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सुरक्षा कारणो से जिला प्रशासन ने जारी किए निर्देश
कोरबा : आने वाली चार जनवरी को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के सतरेंगा प्रवास को देखते हुए सुरक्षागत कारणों से सतरेंगा पर्यटन स्थल में पर्यटकों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। दो जनवरी को सुबह से पांच जनवरी को शाम तक यह प्रतिबंध लागू रहेगा। इस दौरान केवल मुख्यमंत्री प्रवास के दौरान सुरक्षा और अन्य तैयारियों से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी ही पर्यटन स्थल पर प्रवेश कर सकेंगे। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रवास को ध्यान में रखते हुए पर्यटकों और जिला वासियों से आवश्यक सहयोग की अपील भी इस संबंध में की है।
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स्वसहायता समूहों को गौठान में संचालित आजीविका गतिविधियांे से हो रहा मुनाफा
कोरबा : विकासखंड पोड़ी-उपरोड़ा के ग्राम पंचायत भांवर के आश्रित ग्राम महोरा के गौठान में विभिन्न आर्थिक गतिविधियां संचालित हो रहीं हैं। आर्थिक गतिविधियों से गौठान में काम करने वालीं विभिन्न महिला स्वसहायता समूहांे को आर्थिक लाभ मिल रहा है। हरे कृष्णा स्वसहायता समूह के द्वारा वर्मी खाद उत्पादन किया जा रहा है जिसमें पांच महिला जुड़ी हैं जिनके द्वारा कुल 165 क्विंटल वर्मीखाद का विक्रय किया गया है जिससे समूह को एक लाख 62 हजार रूपए का मुनाफा हुआ है।
गौठान में महिला समूहों द्वारा गोबर से गमला, दीया, लकड़ी बाती भी बनाया जा रहा है। अभी तक कुल 400 नग की बिक्री भी हो चुकी है जिससे समूह को लगभग 12 हजार रूपए का लाभ हुआ है। वर्तमान में समूह द्वारा मुर्गी पालन का काम भी किया जा रहा है। महोरा गौठान में धनलक्ष्मी स्वसहायता समूह द्वारा दोना-पत्तल बनाने का काम भी किया जा रहा है। समूह में दस महिलाएं हैं, अभी तक समूह की महिलाओं द्वारा बनाई गई चीजों को बेचने से 25 हजार रूपए की आमदनी भी प्राप्त हो चुकी है। इस समूह द्वारा अगरबत्ती, दीया, बाती का निर्माण भी किया जा रहा है।
महोरा गौठान में आर्थिक गतिविधियों में पूजा स्वसहायता समूह की दस महिलाएं भी लगी हुईं हैं। इस समूह द्वारा कोसा धागा निकालने का काम किया जा रहा है। समूह की महिलाओं को रेशम विभाग द्वारा कोसा धागा निकालने के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया है। गौठान में सरस्वती स्वसहायता समूह की दस महिलाआंे द्वारा मशरूम उत्पादन का काम भी किया जा रहा है। उत्पादित मशरूम को बेचने से महिलाओं को लाभ भी प्राप्त होना शुरू हो गया है। साईं स्वसहायता समूह की दस महिलाओं द्वारा जैविक खाद पैकिंग करने के लिए उपयोग में आने वाली बोरी में प्रिंटिंग का काम भी किया जा रहा है। इस समूह के द्वारा क्षेत्र के सभी गौठानों में बोरी की सप्लाई की जाएगी। महोरा गौठान में चारागाह क्षेत्र में सब्जी उत्पादन के काम में छह स्वसहायता समूह की महिलाएं काम कर रहीं हैं। छह समूहों की 60 महिलाआंे ने 36 हजार रूपए तक की सब्जी उत्पादन कर मुनाफा भी कमा चुके हैं। चारागाह क्षेत्र में लगी बाड़ी में पूरी तरह जैविक तरीके से खेती की जा रही है तथा किसी भी प्रकार के रसायन का उपयोग नहीं किया जा रहा है।
