसर ही नहीं बल्कि नपुंसकता का भी कारक है... डॉ. एमपी सिंह

Posted on :29-Aug-2022
गुटका, पान, तंबाकू कैंसर ही नहीं बल्कि नपुंसकता का भी कारक है...  डॉ. एमपी सिंह

एकलव्य इंस्टिट्यूट में कैंसर जागरूकता कार्यक्रम संपन्न - डॉ एमपी सिंह 

No description available.

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट की तरफ से एकलव्य इंस्टिट्यूट में कैंसर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया  जिसमें देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि गुटका पान तंबाकू कैंसर ही नहीं बल्कि नपुंसकता का भी कारक है इसलिए हमें गुटका पान तंबाकू नहीं खाना चाहिए 

डॉ एमपी सिंह ने कहा कि यह एक धीमा जहर है जो धीरे-धीरे आप के सभी अंगों को नुकसान पहुंचाता है अगर आप इस नशे के शौकीन हैं तो बिल्कुल छोड़ दें क्योंकि पहले इसका प्रयोग घोड़े के पेट में कीड़ों को मारने के लिए किया जाता था लेकिन आज अधिकतर भारतीय लोग अपने गम को कम करने और दूसरों को नीचा दिखाने के लिए इसका प्रयोग कर रहे हैं इसके सेवन से प्रतिवर्ष लगभग एक लाख लोग मारे जा रहे हैं

 डॉ एमपी सिंह ने कहा कि इसके सेवन से मुंह गला कंठ नली खाद्य नली पेनक्रियाज फेफड़ा गुर्दा और मूत्राशय का कैंसर हो जाता है 

सांस लेने में तकलीफ होती है 
पुरुषों में नपुंसकता आ जाती है
 महिलाओं में जनन क्षमता में कमी हो जाती है
 आंखों के पास झुर्रियां पढ़ जाती हैं
 सांस में बदबू आने लगती है
 घर में धूम्रपान करने से बच्चों में निमोनिया और अस्थमा हो जाता है
 एक सिगरेट पीने से 14 मिनट उम्र घट जाती है
 दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है 
सामान्य व्यक्ति की तुलना में 60 फ़ीसदी अधिक बीमारी का खतरा बढ़ जाता है 
ब्रेन हेमरेज हो सकता है
 लकवा मार सकता है
 हृदय आघात हो सकता है 
उक्त रक्तचाप और अल्सर हो सकता है 
हड्डियां कमजोर हो जाती हैं
 रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिसकी वजह से बार-बार संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अधिकतर लोग तंबाकू खाने की वजह से इधर उधर थूकते रहते हैं जबकि सार्वजनिक स्थानों पर थूकना मना होता है और ₹500 से लेकर ₹2000 तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है कई बार बेज्जती को भी सहन करना होता है अधिकतर घरों में इसको पसंद नहीं किया जाता है इसकी वजह से घर में कल है और क्लेश रहता है जिसकी वजह से कुछ लोग इससे छुटकारा भी पाना चाहते हैं 

छुटकारा पाने के लिए डॉ एमपी सिंह ने टिप्स देते हुए कहा कि अजवाइन और सौंफ को तवे पर थोड़ा भून कर सेंधा नमक और काली मिर्च अपने स्वाद के अनुसार मिलाकर बार-बर खाते रहना चाहिए इससे आप का पाचन तंत्र ठीक हो जाता है और शरीर का खून भी साफ हो जाता है 
 मिश्री लॉन्ग दालचीनी आदि के प्रयोग से भी लत छूट जाती है 
इसमें धीरे-धीरे घुट घुट कर क पानी  पीना चाहिए
 योग व मेडिटेशन करना चाहिए
 किसी ऐसे व्यक्ति के पास चला जाना चाहिए जो तंबाकू गुटका का  उपयोग नहीं करते हैं 
विल पावर को स्ट्रांग करना चाहिए

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि भारत में चौंकाने वाले आंकड़े हैं इसमें 50% पुरुष और 20% महिलाएं कैंसर की शिकार हैं जिसमें से 90% मुंह का कैंसर और 90% फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान के कारण है
 धूम्रपान करने और तंबाकू खाने की वजह से मसूड़े क्षतिगस्त हो जाते हैं 
 दांत काले होने के साथ-साथ टूटने लगते हैं
 बैक्टीरिया व वायरस मुंह के अंदर जाकर गंभीर रोग पैदा कर देते हैं 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि पान मसाला एवं गुटखा व्यक्ति विशेष के लिए नहीं बल्कि सरकार के लिए भी नुकसानदायक है क्योंकि इन उत्पादों से सरकार को जो आए होती है उससे 3 गुना ज्यादा सरकार का कैंसर रोगियों पर खर्चा  हो जाता है इसलिए सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिए

Read More

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन

Posted on :25-Aug-2022
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन

डॉ राजेश पैकरा जिला नोडल अधिकारी (मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम) के मार्गदर्शन में  सचिन  मातुरकर साइकोलॉजिस्ट  ,नंदकिशोर वर्मा सीनियर नर्सिंग ऑफिसर, प्रियंका मण्डल सोशल वर्कर ,  मनोज कुमार नर्सिंग ऑफिसर  के द्वारा स्नेह संबल वृद्धाआश्रम में मासिक स्वास्थ शिविर का आयोजन किया गया।आश्रम में आश्रय ले रहें वृद्धजनों का मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण करके काउंसलिंग किया गया।एवं मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी दी गई।

Read More

स्तनपान शिशु के लिए है सर्वोत्तम आहार

Posted on :01-Aug-2022
स्तनपान शिशु के लिए है सर्वोत्तम आहार

रायपुर : शिशु के लिए स्तनपान सर्वोत्तम आहार तो है, साथ ही शिशु को स्तनपान कराना उसका मौलिक अधिकार भी है। माँ का पहला, पीला, गाड़ा दूध पौष्टिकता से भरपूर होता है जिसमें रोग प्रतिरोधक शक्ति होती है जो शिशुओं को जीवन भर कई रोगों से बचाता है । इस दूध यानि `कोलोस्ट्रोम’ को पहला टीका भी कहा जाता है ।  

स्तनपान करने वाले बच्चों में मानसिक और शारीरिक वृद्धि उन बच्चों की अपेक्षा अधिक देखी जाती है जिन्हें मां का दूध कम  समय के लिए मिलता है। छह माह तक केवल माँ का दूध ही बच्चों की ज़रुरत को पूरा करता है। इस अवधी में बच्चे को कोई और भी चीज़, यानि पानी तक भी नहीं देना चाहिए। छह माह के बाद माँ के दूध के साथ शिशु को पूरक आहार भी देना चाहिए। इसीलिए सरकार शिशुओं को स्तनपान करवाने पर जोर दे रही है।   

माँ के दूध के गुणों के बारे में जानकारी देना और समुदाय में माँ के दूध के महत्व देने के लिए हर वर्ष अगस्त के पहले सप्ताह को विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इस बार विश्व स्तनपान सप्ताह  की थीम "स्तनपान के लिए एक कदम बढ़ाएं और लोगों को इसके लिए शिक्षित और सहयोग करें'' रखी गई है।

इस सम्बन्ध में उप संचालक शिशु स्वास्थ्य एवं राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. विश्वनाथ भगत ने बताया  जिन शिशुओं को जन्म  के 1 घंटे के भीतर स्तनपान नहीं कराया जाता उनमें मृत्यु का जोखिम अधिक होता है। इसलिए जन्म के प्रथम एक घंटे के भीतर ही शिशु को मां का पहला पीला गाढ़ा दूध अवश्य पिलाना चाहिये एवं छः माह तक की आयु तक शिशु को केवल और केवल स्तनपान कराना चाहिए। इस दौरान बच्चे को पानी पिलाने की भी आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि मां के दूध में आवश्यकतानुसार पर्याप्त पानी होता है । “

स्तनपान के यह भी हैं फायदे

स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन कैंसर का जोखिम भी कम रहता है । विभिन्न शोधों से यह स्पष्ट हो चुका है कि स्तनपान न केवल शिशुओं को बल्कि माताओं को भी कई रोगों से बचाता है। शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी को दृष्टिगत रखते हुए स्तनपान अत्यंत आवश्यक है।

मां (MAA) कार्यक्रम स्तनपान को देता है बढ़ावा

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए (MAA--- Mother’s Absolute Affection) मां कार्यक्रम की शुरुआत की थी । डॉ. भगत कहते है: ‘’मां’’ कार्यक्रम के अंतर्गत सभी चिकित्सा इकाइयों को बेबी फ्रेंडली बनाने का प्रयास किया जा रहा है । इस कार्यक्रम के माध्यम से स्तनपान को प्रोत्साहन देने के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी नियमित रूप से मां और समुदाय के संपर्क में रह रहे हैं जिससे गर्भवती महिला और जन्म के समय से 2 साल तक के बच्चों को नियमित रूप से स्तनपान मिलता रहे। स्वास्थ्य केंद्रों में होने वाले प्रसव में चिकित्सक, स्टाफ नर्स, एलएचवी और एएनएम सभी के द्वारा नवजात को जन्म के एक घंटे के भीतर हर हाल में स्तनपान शुरू कराने के लिए माता विशेष रूप से सहयोग एवं परामर्श दिया जा रहा है”।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल ने कहा: ‘‘मां का दूध शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। माँ के दूध को पहला टीका भी कहा जाता है। यह खुद में संपूर्ण आहार है छः माह तक यह शिशु को डायरिया, निमोनिया और कुपोषण से बचाने के लिए आवश्यक है।’’ 

उन्होंने आगे बताया स्तनपान सप्ताह के दौरान आंगनबाड़ी और ग्राम स्तर पर नारे लेखन, वॉल रायटिंग, पोस्टर-बैनर के माध्यम से स्तनपान से संबंधित महत्वपूर्ण संदेशों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा और जनजागरूकता के लिए छोटे समूहों में प्रश्नोत्तरी का अयोजन होगा। इस दौरान एक वर्ष से छोटे शिशुओं के पोषण स्तर का आकलन किया जाएगा और टीके लगाए जाएंगे। गृह भेंट कर माताओं को स्तनपान, शिशुओं के उचित पोषण, समुचित देखभाल और स्वास्थ्य संबंधित जानकारी भी दी जाएगी।

यह हैं छत्तीसगढ़ के स्तनपान से सम्बंधित आंकड़े

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 के अनुसार छत्तीसगढ़ में जन्म से 1 घंटे के अंदर स्तनपान की दर शहरी क्षेत्र में 30.0 प्रतिशत है और ग्रामीण क्षेत्रों में स्तनपान की दर 32.8 है  वहीँ प्रदेश में कुल स्तनपान की दर 32.2 प्रतिशत है। इस दर को बढ़ाने के लिए चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी और समुदाय हर स्तर पर सामूहिक प्रयास किये जा रहे है।  इसी क्रम में स्तनपान के व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए स्तनपान सप्ताह भी आयोजित किया जाता है ।

Read More

विश्व हेपेटाइटिस दिवस - हेपेटाइटिस आमतौर पर गंदे पानी व भोजन के सेवन से होता है : डॉ. पंकज अग्रवाल

Posted on :30-Jul-2022
विश्व हेपेटाइटिस दिवस - हेपेटाइटिस आमतौर पर गंदे पानी व भोजन के सेवन से होता है : डॉ. पंकज अग्रवाल

No description available.

विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर आशीर्वाद अस्पताल श्याम कॉलोनी 33 फुट रोड पर 

डा. पंकज अग्रवाल ने अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के साथ आमजन को जागरूक।

फरीदाबाद : अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्टिय अध्यक्ष डा. एम पी सिंह  ने विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि हेपेटाइटिस का मतलब उस अंग में सूजन होना होता है जो पोषक तत्वों को प्रोसेस करता है, खून को फिल्टर करता है, और संक्रमण से लड़ता है। यानी यह अंग लीवर है व लीवर में होने वाली सूजन को हेपेटाइटिस कहते हैं। जब लीवर में सूजन या डैमेज होता है, तो लीवर का कार्य प्रभावित हो सकता है। ज्यादा शराब पीने, विषाक्त पदार्थ, कुछ दवाएं और कुछ चिकित्सीय स्थितियां हेपेटाइटिस की समस्या को जन्म देती है।

उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस आमतौर पर गंदे पानी व भोजन के सेवन होना शुरू होता है। हेपेटाइटिस - ए, ई के इन्फेक्शन की शुरुआत दूषित जल और दूषित भोजन से होती है। इसके अलावा खुले में शौच, हाथ न धोना और सीवर आदि की सफाई करने वाले लोगों में हेपेटाइटिस तेज़ी से फैलना शुरू होता है। वहीं हेपेटाइटिस-बी और सी संक्रमित व्यक्ति को लगाए गए इंजेक्शन को दोबारा किसी व्यक्ति में लगा देने से होती है। हेपेटाइटिस-बी से संक्रमित मरीज़ का खून किसी दूसरे व्यक्ति को चढ़ा देने से भी संक्रमण फैल सकता है।हेपेटाइटिस-बी और सी संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध बनाने से भी फैल सकता है। हेपेटाइटिस से संक्रमित होने पर सबसे पहले मरीज के लिवर में खराबी होना शुरू होती है ।

आशीर्वाद अस्पताल से डॉ. पंकज अग्रवाल 
 ने बताया कि संक्रमण की शुरुआत होने पर मरीज के लिवर में सूजन शुरू होती है और धीरे-धीरे लिवर खराब होने लगता है। डॉ. महेश ने कहा कि इस तरह का कोई भी लक्षण अगर शरीर में दिखाई दे तो मरीज को लापरवाही नहीं करनी चाहिए तुरंत डॉक्टर के पास जाकर सलाह लेनी चाहिए। वहीं दूसरी ओर इस डर से बाहर निकलने के लिए अगर कुछ व्यक्तिगत तौर पर सावधानियां बरती जाए तो इन सभी समस्याओं से छुटकारा भी पाया जा सकता है, जैसे बाहरी वस्तुओं के खानपान पर प्रतिबंध एवं ठंडे पेय पदार्थों का सेवन ना किया जाए तो इन समस्याओं से काफी हद तक बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ शरीर मनुष्य का सबसे सुंदर गहना होता है, लेकिन आजकल की युवा पीढ़ी इस बात को समझने में असमर्थ है और उनका ध्यान बाहरी फास्ट फूड पर ज्यादा रहता है यही कारण है कि आजकल युवा पीढ़ी में अनेक बीमारियां देखने को मिल रही है ।

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार सिह ने बताया कि हम लोग ट्रस्ट के माध्यम से आशीर्वाद अस्पताल के साथ मिलकर आगे भी समाज के लिए कार्य करते रहेंगे यहां पर सभी स्टाफ़ का आम लोगो के लिए बहुत ही अच्छा ब्यवहार और आप यहां पर किसी भी तरह के इलाज के लिये आ सकते हैं

Read More

वर्ल्ड हैड नेक कैंसर डे विशेष- बदलती जीवनशैली में बदलाव हैड नेक कैंसर का बड़ा कारण : डॉ.सिंघल

Posted on :27-Jul-2022
वर्ल्ड हैड नेक कैंसर डे विशेष- बदलती जीवनशैली में बदलाव हैड नेक कैंसर का बड़ा कारण : डॉ.सिंघल

जयपुर : हमारी बदलती जीवनशैली के साथ मदिरा, तंबाकू उत्पादों का सेवन हैड नेक कैंसर का बड़ा कारण है। अकेले तंबाकू व अन्य धूम्ररहित चबाने वाले पदार्थों के सेवन से ही देशभर में प्रतिवर्ष 13.5 लाख से अधिक लोग तंबाकू से होने वाली बीमारियों से दम तोड़ रहें है। वहीं राजस्थान में करीब 65 हजार लोगों की मौत हो जाती है। इसमें युवा अवस्था में होने वाली मौतों का कारण भी मुंह व गले का कैंसर मुख्य है। हालांकि पूरी दुनियाभर में 27 जुलाई के दिन ही वर्ल्ड हैड नेक कैंसर डे आज ही के दिन मनाया जा रहा है।

वर्ल्ड हैड नेक कैंसर डे के अवसर पर कैंसर रोग विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि 21 वीं शताब्दी तक तम्बाकू के उपयोग के कारण अरबों मौतें होंगी। यदि कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ तो इन मौतों में 80 प्रतिशत मौतें विकासशील देशों में होगी। विशेषज्ञों ने विश्व सिर एवं गला कैंसर दिवस के अवसर पर लोगों से शराब, तंबाकू उत्पादों से दूर रहने की अपील करते हुए यह आशंका जताई और कहा कि कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू सेवन है।

सवाई मानसिंह चिकित्सालय जयपुर के कान नाक गला विभाग आचार्य डॉ.पवन सिंघल बतातें है कि इलाज के 12 महीने के भीतर नए निदान किए गए सिर और गला कैंसर के लगभग आधे मरीज नहीं बच पाते। दो तिहाई सिर और गला का कैंसर तम्बाकू के कारण होता है। भारत में प्रतिवर्ष 2.1 लाख हैड नेक कैंसर के नए रोगी आ रहे है। वहीं यह आंकड़ा पुरुषों में 76 प्रतिशत और महिलाओं में 24 प्रतिशत है।

राजस्थान में भी स्थिति चिंताजनक
(GATS 2017) ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे, 2017 के अनुसार राजस्थान में वर्तमान में 24.7 प्रतिशत लोग (5 में से 2 पुरुष, 10 में से 1 महिला यूजर) किसी न किसी रूप में तंबाकू उत्पादों का उपयोग करते है। जिसमें 13.2 प्रतिशत लोग धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन करते है, जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष, 3.7 प्रतिशत महिलाएं शामिल है। यहाँ पर 14.1 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करते है, जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष व 5.8 प्रतिशत महिलाएं शामिल है।

हेड एंड नेक कैंसर भारत में कैंसर का सबसे बड़ा स्रोत
डा.सिंघल ने कहा सिर एवं गला कैंसर, मुंह, कंठनली, गले या नाक में होता है। हेड एंड नेक कैंसर भारत में कैंसर का सबसे बड़ा स्रोत हैं। निदान के 12 महीने के भीतर नए निदान किए गए सिर एवं गला कैंसर कैंसर के लगभग आधे मरीज मर जाते हैं। विरोधाभासी रूप से, दो-तिहाई सिर एवं गला कैंसर के ज्ञात एजेंटों में तंबाकू, अरेका अखरोट और शराब से संबंधित हैं। दुर्भाग्यवश, ये कारक एजेंट कमजोर नीति या कार्यान्वयन या इसकी अनुपस्थिति के कारण स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हैं।

उन्होंने बताया कि भारत में चबाने वाले तंबाकू से धूम्रपान की तुलना की जाती है। 90 प्रतिशत मुंह और गले के कैंसर का कारण तंबाकू का उपयोग है। भारत में दुनिया में चबाने वाली तंबाकू की सबसे अधिक खपत के कारण बदनाम है। यह लत के लिए सस्ता और आसानी से उपलब्ध है और पिछले दो दशकों में इसकी बढ़ती खपत से मुंह के कैंसर में खतरनाक ढंग से वृद्धि हुई है।

उन्होने बताया कि वर्तमान समय में स्थिति बहुत ही चिंताजनक होती जा रही है, हमें कैंसर को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए, खासतौर पर जो रोकथाम योग्य हैं। स्वस्थ समाज के लिए सभी निवारक उपायों के लिए हमारा ध्यान युवाओं पर होना चाहिए। तंबाकू के उपयोग के कारण हर साल भारत में 13.5 लाख लोग प्रतिवर्ष मर रहे हैं जो कैंसर का एक प्रमुख कारण है।

गौरतलब है कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017-18 के अनुसार, तम्बाकू की खपत के कुल प्रसार का 28.6 प्रतिशत में भारत में 21.4 प्रतिशत चबाने वाले तंबाकू का उपयोग होता है जबकि 10.7 प्रतिशत धूम्रपान सिगरेट और बिड़ी का।

भारत सरकार ने गुटका, स्वाद, पैकिंग चबाने वाले तंबाकू पर प्रतिबंध लगाकर ऐतिहासिक निर्णय लिया है। वास्तव में, 23 सितंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार भारत में जुड़वां पैक सहित धुएं रहित तम्बाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

सुखम फाउंडेशन ने केंद्र व राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश सहित देशभर में शराब, सुगंधित व फलेवर्ड सुपारी को बैन करने की मांग की है। इसके बैन होने पर इससे होने वाली मौतों में कमी आ सकेगी।


अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें
डॉ.पवन सिंघल
9414043435

Read More

निजी पैथालॉजी लैब में डेंगू के जांच में मिलेगी 100 रुपए की छूट

Posted on :23-Jul-2022
निजी पैथालॉजी लैब में डेंगू के जांच में मिलेगी 100 रुपए की छूट

जय प्रकाश ठाकुर 

जिला प्रशासन की अपील पर लैब संचालकों ने किया छूट का किया वादा

जगदलपुर : डेंगू की जांच के लिए निजी पैथॉलॉजी लैब में 100 रुपए की छूट प्रदान की जाएगी। आज जिला कार्यालय के आस्था कक्ष में कलेक्टर श्री चंदन कुमार के निर्देश पर अपर कलेक्टर श्री दिनेश नाग की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में निजी पैथॉलॉजी लैब संचालकों द्वारा इसका वादा किया गया। बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आरके चतुर्वेदी सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे।

बैठक में अपर कलेक्टर श्री दिनेश नाग ने कहा कि डेंगू के संक्रमण को देखते हुए व्यवसायिक दृष्टिकोण की अपेक्षा मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाना उचित होगा। कोविड संक्रमण के दौरान भी निजी चिकित्सालयों तथा पैथॉलॉजी लैब द्वारा मानवीय दृष्टिकोण के साथ कार्य किया गया था, जिसकी सराहना सभी के द्वारा की गई है। जिला प्रशासन की अपील पर डेंगू संक्रमण के दौरान किट के माध्यम से किए जाने वाले प्रत्येक जांच पर 100 रुपए की छूट प्रदान करने का वचन दिया गया।
 

Read More

मौसम में हो रहे बदलाव से हो सकता है मौसमी बुखार

Posted on :16-Jul-2022
मौसम में हो रहे बदलाव से हो सकता है मौसमी बुखार

GCN

सामान्य सर्दी खांसी के लक्षणों को न करें नज़रअंदाज़

बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने खिलाएं पोषणयुक्त आहार

रायपुर : मौसम में हो रहे बदलाव के चलते सर्दी-बुखार का होना सामान्य बात है। लगातार बारिश और उसके बाद होने वाली तेज धूप के चलते वातावरण वायरस के फैलाव के अनुकूल हो जाता है। ऐसे में हुए बुखार को वायरल बुखार या मौसमी बुखार कहा जाता है। भले ही इस तरह के बुखार चार से छह दिनों में स्वयं ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन इससे होने वाली कमजोरी और अन्य समस्याओं का असर कई दिनों तक बना रहता है। मौसम में बदलाव के आते ही इस तरह के बुखार का होना बहुत सामान्य होता है, किन्तु इसे नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

संचालक, महामारी नियंत्रण डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि इस समय सर्दी-खांसी, जुकाम को बढ़ाने वाले इस्पेटरी वायरस, एडिनो, सिनसाइटल आदि वायरस ज्यादा सक्रिय हैं। यह वायरस तभी सक्रिय होते हैं, जब आर्द्रता अधिक होती है। पानी गिरने के बाद निकली धूप वायरस को अधिक अनुकूल मौसम प्रदान करती है। ऐसी स्थिति में वातावरण में मौजूद यह वायरस लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। डॉ. मिश्रा ने बच्चों को इनसे बचाने के लिए उन्हें गंदगी से दूर रखने, बार-बार भीगने से बचाने की सलाह दी है। उन्होंने बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पोषणयुक्त भोजन खिलाने कहा है।

