प्रभात महंती
ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन की पत्रकारवार्ता
महासमुंद : ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन के कार्यकारी संचालक शुभम रंगारी ने कहा कि जिले में कमर्शियल गैस सिलेंडर की जगह 60 प्रतिशत घरेलू गैस सिलेंडर का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी प्रशासन और संबंधित विभाग को नहीं है,बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही। प्रशासन और संबंधित विभाग की इस उदासीनता का खामियाजा आम जनता पर भारी पड़ सकती है। श्री रंगारी ने आज यहां प्रेस क्लब में उपरोक्त बातें कहीं।
घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के लिए जागरूक करने वाले इस फाउंडेशन के कार्यकारी संचालक ने कहा कि घरेलू सिलेंडर में से कमर्शियल गैस सिलेंडर में बांसुरी के माध्यम से गैस रिफिल की जाती है। इसमें ब्लास्ट होने का खतरा बहुत अधिक होता है। इसमें जनहानि के साथ-साथ सरकारी टेक्स की भी हानि होती है। घरेलू एलपीजी पर 5% जीएसटी लगती है, वहीं कमर्शियल पर 18% जीएसटी लगती है। अवैध रूप से रिफिल करके सरकार को 13% जीएसटी की हानि हो रही है। घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं के अधिकारों की जागृति के लिए फाउंडेशन हमेशा कार्यरत है।
उन्होंने बताया कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार एक परिवार में करीब 5-6 गैस सिलेंडर का इस्तेमाल प्रति वर्ष होता है। जब इस डेटा की सत्यता जांचने के लिए जांच की गई और उज्ज्वला योजना के उपभोक्ताओं का सर्वेक्षण किया गया, तो उस सर्वेक्षण में औसत 80 प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि वे 3 से 4 गैस सिलेंडर का उपयोग करते हंै। 15 प्रतिशत नागरिक मात्र 6 से 8 गैस सिलेंडर का उपयोग करते हैं। गैस का दाम बढ़ने से 5 फीसदी लोग 2 से 3 सिलेंडर ही इस्तेमाल कर रहे हैं। श्री रंगारी ने आरोप लगाया कि वे ग्राहक जो सभी निर्धारित घरेलू सिलेन्डर का उपयोग नहीं कर पाते उनके बाकी गैस सिलेंडर वितरक आॅटो बुकिंग कर कालाबाजारी कर रहे हैं और इस अवैध बिक्री से मोटी रकम कमा रहे हैं और इस व्यवसाय को एकाधिकार के रूप में चला रहे हैं। यह देश के लिए हानिकारक है। श्री रंगारी ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि सिलेंडर लेते वक्त उसका वजन, सिलेंडर की एक्सपाइरी डेट,उसकी सील की जांच जरूर करें और पूरी सावधानी से इसका उपयोग करें।
‘सरकार ने कदम उठाए हैं पर कार्रवाई धीमी’
श्री रंगारी ने कहा कि देश में एलपीजी सिलेंडर की उचित बिक्री के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने हाल ही में कुछ कदम उठाए हंै, लेकिन इसकी गति काफी धीमी है। सिलेंडर प्रबंधन के मामले में, क्यूआर कोड- आधारित ‘ट्रैक एड ट्रेस’ को समाधानों में से एक के रूप में पहचाना जाता है। क्यूआर कोड आधारित प्रणाली की अवधारणा का प्रमाण प्राप्त करने के लिए, ओएमसीएस ने विभिन्न प्रमुख तकनीकी संस्थानों, परीक्षण संस्थानों और क्यूआर के साथ परामर्श किया है। मोबाइल हैंडसेट और क्यूआर कोड स्कैनर के जरिए कोड स्कैनर के मुद्दे पर विशेषज्ञों की राय ली गई है। प्रेसवार्ता में प्रमुख रूप से यश देशपांडे, हंसराज राहंगडाले और सत्यप्रकाश साहू उपस्थित थे।