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गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार ने डायबिटीज के लक्षण और बचाव के विस्तार से उपाय बताए

Posted on :22-Jul-2024
गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार ने  डायबिटीज के लक्षण और बचाव के विस्तार से उपाय बताए

फरीदाबाद हरियाणा : बल्लबगढ़ के तिरखा कॉलोनी शिव मंदिर परिसर में गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पूजा अर्चना कर डायबिटीज पर विशेस रूप से चर्चा करते हुए विस्तार से जानकारी दी 

  • टाइप 1 मधुमेह – इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज
  • टाइप 2 मधुमेह – नॉन-इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज 

खुशी के हर पल में मिठाई का होना हमारी परंपरा का एक अभिन्न भाग रहा है। दिवाली हो या होली, लोग मीठे से बिल्कुल भी परहेज नहीं करते हैं। लेकिन आज के भागदौड़ भरे जीवन में यह मीठा धीरे-धीरे कई बीमारियों का कारण बन रहा है, जिनमें से सबसे प्रमुख है मधुमेह या डायबिटीज। यह एक ऐसी बीमारी है, जो एक बार हो जाए तो जीवन भर साथ रहती है। अनियंत्रित मधुमेह हृदय रोग, स्ट्रोक, नर्व डैमेज, गुर्दे की बीमारी और अंधापन जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है। इसलिए, अपने मधुमेह को प्रबंधित करने और अपने रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रण में रखने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने डॉक्टर के साथ परामर्श करें या हमारे  एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉक्टरों से बात करें।

डायबिटीज के प्रकार

टाइप 1 मधुमेह – इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज

डायबिटीज के सभी प्रकारों में टाइप 1 डायबिटीज एक साधारण प्रकार है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब पैंक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। डायबिटीज का यह प्रकार जेनेटिक है, जिसकी पहचान बचपन में ही हो जाती है और बचपन से ही इसका बचाव संभव होता है। सामान्यतः इस प्रकार के मधुमेह में कम उम्र के लोगों को इंसुलिन की जरूरत पड़ती है। फिलहाल इस स्थिति का कोई उपचार उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसको सही समय पर पहचान कर इस स्थिति का इलाज संभव है। 

टाइप 2 मधुमेह – नॉन-इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज 

टाइप 2 डायबिटीज को सबसे आम प्रकार का डायबिटीज माना जाता है। मुख्यतः यह डायबिटीज किशोरों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इस प्रकार के डायबिटीज में पैंक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निर्माण नहीं कर पाता है, जिसके कारण रक्त में ग्लूगोज की मात्रा बढ़ती जाती है। मुख्य रूप से इस रोग के कारण मोटापा और अधिक मीठा भोजन खाना है। 


गर्भावधि मधुमेह या गर्भावस्था मधुमेह: गर्भावस्था के दौरान, कई महिलाएं के शरीर में रक्त शर्करा स्तर बढ़ जाता है। यह इसलिए होता है, क्योंकि उस दौरान महिला का शरीर इंसुलिन के प्रति संवेदनशील नहीं होता है।

प्रीडायबिटीज: इसे आप टाइप 2 डायबिटीज से पहले वाला स्टेज मान सकते हैं। इसमें रक्त में ग्लूकोज का स्तर बॉर्डर लाइन पर होता है, जिसके इलाज के लिए जीवनशैली में बदलाव करने को कहा जा सकता है। 

डायबिटीज के लक्षण और उपाय?

मधुमेह के लक्षण मधुमेह के प्रकार के आधार पर भिन्न होते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण होते हैं जैसे - 

  • प्यास और भूख में अचानक वृद्धि होना
  • ज़्यादा यूरिनेशन होना
  • थकान
  • धुंधली दृष्टि
  • घाव का धीरे-धीरे भरना 
  • हाथ और पैर में झुनझुनी या सुन्न होना
  • यीस्ट संक्रमण या यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण

मधुमेह का इलाज कई कारकों पर आधारित होता है, जैसे मधुमेह के प्रकार और आयु, समग्र स्वास्थ्य और रक्त शर्करा के स्तर। डायबिटीज के कुछ सामान्य उपचार इस प्रकार है - 

दवाएं: मधुमेह के प्रकार के आधार पर, ब्लड ग्लूकोज के स्तर को प्रबंधित करने के लिए दवाएं जैसे इंसुलिन, मेटफॉर्मिन, इत्यादि का सुझाव दिया जा सकता है। 

जीवनशैली में बदलाव: स्वस्थ जीवनशैली में बदलाव करना जैसे स्वस्थ आहार का पालन, नियमित व्यायाम करना और जरूरत पड़ने पर वजन कम करना रक्त शर्करा स्तर को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।

रक्त शर्करा की निगरानी: रक्त शर्करा स्तर की नियमित निगरानी पैटर्न की पहचान करने और उपचार के निर्णयों को निर्देशित करने में मदद कर सकती हैं।

शिक्षा और समर्थन: मधुमेह की जानकारी रख कर तथा एक पंजीकृत एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डाइटिशियन और डॉक्टर की मदद से स्व-देखभाल और प्रबंधन कर सकते हैं। इससे रोगी को बहुत लाभ मिलेगा।

डायबिटीज में क्या खाना चाहिए?

मधुमेह के प्रबंधन के लिए स्वस्थ और संतुलित आहार बहुत महत्वपूर्ण है। मधुमेह में स्वस्थ भोजन के लिए कुछ सामान्य दिशा-निर्देश दिए जाते हैं जैसे - 

संपूर्ण खाद्य पदार्थों पर ध्यान दें: साबुत अनाज, ताजे फल और सब्जियां, लीन प्रोटीन और स्वस्थ फैट चुनें।

कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) वाले खाद्य पदार्थ चुनें: कम जीआई मूल्य वाले खाद्य पदार्थों से रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि होने की संभावना कम होती है। उदाहरण के तौर पर देखें तो गैर-स्टार्च वाली सब्जियां, साबुत अनाज, नट्स और फलियां शामिल हैं।

प्रोसेस्ड फूड को सीमित करें: प्रोसेस्ड फूड को सीमित करने से रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में बहुत मदद मिलती है। 

आहार में नियंत्रण: किसी भी भोजन का बहुत अधिक सेवन करने से रक्त शर्करा स्तर बढ़ सकता है। प्रयास करें कि हर कुछ समय में थोड़ा-थोड़ा खाएं।

कार्बोहाइड्रेट: कार्बोहाइड्रेट रक्त शर्करा के स्तर पर बढ़ा सकता है, इसलिए कार्बोहाइड्रेट के स्वस्थ स्रोत जैसे साबुत अनाज, फलों और सब्जियों को चुनें और कितना भोजन आप कर रहे हैं, इसकी निगरानी करें। 

हाइड्रेटेड रहें: खूब पानी पीने से रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने और डिहाइड्रेशन को रोकने में मदद मिलती है।

डायबिटीज में दर्द शरीर के कई हिस्सों में हो सकता है, जिनमें से डायबिटीज में पैर दर्द होना एक आम समस्या है। इसके अतिरिक्त डायबिटीज के कारण हाथ में भी दर्द होता है। दर्द के साथ रोगी को शरीर के विभिन्न अंगों में झुनझुनी और जोड़ों में दर्द और ऐंठन का सामना करना पड़ता है।

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बड़ा कारगर है यह जंगली पौधा, डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में रामबाण...

Posted on :11-Jul-2024
बड़ा कारगर है यह जंगली पौधा, डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में रामबाण...

Shatavari plant benefits: कई बार डिलीवरी के बाद महिलाओं में दूध नहीं बनने की शिकायत देखी जाती है. इसके लिए लोग डॉक्टर से सलाह लेते हैं. वहीं शहर से दूर रहने वाले आदिवासी जंगल में मिलने वाले खास तरह के पौधे का इस्तेमाल करते हैं. आइए जानते हैं. 

पलामू. कई बार डिलीवरी के बाद महिलाओं में दूध नहीं बनने की शिकायत देखी जाती है. इसके लिए लोग डॉक्टर से सलाह लेते हैं. वहीं शहर से दूर रहने वाले आदिवासी जंगल में मिलने वाले खास तरह के पौधे का इस्तेमाल करते हैं. जिससे डिलीवरी के बाद महिलाओं के दूध आसानी से बनने लगता है. इसके साथ साथ ये दूसरी कई बीमारियों में भी रामबाण है.

