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ज्योतिष और हेल्थ

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पूजाघर या मंदिर में माचिस की डिब्बी रखना अशुभ

Posted on :18-Dec-2023
पूजाघर या मंदिर में माचिस की डिब्बी रखना अशुभ

Vaastu Shaastra : हर घर पर देवी-देवताओं की पूजा के लिए एक विशेष स्थान, पूजाघर या मंदिर बना होता है। यह घर का सबसे पवित्र स्थान होता है। पूजा घर में देवी-देवताओं की नियमित पूजा भी की जाती है। इसलिए यह बेहद जरूरी हो जाता है कि इस पवित्र स्थान पर किसी तरह का कोई दोष न हो। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर में दोष होने से कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। पूजा घर में हम पूजा पाठ से जुड़ी सामग्री को रखते हैं, इनमें ही शामिल होती है माचिस की डिब्बी, जिसके लिए बताया गया है कि पूजा घर में माचिस की डिब्बी रखना अशुभ होता है। 

पूजा घर में माचिस की डिब्बी रखने से घर पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। पूजा घर पवित्र स्थान होता है, ऐसे में इस पवित्र स्थान पर ज्वलनशील सामग्री रखना अशुभ माना जाता है। माचिस के साथ ही पूजाघर में लाइटर आदि जैसी ज्वलनशील सामग्री भी नहीं रखनी चाहिए। यदि आप पूजा-पाठ का शुभ फल पाना चाहते हैं तो, मंदिर में इन चीजों को न रखें। आप धूप-दीप जलाने के बाद इसे किसी अन्य स्थान पर रख सकते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, माचिस को मंदिर में या भगवान की मूर्ति के पास नहीं रखना चाहिए।

माचिस जलाने के बाद इसकी तीली को भी मंदिर में नहीं फेंकना चाहिए, क्योंकि माचिस की जली हुई तीलियां नकारात्मकता को बढ़ाती हैं, जोकि घर के लिए दुर्भाग्य का कारण भी बनती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर या पूजाघर के साथ ही बेडरूम में भी माचिस या लाइटर जैसी ज्वलनशील चीजें नहीं रखनी चाहिए। ऐसा करने से इसका नकारात्मक प्रभाव दांपत्य जीवन पर पड़ता है। मालूम हो कि वास्तु शास्त्र में पूजा घर से लेकर पूजा-पाठ के नियम व दिशा बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करने से पूजा सफल होती है और घर पर सुख-समृद्धि आती है। वास्तु शास्त्र के साथ-साथ हिंदू धर्म में भी पूजा-पाठ के लिए कई नियम बताए गए हैं।(एजेंसी)

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दवा और खाना खाने के बाद भी प्रेग्नेंट महिलाओं में होती है खून की कमी, जाने क्या कहते है रिसर्च...

Posted on :15-Dec-2023
दवा और खाना खाने के बाद भी प्रेग्नेंट महिलाओं में होती है खून की कमी, जाने क्या कहते है रिसर्च...

भारत में गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की बीमारी को लेकर हाल ही में एक रिसर्च पब्लिश हुई है. इस रिसर्च में कई कारणों का जिक्र किया गया है. साथ ही इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अच्छे खानपान और दवा के बावजूद की यहां की महिलाओं को खून की कमी से क्यों जूझना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ प्रेग्नेंसी के दौरान बल्कि भारत की यंग जवान महिलाएं भी खून की कमी यानि एनीमिया जैसी बीमारी से जूझ रही है. 'अमर उजाला' में छपी खबर के मुताबिक 'लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल' में किए एक रिसर्च के मुताबिक 'स्त्री एवं प्रसूति' विभाग की एक रिसर्च में पता चला कि दवा और खाना खाने के बाद भी प्रेग्नेंट महिलाओं में खून की कमी होती है. हॉस्पिटल में ऐसी 80 प्रतिशत महिलाएं हैं जो गैर-पंजीकृत हैं वहीं 40 प्रतिशत महिलाएं पंजीकृत थीं जिन्हें एनीमिया थी. 

