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    बिहार में बीजेपी की नई हिकमत - ए - अमली, तस्वीरों में चारों तरफ़ अंबेडकर, हक़ीक़त में नज़रियात ग़ायब: एम.डब्ल्यू. अंसारी (आई.पी.एस.)

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    जन संस्कृति मंच का 17वां राष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न

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    गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु और श्री मदभागवत कथा की विशेष चर्चा की :-  गौरी शंकर प्रिया

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    श्रमिक संगठनों के भारत बंद का असर,बिहार में मतदाता पुनरीक्षण के खिलाफ चक्का जाम

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    SEBI की चुप्पी से उठे सवाल: 200 करोड़ के वरनियम क्लाउड घोटाले में हर्षवर्धन साबले अब भी फरारनिवेशकों में भय, विदेशी निवेश पर असर, और सिस्टम की गंभीर विफलता उजागर

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    शिक्षा का मंदिर में गुंडागर्दी, गैंग बनाकर की जूनियर छात्रों की पिटाई, जवाहर नवोदय विद्यालय का मामला

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    छत्तीसगढ़ शिवसेना के 41वें स्थापना दिवस पर खरोरा अस्पताल में मरीजों को फल और बिस्किट वितरित

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बिहार में बीजेपी की नई हिकमत - ए - अमली, तस्वीरों में चारों तरफ़ अंबेडकर, हक़ीक़त में नज़रियात ग़ायब: एम.डब्ल्यू. अंसारी (आई.पी.एस.)

Posted on :15-Jul-2025
बिहार में बीजेपी की नई हिकमत - ए - अमली, तस्वीरों में चारों तरफ़ अंबेडकर, हक़ीक़त में नज़रियात ग़ायब: एम.डब्ल्यू. अंसारी (आई.पी.एस.)

बीजेपी के जिस दफ़्तर की दीवारें जहां कभी सिर्फ़ दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी की तस्वीर हुआ करती थीं, आज वहां डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की बड़ी-बड़ी तस्वीरें आवेज़ां हैं। ऐसा क्यों है?क्या ये नज़रीयाती तब्दीली है या महज़ चुनावी मजबूरी? ब- ज़ाहिर ये एक कोशिश है जिसका हदफ़ बिहार की 2025 की असेंबली इंतेख़ाबात में दलित और पसमांदा वोट बैंक को अपनी तरफ़ माइल करना है।

गुज़िश्ता लोकसभा इंतेख़ाबात के नतीजों ने बीजेपी को वाज़ेह पैग़ाम दिया है कि सिर्फ़ आला जातियों पर इनहिसार अब कामयाबी की ज़मानत नहीं बिहार जैसी रियासत में जहां दलित, ओबीसी, एससी / एसटी और पसमांदा वोटरों की मुश्तरका तादाद 65 फ़ीसद से ज़ायद है, वहां सियासी जमाअतें अब अपनी हिकमत-ए-अमली तब्दील करने पर मजबूर हो रही हैं।

पसमांदा तबके की क़ियादत और उनके वोट को मुनज़्ज़म अंदाज़ में हासिल करने के लिए बीजेपी अब “सबका साथ, सबका विकास" के नारे के साथ-साथ "सबका विश्वास" जीतने की मुहिम भी चला रही है। हालाँकि ये सिर्फ़ नारे हैं, हक़ीक़त में बरसर - ए - इक्तिदार पार्टी ने कुछ नहीं किया, लेकिन सवाल ये है कि क्या ये एतिमाद महज़ तस्वीरें लगाने और नारों से हासिल हो सकता है? या अमली तौर पर भी कुछ काम करने होंगे? और क्या जनता इतनी नासमझ है कि चंद दिनों के लिए तस्वीरें लटकाने से ही अपना क़ीमती वोट जाया कर देगी?

क़ाबिले- ज़िक्र है कि दो साल क़ब्ल वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद में एक जलसे के दौरान पसमांदा मुसलमानों का ज़िक्र करते हुए उनकी पसमांदगी पर हमदर्दी जताई थी। उनके बक़ौल, “पसमांदा मुसलमानों को माज़ी की हुकूमतों ने धोखा दिया है।" ये बयान सुनने में ख़ुशआइंद ज़रूर है, लेकिन सवाल ये है कि अगर वाक़ई मर्कज़ी हुकूमत पसमांदा मुसलमानों की ख़ैरख़्वाह है तो फिर आइन-ए-हिंद का वो इमतियाज़ी ऑर्डर सदरती हुक्म 1950- • आज तक क्यों नाफ़िज़ -उल-अमल है ? जिसके तहत मुसलमान या ईसाई दलित आज भी रिज़र्वेशन से महरूम हैं। अगर वाक़ई नीयत साफ़ है तो इस इमतियाज़ी हुक्म को ख़त्म कर के पसमांदा मुसलमानों को भी वही हुकूक दिए जाएं जो दूसरे दलितों को हासिल हैं। सिर्फ़ जलसों में नाम लेना, इंतेख़ाबी मंशूर में ज़िक्र करना और तस्वीरों के ज़रिए हमदर्दी ज़ाहिर करना काफ़ी नहीं, हक़ीक़ी इंसाफ तो पॉलिसी और क़ानून में तब्दीलियों से मिलेगा ।

और 75 साल गुज़रने के बाद भी देश रत्न बख़्त मियां उर्फ बतख मियां अंसारी आज भी इंसाफ़ के मुन्तज़िर हैं। वो कौन सी हुकूमत होगी जो उन्हें इंसाफ़ दिलाएगी या फिर सिर्फ़ "पसमांदा, पसमांदा” का राग ही आलापना काफ़ी है? दूसरी तरफ़, ये भी एक तल्ख़ हक़ीक़त है कि आज कई ऐसी पसमांदा मुस्लिम तंज़ीमें मौजूद हैं जो दानिस्ता या ग़ैर-दानिस्ता तौर पर बीजेपी के नज़रीये को मज़बूत करने में मसरूफ़ हैं। चाहे वो कोई पसमांदा मोर्चा हो, पसमांदा सभा हो कोई भी हो। सवाल ये नहीं है कि वो बीजेपी के साथ क्यों खड़ी हैं, सवाल ये है कि क्या वो वाक़ई अपने तबके के मफ़ाद में कोई तबदीली ला पाई हैं? न तो 1950 का सदरती हुक्म ख़त्म हुआ, न रिज़र्वेशन मिला, न तालीमी या मआशी तरक़्क़ी के लिए कोई ख़ास स्कीम दी गई - फिर ये क़ुरबत किस बुनियाद पर है? यक़ीनन ये मोहब्बत तो नहीं हो सकती, शायद मज़बूरी है या फिर सियासी मसलेहत। लेकिन क्या मुसलमान सिर्फ़ इस्तेमाल किए जाने के लिए रह गए हैं? सब तबक़ात को हुक़ूक़ मिल रहे हैं, मगर मुसलमान अब भी इफ़्तिदार के दरवाज़े से बाहर खड़ा है। वक़्त आ गया है कि पसमांदा तंज़ीमें अपना मुहासा करें: क्या वो वाक़ई अपनी क़ौम के मफ़ाद की नुमाइंदा हैं या महज़ इक्तिदार के मातहत काम करने वाले ?

गौरतलब है कि हाल ही में इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया ने तमाम रियास्ती इलेक्शन ऑफ़िसरों को हिदायत दी है कि वोटर लिस्ट में फ़र्ज़ी तरीक़े से जुड़े हुए नामों, मरहूमीन के नाम, और दुहरे इंद्राज ख़त्म कि जाएं। ये हिदायत अगरचे जम्हूरियत के इस्तिहकाम के लिए ख़ुशआइंद है, मगर ख़द्शा है कि इसकी आड़ में मख़सूस समाजी तबक़ों के वोटरों को निशाना न बनाया जाए। बिहार में पहले भी ये इल्ज़ाम लगता रहा है कि अक़ल्लीयतों और पसमांदा तबक़ात के वोट दानिस्ता तौर पर वोटर लिस्ट से हज़्फ़ किए जाते हैं। और उन्हें परेशान करने के लिए तमाम तरह के हर्बे इस्तेमाल किए जाते रहे हैं।

ये बात भी क़ाबिले-गौर है कि बिहार की सियासत में दलितों, ओबीसी और पसमांदा वोटरों की हैसियत हमेशा फ़ैसला कुन रही है, मगर अफ़सोस कि उनकी सियासी हैसियत को अक्सर महज़ वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया गया। पार्टियाँ उनको क़ियादत में हिस्सा नहीं देतीं, सिर्फ़ उनके चेहरों को दिखा कर वोट हासिल करने की कोशिश करती हैं। नतीजा ये होता है कि जब हुकूमत बनती है तो पॉलिसी साज़ी में अक़ल्लीयत और पसमांदा तबकात नदारद रहते हैं या यूं कहें कि उन्हें इससे महरूम रखा जाता है।

बिहार में शेख, सैयद, पठान जैसी आला जात मुस्लिम तबक़ों के बरअक्स, अंसारी, क़ुरैशी, सलमानी, धोबी, हलवाई, मोमिन, मंसूरी जैसे पसमांदा मुसलमानों की अक्सरीयत तालीम, मआशत और सियासत में पिछड़ चुकी है। उनके लिए 1950 का सदरती हुक्मनामा आज भी सबसे बड़ी रुकावट बना हुआ है, जिसके तहत मुसलमान और ईसाई दलितों को रिज़र्वेशन से महरूम रखा गया। यही वो तबका है जो तालीम, सेहत, रोज़गार और इंसाफ़ के लिए सबसे ज़्यादा रियासत पर इनहिसार करता है, लेकिन उनकी नुमाइंदगी असेंबली से लेकर पंचायत तक में न के बराबर है।

