
Benefits of Punarnava : आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियां हैं जो विभिन्न बीमारियों के उपचार में सहायक होती हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है ‘पुनर्नवा’। इसे संस्कृत में ‘पुनः’ (फिर से) और ‘नवा’ (नया) शब्दों से मिलकर बना माना जाता है, जिसका अर्थ है ‘फिर से नया बनाने वाली’। यह पौधा न केवल गुर्दे (किडनी) और हृदय के लिए लाभकारी है, बल्कि अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में भी उपयोगी है।
गुर्दे के लिए पुनर्नवा का महत्व
गुर्दे हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करते हैं। लेकिन जब उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है, तब कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। पुनर्नवा में मूत्रवर्धक (डाययूरेटिक) गुण होते हैं, जिससे यह मूत्र विसर्जन को बढ़ावा देता है और गुर्दे की सफाई में सहायता करता है। इसके नियमित सेवन से किडनी फेल्योर और क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।
हृदय स्वास्थ्य में Punarnava की भूमिका
पुनर्नवा हृदय को स्वस्थ रखने के लिए भी जाना जाता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। साथ ही, यह रक्त संचार को सुचारू बनाए रखने में सहायक होता है, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
Punarnava : अन्य स्वास्थ्य लाभ
पुनर्नवा सिर्फ गुर्दे और हृदय के लिए ही नहीं, बल्कि कई अन्य बीमारियों के उपचार में भी उपयोगी है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में सहायक होते हैं।
मधुमेह नियंत्रण Diabetes Control: पुनर्नवा का सेवन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है।
मोटापा कम करने में सहायक Weight loss with Punarnava: यह शरीर में अतिरिक्त वसा को कम करने में सहायक होता है।
पाचन तंत्र को मजबूत करता है Strengthens the digestive system: यह पाचन में सुधार लाता है और पेट की समस्याओं से राहत देता है।
त्वचा रोगों में उपयोगी: पुनर्नवा का उपयोग त्वचा के संक्रमण और एलर्जी को दूर करने में किया जाता है।
सूजन और दर्द में राहत: यह शरीर की सूजन को कम करने में सहायक होता है, जिससे जोड़ों के दर्द और गठिया जैसी समस्याओं में आराम मिलता है।
नेत्र रोगों में सहायक: इसकी जड़ का रस आंखों के लिए फायदेमंद होता है, विशेषकर रतौंधी जैसी समस्या में।
कैसे करें Punarnava का सेवन?
पुनर्नवा को विभिन्न रूपों में सेवन किया जा सकता है:
चूर्ण: पुनर्नवा की जड़ या पत्तियों को सुखाकर बनाया गया चूर्ण पानी या शहद के साथ लिया जा सकता है।
काढ़ा: इसकी पत्तियों को उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से शरीर को लाभ मिलता है।
कैप्सूल और टैबलेट: बाजार में पुनर्नवा के सप्लीमेंट्स भी उपलब्ध हैं, जिन्हें डॉक्टर की सलाह पर लिया जा सकता है।
रस: पुनर्नवा के ताजे पत्तों या जड़ का रस भी औषधीय गुणों से भरपूर होता है।
पुनर्नवा एक अत्यंत प्रभावी औषधीय जड़ी-बूटी है, जो गुर्दे, हृदय और अन्य कई बीमारियों के उपचार में सहायक होती है। इसके नियमित सेवन से न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, बल्कि कई गंभीर बीमारियों से बचाव भी होता है। हालांकि, इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेद विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेना चाहिए। (एजेंसी)
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।