
कोरिया : भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय के आदेशानुसार कलेक्टर भोस्कर विलास संदिपान ने अनाचार पीडिता की पहचान गोपनीय रखने के निर्देष दिये हैं। उन्होंने कहा है कि कोई भी प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया किसी भी प्रकार से समाचार या जानकारी प्रकाषित ना करे, जिससे पीडिता का नाम या पहचान सार्वजनिक रूप से आगे आये। ऐसी पीडिता जो मानसिक रूप से विक्षिप्त है या मर चुकी है, की पहचान को परिजन या सक्षम अधिकारी द्वारा गोपनीय रखा जायेगा, जब तक कि सक्षम प्राधिकरण द्वारा परिस्थिति अनुसार आवश्यक ना हो। इसका निर्धारण सेशन जज द्वारा किया जाये।
कलेक्टर ने कहा है कि विभिन्न धाराओं एवे आईपीसी के तहत अपराध से संबंधित एफआईआर और पोक्सो के तहत अपराध सार्वजनिक डोमेन में नहीं डाला जाएगा। पुलिस अधिकारियों को चाहिए कि वह पीडिता का नाम जहां तक संभव हो, उन सभी दस्तावेजों को सील कवर में गोपनीय रखें, जिससे उसकी पहचान सुरक्षित रखी जा सके। इसी तरह सभी प्राधिकरण, सक्षम अधिकारियों के समक्ष पीडिता के नाम का खुलासा जांच एजेंसी या अदालत द्वारा किया जाता है, वे सभी एजेंसी, अदालत, सक्षम अधिकारी भी पीडिता के नाम और पहचान गुप्त रखने के लिए बाध्य है। किसी भी तरीके से पीडिता के नाम का खुलासा नहीं किया जा सकता, केवल प्रतिवेदन के रूप में और वह भी सीालबंद लिफाफे में भेजा जाना चाहिए। कलेक्टर ने इसका कड़ाई से पालन करने के निर्देष दिये हैं।