बिहार के दलित, एससी / एसटी, ओबीसी और पसमांदा मुसलमान अब वो पुराने वोटर नहीं रहे जो नारों से बहल जाएं। वो सवाल पूछ रहे हैं कि हमारे वोट से हुकूमत बनती है, मगर हमारे बच्चों को नौकरी क्यों नहीं मिलती? हमें हर पाँच साल बाद याद किया जाता है, लेकिन पाँच साल तक भुला क्यों दिया जाता है? हमारे नाम पर पॉलिसियाँ बनती हैं, लेकिन फ़ायदा ऊँचे तबक़ों को क्यों पहुँचता है? ये सवाल अब सिर्फ़ जलसों में नहीं बल्कि चारों तरफ़ चौक-चौराहों पर भी गूंज रहे हैं।

ये भी हक़ीक़त है कि पसमांदा मुसलमानों का मामला और भी ज़्यादा पेचीदा है। उनके मसाइल, जैसे तालीम, रोज़गार, तहफ़्फ़ुज़, रिज़र्वेशन और समाजी इंसाफ़ वग़ैरा क़ौमी और रियास्ती सियासी मंज़रनामे से ग़ायब हैं। चंद पसमांदा रहनुमाओं जैसे अब्दुल कय्यूम अंसारी, अली हुसैन आसिम बिहारी वग़ैरा को आगे लाकर पसमांदा तबक़ात के जज़्बात को बहलाया जाता है। इसकी ज़िम्मेदार सब ही पार्टियाँ हैं चाहे वो कांग्रेस हो, आरजेडी हो, जेडीयू या कोई और सियासी पार्टी - सब ने मिल कर पसमांदा समाज का इस्तेहसाल किया है और उनके हुक़ूफ़ के लिए ज़मीनी सतह पर मेहनत नहीं की और न ही उनकी फ़लाह व बहबूद के लिए कोई ठोस इक़दामात किए और उनके तालीमी और इक्तिसादी हालात सबके सामने हैं।

दिलचस्प बात ये है कि जिन तंज़ीमों ने कभी अंबेडकर के ख़यालात को "समाज को तोड़ने वाला” कहा था, आज वही उन्हें "राष्ट्र नायक" क़रार दे रही हैं। ये तज़ाद इस बात का सुबूत है कि नज़रिया कभी -कभी सिर्फ़ हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, असल मक्सद इक्तिदार का हुसूल होता है।

आने वाले बिहार असेंबली इंतेख़ाबात में असल सवाल यही होगा कि दलित, ओबीसी और पसमांदा मुसलमान क्या अपने मसाइल के हल की बुनियाद पर वोट देंगे? क्या वो महज़ तस्वीरों, वादों और ज़ात-पात की सियासत से ऊपर उठ कर अपनी हक़ीक़ी क़ियादत को पहचानेंगे और अपनी ख़ुद की क़ियादत खड़ी करेंगे?

अगर सियासी जमाअतें वाक़ई दलितों और पसमांदा तबक़ात की तरक़्क़ी की ख़्वाहां हैं, तो उन्हें सिर्फ़ पोस्टर पर तस्वीर लगा कर या किसी दलित को रियास्ती सदर बना कर ख़ुशफ़हमी में नहीं रहना चाहिए, बल्कि ज़मीन पर इस्लाहात, तालीम, तहफ्फुज़, रोज़गार, रिज़र्वेशन और इंसाफ़ के हक़ीक़ी इक़दामात करने होंगे।

ये वक़्त है जागने का, पहचानने का, और सिर्फ़ "नज़रीयाती तस्वीरों" पर न बहकने का। सियासत को अगर बदलना है, तो वोटरों को भी अपना मिज़ाज बदलना होगा। अब की बार "सियासत में हिस्सेदारी नहीं तो वोट नहीं" का नारा पूरे बिहार में गूंजे तभी पसमांदा और पिछड़े तबक़ात अपना आइनी हक़ हासिल कर सकते हैं वरना आइंदा पाँच साल फिर ज़ुल्म-ओ-सितम, तशद्दुद और दूसरों के रहम-ओ-करम के लिए तैयार रहें - यही ज़मीनी हक़ीक़त है जिसे इस इंतेखाब में ज़रूर बदलना होगा ।

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जन संस्कृति मंच का 17वां राष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न

Posted on :15-Jul-2025
जन संस्कृति मंच का 17वां राष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न

 फासीवाद की विभाजनकारी संस्कृति के खिलाफ एकता, सृजन और संघर्ष का संकल्प 

 देश भर से 300 लेखक व संस्कृतिकर्मी एकजुट हुए 

 मशहूर रंगकर्मी जहूर आलम अध्यक्ष तथा लेखक व पत्रकार मनोज कुमार सिंह महासचिव चुने गए 

रॉंची :  जन संस्कृति मंच का 17वां राष्ट्रीय सम्मेलन 12 व 13 जुलाई को सोशल डेवलपमेंट सेंटर, रांची (झारखंड) में फासीवाद की विभाजनकारी संस्कृति के खिलाफ सृजन और संघर्ष के संकल्प व आगे की कार्य योजना तथा पदाधिकारियों, राष्ट्रीय कार्यकारिणी व परिषद के चुनाव के साथ संपन्न हुआ। इसमें बंगाल, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि राज्यों से तीन सौ से अधिक लेखक, कलाकार और बुद्धिजीवी शामिल हुए।

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सोशल एक्टिविस्ट डॉ नवशरण सिंह ने कहा कि आज फ़ासीवाद का चौतरफा हमला हो रहा है। आज लोगों का साथ में मिलना-जुलना और बैठना भी आपराधिक गतिविधि मानी जा सकती है। यदि कोई शख्स बुद्धि और विवेक से भरा हुआ है तो वह आपराधिक दायरे में आ चुका है। उमर खालिद को फ़ासीवादियों ने पांच साल से जेल में डाल रखा है। दमन और विभाजन के औजारों का बर्बर इस्तेमाल सत्ता के द्वारा हो रहा है। 

नवशरण सिंह ने सीएए के खिलाफ महिलाओं के आंदोलन और किसान आन्दोलन की चर्चा की। इन आंदोलनों में हम जन एकता और संघर्ष की संस्कृति को देखते हैं। हम फ़ासीवादियों की नफ़रत को अपनी विरासत, आपसी मोहब्बत और एकता के सहारे परास्त करेंगे।

सम्मेलन में जसम के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविभूषण ने कहा कि 2014 से पहले स्वाधीन भारत में कभी विभाजनकारी शक्तियां इतनी प्रबल नहीं थीं। भाजपा को बहुमत मिलने के बाद इस देश में एक भी लोकतांत्रिक और संवैधानिक संस्था नहीं बची है। लोकतंत्र के सभी स्तंभ ढह गए हैं। 

जाने माने दस्तावेजी फिल्मकार बीजू टोप्पो ने कहा कि झारखंड में विस्थापन विरोधी आंदोलनों का लंबा इतिहास रहा है जो बताता है कि यह संघर्ष की जमीन है। हमने जल जंगल जमीन और भाषा संस्कृति को बचाने की लड़ाई लड़ी है और अपने गीत, कविता और नाटक के माध्यम से फासीवाद से लड़ रहे हैं।

प्रलेस के महादेव टोप्पो ने कहा कि फासीवाद अब कोई अटकल नहीं है, बल्कि नग्न तांडव कर रहा है। जैसा कि मार्क्सवादी एजाज अहमद कहते हैं, हर देश अपने ढंग के फासीवाद का हकदार होता है। भारत में सदियों से महिलाओं, दलितों, आदिवासियों के खिलाफ हिंसा से जो आंख चुराई गई उसने फासीवाद के लिए रेड कार्पेट बिछाया। उमर खालिद से फादर स्टेन स्वामी तक के मामले में निगरानी राज्य का क्रूर चेहरा सामने आया है। फासीवादी के खिलाफ लड़ाई में प्रलेस कंधा से कंधा मिलाकर लड़ने को तैयार है।

जम्मू विश्वविद्यालय के प्रो राशिद ने कहा कि आज ऐसी चीजें घटित हो रही हैं जिसके बारे में कुछ साल पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था, जैसे बाजार में पानी बिकना, नदी का प्रवाह रोका जाना। हम लोग बचपन में देशभक्ति का एक गीत सुना करते थे - बारूद के ढेर पर बैठी है ये दुनिया, तुम हर कदम उठाना जरा देख-भाल के। लेकिन आज स्थिति ये हो गई है कि हमारे कदम ठिठक गए हैं। उन्होंने गाजा में इजराइली बर्बरता और ईरान पर साम्राज्यवादी हमले पर भी बात की।

दस्तावेजी फिल्मकार संजय काक ने जनवादी संस्कृति कर्म के अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि डॉक्यूमेंट्री फिल्में पहले चंद लोगों तक सीमित थीं, लेकिन जब जनता के मुद्दों पर फ़िल्में बनने लगीं तो ऑडिटोरियम भरने लगे। लेकिन सत्ताधारी भी इसे देख रहे थे, धीरे धीरे अंकुश लगने लगे, स्क्रीनिंग रोकी जाने लगी। उन्होंने आज की पीढ़ी तक पहुंचने के लिए यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे नए मंचों का इस्तेमाल करने की सलाह दी। इन मंचों पर दक्षिणपंथी सक्रियता की काट जरूरी है।