महोरा में गौठान समिति के द्वारा कृषि यंत्र सेवा केन्द्र, मिनी राईस मिल का संचालन भी किया जा रहा है। इस कार्य से गौठान समिति को 18 हजार रूपए से अधिक की आमदनी अभी तक हो चुकी है। समिति द्वारा गौठान क्षेत्र में मुर्गी पालन, मछली पालन तथा चारागाह क्षेत्र में चारा उत्पादन एवं फलदार वृक्षों का रोपण भी किया गया है।
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कोरबा : कोरोना के कारण सभी क्षेत्रों में बदलाव आया है। सभी क्षेत्र आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से प्रभावित हुए हैं। कुछ क्षेत्र इस विपदा को झेल नहीं पाए जिसके कारण उनको काफी नुकसान झेलना पड़ा पर कुछ क्षेत्र ने इस बदलाव को स्वीकार करते हुए कार्य करने के ढंग में परिवर्तन किया और सफलता हासिल की। कोविड के कारण शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत प्रभाव पड़ा। बच्चे अध्ययन और अध्यापन से दूर होने लगे। परंतु शिक्षकों की तत्परता एवं लगन से इस प्रभाव को बहुत हद तक दूर किया गया और बच्चों को अध्यापन से जोड़ा गया।
कोविड काल बना अवसर, निशा ने जगाई पढ़ाई की अलख - शहर के सुदूर वनांचल गांव करतला के हायर सेकंडरी स्कूल में पदस्थ व्याख्याता श्रीमती निशा चन्द्रा ने कोरोनावायरस के काल को अवसर में बदल दिया। छ.ग. शासन की योजना पढ़ाई तू हर दुआर इसमें वरदान साबित हुई । निशा चंद्रा ने कक्षाएं लेने का सिलसिला प्रारंभ किया और आज तक उन्होंने 250 से अधिक ऑनलाइन कक्षाएं ली है जिसमें पाठ्यक्रम पूर्ण कराकर अब पुनरावृत्ति कराया जा रहा है ।उनकी कक्षाओं में प्रदेश के विभिन्न जिले के विद्यार्थी भी जुड़ते हैं। अब तक 3500 से अधिक विद्यार्थीयो ने उनकी कक्षाओं के लिए पंजीयन कराया हैं। साथ ही आदिवासी बाहुल्य के वे विद्यार्थी जो नेटवर्क विहीन स्थानों पर रह रहे हैं या जिनके पास कक्षा के समय मोबाइल उप्लब्ध नही हो पाता है ऐसे विद्यार्थियों के लिए पाठ्यवस्तु का वीडियो बनाने का कार्य प्रारंभ किया। वह सरल शब्दों में बच्चों तक पाठ्यवस्तु पहुंचाने का कार्य करने लगी और अब तक 75ः पाठ्यक्रम का वीडियो निर्माण किया जा चुका है। यह वीडियो विद्यार्थियों के लिए अत्यंत ही लाभदायक सिद्ध हो रहे हैं।
मोहल्ला क्लास बना फिटनेस क्लास - गढ़ कटरा में मोहल्ला क्लास निरन्तर जारी है। बच्चों की उपस्थिति भी 75ः से अधिक है। गली के बीचोबीच क्लास लगने के कारण नन्हे मुन्ने भी उपस्थित होते हैं। बच्चों के लिए एक स्वस्थ दिनचर्या बनाने का प्रयास किया है। मोहल्ला क्लास की शुरुआत विद्यालय परिसर में रोपित पौधों को खाद पानी देने के साथ होती है। इसके लिए नन्हें वृक्षमित्रों की टोली बनी है। इस कार्य के लिए आधे घण्टे का समय निर्धारित है।
इसके बाद बच्चे मोहल्ला क्लास में आकर नियमित रूप से व्यायाम की कक्षा में शामिल होते हैं। कड़ाके की ठण्ड और कोरोनाकाल में नियमित शारीरिक अभ्यास की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। इसी को ध्यान में रखकर इसके लिए 45 मिनट का फिटनेस क्लास रखा गया है। इस क्लास में बच्चे ड्रम की धुन पर व्यायाम करते हैं। इसके बाद पठन पाठन के लिए 2.50 घण्टे का समय निर्धारित है।
