विशेष रिपोर्ट

सार्क जर्नलिस्ट्स फोरम बिश्व मे शान्ति स्थापनार्थ कार्य करेगी : राजु लामा

सार्क जर्नलिस्ट्स फोरम बिश्व मे शान्ति स्थापनार्थ कार्य करेगी : राजु लामा

वैशाली स्वर्ण जयंती समापन समारोह आयोजित 

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बैशाली । विश्व में लोकतंत्र की जननी के रूप में स्थापित वैशाली स्थित विश्व शांति स्तूप के निकट स्थित द बुद्धा फन एंड फूड विलेज सभागार में  मानवाधिकार टुडे और आम्रपाली कला साहित्य सम्मेलन के संयुक्त तत्वावधान में   सार्क जर्नलिस्ट फोरम, बिहार, इंडिया चैप्टर के सहयोग से वैशाली  जिला स्थापना स्वर्ण जयंती वर्ष समापन समारोह के उपलक्ष्य में युद्ध, शांति एवं मानवाधिकार विषय पर परिचर्चा एवं सम्मान समारोह का आयोजन बीते शनिवार को किया गया ।  

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समारोह का उदघाटन अंतरराष्ट्रीय लोक संस्कृति संवाहिका, मॉरीशस की डॉ सरिता बुधु, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ, दूरदर्शन केंद्र, पटना के कार्यक्रम प्रमुख डॉ राजकुमार नाहर, मानवाधिकार संवाहक डॉ. शशि भूषण कुमार, प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ उषा वर्मा, सार्क जर्नलिस्ट फोरम के अध्यक्ष राजू लामा और हेलो ढाका न्यूज के मो. अब्दुर रहमान ने दीप प्रज्जवलित कर संयुक्त रूप से किया। समारोह को संबोधित करते हुए डॉ सरिता बुधु ने कहा कि युद्ध की विभीषिका मानवता की सबसे बड़ी शत्रु है। इसका प्रतिकूल प्रभाव काफी लंबे समय तक पड़ता है। उन्होंने आगे कहा कि अहिंसा के माध्यम से ही लोकतंत्र  व शांति को स्थापित किया जा सकता है । 

कार्यक्रमको संबोधित करते हुए सार्क जर्नलिस्ट्स फोरम के अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष राजु लामा ने शान्ति के आगे युद्ध की परिचर्चा को नकारते हुए शान्ति के बिकल्प दुनिया मे मानवाधिकार की गारंटी  असंभव बताया । उन्होंने बुद्ध र महाबीर के रास्ते मे चल्ना ही आज की आवस्यकता ठहराते हुए सार्क जर्नलिस्ट्स फोरम इसी एजेण्डे पर अड़ी हुई बताया । कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने कहा कि युद्ध के दौरान मानवाधिकार का हनन व्यापकता के साथ होता है। आज विश्व पुनः दो धड़ों में विभाजित हो चुका है। वर्तमान स्थिति विश्व के लिए शुभ नहीं है। 

स्वागताध्यक्ष डॉ शशि भूषण कुमार ने कहा कि लोकतांत्रिक सशक्तीकरण के लिए मानवाधिकार का संरक्षण नितांत आवश्यक है। उन्होने आगे कहा कि वैशाली भगवान महावीर की जन्म भूमि व भगवान बुद्ध की कर्मभूमि होने के साथ-साथ प्रजातंत्र की जननी भी है। डॉ. राजकुमार नाहर ने कहा कि प्रजातंत्र शासन की सबसे सर्वोत्कृष्ट पद्धति है।  शांति स्थापना  हेतु मानवाधिकार संरक्षण एक आवश्यक शर्त है। राजू लामा ने कहा कि नेपाल और भारत वर्षों से साथ है। दोनों की संस्कृति की अनूठी विशेषता है और  दोनों  देश शांति स्थापना के लिए प्रयत्नशील है। 

पद्मश्री डॉ जितेंद्र कुमार ने कहा कि विश्व में आज युद्ध का माहौल बना हुआ है, जो मानवता के लिए सही नहीं है। पद्मश्री राजकुमारी देवी उर्फ किसान चाची ने कहा कि आज सम्पूर्ण विश्व को बुद्ध, महावीर एवं गांधी के विचारों की जरूरत है। पद्मश्री डॉ शांति राय ने अपने संबोधन में कहा कि युद्ध से अनेकों समस्याएं सामने आती है और यह किसी भी समस्या का समाधान नहीं है । 

मो. अब्दुर रहमान ने कहा कि  वैशाली ने विश्व को प्रजातंत्र का संदेश दिया है और प्रजातांत्रिक विचारों का प्रसार किया है। एलीट इंस्टीट्यूट के संस्थापक अमरनाथ झा ने कहा कि मानवाधिकार और लोकतंत्र एक - दूसरे के पूरक है। एक का सशक्तीकरण दूसरे का सशक्तीकरण है। 

समारोह में उपस्थित मानव अधिकार कार्यकर्ता अमित कुमार 'विश्वास' ने कहा कि युद्ध का विचार ही लोकतंत्र व मानवाधिकार के लिए घातक है और युद्ध होना इसे समाप्त करने के बराबर है। उन्होंने लोकतांत्रिक पद्धति के माध्यम से समस्याओं के निराकरण पर बल दिया। समारोह में मंच संचालन कौशर प्रवेज और  धन्यवाद ज्ञापन डॉ शिवबालक राय प्रभाकर ने किया। 

समारोह में डॉ नीतू नवगीत, आनंद मोहन झा, विराजन सिंह, अमरेंद्र कुमार, रविन्द्र कुमार रतन, चंद्रशेखर अखौरी, सुधा वर्मा, सरस्वती मिश्र, प्रिंस गुप्ता, विकाश कुमार, प्रतीक कुमार,  दीपक कुमार साह, लकी राज, दिव्यांश गुप्ता, अरविंद कुमार, शिवम कुमार, अभय कुमार, आदिल परवेज, कुंदन कृष्णा, राहुल राजपूत सहित बड़ी संख्या में गण्यमान्य लोग उपस्थित हुए।

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