जलेस के एम जेड खान ने कहा कि हम नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। डर से लब खामोश हैं। पूंजीवाद पोषित सांप्रदायिक फासीवाद का नंगा नाच चल रहा है। गोलवलकर के सपनों का भारत बनाने के क्रम में एक खास समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। धर्म संसद से एक समुदाय के सफाए का खुला आह्वान किया जाता और हर तरफ खामोशी है। उन्होंने कहा कि देश को आज राजनीतिक से ज्यादा सांस्कृतिक आंदोलन की जरूरत है।

इप्टा के शैलेन्द्र ने कहा कि हम एक सुंदर दुनिया के साझे ख्वाब से बंधे हैं। कहीं भी गरीब का खून बहता है तो हमें दर्द होता है। ग्राम्सी के शब्दों में कहें तो यह वैचारिक वर्चस्व का जमाना है। भारत में इसे ब्राह्मणवादी शोषण व्यवस्था से खाद पानी मिला है। बाजार की सत्ता से जुलूस से नहीं, बल्कि संस्कृति से लड़ा जा सकता है। हमारे सोच विचार, व्यवहार को बाजार और कॉरपोरेट तय कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी भी कॉरपोरेट का पॉलिटिकल प्रोड्यूस हैं, जिसे यही है राइट चॉइस बेबी बताकर बेच दिया गया। हमारी मोहब्बत और सौन्दर्यबोध नई दुनिया रचेंगे।

उद्घाटन सत्र का संचालन करते हुए प्रो आशुतोष ने कहा कि फासीवाद सांस्कृतिक प्रतिक्रांति है। आज आजादी की जगह भक्ति और दासता तथा समानता की जगह पितृसत्ता और वर्णव्यवस्था को स्थापित किया जा रहा है। इस प्रतिक्रांति को हमें परास्त करना है। प्रो उमा ने धन्यवाद ज्ञापित करने के साथ ही उमर खालिद की रिहाई के लिए एकजुटता का आह्वान किया। प्रो सुधीर सुमन ने शोक प्रस्ताव पढ़ा तथा एक मिनट के मौन के साथ यह सत्र समाप्त हुआ।

सम्मेलन के दूसरे दिन सांगठनिक सत्र था जिसमें महासचिव मनोज कुमार सिंह ने फासीवादी दौर, उसके हमले व चुनौतियां, जसम के कामकाज की समीक्षा तथा आगे के कार्यभार को लेकर प्रतिवेदन विचार के लिए प्रस्तुत किया। इस पर हुई चर्चा में विभिन्न राज्यों से आए दो दर्जन से अधिक प्रतिनिधियों ने अपने विचार व्यक्त किए। अनेक सुझाव आए। इस सत्र के अध्यक्ष मंडल की ओर से सियाराम शर्मा (छत्तीसगढ़), अहमद सगीर (बिहार) और कौशल किशोर (उत्तर प्रदेश) ने अपने विचार रखे। इस सत्र का संचालन प्रेम शंकर ने किया। प्रतिनिधियों के द्वारा दिए गए सुझावों को शामिल करते हुए सदन ने प्रतिवेदन को पारित किया।

सांगठनिक सत्र का दूसरा भाग चुनाव का था। वरिष्ठ रंगकर्मी, कवि-लेखक जहूर आलम को अध्यक्ष तथा लेखक व पत्रकार मनोज कुमार सिंह को महासचिव की जिम्मेदारी दी गई। शिवमूर्ति, रामजी राय, मदन कश्यप,  भारत मेहता, लाल्टू, सुरेन्द्र प्रसाद सुमन और कौशल किशोर उपाध्यक्ष बनाए गए। वहीं सुधीर सुमन, अनुपम सिंह, रूपम मिश्र, अहमद सगीर और राजकुमार सोनी को सचिव तथा के के पांडेय को कोषाध्यक्ष चुना गया। सम्मेलन में 52 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी और 213 सदस्यीय राष्ट्रीय परिषद भी चुनी गई। 

दोनों दिन शाम में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा विभिन्न सत्रों के दौरान झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना आदि राज्यों से आई सांस्कृतिक टीमों व कलाकारों द्वारा गीत-गायन, नृत्य, नाटक, काव्य की संगीतमय प्रस्तुतियां  हुईं जो सम्मेलन का विशेष आकर्षण का केंद्र थीं। 'हम होंगे कामयाब ' के गायन तथा अपने-अपने कार्य क्षेत्र में फासीवाद के विरुद्ध सांस्कृतिक अभियान को तेज करने की प्रतिबद्धता के साथ सम्मेलन समाप्त हुआ।

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गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु और श्री मदभागवत कथा की विशेष चर्चा की :- गौरी शंकर प्रिया

Posted on :11-Jul-2025
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु और श्री मदभागवत कथा की विशेष चर्चा की :-  गौरी शंकर प्रिया

गुरु पूर्णिमा पर ज्ञान, श्रद्धा और समर्पण का पर्व है, जो आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। 

गुरू गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय'

बिहार : जामुई बिहार खैरा मे गौरी शंकर प्रिया ने विशेष रूप से चर्चा करते हुए बताया कि भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान अत्यंत उच्च और पूजनीय माना गया है। ‘गु’ का अर्थ है अंधकार और ‘रु’ का अर्थ है प्रकाश। जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाए, वही सच्चा गुरु होता है। गुरु हमें सही दिशा दिखाते हैं, जीवन को सार्थक बनाते हैं। गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु पूर्णिमा का महत्व

पर बिहार के जमुई की साधारण परिवार में जन्मी गौरी शंकर प्रिया ने कहा गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्होंने वेदों को चार भागों में विभाजित कर मानवता को ज्ञान का अमूल्य खजाना दिया। यही कारण है कि उन्हें सभी गुरुओं का गुरु माना जाता है।

गुरु का जीवन में स्थान

प्राचीन गुरुकुल प्रणाली से लेकर आज के आधुनिक शिक्षण संस्थानों तक, गुरु का स्थान अपरिवर्तित रहा है। वे न केवल विषय ज्ञान देते हैं बल्कि चरित्र निर्माण, नैतिकता, अनुशासन और आदर्शों का बीजारोपण भी करते हैं। कबीरदास जी ने कहा है:
'गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताए॥'

यह दोहा गुरु की महिमा को दर्शाता है, जो ईश्वर का मार्ग दिखाते हैं।

गुरु पूर्णिमा के दिन छात्र और अनुयायी अपने-अपने गुरु के पास जाकर उन्हें श्रद्धा और सम्मान अर्पित करते हैं। मंदिरों, आश्रमों और शिक्षण संस्थानों में विशेष कार्यक्रम, प्रवचन, भजन और पूजा-अर्चना की जाती है। कई लोग इस दिन उपवास रखते हैं और आत्मचिंतन करते हैं। आज के समय में जब शिक्षा व्यवसाय बनती जा रही है, तब गुरु पूर्णिमा जैसे पर्व हमें गुरु-शिष्य परंपरा की पवित्रता और गहराई का स्मरण कराते हैं।

आधुनिक समय में आध्यात्मिक गुरु की भूमिका

आज के समय में भी शिक्षक (गुरु) समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तकनीक के युग में जहां इंटरनेट और मोबाइल ने सूचनाओं की भरमार कर दी है, वहां सही और गलत की पहचान कराने वाला मार्गदर्शक केवल एक गुरु ही हो सकता है। सांसारिक ज्ञान के अलावा गुरु का एक और रूप है - आध्यात्मिक गुरु। यह गुरु शिष्य को आत्मा, परमात्मा, मोक्ष और जीवन के वास्तविक उद्देश्य का ज्ञान कराता है। जैसे – श्री रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद का संबंध, संत कबीर और उनके शिष्य रैदास का जुड़ाव। यह दर्शाते हैं कि आध्यात्मिक गुरु शिष्य को लोक और परलोक दोनों में सफल बनाता 

गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, यह कृतज्ञता का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में सफलता केवल किताबों के ज्ञान से नहीं, बल्कि एक सच्चे गुरु के मार्गदर्शन से ही मिलती है। हमें चाहिए कि हम अपने गुरुओं का सम्मान करें, उनके दिखाए मार्ग पर चलें और ज्ञान को जीवन में उतारें। तभी यह पर्व वास्तव में सार्थक होगा।

सनातन धर्म में गुरु और शिष्य की परंपरा आदिकाल से ही चली आ रही है। तभी तो संत करीबदास लिखते है कि " गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये"। इस तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन और आशीर्वाद लेने का विशेष महत्व होता है। वैसे तो हर माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है लेकिन आषाढ़ माह की पूर्णिमा गुरु को समर्पित होती है। दिन शिष्य अपने गुरुओं का आभार व्यक्त करते हुए उनका नमन करते हैं। गुरु ही व्यक्ति को अज्ञानता से निकालकर प्रकाश रूपी ज्ञान की तरफ ले जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस तिथि पर महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ है। वेद व्यास जी ने पहली बार इस जगत को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। महर्षि वेदव्यास को प्रथम गुरु की उपाधि दी गई हैं। आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा की तिथि, मुहूर्त और महत्व के बारे में। 

