बेमेतरा

रामकथा निस्वार्थ प्रेम की शक्ति सिखाती है; प्रो डॉ अनुसुइया

रामकथा निस्वार्थ प्रेम  की शक्ति सिखाती है; प्रो डॉ अनुसुइया

प्रभात महंती

महासमुंद : उपरोक्त उद्गार प्रो डॉ अनुसुइया अग्रवाल डी लिट् प्राचार्य स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय महासमुंद छत्तीसगढ़ विगत दिनों भारत के पड़ोसी देश नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित द्विदिवसीय अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी हिंदी में व्यक्त कर रही थी। 27 और 28 नवंबर 2024 को कन्हैयालाल मानिकलाल मुंशी हिन्दी तथा भाषा विज्ञान विद्यापीठ आगरा, डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा, त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू नेपाल, बी डी जैन कन्या महाविद्यालय आगरा, बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय आगरा एवं ग्लोबल हिन्दी ज्योति कैलीफोर्निया अमेरिका के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह माननीय बद्रीप्रसाद पाण्डे संस्कृति, पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन मंत्री नेपाल सरकार के मुख्य आतिथ्य एवं डॉ अनीता कपूर संस्थापक अध्यक्ष ग्लोबल हिन्दी ज्योति कैलीफोर्निया अमेरिका के विशेष आतिथ्य में संपन्न हुआ। 

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कार्यक्रम में संरक्षक द्वय प्रो आशु रानी कुलपति डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा भारत एवं प्रो केशरजंग बराल उपकुलपति त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू नेपाल भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। संपूर्ण कार्यक्रम का संयोजन प्रो प्रदीप श्रीधर अध्यक्ष हिंदी विभाग एवं निदेशक कन्हैयालाल मानिकलाल मुंशी हिन्दी तथा भाषा विज्ञान विद्यापीठ आगरा एवं बंदना अग्रवाल प्राचार्य कन्या महाविद्यालय आगरा द्वारा किया गया। यह कार्यक्रम अनवरत 2 दिन चला।

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कार्यक्रम के दूसरे दिवस अकादमिक सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ अनुसुइया ने आगे कहा कि यह  राम का अपनी पत्नी सीता के प्रति अटूट प्रेम ही था, जिसने उन्हें भयंकर युद्ध करने और रावण को हराने के लिए प्रेरित किया। शुद्ध और निःस्वार्थ जीवन ही अंधकारमय समय में अपार शक्ति और शक्ति का रहस्य है।

अपने साहस, निष्ठा और भक्ति के लिए जाने जाने वाले राम दृढ़ता और न्याय के प्रतीक और आदर्श इंसान के आदर्श हैं। उन्हें धार्मिकता, भक्ति और त्याग का  प्रतीक माना जाता है। उनका जीवन उन मूल्यों और सिद्धांतों का प्रतीक है जिनका विश्व भर के लोग सम्मान करते हैं। राम तर्क, सही कार्य और वांछनीय गुणों के आदर्श का प्रतीक हैं। राम सत्यसंध हैं - वे ईमानदार हैं। वे असूया (ईर्ष्या) से रहित हैं। वे प्रिय वचन बोलते हैं। उनका अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण है ; उनमें कृतज्ञता का गुण है। उन्होंने राक्षसों, देवताओं और मनुष्यों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी प्रकार के हथियारों का उपयोग करने के कौशल में महारत हासिल की हुई है। वे वेदों के गुणी हैं। परिवार के प्रति प्रेम, अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण और दुनिया को बुराई से बचाने की वीरता के लिए राम के प्रति समादर है। 

उनका जीवन प्रेम और करुणा के स्फुरण का प्रेरक है। अपने वक्तव्य को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि राम का अर्थ है वह जो आनंद देता है, जो हर कृति से, हर शब्दों से, अपने कर्तव्य परायणता के कारण सबको संतोष देता है। छत्तीसगढ़ में राम नाम की लोकप्रियता का उल्लेख करते हुए डॉ अग्रवाल ने आगे कहा कि राम का नाम सामान्य जन के बीच अभिवादन का एक लोकप्रिय रूप है । यहां का जन- जन हर भेंट पर राम-राम कहकर हाथ जोड़ अभिवादन करता है। राम अच्छाई के ऐसे प्रतीक हैं कि हर मां अपनी संतान का नाम राम रखना चाहती है और अपनी संतान में राम का गुण देखना चाहती हैं। संसार में मृत्यु की सत्यता को उनके नाम से ही स्वीकार किया जाता है। और राम नाम सत्य है के जयघोष के साथ परमात्मा की प्रबल सत्ता को स्वीकार किया जाता है। 

एक राम दशरथ का बेटा। वही राम घट घट में लेटा। 
उसी राम का जगत पसारा।वही राम इस जग से न्यारा।

डॉ अनुसुइया द्वारा प्रस्तुत अध्यक्षीय उद्बोधन को सभा की भरपूर सराहना मिली। काठमांडू की सांसद महोदया ने  अपने कर कमलों से उन्हे स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र भेंट किया गया। इस अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल,  दिल्ली आदि से विद्वान गण सम्मिलित हुए थे।

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