क्यों होता है वायरल फीवर?
मौसम में बदलाव होने के साथ ही हमारे वातावरण में कई प्रकार के वायरस तेजी से बढ़ने शुरू हो जाते हैं। जिन लोगों की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उनका शरीर इन वायरस से मुकाबला नहीं कर पाता है। लिहाजा उन्हें बुखार और सर्दी-जुकाम जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। बुखार होना एक तरह की सुरक्षात्मक क्रिया है। जब आप किसी वायरस के संपर्क में आते हैं तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर का तापमान बढ़ा देती है ताकि वायरस का प्रभाव कम हो जाए।

वायरल बुखार के क्या लक्षण होते हैं ?
वायरल बुखार में सामान्यतः सिरदर्द, बदन दर्द, बुखार का लंबे समय तक बने रहना और दवाओं के प्रयोग से भी बुखार कम न होना प्रमुख है। बुखार के कुछ और लक्षण हैं जैसे जोड़ों में दर्द होना, शरीर में दाने निकलना, चेहरा फूल जाना और उल्टियां होना। इस तरह का कोई भी लक्षण दिखाई दे तो फौरन अपने डॉक्टर के पास जाएं। अगर बुखार हो गया है तो पूरी तरह आराम करें। जब तक ठीक नहीं हो जाते, गर्म और तरल भोजन जैसे सूप और 

खिचड़ी खाएं।
बीमार होने पर बिना डॉक्टर के परामर्श के स्वयं एंटीबायोटिक दवा और दर्द दूर करने वाली दवाएं न लें। एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरियां को दूर करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं, वायरस दूर करने के लिए नहीं। ऐसी दवाएं एसिडिटी और पेट की बीमारियों को आमंत्रित करती हैं। बीमारी से बेहतर महसूस करने के बावजूद डॉक्टर द्वारा दी गई दवा का कोर्स पूरा करना चाहिए। दवा के कोर्स के बीच में ही एंटीबायोटिक्स लेना बंद कर देने पर बैक्टीरिया प्रतिरोधी क्षमता विकसित नहीं हो पाती। इससे आपके और आसपास के लोगों के एक बार फिर बीमारी से ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है।

वायरल फीवर से कैसे करें बचाव
उचित खान-पान व नियंत्रित जीवन-शैली से वायरल फीवर कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन इससे होने वाली समस्याओं को ठीक करने के लिए डॉक्टर कुछ दर्द निवारक और एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। वायरल फीवर में शरीर को ज्यादा से ज्यादा आराम दें। अगर गले में खराश या दर्द है तो हल्के गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करना काफी फायदेमंद होता है। गले के दर्द को ठीक करने के लिए हल्के गर्म पानी में शहद और 

नमक डालकर भी गरारे कर सकते हैं।
बैक्टीरिया से रोकथाम के लिए आवश्यक है कि कीटाणुनाशक लिक्विड हैंडवॉश या साबुन से हाथ बार-बार धोएं। भीड़-भाड़ से दूर रहें और बिना हाथ धोए अपना चेहरा, मुंह और नाक छूने से बचें। बरसात के मौसम में बाहर का कुछ भी तला-भूना खाने से बचें। वायरल बुखार होने पर जब भी खांसी, जम्हाई या छींक आए तो मुंह रुमाल से ढंक लें। शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ही अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र से संपर्क कर डॉक्टर की सलाह लेंवे।

Read More

मोबाइल के नशे से बच्चों का बचाव, चुनौतियां और समाधान

Posted on :11-Jul-2022
मोबाइल के नशे से बच्चों का बचाव, चुनौतियां और समाधान

रायपुर : बच्चों में नशे की बढ़ती आदतें न सिर्फ उनसे उनका बचपन छीन रही हैं, बल्कि उनका जीवन भी छीन रही हैं। नयी जीवन शैली में बहुत कुछ ऐसी चीजें शामिल होती जा रही हैं, जो सुविधाएं देने के साथ-साथ नये खतरे भी निर्मित कर रही हैं। इन्हीं में से एक मोबाइल फोन भी है। विगत कुछ वर्षों में स्मार्ट फोन का प्रयोग काफी बढ़ा है। कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाईन शिक्षा व्यवस्था के कारण मोबाइल के उपयोग से बच्चे और अधिक परिचित हो गये हैं। बच्चे पिछले कुछ समय में जाने अन्जाने में ही मोबाइल के नशे के शिकार हो गये हैं। कुछ माता-पिता अपने बच्चों को खाना खिलाते समय बहलाने के लिए या अन्य कार्यों में व्यस्त होने पर बच्चों के हाथों में मोबाइल थमा देते हैं। जहाँ एक ओर मोबाइल के सदुपयोग से होने वाले कतिपय लाभ से इंकार नहीं किया जा सकता, वहीं दूसरी ओर सीमा से अधिक उपयोग के कारण मोबाइल की लत लग जाने से बच्चों में कुछ गंभीर परिणाम दिखाई दे रहे हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार ने बच्चों को नशे की आदत से बचाव को गंभीरता से लिया है। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा लगातार पाम्पलेट, कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है, वहीं बच्चों को नशे की लत से दूर करने प्रभावी उपायों के लिए विचार-मंथन किया जा रहा है। इसी कड़ी में बीते दिनों मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में ‘बच्चों का नशे की आदत से बचाव चुनौतियां व समाधान’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री ने यहां छत्तीसगढ़ में बच्चों के स्वस्थ्य और समुचित विकास के लिए प्रतिबद्धता दिखाई और नशे के खिलाफ अभियान को विस्तार देने की बात कही। मुख्यमंत्री नशे के प्रति जागरूकता बनाने ब्रोशर और ‘लइका मन के गोठ’ पुस्तिका भी लोगों के समक्ष लेकर आए।

मोबाइल के लगातार प्रयोग व नशे के दुष्परिणाम

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार मोबाइल के विद्युत चुम्बकीय विकिरण के कारण मस्तिष्क की गतिविधियों में सुस्ती, निष्क्रियता आती है और बच्चों का व्यवहार विचलित दिखाई देता है। बच्चों की प्राकृतिक दिनचर्या में बदलाव आ जाता है। जैसे कि बच्चे सुबह उठकर काफी समय मोबाइल देखने में व्यतीत कर देते हैं, जबकि उस समय उनसे नित्यकर्म जैसे मंजन, स्नान आदि करने की अपेक्षा होती है। बच्चों की शारीरिक रूप से कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है क्योंकि वे मोबाइल पकड़कर एक स्थान पर बैठे रहते हैं। देर रात तक मोबाइल देखने के कारण नींद पूरी नहीं होती है और उनमें चिड़चिड़ापन आता है व अशांत स्वभाव बढ़ता है।

मोबाइल के ज्यादा उपयोग से बच्चे अवास्तविक दुनिया अर्थात् वर्चुअल दुनिया में रहने लगते हैं। मोबाइल के माध्यम से अनावश्यक चैटिंग करने, व्हाट्सएप्प की टिप्पणियाँ पढ़ने आदि से समय तो बर्बाद होता ही है साथ ही बच्चे भ्रामक जानकारी से भी अपने मस्तिष्क को दूषित कर लेते हैं। मोबाइल से बच्चों के हाथ और मस्तिष्क के बीच का संबंध प्रभावित होता है। इससे कई बच्चों में पेन या पेन्सिल से लेखन की क्षमता की कमी भी देखी गई है। मोबाइल देखते हुए एक ही स्थान पर बैठे रहने से शारीरिक प्रगति बाधित होती है। इससे बच्चों में मोटापे की बढ़ती समस्या सामने आ सकती है। मोबाइल में व्यस्त रहने से बच्चों की सामाजिक जीवन शैली प्रभावित होती है और वे आस पड़ोस में घूमना, समूह गतिविधियाँ या सामूहिक रूप से त्यौहार मनाने को नापसंद करने लगते हैं। यहाँ तक कि घर से बाहर जाना भी उन्हें पसंद नहीं आता है। बच्चों में पुस्तकों के अध्ययन के प्रति रुचि कम हो रही है।

मोबाइल की लत से बचाने के उपाय

यह ध्यान रखना जरूरी है कि मोबाइल की लत से बच्चों को बचाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी और भूमिका माता-पिता की तो है ही साथ ही परिवार के सभी सदस्यों की भी है। बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार खिलौना दें और मोबाइल के प्रयोग को बढ़ावा न दें।  बच्चों के साथ बातचीत करने में समय अवश्य दें जब भी अवसर मिले टेलीविजन बंद करें और मोबाइल अलग रखवाकर आमने-सामने हल्का फुल्का हास्यभरा वार्तालाप करें।

बच्चों को घर में अधिक से अधिक शारीरिक गतिविधियों में शामिल करें, जैसे त्यौहारों पर घर की सजावट, अवकाश के दिन साफ-सफाई, दैनिक कार्यों में शामिल करना आदि। बच्चों के लिए समय सारणी बनायें और मोबाइल का उपयोग धीरे-धीरे कम करवाएँ। सामने से वार्तालाप करते समय मोबाइल को बंद करवाने की आदत डालें। दिन में कम से कम एक घण्टा अन्य बच्चों के साथ बाहरी खेलकूद में देने के लिए नियत करें और बच्चों को उस समय शारीरिक एवं बाहरी खेलकूद में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें, जिससे उनका मस्तिष्क उतने समय के लिए मोबाइल से दूर होगा और वे बाहरी वातावरण के आनंद को महसूस कर सकेंगे।

घर के भीतर शतरंज, साँप सीढ़ी, लूडो जैसे खेलों को खेलने के लिए प्रेरित करें। उनके साथ माता-पिता भी खेलें। इस प्रकार उन्हें मनोरंजन का एक और विकल्प मिलेगा।  यदि बच्चे चित्रकारी, संगीत, वाद्ययंत्र बजाने, नृत्य करने, अभिनय में रुचि लेते हैं तो इसे प्रोत्साहित करें। इसके लिए उन्हें साधन उपलब्ध करायें। उनके द्वारा तैयार की गई रचनाओं की सराहना करके प्रोत्साहन दें। बच्चों को प्रतिदिन हल्का व्यायाम करने को प्रोत्साहित करें। माता-पिता स्वयं भी बच्चों के समक्ष मोबाइल का अत्याधिक उपयोग न करें। याद रखें कि बच्चों के लिए उनके माता-पिता रोलमॉडल याने आदर्श हैं।

Read More

बरसात में त्वचा संबंधी बीमारियों से रहें सचेत

Posted on :23-Jun-2022
बरसात में त्वचा संबंधी बीमारियों से रहें सचेत

दूषित जल के संपर्क में आने से हो सकती है दाद, खाज, खुजली की समस्या

बरसात का मौसम शुरू होते ही लोगों में त्वचा संबंधी बीमारियों की शिकायतें बढ़ जाती है। एक ओर जहाँ बरसात का मौसम तरोताजगी देने वाला होता है, वहीं दूसरी ओर देखरेख के अभाव में कई त्वचा संबंधी विकार भी सामने आ सकते हैं। बरसात में होने वाले रोगों में त्वचा का लाल हो जाना, सफेद व काला हो जाना, त्वचा का मोटा हो जाना, पपड़ी बनना, त्वचा में दाने हो जाना, खुजली होना इत्यादि प्रमुख हैं। लेकिन लोग इसे एलर्जी मानकर घरेलू उपचार जैसे कि हल्दी लगा लेना, चूना लगा लेना, टूथपेस्ट लगा लेना, लहसुन रगड़ना जैसे उपचार करते हैं, जिससे कि गंभीर इंफेक्शन का खतरा रहता है। किसी भी तरह के चर्म रोग होने पर कुशल चर्म रोग विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही उपचार कराना चाहिए।

शासकीय आयुर्वेदिक कालेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि बरसात के समय चर्म रोग की समस्या बढ़ जाती है। वैसे तो यह रोग किसी भी मौसम में हो सकता है, लेकिन गर्मी एवं बरसात में चर्म रोगों का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में अपने शरीर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। आमतौर पर लोग त्वचा संबंधी रोगों के प्रति जागरूक नहीं रहते हैं। बढ़ती उमस, पसीना और गीले कपड़े पहनने से त्वचा में कई हानिकारक जीवाणुओं की उपस्थिति से दाद, खाज, खुजली, त्वचा के ऊपरी हिस्से पर लाल चकत्ते उभरने जैसी समस्याएं सामने आने लगती है। बरसात में बिना कारण भीगना, गंदे तौलिया का इस्तेमाल, असंतुलित आहार, उड़द की दाल और तली-भुनी चीजों के प्रयोग से तथा सिंथेटिक कपड़े पहनने से भी त्वचा रोग या चर्म रोग हो सकता है ।