प्राथमिक शाला गढ़कटरा में पिछले एक अप्रैल से ऑनलाइन क्लास की शुरुआत की गई थी। लेकिन नेटवर्क समस्या के कारण कुछ महीनों बाद इसे मुहल्ला क्लास में बदलना पड़ा। विगत तीन अगस्त से गली में स्थित मंच में नियमित रूप से क्लास लग रही है। शिक्षक श्रीकांत भरिया प्रतिदिन मोहल्ला क्लास के लिए प्रतिदिन 70 किलोमीटर सफर कर रहे हैं। गाँव के मंच को ही एक मिनी स्कूल में परिवर्तित किया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पाण्डेय द्वारा मिले लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पालकों से भी मदद ली जा रही। सभी बच्चों के घरों में लक्ष्य चार्ट लगाया गया है और पालकों को भी अवगत कराया गया है।
मोहल्ला क्लासों में संवरता भविष्य - छत्तीसगढ़ शासन की महत्वपूर्ण योजना पढ़ाई तुहार द्वार कार्यक्रम के अंतर्गत ग्राम पंचायत रेकी में शासकीय माध्यमिक शाला के शिक्षकों द्वारा नियमित मोहल्ला क्लास का संचालन किया जा रहा है. मोहल्ला क्लास में छात्र-छात्राओं उत्साहपर्वक उपस्थित हो रहे हैं । शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय उतरदा के व्याख्याता राकेश टंडन ने जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा के शैक्षणिक समर्थन संबंधित कार्यक्रम के तहत इस मोहल्ला क्लास में छात्र-छात्राओं तथा विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए प्रेरित किया तथा कोविड-19 से संबंधित सावधानियां बताई। उनके द्वारा अंग्रेजी शिक्षण तथा गणित शिक्षण में आने वाली समस्याएं छात्रों को बताई जाती हैं। मोहल्ला क्लास में लगभग 80 से 90 विद्यार्थी प्रतिदिन उपस्थिति रहते हैं। मोहल्ला क्लास में शिक्षक श्री सतानंद यादव तथा श्रीमती रामप्यारी पैकरा द्वारा छात्र-छात्राओं को सभी विषयों का अध्यापन कार्य कराया जाता है। मोहल्ला क्लास के आयोजन में शिक्षक श्री सतानंद यादव द्वारा छात्र छात्राओं को उनके घर-घर जाकर मोहल्ला क्लास में आने के लिए प्रेरित किया गया. मोहल्ला क्लास के आयोजन से अभिभावकों छात्र-छात्राओं तथा ग्रामीणों में शिक्षा के विकास के प्रति एक नई आशा की संचार हुआ है।
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सिंचाई रकबा 18 हेक्टेयर बढ़ा, 503 ग्रामीणों को मिला रोजगार
कोरबा: छत्तीसगढ़ शासन की महत्वकांक्षी ग्राम सुराजी नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी योजना ग्रामीणों की आजीविका संवर्धन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सफल एवं प्रभावी साबित हो रही है। कोरबा मुख्यालय से करीब 15 कि.मी. दूर ग्राम पंचायत कोरकोमा में रामनगर के तुर्री मंदिर से निकला कचांदी नाला है, जो कि करीब 30 कि.मी. लंबा एवं बहुत पुराना है। नाला एवं उसके आस पास के क्षेत्र का जलस्तर लगातर कम होता जा रहा था, जिसें छ.ग. शासन की महात्वांकाक्षी योजना नरवा गरूवा घुरूवा बाड़ी योजना के तहत कचांदी नाला का उपचार किया गया जिसमें जल व मिटटी संरक्षण की संरचनाएं मनरेगा के तहत बनाई गई है। मनरेगा के तहत ब्रशवुड, लूजबेल्डर, गलीप्लग, डबरी तालाब का निर्माण करके नाला उपचार किया गया है।
नाले पर जगह-जगह बनी विविध संरचनाओं का सीधा लाभ ग्रामीणों को नाले में पानी भराव, एवं सिचांई सुविधा के रूप में मिल रहा है। सिचांई सुविधा मिलने से 18 हेक्टेयर सिचांई रकबा बढ गया है। नाले से कोरकोमा, मुढुनरा, बुंदेली, करूमौहा आदि ग्राम पंचायतों के किसानों को लाभ मिला रहा है। वहीं दूसरी ओर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी से बनाई गई जल संवर्धन की संरचनओं में 500 से अधिक ग्रामीणों को रोजगार मिला है। नाला उपचार के कार्यो से करीब छह हजार से अधिक मानव दिवस सृजित किये गये है।