यह है असली वजह जिसके कारण प्रेग्नेंसी में महिलाओं को होती है खून की कमी

दवा और खाना खाने के बाद भी प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में खून की कमी हो ही जाती है. इसकी सबसे बड़ी वजह है महिलाएं समय से दवा, टेस्ट या मेडिकल या खानपान ठीक से नहीं खाती है. प्रेग्नेंसी का पूरा पीरियड इतना लंबा होता है कि कितनी भी सेफ्टी बरतने के बाद भी लापरवाही हो ही जाती है. जिसके कारण गर्भ में पल रहे बच्चे के हेल्थ को नुकसान झेसना पड़ता है. 

ऐसे खास तरीके से किया गया रिसर्च

साल 2021 की रिसर्च के मुताबिक इलाज करवाने वाली गैर-पंजीकृत महिलाओं में 80% और पंजीकृत में 40% तक एनीमिया के मामले सामने आए हैं. रिसर्च के दौरान पता चला कि महिलाएं दवा और खाना तो खाती हैं लेकिन उनका समय और तरीका काफी ज्यादा अलग है. जिसके कारण उनके शरीर में खून की कमी होने लगती है. जिन 40 प्रतिशत महिलाओं को पंजीकृत किया गया कि उन्हें खून की कमी थी,लेकिन जैसे ही उनपर सही से खानपान और निगरानी में रखा गया है उनमें से 20 प्रतिशत महिलाएं ठीक हो गई और उनमें हल्का एनीमिया ही पाया गया.

खून की कमी के कारण गर्भधारण में भी होती है दिक्कत

क्या खून की कमी का गर्भ धारण से कोई संबंध है... ये सवाल अक्सर ही उन महिलाओं द्वारा पूछा जाता है, जिन्हें गर्भधारण में समस्या आ रही होती है. तो यहां जान लीजिए किस तरह हीमोग्लोबिन, आयरन और ब्लड की कमी आपके मां बनने के सपने को पूरा होने से रोकती है...

शरीर को पोषण देने वाला ब्लड कई अलग-अलग चीजों से मिलकर बना होता है. जैसे रेड ब्लड सेल्स, वाइट ब्लड सेल्स, प्लाज्मा, आयरन, ऑक्सीजन इत्यादि.

रेड ब्लड सेल्स यानी लाल रक्त कोशिकाओं के अंदर लाखों की संख्या में हीमोग्लोबिन मॉलेक्यूल्स होते हैं और इन्हीं मॉल्येक्यूल्स की मदद से ब्लड शरीर के अंदर मौजूद कोशिकाओं को ऑक्सीजन की सप्लाई कर पाता है. किसी भी कारण से जब ब्लड में रेड सेल्स की कमी हो जाती है तो शरीर में कमजोरी आने लगती है और हेल्थ खराब होने लगती है.

जब खून के अंदर रेड ब्लड सेल्स की कमी के कारण हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है तो इसी स्थिति को एनीमिया कहा जाता है. एनिमिया के कारण और खासतौर पर रेड ब्लड सेल्स की कमी के कारण कई तरह के डिसऑर्डर्स शरीर के अंदर पनपते हैं. इन्हीं में से एक डिसऑर्डर है मायलोडीस्प्लास्टिक सिंड्रोम जो रिप्रोडक्शन संबंधी सस्याओं से जुड़ा है.

इंटरनेशनल जरनल ऑफ करंट रिसर्च ऐंड अकेडमिक रिव्यू में प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि जो महिलाएं पर्याप्त मात्रा में आयरन रिच फूड्स का सेवन नहीं करती हैं, उनके शरीर को गर्भ धारण करने के लिए जरूरी एग बनाने में समस्या हो सकती है.

यदि एनियमिया के बाद भी किसी महिला की बॉडी सही मात्रा में एग बना पाती है तो इन एग की क्वालिटी अच्छी नहीं होती है और खराब एग क्वालिटी की समस्या के चलते प्रेग्नेंट होने की संभावना 60 प्रतिशत तक घट जाती है. क्योंकि ऑवल्यूशन के दौरान बने ये एग कंसीविंग की प्रक्रिया को सही तरीके से पूरा नहीं कर पाते हैं.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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चाय या कॉफी दोनों में से कौन सा है ज्यादा हेल्दी...

Posted on :09-Dec-2023
चाय या कॉफी दोनों में से कौन सा है ज्यादा हेल्दी...