सनातन धर्म में गुरु और शिष्य की परंपरा आदिकाल से ही चली आ रही है। तभी तो संत करीबदास लिखते है कि " गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये"। कबीरदासजी का यह दोहा गुरु के प्रति सम्मान को व्यक्त करते हुए है। 'गुरु बिन ज्ञान न होहि' का सत्य भारतीय समाज का मूलमंत्र रहा है। माता बालक की प्रथम गुरु होती है,क्योंकि बालक उसी से सर्वप्रथम सीखता है।भगवान् दत्तात्रेय ने अपने चौबीस गुरु बनाए थे। गुरु की महत्ता बनाए रखने के लिए ही भारत में गुरु पूर्णिमा को गुरु पूजन या व्यास पूजन किया जाता है। गुरु मंत्र प्राप्त करने के लिए भी इस दिन को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।आप जिसे भी अपना गुरु बनाते हैं,आज के दिन विशेषरूप से उसके प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है।

सावन के महीने में श्रीमद् भागवत कथा का क्या महत्व है बहुत ही अच्छा होता है 

कथा की सार्थकता जब ही सिध्द होती है जब इसे हम अपने जीवन में व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल ‘ मनोरंजन ‘, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी । भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शंाति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि  स्मरण,भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है। 

श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।

भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य  विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं।श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है

सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है, इसीलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। ब’चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दर्शन करने के लिए भगवान शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा। आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्यों का फल प्राप्त हो जाता है।इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं और दुर्लभ मानव प्राणी को ही इस कथा का श्रवण लाभ प्राप्त होता है।श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है।

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श्रमिक संगठनों के भारत बंद का असर,बिहार में मतदाता पुनरीक्षण के खिलाफ चक्का जाम

Posted on :10-Jul-2025
श्रमिक संगठनों के भारत बंद का असर,बिहार में मतदाता पुनरीक्षण के खिलाफ चक्का जाम

डॉ.समरेन्द्र पाठक 

वरिष्ठ पत्रकार

साथ में तरुण मोहन,आर.के.राय, संजीव ठाकुर,एम.के मधुबाला एवं अन्य.

नयी दिल्ली :  केंद्र सरकार की कथित श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों का आज भारत बंद का असर राजधानी दिल्ली सहित देशभर में रहा वहीं मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ विपक्ष के बिहार बंद से राज्य में अस्त व्यस्त का माहौल रहा। 

बिहार की राजधानी पटना में लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी यादव एवं महागठबंधन के अन्य सहयोगियों के साथ सड़कों पर उतरें। सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने अपने समर्थकों के साथ रेल सेवा बाधित करने की कोशिश की। राज्य में कई स्थानों पर माहौल अस्त व्यस्त रहा। 

बिहार में महागठबंधन के कार्यकर्ताओं ने राजधानी पटना को जोड़ने वाले महात्मा गांधी सेतु को पूरी तरीके से बंद कर दिया । यहां घंटों सड़क के दोनों ओर गाड़ियों की लंबी-लंबी लाइन लगी रही, जिससे ट्रेन एवं प्लेन से सफर करने वाले यात्री अपने कंधे पर सामान लिए कई किलोमीटर पैदल ही जाने को मजबूर रहे। 

उधर श्रमिक संगठनों के भारत बंद का असर कश्मीर से कन्याकुमारी तक कहीं कम कहीं ज्यादे रहा। खासकर गैर एनडीए शासित राज्यों में इसका असर ज्यादे रहा। संगठन से जुड़े लोगों द्वारा दिल्ली एनसीआर के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, उड़ीसा, झारखंड, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु एवं केरल में अनेक स्थानों पर प्रदर्शन किए जाने की खबर है। 

इस बंद का आयोजन इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस,ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिंद मजदूर सभा,सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस,ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर,ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर,सेल्फ एम्प्लॉयड वीमेंस एसोसिएशन,ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन एवं यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने किया था 

यूनियनों की ओर से इस हड़ताल में बैंकिंग, बीमा, डाक से लेकर कोयला खनन, राजमार्ग और निर्माण क्षेत्र में कार्यरत 25 करोड़ से अधिक श्रमिकों  एवं कर्मियों के हिस्सा लेने का दावा किया गया है। 

संगठन के नेताओं ने इस आंदोलन को सरकार की श्रमिक विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ बताया है ।ट्रेड यूनियनों ने इससे पहले 26 नवंबर, 2020, 28-29 मार्च, 2022 और पिछले साल 16 फरवरी को इसी तरह की देशव्यापी हड़ताल की थी।

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SEBI की चुप्पी से उठे सवाल: 200 करोड़ के वरनियम क्लाउड घोटाले में हर्षवर्धन साबले अब भी फरारनिवेशकों में भय, विदेशी निवेश पर असर, और सिस्टम की गंभीर विफलता उजागर

Posted on :03-Jul-2025
SEBI की चुप्पी से उठे सवाल: 200 करोड़ के वरनियम क्लाउड घोटाले में हर्षवर्धन साबले अब भी फरारनिवेशकों में भय, विदेशी निवेश पर असर, और सिस्टम की गंभीर विफलता उजागर

नई दिल्ली :  वरनियम क्लाउड लिमिटेड के प्रमोटर हर्षवर्धन साबले पर ₹200 करोड़ से अधिक की वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप है, लेकिन इसके बावजूद वह अब तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं। इस मामले ने न केवल भारतीय पूंजी बाजार को झटका दिया है, बल्कि SEBI और देश की न्यायिक प्रणाली की प्रभावशीलता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घोटाला साबले का पहला मामला नहीं है। इससे पहले वह Jump Networks (अब WinPro Industries) के माध्यम से निवेशकों को चूना लगाने के आरोपों में भी घिर चुके हैं।

धोखाधड़ी के प्रमुख आरोप:

₹200 करोड़ से अधिक की राशि का गबन कर देश से फरार होना।

IPO दस्तावेज़ (RHP) में अपनी जीवित बहन को मृत घोषित करना।

न्यायालयों में फर्जी बैंक रसीदें, नकली हस्ताक्षर और जाली RTGS दस्तावेज़ पेश करना।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी रेड कॉर्नर नोटिस के बावजूद अब तक गिरफ्तारी नहीं।

निवेशकों में डर, सिस्टम पर अविश्वास

निवेशकों में भारी असंतोष और भय है। उनका मानना है कि जब इस तरह के घोटालेबाज़ स्पष्ट सबूतों के बावजूद कानून से बच सकते हैं, तो साधारण निवेशक अपनी मेहनत की कमाई को शेयर बाजार में कैसे लगाएँ?

एक खुदरा निवेशक ने कहा, “हमसे कहा जाता है कि बाजार पारदर्शी और सुरक्षित है, लेकिन जब बड़े घोटालेबाज़ खुलेआम घूम रहे हैं, तो यह सुरक्षा सिर्फ कागज़ों पर है।”

भारतीय अर्थव्यवस्था और विदेशी निवेश पर असर

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की नियमित धोखाधड़ी की घटनाएं विदेशी निवेशकों को भी भारत से दूर करती हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की छवि को झटका लगता है, जिससे विदेशी संस्थागत निवेश (FDI/FII) पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

अगर नियामक एजेंसियाँ समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं करतीं, तो इसका असर पूरे वित्तीय तंत्र और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

SEBI और न्यायपालिका की विफलता?

इस मामले ने SEBI की भूमिका पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
निवेशकों और विशेषज्ञों का कहना है कि जब अदालतें फर्जी दस्तावेज़ों, गबन और रेड कॉर्नर नोटिस जैसी स्थितियों के बावजूद ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रही हैं, तब यह पूरी न्यायिक और निगरानी प्रणाली की प्रणालीगत विफलता को दर्शाता है।

निवेशकों की मांग:

SEBI प्रमुख तुहिन खन्ना सार्वजनिक रूप से बताएँ कि अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।

पूरे मामले को CBI को सौंपा जाए, ताकि निष्पक्ष और प्रभावी जांच हो सके।

कंपनी के सभी शेयरधारकों को औपचारिक रूप से सूचित किया जाए कि प्रमोटर फरार है।

यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की धोखाधड़ी नहीं, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे नियामक संस्थाओं की निष्क्रियता और कानूनी ढिलाई देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचा रही है। अगर इस तरह के घोटालों पर समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं होती, तो यह भारत के वित्तीय भविष्य के लिए एक गंभीर चेतावनी बन सकता है।

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आयुष पद्धतियों परआधारित चिकित्सा की लोकप्रियता बढ़ी: श्रीमती मुर्मू

Posted on :02-Jul-2025
आयुष पद्धतियों परआधारित चिकित्सा की लोकप्रियता बढ़ी: श्रीमती मुर्मू

डॉ.समरेन्द्र पाठक 

वरिष्ठ पत्रकार

गोरखपुर :  राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज  कहा कि आयुष पद्धतियों पर आधारित चिकित्सा की लोकप्रियता बढ़ रही है और महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय इसकी लोकप्रियता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है।

श्रीमती मुर्मू ने यहां महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का उद्घाटन करते हुए इस बात पर जोर दिया कि ऐसे विश्वविद्यालयों को इन पद्धतियों की वैज्ञानिक स्वीकार्यता बढ़ाने में निर्णायक भूमिका निभानी चाहिए। इस मौके पर राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। 

राष्ट्रपति ने कहा कि महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय हमारी समृद्ध प्राचीन परंपराओं का एक प्रभावशाली आधुनिक केन्‍द्र है। इसका उद्घाटन न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा सेवाओं के विकास में एक उपलब्धि है।  उन्होंने कहा कि यह जानकर खुशी हुई कि विश्वविद्यालय में विकसित उन्नत सुविधाएँ अब बड़ी संख्या में लोगों को उपलब्ध हैं। इस विश्वविद्यालय से संबद्ध लगभग 100 आयुष कॉलेज भी इसकी उत्कृष्टता का लाभ उठा रहे हैं।

उन्होंने प्रशासकों, डॉक्टरों और नर्सों से जनप्रतिनिधियों द्वारा शुरू किए गए कल्याणकारी उपायों को आगे बढ़ाने का आग्रह किया।उन्होंने सभी को सलाह दी कि वे किसी भी पेशे में प्रवेश करते समय खुद से किए गए वादेपर आत्मनिरीक्षण करें।एल.एस.