नाले में पानी की कमी से पहले खेत खाली रहते थे लेकिन नाला उपचार के बाद अब नाले में पर्याप्त पानी है जिससे खेतो को सिचाई सुविधा मिल गयी है, सिचाई सुविधा मिलने से किसानो ने खेतों में एक साल में दूसरी फसल लगाई है, अब खेतों में फसल लहलहा रही है। फसल उत्पादन बढ़ने से गा्रमीणों का आजीविका संवर्धन हो रहा है। किसान कृष्णा, नरम साय, खुलेश्वर सिंह राठिया, जोगीराम राठिया का कहना है कि नरवा गरूवा धुरूवा बाड़ी छ.ग. सरकार की महत्वकांक्षी योजना है, जिसमें नाला उपचार के तहत किये गये कार्यो से नदी नालों में पानी भरा रहेगा, भूमिगत जलस्तर में बढ़ोत्तरी होगी, इससे ग्रामीणों की अजीविका संवर्धन होने से ग्रामीण किसानों के जीवन में खुशियां आयेगी।
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सरमा-जलके-पिपरिया मार्ग पर पुल बनने से 11 गांवो के 16 हजार से अधिक लोग हो रहे लाभान्वित
कोरबा : जिले के दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों में लोगों के आने-जाने के लिए पहुंच मार्ग को जिला प्रशासन द्वारा गंभीरता से पूरा किया जा रहा है। ग्रामीण सड़कों को बारहमासी आवागमन लायक बनाने प्रशासन जुटा हुआ है। ग्रामीण रास्तों के बीच आने-जाने वाले नदी-नालों पर पक्के पुल का भी निर्माण किया जा रहा है। पाली-तानाखार क्षेत्र के ग्रामीण मार्ग सरमा-जलके-पिपरिया पर कटई नाला पर पक्के पुल बनने से क्षेत्र के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को आने-जाने की सुविधा मिल रही है। बरसात के मौसम में आने-जाने में होने वाली परेशानी अब दूर हो गई है। कटई नाले को पार करके पहले स्कूली बच्चों, मरीजों और आमजनों को आने-जाने मे बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता था। कटई नाले पर पानी भर जाने से बारिश के मौसम में इस क्षेत्र का सम्पर्क जिला एवं विकासखण्ड मुख्यालय से टूट जाता था। दूरस्थ वनांचल होने के कारण पुल बनने से क्षेत्र के लोगों के आने-जाने की सुविधा में बढ़ोत्तरी हुई है।
सरमा-जलके-पिपरिया मार्ग पर बने पुल की लंबाई 96 मीटर है तथा चैड़ाई 8.4 मीटर है। पुल की चैड़ाई को दो वाहनों के एक साथ पार हो जाने लायक बनाया गया है। चार स्पान वाले इस पुल का निर्माण समय सीमा के अंदर पूरा किया गया है। अब स्कूली बच्चों के साथ मरीजों को भी समय में और बारहमासी पहुंच की सुविधा मिल रही है। आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि नाले पर पानी भर जाने से बहुत परेशानियां उठानी पड़ती थी। बच्चे नाले पार कर स्कूल तक नहीं पहुंच पाते थे, मरीजों को समय पर बड़े अस्पताल ले जाने की सुविधा नहीं मिल पाती थी। ग्रामीणों ने बताया कि पुल बनने से आवागमन में होने वाली परेशानियां अब दूर हो गई है। आसपास के ग्रामीण पुल के बनने से अब व्यवसाय करने और बड़े बाजार जाने के लिए आसानी से आवागमन कर पा रहे हैं।
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अन्य किसान भी सब्जियों की खेती की ओर हो रहे आकर्षित
जिला प्रशासन द्वारा उन्नत खेती तकनीक, बीज आदि मुहैया कराकर किया जा रहा सहयोग