आदिवासी महिला नीलम देवी बताती हैं कि जंगल में मिलने वाला सतावर (शतावरी) नामक पौधा बेहद लाभदायक है. इसका इस्तेमाल वो तीन चार साल से कर रही हैं. इसका पाउडर खून की कमी के साथ कमजोरी जैसी समस्या को दूर करता है.

दूध बनाने में करता है मदद

उन्होंने कहा कि सतावर का पाउडर डिलीवरी के बाद महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इसमें मौजूद पोषक तत्व दूध बनाने में मदद करते हैं. जिन महिलाओं के दूध नहीं बन रहा है, वो महिलाएं इसका इस्तेमाल कर सकती हैं. ये शरीर में ताकत भी बढ़ाता है.

ऐसे होता है तैयार

उन्होंने बताया कि इसका पाउडर तैयार करने के लिए सतावर की जड़ का इस्तेमाल किया जाता है. सतावर की जड़ को जमीन से निकालकर किसी छांव वाली जगह में सुखाया जाता है. दो से तीन दिन में सुख जाने के बाद इसे किसी बर्तन या ओखली के प्रयोग से पाउडर तैयार किया जाता है. जिससे आप डब्बे में पैक कर रख सकते हैं.

ऐसे करें प्रयोग

उन्होंने कहा कि इसका प्रयोग करने के लिए आप सुबह शाम कभी भी कर सकते हैं. उन्होंने बताया की पानी के साथ एक चम्मच पाउडर को ले सकते हैं. खून की कमी होने पर एक हफ्ते में असर दिखना शुरू हो जाएगा. वहीं डिलीवरी वाली महिलाओं को दो से तीन दिन में असर दिखने लगेगा.

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. garjachhattisgarhnews.com किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.(एजेंसी)

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स्वास्थ्य के लिए अच्छा है रक्त दान महादान यही है मानवता की पहचान डॉ हृदयेश कुमार

Posted on :17-Jun-2024
स्वास्थ्य के लिए अच्छा है रक्त दान महादान यही है मानवता की पहचान डॉ हृदयेश कुमार

फ़रीदाबाद हरियाणा : बल्लबगढ़ के तिरखा  कॉलोनी स्थित शिव मंदिर परिसर में स्वास्थ्य के लिए अच्छा है रक्त दान महादान के नाम से वीडियो कांफ्रेंस मीटिंग का आयोजन किया गया आयोजन ट्रस्ट के राष्टीय अध्यक्ष डॉ एम पी सिंह ने के द्वारा किया गया जिसमे राष्टीय अध्यक्ष डॉ एम पी सिंह ने अनेक प्रकार से लोगों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए टिप्स दिए और जागरूक किया उन्होंने बताया कि स्वास्थ ही जीवन है और पर्यावरण संरक्षण भी हमारे स्वस्थ के लिए बहुत जरूरी है अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार ने स्वास्थ के लिए सभी मानव जीवन जीने वाले लोगों से एक अपील करते हुए कहा कि 

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स्वास्थ्य के लिए अच्छा है रक्त दान महादान 

यही है मानवता की पहचान 

रक्तदान बहुत ही बड़ा दान होता है. जिससे आप एक साथ कई लोगों की जान बचा सकते हैं. हर साल जून की 14 तारीख को रक्‍तदान दिवस मनाया जाता है जिसका मकसद लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करना है. क्या आप जानते हैं रक्तदान सिर्फ खून प्राप्त करने वालों के लिए ही फायदेमंद नहीं होता, बल्कि इससे रक्‍तदाता को भी कई सारे फायदे मिलते हैं. वैसे तो कोई भी स्वस्थ वयस्क पुरुष और महिला (18-65 साल) रक्तदान कर सकते हैं. पुरुष जहां हर 3 महीने में वहीं महिलाएं हर 4 महीने में रक्तदान कर सकती हैं.

लेकिन कुछ सिचुएशन में दोनों को ही रक्तदान करने की मनाही होती है। प्रेग्नेंट, स्तनपान कराने वाली और गर्भपात करवा चुकी महिला और दवाइयों का सेवन करने वाले लोग और वैक्सिनेशन के बाद और कमज़ोर लोग और अल्कोहल लेने के बाद रक्तदान नहीं कर सकते हैं   ब्लड डोनेशन से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है इस आयोजन में के एल अग्रवाल शिव शंकर राय, पंडित तरसेम वत्स और अनेक कॉलोनी निवासी लोग मौजूद रहे

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लीची को खाने से कई समस्याओं से मिलती है राहत...

Posted on :13-Jun-2024
लीची को खाने से कई समस्याओं से मिलती है राहत...

Health News : गर्मियों में मिलने वाला फल लीची को खाने से कई समस्याओं से राहत मिलती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ लीची ही नहीं, बल्कि इसके बीज भी गुणों की खान होते हैं। इसके बीजों के भी अपने ढेरों लाभ हैं। आइए जानते हैं लीची के बीज के फायदे और इन्हें इस्तेमाल करने का तरीका- कुछ शोध से पता चलता है कि लीची के बीज का अर्क हार्ट हेल्थ पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसका अर्क कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने, सूजन को कम करने और हेल्दी ब्लड फ्लो को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। साथ ही इससे हार्ट डिजीज का खतरा भी कम होता है। कुछ अध्ययनों से पता चला कि लीची के बीज का अर्क डायबिटीज से बचाने में भी मदद करता है। इसके अर्क में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने, इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाने और डायबिटीज से जुड़ी जटिलताओं को कम करने की क्षमता होता है। ऐसे में यह डायबिटीज से पीड़ित या इस स्थिति के विकसित होने के जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

लीची के बीज के अर्क मजबूत एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो इसे कई मायनों में फायदेमं बनाता है। ये अर्क पॉलीफेनोल्स, फ्लेवोनोइड्स और प्रोएंथोसाइनिडिन से भरपूर हैं, जो शरीर में शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट हानिकारक फ्री रेडिकल्स को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेल कम होता है और कैंसर, डायबिटीज और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम होता है। सेहत के लिए साथ-साथ लीची बालों के लिए भी अच्छी होती है, लेकिन क्या आपको पता है कि लीची के बीज त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। लीची के बीज के अर्क में मौजूद पॉलीफेनोल्स की भारी मात्रा त्वचा की लोच और हाइड्रेशन में सुधार करने में मदद करता है। साथ ही यह झुर्रियों को कम करता है, जिससे स्किन युवा और चमकदार दिखती है। लीची के बीच के फायदों के बारे में तो आपने जान लिया, अब बारी है इसका इस्तेमाल करने के तरीके के बारे में जानने की।

आप लीची के बीज को अर्क के रूप में डाइट में शामिल कर सकते हैं। यह आमतौर पर कैप्सूल या पाउडर के रूप में मिलता है, जिससे इन्हें अपनी रूटीन में शामिल करना आसान हो जाता है।इसके अलावा आप घर पर खुद से लीची बीज का अर्क तैयार कर सकते हैं। इसके लिए बीजों को निकालकर अच्छी तरह साफ करें और सूखने दें। एक बार सूख जाने पर बीजों को ब्लेंडर या मसाला ग्राइंडर की मदद से बारीक पीस लें। घर में बने लीची के बीज के इस पाउडर को स्मूदी, दही में मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। बता दें कि गर्मियों में कई सारे फलों का स्वाद चखने को मिलता है। तरबूज से लेकर खरबूज तक, इस मौसम में ऐसे कई फल मिलते हैं, जो स्वादिष्ट होने के साथ ही हमें हाईड्रेट रखने में भी मदद करते हैं। लीची इन्हीं में से एक है, जो इस सीजन में कई लोगों का पसंदीदा फल होता है। लोग बड़ी ही बेसब्री से इसका इंतजार करते हैं। स्वादिष्ट होने के साथ ही यह ढेर सारे स्वास्थ्य लाभों से भी भरपूर होता है।(एजेंसी)

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खाने-पीने के बाद कुछ मीठा खाने की आदत बिगाड़ेगी आपकी सेहत