त्वचा संक्रमण के लक्षणों को देखा जाए तो व्यक्ति के शरीर पर छोटे-छोटे लाल दाने, लाल रंग के चकते, घमोर्रियां, दाद, शरीर के किसी हिस्से में खुजली होना और पुराने चर्म रोगों का उभरना शामिल है। इसके अतिरिक्त बरसात में मुख्य रूप से फफूंद संक्रमण या फंगल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। इसमें शरीर पर लाल रंग की गोलाकार दाद बनते हैं और इसमें खुजली भी होती है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसके इलाज के लिए स्टेरॉइड क्रीम का इस्तेमाल या घरेलू उपचार कभी नहीं करना चाहिए। इन स्थितियों में चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक होता है। 

आयुर्वेद में त्वचा संबंधी संक्रमण से बचाव के विभिन्न उपाय बताए गए हैं। यदि किसी व्यक्ति या बच्चे को इस तरह की बीमारी होती है तो उसे नीम के पत्ते के उबले हुए पानी से नहलाएं। इस दौरान शरीर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। शरीर को पूरी तरह सुखाने के बाद ही कपड़े पहनें। रोज़ाना इस्तेमाल किये जाने वाले कपड़ों को नियमित रूप से धोकर उपयोग किया जाना चाहिए। त्वचा संबंधी संक्रमण से बचाव का सबसे सही उपाय है कि स्वयं को गंदे पानी के संपर्क में आने से बचाएं। इस दौरान खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बाहर की तली-भूनी वस्तुएं व अम्लीय प्रवृत्ति के खाद्य पदार्थ दही इत्यादि के साथ, अधिक मिर्च-मसालों के सेवन से बचना चाहिए। भोजन में मौसमी फलों खासतौर पर सेब, अनानास, नाशपाती और ड्राई-फ्रूट्स (काजू, किशमिश, बादाम), हल्दी दूध और घी का सेवन लाभकारी होता है। त्वचा संबंधी कोई भी परेशानी होने पर तुरंत चिकित्सकीय परामर्श की सलाह दी जाती है।

Read More

एनीमिया से बचाव के लिए प्रोटीन, आयरन और विटामिन-सी से भरपूर आहार लें...

Posted on :17-Jun-2022
एनीमिया से बचाव के लिए प्रोटीन, आयरन और विटामिन-सी से भरपूर आहार लें...

पौष्टिक आहार की कमी और कृमि से बच्चों में होता है एनीमिया

रायपुर : एनीमिया यानि रक्ताल्पता से एक बड़ी आबादी जिसमें महिलाओं से लेकर बच्चे शामिल हैं, लगातार पीड़ित हैं। आम बोलचाल की भाषा में एनीमिया का मतलब खून यानि हीमोग्लोबिन की कमी है। किसी व्यक्ति में एनीमिया तब होता है जब रक्त में लाल रूधिर कण यानि आरबीसी के नष्ट होने की दर उसके निर्माण के दर से अधिक हो। एनीमिया को गंभीरता से नहीं लेने पर आगे चलकर यह गंभीर रुप धारण कर लेता है। इसलिए इसके प्रति जागरूकता बहुत जरूरी है। महिलाओं में मासिक धर्म और गर्भावस्था में यदि एनीमिया का समुचित उपचार नहीं किया गया तो यह अनेक रोगों का कारण भी बनता है। एनीमिया की गंभीरता को देखते हुए सरकार द्वारा इसके बचाव और नियंत्रण के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि एनीमिया के अनेक प्रकार हैं। लेकिन सभी तरह की एनीमिया में त्वचा, जीभ, नाखूनों और पलकों के अंदर सफेद दिखाई देना, कमजोरी एवं बहुत अधिक थकावट, लेटकर या बैठकर खड़े होने पर चक्कर आना, सांस फूलना, हृदय गति का तेज होना, बेहोशी आना, चेहरे व पैरों पर सूजन‌ आना, बालों का झड़ना जैसे मुख्य लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे ही किसी व्यक्ति में यह लक्षण दिखाई दें उन्हें तत्काल सरकारी स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

बच्चों में एनीमिया पौष्टिक आहार की कमी और कृमि के कारण होता है। महिलाओं में एनीमिया का प्रमुख कारण मासिक धर्म के समय अत्यधिक रक्तस्राव और गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार के सेवन का अभाव है। साथ ही हमारी सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियां जिसमें महिलाओं का परिवार में आखिर में बचा भोजन ग्रहण करने की परंपरा भी इसके लिए जिम्मेदार है। इसके चलते महिलाओं को सुपोषण नहीं मिल पाता। महिलाओं और बच्चों में एनीमिया के लिए कुपोषण की भी प्रमुख भूमिका है। सरकार द्वारा शिशु और महिला सुपोषण अभियान सतत रूप से चलाया जा रहा है। इन अभियानों में और अधिक जन-जागरूकता की आवश्यकता है।

डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद में एनीमिया को पांडुरोग कहा जाता है जो पित्त दोष की विषमता से होता है। सिकलसेल एनीमिया, रक्त कैंसर, अल्सर से रक्तस्राव, अत्यधिक रक्तस्राव सहित अन्य गंभीर बीमारियों के कारण होने वाले एनीमिया का उपचार चिकित्सा परामर्श, दवाओं एवं विभिन्न थैरेपी द्वारा विशेषज्ञ करते हैं। सामान्य तौर पर पौष्टिक आहार और जागरूकता से एनीमिया से बचाव संभव है। एनीमिया से बचाव के लिए नियमित रूप से प्रोटीन, आयरन, विटामिन-सी से परिपूर्ण आहार जैसे रोटी, दाल, हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, लालभाजी, मुनगा यानि सहजन, कद्दू, केला, शकरकंद, चुकंदर, अनार, आंवला, नींबू, संतरा, केला, सेब, अमरूद, अंडा, दूध, दही, अंजीर, किशमिश, खजूर, गुड़-चना, हल्दी मिला दूध, तिल, मेथी व अजवाइन को शामिल करते हुए नियमित व्यायाम और योग को शामिल करना चाहिए। साथ ही चाय, कॉफी, कोल्ड-ड्रिंक्स, शराब और धूम्रपान का परहेज करना चाहिए।

Read More

psychology and education of exceptional children विशिष्ट बालकों का मनोविज्ञान और शिक्षा-By Dr MP Singh phycolosist and trainer June 15, 2022

Posted on :15-Jun-2022
psychology and education of exceptional children विशिष्ट बालकों का मनोविज्ञान और शिक्षा-By Dr MP Singh phycolosist and trainer  June 15, 2022

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए विशिष्ट बालकों का मनोविज्ञान महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर के माध्यम से समझाया है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि कुछ बच्चे जन्म से ही रोगी होते हैं तथा कुछ  दुर्घटना का शिकार होकर रोग ग्रसित हो जाते हैं कुछ को दृष्टि दोष होता है तो कुछ बोल नहीं पाते हैं कुछ समझ नहीं पाते हैं तो कुछ चल नहीं पाते हैं अनेकों प्रकार की परेशानियां हो सकती हैं लेकिन सभी बच्चों में प्रतिभा होती है हमें उनको हीन भावना से नहीं देखना चाहिए और और सही व्यवहार रखना चाहिए
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आजकल भौतिकवाद की दुनिया में अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं जिसकी वजह से अधिकतर समय बच्चे अपने मोबाइल या लैपटॉप पर गुजार रहे हैं अपनी दैनिक दिनचर्या भी भूल गए हैं ना उनका उठने का समय है और ना ही उनका खेलने का क्योंकि उनको कंट्रोल और कमांड करने वाला पिता नहीं है उनको प्यार देने वाली माता नहीं है उनको दादी और नानी की कहानी सुनने के लिए नहीं मिल रही हैं इसलिए अधिकतर बच्चे उदास रहते हैं
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अधिकतर परिवारों में माता और पिता बच्चों के साथ नहीं रह रहे हैं आपसी मतभेद के कारण या बाहरी हस्तक्षेप के कारण माता और पिता अपनी अपनी जिंदगी तो बेहतर गुजार रहे हैं लेकिन बच्चों की परवरिश पर किसी का कोई ध्यान नहीं है बच्चे तो उनके लिए टूल है उनका प्रयोग तो लड़ाई झगड़े कोर्ट कचहरी में किया जा रहा है जो कि उचित नहीं है

No description available.
 डॉ एमपी सिंह ने अपने मन की बात को निम्नलिखित प्रश्न और उत्तर के माध्यम से समझाने की कोशिश की है कृपया गौर से पढ़ें और समझें तथा परिवर्तन लाने की कोशिश करें
1- विशिष्ट बालकों के कौन-कौन से प्रकार होते हैं
-शारीरिक न्यूनता से ग्रसित
  -विकलांग बालक
 -मानसिक न्यूनता से ग्रसित
  -मंदबुद्धि बालक
 
2-प्रतिभावान विकलांग बालकों की शिक्षा में किन बातों पर ध्यान देना चाहिए
 -व्यवसायिक समायोजन
 -सामाजिक समायोजन
 -उसकी शक्ति की सीमाओं में कार्य करने का अवसर देना
 
3-अपंग व्यक्ति कैसे दोषा पीड़ित हो जाते हैं
 -दोष युक्त ही पैदा होते हैं
 -दुर्घटनाओं के परिणाम स्वरूप
 -किसी बीमारी के प्रभाव के कारण
 
4-अपंग व्यक्तियों में प्राय भावना कैसी होती है
 -हीनता की भावना
-माता-पिता को मंदबुद्धि बालकों के प्रति कैसा व्यवहार करना चाहिए
 -किसी मनोवैज्ञानिक को दिखाना चाहिए
 -सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए
 -वातावरण की विभिन्न क्रियाओं का ज्ञान देना चाहिए
 
5-मंदबुद्धि बालकों के शिक्षक में क्या-क्या गुण होने चाहिए
 -बच्चों का अवबोध होना चाहिए
 -बच्चों में संवेगात्मक स्थिरता उत्पन्न करना चाहिए
 -श्रव्य दृश्य सामग्री का प्रयोग करना चाहिए
 
6-प्रतिभावान बालक का चुनाव किस प्रकार होता है

-बुद्धि परीक्षण द्वारा
 -निष्पत्ति परीक्षण द्वारा
 -विशेष योग्यता परीक्षण द्वारा
 
7-प्रतिभाशाली बालकों की समस्याएं किस-किस प्रकार की होती हैं
 -परिवार में समायोजन की समस्या
 -विद्यालय में समायोजन की समस्या
 -समाज में समायोजन की समस्या
 
8-पिछड़ेपन के क्या कारण हो सकते हैं
 -सामान्य सहज बुद्धि की कमी
 -वातावरण का प्रभाव
 -स्वभाव संबंधी दोष
 
9-पिछड़ापन कितने प्रकार का हो सकता है
 -सामान्य पिछड़ा
 -विशिष्ट पिछड़ापन

10-सामान्य पिछड़ापन दूर करने के क्या उपचार हैं
 -शारीरिक दोष का पता लगाना
 -बुद्धि परीक्षा द्वारा मंदबुद्धि का पता लगाना
 -वातावरण को दोष रहित बनाना
 
11-विशिष्ट पिछड़ापन दूर करने के क्या उपचार हैं
 -श्रेष्ठ शिक्षण विधियों को अपनाना
 -पिछड़े हुए विषय में रुचि जागृत करना
 -बालकों की ओर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देना
 
12-शिक्षक को छात्रों के मानसिक विकास हेतु क्या करना चाहिए

-तर्कशक्ति का विकास करना चाहिए
 -निर्णय क्षमता का विकास करना चाहिए
 -कल्पना शक्ति का विकास करना चाहिए
 
