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महासमुंद : कलेक्टर सुनील कुमार जैन ने बाल विवाह की कुप्रथा की रोकथाम करने के लिए जिले के सभी समाज के गणमान्य नागरिकों, पालकों, स्वयंसेवी संगठनों और नागरिकों से सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा है कि बाल विवाह सामाजिक कुप्रथा होने के साथ-साथ अपराध भी है। रामनवमीं से लेकर अक्षय तृतीया तक बड़ी संख्या में वैवाहिक कार्यक्रम होते है, इसमें से कभी-कभी बाल विवाह की कुछ घटनाए भी प्रकाश में आती है, ऐसी घटनाएं प्रदेश और समाज को शर्मसार करती है।
कलेक्टर ने अपनी अपील में कहा है कि बाल विवाह के गंभीर दुष्परिणाम न केवल विवाह करने वाले बच्चों और किशोरों बल्कि पूरे परिवार व समाज को भुगतने पड़ते हैं। बाल विवाह बच्चों के अधिकार का उल्लंघन है। पूर्ण और परिपक्व विकसित होने के पूर्व बाल विवाह होने से उनके स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा पाने और हिंसा, उत्पीड़न व शोषण से बचाव के मूलभूत अधिकारों का हनन होता है। कम उम्र में विवाह से बालिका का शारीरिक विकास रूक जाता है। उनके गंभीर संक्रामक यौन बीमारियों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है और स्वास्थ्य पर गंभीर असर पडता है। जल्दी विवाह होने से जल्दी मां बनने की संभावना बढ़ती है और इससे कम उम्र की मां और बच्चे दोनों की जान और सेहत में खतरा बढ़ जाता है।
कम उम्र में प्रजनन अंगों के पूर्ण विकसित नहीं होने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की मां के नवजात शिशुओं का वजन कम रह जाता है साथ ही कुपोषण व खून की कमी की भी ज्यादा आशंका रहती है। बाल विवाह की वजह से बहुत सारे बच्चे अशिक्षित और अकुशल रह जाते हैं, जिससे बडे होने पर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने तथा रोजगार पाने संभावना में कमी आती है।
कलेक्टर ने नागरिकों से अपील में कहा है कि यदि कहीं बाल विवाह की सूचना प्राप्त होती है तो तत्काल नजदीकी थाना या जिला प्रशासन या महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों या सरपंच, कोटवार को इसकी सूचना दें। बाल विवाह कानून का उलंघन करने वाले के विरूद्ध आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। इस संबंध में हेल्प लाईन 1098 तथा महिला हेल्प लाईन 181 पर भी जानकारी दी जा सकती है। जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास ने जिले के सभी सुपरवाईजरों और आंगनबाड़़ी कार्यकर्ताओं से भी कहा है कि वे यह सुनिश्चित करे कि कहीं भी बाल विवाह की घटनाएं नहीं होने पाए।