Posted on :11-Jun-2024
खाने-पीने के बाद कुछ मीठा खाने की आदत बिगाड़ेगी आपकी सेहत

Health News : खाने-पीने के बाद अक्सर लोगों को कुछ मीठा खाने की आदत होती है। यह आदत सेहत को नुकसान पहुंचाती है और इससे टाइप 2 डायबिटीज समेत मोटापा और फैटी लिवर की समस्या होने लगती है। मीठे की आदत को कंट्रोल करने का तरीका है कि जितना हो सके ऐसी चीजों को खरीदने से बचें। इसके अलावा आप अपने बेडरूम में इन चीजों को न रखें। ऐसे में, आपको इन्हें देख-देखकर खाने की तलब नहीं उठेगी। मीठा खाने की आदत के पीछे स्ट्रेस हार्मोन का बड़ा हाथ होता है, इसलिए आप जितना हो सके स्ट्रेस से दूर रहें। अगर आप कम से कम 8 घंटे की नींद लेते हैं, तो इससे भी तनाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है और आप शुगर क्रेविंग्स (मीठा खाने की आदात) से बच सकते हैं। 

खाने के एक घंटे बाद आप भरपूर मात्रा में पानी पिएं। इससे भी मीठा खाने की आदात दूर हो सकती है। इस तरीके से नींद आने तक आपका पेट भरा रहेगा और आप ऐसी चीजों के सेवन से बच सकेंगे। खूब कंट्रोल करने के बाद भी अगर मीठा खाने का मन करे, तो ऐसे में आप फ्रूट्स का सेवन करें। इनमें कैलोरी काफी कम होती है, जिससे आपको न तो वजन बढ़ने की समस्या होगी और न ही ये हार्ट हेल्थ के लिए नुकसानदायक होगा। इसमें मौजूद फाइबर बहुत देर तक आपके पेट को भरा रखते हैं और आप अनहेल्दी खाने से बच सकते हैं।(एजेंसी)

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गर्मी के मौसम में कुंदरू की सब्जी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद...

Posted on :25-May-2024
गर्मी के मौसम में कुंदरू की सब्जी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद...

Health News : गर्मी के मौसम में मिलने वाली सब्जियां कद्दू , लौकी, तुरई तो हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती हैं। इन्हीं सब्जियों में कुंदरु भी शामिल है। जानते हैं गर्मी के मौसम में कुंदरू की सब्जी का सेवन करने से हमारे स्वास्थ्य को क्या फायदे मिलते हैं। विशेषज्ञ की मानें तो कुंदरु एक ऐसी सब्जी है, जिसका सेवन गर्मी के मौसम में हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। यह दिखने में परवल जैसा ही लगता है। लेकिन साइज और चौड़ाई में छोटा होता है। 

पौष्टिक गुणों से भरपूर कुंदरु हमें कई बीमारियों से भी बचाने में कारगर होता है। साथ ही वह बताती हैं कि इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन (सी,बी,के), फाइबर, मिनरल, आयरन, कैल्शियम के साथ ही एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो गर्मी के मौसम में हमारे स्वास्थ्य को दुरुस्त बनाए रखने में कारगर होते हैं। डायटीशियन एक्सपर्ट के अनुसार कुंदरू का सेवन करने से डायबिटीज, पाचन तंत्र, वजन कम करने इंफेक्शन से बचाने में, इम्यूनिटी मजबूत बनाने, ह्रदय रोग की समस्या, बीपी की समस्या से राहत दिलाता है। गर्मी के मौसम में कुंदरू की सब्जी बनाकर इसका सेवन करना चाहिए। जिससे जिससे हमारे स्वास्थ्य को कई फायदे मिलते हैं।

विशेषज्ञों की माने तो कुंदरू का सेवन करने से हमें किडनी स्टोन की समस्या से राहत मिलती है। इसमें मौजूद एंटी हाइपर ग्लाइसेमिक तत्व से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है ।इसका सेवन करते समय ध्यान देना चाहिए कि कुंदरु कच्चा ही होना चाहिए। ज्यादा पक्का कुंदरू नहीं खाना चाहिए। मालूम हो कि गर्मी के मौसम में हमें अपने डाइट में कुछ ऐसी चीज शामिल करनी चाहिए, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती हैं। क्योंकि इस मौसम में खान पान का असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है। जिसके कारण हम बीमार होते हैं ।इसीलिए हमें पौष्टिक भोजन के साथ ही पौष्टिक सब्जियों की जरूरत होती है। जिससे हमारा स्वास्थ्य दुरुस्त रहता है।(एजेंसी)

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30 सेकंड की एक्सरसाइज से हार्ट हो जायेगा मजबूत, मोटापा होगा कम.....

Posted on :27-Apr-2024
30 सेकंड की एक्सरसाइज से हार्ट हो जायेगा मजबूत, मोटापा होगा कम.....

Health News : शारीरिक गतिविधि हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद होती है, इसलिए सलाह भी दी जाती है कि सभी को कुछ न कुछ शारीरिक गतिविधि जरूर करनी चाहिए। हाल ही में 30 हजार लोगों पर रिसर्च में पाया गया है कि शाम 6 बजे से आधी रात के बीच की गई शारीरिक गतिविधि से मोटे लोगों की सेहत में सुधार होता है। जो लोग शाम को शारीरिक गतिविधि करते हैं, उनमें समय से पहले मृत्यु और हार्ट रोग से मृत्यु का जोखिम सबसे कम था।

एक रिसर्च में साबित हुआ है कि लोगों के रोजाना की कुल शारीरिक गतिविधि की तुलना में तीन मिनट की छोटी सी गतिविधि अधिक फायदा दे सकती है। लोग सिर्फ 3 मिनट की एक्सरसाइज से अपनी सेहत को सुधार सकते हैं।

जरुरी सूचना: इन एक्सरसाइज को करने से पहले, उन्हें करने का सही तरीका किसी फिटनेस ट्रेनर से पूछें या फिर यूट्यूब पर वीडियो देख सकते हैं।
हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग

स्टार जंप: बॉडी को गर्म करने और हार्ट रेट को बढ़ाने के लिए सबसे पहले 30 सेकंड तक स्टार जंप करें।

बॉडीवेट स्क्वॉट: यह लोअर बॉडी को एक्टिवेट करने के लिए एक्सरसाइज होती है इसलिए 30 सेकंड तक बॉडीवेट स्क्वॉट करें।

माउंटेन क्लाइंबर्स: कोर यानी पेट आसपास के मसल्स को सक्रिय करने के लिए 30 सेकंड तक इस एक्सरसाइज को करें और इसके साथ आपका मिनी एचआईआईटी वर्कआउट कंपलीट हो जाएगा।

इस सर्किट को तीन बार दोहराएं, प्रत्येक राउंड के बीच 20 सेकंड का ब्रेक लें।

कार्डियो

बर्पीज: यह काफी अच्छी एक्सरसाइज होती है। स्कॉट, जंप और प्लैंक तीन एक्सरसाइज मिलाकर बर्पीज करते हैं। इसके 1 रेप्स से 1.65 कैलोरी बर्न होती है। 30 सेकंड में जितनी हो सकें उतनी बर्पीज करें।

हाई नीज: बर्पीज के तुरंत बाद 30 सेकंड के लिए हाई नीज एक्सरसाइज करें। इस एक्सरसाइज में एक ही जगह पर खड़े होकर रनिंग करनी होती है। बस ध्यान रखें घुटने जितना हो सकें उतनी ऊपर तक आएं।

स्किपिंग: फिर 30 सेकंड तक स्किपिंग के साथ इस सेट को खत्म करें। इस आसानी से कहीं भी किया जा सकता है।

सर्किट पूरा करने के बाद 30 सेकंड के लिए आराम करें, फिर इसके कुल तीन राउंड करें।

कोर

प्लैंक: कोर यानी पेट के चारों ओर के मसल्स की स्टेबिलिटी बढ़ाने के लिए 30 सेकंड की एक्सरसाइज करें।

रशियन ट्विस्ट: इस एक्सरसाइज को करने के लिए फर्श पर बैठकर हल्का सा पीछे झुकना होता है और फिर पैरों को हल्का सा मोड़ते हुए हाथों से दोनों ओर फर्श को स्पर्श करना होता है।

लेग रेज: इस एक्सराइज को करने के लिए पीठ के बल लेटकर पैरों को सीधे चेस्ट तक लाना होता है। इस एक्सरसाइज को भी 30 सेकंड के लिए करें।
हर राउंड के बीच 20 सेकंड आराम करें और फिर इसे तीन बार दोहराएं।(एजेंसी)

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गर्मी में जादू है ये पौधा, घटा देगा घर का तापमान...

Posted on :23-Apr-2024
गर्मी में जादू है ये पौधा, घटा देगा घर का तापमान...