13-विद्यार्थी के विकास में कौन-कौन से गुणों का विकसित होना अनिवार्य है
-शारीरिक व मानसिक गुण संवेगात्मक विकास
 
14-जिन बालकों को परिवार में आवश्यक पोषण तथा प्यार के स्थान पर ताड़ना तथा प्रताड़ना मिलती है उनका व्यक्तित्व कैसा होता है
 -कुंठित

15-तनाव कम करने की कौन-कौन सी विधियां हैं
-बाधा दूर करना
 -अन्य रास्तों की खोज करना
 -लक्ष्य प्रतिस्थापित करना
 
16-समस्यात्मक बालकों का उपचार कैसे किया जा सकता है
-माता-पिता का व्यवहार सद्भावना युक्त होना चाहिए
 -विद्यालय और परिवार में यथासंभव सहयोग होना चाहिए
 -घर के बाहर विद्यालय और आस पड़ोस में बालक की -संगति पर बराबर नजर रखी जानी चाहिए
 -विद्यालय में शिक्षित व्यक्ति व्यावसायिक निर्देशन ओं का प्रबंध होना चाहिए
 
17-समस्यात्मक बालक किस प्रकार के होते हैं
-झगड़ालू तथा उत्तेजित
 -हतोत्साहित तथा भ्रमित
 
18 समस्यात्मक विद्यार्थी क्या क्या कर सकता है
-कक्षा से भाग जाना तथा बहाने लगाना
 -चोरी करना तथा झूठ बोलना
 -अनुशासन के प्रति असहयोग होना
 -नशा करना तथा धोखा देना
-आज्ञा की अवहेलना करना

19-छात्रों का विकास कैसे किया जा सकता है
-माता पिता का दिशा निर्देशन ठीक होना चाहिए
-स्वस्थ सामाजिक दर्शन होने चाहिए
 -विद्यालय द्वारा सकारात्मक अभिवृत्ति का विकास होना चाहिए

 20
-दिनचर्या ठीक होनी चाहिए विद्यार्थी के हर प्रश्न का जवाब लॉजिक और सिस्टम पर देना चाहिए ज्यादा दिवास्वप्न नहीं दिखाना नहीं चाहिए वास्तविकता में जीने की कोशिश करनी चाहिए सत्य के नजदीक रहना चाहिए ज्यादा घूमने फिरने की आदत नहीं करनी चाहिए बाजारों मैं फास्ट फूड तथा पटरी किनारे बिकने वाली अशुद्ध  वस्तुएं बच्चों को खिलाकर प्रसन्न नहीं होना चाहिए स्वास्थ्य वर्धक भोजन खिलाने

Read More

गठिया और मधुमेह के इलाज में उपयोगी मेथी...

Posted on :10-Jun-2022
गठिया और मधुमेह के इलाज में उपयोगी मेथी...

TNIS

इसके नियमित सेवन से खून में शर्करा की मात्रा नियंत्रित रहती है

रायपुर : घर की रसोई में आमतौर पर उपयोग होने वाली मेथी तड़का लगाने के साथ ही कई रोगों के इलाज में भी बहुत उपयोगी है। इसमें कई ऐसे स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं, जिससे इसका प्रयोग मसालों के साथ-साथ औषधि के रूप में भी किया जाता है। मेथी के दाने में खूब सारे विटामिन, मिनरल्स और न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। मेथी और मेथी के तेल में गांठ को बनने से रोकने के गुण होते हैं। यह गठिया की बीमारी में भी  लाभप्रद है। दरअसल गठिया (अर्थराइटिस) वात दोष के कारण होता है। मेथी में वात को संतुलित करने के गुण पाए जाते हैं। यह गठिया के दर्द को कम करने में मदद करता है।

शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि मेथी के दानों में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, पोटेशियम, नियासिन, विटामिन सी के साथ ही कई और पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे लिए फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा इसमें डाओस्जेनिन नामक यौगिक पाया जाता है जो एस्ट्रोजन/टेस्टेस्टेरॉन हार्माेन को बढ़ाने के लिए फायदेमंद होता है।

आयुर्वेद में बताया गया है कि मेथी अनेक रोगों की दवा भी है। इसके बीजों का प्रयोग मसालों के साथ-साथ औषधि के रूप में किया जाता है। प्रसूता स्त्री को मेथी के लड्डू विशेष रूप से दिए जाते हैं। मेथी और मेथी के तेल में डायबिटीज को नियंत्रित करने और गाँठ को बनने से रोकने के गुण होते हैं। मेथी के दानों के प्रयोग से बालों का झड़ना रोका जा सकता है। इसके लिए 1-2 चम्मच मेथी के दानों को रात भर के लिए भिगो दें। इसे सुबह पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं। एक घण्टे बाद बालों को धो लें। सप्ताह में दो से तीन बार लगाने से बालों का गिरना बंद हो जाता है।

असंतुलित भोजन और खानपान के कारण पैदा हुई कब्ज की समस्या में भी मेथी का प्रयोग औषधि के रूप में कर सकते हैं। मेथी में पाए जाने वाले बहुत से गुणों में एक यह भी है कि वह कब्ज की परेशानी में मदद कर सकती है। इसके लिए आप मेथी के पत्तों की सब्जी का प्रयोग कर सकते हैं। इसमें पाया जाने वाला फाइबर आपको कब्ज की समस्या से मुक्ति दिला सकता है। इसके अलावा आप मेथी दानों के पाउडर का प्रयोग कर सकते हैं। एंटी-आक्सीडेंट गुणों के कारण मेथी हृदय रोग के लिए भी लाभकारी है। यह रक्त-संचार को सही रखता है। मेथी में घुलनशील फाइबर होता है जो हृदय रोग के खतरे को घटाता है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए मेथी क्वाथ पीना लाभदायक होता है।

मेथी का नियमित सेवन करने से खून में चीनी की मात्रा नियंत्रित रहती है। एक चम्मच मेथी के दानों का चूर्ण बना लें। इसे रोज सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लें। मेथी के दानों को रोज पानी में भिगो दें। इसे सुबह चबा-चबा कर खाएं। ऊपर से मेथी दाने का पानी भी पी लें।

मेथी का प्राचीन काल से ही खाद्य पदार्थों में डालकर सेवन किया जा रहा है और इसलिए इसे पूरी तरह से सुरक्षित माना गया है। हालांकि, अधिक मात्रा में और लंबे समय तक मेथी का सेवन करने से स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं हो सकती हैं जिनमें मुख्य रूप से पेट दर्द, जी मिचलाना, उल्टी और दस्त आदि शामिल हैं। कुछ लोगों में मेथी रक्त शर्करा को कम करने में प्रभावी रूप से काम करती है। इसलिए इसका अधिक सेवन करने से ब्लड शुगर सामान्य स्तर से कम हो सकता है जो स्वास्थ्य के लिए घातक समस्याएं पैदा कर सकता है। वहीं कुछ लोग मेथी से एलर्जिक हो सकते हैं और मेथी उनके शरीर के संपर्क में आने पर उन्हें एलर्जी संबंधी लक्षण होने लगते हैं। मेथी का औषधीय प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञ के मार्गदर्शन और परामर्श में करना चाहिए।

Read More

गर्मी में लू से बचें, खूब पिएं पानी और खुद को हाइड्रेटेड रखें...

Posted on :07-Jun-2022
गर्मी में लू से बचें, खूब पिएं पानी और खुद को हाइड्रेटेड रखें...

पित्तशामक आहार और अनुशासित दिनचर्या का पालन करें

खुले में बिकने वाले पेय व खाद्य पदार्थों से करें परहेज, सुबह-शाम ठंडे पानी से नहाएं

हमारी सेहत पर खान-पान और मौसम का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में शरीर को त्रिदोषात्मक यानि वात, पित्त और कफ दोष माना गया है जिनके सामान्य अवस्था में रहने से शरीर स्वस्थ रहता है तथा इनमें बदलाव होने से बीमारी होती है ।

शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि गर्मियों में लू लगने के साथ ही दूषित जल या भोजन से पेट से संबंधित अनेक रोग जैसे उल्टी, दस्त, डायरिया, पीलिया और टायफाइड होने की संभावना रहती है। इसलिए बाजार में खुले में बिकने वाले पेय एवं खाद्य पदार्थों के सेवन में परहेज करना चाहिए । गर्मियों के मौसम में गरम, खटाई, तीखा, नमकीन, तला-भुना, तेज मिर्च-मसालेदार, उड़द दाल, मैदा और बेसन से बने खाद्य पदार्थों, फास्ट-फूड, मांसाहार और शराब का सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए इनका परहेज करना चाहिए। इस मौसम में शारीरिक स्वच्छता आवश्यक है, इसलिए सुबह और शाम ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए।

डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में शरीर में पित्त दोष की अधिकता रहती है इसलिए व्यक्ति को पित्तशामक आहार और अनुशासित दिनचर्या का पालन करना चाहिए। चूंकि गर्मियों में सूर्य की तपिश बहुत ज्यादा होती है, फलस्वरूप लोगों में डिहाइड्रेशन, थकान, घबराहट और बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। शरीर में पानी एवं अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स मिनरल्स की मात्रा संतुलित रखने के लिए आयुर्वेद में हल्का, सुपाच्य, मधुर रस वाले स्वच्छ ठंडा या उबाले हुए तरल पेय पदार्थों के सेवन करने का निर्देश है। गर्मियों में पीसा जीरा और नमक मिलाकर मठा यानि छाछ, दही की लस्सी, दूध, कच्चे आम का जलजीरा, नींबू की शिकंजी या शरबत, घर में बनी ठंडाई, गन्ने का रस, बेल का शरबत, नारियल पानी, मौसमी एवं ताजे फलों का रस इत्यादि पीना चाहिए। गर्मियों के समय भोजन में पुराने जौ, पुराने चांवल, खिचड़ी, मूंग की दाल, गेहूं की रोटी, सत्तू, रायता, सब्जियों में चौलाई, करेला, बथुआ, मुनगा, परवल, भिंडी, तरोई, पुदीना, टमाटर, खीरा, ककड़ी, अदरक, प्याज, आंवला का मुरब्बा इत्यादि को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा तरबूज, खरबूज, मौसंबी, संतरा, अनार, शहतूत, आंवला इत्यादि का प्रयोग हितकारी है।
 
डॉ. शुक्ला ने बताया कि गर्मियों के मौसम में सूर्योदय से पहले पैदल चलना, हल्का व्यायाम, योगाभ्यास और तैराकी इत्यादि करना चाहिए। चूंकि इस मौसम में लू (तेज बुखार) लगने की ज्यादा संभावना रहती है, इसलिए यथासंभव ठंडी जगह पर रहना चाहिए तथा धूप में निकलने के पहले संतुलित और सुपाच्य भोजन तथा पर्याप्त पानी का सेवन जरूर करना चाहिए। गर्म लू से बचाव के लिए शरीर, सिर, कान आदि को सूती कपड़े से ढांक लें। सूर्य की तेज किरणों के कारण चेहरे और शरीर में सन-बर्न होने तथा त्वचा से संबंधित अन्य रोग होने का खतरा होता है।

 

Read More

बच्चे ज़िद्दी और लापरवाह क्यों हो जाते हैं जाने इसका समाधान...

Posted on :17-May-2022
बच्चे ज़िद्दी और लापरवाह क्यों हो जाते हैं जाने इसका समाधान...