कोरबा : जिले के किसान धान के अलावा सब्जियों की खेती करके भी मुनाफा कमा रहे हैं। धान की खेती से होने वाले फायदे ने किसानों को ज्यादा आर्थिक लाभ कमाने सब्जियों की खेती की ओर आकर्षित किया है। सब्जी उत्पादन से होने वाले लाभ ने अन्य किसानों को भी सब्जियों की खेती करने की ओर प्रोत्साहित किया है। किसानों को सब्जी उत्पादन के माध्यम से आर्थिक स्वावलंबी बनाने के लिए जिला प्रशासन भी सहायता कर रहा है। उद्यानिकी विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत सब्जी बीज, मल्चिंग, फैंसिंग तथा ड्रिप तकनीक किसानों को मुहैया करवाये जा रहे हैं। आधुनिक और उन्नत तकनीक से खेती करने के कारण किसानों की सब्जी उत्पादन अधिक हो रही है। अधिक उत्पादन से किसानों को अच्छी आवक हो रही है जिससे किसान तथा उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही हैं।
विकासखण्ड पाली के ग्राम रैंकी के किसान श्री हरेलूराम पटेल लगभग पांच हेक्टेयर जमीन में सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। हरेलूराम ने बताया कि मैं परम्परागत धान की खेती करता था। औसत उपज होने के कारण मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी जिससे मुझे कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। हरेलूराम ने कहा कि उन्नत तकनीक से खेती करने और सब्जी उत्पादन बढ़ाने के लिए उद्यानिकी विभाग से संपर्क किया। उद्यानिकी विभाग से विभिन्न योजनाओं और तकनीकी मार्गदर्शन का लाभ प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि जिला खनिज न्यास संस्थान, राष्ट्रीय बागवानी मिशन तथा राज्य पोषित योजना अंतर्गत मुझे लौकी, करेला, भिण्डी, तरोई, बरबट्टी, टमाटर बीज की सहायता मिली। मैनें एक एकड़ में लौकी, करेला, बरबट्टी की खेती की जिससे मुझे अच्छी आमदनी प्राप्त हुई। शासन की योजनाओं से मुझे खेती करने में उत्साह मिला जिससे आज पांच एकड़ में टमाटर की खेती कर रहा हूं।
हरेलूराम ने आगे बताया कि सब्जी की खेती करने से पिछले साल लगभग एक लाख की आय प्राप्त हुई थी। इस वर्ष अभी तक दो लाख की आमदनी हो चुकी हैं तथा रबी मौसम समाप्त होते तक लगभग 50 हजार और अतिरिक्त आय होने की सम्भावना है। हरेलूराम ने सब्जी उत्पादन करके अच्छी मुनाफा कमा कर अपने परिवार के स्वास्थ्य और शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया है। खुद अच्छी आमदनी कमाकर वह दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत का काम कर रहे हैं।
इसी प्रकार विकासखंड करतला के ग्राम चैनपुर निवासी श्री भुनेश्वर सिंह भी लगभग चार हेक्टेयर जमीन पर सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। सब्जी उत्पादन करके उन्होंने लाभ तो कमाया ही, उसके आगे सब्जी उत्पादन व्यवसाय बढ़ाने के लिए दो एकड़ से शुरू करके आज दस एकड़ जमीन में सब्जी की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पुराने तकनीक से खेती करने से औसत आय होती थी। अधिक उत्पादन बढ़ाने के लिए उद्यानिकी विभाग से योजना का लाभ और तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त किया। भुनेश्वर सिंह बताते हैं कि उद्यानिकी विभाग से राष्ट्रीय बागवानी मिशन, राज्य पोषित योजना के अंतर्गत मुझे बरबट्टी, फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, करेला एवं भिण्डी बीज प्राप्त हुआ। विभाग ने फेंसिंग, मल्चिंग, पावर स्प्रेयर के साथ तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया। उन्होंने बताया कि सब्जी की खेती से पिछले साल लगभग दो लाख रूपए की आय प्राप्त हुई थी। भुनेश्वर सिंह इस सीजन में अभी तक चार लाख रूपए की आय प्राप्त कर चुके हैं तथा सीजन खत्म होने तक साढ़े चार लाख और आय प्राप्त होने की सम्भावना जताई है। भुनेश्वर सिंह सब्जी उत्पादन से मुनाफा कमा कर आसपास के किसानों के साथ अपनी खेती से मुनाफा कमाने की तकनीक को साझा भी कर रहे हैं।
