बेमेतरा

सद्गुरु कबीर स्वयं परमात्मा ही थे, जो मानव समाज को सही राह दिखाने आए थे - महंत पोखन दास साहेब

सद्गुरु कबीर स्वयं परमात्मा ही थे, जो मानव समाज को सही राह दिखाने आए थे - महंत पोखन दास साहेब

प्रभात महंती 

बिरकोनी में कबीरपंथी समाज ने सद्गुरु कबीर प्राकट्य पर्व मनाया 

शीतल दास एवं साथियों ने दी कबीर भजनों की सुमधुर प्रस्तुति

बिरकोनी (महासमुंद) : कबीरपंथी समाज बिरकोनी द्वारा महंत पोखन दास मानिकपुरी साहेब की अगुवाई में सद्गुरु कबीर प्राकट्य पर्व उत्सव श्रद्धा और उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया गया। महंत साहेब के निज निवास में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः सद्गुरु कबीर साहेब के आह्वान, आरती और पत्र पुष्प अर्पण के साथ हुई।  अंचल के प्रख्यात लोक गायक शीतल दास मानिकपुरी एवं साथियों ने कबीर भजनों की सुमधुर संगीतमय प्रस्तुति से सकल हंस को भाव-विभोर कर दिया।

इस अवसर पर महंत पोखन दास साहेब ने सद्गुरु कबीर साहेब के वाणी-वचनों, शब्द-साखियों का मधुर गान करते हुए संत समाज को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सद्गुरु कबीर साहेब ऐसे समय काल में आए जब समाज तमाम तरह की विसंगतियों से जूझ रहा था। एक ओर शासक वर्ग शोषक बन बैठा था, धर्मांधता का शिकार होकर लोगों का कत्लेआम कर रहा था। हिंदुओं को बलात मुस्लिम बनाया जा रहा था। हिन्दू और मुस्लिम धर्म के नाम पर लड़ रहे थे। दूसरी ओर समाज में धर्म के नाम पर पाखंड का बोलबाला था। समाज के एक बड़े वर्ग की परछाई भी अस्पृश्य थी। भेदभाव चरम पर था। समाज में कुरीतियां हावी थीं।

ऐसे समय में सद्गुरु कबीर मानव समाज को मानवता की राह दिखाने आए। सत्य का ज्ञान कराने आए। यह बताने आए कि इस संसार में कैसे जीना है। सद्गुरु ने कहा, बंदे तू कर बंदगी तब पावै दीदार। बंदे तू तो बंदगी कर, यहां परमात्मा के सिवाय कुछ नहीं है। परमात्मा सकल विश्व रूप हैं। कण-कण में परमात्मा हैं, हर जीव में परमात्मा हैं। जिनका हृदय प्रेम और बंदगी भाव से भरा होता है, उन्हें कण-कण में परमात्मा दिखते हैं, हर जीव में परमात्मा दिखाई पड़ते हैं। किंतु माया के वशीभूत होकर हम दूसरे मनुष्य या जीवों में भेदभाव करते हैं। उनके भी भीतर विराजमान हैं परमात्मा, यह हम देख नहीं पाते या देखना नहीं चाहते। माया का आशय काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार से है। 

महंत साहेब ने कहा कि कई लोग स्त्री को, बाल बच्चों को माया कह देते हैं। यह अज्ञानता है। यदि स्त्री पुरुष के लिए माया है, तो पुरुष स्त्री के लिए माया होगा। ऐसे में तो अलगाव, बिखराव होगा। वास्तव में माया तो परमात्मा की दासी है। जहां परमात्मा हैं वहां माया भी होगी। परमात्मा हमारे भीतर हैं तो माया भी हमारे भीतर है। माया बहुत शक्तिशाली है, वह ब्रह्मा, विष्णु, महेश त्रिदेवों को भी नाच नचाती है। माया के कारण ही लोगों ने अपने-अपने भगवान बना डाले।

भगवान के नाम पर लड़ाई हो रही है। जबकि सबका मालिक एक है, परमात्मा एक हैं, चाहें जिस नाम से पुकारें। अज्ञानता को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिए स्वयं परमात्मा ही सद्गुरु के रूप में आते हैं। सद्गुरु कबीर स्वयं परमात्मा ही थे, जो मानव समाज को सत्य का बोध कराने और जीने की सही राह दिखाने के लिए आए थे। सद्गुरु कबीर साहेब की आरती और प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में बिरकोनी और आसपास के कबीरपंथी परिवारजन बड़ी संख्या में शामिल हुए।

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