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने अपने अनुभव के आधार पर उक्त समस्याओं का समाधान बड़े ही विस्तार पूर्वक लिखा है

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि सभी बच्चे गंदे और गुस्सैल नहीं होते हैं छोटे बच्चे तो कोरा कागज होते हैं भगवान का रूप होते हैं जैसा उन पर लिखा जाएगा वैसा ही लिख जाएगा लेकिन हम अपने आप को सुधारने की बजाय बच्चों को सुधारने में लग जाते हैं और अनायास ही बच्चों को डांटना फटकरना तथा प्रताड़ित करना शुरू कर देते हैं
 हम अपने बच्चों को समय तो देते नहीं है और उनकी हर इच्छा को पूरा करने में लग जाते हैं 
कई बार आप छोटे बच्चों के सामने  लड़ाई झगड़ा कर लेते हैं तथा गाली गलौज भी करते हैं जिसका बच्चे के दिमाग पर गहरा असर पड़ता है 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आमतौर पर सब लोग नहीं जानते हैं कि अपने बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए 
कैसे बोलना चाहिए 
कब उनकी जिद को पूरा करना चाहिए 
कब उनको बाजार सिनेमा तथा मॉल में लेकर जाना चाहिए 
कब उनकी तरफदारी करनी चाहिए
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अधिकतर बच्चों को घर का माहौल जिद्दी बना देता है 
जब बच्चे अपनी मनमर्जी नहीं कर पाते हैं और मनचाही वस्तु को प्राप्त नहीं कर पाते हैं तो वह मचलने और रोने लगते हैं धीरे-धीरे वह उनकी जिद का रूप ले लेता है जिद्दीपन पर समय रहते काबू नहीं पाया गया तो वह चिड़चिड़ा हो जाएगा  
इसलिए हमें हर छोटी छोटी बात पर गौर करना चाहिए तथा संतोषजनक जवाब देना चाहिए
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जिद करने पर बच्चे को प्यार से समझाना चाहिए बहुत जरूरी हो तो सख्ताई से पेश आना चाहिए 
बच्चे को उसके हाल पर कभी नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि वह अभी अबोधबालक है उसे कुछ नहीं पता है क्या अच्छा है क्या बुरा है क्या हित में है क्या नहीं है बच्चे की जिद करने पर अपना फैसला नहीं बदलना चाहिए ऐसा करने से वह आपकी कमजोरी को समझ लेता है और बार-बार उसी चीज को अपना लेता है 
छोटी उम्र में बच्चों को अनुशासन व मर्यादा में रहना सिखाना चाहिये
 छोटी उम्र में सम्मान सूचक शब्दों का बोलना और बड़ों के पैर छूना, नमस्ते करना तथा अभिवादन करना सिखाना चाहिए 
सही मार्गदर्शन से बुरे से बुरा इंसान भी सुधर जाता है
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कुछ माता-पिता दादा-दादी या नाना-नानी पर दोषारोपण कर देते हैं कि इनकी वजह से हमारा बच्चा बिगड़ गया है जबकि ऐसा नहीं होता है
 कुछ माता-पिता की लव मैरिज होती है जोकि सही तरीके से नहीं गुजर रही होती है या कईयों का तलाक भी हो जाता है जिसकी वजह से उनको नौकरी करनी पड़ती है और बच्चों की देखरेख ठीक ढंग से नहीं हो पाती है
 जिसकी वजह से बच्चे ट्रैक पर से हट जाते हैं और गलत संगति का शिकार हो जाते हैं
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कई माता-पिता अपने साथ बच्चे को बाजार में ले जाते हैं जब बच्चा वहां पर कुछ खाने पीने या खेलने की वस्तु को मांगता है तो माता-पिता या अभिभावक वहीं पर उसकी पिटाई कर देते हैं जो कि उचित नहीं है वहां पर बच्चे की जिद को मान लेना चाहिए और घर पर आकर विस्तार पूर्वक समझाना चाहिए या अपने आव भाव ऐसे करने चाहिए जैसे कि आप रुठ गए हैं ताकि बच्चा आप को मनाने की कोशिश करें और आपकी बात को मान जाए
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि छोटे बच्चे को मारना पीटना किसी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि अपनी बोली और भाषा में परिवर्तन लाना चाहिए और मित्रता पूर्ण व्यवहार करना चाहिए 
उसकी भावनाओं को समझ कर फैसला लेना चाहिए
 बच्चे जैसा देखते हैं वह वैसा ही करते हैं 
जैसा सुनते हैं वैसा ही बोलते हैं इसलिए कोई भी गलत कार्य बच्चों के सामने नहीं करना चाहिए और अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए 
बच्चों को झूठे दिवास्वप्न नहीं दिखाने चाहिए 
बच्चों से झूठा वायदा नहीं करना चाहिए
 बच्चों के साथ सही भाषा का प्रयोग करना चाहिए
 बच्चों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्यवर्धक भोजन कराना चाहिए 
बेकार की बाजार की वस्तुओं को खिलाना पिलाना नहीं चाहिए वह भी उनकी आदत में शुमार हो जाती हैं और बड़ा होने के बाद उस आदत को बदलना मुश्किल हो जाता है 
बच्चों की दिनचर्या को बेहतर बनाने में मदद करनी चाहिए 
लेखक डॉ एमपी सिंह अपनी अनेकों पुस्तकें प्रकाशित कर चुके हैं और देश के रिनाउंड कैरियर काउंसलर, मोटिवेशनल स्पीकर तथा ट्रेनर है किसी भी प्रकार की काउंसलिंग तथा ट्रेनिंग के लिए 9810566553 पर संपर्क करें अधिक जानकारी के लिए गूगल पर डॉ एमपी सिंह नेशनल अवॉर्डी लिखें याwww. drmpsingh com पर जांच करें
जैसी करनी वैसी भरनी 
जैसा बोओगे वैसा काटोगे |

Read More

पीलिया से बचाव के लिए सावधानी जरूरी...

Posted on :10-May-2022
पीलिया से बचाव के लिए सावधानी जरूरी...

पीलिया यानि जॉन्डिस लीवर से जुड़ा रोग है। लीवर शरीर का अत्यंत महत्त्वपूर्ण अंग है, इसलिए इसे सेहतमंद रखना बहुत जरूरी है। पीलिया एक सूक्ष्म वायरस से होता है। इसके संक्रमण के कारण व्यक्ति का लीवर सामान्य ढंग से कार्य नहीं कर पाता। फलस्वरूप खून में बिलिरुबिन बढ़ जाता है।

शासकीय आयुर्वेद कॉलेज रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आमतौर पर गर्मियों के मौसम में पीलिया संक्रमण के रोगी बहुतायत में मिलते हैं। इस रोग का प्रमुख कारण दूषित खाद्य तथा पेय पदार्थों का सेवन, दवाओं का दुष्प्रभाव, अनेक रोग एवं आवश्यक साफ-सफाई का अभाव है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के रक्तदान करने एवं पीलिया संक्रमित व्यक्ति के मल, मूत्र से भी यह रोग होता है। इस मौसम में लोग गर्मी से राहत पाने के लिए बाजार में बिकने वाले बर्फ मिले शीतल पेय पदार्थों का सेवन करते हैं। कभी-कभी दूषित पानी से बने बर्फ तथा सड़े-गले फलों के कारण पीलिया की संभावना बढ़ जाती है।
सामान्यतः पीलिया के रोगी में बुखार आना, सिर दर्द, भूख न लगना, भोजन देखकर मिचली और उल्टी, पेट फूलना, कमजोरी व थकावट, त्वचा, नाखून और आंखों के सफेद भाग का रंग पीला होना, त्वचा में खुजली होना, पेशाब का रंग गाढ़ा पीला होना, पैरों में सूजन, पेट दर्द और दस्त जैसे लक्षण मिलते हैं। पीलिया जहां एक गंभीर बीमारी है, वहीं यह अन्य रोगों का लक्षण भी है। इसलिए इन लक्षणों के दिखाई देने पर रोगी को तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए अन्यथा यह जानलेवा भी हो सकता है।
डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद में पीलिया को कामला रोग कहा गया है। इसका मुख्य कारण अनुचित खान-पान व दिनचर्या के कारण पित्त दोष की वृद्धि को बताया गया है। आधुनिक एवं आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के अनुसार पीलिया रोग से बचाव के लिए खान-पान में आवश्यक सावधानी तथा वैयक्तिक स्वच्छता अपनाने की जरूरत है। जहां तक संभव हो बाजार में खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों तथा बर्फ मिले गन्ना या अन्य फलों के रसों के सेवन, वसायुक्त भोजन, स्ट्रीट फूड, मांसाहार, शराब एवं धूम्रपान का परहेज करें। इस मौसम में ताजा व गर्म भोजन और उबले हुए पानी, दही, छाछ में काला नमक व जीरा मिलाकर पीएं। नीबू की शिकंजी, गन्ना रस, अनार, मौसंबी, अंगूर इत्यादि फल को खान-पान में शामिल करें तथा नियमित व्यायाम करें। शौच के बाद एवं भोजन के पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धोना चाहिए। इन सावधानियों को अपनाकर पीलिया बीमारी से बचा जा सकता है।
आमतौर पर यह देखा जाता है कि पीलिया के रोगी इस रोग के उपचार के लिए अंधविश्वास या झाड़-फूंक के फेर में पड़ जाते हैं जो जानलेवा हो सकता है। पीलिया रोग का उपचार आधुनिक एवं आयुर्वेद दोनों पद्धतियों में संभव है। इसलिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों, आयुर्वेद अस्पतालों अथवा विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह तुरंत लेनी चाहिए।

Read More

अनियमित दिनचर्या और खान-पान की आदतों से मधुमेह का खतरा... जाने रोग के कारण और बचाव के उपाय

Posted on :03-May-2022
अनियमित दिनचर्या और खान-पान की आदतों से मधुमेह का खतरा... जाने रोग के कारण और बचाव के उपाय

रायपुर : आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में खुद की सेहत का ख्याल रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है। आधुनिक जीवन-शैली, अनियमित दिनचर्या और खान-पान की खराब आदतों के कारण कम उम्र में ही कई तरह की बीमारियां घेर रही हैं। डायबिटीज यानि मधुमेह भी तेजी से बढ़ रही इसी तरह की बीमारी है। यह न केवल उम्रदराजों को, बल्कि युवाओं को भी अपनी गिरफ्त में ले रही है। संयमित खान-पान और स्वस्थ जीवन-शैली अपनाकर इससे बचा जा सकता है।

राज्य शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में गैर-संचारी रोग के नोडल अधिकारी डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि मधुमेह या डायबिटीज हमें तब होता है जब हमारे शरीर के हार्मोन इंसुलिन या कहें तो रक्त शर्करा या ग्लूकोज की मात्रा हमारे शरीर के साथ सही तालमेल नहीं बिठा पाती है। ज्यादातर खराब जीवन-शैली के कारण यह होता है। मधुमेह दो प्रकार का होता है। टाइप-1 डायबिटीज बच्चों में पाया जाता है। इसमें शरीर में इंसुलिन की सेंसिटिविटी (Sensitivity) खत्म हो जाती है जिससे शरीर का मेटाबॉलिक सिस्टम खराब हो जाता है और शुगर का लेवल बढ़ने लगता है।

डॉ. सिंह ने बताया कि टाइप-2 डायबिटीज अधिकांशतः 40 वर्ष या इससे अधिक आयु के लोगों में होता है। इसमें शरीर को जितनी इंसुलिन की आवश्यकता होती है, इंसुलिन की उतनी मात्रा शरीर को नहीं मिल पाती है। गर्भावस्था के दौरान भी मधुमेह हो जाता है जो कि एक सीमित समय के लिए होता है और समय के साथ वह ठीक भी हो जाता है। परिवार में माता-पिता या भाई-बहन में किसी को मधुमेह है तो अन्य रक्त संबंधियों के भी इससे पीड़ित होने की आशंका होती है। 

मधुमेह के लक्षण

ज्यादा प्यास लगना, ज्यादा भूख लगना, वजन का असामान्य रूप से ज्यादा या कम होना, थकान या कमजोरी महसूस होना, चक्कर आना, चिड़चिड़ापन, नींद न आना, आंखों की रोशनी का कमजोर होना या धुंधला दिखना, हाथ-पैरों में झनझनाहट या सुन्नपन, बार-बार पेशाब होना या पेशाब का संक्रमण होना, चोट या घाव का देर से भरना या ठीक न होना मधुमेह के सामान्य लक्षण हैं। इस तरह के लक्षण दिखाई देने या महसूस होने पर अपने निकटतम शासकीय स्वास्थ्य केंद्र जाकर मधुमेह की निःशुल्क जांच अवश्य कराएं।

मधुमेह से बचाव

मधुमेह से बचाव के लिए नियमित व्यायाम या योग जरुर करना चाहिए। समय पर संतुलित भोजन मधुमेह से बचाव के लिए बहुत आवश्यक है। अधिक घी-तेल वाले भोजन का सेवन करने से भी मधुमेह का खतरा बढ़ता है। भोजन में अनाज, दालें, हरी-पत्तेदार सब्जियां, मौसमी सब्जी, ताज़े मौसमी फल, दूध व दही से बनी चीजों का सही मात्रा में सेवन करना चाहिए। रेशेदार भोजन भी पर्याप्त मात्रा में लेना चाहिए। रोजाना 10-12 गिलास पानी जरुर पिएं। अपने भोजन में अंकुरित अनाज को शामिल करें। शराब से परहेज करें।

Read More

स्तन, योनि और मुख कैंसर की स्क्रीनिंग पर दिया गया प्रशिक्षण, जाने कारण और बचाव के उपाय

Posted on :21-Apr-2022
स्तन, योनि और मुख कैंसर की स्क्रीनिंग पर दिया गया प्रशिक्षण, जाने कारण और बचाव के उपाय

हासिम खान 

No description available.

