बलोदा बाजार

करोड़ों बहाया पानी की तरह और नदी का सीना खोदकर डाला सिवरेज पाइपलाइन फिर भी दूषित पानी नदी के हवाले

करोड़ों बहाया पानी की तरह और नदी का सीना खोदकर डाला सिवरेज पाइपलाइन फिर भी दूषित पानी नदी के हवाले

स्थानीय निकाय शासन सहित जनता के साथ कर गया छल

मुख्य संपादक लखन देवांगन/संवाददाता हरि देवांगन

चांपा : जिला उप मुख्यालय चांपा नगर विकास योजना के नाम पर शासन से करोड रुपए स्वीकृत कराकर कई जिलों के लिए लाइफ लाइन कहलाने वाला हसदेव नदी को चीरते हुए बन्द नाला का निर्माण इस गरज से कराया गया था कि शहर भर के नालियों से निकला हुआ गंदगी से भरा हुआ पानी कई मुहानों के माध्यम से नदी में जाकर मिश्रित हो रहा था और सीवरेज पाइपलाइन( नाला का निर्माण) इसी उद्देश्य से कराया गया था कि दूषित पानी को एक नाला रूपी पाइप के माध्यम से नवनिर्मित फिल्टर प्लांट तक ले जाकर उपचारित करते हुए जरूरत के योग्य बनाया जा सके, पर स्थानीय निकाय की घोर लापरवाही सहित भ्रष्टाचार का ज्वलंत उदाहरण हम यहां पर समाचार के माध्यम से जनता तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं,

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आगे बताते चलें की साल भर पहले नगर पालिका चांपा के द्वारा हसदेव नदी के तट को चीरते हुए सीमेंटी कृत पाइपलाइन (नाला का निर्माण) को अभी संपूर्ण अमली जामा तक नहीं पहनाया जा सकता है,और पाइपलाइन से लगे हुए बड़े-बड़े कुपो के माध्यम से जहां पानी को नाला रूपी पाइप में जाना चाहिए था वहां जमा गंदगी के चलते नालों का मुहाना इस कदर जाम है कि शहर भर के नालियों से निकलने गंदा पानी नदी में मिश्रित होने का जीता जागता सबूत वीडियो सहित फोटो में देखा जा सकता है,अब सवाल यह उठता है चांपा नगर पालिका के द्वारा शासन से करोड़ों रुपए स्वीकृत कराकर सिवरेज पाइपलाइन का निर्माण आखिरकार क्यों कराया गया है? क्या नगरपालिका का यही जिम्मेदारी बनता है कि पाइपलाइन को बनाकर उसे अपनी ही हाल पर छोड़ दिया जाए और यदि उसका रखरखाव इसी तरह से होना था तो इस प्रकार हसदेव नदी के तट पर अतिक्रमण करते हुए (पाइपलाइन) नाला निर्माण करने का औचित्य क्या है?

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गौरतलब है की अभी इस नाला के निर्माण कार्य को संपन्न किया वर्ष भर नहीं हुआ है,और इन नालों से लगने वाला मुहानों में इस कदर गंदगी जाम हो चुका है कि गंदा पानी इन नालों में समाने के बजाय सरे आम नदी में जाते हुए देखा जा सकता है, क्या आम जनता की गाढ़ी कमाई से जमा की गई सरकारी रकम का यही हश्र होता है, क्या पालिका प्रशासन को सिवरेज पाइपलाइन के आसपास साफ सफाई सहित रखरखाव की दरकार नहीं है, क्या जिन उद्देश्यों को लेकर पाइपलाइन की निर्माण को साकार किया गया है, उसका मूल उद्देश्य को लेकर पालिका प्रशासन कुंभ करणी नींद लेते हुए कानों में तेल डालकर सोने का आदी हो चुका है,जैसे सैकड़ो प्रश्न है जो नगर विकास के नाम पर जनता सहित शासन को धोखा देने वाले लोगों के विरुद्ध जागरूक लोगों के मन में बिजली की भांति कौंध रहा है।

नगर विकास सहित नदी को स्वच्छ बनाने के चोंचले बाजी का हुआ पर्दाफाश. नगर विकास के नाम पर लंबे समय से पाइपलाइन के बारे में बड़ी जोर शोर से चर्चा के साथ ही योजनाओं को साकार करने के लिए एड़ी चोटी के प्रयास के नाम पर श्रेय लेने लिए अनगिनत लोग अपनी ही पीठ थप थपाते मिले,पर सीवरेज पाइपलाइन निर्माण हो जाने के बाद नगर विकास के नाम पर जो नदी के तट पर प्राकृतिक पर्यावरण का चिर हरण हुआ उसे देखने समझने के लिए स्थानीय निकाय के अधिकारी कर्मचारी सहित जनप्रतिनिधियों ने कभी मुड़ कर हसदेव नदी के तट कि दुर्गति को देखने का जहमत नहीं उठाया और यही वजह है कि सीवरेज पाइप लाइन का मूल उद्देश्य आज योजना से भटक कर भ्रष्टाचार के नाले में ठीक सीवरेज लाइन की भांति समा चुका है।

क्षेत्रीय विकास सहित हसदेव नदी को स्वच्छ बनाने के लिए सीवरेज पाइप लाइन का निर्माण तो हो गया लेकिन आज भी सिवरेज पाइप लाइन में दुषित पानी को समाते हुए देखना नगर वासियों के लिए डरावना स्वप्न साबित हो रहा है,क्या इस समाचार के हाईलाइट होने के बाद नगर विकास के ब्रांड एंबेसडर कहलाने वाले चांपा पालिका के जिम्मेदार नदी में बिछे हुए पाइपलाइन का निरीक्षण सहित रखरखाव करने का जहमत उठाएंगे यह देखने और समझने वाली बात होगी।

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