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रक्तदान करना जरूरी, यह फैक्टरी में नहीं बन सकता: डॉ एम पी सिंह

Posted on :01-Jul-2025
रक्तदान करना जरूरी, यह फैक्टरी में नहीं बन सकता: डॉ एम पी सिंह

अपने लिए तो सभी जीते हैं असली जीवन तो समाज हित में ही मानव कल्याण है डॉ हृदयेश कुमार 

फरीदाबाद : फरीदाबाद में अंतरास्ट्रीय ट्रस्ट द्वारा  रक्तदान शिविर का आयोजन किया। ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ एम पी सिंह ने लोगों को रक्तदान के महत्व के बारे में बताया और इसे जीवन में एक आदत बनाने की प्रेरणा दी। तिरखा कॉलोनी शिव मंदिर में  रक्तदान शिविर का आयोजन किया। अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ एम पी सिंह ने रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित करते हुए कहा कि लोगों को रक्तदान जरूर करना चाहिए, क्योंकि यह फैक्टरी में नहीं बनता है। हम सभी को अपने जीवन में रक्तदान को अपनी आदत बनाना चाहिए। इस अवसर पर ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार 
 ने कहा कि मानव के जीवन में दान को बहुत महत्व दिया गया है, इसमें भी रक्तदान को सर्वोच्च माना गया है। इस दान से किसी को जीवन मिलता है ये सर्वोपरि है। 

रक्तदान करने वाला न केवल पीड़ित की जीवन बचाता है, बल्कि उसके परिवार का भी संरक्षण करता है। इस नाते वह पूरे परिवार का संरक्षक हो जाता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सक बताते हैं कि दान किया गया रक्त बहुत थोड़े समय में दोबारा बन जाता है। यह शरीर का ऑटोमेटिक सिस्टम है। उन्होंने कहा कि सभी स्वस्थ लोगों को अपने जीवन में रक्तदान अवश्य करना चाहिए, क्योंकि कई बार रक्त की कमी से अनेक जानें असमय चली जाती हैं। हम सभी को रक्त देने की आदत होगी तो कभी हमारे अपनों को भी रक्त के संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। 

रक्तदान करने के कई फायदे हैं। यह न केवल दूसरों के जीवन को बचाने में मदद करता है, बल्कि यह आपके अपने स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। 
रक्तदान से शरीर में आयरन का स्तर संतुलित रहता है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम होता है.। 
रक्तदान के बाद, शरीर नए रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है, जिससे मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। 
एक बार रक्तदान करने से लगभग 650 कैलोरी बर्न होती हैं। 
रक्तदान से पहले स्वास्थ्य जांच की जाती है, जिससे संभावित बीमारियों का पता चल सकता है। 
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से रक्तदान करने से कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा कम हो सकता है। 
रक्तदान दूसरों की मदद करने का एक तरीका है, जिससे भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। 
रक्तदान करके आप किसी की जान बचा सकते हैं। यह आपातकालीन स्थितियों, सर्जरी, और विभिन्न बीमारियों के इलाज में मदद करता है। 
रक्तदान एक सामाजिक जिम्मेदारी है जो समुदाय को मजबूत करती है। 
रक्तदान से पहले, एक स्वास्थ्य जांच करवाना ज़रूरी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप रक्तदान के लिए स्वस्थ हैं। 
रक्तदान के बाद, पर्याप्त आराम करें और खूब पानी पिएं। 
यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो रक्तदान करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। 

इस अवसर पर सुबोध कुमार साह, शिव शंकर राय, सतपाल सिंह, बेबी देवी सुष्मिता भौमिक, गौरी शंकर प्रिया, मनीषा देवी, विमलेश देवी, नीरज कुमार और राहुल व अन्य कॉलोनी वासी मौजूद रहे

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दिल्ली में मजदूरों के घर तोड़े जाने के खिलाफ राजद का जंग-ए-एलान

Posted on :30-Jun-2025
दिल्ली में मजदूरों के घर तोड़े जाने के खिलाफ राजद का जंग-ए-एलान

उषा पाठक 

वरिष्ठ पत्रकार 

नयी दिल्ली :  राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद सुधाकर सिंह ने दिल्ली में मजदूरों के घर तोड़े जाने के खिलाफ जंग-ए-एलान की घोषणा की है।उन्होंने कहा है,कि बरसात के मौसम में गरीबों का आशियाना तोड़ा जाना न सिर्फ गैर कानूनी है,बल्कि घोर अमानवीय है। राजद सांसद श्री सिंह ने राजधानी के वजीरपुर इलाके का दौरा करने के बाद यहां जारी एक वयान में उक्त बातेँ कही है। इस क्रम में उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात भी की। 

सांसद सिंह ने कहा है,कि वर्षों से दिल्ली की सेवा कर रहे ग़रीब और मजदूर वर्ग विशेषकर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से आए श्रमिकों के घरों को अचानक ध्वस्त किए जाने से केंद्र और दिल्ली की भाजपा सरकार का गरीब विरोधी चेहरा बेनक़ाब हो गया है। श्री सिंह ने यह भी खुलासा किया कि कई घरों पर दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिए गए स्टे ऑर्डर चिपके थे, इसके बावजूद उन पर बुलडोज़र चलाया गया, जो सीधा-सीधा न्यायपालिका का अपमान है।  

सांसद ने यह भी बताया कि जिन घरों को अभी पूरी तरह नहीं तोड़ा गया है,वहां बिजली, पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं समाप्त कर दी गई हैं। ट्रांसफॉर्मर तक उखाड़ कर ले जाए गए हैं, ताकि लोग खुद ही वहाँ से हटने को मजबूर हो जाएँ। उन्होंने इस जुल्म के खिलाफ संसद से न्यायालय तक लड़ने की घोषणा की। एल.एस.

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समस्तीपुर रेल मंडल में नये कंट्रोल ऑफिस एवं महिला बैरेक आदि का उद्घाटन, 162 छात्राओं को टैब

Posted on :30-Jun-2025
समस्तीपुर रेल मंडल में नये कंट्रोल ऑफिस एवं महिला बैरेक आदि का उद्घाटन, 162 छात्राओं को टैब

समस्तीपुर :  पूर्व मध्य रेलवे के महा प्रबंधक छत्रसाल सिंह ने कल समस्तीपुर स्थित नव-निर्मित अत्याधुनिक स्टेट-ऑफ-द-आर्ट कंट्रोल ऑफिस, आरपीएफ महिला बैरक तथा स्टाफ रेस्ट हाउस का उद्घाटन किया एवं 162 छात्राओं को टैब वितरित किए। 

श्री सिंह ने नए कंट्रोल ऑफिस की सराहना करते हुए इसे समस्तीपुर मंडल के विस्तृत रेल नेटवर्क की प्रभावी निगरानी और नियंत्रण के लिए अत्यंत आवश्यक बताया।उन्होंने कहा कि यह नवीन कंट्रोल कार्यालय आधुनिक तकनीक से सुसज्जित है, जिससे परिचालन संबंधी कार्यों की दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और संरक्षा के स्तर को और भी सुदृढ़ किया जा सकेगा।

इस अवसर पर मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण/उत्तर) रामजन्म, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (आरएसपी) सुरेन्द्र कुमार, प्रधान मुख्य यांत्रिक इंजीनियर आर.आर. प्रसाद, प्रधान मुख्य वाणिज्य प्रबंधक इंदू रानी दूबे एवं मंडल रेल प्रबंधक विनय श्रीवास्तव सहित रेलवे मुख्यालय एवं मंडल के अनेक वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।एल.एस.