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महिलाओं से जुड़े 20 प्रकरणों की करेंगी सुनवाई
कोरबा : राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक 23 दिसम्बर को कोरबा जिले के प्रवास पर रहेंगी। वे 22 दिसंबर को रात्रि नौ बजे कोरबा पहुंचेंगी। डाॅ. नायक अगले दिन 23 दिसम्बर को पंचवटी रेस्ट हाउस में सुबह 11 बजे से महिलाओं से जुड़े कोरबा जिले के 20 प्रकरणों की सुनवाई करेंगी। सुनवाई के बाद डाॅ. नायक शाम छह बजे से आमजनों से मुलाकात करेंगी। वे 24 दिसम्बर को सुबह आठ बजे कोरबा से रायगढ़ के लिए रवाना होंगी।
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ललिता गांव की महिलाओं को समूह में जोड़कर गौठान में वर्मी कम्पोस्ट, सब्जी, मुर्गी पालन, कोसा धागा का कर रहे उत्पादन
कोरबा : विकासखण्ड कोरबा अंतर्गत ग्राम चिर्रा की दिव्यांग ललिता राठिया जिले ही नहीं समूचे छत्तीसगढ़ के लिए प्रेरक मिसाल बन रही है। ट्राईसाइकिल के माध्यम से चलने वाली ललिता पैरों से दिव्यांग होने के बावजूद अपने गांव की 50 से अधिक महिलाओं के लिए आर्थिक स्वावलंबन का सहारा बन गई हैं। ललिता गांव की महिलाओं को गौठान के माध्यम से स्वरोजगार से जोड़कर विभिन्न आजीविका गतिविधियां चला रही हैं।
ललिता स्वयं सक्षम बनकर दूसरों को स्वावलंबन बनाने की संभावना को छत्तीसगढ़ सरकार के महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी ने पूरा किया है। कक्षा बारहवीं तक पढ़ी ललिता को गांव में गौठान बनने के बाद मन में कुछ कर दिखाने की आस जागृत हुई। उत्सुकता व उत्साह से लबरेज ललिता ने गौठान में काम करने की इच्छा जताई। ललिता के हौसले को कोरबा कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल का हाथ मिला। ललिता को आजीविका मिशन के तहत वर्मी कम्पोस्ट बनाने से लेकर गोबर से अन्य उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग उसे दिलवाई गई।
ट्रेनिंग के बाद महिला समूह के माध्यम से ललिता व गांव की महिलाओं को गौठान में वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम मिल गया। ललिता सहित गांव की महिलाओं ने मेहनत कर पहली बार में ही करीब 50 क्विंटल खाद बनाया। बनाये हुए खाद को विभिन्न शासकीय विभागों को बेचकर लगभग 40 हजार रूपए लाभ कमाए। चिर्रा गौठान की इन महिलाओं ने वन विभाग सहित दूसरे जिलांे के शासकीय विभागों और गौठानों को भी अच्छी क्वालिटी की कंेचुआ खाद बनाने के गुर सिखाये।
ललिता की नेतृत्व में समूह की महिलाओं ने केंचुआ का भी उत्पादन शुरू किया। गौठान में उत्पादित पांच क्विंटल केंचुआ को बेचकर भी समूह ने लगभग सवा लाख रूपए की आमदनी प्राप्त की है। ललिता के साथ जुड़ी गांव की महिलाओं ने जिला पंचायत और बिहान की टीम की मदद से अन्य आजीविका संवर्धन के कार्य भी शुरू कर दिये हैं। पांच महिला समूह वर्मी खाद उत्पादन के साथ-साथ केंचुआ उत्पादन, कोसा धागा उत्पादन, सब्जी, मछली और कुक्कुट पालन कर अपनी आजीविका में बढ़ोत्तरी कर रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से गौठान की महिलाओं को दस कोसा धागा निकालने की मशीन दिया गया है। समूह की महिलायें मशीन चलाकर कोसा धागा भी निकालने के काम में लगी हुईं हैं। ललिता के नेतृत्व में समूह की महिलायें उन्नत किस्म की मुर्गियों का पालन भी कर रहे हैं। मुर्गियों से रोजाना अंडो का उत्पादन भी शुरू हो गया है। ललिता की नेतृत्व में समर्पित होकर काम कर रहीं महिलाओं की समूह ने सब्जी बेचकर भी लगभग 25 हजार रूपए कमा लिये हैं। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत दो रूपए प्रति किलो गोबर खरीदी योजना शुरू होने से गौठान में गोबर की आवक बढ़ गई है। गोबर की आवक बढ़ने से ज्यादा मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट बनने लगा है। दिव्यांग होने के बावजूद भी ललिता इन सभी महिलाओं का नेतृत्व कर उनको स्वावलंबन का राह दिखा रही है। ग्रामीण जन के लिए जीवकोपार्जन के लिए महत्वपूर्ण योजना शुरू करने के लिए ललिता राठिया मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का आभार मानना नहीं भूलती हैं।
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अब तक तीन लाख 19 हजार क्विंटल से अधिक धान की खरीदी, एक लाख 34 हजार क्विंटल धान का उठाव भी हुआ
कोरबा : समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के बाद कस्टम मिलिंग के लिए मिलर्स द्वारा कोरबा जिले में धान का उठाव शुरू हो गया है। जिले में मिलिंग के लिए 74 मिलर्स ने अब तक अनुबंध संपादित कर लिया है। अनुबंधित मिलरों में से 70 ने एक लाख 34 हजार क्विंटल से अधिक धान का उठाव भी कर लिया है। जिले में भी समर्थन मूल्य पर धान खरीदी एक दिसंबर से शुरू किया गया है। कोरबा जिले में अभी तक तीन लाख 19 हजार 174 क्विंटल धान समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा चुकी है। जिले में अब तक दो लाख 61 हजार 679 क्विंटल मोटा, सात हजार 826 क्विंटल पतला और 49 हजार 669 क्विंटल सरना धान खरीदा जा चुका है। खरीफ वर्ष 2020-21 के लिए धान खरीदी एक दिसंबर 2020 से 31 जनवरी 2021 तक जारी रहेगा।
जिला खाद्य अधिकारी ने धान खरीदी के संबंध में आज यहां बताया कि समर्थन मूल्य पर खरीदे गये धान की कस्टम मिलिंग के लिए कोरबा-करतला क्षेत्र के 34 और कटघोरा, पाली, पोड़ी क्षेत्र के 40 मिलर्स ने खाद्य विभाग के साथ अनुबंध संपादित किया है। अब तक खरीदे गये धान में से 70 मिलर्स ने एक लाख 34 हजार 456 क्विंटल धान का उठाव किया है। मिलर्स ने एक लाख 22 हजार 186 क्ंिवटल मोटा, दो हजार 290 क्विंटल पतला और नौ हजार 980 क्विंटल सरना धान मिलिंग के लिए उठा लिया है। जिले के उपार्जन केन्द्रों में अभी एक लाख 84 हजार 718 क्विंटल धान उठाव के लिए बचा है। खाद्य अधिकारी ने बताया कि खरीफ सीजन 2020-21 में जिले के 32 हजार 589 किसानों से 41 समितियों के माध्यम से धान खरीदी की जा रही है। जिले के किसानों के लिए धान बेचने के लिए 49 उपार्जन केन्द्र बनाये गये हैं। समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के लिये जिले में नये-पुराने मिलाकर 32 हजार 589 किसानों का पंजीयन किया गया है। इन पंजीकृत किसानों का धान के फसल का रकबा 48 हजार 113 हेक्टेयर है। जिले में इस वर्ष समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिये पांच हजार 746 नये किसानों ने सहकारी समितियों में अपना पंजीयन कराया है। पिछले साल के किसानों में से रकबा सत्यापन के बाद 851 किसानों का पंजीयन निरस्त हुआ है।
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