Best houseplant for Summer : अप्रैल के महीने में भीषण गर्मी के साथ लू चलना शुरू हो गई है. ऐसी तपती गर्मी से बचने के लिए लोग पंखा, एसी, कूलर से लेकर तमाम तरह के इंतजाम करते हैं. कोशिश करते हैं कि कैसे भी घर के अंदर का तापमान कम हो जाए और ठंडा महसूस हो लेकिन आपको बता दें कि कितने भी आर्टिफिशियल तरीके अपना लीजिए, प्राकृतिक चीजों की बराबरी नहीं हो सकती. बड़े-बड़े पेड़ ही नहीं, गमलों में उगाए जाने वाले पौधे भी इनसे इक्‍कीस ही साबित होते हैं. आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं जो गर्मी में जादू की तरह काम करता है. छोटे से गमले में उगाया जाने वाला ये पौधा आपके घर को कूल-कूल बनाए रखने की ताकत रखता है.

दिखने में भी बेहद सुंदर ये पौधा कभी अफ्रीकी देशों में पाया जाता था, लेकिन इसके फायदे इतने कमाल के हैं कि अब यह भारत में भी आसानी से और बहुतायत में उगाया जाता है. यहां तक कि बड़े-बड़े इंटीरियर डिजाइनर्स से लेकर हॉर्टीकल्‍चर एक्‍सपर्ट तक इस पौधे की विशेषताओं के चलते इसे इनडोर लगाने की सलाह देते हैं.

प्‍लांट है स्‍नेक प्‍लांट यानि कि सांप का पौधा. इसका नाम स्‍नेक प्‍लांट इसलिए भी है क्‍योंकि इसकी पत्तियों पर वाइपर सांप के शरीर जैसी डिजाइन छपी होती है. स्‍नेक प्‍लांट को लेकर ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि इस पौधे की देखभाल बहुत आसान है. इसमें ज्‍यादा पानी, खाद की भी जरूरत नहीं होती और इसे आसानी से इनडोर प्‍लांट के रूप में लगाया जा सकता है.

इस पौधे में कुछ खासियतें होती हैं, जैसे अन्‍य गहरे रंग की पत्तियों वाले पौधों में होती हैं. यह हवा को प्‍यूरिफाई करता है, हवा में से जहरीले प्रदूषण तत्‍वों को हटाता है. इसे घर में लगाने पर सांस लेने के लिए लोगों को शुद्ध हवा मिलती है. यह एक नेचुरल ह्यूमिडिफायर है. यानि कि उमस को कम करता है. इतना ही नहीं अगर इसे कमरे या घर में कई गमलों में लगाया जाए तो यह तापमान को भी कुछ हद तक मेनटेन करने का काम करता है.

प्रदूषण के खिलाफ काम करने वाला ये पौधा एलर्जिक तत्‍वों को भी सोख लेता है. यह मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य और शांति में कारगर है. इसकी खूबसूरती की वजह से भी इसे देखकर अच्‍छा महसूस होता है. इसके अलावा इसे लेकर कई तरह वास्‍तु संबंधी बातें भी सामने आती हैं. जिसमें इसकी पत्तियों की डिजाइन की वजह से इसे लकी पौधा माना जाता है.

हालांकि एक्‍सपर्ट की मानें तो आप गर्मी के मौसम में अपने घर में स्‍नेक प्‍लांट लगा सकते हैं और इसके जादुई असर को महसूस भी कर सकते हैं. खास बात है कि यह पौधा एक बार लगाने पर करीब 10-12 साल तक लिए आसानी से चलता रहता है. इसमें ज्‍यादा मेहनत करने की भी जरूरत नहीं होती. कई बार यह 20 साल तक भी जिंदा रह लेता है.

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भोजन के बाद भूल से भी ना खाएं ये चीजें, सेहत को पहुंच सकता है नुकसान...

Posted on :17-Apr-2024
भोजन के बाद भूल से भी ना खाएं ये चीजें, सेहत को पहुंच सकता है नुकसान...

Health News : गर्मियों के सीजन में शुद्ध खाने पीने का ध्यान रखना पड़ता है. ऐसे में शरीर को तमाम बीमारियों से बचाने के लिए खान पान का ध्यान रखना बेहद जरूरी भी है. एक तरफ लोग तमाम बीमारियों से बचने के लिए कई अंग्रेजी दावाओं का इस्तेमाल करते हैं तो, वहीं आज भी कई ऐसे चिकित्सक है जो आयुर्वेदिक तरीकों से लोगों का इलाज करते हैं. वह उन्हें आयुर्वेद का सलाह देते हैं. गोरखपुर धर्मशाला पर मौजूद आयुर्वेद चिकित्सक घनश्याम वैद्य बताते हैं कि, इन गर्मियों के सीजन में शरीर को स्वस्थ रखने और एलर्जी को दूर करने के लिए, आयुर्वेद के ‘विरुद्ध आहार’ का पालन करना बेहद जरूरी है. जिससे शरीर की बीमारियों कोसों दूर रहेंगी.

अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थ खान-पान का पालन करना बेहद जरूरी है. ऐसे में गर्मियों के सीजन में एलर्जी और भीषण गर्मियों से बचने के लिए, आयुर्वेद के ‘विरुद्ध आहार’ का पालन करना ही चाहिए. पिछले 12 सालों से आयुर्वेद तरीके से लोगों का इलाज करने वाला घनश्याम वैद्य बताते हैं कि, गर्मियों के सीजन में विरुद्ध आहार का पालन करना बेहद जरूरी है. विरुद्ध आहार के जरिए हम जान सकते हैं कि, कब और किस समय क्या खाना चाहिए. वैद्य बताते हैं कि, सत्तू के साथ दाल का सेवन न करें, दूध के साथ नमक का सेवन न करें, खाने के बाद कभी आइसक्रीम ना खाएं, दही में नमक का प्रयोग ना करें, ऐसी चीजे आयुर्वेद में विरुद्ध आहार के समान होती है.

इसके प्रयोग से शरीर को मिलेगा ताकत

डॉक्टर घनश्याम वैद्य बताते हैं कि, हमें अपने शरीर को ताकतवर और शुद्ध बनाने के लिए गाय के घी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए. वह साथ ही कोशिश करें की, हर टाइम गर्म भोजन ही करें तो वह हमारे शरीर को कई पौष्टिक चीज प्रदान करता है. जिससे हमारा शरीर ताकतवर होता है. वह खाना आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है. खासकर के सुबह और शाम गरम भोजन के साथ गाय का घी जरूर इस्तेमाल करें, जो आपके शरीर के लिए बेहद लाभदायक होगा.

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. garjachhattisgarhnews किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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डायबिटीज मरीजों के लिए है रामबाण ये सब्जी, जानें 5 जबरदस्त फायदे...

Posted on :12-Apr-2024
डायबिटीज मरीजों के लिए है रामबाण ये सब्जी, जानें 5 जबरदस्त फायदे...

Chichinda Vegetable Benefits : कई तरह की सब्जियां होती हैं. इनमें से कुछ का लोग सेवन करते हैं, कुछ के बारे में जानते हैं और कुछ ऐसी सब्जियां हैं जिसका नाम तो सुना होता है लेकिन कभी स्वाद नहीं चखा. ऐसी ही एक सब्जी है चिचिंडा. चिचिंडा देखने में बिल्कुल सांप जैसी लगती है. यह पतली और लंबी होती है. हरे रंग की इस सब्जी के छिलके पर सफेद रंग की धारी बनी होती है, इसलिए यह सांप की तरह लगती है. चिचिंडा को इंग्लिश में स्नेक गार्ड (Snake Gourd) कहते हैं. चलिए जानते हैं चिचिंडा खाने के सेहत लाभ के बारे में.

चिचिंडा में मौजूद पोषक तत्व- इसमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होता है. एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-डायबिटिक, एंटी-पाइरेटिक, एंटी-माइक्रोबियल भी होती है चिचिंडा. ये बुखार, पैथोजेंस, ब्लड शुगर लेवल, इंफ्लेमेशन, फ्री रेडिकल डैमेज आदि से बचाते हैं. इसके अलावा इसमें प्रोटीन, फाइबर, फैट्स, आयरन, पोटैशियम, मैग्नीशियम, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन ए, बी6, सी, ई और कई तरह के मिनरल्स भी होते हैं. इसमें बायोएक्टिव प्लांट कम्पाउंड्स फेनोलिक्स, Cucurbitacins होते हैं जो आपके संपूर्ण शारीरिक और मेंटल हेल्थ को बूस्ट करते हैं.