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वोटर बचाने के लिए सजग रहकर साजिशों को नाकाम करें:तेजस्वी

Posted on :30-Jun-2025
वोटर बचाने के लिए सजग रहकर साजिशों को नाकाम करें:तेजस्वी

डॉ.समरेन्द्र पाठक/आर.के.राय 

पटना :  राजद नेता तेजस्वी यादव ने आज कहा कि बिहार में वोटर बचाने के लिए सजग रहकर भाजपा के साजिशों को नाकाम करें। श्री यादव ने यहां गांधी मैदान में "वक्फ बचाओ -दस्तूर बचाओ" कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर से दक्षिण एवं पूरब से पश्चिम तक हिंदुस्तान की सरजमीन का हरेक इंच, हरेक पन्ने और  इतिहास चीख -चीख कर इस बात की गवाही दे रहा है,कि देश की आजादी और स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई  हम सबों ने मिलकर लड़ी है और देश के लिए कुर्बानी दी है।

बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह नागरिकों का अधिकार छीनना चाहती है।वह सत्ता से जाने वाली है, इसीलिये  गरीबों, पिछड़ों, अति पिछड़ों ,दलितों,आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के वोट के अधिकार को ही छिनना चाहती है।उन्होंने कहा कि अभी राज्य में 8 करोड़ वोटर की नई सूची बनाने की बात की गई है।वह भी मात्र 25 दिनों में। ध्यान रखिएगा सभी लोग कि किसी का नाम कटे नहीं। नहीं तो ये वोटर लिस्ट से नाम हटाकर आपके नागरिक अधिकार को छीन लेंगे।

 इस अवसर पर राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी, राज्यसभा सांसद संजय यादव, जहानाबाद के सांसद सुरेंद्र प्रसाद यादव एवं पार्टी के मुख्य सचेतक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस कॉन्फ्रेंस" का आयोजन ईमारत- ए- शरिया एवं अन्य धार्मिक मुस्लिम संगठनों की थी।

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आतंकवाद के केंद्रों को निशाना बनाने में संकोच नहीं:राजनाथ

Posted on :28-Jun-2025
आतंकवाद के केंद्रों को निशाना बनाने में संकोच नहीं:राजनाथ

डॉ. समरेन्द्र पाठक 

वरिष्ठ पत्रकार

क़िंगदाओ(चीन) : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है,कि अब आतंकवाद के केंद्रों को निशाना बनाने में कोई संकोच नहीं है और हम ने ऐसा किया है।  आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार श्री सिंह ने यह बात शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद के विरुद्ध भारत की नीति में बदलाव की व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए यह बात कही। उन्होंने सदस्य देशों से सामूहिक सुरक्षा और रक्षा हेतु इस खतरे को निर्मूल करने के लिए एकजुट होने का भी आह्वान किया।

रक्षा मंत्री श्री सिंह ने कहा कि क्षेत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं तथा बढ़ती कट्टरता, उग्रवाद और आतंकवाद इन समस्याओं का मूल कारण हैं।उन्होंने कहा कि शांति और समृद्धि, आतंकवाद और गैर-राजकीय तत्वों या आतंकी समूहों के पास सामूहिक विनाश के हथियारों (डब्ल्यूएमडी) के साथ सह-अस्तित्व नहीं रख सकती।इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित और अपने संकीर्ण व स्वार्थी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। 

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले के जवाब में आतंकवाद से बचाव और सीमा पार से होने वाले हमलों को रोकने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के दौरान, पीड़ितों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर गोली मार दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले का तरीका भारत में एलईटी के पिछले आतंकी हमलों से मेल खाता है।उन्होंने कहा कि हमने दिखाया है, कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे। एल.एस.

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डॉ. रेणू एवं विजय सहित कई दिग्गज राजद में शामिल हुए

Posted on :28-Jun-2025
डॉ. रेणू एवं विजय सहित कई दिग्गज राजद में शामिल हुए

तरुण मोहन 

पत्रकार 

पटना : बिहार विधान सभा चुनाव ज्यों ज्यों नजदीक आ रहा है, नेताओं ने पाला बदल शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में कभी जदयू प्रमुख एवं बिहार के  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में मंत्री रहीं निवर्तमान में लोजपा (रामविलास)की वरिष्ठ नेत्री डॉ रेणू कुशवाहा एवं वर्ष 2014 में मधेपुरा लोक सभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी रहे उनके पति विजय कुशवाहा सहित कई दिग्गज कल राजद में शामिल हो गए। 

राजद के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर राजद के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल भी मौजूद थे। इनके अलावा जाप के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राघवेंद्र कुशवाहा एवं पूर्व लोकसभा प्रत्याशी  राजीव कोयरी भी राजद में शामिल हुए।उल्लेखनीय है,कि डॉ रेणू कुशवाहा एवं उनके पति विजय कुशवाहा के राजद में शामिल होने से इस समाज का वोट भी राजद की झोली में जाएगा।एल.एस.

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राजस्थान प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ प्रेम चंद बरवा एवं शिल्पा कटरेला अध्यक्ष इंडो अमरीकन चेंबर ऑफ कॉमर्स के करकमलों से डॉ डी के सोनी अधिवक्ता को मिला बेस्ट कंट्रीब्यूशन इन एंटी करप्शन एंड पब्लिक अकाउंटेबिलिटी का अवार्ड

Posted on :27-Jun-2025
राजस्थान प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ प्रेम चंद बरवा एवं  शिल्पा कटरेला अध्यक्ष इंडो अमरीकन चेंबर ऑफ कॉमर्स के  करकमलों से डॉ डी के सोनी             अधिवक्ता को मिला बेस्ट कंट्रीब्यूशन इन एंटी करप्शन एंड पब्लिक अकाउंटेबिलिटी का अवार्ड

राजस्थान प्रदेश की राजधानी जयपुर के होटल रेडिशन ब्लू  में हुआ  कार्यकर्म का आयोजन

राजस्थान  : राजस्थान प्रदेश की राजधानी और गुलाबी शहर जयपुर के होटल रेडिशन ब्लू में केज ब्राउनी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा क्रिएटर्स एंड बिजनेस एक्सीलेंस अवॉर्ड के  आयोजित समारोह में अधिवक्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ डीके सोनी  को राजस्थान प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ प्रेम चंद बरवा एवं  शिल्पा कटरेला अध्यक्ष इंडो अमरीकन चेंबर ऑफ कॉमर्सजी  के करकमलों से दिया गया सम्मान

इसके पूर्व 38अवार्ड मिल चुके हैं  यह इनका 39वा अवार्ड है 

सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता डॉ डी०के० सोनी के द्वारा हमेशा न्याय में देरी, भ्रष्टाचार एवं विभिन्न क्षेत्रों में समाज सेवा हेतु अनेक उत्कृष्ट कार्य किए जाते रहे हैं। डॉ डी०के० सोनी आम जन के लिए न्याय व्यवस्था को सुदृढ़, सुगम और शीघ्र न्याय प्रदान करने हेतु अपनी संस्था सरगुजा सोसाइटी फॉर फास्ट जस्टिस के माध्यम से हमेशा जमीनी स्तर पर एवं आरटीआई के माध्यम से स्थिति स्पष्ट कर माननीय उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक सफल और निर्णायक कानूनी लड़ाई भी लड़ते रहते हैं।

डॉ डी.के. सोनी द्वारा सरकारी विभागों में हो रहे भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों को लेकर अनेकों मामले उठाते रहे हैं, भ्रष्टाचार के विरुद्ध खुलासा कर दस्तावेजों के आधार पर कार्यवाही कराकर कई भ्रष्ट अधिकारियों, ठेकेदारों के विरुद्ध अपराध भी पंजीबद्ध कराया गया है।

केज ब्रेन प्राइवेट लिमिटेड के चयन समिति द्वारा भारत  के विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक एवं कानूनी स्तर पर तथा व्यापार, उद्योग  में उत्कृष्ठ कार्य करने वालों का भी चयन किया गया जिसमें सरगुजा एवं सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में आरटीआई एवं अन्य कानून के माध्यम से लगातार सामाजिक स्तर पर उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए अंबिकापुर के प्रतिष्ठित अधिवक्ता एवं आरटीआई कार्यकर्ता डॉ डी के सोनी को भारत के अन्य राज्यों से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं और कई बिजनेसमैन के समक्ष होटल रेडिशन ब्लू जयपुर में दिनाक 13/6/25 दिन शुक्रवार  को  राजस्थान के उप मुख्यमंत्री डॉ प्रेम चंद बरवा एवं शिल्पा कटरेला अध्यक्ष इंडो अमरीकन चेंबर ऑफ कॉमर्स  के कर कमलों से  बेस्ट कंट्रीब्यूशन इन एंटी कॉप्शन एंड पब्लिक अकाउंटेबिलिटी का अवार्ड दिया गया। 

राजस्थान की राजधानी जयपुर में उक्त कार्यक्रम में भारत देश के अलग अलग प्रदेशो से  अलग अलग  क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं  के साथ साथ बिजनेश मेन भी उपस्थित थे  को भी सम्मानित किया गया। उक्त  कार्यकर्म में केज ब्रेन प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर विश्व आनंद श्रीवास्तव, इंडिया ए1न्यूज के एडिटर इन चीफ  विनय सिंह जी, तथा कई अधिकारी भी उपस्थित थे।

अधिवक्ता डॉ डी के सोनी को उक्त अवार्ड मिलने से उनके शुभचिंतकों सहित  अधिवक्ताओं और सोसल जस्टिस प्राप्त करने वालो में हर्ष व्याप्त है। इस मौके डॉ डी के सोनी ने यह कहा है कि यह अवार्ड उनके द्वारा किए जा रहे जनहित और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में कार्य करने की प्रेरणा देता है और भविष्य में आगे अधिक ऊर्जा से तेज गति से सामाजिक और जनहित के कार्य को करने प्राथमिकता  दिया जायेगा।

डॉ डीके सोनी

अधिवक्ता

नवापारा अंबिकापुर छत्तीसगढ़
7999424423, 7354602137 9826152904

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वर्षा जल को जीवनरेखा बनाएं:गुप्ता

Posted on :27-Jun-2025
वर्षा जल को जीवनरेखा बनाएं:गुप्ता

उषा पाठक 

वरिष्ठ पत्रकार 

नयी दिल्ली : दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आज कहा कि लोगों को वर्षा जल को जीवन रेखा बनाना चाहिए। इसके साथ ही भविष्य की सुरक्षा को लेकर त्वरित, बहु-स्तरीय संस्थागत कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया।  श्री गुप्ता ‘जल और प्रकृति’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे, जिसे ‘संपूर्णा’ संस्था द्वारा उसके 40-दिवसीय जनजागरूकता अभियान के 30 दिन पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित किया गया था।

श्री गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग के अंतर्गत स्थापित वेटलैंड प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और प्रभावशीलता की समीक्षा की जाएगी। यदि आवश्यकता महसूस हुई, तो इस विषय को विधान सभा के पटल पर लाकर संरचित बहस की जाएगी, ताकि नीतिगत कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।जल शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए श्री गुप्ता ने उत्तर चीन जल संसाधन एवं विद्युत शक्ति विश्वविद्यालय(नॉर्थ चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ वॉटर रिसोर्सेस एंड इलेक्ट्रिक पावर) का उदाहरण प्रस्तुत किया और भारत में भी जल प्रबंधन के क्षेत्र में अकादमिक संस्थानों की भूमिका को मजबूत करने की आवश्यकता बताई।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि तालाबों और जलाशयों को फिर से जीवित करने की जरूरत है। इसके लिए हमें पुराने पारंपरिक तरीकों और नई तकनीकों को साथ मिलाकर काम करना होगा।एल.एस.