कॉफी और चाय दोनों के अपने-अपने स्वास्थ्य लाभ हैं और अगर इनका सेवन कम मात्रा में किया जाए तो ये फायदेमंद हेल्दी ड्रिंक हैं. दुनिया भर में सबसे अधिक पिए जाने वाली पेय पदार्थ हैं. कई लोग दूसरे के मुकाबले एक के लिए मजबूत प्राथमिकता व्यक्त करते हैं. लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से आपके लिए कौन सा बेहतर है? सबसे पहले, कॉफ़ी जीवन शक्ति बढ़ाने और दिमाग को तेज़ करने के लिए जानी जाती है. ऐसा कैफीन की उच्च सांद्रता के कारण होता है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है. मध्यम मात्रा में कैफीन का सेवन मूड, प्रतिक्रिया समय और संज्ञानात्मक कार्य में सुधार से जुड़ा हुआ है. इस प्रकार, सुबह की एक कप कॉफी वही हो सकती है जो आपको पूरे दिन के लिए चाहिए .

अपने स्फूर्तिदायक प्रभावों के अलावा, कॉफ़ी में उच्च स्तर के एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं. ये यौगिक हमारी कोशिकाओं को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं और हृदय रोग, कैंसर और अल्जाइमर जैसी पुरानी बीमारियों के खतरे को कम कर सकते हैं. लेकिन हर चीज की तरह, जब कॉफी की खपत की बात आती है तो संयम महत्वपूर्ण है. बहुत अधिक कैफीन से चिंता, बेचैनी और अनिद्रा जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं. इससे कुछ व्यक्तियों में दिल की धड़कन बढ़ सकती है और रक्तचाप बढ़ सकता है.

चाय के लिए है फायदेमंद

चाय का सेवन हजारों सालों से किया जा रहा है और यह पानी के बाद दुनिया का दूसरा सबसे लोकप्रिय पेय है. अपने शांत प्रभाव और विभिन्न प्रकार के स्वादों के कारण, चाय ने एक स्वास्थ्यवर्धक पेय के रूप में ख्याति प्राप्त कर ली है. लेकिन क्या ऐसा है? चाय में एंटीऑक्सीडेंट की प्रचुर मात्रा इसके प्रमुख स्वास्थ्य लाभों में से एक है. कॉफी की तरह, चाय में पाए जाने वाले पॉलीफेनोल्स में सूजन-रोधी और कैंसर-विरोधी प्रभाव पाए गए हैं. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के अलावा, ये एंटीऑक्सिडेंट सामान्य स्वास्थ्य को बढ़ा सकते हैं.

चाय का एक अन्य लाभ इसकी कम कैफीन सामग्री है. हालांकि इसमें अभी भी कैफीन होता है, लेकिन इसका स्तर कॉफी की तुलना में काफी कम होता है, जिससे यह उन लोगों के लिए एक बढ़िया विकल्प बन जाता है जो कैफीन का सेवन कम करना चाहते हैं. इसके अलावा, चाय में थेनाइन, एक अमीनो एसिड होता है जिसका शांत प्रभाव पड़ता है और यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है. लेकिन शायद चाय के सबसे महत्वपूर्ण लाभों में से एक हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने की इसकी क्षमता है. अध्ययनों से पता चला है कि नियमित चाय का सेवन हृदय रोग, स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप के खतरे को कम कर सकता है. ऐसा चाय में फ्लेवोनोइड्स की मौजूदगी के कारण होता है, जो रक्त वाहिका के कार्य को बेहतर बनाने और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है.

हालांकि, सभी चायें एक जैसी नहीं बनाई जाती हैं. काली, हरी, सफ़ेद और ऊलोंग चाय सभी एक ही पौधे से आती हैं लेकिन इन्हें अलग-अलग तरीके से संसाधित किया जाता है, जिससे एंटीऑक्सिडेंट का स्तर अलग-अलग होता है.

कौन सा है ज्यादा हेल्दी
कौन सा अधिक स्वास्थ्यप्रद है - कॉफी या चाय? सच तो यह है कि, इन दोनों के स्वास्थ्य लाभों का अपना अनूठा सेट है. यह अंततः व्यक्तिगत पसंद और संयम पर निर्भर करता है.