जिन लोगों को डायबिटीज है, उन्हें भी चिचिंडा की सब्जी का सेवन करना चाहिए. इस सब्जी में एंटी-डायबिटिक तत्व होते हैं जो मधुमेह को मैनेज करता है और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है. यदि आपका पाचन तंत्र खराब रहता है तो आप चिचिंडा की सब्जी खा सकते हैं. यह गट हेल्थ (Gut health) के लिए बेहद फायदेमंद सब्जी है. फाइबर होने के कारण यह बाउल मूवमेंट को सही बनाए रखता है जिससे कब्ज की समस्या नहीं होती है. आपको कब्ज की शिकायत रहती है तो आप फाइबर से भरपूर सब्जियों का सेवन करें. इसमें स्नेक गार्ड जरूर शामिल करें.

गर्मी के दिनों में भी आप चिचिंडा की सब्जी बनाकर खाएं. ऐसा इसलिए क्योंकि यह शरीर को हाइड्रेटेड बनाए रखता है. इसके सेवन से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है. इतना ही चिचिंडा में कैलोरी की मात्रा भी काफी कम होती है. ऐसे में इसके सेवन से वजन बढ़ने का रिस्क नहीं होता है.

चूंकि, चिचिंडा में एंटीऑक्सीडेंट विटामिन सी होता है इसलिए इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. ये सब्जी ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल आदि को कंट्रोल करके हार्ट की बीमारियों को भी होने से बचाती है. आयोडीन होने के कारण ये सब्जी थायरॉइड फंक्शन को भी ठीक रखती है.(एजेंसी)

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समाज सेवा के साथ स्वस्थ पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं ट्रस्ट के माध्यम से :डॉ. हृदयेश कुमार

Posted on :01-Apr-2024
समाज सेवा के साथ स्वस्थ पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं ट्रस्ट के माध्यम से :डॉ. हृदयेश कुमार

स्वस्थ जीवन के लिए सिर्फ हेल्दी फूड ही नहीं बल्कि अच्छी नींद लेना भी बहुत जरूरी है:डॉ. हृदयेश कुमार 

फरीदाबाद से सुनील जांगडा की रिपोर्ट

फरीदाबाद : स्वस्थ जीवन के लिए सिर्फ हेल्दी फूड ही नहीं बल्कि अच्छी नींद लेना भी बहुत जरूरी है। नींद के इसी महत्व को समझाने के उद्देश्य से हर साल मार्च के तीसरे शुक्रवार को‘वर्ल्ड स्लीप डे’ मनाया जाता है। अपर्याप्त नींद के कारण होने वाली हृदय संबंधित समस्याओं के बारे में जानकारी देते हुए अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ.  हृदयेश कुमार  ने बताया कि जिस तरह भोजन हमारे शरीर की जरूरत है,ठीक वैसे ही पर्याप्त मात्रा में नींद लेना भी शरीर के लिए बहुत आवश्यक है।

अगर नींद पूरी होती है तो व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक रूप से रिलैक्स महसूस करता है और ब्लड प्रेशर भी ठीक बना रहता है। अगर कोई व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में नींद नहीं लेता है तो उसका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। कुछ व्यक्ति नींद की बीमारी, ( ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया नामक बीमारी ),से पीड़ित होते हैं। एैसे व्यक्ति की नींद रात में बार-बार टूटती है। स्लीप डेफिशियेंसी ब्लड प्रेशर बढ़ने और कई बार ब्लड प्रेशर अनियंत्रित होने का एक बहुत बड़ा कारण बन जाता है।

ब्लड प्रेशर के अनियंत्रित होने के कारण हार्ट की हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। जिन लोगों का हार्ट फंक्शन कमजोर है, उन्हें हार्ट फेलियर की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है। ब्लड प्रेशर के अनियंत्रित होने के कारण हार्ट अटैक, हार्ट की नसों में ब्लॉकेज, किडनी फेलियर का खतरा बढ़ सकता है।

रात के समय लम्बे समय तक मोबाइल फोन या किसी अन्य गैजेट के इस्तेमाल करने से भी पर्याप्त मात्रा में नींद नहीं आती हैं तो इससे आपके हार्ट पर स्ट्रेस (जोर) पड़ता है। स्ट्रेस बढ़ने के मुख्य कारण आपके शरीर से कुछ ऐसे हार्मोन का निकालना है जो ब्लड प्रेशर को बढ़ाते हैं। सामान्य तौर पर 24 घंटे में व्यक्ति को 7-8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। अगर किसी व्यक्ति को नींद कम आती है तो वह चिंतित हो जाता है। कई बार कुछ लोग नींद की दवाई का सहारा लेते हैं जिसका शरीर पर खराब असर पड़ता है।
व्यक्ति को इस दवाई की लत पड़ सकती है।

नींद भूख की तरह शरीर की जरूरत होती है,जितना ज्यादा बॉडी थकेगी उतना ज्यादा खाने एवं नींद मांगेगी। नींद को बढ़ाने के लिए नींद की दवाओं की बजाय फिजिकल एक्टिविटी के माध्यम से बॉडी को थकाने की कोशिश करनी चाहिए। रोजाना एक्सरसाइज करें,इससे आपका शरीर थकेगा और नींद लंबी एवं गहरी आएगी। हार्ट मरीजों के लिए एक्सरसाइज करना जितना जरूरी है,पर्याप्त मात्रा में नींद लेना भी उतना ही आवश्यक है। ठीक से नींद न लेने के कारण हार्ट की नसों में ब्लॉकेज के मरीज को हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ सकता है इसलिए हृदय मरीजों को भी पर्याप्त मात्रा में नींद लेनी चाहिए। स्मोकिंग करने से आपकी नींद और भूख दोनों पर बुरा असर पड़ता है।

अगर आप रात में सोने एवं खाना खाने से पहले स्मोकिंग करते हैं तो आपकी भूख और नींद दोनों खराब होंगी। नींद के डिस्टर्ब होने से ब्लड प्रेशर बढेगा और आपके हार्ट पर स्ट्रेस पड़ेगा इसलिए स्मोकिंग करने से बचें।

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सूर्यास्त बाद घर की दहलीज पर बैठना चाहिए या नहीं?, जानें शाम में 5 कामों की है मनाही

Posted on :30-Mar-2024
सूर्यास्त बाद घर की दहलीज पर बैठना चाहिए या नहीं?, जानें शाम में 5 कामों की है मनाही

Astro Tips : हिन्दू धर्म में ज्योतिषशास्त्र की विशेष मान्यता है. तमाम ऐसे काम हैं, जिनको करने न करने का जीवन में प्रभाव देखने को मिलता है. हालांकि, कुछ भ्रांतियां भी हैं, जिनको लेकर लोग अक्सर दुविधा में रहते हैं. ऐसी ही भ्रांति है कि सूर्यास्त के बाद घर की दहलीज पर बैठना चाहिए या नहीं? झाड़ू लगाएं या नहीं? शाम को तुलसी पर जल चढ़ाएं या नहीं? इन सवालों पर ज्योतिष आचार्यों का क्या मत है, सबसे इनको जान लेते हैं. इनके बारे में उन्नाव के ज्योतिषाचार्य पं. ऋषिकांत मिश्र शास्त्री ने विस्तार से बताया-

पं. ऋषिकांत मिश्र शास्त्री बताते हैं कि, हिन्दू धर्म में कई कामों को सूर्यास्त के बाद करने की मनाही होती है. सनातन धर्म में सूर्य को देवता माना गया है, इसलिए शास्त्रों में सूर्योदय और सूर्यास्त को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं. इन बातों को नजरअंदाज करना अशुभ माना जाता है. ज्यादातर बड़े-बुजुर्गों के मुंह सुना होगा कि सूर्योदय के बाद ऐसा काम नहीं करना चाहिए.

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घर की दहलीज पर ना बैठें: पं. ऋषिकांत मिश्र शास्त्री के मुताबिक, किसी को भी शाम के वक्त घर की दहलीज नहीं बैठना चाहिए. सूर्यास्त के बाद दहलीज पर बैठने को अशुभ माना गया है. मान्यता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी आपके घर में प्रवेश नहीं कर पातीं. भूलकर भी शाम के समय सीढ़ी पर न बैठें. साथ ही शाम में दरवाजा भी खुला रखना चाहिए.