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नशा, नास की जड़ है- डॉ एमपी सिंह

Posted on :25-Jun-2025
नशा, नास की जड़ है- डॉ एमपी सिंह

हरियाणा : हरियाणा शिक्षा विभाग की तरफ से जिला स्तरीय एन एस एस का साथ दिवसीय कैंप राजकीय बल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय फरीदाबाद में लगाया जा रहा है जिसके पांचवें दिन देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे । उन्होंने कहा कि एन एस एस के विद्यार्थियों में एकता और समानता की भावना आ जाती है सभी जातियों व  धर्मों के विद्यार्थी एक साथ कैंप में भोजन करते हैं और एक साथ निवास करते हैं इससे एक साथ रहने व काम करने की भावना विकसित हो जाती है।

 डॉ एमपी सिंह ने नैतिक शिक्षा, सामाजिक शिक्षा, देशभक्ति पर जोर देते हुए नशा से दूर रहने की शिक्षा प्रदान की तथा माता-पिता, गुरुजनों और बहन बेटियों का सम्मान करने के लिए बाध्य किया ।

इस अवसर पर ओल्ड फरीदाबाद की थाना अध्यक्ष श्रीमती पूनम बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहीं उन्होंने अनुशासन पर जोर देते हुए कहा कि मैं एनसीसी कैडेट रही हूं और मैंने अनेकों नेशनल कैंप किए हैं इसलिए मैं भली-भांति आपकी भावनाओं को जानती हूं इस उम्र में अधिकतर विद्यार्थी माता-पिता और गुरुओं की सुनते नहीं है तथा नशा की दुनिया में प्रवेश कर जाते हैं और अपनी जिंदगी खराब कर लेते हैं आपने ऐसा बिल्कुल नहीं करना है और अपने माता-पिता तथा गुरुओं का सम्मान मन से करना है तथा किसी की झूठी शिकायत नहीं करनी है और पुलिस के साथ मित्रवत व्यवहार करना है ।


इस अवसर पर एनएसएस कैंप के कार्डिनेटर डॉ रामचंद्र ने गुलदस्ता और तुलसी का पौधा भैट करके अतिथियों का सत्कार किया और बताया कि इस कैंप में 12 विद्यालयों से 200 विद्यार्थी भाग ले रहे हैं जिनके खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की गई है कल 25 लड़कियां और 25 लड़के एडवेंचर कैंप के लिए मंसूरी भी जा रहे हैं ।

 इस अवसर पर डॉ एमपी सिंह के नेतृत्व में एक जागरूकता रैली निकाली गई जिसमें बीड़ी सिगरेट तंबाकू शराब गांजा भांग धतूरा आदि के नुकसान बताए गए तथा मुख्य स्थानों पर पोस्टर लगाए गए और जल ही जीवन है और जल ही कल है, पेड़ लगाओ प्रकृति बचाओ, नशा नाश की जड़ है के नारे लगाए गए । गर्मी की तपन को देखते हुए जल सेवा भी की गई । 

इस अवसर पर हिंदी की टीजीटी शीला देवी, केमिस्ट्री की पीजीटी सीमा, बायोलॉजी की पीजीटी पल्लवी, एनएसएस के प्रोजेक्ट ऑफिसर जनेश्वर भाटी के अलावा पूर्व सरपंच रतन सिंह, सुभाष भाटी, संजय भाटी, पैरा कमांडो स्पेशल फोर्स दिनेश सिंह राणा, पुलिस विभाग से एचसी कुलदीप, एचसी मुकेश, एचसी चंद्रपाल मुख्य रूप से उपस्थित रहे तथा सभी ने संकल्प लिया कि नशा को जड़ से खत्म करना है मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के सपनों को साकार करना है तथा अपने आसपास बीड़ी, सिगरेट, शराब पीने वाले, तंबाकू खाने वाले लोगों को जागरूक करना है और स्कूल कॉलेज के आसपास 100 मीटर के दायरे में नशा बेचने वालों को हटाना है ।

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लेखांकन और जवाबदेही का घनिष्ठ संबंध:श्रीमती मुर्मू

Posted on :24-Jun-2025
लेखांकन और जवाबदेही का घनिष्ठ संबंध:श्रीमती मुर्मू

डॉ.समरेन्द्र पाठक 

वरिष्ठ पत्रकार

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज कहा कि हमारे इतिहास में लेखांकन और जवाबदेही का घनिष्ठ संबंध होने के कारण लेखाकारों को समाज में उच्च सम्मान प्राप्त है और हम जवाबदेही को महत्व देते हैं, इसलिए लेखांकन को विशेष महत्व देते हैं। श्रीमती मुर्मू यहां विज्ञान भवन में भारतीय लागत लेखाकार संस्थान के राष्ट्रीय छात्र दीक्षांत समारोह में बोल रही थीं। उन्होनें कहा कि आधुनिक समय में, इस समृद्ध विरासत को अन्य संस्थाओं के अलावा भारतीय लागत लेखाकार संस्थान ने आगे बढ़ाया है। 

राष्ट्रपति ने कहा कि इस संस्थान की स्थापना वर्ष 1944 में देश में लागत और प्रबंधन लेखाकारों के विनियमन और विकास के लिए की गई थी और स्वतंत्रता के बाद यह न केवल आर्थिक परिवर्तन का साक्षी है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को आज दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय लागत लेखाकार संस्थान देश की प्रगति में भागीदार रहा है। यह नीति निर्माताओं, केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ विभिन्न संगठनों को लागत-कुशल रणनीतियां, प्रणालियां विकसित करने में अत्यधिक मूल्यवान सहायता प्रदान करता है और इस संस्थान ने अपने कार्यों को कारखानों में लागत लेखांकन से लेकर प्रबंधन लेखांकन तक बढ़ते देखा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहा है और स्थिरता अब एक आवश्यकता बन गई है। उन्होंने कहा कि अब कॉर्पोरेट संगठनों को केवल लाभ के उद्देश्य से काम करने के अलावा पर्यावरण की लागत को भी ध्यान में रखना होगा तथा भारतीय लागत लेखाकार संस्थान अपने कौशल से इस दिशा में बड़ा बदलाव ला सकता है। राष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि उनकी जिम्मेदारियां वित्तीय लेखांकन से कहीं अधिक है और लागत लेखाकार के रूप में, वे वर्ष 2047 तक भारत को विकसित बनाने में योगदान देने के लिए अद्वितीय स्थिति में हैं। एल.एस.

 

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शिवसेना के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. अभिषेक वर्मा ने योग दिवस पर किया योग एवं लोगों से इसे जीवन में उतारने की अपील

Posted on :21-Jun-2025
शिवसेना के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. अभिषेक वर्मा ने योग दिवस पर किया योग एवं लोगों से इसे जीवन में उतारने की अपील

मनोज शुक्ला 

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर शिवसेना (एनडीए गठबंधन) के राष्ट्रीय समन्वयक एवं चुनाव प्रभारी डॉ. अभिषेक वर्मा के तत्वावधान में नई दिल्ली स्थित उनके निजी आवास पर भव्य योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में 110 से अधिक प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिनमें योग साधक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं विशिष्ट अतिथि शामिल थे।

डॉ. वर्मा, श्रीमती अंका वर्मा, राजकुमारी निकोल वर्मा एवं युवराज आदितेश्वर वर्मा सहित वर्मा परिवार के सभी सदस्यों ने पारंपरिक सनातनी विधि से योग, प्राणायाम एवं ध्यान का अभ्यास किया। प्रतिष्ठित योगाचार्यों ने उपस्थितजनों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग की महत्ता बताई।

अपने संबोधन में डॉ. अभिषेक वर्मा ने कहा

“योग भारत की सनातन परंपरा की वैज्ञानिक देन है, जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने विश्व पटल पर स्थापित किया है। शिवसेना (NDA) के लोकप्रिय नेता श्री एकनाथ शिंदे जी के नेतृत्व में पार्टी योग को जन-जन तक पहुँचाने और इसे जनआंदोलन बनाने का कार्य कर रही है।” उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि "योग केवल एक दिन की क्रिया नहीं, बल्कि इसे जीवनशैली का हिस्सा बनाना आज के युग की आवश्यकता है।"

श्रीमती अंका वर्मा ने कहा

“योग ने मुझे मातृत्व, व्यवसाय और अध्यात्म में संतुलन बनाना सिखाया—यह मेरे जीवन का आंतरिक मार्गदर्शक बन गया है।”

राजकुमारी निकोल वर्मा ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा,
“तेज़ और तनावपूर्ण जीवन में योग मुझे मानसिक शांति और स्थिरता देता है—यह मेरा आत्मबल है।”