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चेहरे से दाग-धब्बें हो जाएंगे छूमंतर... अपनाएं ये आसान घरेलू उपाय

Posted on :02-Dec-2023
चेहरे से दाग-धब्बें हो जाएंगे छूमंतर... अपनाएं ये आसान घरेलू उपाय

नई दिल्ली : चेहरे पर दाग-धब्बे होने के कई कारण हो सकते हैं। शरीर में पोषक तत्वों की कमी से भी यह समस्या होती है, नींद की कमी या प्रदूषण की वजह से भी स्किन से जुड़ी समस्या हो सकती है, लेकिन कई बार मेलानिन जो की हमारे शरीर में स्किन को कलर देने वाला एक प्रोटीन होता है, इसके एक्सट्रा प्रोडक्शन के कारण भी चेहरे पर काले घेरे, झाइयां, धब्बें और पैचेस दिखाई पड़ने लगते हैं।

कई बार एक्जिमा, फंगल इंफेक्शन, तरह-तरह के मार्केट में मिलने वाले जंक फूड भी चेहरे पर पड़ने वाले एजिंग इफेक्ट और दाग-धब्बों के कारण हो सकते हैं। इसके अलावा नशीली चीजों का सेवन और मेंटल फिजिकल स्ट्रेस के कारण भी त्वचा से जुड़ी समस्या होती है। आइए जानते हैं, चेहरे के दाग-धब्बों से छुटकारा पाने के कुछ आसान और घरेलू उपायअपना सकते हैं।

आलू से मसाज करें
आलू को छिलके सहित कद्दूकस करके इससे अपने पूरे चेहरे का दिन में दो बार दस मिनट तक मसाज करें और फिर आधे घंटे तक लगा रहने दें और फिर धुलें। ऐसा लगातार 10 दिनों तक करने से दाग और धब्बों से छुटकारा मिलता है।

आलू का पेस्ट, चंदन और गुलाब जल
आलू के पेस्ट में चंदन पाउडर और गुलाब जल मिलाकर फेस पैक तैयार करें और इसे अपने चेहरे पर लगाएं और सूखने पर धुलें। अब किसी अच्छे से मॉइश्चराइजिंग क्रीम को लगाएं। इसे भी दिन में दो बार लगाएं, रिजल्ट बेहतर मिलेगा।

एलोवेरा जेल और मुल्तानी मिट्टी
ताजे ऐलोवेरा जेल में मुल्तानी मिट्टी और थोड़ा-सा दूध हल्दी पाउडर मिलाकर फेस पैक तैयार करें। इसे अपने चेहरे पर लगाएं। सूखने पर नॉर्मल पानी से धो लें।

नींबू का रस, हल्दी पाउडर और टमाटर
टमाटर का स्मूद पेस्ट बनाकर इसमें हल्दी पाउडर और आधे नींबू का रस मिलाएं। इसे चेहरे पर लगाएं, सूखने के बाद चेहरा धो लें।

नींबू का रस और चंदन पाउडर
नींबू के रस में शहद और चंदन पाउडर मिलाकर इसे पूरे चेहरे पर लगाएं और सूखने पर नॉर्मल पानी से साफ करें। बेदाग त्वचा के लिए इसे एक हफ्ते लगातार लगाएं।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

 

 

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सेहत के लिए वरदान है सिंघाड़ा, स्किन से लेकर बवासीर तक को दूर करने में है कारगर

Posted on :22-Nov-2023
सेहत के लिए वरदान है सिंघाड़ा, स्किन से लेकर बवासीर तक को दूर करने में है कारगर

Benefits of Water Chestnut: सर्दियों के मौसम की शुरुआत होते ही मार्केट में सिंघाड़ा मिलना शुरू हो जाता है. पानी में उगने वाला सिंघाड़ा सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है.वहीं सिंघाड़े के आटे का इस्तेमाल व्रत आदि में किया जाता है.सिंघाड़ा खाने से सेहत को कई तरह के जबरदस्त फायदे मिल सकते हैं.

इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर के लिए बहुत उपयोगी माने जाते हैं. सिंघाड़े में पर्याप्त मात्रा में विटामिन ए, विटामिन सी, मैंगनीज, फाइबर, फोस्फोरस, आयोडीन, मैग्नीशियम आदि पाए जाते हैं इसका सेवन करने से दिल की बीमारियों में भी बहुत फायदा मिलता है. कच्चा सिंघाड़ा खाने से आपको वजन कंट्रोल करने से लेकर गले की समस्या, शरीर में सूजन जैसी कई समस्याओं से बहुत फायदा मिलता है.

फर्टिलिटी और हॉर्मोनल बैलेंस करे ठीक                                             

आपके शरीर में फर्टिलिटी को बढ़ाने और हॉर्मोनल को बैलेंस करने के लिए कच्चा सिंघाड़ा बहुत फायदेमंद माना जाता है.

लो ब्लड प्रेशर में फायदेमंद 

लो बीपी की समस्या में कच्चा सिंघाड़ा खाना बहुत फायदेमंद माना जाता है. इसमें मौजूद सोडियम की पर्याप्त मात्रा लो ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद होती है.

इंस्टेंट एनर्जी के लिए फायदेमंद 

शरीर को इंस्टेंट एनर्जी देने के लिए कच्चे सिंघाड़े का सेवन बहुत फायदेमंद हो सकता है. सिंघाड़े में मौजूद गुण और पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा देने का काम करते हैं. अगर आप लो फील कर रहे हैं या शरीर में ऊर्जा की कमी है, तो कच्चा सिंघाड़ा खाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है.

स्किन के लिए फायदेमंद 

स्किन के लिए कच्चा सिंघाड़ा खाना बहुत अच्छा माना जाता है. इसका सेवन करने से आपके स्किन पर मौजूद झुर्रियां और कील,मुहांसे आदि दूर होते हैं.

बवासीर में फायदेमंद 

आजकल लोग बिगड़े लाइफस्टाइल के चलते या फिर असंतुलित खानपान के कारण लोग बवासीर की समस्या के शिकार हो जाते हैं. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सिंघाड़े आपकी मदद कर सकता है.

Disclaimer: यह जानकारी आयुर्वेदिक नुस्खों के आधार पर लिखी गई है. गरजा छत्तीसगढ़ न्यूज़  इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.

 

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स्वास्थ्य के साथ सौंदर्य के लिए भी लोगों को ठीक से जानकारी होनी चाहिए तभी तो स्वास्थ्य रहेंगे आप :डॉ हृदयेश कुमार

Posted on :06-Nov-2023
स्वास्थ्य के साथ सौंदर्य के लिए भी लोगों को ठीक से जानकारी होनी चाहिए तभी तो  स्वास्थ्य रहेंगे आप :डॉ हृदयेश कुमार

फ़रीदाबाद हरियाणा : अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार आमजन लोगो को स्वास्थ्य के साथ सौंदर्य रहने वाले उपाय और घरेलू नुस्खे बता कर कर रहे हैं आमजन को जागरुक  डॉ हृदयेश कुमार ने बताया 

ठंड के मौसम में ऐसे उपयोग करें गुड़हल का फेस पैक, । सर्दियों की हल्की दस्तक के साथ ही स्किन पर इसका असर दिखने लगता है। मौसम की ठंडक और इन दिनों हो रहे प्रदूषण की वजह से स्किन का नेचुरल मॉइश्चर खत्म हो रहा है। जिसकी वजह से चेहरे और हाथों-पैरों में ड्राईनेस दिखने लगती है। इस ड्राई और बेजान सी स्किन को निखार देने का काम कर सकता है गुड़हल का फूल। साथ ही ये चेहरे दाग-धब्बे भी हटाएगा।

गुड़हल के फूल से बनाएं फेस पैक- गुड़हल का फूल ज्यादातर गार्डनिंग में शामिल रहता है। गुड़हल के फूल को सुखाकर रख लें। इन सूखे गुड़हल के फूल के पाउडर में शहद मिक्स करें और फेस पैक तैयार करें। इस फेस पैक को चेहरे पर और हाथों में लगाएं। रोजाना इस फेस पैक को लगाने से रूखी और ड्राई हो रही स्किन से छुटकारा मिल जाएगा।

