कोलकाता : कोलकाता हाई कोर्ट ने एक केस में सुनवाई के दौरान नसीहत देते हुए कहा कि नाबालिग लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं को काबू में रखना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा है कि लड़कों को भी उनका सम्मान करते हुए इसकी सीख देनी चाहिए। कोलकाता हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के मामले में यह अहम टिप्पणी की और लड़के को बरी कर दिया। इससे पहले निचली अदालत ने इस मामले में लड़के को दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी।
प्रेम प्रसंग से जुड़ा है मामला दरअसल, मामला प्रेम प्रसंग से जुड़ा हुआ है। लड़की और लड़के के बीच प्रेम प्रसंग में आपसी सहमति से शारीरिक संबंध स्थापित हुए थे। उस समय लड़की नाबालिग थी और इसके बाद 18 वर्ष की उम्र होने पर लड़की ने अपने प्रेमी से शादी कर ली। वहीं, निचली अदालत ने नाबालिग लड़की से यौन संबंध बनाने के आरोप में लड़के को दोषी मानते हुए सजा सुना दी। इसके बाद मामला कोलकाता हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट के जस्टिस चित्तरंजन दास और पार्थ सारथी सेन ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि दोनों के बीच आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बने थे। इस कारण केवल लड़के को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। हाई कोर्ट ने लड़के को मामले में बरी कर दिया।
हाई कोर्ट ने इस तरह के मामलो में पोक्सो के इस्तेमाल पर भी चिंता जताई और सुझाव दिया कि 16 साल से अधिक किशोरों के बीच सहमति से यौन संबंध बनाने की स्थिति को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि किशोरों में सेक्स सामान्य है, लेकिन यौन इच्छा महिला व पुरुष के कुछ कार्यों पर निर्भर करती है। कोर्ट ने कहा, 'नाबालिग लड़कियां दो मिनट के यौन सुख के आनंद के लिए तैयार हो जाती है, जबकि उनको अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और उनको अपनी गरिमा व आत्म सम्मान की रक्षा करनी चाहिए।'