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सूर्यास्त के बाद नहीं सोएं: ज्योतिषाचार्य के अनुसार, माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति शाम के वक्त सोता है, तो वह कई रोगों का शिकार हो जाता है. साथ ही शाम के समय सोने वाले व्यक्ति की आयु भी कम होती है. ऐसे में सूर्यास्त के समय सोना नहीं चाहिए. ऐसा करना बेहद अशुभ माना जाता है.

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झाड़ू न लगाएं: हिंदू धर्म में सूर्यास्त के बाद यानी संध्या के वक्त घर के अंदर झाड़ू नहीं लगाया जाता है. मान्यता है कि शाम के समय घर के अंदर झाड़ू लगाने से अशुद्धियां आती हैं और देवी लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं, इसलिए शाम को घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए.

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तुलसी को जल न चढ़ाएं: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, शाम के समय तुलसी में जल नहीं चढ़ाना चाहिए. साथ ही इस वक्त तुलसी की पत्तियों को भी नहीं तोड़ना चाहिए. यह अशुभ माना जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से देवी लक्ष्मी हमेशा के लिए घर से चली जाती हैं.

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पैसों के लेन-देन से बचें: हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, सूर्यास्त के बाद भूलकर भी पैसों का लेन देन नहीं करना चाहिए. माना जाता है कि शाम के समय पैसों के लेनदेन से वो पैसा कभी वापस नहीं आता. यह अशुभ माना जाता है.(एजेंसी)

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रोजाना सिर्फ 11 मिनट तक तेज चलने से कई सारी बीमारियों का जोखिम कम

Posted on :21-Mar-2024
रोजाना सिर्फ 11 मिनट तक तेज चलने से कई सारी बीमारियों का जोखिम कम

-अध्ययन में फिजिकल एक्टिविटी पर दिया गया जोर

Health News : शोधकर्ताओं का दावा है कि रोजाना सिर्फ 11 मिनट तक तेज चलने से कई सारी बीमारियों का जोखिम कम किया जा सकता है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के द्वारा की गई इस स्टडी में फिजिकल एक्टिविटी पर जोर दिया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि फिजिकल एक्टिविटी जैसे ब्रिस्क वॉक (यानी के तेजी से चलना या वॉक करना) दिल की बीमारियां, स्ट्रोक और कैंसर का खतरा कम करती है। एक स्टडी के अनुसार, हर व्यक्ति को रोज 11 मिनट तेज या मध्यम और हफ्ते में 75 मिनट तक ज्यादा तीव्रता वाली ब्रिस्क वॉक करनी चाहिए। क्योंकि दुनिया में दिल की बीमारी और स्ट्रोक मौत का मुख्य कारण हैं। दिल से जुड़ी बीमारियों के कारण दुनिया भर में 2019 में करीबन 1.79 करोड़ मौतें हुई थी जबकि कैंसर 2017 में 96 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार था।

ऐसे में शोधकर्ताओं का मानना है कि फिजिकल एक्टिविटी मुख्य तौर पर ब्रिस्क वॉक करने से इन बीमारियों का खतरा कम होगा। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस का कहना है कि हर व्यक्ति को हफ्ते में कम से कम 150 मिनट तक मध्यम-तीव्रता वाली 75 मिनट तक शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 3 में से 2 लोगों ने हफ्ते में 150 मिनट से ज्यादा मध्यम-तीव्रता वाली एक्सरसाइज की और 10 में से एक ने हफ्ते में 300 मिनट से ज्यादा की फिजिकल एक्टिविटी करने के लिए कहा। ऐसे में शोधकर्ताओं ने देखा जिन लोगों ने 150 मिनट से ज्यादा की मध्यम तीव्रता वाली एक्सरसाइज की थी उनमें किसी बीमारी के होने का या जल्दी मौत का खतरा काफी हद तक कम था।

इतना ही नहीं हर हफ्ते 75 मिनट तक फिजिकल एक्टिविटी करने वाले लोगों में भी मौत का जोखिम करीबन 23 प्रतिशत तक कम हुआ। जिन लोगों ने फिजिकल एक्टिविटी की उनमें कैंसर का खतरा 14-26 प्रतिशत तक कम देखा गया। ऐसे में स्टडी का कहना है कि कोई भी फिजिकल एक्टिविटी नहीं करने से बेहतर है कि यदि आप हफ्ते में 75 मिनट तक कोई फिजिकल एक्टिविटी करते हैं तो कई गंभीर बीमारियों का खतरा कम हो सकता है।इस स्टडी में पता चला कि हर हफ्ते सिर्फ 75 मिनट फिजिकल एक्टिविटी करने से दिल की बीमारी के पैदा होने का खतरा 17 प्रतिशत तक कम होता है। इसके अलावा कैंसर का जोखिम भी 7 प्रतिशत तक कम होता है।(एजेंसी)

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वैज्ञानिकों ने बनाया ऐसा उपकरण, गला खराब होने के बाद भी बोल पाएंगे लोग

Posted on :16-Mar-2024
वैज्ञानिकों ने बनाया ऐसा उपकरण, गला खराब होने के बाद भी बोल पाएंगे लोग

-वैज्ञानिकों ने बनाया ऐसा उपकरण, खुल जाएगा बंद गला

Health News : दुनिया में 10 लाख से ज्‍यादा लोग ऐसे हैं, जो बोल नहीं पाते हैं। काफी तेजी से यह समस्‍या बढ़ती जा रही है। कई बच्‍चों को यह बीमारी जन्‍मजात होती है। अब ऐसे लोगों के लिए उम्‍मीद की एक किरण जगी है। वैज्ञानिकों ने ऐसा उपकरण बनाया है, जिसे लगाते ही बंद वोकल कार्ड खुल जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा पैच तैयार किया है, जिसे बाहर से गले में लगा दिया जाएगा। यह लचीला उपकरण गर्दन की मांसपेशियों की गतिविधियों को पहचान लेता है और उसे आवाज में बदल देता है।

यानी अगर गला काम नहीं कर रहा है, तो भी आप बोल पाएंगे। सबसे खास बात, इस उपकरण को चलाने के लिए कोई बैटरी या प्‍लग की जरूरत नहीं। यह गले की गतिविधि का उपयोग करके खुद ही बिजली उत्‍पन्‍न करता है। उसी से संचालित होता है। उपकरण बनाने वाली टीम के लीडर प्रोफेसर जून चेन से जब पूछा गया कि उन्‍हें यह ख्‍याल आया कहां से? तब उन्‍होंने कहा, एक बार मैं व्‍याख्‍यान दे रहा था। कई घंटे हो गए बोलते-बोलते, एक वक्‍त पर मैंने महसूस किया कि मेरा गला थक गया है। आवाज नहीं निकल पा रही है। तभी सोचा कि क्‍या कुछ ऐसा बना सकते हैं, जिससे तेज बोलना न हो। जो हमारे गले की मदद कर सके। वहीं से ये आइडिया आया।

काम शुरू किया तो नतीजे चौंकाने वाले थे। इस उपकरण की मदद से आप अपने वोकल कॉर्ड को तकलीफ दिए बिना बोल सकें। इसे हम वोकल फोल्‍ड के नाम दे रहे हैं। प्रोफेसर ने बताया, जो लोग बोलने की क्षमता खो चुके हैं, उनके लिए यह रामबाण होगा। उनकी आवाज फिर वापस आ सकेगी। गले के कैंसर की सर्जरी के बाद कई लोगों की आवाज चली जाती है, उनके लिए भी यह काफी मददगार होगा। बिना किसी दिक्‍कत के वे बात कर पाएंगे। लोहे और गैलियम को मिलाकर ये पैच बनाया गया है। जब इस पर किसी तरह का दबाव आता है तो यह चुंबकीय गुण प्रकट करने लगता है। नया पैच इसी तकनीक पर काम करता है। गले की मांसपेशियों में जब खिंचाव या फैलाव होता है, तो यह उसका इस्‍तेमाल कर आवाज तैयार कर लेता है, और इसे विद्धुत संकेतों में बदल देता है। जो बाद में आवाज के रूप में बाहर आती है। यह पैच पांच बहुत पतली परतों से बना हुआ है।

बाहरी परत काफी नरम, लचीली सि‍लिकॉन से बनी हुई है। बीच की परत सिलिकॉन और माइक्रोमैग्नेट से बनी होती है, जो एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है। यह गले की मांसपेशियों की गति के साथ बदलती रहती है। इसके चारों ओर तांबे के तार की कुंडलियों से बनी दो परतें, इन चुंबकीय-क्षेत्र परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करती हैं। शोध में शामिल लोगों ने पांच वाक्‍यों को 100 बार दोहराया और 95 प्रतिशत फीसदी बिल्‍कुल सही आवाज बाहर आई।(एजेंसी)