कार्यक्रम का समापन वैदिक मंत्रोच्चार, प्रसाद वितरण और योग को जीवन में अपनाने की प्रतिज्ञा के साथ हुआ। यह आयोजन राष्ट्रभक्ति, आध्यात्मिक चेतना और सामाजिक जागरूकता का अद्भुत संगम साबित हुआ।

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मातृभाषा पत्रकारों का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न, सात सूत्री घोषणापत्र जारी

Posted on :20-Jun-2025
मातृभाषा पत्रकारों का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न, सात सूत्री घोषणापत्र जारी

काठमांडू :  काठमांडू में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा पत्रकार सम्मेलन 2025 का समापन सात सूत्री संकल्प जारी करने के साथ हुआ। सम्मेलन का आयोजन नेवा राष्ट्रीय पत्रकार संघ ने सार्क पत्रकार मंच और फोनिज के सहयोग से किया है।

13 जून को सम्मेलन का उद्घाटन स्पीकर देवराज घिमिरे ने किया और 14 जून को मध्यपुर थिमी नगर पालिका के मेयर सुरेंद्र श्रेष्ठ ने सम्मेलन का समापन किया। समापन समारोह में मेयर श्रेष्ठ ने कहा कि मातृभाषा को बढ़ावा देने में सम्मेलन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

नृपेंद्र लाल श्रेष्ठ की अध्यक्षता में आयोजित समापन समारोह में सार्क पत्रकार मंच के अध्यक्ष राजू लामा ने सभी हितधारकों से संकल्प को गंभीरता से लेने और इसे लागू करने का आग्रह किया। उन्होंने सार्क क्षेत्र की सभी सरकारों से मातृभाषा पत्रकार सम्मेलन के आयोजन में सहयोग करने का आह्वान भी किया।

फोनीज के अध्यक्ष लकी चौधरी, बांग्लादेश की ओर से एसजेएफ के महासचिव मोहम्मद अब्दुर रहमान, भारत की ओर से एसजेएफ बिहार चैप्टर के अध्यक्ष शशि भूषण कुमार, सम्मेलन के समन्वयक सुनील महार्जन, एनएफएनजे के महासचिव केके मनंधर ने मातृभाषा के महत्व और इसके संरक्षण की अनिवार्यता पर अपने विचार व्यक्त किए। 

घोषणापत्र में सम्मेलन द्वारा जारी घोषणापत्र को सार्क देशों के प्रमुखों को सौंपना, मातृभाषा पत्रकारों के क्षमता निर्माण और मातृभाषा मीडिया घरानों को बढ़ावा देने के लिए सरकार से आवश्यक बजट की मांग करना और हितधारकों के साथ नियमित चर्चा के माध्यम से मातृभाषा पत्रकारिता के बारे में जागरूकता बढ़ाना जैसे मुद्दे शामिल हैं।

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जसम के राष्ट्रीय सम्मेलन में छत्तीसगढ़ से शामिल होंगे नामचीन लेखक और संस्कृतिकर्मी

Posted on :18-Jun-2025
जसम के राष्ट्रीय सम्मेलन में छत्तीसगढ़ से शामिल होंगे नामचीन लेखक और संस्कृतिकर्मी

12 व 13 जुलाई को झारखंड के रॉची में होगा राष्ट्रीय सम्मेलन

रायपुर : प्रतिरोध की संस्कृति के विकास के लिए प्रतिबद्ध संगठन जन संस्कृति मंच का 17 वां राष्ट्रीय सम्मेलन 12 व 13 जुलाई को रॉची के पुरुलिया रोड़ स्थित सोशल डेवलपमेंट सेंटर में होने जा रहा है. इस सम्मेलन में  देशभर के पांच सौ से ज्यादा लेखक और संस्कृतिकर्मी शामिल होंगे.सम्मेलन में छत्तीसगढ़ से भी कई रचनाकार और संस्कृतिकर्मी अपनी भागीदारी दर्ज करेंगे.

सम्मेलन में छत्तीसगढ़ से नामचीन आलोचक सियाराम शर्मा,दीपक सिंह, कामिनी त्रिपाठी, कथाकार और उपन्यासकार कैलाश बनवासी, समीर दीवान, कवियित्री रूपेंद्र तिवारी, डॉ.संजू पूनम, एन पापा राव, विद्याभूषण, जन कवि वासुकी प्रसाद उन्मत, बृजेन्द्र कुमार तिवारी, आलोचक इंद्रकुमार राठौर, अजय शुक्ला, लोक गायिका सुनीता शुक्ला, असीम तिवारी, आदित्य सोनी, निहाल सोनी, संस्कृति कर्मी सुलेमान खान, मुदित मिश्र और राजकुमार सोनी सहित कई रचनाकार शामिल होंगे.

सम्मेलन में देशभर के प्रतिबद्ध लेखक और संस्कृतिकर्मी इस बात पर मंथन करेंगे कि फ़ासीवाद की विभाजनकारी संस्कृति के ख़िलाफ़ जनता को किस तरह से एकजुट किया जा सकता है.सम्मेलन में देश के प्रतिबद्ध प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित किताबों के स्टॉल लगाएं जाएंगे और चित्रकारों की तरफ़ से बनाए गए कविताओं की पोस्टर प्रदर्शनी भी लगेगी. जसम की कई इकाइयों की ओर से सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी देखने को मिलेंगी.

सम्मेलन में रेड एंड ड्रीम, जश्न- ए-आज़ादी, वर्डस ऑन वॅाटर, प्रदक्षिणा तथा पंजाब: दूसरा अध्याय जैसी चर्चित फिल्मों के निर्देशक संजय काक, कथाकार और उपन्यासकार रणेंद्र, योगेंद्र आहूजा, देश की अग्रणी बुद्धिजीवियों में शामिल नवशरण कौर, सामाजिक और वैज्ञानिक अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, वृत्तचित्र निर्माता मेघनाथ,बीजू टोप्पो, आलोचना पत्रिका के संपादक आशुतोष कुमार, प्रणय कृष्ण सहित कई नामचीन लेखक और संस्कृतिकर्मी विशेष रुप से मौजूद रहेंगे.

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छत्तीसगढ़ से वरिष्ठ पत्रकार एम.एस. जकारिया राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल

Posted on :18-Jun-2025
छत्तीसगढ़ से वरिष्ठ पत्रकार एम.एस. जकारिया राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल

पत्रकार यूनियनों का परिसंघ

नयी दिल्ली : पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए संघर्षरत " पत्रकार यूनियनों का परिसंघ "के आज नए पदाधिकारियों की घोषणा की गयी। पत्रकार यूनियनों के इस परिसंघ में सार्क जर्नलिस्ट फोरम (एसजेएफ), इंडियन जर्नलिस्ट एसोसियेशन (आईजेए), पेरियाडीकल प्रेस आफ़ इंडिया (पीपीआई), यूनाइटेड यूनियन जर्नलिस्ट सोसायटी,सेव  यू.एन.आई. मूवमेंट  एवं भारतीय ऑल मीडिया पत्रकार संघ शामिल है। 

परिसंघ के संयोजक की ओर से  जारी विज्ञप्ति के अनुसार राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सुरेन्द्र शर्मा अध्यक्ष एवं बिहार सरकार के पूर्व प्रेस सलाहकार रहे डॉ.आर.के. रमण को महासचिव बनाया गया है, इसके साथ ही सुबीर सेन व आर.के.राय उपाध्यक्ष, अमानुल हक व मृत्युंजय सरदार सचिव, हीरा लाल प्रधान व मीनाक्षी चौधरी कोषाध्यक्ष बनाए गए हैं। डॉ.समरेन्द्र पाठक अपने पूर्व दायित्व समन्वयक की भूमिका अदा करेंगे। 

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राष्ट्रीय कार्यकारिणी में देश के कई वरिष्ठ पत्रकारों को शामिल किया गया है, जिसमें रामनाथ विद्रोही, उदय मिश्रा, कुमार भवेश, सुशील भारती,उमेन्द्र दाधीच,अखिलेश अखिल,एम.एस. जकारिया, डॉ. उत्कर्ष सिन्हा, गांधी मिश्रा गगन, जगदीश यादव,सारिका झा, सन्नी अत्री,कुमार समत, राजेश ठाकुर, जे.पी. शर्मा,डॉ.प्रदीप सुमन,संतोष झा एवं डॉ. समरेन्द्र पाठक शामिल है। 

परिसंघ  के संरक्षक मंडल में सांसदों सर्वश्री  राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव,कीर्ति आजाद, खगेन मुर्मू, श्रीमती वीणा देवी एवं सुधाकर सिंह, पूर्व सांसदों सर्वश्री मंगनी लाल मंडल एवं अली अनवर को शामिल किया गया है। विशेष आमंत्रित सदस्यों में सर्वश्री डॉ. बी.एन.मिश्रा गिरजेश रस्तोगी, दलीप पूरी, प्रो.योगेश कुमार एवं अरविंद पाठक को शामिल किया गया है। 

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट एवं इलाहाबाद हाई कोर्ट के कई नामचीन वकीलों सर्वश्री ए.पी.एन. गिरी,संतोष कुमार, राजीव रंजन मिश्रा, के.के.झा, जितेंद्र झा,राम बदन चौधरी, विनय झा, केशव चौधरी, अरविंद चौधरी एवं नवेश कुमार कानूनी सलाहकार बनाये गये हैं।एल.एस.

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