राष्ट्रीय

तीसरी पुण्यतिथि पर विशेष : कोशी क्षेत्र के लाखों लोगों के रहनुमा थे मुन्ना बाबू

तीसरी पुण्यतिथि पर विशेष : कोशी क्षेत्र के लाखों लोगों के रहनुमा थे मुन्ना बाबू

एम. के.मधुवाला वरिष्ठ पत्रकार।

No description available.

नयी दिल्ली : (एजेंसी)।कहते हैं,इंसान मानवीय संवेदना का पुंज होता है और यही संवेदना उसको ऐसे सद कार्यो की प्रेरणा देता है,जो एक मिसाल बन जाता है।ठीक ऐसा ही वाक्या जाने माने वरिष्ठ साहित्यकार एवं कोशी के लाल स्व.उदय कान्त पाठक"मुन्ना बाबू" से जुड़ा है,जब उन्होंने प्राकृतिक त्रासदी की मार झेल रहे कोशी पीड़ित इलाके में आज से साठ साल पहले शिक्षा का अलख जगाया और आज इनके लाखों मुरीद हैं।

हालांकि मुन्ना बाबू का जन्म कोशी इलाके के बड़े जमींदारों में से एक यदु पाठक के परिवार में हुआ था,जो आजादी के समय दो हजार एकड़ जमीन के मालिक थे।इस परिवार की इससे भी बड़ी विशेषता यह थी, कि वे अत्यंत धार्मिक एवं समाजवादी व्यवस्था के पोषक थे।वे आजादी के सेनानियों के साथ ही समाज के कमज़ोर वर्गों को खुले दान देते थे।इलाके में आज भी लोग इस परिवार को मालिकाना परिवार के रूप में पुकारते है।मुन्ना बाबू की कल तीसरी पुण्यतिथि है।

विशिष्ट सेवा के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित मुन्ना बाबू में अपने परिवार का यह गुण भरा हुआ था।वह उच्च शिक्षा ग्रहण के बाद जेल सेवा के लिए चयनित हुए,मगर उन्होंने उसे छोड़कर शिक्षक के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की,क्योंकि उन्हें कोशी इलाके में लोगों को शिक्षित करना था। उस समय  दरभंगा जिले में पड़ने वाले कोशी क्षेत्र के सौ से अधिक गांवों में पांचवीं कक्षा तक का एक मात्र स्कूल  भेजा गांव में था,जो इन दिनों मधुबनी जिले के मधेपुर प्रखंड में पड़ता है।

शिक्षक होते हुए उस ज़माने के बिहार के लोकप्रिय अखबार आर्यावर्त,इंडियन नेशन एवं मिथिला मिहिर के नियमित लेखक रहे मुन्ना बाबू ने गांव गांव घूमकर गाय चराने बाले बच्चों तक को स्कूल से जोड़ा।उन्हें शिक्षित किया।फिर इस स्कूल से मिडिल तक शिक्षा प्रारंभ हुई,लेकिन वह यहीं तक कहां रुकने वाले थे,अपने कई एकड़ के पुस्तैनी जमीन पर दयाराम उच्च विद्यालय की स्थापना की,जो आज प्रसिद्ध सरकारी स्कूलों में सुमार है।

पेशे से प्रधानाध्यापक मुन्ना बाबू ने जब वर्ष 1997 में  सरकारी सेवा से अवकाश ग्रहण किया तो उस समय के लोकप्रिय हिन्दी मासिक पत्रिका लोक संगठन के संस्थापक प्रधान संपादक बने और समाज की सेवा की।आज यह संस्थान प्रसिद्ध एजेंसी का रूप ले लिया है।जिसकी खबरें कई भाषाओं में प्रकाशित एवं प्रसारित हो रही है।तकनीकी युग में यह संस्थान विश्वसनीयता का प्रतीक बना है।एल.एस।

More Photo

    Record Not Found!


More Video

    Record Not Found!


Related Post

Leave a Comments

Name

Contact No.

Email