रायपुर : कैंसर के लक्षणों की समय पर पहचान और जांच कर संभावित रोगियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने  के लिए राज्य में  60 नर्सों का तीन  दिवसीय प्रशिक्षण आज से यहाँ शुरू हुआ । यह प्रशिक्षण  राजधानी के पं.जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, मातृ एवं शिशु चिकित्सालय, कालीबाड़ी  एवं जिला अस्पताल  में आयोजित किया जा रहा  है । 

नेशनल प्रोग्राम फार कंट्रोल ऑफ कैंसर, डायबिटीज, कैंसर, कार्टियक कार्डियोवस्कुलर डिजिज डिसीजेस एंड स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस ) के उप संचालक डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया: ‘’प्रशिक्षण का उद्देश्य समय रहते मुख, योनि एवं स्तन कैंसर के संभावित लक्षणों की जांच कर बेहतर इलाज उपलब्ध  कराना है । किसी भी प्रकार का कैंसर समय रहते पहचान होने पर उसका इलाज किया जा सकता है, साथ ही रोगी के जीवन काल को बढ़ाया जा सकता है।‘’ 

इस साल विश्व कैंसर दिवस की थीम “क्लोज द केयर गैप” निर्धारित की गई है जो  कैंसर देखभाल में असमानताओं की पहचान करने और उनका आकलन करने के लिए समर्पित है। इसी को आगे बढ़ते हुए जिले में तीन जगह प्रशिक्षण आयोजित किया है । मातृ एवं शिशु चिकित्सालय कालीबाड़ी  में सर्वाइकल (यौनि) कैंसर, डॉ.कविता धनशेखरण, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च  (राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम और अनुसंधान संस्थान) (एनआईसीपीआर) नई दिल्ली,  द्वारा दिया गया   और  जिला अस्पताल  में ओरल (मुख) कैंसर, एडिशनल प्रोफेसर ओरल मेडिसिन एवं रेडियोलॉजिस्ट डॉ.शालिनी गुप्ता अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली द्वारा दिया है । पं.जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय  में  स्तन (ब्रेस्ट) कैंसर का प्रशिक्षण डॉ.अनुराग श्रीवास्तव, एक्स एचओडी सर्जरी विभाग अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली द्वारा दिया गया|  

प्रशिक्षण के उपरांत ओपीडी में आए लोगों की कैंसर जांच प्रशिक्षणार्थी  द्वारा करवाई गई  जिससे प्रतिभागियों की समझ को विकसित किया जा सके और लक्षण को पहचान कर स्क्रीनिंग में आसानी हो । 

मुख कैंसर के लक्षण 
मुंह में सफेद /लाल/ चकत्ता / घाव होना । किसी जगह त्वचा का कड़ा हो जाना । ऐसे घाव जो 1 माह से अधिक अवधि तक ना भरे । मसालेदार भोजन का मुंह के अंदर सहन ना होना । मुंह खोलने में कठिनाई । जीभ को बाहर निकालने में कठिनाई । आवाज में परिवर्तन (नाक से बोलना) । अत्याधिक लार का स्राव । चबाने /निगलने/ बोलने में कठिनाई होना । 

गर्भाशय कैंसर के सामान्य लक्षण
रजोनिवृत्ति के पश्चात रक्त स्राव । योनि संबंध के पश्चात रक्त स्राव । अनियमित माहवारी रक्तस्राव । योनि से रक्त मिश्रित सफेद पानी का रिसाव । पीठ दर्द ,पेट के निचले भाग में दर्द । 

स्तन कैंसर के सामान्य लक्षण
स्तन के आकार में बदलाव । स्तनाग्र का अंदर घेंसना,स्थिति या आकार में बदलाव । स्तनाग्र पर या उसके इर्द-गिर्द लाल चकत्ते । स्तनाग्र में किसी प्रकार का असामान्य रिसाव । स्तनों में गांठ, स्तन या कांख में निरंतर दर्द ।

Read More

गर्मियों में पेट संबंधी रोगों से बचाव के लिए सावधानी जरूरी

Posted on :19-Apr-2022
गर्मियों में पेट संबंधी रोगों से बचाव के लिए सावधानी जरूरी

गर्मियों में आमतौर पर पेट से संबंधित अनेक रोग जैसे उल्टी, दस्त, पेचिश, डायरिया, अपचन, खट्टी डकार, एसिडिटी यानि गैस, कब्जियत, मिचली, पीलिया और टायफाइड, होने की संभावना रहती है।इन रोगों का प्रमुख कारण बाजार और खुले में बिकने वाले दूषित पेय एवं खाद्य पदार्थ हैं इसलिए इन पदार्थों के सेवन में परहेज व सावधानी बरतनी चाहिए।शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि सामान्यतः लोग इस मौसम में बाजार में बिकने वाले गन्ना या अन्य फलों के रस, लस्सी, कुल्फी, नीबू की शिकंजी आदि का सेवन करते हैं। इन पेय पदार्थों में बर्फ मिला होता है लेकिन कभी-कभी दूषित जल और सावधानियां नहीं बरतने तथा फलों के सड़े-गले होने के कारण पेट से संबंधित अनेक रोग पैदा हो सकते हैं। इन रोगों का मुख्य कारण खानपान ही है इसलिए लोगों को  गर्मियों के दौरान खानपान में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। जनसामान्य को बाजार के खाद्य पदार्थों के सेवन से पहले साफ-सफाई और वस्तुओं की गुणवत्ता जरूर सुनिश्चित करनी चाहिए। चूंकि गर्मियों में पाचन शक्ति कमजोर होती है इसलिए गरिष्ठ और मसालेदार भोजन खाने से बचना चाहिए इसके अलावा घर में भी बासी भोजन या अन्य खाद्य पदार्थों का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इस मौसम में तेज गर्मी के कारण भोजन जल्दी खराब हो जाते हैं।

    डॉ. शुक्ला ने बताया कि गर्मियों में गरम, खटाई, तीखा, नमकीन, तला-भुना, तेज मिर्च-मसालेदार, उड़द दाल, मैदा और बेसन से बने खाद्य पदार्थों, फास्ट-फूड, मांसाहार और शराब का सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक होता है इसलिए इनका परहेज करना चाहिए।

    डॉ. शुक्ला ने बताया कि चूंकि गर्मियों में सूर्य की तपिश बहुत ज्यादा होती है, फलस्वरूप लोगों में डिहाइड्रेशन, थकान, घबराहट और बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। शरीर में पानी एवं अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स मिनरल्स की मात्रा संतुलित रखने के लिए  हल्का, सुपाच्य,  स्वच्छ ठंडा या उबाले हुए तरल पेय पदार्थों के सेवन करना चाहिए। गर्मियों में पीसा जीरा और नमक मिलाकर मठा यानि छाछ, दही की लस्सी, दूध, कच्चे आम का जलजीरा, नींबू की शिकंजी या शरबत, घर में बनी ठंडाई, गन्ने का रस, बेल का शरबत, नारियल पानी, मौसमी एवं ताजे फलों का रस इत्यादि पीना चाहिए बेहतर हो कि ये पेय पदार्थ घर में ही बनाई जाए अथवा बाजार में स्वच्छता का ध्यान रखा जाए। गर्मियों के दौरान भोजन में पुराने जौ, पुराने चांवल, खिचड़ी, मूंग की दाल, फायबर युक्त अनाज जैइ गेहूं की रोटी, सत्तू, रायता, सब्जियों में चौलाई, करेला, बथुआ, मुनगा, परवल, भिंडी, तरोई, पुदीना, टमाटर, खीरा, ककड़ी, अदरक, प्याज, आंवला का मुरब्बा इत्यादि को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा तरबूज, खरबूज, मौसंबी, संतरा, अनार, शहतूत, आंवला इत्यादि का प्रयोग हितकारी है। उपरोक्त खानपान से गर्मियों के दौरान पेट संबंधी रोगों से बचा जा सकता है।

Read More

5 मई से 10 मई तक चलेगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम...

Posted on :19-Apr-2022
5 मई से 10 मई तक चलेगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम...

हासिम खान 

कृमि से बचाव के लिये 1 से 19 वर्ष के बच्चों को दी जाएगी एल्बेंडाजोल की गोली |

सूरजपुर समेत राज्य के 24 अन्य  जिलों में भी मनाया जाएगा कार्यक्रम

सूरजपुर : राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के तहत आयोजित होने वाले कार्यक्रम की सफलता को लेकर जिले में तैयारियां प्रारंभ हो चुकी है। 5 मई से 10 मई तक चलने वाले इस कार्यक्रम में इस वर्ष राज्य के 24 जिलों  के 84.92 लाख बच्चों एवं किशोर/किशोरियों (1 से 19 वर्ष ) को कृमि से बचाव हेतु, एल्बेंडाजोल की गोली खिलाने का लक्ष्य रखा गया है।  

इस सम्बन्ध में जिला कार्यक्रम मैनेजर (डीपीएम) अनीता पैकरा ने बताया,"राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के 1 वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों को कृमि से मुक्ति दिलाने के लिए  एल्बेंडाजोल की गोली का सेवन कराया जाएगा। कृमि से बचाव हेतु 5 से 7 मई तक राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम मनाया जाएगा तथा छूटे हुए बच्चों को 9 से 10 मई तक मॉप-अप दिवस के तहत कृमि से बचाव की गोली खिलाई जाएगी। 5 मई से 10 मई तक  चलने वाले कार्यक्रम के लिये राज्य से प्राप्त गाइडलाइन के अनुसार सूरजपुर  जिले के समस्त विकासखंड को दिशानिर्देश भी भेजे जा चुके है। इस वर्ष बच्चों को मितानिन द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से  अपने कार्य क्षेत्र के सभी घरों का भ्रमण कर कृमिनाशक दवा दी जाएगी । 1 से 2 वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली (200 एमजी) चूर्ण बनाकर पानी के साथ, 2 से 3 वर्ष तक के बच्चों को 1 गोली पूरी तरह से चूर्ण बनाकर पानी के साथ तथा  4 वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरी गोली (400 एमजी) चबाकर के पानी के साथ सेवन कराया जाएगा। एल्बेंडाजोल की गोली बच्चों और बड़ों के लिए सुरक्षित है। दवा खाने के उपरांत यदि कोई प्रतिकूल प्रभाव हो तो प्रबंधन के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपचार की व्यवस्था भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा  रहेगी। कृमि मुक्ति दिवस पर बीमार बच्चों या पहले से कोई अन्य दवाई ले रहे बच्चों को एलबेंडाजोल की गोली नहीं दी जाएगी।“

आगे उन्होंने बताया, “ भारत सरकार के निर्देशानुसार साल में 2 बार कृमिमुक्ति कार्यक्रम मनाया जाता है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग व महिला एवं बाल विकास विभाग की भागीदारी होती है। कार्यक्रम के दौरान कोविड 19 से संबंधित जारी दिशा निर्देशों का पालन किया जाएगा । जिन घरों में कोविड 19 के सक्रिय केस होंगे वहां सामान्य स्थिति होने के उपरांत दवा दी जाएगी। एलबेंडाजोल की गोली खिलाने के दौरान  शारीरिक दूरी, मास्क, सैनिटाइजर का प्रयोग किया जाएगा।“ 

कृमि मुक्ति कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ.दीप कुमार ने बताया, “कृमि संक्रमण चक्र की रोकथाम के लिए यह गोली बच्चों को देना आवश्यक है। कृमि बच्चों के स्वास्थ्य शिक्षा और संपूर्ण विकास को लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकते हैं। कृमिनाशक की गोली से बच्चों के संपूर्ण शारीरिक मानसिक विकास में मदद मिलती है। इसलिए कृमि नाशक गोली खिलाना आवश्यक है।

इन 24 जिलों में चलेगा कार्यक्रम
सूरजपुर ,बीजापुर,सुकमा,कोंडागांव, दन्तेवाड़ा, नारायणपुर, कांकेर, बलौदाबाजार, बलरामपुर, बिलासपुर, धमतरी, गरियाबंद, गौरेला-पेंड्रा-मारवाही, जशपुर, कवर्धा, कोरबा, कोरिया, महासमुंद, मुंगेली,रायगढ़,रायपुर,राजनांदगांव रायपुर और सरगुजा।

Read More

होली की उमंग आयुर्वेद के संग...

