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कांग्रेस की गुटबाजी ले डूबेगी कांग्रेस को..बड़े नेता बने तमाशबीन..

कांग्रेस की गुटबाजी ले डूबेगी कांग्रेस को..बड़े नेता बने तमाशबीन..

रायपुर : छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना कभी भी जारी हो सकती है, भारतीय जनता पार्टी के सभी विंग पूरी तरहा से चुनावी मोड़ में सक्रिय हो चुके हैं, इस दफा आम आदमी पार्टी समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी तो राज्य में चुनाव लडेंगे ही साथ ही कांग्रेस के पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविन्द नेताम भी अपनी नई पार्टी के बैनर से लगभग चालीस विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ाने का दावा कर चुके हैं..

स्व. अजीत जोगी की पार्टी जोगी कांग्रेस भी चुनाव मैदान में होगी , तो सवाल है कि राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस क्या कर रही है..? जी हां.. कांग्रेस अपने राज्य के नेताओं के गुटों के गुटबाजी से उबर ही नहीं पा रही है..इस समय राज्य में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खेमे से जुड़े नेता टिकट पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं तो कांग्रेस के नये नये अध्यक्ष बने सांसद दीपक बैज का भी एक गुट अंकुरित हो गया है, फिलहाल ये गुट बस्तर संभाग की बारह विधानसभा सीटों पर अपनी पसंद के प्रत्याशियों को टिकट दिलाने की कवायद में जुटा हुआ है,

अपनी साफ गोई और साफ सुथरी राजनीतिक शैली के लिए जाने जाने वाले उप-मुख्यमंत्री मंत्री टी.एस.सिंहदेव का भी पूरे प्रदेश की लगभग पचास विधानसभा सीटों पर खासा प्रभाव है तो स्वाभाविक है कि उनके समर्थक भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट की चाहत रखते होंगे, कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ में सत्ता का राजमार्ग बस्तर से ही होकर गुजरता है, बारह विधानसभा क्षेत्रों वाला बस्तर यूं तो सदैव ही उपेक्षा और दोहन का शिकार रहा है परन्तु सत्ता दिलाने में बस्तर की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही है और आगे भी ये महत्व बरकरार रहने वाला है, बस्तर की बारह विधानसभा सीटों में से ग्यारह सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं जबकि जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र अनारक्षित है यानी सामान्य वर्ग के लिए है,

बस्तर संभाग की कुल आबादी का चौंतीस से सैंतीस पर्सेंट गैर आदिवासी निवासियों का प्रतिनिधित्व जगदलपुर विधानसभा सीट करती है, इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस के रेखचन्द जैन विधायक हैं, रेखचन्द जैन ने सत्ताइस हजार पांच सौ वोटों से जीत हासिल की जो कि अपने आप में रिकॉर्ड कहा जा सकता है, कालान्तर में बस्तर के एकमात्र पी.जी. कॉलेज के वे छात्रसंघ अध्यक्ष भी रह चुके हैं, जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक को  कमजोर विधायक प्रचारित करने की मुहिम कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पिछले दस माह से छेड़ रखी है इस मुहिम में भाजपा भी गाहे व गाहे सह भागी बन गई उसे यह मुहिम बैठे बैठाए कुछ कांग्रेसियों ने ही सौंप दी इस मुहिम के पीछे निजी दुश्मनी और पार्टी टिकट की चाह मुख्य कारण समझा जाता है,

यानी गैर आदिवासी राजनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण इस सीट को हराने के लिए भाजपा को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी यहां कांग्रेस को कुछ कांग्रेसी ही निपटा देंगें, बस्तर में चित्रकोट नारायणपुर कांकेर विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को कांटे की टक्कर मिलने की पूरी सम्भावना है जबकि कोन्टा विधानसभा केशकाल विधानसभा जगदलपुर विधानसभा कोण्डागांव विधानसभा में कांग्रेस खासी मजबूत दिखाई पड़ती है, हांलांकि यह मजबूती इस बात पर निर्भर करेगी कि कांग्रेस के भीतर घातियों को पार्टी कैसे कन्ट्रोल करेगी या कर पाएगी या नहीं..

आज की स्थिति में जो राजनीतिक दृष्य दृष्टिगोचर होता है उसके लिहाज से कांग्रेस पचास से बावन सीट जीतती नजर आती है यानी राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती दिखाई पड़ती है, अभी मतदान के लिए समय शेष है, देश के बड़े नेताओं का आना प्रारम्भ हो चुका है, मुद्दों वादों गारन्टियों और आरोपों का खौफ़नाक दौर आना अभी बाकी है, देखना होगा कि सत्ता का ऊंट किस करवट बैठता है.

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