चेहरे पर पिंपल हो रहे तो ऐसे लगाएं- चेहरे पर कील-मुंहासे और दाने हो रहे हैं तो इनसे सर्दियों में छुटकारा पाने के लिए गुड़हल के फूल को सुखाकर पाउडर बना लें। इस पाउडर में दही मिलाएं। साथ में लेवेंडर एसेंसेशियल ऑयल की कुछ बूंदों को मिला दें। इस फेस पैक को चेहरे पर लगाएं और करीब आधे घंटे बाद चेहारा साफ कर लें। इस फेस पैक को सप्ताह में दो से तीन बार लगाने से सर्दियों में हो रहे कील-मुंहासे से छुटकारा मिलेगा।

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नेस्कॉन-2023 : भारत में हर 100 में से पांच लोगों को टिनिटस की समस्या

Posted on :06-Nov-2023
नेस्कॉन-2023 : भारत में हर 100 में से पांच लोगों को टिनिटस की समस्या

राजेन्दर कुमार 

– न्यूरो ओटोलॉजिकल एंड इक्विलिब्रियोमेट्रिक सोसायटी ऑफ इंडिया की कॉन्फ्रेंस नेस्कॉन-2023 संपन्न

जयपुर। देश में हर 100 में से पांच लोगों को कान में घंटी बजने, सांप के हिस्स की आवाज गूंजने की समस्या यानी टिनिटस की समस्या है। इसकी जांच के लिए अब नई तकनीक इमेजिंग ऑडियो वेस्टीबुलोमैट्री जांच की जाने लगी है। इससे टिनिटस की सटीकता से जांच की जा सकती है। न्यूरो ओटोलॉजिकल एंड इक्विलिब्रियोमेट्रिक सोसायटी ऑफ इंडिया की तीन दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस नेस्कॉन-2023 के रविवार को संपन्न हुई, जहां डॉक्टर्स ने यह जानकारी दी।

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कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ.पवन सिंघल ने बताया कि शनिवार को कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन डॉ. पीपी कार्णिक ओरेशन हुआ जिसमें महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ.अचल गुलाटी ने टॉक दिया। ऑर्गनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ.सुनील समदानी और डॉ.रेखा हर्षवर्धन ने जानकारी दी कि कॉक्लियर इंप्लांट, एंडोस्कोपिक ऑटोलॉजी, मेनियर्स और माइग्रेन के बीच संबंध, प्रेगनेंसी में वर्टिगो पर विशेषज्ञों के लेक्चर्स हुए। इसके अलावा पीजी स्टूडेंट्स के लिए क्विज भी आयोजित की गई जिसमें विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
 
तीन तरह के सिस्टम की होती है जांच
डॉ.मुदित मित्तल ने बताया कि इमेजिंग ऑडियो वेस्टीबुलोमैट्री में मरीज की आंखों, टच सेंस (छूना) और वेस्टीबुलर सिस्टम (कानों की आंतरिक संरचना), इन तीनों के रिफ्लेक्शन की जांच की जाती है और यह देखा जाता है कि तीनों सिस्टम एक साथ कैसा काम कर रहे हैं।

लेट्रल स्कल बेस कैंसर का शुरुआती चरण में पता लगना आवश्यक
डॉ.एनवीके मोहन ने बताया कि स्कल बेस कैंसर 0.3 से एक प्रतिशत लोगों में होगा है। इसमें मरीज के जिंदा रहने की संभावना 50 प्रतिशत से कम होती है। कान बंद होने, कान से खून आने, आवाजें आना, मुंह का टेढापन जैसे लक्षण इस बीमारी के हो सकते हैं।

अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें
डॉ.पवन सिंघल
9414043435

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देशव्यापी सर्वे में सामने आए हाई-फाइबर सप्लीमेंट से डायबिटीज के मरीजों को होने वाले फायदे

Posted on :04-Nov-2023
देशव्यापी सर्वे में सामने आए हाई-फाइबर सप्लीमेंट से डायबिटीज के मरीजों को होने वाले फायदे