 

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पपीते के बीज भी स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं

Posted on :07-Mar-2024
पपीते के बीज भी स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं

Health News : स्वास्थ्य वर्धक फल पपीते का सेवन करते हुए लोग इसके बीजों को फेंक देते हैं परंतु आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि पपीते के बीज भी स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। पपीते के बीजों में पॉलीफेनॉल्स पाए जाते हैं जो मजबूत एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं यह एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को कई तरह के कैंसर से बचाते हैं। 5-6 पपीते के बीज पीसकर जूस के साथ इनका सेवन करें। डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों के लिए भी पपीते के बीज बेहद फायदेमंद होते हैं। क्योंकि इसमें सिर्फ फाइबर ही नहीं बल्कि ऐसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो हाई ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।पपीते के बीजों में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है।

ऐसे में यह पाचन को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। यह शरीर के मेटाबॉल्जिम को कंट्रोल करके शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा फैट जमा होने से रोकते हैं। यदि आप वजन कम करना चाहते हैं तो इन बीजों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। मौसमी बीमारियों, एलर्जी और इंफेक्शन से बचाने के लिए भी यह बीज फायदेमंद माने जाते हैं। इनका सेवन करने से इम्यूनिटी पॉवर मजबूत होती है और इसका लगातार सेवन करने से स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।पाचन क्रिया को स्वस्थ रखने के लिए आप डाइट में पपीते के बीचों को शामिल कर सकते हैं। इसमें कारपेन नाम का पदार्थ पाया जाता है जो आंतों में मौजूद कीड़े और बैक्टीरिया को मारकर शरीर को कब्ज से बचाने में मदद करता है। इन बीजों का सेवन करने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है।

पपीते के बीजों का सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कंट्रोल में रहता है। इन बीजों में ओलिक एसिड और कुछ अन्य मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड पाए जाते हैं जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। इनका सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। पपीते के बीज फाइबर, हैल्दी फैट और प्रोटीन का बहुत अच्छा स्त्रोत माने जाते हैं। इसके अलावा इन बीजों में फास्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और कैल्शियम जैसे कई विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं।(एजेंसी)

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कॉटन कैंडी (बुढ़िया के बाल) बच्चों को कर रहे बीमार...

Posted on :19-Feb-2024
कॉटन कैंडी (बुढ़िया के बाल) बच्चों को कर रहे बीमार...

पुडुचेरी और तमिलनाडु सरकार ने लगाया प्रतिबंध

Health News : लोगों मेला या बाजारों में अपने बच्चों को ‘बुढ़िया के बाल’ खरीद कर देते हैं, तब सावधान हो जाएं। दरअसल बच्चों के बीच खासी लोकप्रिय इस मिठाई में कैंसर पैदा करने वाला केमिकल मिला है। चीनी से तैयार होने वाली मिठाई को अंग्रेजी में कॉटन कैंडी कहा जाता है। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की जांच के दौरान कॉटन कैंडी में रोडोमाइन-बी केमिकल मिला। यह केमिकल आमतौर पर कपड़ा उद्योग में इस्तेमाल होता है, और शरीर के अंदर जाने पर कैंसर पैदा करने का कारक बन सकता है। रिपोर्ट के सामने आने के बाद पहले पुडुचेरी और अब तमिलनाडु सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है।

तमिनाडु के स्वास्थ्य मंत्री एम सुब्रमण्यम ने कॉटन कैंडी पर बैन लगाने बता कह कर कहा कि इसका मकसद कैंडी बनाने वालों, बेचने वालों और ग्राहकों के बीच रंगीन कैंडी में मौजूद हानिकारक केमिकल के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रंगीन कैंडी भले ही स्वादिष्ट लग सकती है, लेकिन यह सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। उन्होंने कहा, एक बार जागरूकता पैदा होने के बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि सिर्फ रंग-मुक्त कॉटन कैंडी ही बेची जाए। इसके पहले पुडुचेरी सरकार ने भी इस महीने की शुरुआत में कॉटन कैंडी पर प्रतिबंध लगा दिया था। 

दरअसल वहां लिए सैंपलों की जांच में पाया गया कि गुलाबी रंग की कॉटन कैंडी में रोडोमाइन-बी केमिकल है, जबकि नीली रंग की कैंडी में रोडोमाइन-बी के साथ एक और अज्ञात रसायन मिलाया गया है। इन नमूनों की चांज करने वाले दोनों ही रंग की कॉटन कैंडी को घटिया और सेहत के लिए नुकसानदायक माना। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, रोडोमाइन-बी एक डाई है, जिसका इस्तेमाल चमड़े को रंगने से लेकर कागज की छपाई तक में किया जाता है। यह सेहत के लिए बेहद खतरनाक है और शरीर में चले जाने से कई बीमारियां हो सकती हैं। इसके सेवन से पेट फूलना, खुजली और सांस लेने में तकनीक जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।(एजेंसी)

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काली हल्दी से खांसी जुकाम ठीक होता है...

Posted on :16-Feb-2024
काली हल्दी से खांसी जुकाम ठीक होता है...

Health News : हमारे घरों में हल्दी का इस्तेमाल केवल मसाले के तौर पर ही नहीं किया जाता है बल्कि इसे एक आयुर्वेदिक औषधि भी माना गया है। इस काली हल्दी से खांसी जुकाम भी ठीक होता है। यह पीली नहीं होती है इसे काली हल्दी कहा जाता है। यह हल्दी मेघालय में होती है लेकिन उत्तराखंड में भी अब इसकी पैदावार हो रही है। अदरक प्रजाति की इस हल्दी के अनेकों स्वास्थ्य लाभ हैं और ज्यादातर इसका इस्तेमाल दवा के रूप में किया जाता है।

आयुर्वेदिक डॉक्टर प्रेरणा कहती हैं कि काली हल्दी के स्वास्थ्य लाभ के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। यह हल्दी पेन किलर का बहुत अच्छा काम करती है और दर्द से छुटकारा दिलाने में यह बेहद लाभकारी है। दांत दर्द से लेकर सिर में होने वाले माइग्रेन तक में ये बहुत आराम पहुंचाती है। इसके सेवन से ऑस्टियोऑर्थराइटिस से लेकर पेट के दर्द, गैस और रैशेज जैसी समस्या में भी आराम मिलता है। 

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काली हल्दी के नियमित सेवन से डाइजेशन भी सही होता है। लिवर से संबंधित सभी बीमारियों में भी काली हल्दी का सेवन लाभकारी है। काली हल्दी को खांसी जुकाम का रामबाण इलाज माना जाता है। आप काली हल्दी के छोटे टुकड़े को अपने मुंह में डालकर धीरे-धीरे चूसते रहें और यह आपके गले से कफ, खांसी की समस्या, जुकाम की समस्या को मानों जैसे छूमंतर कर देती है।(एजेंसी)

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अपनाएंगी ये टिप्‍स, डेट नाइट पर चांद सा निखरेगा चेहरा...

Posted on :14-Feb-2024
अपनाएंगी ये टिप्‍स, डेट नाइट पर चांद सा निखरेगा चेहरा...