Posted on :17-Mar-2022
होली की उमंग आयुर्वेद के संग...

'द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा' से साभार 

खान-पान में रखें सावधानी, शराब, भांग और अन्य मादक पदार्थों से रहें दूर

होली यानि रंगों और नाना प्रकार के पकवानों के इस त्योहार के दौरान खान-पान में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में उमंग और उत्साह के मौसम बसंत ऋतु में मनाए जाने वाले होली पर्व को आरोग्य के लिए महत्वपूर्ण पर्व माना गया है क्योंकि इस त्योहार में मन ईर्ष्या, द्वेष, शत्रुता, क्रोध जैसे मानसिक अवगुणों से मुक्त होकर प्रफुल्लित रहता है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

शासकीय आयुर्वेद कॉलेज रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि चूंकि इस समय वातावरण में अनेक पराग कण मौजूद रहते हैं जो एलर्जिक रोग पैदा करते हैं, इसलिए होलिका दहन में अगरू, आम, साल, नीम इत्यादि के सूखे पेड़ों की टहनियों तथा गूगुल, कपूर इत्यादि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का उपयोग हवन के रूप में करना चाहिए ताकि वातावरण संक्रमण रहित हो सके। डॉ. शुक्ला ने बताया कि होली त्योहार के दौरान लोगों को रंग-गुलाल के साथ ही खान-पान में लापरवाही के कारण अनेक बार सेहत से जुड़ी समस्याओं से जूझना पड़ता है। इन दिनों बाजार में बिकने वाले अधिकांश रंग और गुलाल केमिकल और सिंथेटिक होते हैं जो अनेक बार आंख और त्वचा के लिए नुकसानदायक होते हैं। इसलिए रंग और अबीर के चयन में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

डॉ. शुक्ला ने बताया कि टेसू सहित अनेक वनस्पतियों जिससे प्राकृतिक रंग और गुलाल बनाया जाता है, उनमें औषधि गुण भी होते हैं। फलस्वरूप ये त्वचा और आंखों के लिए सुरक्षित होने के साथ ही चर्म रोगों में भी गुणकारी होते हैं। आजकल एरोमा थेरेपी यानि सुगंध से इलाज भी प्रचलन में है इसलिए सुगंध युक्त रंग-गुलाल से मन प्रसन्नचित्त हो जाता है जिससे होली का उमंग दोगुना हो जाता है। इसके अलावा मेहंदी और नीम की पत्तियों, गुड़हल, गेंदा, गुलाब, हरसिंगार फूल और नील पौधे की फलियों को उबालकर रंग व गुलाल बनाया जाता है। होली में हमें प्राकृतिक रंग और गुलाल का ही उपयोग करना चाहिए।
       
होली और ग्रीष्म ऋतु में छाछ, नीबू, आंवला, बेल, खस का शरबत और गन्ना रस का उपयोग लाभकारी

डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि होली के समय एवं बसंत ऋतु में आयुर्वेद पद्धति में पाचन तंत्र के लिए सुरक्षित और सुपाच्य आहार व पेय के विशेष निर्देश हैं। शीत ऋतु में शरीर में जमा कफ इस ऋतु में पिघलता है जिसका प्रभाव यकृत यानि लिवर में पड़ता है जो पाचन तंत्र से जुड़ा महत्वपूर्ण अंग है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के अनुसार इस ऋतु में गेहूं और मिश्रित आटे की रोटी, मूंग की दाल, खिचड़ी, हरी सब्जियां जैसे भिंडी, करेला, मुनगा यानि सहजन, भाजी, पुदीना, लहसुन, अदरक जैसे भोजन, सब्जियों और मसालों को अपने खान-पान में शामिल करना चाहिए। होली और ग्रीष्म ऋतु में छाछ, नीबू, आंवला, बेल, खस का शरबत और गन्ना रस का उपयोग करना चाहिए। लेकिन बाजार में बिकने वाले इन पेय पदार्थों के सेवन से परहेज करना चाहिए क्योंकि साफ-सफाई के अभाव में अनेक रोगों के संक्रमण का खतरा हो सकता है। इस समय अंगूर, संतरा, मौसंबी, तरबूज और खरबूज जैसे रसीले और पानीदार फलों का सेवन करना चाहिए जो शरीर को निर्जलीकरण से बचाता है। लोगों को आसन्न गर्मी के लिहाज से होली त्योहार में अधिक वसायुक्त खाद्य पदार्थों, गरिष्ठ भोजन, मांसाहार, भांग इत्यादि मादक पदार्थों तथा शराब के सेवन से बचना चाहिए, अन्यथा अनेक रोगों का खतरा बढ़ सकता है जो रंग में भंग डाल सकता है। आयुर्वेद में बताए गए इन सावधानियों के पालन और खान-पान से होली का उमंग दोगुना हो सकता है।

Read More

Previous1234567891011Next

Advertisement

Read More

Live TV

Join Us

WhatsApp Group Invite Chhattisgarh Daily News

विशेष रिपोर्ट

दान व पुण्य वही है जो एक हाथ से करें तो दुसरे हाथ को भी पता न हो : डॉ. हृदयेश

दान व पुण्य वही है जो एक हाथ से करें तो दुसरे हाथ को भी पता न हो : डॉ. हृदयेश

कोरबा में भूविस्थापितों का संघर्ष : कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ तेज होती लड़ाई...

कोरबा में भूविस्थापितों का संघर्ष : कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ तेज होती लड़ाई...

बाहरी कचरे से पहले आंतरिक अशुद्ध विचारों की स्वच्छता बेहद आवश्यक...

बाहरी कचरे से पहले आंतरिक अशुद्ध विचारों की स्वच्छता बेहद आवश्यक...

भारी होती परेड, हल्का पड़ता गणतंत्र...

भारी होती परेड, हल्का पड़ता गणतंत्र...

ज्योतिष और हेल्थ

जागरूकता से कैंसर पर काबू पाना संभव - डा विभाष राजपूत

जागरूकता से कैंसर पर काबू पाना संभव - डा विभाष राजपूत

जागरूकता और उचित खानपान से बचा जा सकता है कैंसर से - डॉ एमपी सिंह

जागरूकता और उचित खानपान से बचा जा सकता है कैंसर से - डॉ एमपी सिंह

तुलसी पूजा के चमत्कारिक लाभ... आपको पता होना चाहिए

तुलसी पूजा के चमत्कारिक लाभ... आपको पता होना चाहिए

शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का भंडार हैं ये खाद्य-पदार्थ

शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का भंडार हैं ये खाद्य-पदार्थ

खेल

बड़ी खबर : भारतीय क्रिकेटर ने किया संन्यास का ऐलान, उम्र को लेकर कही यह बात...

बड़ी खबर : भारतीय क्रिकेटर ने किया संन्यास का ऐलान, उम्र को लेकर कही यह बात...

ऑल इंडिया सिविल सर्विसेस में सूरजपुर जिले से सोमेश सिंह लामा का चयन...

ऑल इंडिया सिविल सर्विसेस में सूरजपुर जिले से सोमेश सिंह लामा का चयन...

Ind vs NZ: अर्शदीप सिंह को लगेगा तगड़ा झटका, टीम इंडिया से दिखाया जाएगा बाहर का रास्ता

Ind vs NZ: अर्शदीप सिंह को लगेगा तगड़ा झटका, टीम इंडिया से दिखाया जाएगा बाहर का रास्ता

भारत और न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों का रायपुर में जोरदार स्वागत...

भारत और न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों का रायपुर में जोरदार स्वागत...

व्यापार

आइडियाफोर्ज ने एनडब्लू इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक निवेश समझौता किया..

आइडियाफोर्ज ने एनडब्लू इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक निवेश समझौता किया..

जेके टायर ने रेंजर सीरीज़ में लॉन्च किए दो नए एक्सट्रीम टैरेन

जेके टायर ने रेंजर सीरीज़ में लॉन्च किए दो नए एक्सट्रीम टैरेन

स्टार इन्वेस्टर्स ने लिया लोगों को आर्थिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने का संकल्प

स्टार इन्वेस्टर्स ने लिया लोगों को आर्थिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने का संकल्प

ऑटो क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टोयोटा किर्लोस्कर के वाइस चेयरमैन विक्रम एस किर्लोस्कर का निधन...

ऑटो क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टोयोटा किर्लोस्कर के वाइस चेयरमैन विक्रम एस किर्लोस्कर का निधन...

गैजेट्स

भारत में लॉन्च हुआ OnePlus 10T 19 मिनट में होगा चार्ज...

भारत में लॉन्च हुआ OnePlus 10T 19 मिनट में होगा चार्ज...

बम की तरह फटा OnePlus Nord 2 स्मार्टफोन, कंपनी ने शुरू की जांच

बम की तरह फटा OnePlus Nord 2 स्मार्टफोन, कंपनी ने शुरू की जांच

MotoG 5G को टक्कर देने के लिए Xiaomi लाने वाली है 15000 रुपए से भी सस्ता 5G स्मार्टफोन!

MotoG 5G को टक्कर देने के लिए Xiaomi लाने वाली है 15000 रुपए से भी सस्ता 5G स्मार्टफोन!

Redmi K30 Ultra पॉप-अप सेल्फी कैमरा के साथ लॉन्च

Redmi K30 Ultra पॉप-अप सेल्फी कैमरा के साथ लॉन्च

राजनीति

Entertainment

बांग्ला फिल्म अभिनेता पार्थ मुखोपाध्याय का निधन

बांग्ला फिल्म अभिनेता पार्थ मुखोपाध्याय का निधन

बीमार मुक्केबाज की मदद को आगे आएं शाहरुख, की पांच लाख रूपये की मदद

बीमार मुक्केबाज की मदद को आगे आएं शाहरुख, की पांच लाख रूपये की मदद

सड़क पर वरुण धवन ने ली सेल्फी, पुलिस ने किया 600 रुपए का जुर्माना

सड़क पर वरुण धवन ने ली सेल्फी, पुलिस ने किया 600 रुपए का जुर्माना

एकता कपूर के स्टूडियो पर चला BMC का बुल्डोजर, करोड़ों का नुकसान

एकता कपूर के स्टूडियो पर चला BMC का बुल्डोजर, करोड़ों का नुकसान

Quick Links

  • होम
  • राष्ट्रीय
  • संपादकीय
  • विश्व
  • मनोरंजन


  • रोजगार
  • राजनीति
  • खेल
  • राजधानी
  • ज्योतिष


  • गैजेट्स
  • फोटो गैलरी
  • वीडियो गैलरी
  • Entertainment
  • संपर्क

Location Map

Contact Us

Address :

Baran Bazar, Favara Chowk, Gowli Para Road, Behind SBI ATM, Raipur (Chhattisgarh) - 492001

Phone No. : 0771-4032133

Email Id : [email protected]

RNI No. :
CHHHIN16912 GARJA CHHATTISGARH NEWS

Copyright © 2013-2023 Garja Chhattisgarh News All Rights Reserved | Privacy Policy | Disclaimer | Powered by : Softbit Solution