अनिल बेदाग 

मुंबई : एक देशव्यापी सर्वे 'स्टार'  में रोजाना हाई-फाइबर सप्लीमेंट का सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को होने वाले फायदे सामने आए हैं। टाइप 2 डायबिटीज के 3,042 मरीजों और 152 डॉक्टरों के बीच इस सर्वे को अंजाम दिया गया। सर्वे के नतीजे हाल ही में इंडियन जर्नल ऑफ क्लीनिकल प्रैक्टिस में प्रकाशित किए गए हैं। सर्वे में पाया गया कि रोजाना हाई-फाइबर डाइटरी सप्लीमेंट के सेवन से ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। सर्वे में शामिल डायबिटीज के मरीजों को दो समूह में बांटा गया था। इनमें से एक समूह कम से कम पिछले तीन महीने से एक विशेष हाई-फाइबर सप्लीमेंट का सेवन कर रहा था, जबकि दूसरे समूह के लोग किसी हाई-फाइबर सप्लीमेंट का सेवन नहीं कर रहे थे। इसमें पाया गया कि जो मरीज तीन महीने या इससे ज्यादा समय से हाई-फाइबर सप्लीमेंट का सेवन कर रहे थे, उनका एचबीए1सी उल्लेखनीय रूप से कम रहा, उनका वजन भी कम हुआ और दूसरे समूह के लोगों की तुलना में ऐसे लोग ज्यादा संतुष्ट थे।
      
दुनियाभर में कई क्लीनिकल अध्ययनों में डायबिटीज के मैनेजमेंट में हाई-फाइबर डाइट की उल्लेखनीय भूमिका सामने आ चुकी है। आरएसएसडीआई और अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन जैसे संस्थान भी सुझाव देते हैं कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अपने खानपान में फाइबर की मात्रा बढ़ानी चाहिए। आरएसएसडीआई भारत में प्रत्येक डायबिटीज पीड़ित व्यक्ति को रोजाना 25 से 40 ग्राम फाइबर के सेवन का सुझाव देता है, जबकि असल में इसकी तुलना में अलग-अलग सामाजिक परिवेश में फाइबर का वास्तवित सेवन औसतन 15 से 40 ग्राम प्रतिदिन के बराबर ही है। इसका अर्थ है कि भारत में डायबिटीज से पीड़ित हर व्यक्ति फाइबर की जरूरी मात्रा का सेवन नहीं कर रहा है। 'स्टार' सर्वे से सामने आया है कि कैसे हाई-फाइबर डाइटरी सप्लीमेंट इस कमी को पूरा करने में भूमिका निभा सकते हैं और मरीजों को प्रभावी तरीके से डायबिटीज मैनेज करने में मदद कर सकते हैं।
      
साउथ एशियन फेडरेशन ऑफ एंडोक्राइन सोसायटीज (एसएएफईएस) के प्रेसिडेंट और सर्वे के प्रमुख नेतृत्वकर्ता डॉ. संजय कालरा ने कहा, 'डायबिटीज मैनेजमेंट में उचित पोषण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डायबिटीज से पीड़ित लोगों को न केवल कार्बोहाइड्रेट और चीनी का सेवन कम करना होता है, बल्कि उन्हें फाइबर का इनटेक बढ़ाने की जरूरत भी होती है। डाइट में फाइबर शामिल करने से पेट भरा अनुभव होता है और व्यक्ति ज्यादा खाने से बचता है। पाचन के दौरान फाइबर हमारे पेट से खून में शुगर के एब्जॉर्प्शन की दर को भी करता है, जिससे खाने के बाद का ब्लड ग्लूकोज कम रखने में मदद मिलती है। ज्यादातर डायबिटीज के मरीजों को उनके खानपान से फाइबर की पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाती है। यह सर्वे दिखाता है कि हाई-फाइबर न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट फाइबर इनटेक की जरूरत को पूरा करने में सहायक हो सकते हैं।' 

सर्वे में सामने आया है कि डायबिटीज का मैनेजमेंट केवल मेडिकल थेरेपी पर निर्भर रहने का मामला नहीं है। मरीजों को वजन नियंत्रित रखने और ब्लड ग्लूकोज को सही रखने के लिए डाइट में भी बदलाव करना चाहिए।