वैलेंटाइन डे पर पार्टनर के साथ डेट पर जाने के लिए महिलाएं खूब तैयारियां करती हैं। इस दिन के लिए वह एक से एक कपड़ों की शॉपिंग करती हैं और खुद को स्टाइल करने के लिए बेहद खूबसूरत जूलरी भी खरीदती हैं। हालांकि, मेकअप में कमी हो जाने पर चेहरा डल और काला दिखने लगता है। अगर आप इस तरह की स्किन से बचना चाहती हैं तो मेकअप से पहले सही स्किन केयर को फॉलो कर लें। अच्छे स्किन केयर को अपनाने पर चेहरा सुंदर और ग्लोइंग दिखेगा, जिससे पार्टनर की नजरं आप पर टिकी रहेंगी। 

मेकअप से पहले कैसे करें स्किन केयर 
- क्लींजर, टोनर और मॉइस्चराइजर को अपने रोजाना के स्किन केयर रूटीन में शामिल करें। ये त्वचा के हाइड्रेशन को बढ़ाती है।

- चेहरे पर हाइड्रेटिंग सीरम लगाएं। ये नमी को त्वचा में सील करने के लिए और त्वचा की बनावट में सुधार करने के लिए मदद करती है। 

- आंखों के आसपास की देखभाल की जरुरत होती है। ऐसे में अंडरआई एरिया को हाइड्रेट करने, चमकाने और निखार लाने के लिए आई क्रीम या फिर किसी जेल को लगाएं। 

- मेकअप से पहले फलों के मास्क को लगाएं। इससे त्वचा में चमक बढ़ती है। केले, सेब, एवोकाडो, पपीता और संतरे जैसे फलों को स्किन पर लगाने से फायदा हो सकता है। इन फलों का गूदा निकालकर चेहरे पर लगाएं और फिर सादे पानी से धोने से पहले पैक को 20 से 30 मिनट तक लगा रहने दें।

-होठों पर हाइड्रेशन की कमी से होंठ जल्दी सूख जाते हैं। ऐसे में ड्राई और फटने से बचाने के लिए नारियल तेल या विटामिन-ई जैसे हाइड्रेटिंग तत्वों से मॉइस्चराइज करें। 

 

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डॉ ह्रदयेश कुमार ने आम जन को डायबिटीज और हैं शरीर में क्रिया से होने वाले बदलाव के लिए किया जागरूक

Posted on :12-Feb-2024
डॉ ह्रदयेश कुमार ने आम जन को  डायबिटीज और हैं शरीर में क्रिया से होने वाले बदलाव के लिए किया जागरूक

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थाक डॉ ह्रदयेश कुमार ने आम जन को  डायबिटीज और हैं शरीर में क्रिया से होने वाले बदलाव के लिए किया जागरूक 

तिरखा कॉलोनी स्थित शिव मंदिर परिसर में आयोजित किया गया स्वस्थ जीवन पर चर्चा

फ़रीदाबाद : हरियाणा से अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट द्वारा स्वास्थ के लिए आम जन को अपनी अलग अलग तरीकों से जागरूक करने से लेकर उपचार के लिए सावधानियां बरतनी होगी आदि तरह तरह से अपनी छवि को समाज सेवा में समर्पित कर रहे हैं  डॉ ह्रदयेश कुमार सिंह को अब तक 1200 से अधिक अवार्ड मिले हैं  जिसमे विश्व रत्न सम्मान अवार्ड, राष्टीय प्रतिष्ठा पुरस्कार और PRESTIGIO US  BOOK OF WORLD RECORD तथा  INTERNATIONAL STAR AWARD अन्य वर्ल्ड रिकॉर्ड मे नवाजा गया है 

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डॉ ह्रदयेश कुमार ने बताया कि डायबिटीज आमतौर पर बच्चों और युवा वयस्कों में होता है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जहां शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अग्न्याशय में इंसुलिन पैदा करने वाली कोशिकाओं पर हमला कर देती है। परिणामस्वरूप, शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता, जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार हार्मोन है। 

 डायबिटीज वयस्कों में अधिक आम है, लेकिन यह बच्चों और किशोरों में भी विकसित हो सकता है। यह तब होता है जब शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है या ब्लड शुगर को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है।  डायबिटीज अक्सर खराब आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी और अधिक वजन जैसे जीवनशैली कारकों से जुड़ा होता है।

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स्थिति के शीघ्र निदान और प्रभावी प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है।बच्चों में डायबिटीज के शुरुआती संकेत*1. बार-बार पेशाब आना*अत्यधिक प्यास और बार-बार पेशाब आना डायबिटीज का संकेत हो सकता है। बिस्तर गीला करने, बार-बार बाथरूम जाने या असामान्य रूप से बड़ी मात्रा में पेशाब आने के लक्षणों पर गौर करें। थकान बढ़ना*अज्ञात डायबिटीज से पीड़ित बच्चे पर्याप्त आराम करने के बाद भी थकान और सुस्ती महसूस कर सकते हैं। घावों का धीरे-धीरे ठीक होना*घाव, कट या चोट को ठीक होने में सामान्य से अधिक समय लगना डायबिटीज का संकेत हो सकता है, क्योंकि हाई ब्लड शुगर शरीर की ठीक होने की क्षमता को प्रभावित करती है।

 मूड बदलना*चिड़चिड़ापन, मनोदशा में बदलाव, या अप्रत्याशित व्यवहार परिवर्तन चेतावनी के संकेत हो सकते हैं, खासकर अगर इसके साथ अत्यधिक प्यास या पेशाब जैसे अन्य लक्षण भी हों।स्तब्ध हो जाना या झुनझुनी होनाडायबिटीज के कारण आमतौर पर हाथ, पैर या टांगों में सुन्नता या झुनझुनी जैसी असामान्य संवेदनाएं हो सकती हैं। इन लक्षणों के बारे में किसी भी शिकायत पर ध्यान दें।यदि आप इनमें से कोई भी शुरुआती संकेत देखते हैं, तो सटीक निदान पाने के लिए डॉ विशेषज्ञ से परामर्श करना अति आवश्यक है।

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भारत के कई राज्यों में कुष्ठ रोग एक गंभीर समस्या :डॉ. पंकज

Posted on :03-Feb-2024
भारत के कई राज्यों में कुष्ठ रोग एक गंभीर समस्या :डॉ. पंकज

उषा पाठक वरिष्ठ पत्रकार।

नयी दिल्ली (एजेंसी)।सुप्रसिद्ध चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ.प्रीतम पंकज ने आज कहा कि भारत के कई राज्यों में कुष्ठ रोग अभी भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। डॉ.पंकज ने यह बात यहाँ एक इंटरव्यू के दौरान कही।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम से इस रोग के रोकथाम पर काफी असर पड़ा है,लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश के कुछ इलाके, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा, तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश आदि में कुष्ठ रोग का पूरी तरह से उन्मूलन नहीं हो पाया है।पलायनवाद इस रोग के फैलाव का मुख्य कारण है।

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बिहार के सहरसा जिले के रहने बाले डॉ.पंकज ने कहा कि पहले कुष्ठ रोगियों को जीवन भर दवा लेनी पड़ती थी।उसके बाद दो वर्षों तक दवा निर्धारित की गयी।अब नियमित रूप से एक वर्ष तक दवा लेने से इस रोग से मुक्त पायी जा सकती है।

डॉ.पंकज ने कहा कि कुष्ठ रोग पांच तरह के होते हैं।सामान्यतः इस रोग में नर्व प्रभावित होता है।इस वजह से अपंगता भी आ सकती है।जब कुष्ठ रोग की बैक्टीरिया श्वास नली में पंहुच जाता है, तो ऐसे लोगो के संपर्क में आने वालों से यह रोग फैलता है।अन्य स्थिति में यह रोग एक दूसरे के संपर्क में आने से नहीं फैलता है।

उन्होंने कहा कि कभी कभी ऐसा भी देखा गया है,कि निर्धारित अवधि तक दवा लेने के बाद भी इस रोग का पूरी तरह से निदान नहीं हो पाता है।फिर रोगी सरकारी इलाज के बजाय निजी चिकित्सकों से संपर्क करते हैं।लेकिन इसकी दवा निजी क्षेत्र में आसानी से उपलव्ध नहीं होने से उन्हें  कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।वैसे वर्त्तमान समय में रिफेमशील की एक गोली कुष्ठ रोग के 99 प्रतिशत बैक्टीरिया को समाप्त करने में सक्षम है,जो रोगी को इलाज के दौरान महीने में एक बार दी जाती है।
 
लेजर तकनीक के विशेषग्य डॉ.पंकज ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि इस तकनीक से चेहरे पर दाग,धब्बे,झुर्रियां,अनचाहे बालों आदि को हटाया जा सकता है।पहले देश में इस तकनीक की सुविधा सरल नहीं थी,लेकिन अब यह सुविधा है।खासकर सौंदर्यीकरण के इस दौर में यह काफी प्रासंगिक हो गया है।

सर्दी के मौसम में हो रहे खुजली एवं शरीर पर लाल धब्बे की बढ़ती समस्या के बारे में पूछे जाने पर डॉ.पंकज ने कहा कि ऐसी शिकायतें सर्द के मौसम में आती है।इससे बचाव के लिए लोगों को सर्द से बचने का उपाय करना चाहिए।यह स्वतः भी ठीक हो जाता है।इसके बाबजूद कोई विशेष परेशानी हो तो चिकित्सकों की देख रेख में दवा लेनी चाहिए।जिन्हें एक बार ऐसी समस्या हुयी है,उन्हें अगले सर्द के मौसम में भी ऐसी समस्या हो सकती है।एल.एस।

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