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छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने कहा : जल, जंगल, जमीन को बचाने और कॉर्पोरेटपरस्त सांप्रदायिक राजनीति से मुक्ति के लिए भाजपा को हराओ

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने कहा : जल, जंगल, जमीन को बचाने और कॉर्पोरेटपरस्त सांप्रदायिक राजनीति से मुक्ति के लिए भाजपा को हराओ

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संजय पराते

रायपुर। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) ने जल, जंगल, जमीन, खनिज और प्राकृतिक संसाधनों को बचाने, लोकतंत्र, संविधान, मानवाधिकारों और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए और कॉर्पोरेटपरस्त सांप्रदायिक राजनीति से मुक्ति के लिए आम जनता से पूरे प्रदेश में भाजपा को हराने की अपील की है। सीबीए ने चुनाव जीतने के लिए आरएसएस-भाजपा द्वारा प्रदेश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के प्रयासों की भी कड़ी निंदा की है तथा कहा है कि स्वाधीनता संग्राम में अंग्रेजों का साथ देने वाला और महात्मा गांधी की हत्या के लिए जिम्मेदार संघी गिरोह आज भी देश जोड़ने का नहीं, तोड़ने का काम कर रहा है।

सीबीए संयोजक मंडल की ओर यह अपील आज संजय पराते और आलोक शुक्ला ने जारी की। उन्होंने कहा कि अपने 15 सालों के राज में भाजपा ने केवल सांप्रदायिक मुद्दों पर राजनीति की थी, कॉरपोरेटपरस्त नीतियों को लागू किया था और आम जनता की बुनियादी समस्याओं को हल करने की उसने कोई कोशिश नहीं की। आज भी केंद्र की भाजपा सरकार देश की सार्वजनिक संपदा को कॉरपोरेट घरानों को सौंपने की ही नीति पर चल रही है। वह बड़े पैमाने पर लोकतांत्रिक संस्थाओं पर, संविधान और उसके मूल्यों पर हमला कर रही है और एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र को हिंदू राष्ट्र में बदलने का लक्ष्य लेकर चल रही है। वह समानता, भाईचारा और सामाजिक न्याय के उद्देश्यों पर आधारित संविधान को मनुस्मृति से बदलना चाहती है, जो भारतीय समाज को असमानता और उत्पीड़न पर आधारित एक बर्बर और असभ्य समाज में ही बदल सकता है।

सीबीए नेताओं का कहना है कि बस्तर की संपदा की कॉरपोरेट लूट के खिलाफ आदिवासी समुदाय शांतिपूर्ण ढंग से लड़ रहा है। उनके आंदोलनों को तोड़ने के लिए भाजपा-आरएसएस शातिराना ढंग से धर्म के आधार पर   उन्हें नागरिक अधिकारों से वंचित करने की घृणित मुहिम चला रही है। यह भाजपा की केंद्र सरकार ही है, जो वनों की कॉरपोरेट लूट को आसान बनाने के लिए वनाधिकार कानून और वन संरक्षण कानून में आदिवासी विरोधी संशोधन कर रही है और पेसा कानून को कमजोर कर रही है। भाजपा के इन कदमों से जंगलों से आदिवासियों का अलगाव और विस्थापन बढ़ रहा है। पिछले भाजपा राज में आदिवासी विरोधी सलवा जुडूम अभियान इसीलिए चलाया गया था। बस्तर के सशस्त्रीकरण के इस अभियान के चलते लाखों आदिवासियों को अपने गांव-घरों से विस्थापित किया गया था, सैकड़ों गांव जलाए गए थे, सैकड़ों महिलाओं से बलात्कार किया गया था, कईयों की हत्याएं हुई हैं। इस उत्पीड़न के खिलाफ आदिवासी समुदाय आज भी न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। 

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने कहा है कि भाजपा-आरएसएस की फासीवादी-सांप्रदायिक नीतियों को परास्त करने के लिए तात्कालिक जरूरत यह है कि उसे विधानसभा के चुनावों में परास्त किया जाएं, ताकि अपने घृणित मंसूबों के लिए वह सत्ता की मशीनरी का दुरुपयोग न कर सके। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर आम जनता से भाजपा की हार को सुनिश्चित करने की अपील की जा रही है। 

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