
एजेंसी
मिर्गी स्नायु-विज्ञान से संबंधित एक गड़बड़ी है। इससे मस्तिष्क की गतिविधियां प्रभावित होते हुए असामान्य हो जाती हैं। तंत्रिका तंत्र में विकसित गड़बड़ी असामान्य व्यवहार और संवेदना की शुरुआत करती है। इसमें भी बेहोशी शामिल है। इससे बचाव के प्राकृतिक उपचार के बारे में जानकारी देता आलेख मस्तिष्क में अचानक होने वाली विद्युतीय गतिविधि को चिकित्सीय तौर पर दौरा कहा जाता है। आम तौर पर दौरे से पूरा मस्तिष्क प्रभावित होता है, जबकि आंशिक दौरे में मस्तिष्क का एक भाग प्रभावित होता है। आंशिक दौरे का पता लगाना मुश्किल है, क्योंकि यह कुछ सेकेंड ही रहता है। दौरा तेज हो तो कई मिनट रहता है और मांसपेशियों में कंपन तथा ऐंठन होने लगती है, जिसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
क्या हैं कारण परिवार में किसी को यह तकलीफ हो, यानी यह जेनेटिक भी हो सकती है। चोट लगने से सिर में आघात भी इसका एक कारण है। एड्स, मेनिंजाइटिस और वायरल एनसेफलाइटिस जैसी संक्रामक बीमारियां ऐसी स्थिति विकसित होने का कारण हो सकती हैं। ब्रेन ट्यूमर और स्ट्रोक आम कारण हैं। न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस और ऑटिज्म जैसी विकास संबंधी गड़बड़ी के कारण भी मिर्गी होती है। नींद पूरी न होना, बुखार, बीमारी और तेज व चमकती रोशनी इस स्थिति के विकसित होने के कुछ आम कारण हैं। ज्यादा खाने, लंबे समय तक खाली पेट रहने या खास किस्म के भोजन अथवा पेय या दवाओं के सेवन से भी इस स्थिति की शुरुआत हो सकती है। राहत के लिए उपचार इस स्थिति का उपचार करने के लिए दवाएं उपलब्ध हैं। प्रमाणित और अनुभवी फार्मासिस्ट से भी आप ये दवाएं प्राप्त कर सकते हैं। दवाएं जोखिम और दुष्प्रभाव वाली न हों, इसके लिए विशेषज्ञ से सलाह ले लेना बेहतर है। लेकिन इससे बचाव के लिए बिना किसी दुष्प्रभाव वाली दवा यानी प्राकृतिक उपचार को आजमाना ज्यादा बेहतर है। इन दिनों मिर्गी के मरीज स्थिति से राहत के लिए प्राकृतिक उपचार और कुछ अन्य प्रभावी वैकल्पिक थेरेपी आजमाने का विकल्प चुनने भी लगे हैं। आप विशेषज्ञ से संपर्क कर इसके सही उपचार का चुनाव कर सकते हैं।
लहसुन लहसुन में ऐंठन और उत्तेजना रोधी गुण होते हैं, जो स्नायुतंत्र के सहज काम-काज को बढ़ावा देते हैं। नियमित रूप से लहसुन खाने से दौरे नहीं पड़ेंगे और मिर्गी के दूसरे लक्षण भी सामने नहीं आएंगे। दरअसल, लहसुन के औषधीय गुण मुक्त कणों को नष्ट कर देते हैं। उबले हुए लहसुन के चार-पांच टुकड़े पीसकर पानी और दूध के संतुलित मिश्रण में मिलाकर रोज पीने से स्नायु से संबंधित स्वास्थ्य बेहतर होता है। मिर्गी के लक्षण वाले लोगों के लिए यह लाभप्रद है। तुलसी के पत्ते तुलसी के पत्तों में कई औषधीय गुण हैं। तुलसी के ताजे पत्ते खाने या इसका रस निकालकर पीने से स्नायुतंत्र मजबूत होगा और मस्तिष्क की शक्ति सुधरेगी। इससे दौरे और बेहोशी के मामलों में प्रभावी कमी आएगी। तुलसी के 3-4 पत्ते रोज चबाकर या उसका रस निकालकर पीने से कुछ ही दिनों में काफी लाभ दिखता है।