स्टार में 152 डॉक्टरों को भी शामिल किया गया। इससे सामने आया कि डॉक्टर टाइप 2 डायबिटीज के 50 प्रतिशत मरीजों को, मोटापे के शिकार 40 प्रतिशत मरीजों को और बढ़े हुए वजन का सामना कर रहे 30 प्रतिशत लोगों को फाइबर-रिच सप्लीमेंट लेने का सुझाव देते हैं। सर्वे में शामिल डॉक्टरों के मुताबिक, डायबिटीज के मरीजों को फाइबर के सेवन से सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि इससे उनका संतुष्टि का स्तर बढ़ता है, शारीरिक गतिविधि बढ़ती है, एचबीए1सी कम होता है और ब्लड ग्लूकोज लेवल नियंत्रित होता है। इससे उन्हें ब्लड ग्लूकोज नियंत्रित रखने के लिए कम दवाएं लेनी पड़ती हैं। डॉक्टरों ने टाइप 2 डायबिटीज को मैनेज करने में डाइटरी फाइबर की भूमिका को लेकर मरीजों और डॉक्टरों दोनों के बीच जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया।

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इस दीवाली मेकअप के लिए अपनाएं ये आसन स्टेप्स, दिखेंगे सबसे हटके...

Posted on :02-Nov-2023
इस दीवाली मेकअप के लिए अपनाएं ये आसन स्टेप्स, दिखेंगे सबसे हटके...

Diwali 2023: दिवाली को साल का सबसे बड़ा त्योहार कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार ये वही खास दिन है, जिस दिन भगवान श्री राम लंकापति रावण का वध करके अपनी नगरी अयोध्या वापस लौटे थे। उनके स्वागत में पूरी अयोध्या नगरी जगमगा रही थी। ऐसे में तब से लेकर आज तक इस दिन लोग जमकर खुशियां मनाते हैं और अपने -अपने घरों को सजाते हैं। इस दिन लक्ष्मी और गणेश जी की भी पूजा होती है। इस पूजा के लिए लोग पहले से ही कई तैयारियां कर लेते हैं। इस दिन नए-नए कपड़े पहनने का रिवाज है।

खासतौर पर अगर बात करें महिलाओं की तो वो दिवाली के दिन काफी अच्छे से तैयार होती हैं। अगर आप भी दिवाली पर खूबसूरत दिखना चाहती हैं, लेकिन आपको समझ नहीं आ रहा कि कैसा मेकअप पूजा में सही रहेगा तो इस बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।  दिवाली के दिन मेकअप करने के पहले इसके कुछ सिंपल स्टेप्स को जान लीजिए।

Diwali 2023 simple makeup steps for diwali puja in hindi

सबसे पहले चेहरे को साफ करें
दिवाली के लिए तैयार होते वक्त सबसे पहले चेहरे को किसी फेसवॉश की मदद से अच्छे से साफ करें। चेहरा साफ करने के बाद किसी फेस पैक का इस्तेमाल जरूर करें। इसके लिए बेकिंग सोडा, शहद और गुलाब जल का पैक आप घर पर तैयार कर सकती हैं। 

Diwali 2023 simple makeup steps for diwali puja in hindi

आई मेकअप से करें शुरुआत
चेहरे पर पैक इस्तेमाल करने के बाद आपको अब आई मेकअप की शुरुआत करनी है। अगर आप आई मेकअप पहले करती हैं और ये आपके स्किन पर हल्का सा गिरता है तो आपका मेकअप खराब नहीं होगा। आई मेकअप से पहले आंखों पर प्राइमर का इस्तेमाल भी जरूर करें। 

अब करें बेस का इस्तेमाल
इसके बाद चेहरे पर प्राइमर लगाएं और फिर अपनी स्किन टोन के हिसाब से फाउंडेशन का इस्तेमाल करें। चेहरे पर बेस का इस्तेमाल के बाद गालों के नीचे और टेंपल जोन में चेहरे पर ब्राउन शैडो या कॉन्टूर ड्रॉ करें। फिर इसे स्पंज की सहायता से ब्लैंड करें। 

ब्लश और हाइलाइटर देगा क्लासी लुक
सबसे आखिर में ब्लश और हाइलाइट का इस्तेमाल करें। इसकी मदद से आपके चेहरे पर लालिमा बरकरार रहेगी। हाइलाइटर आपके चेहरे को क्लासी लुक देगा।

आखिर में करें लिपस्टिक का इस्तेमाल
दिवाली की पूजा के बाद लोग लजीज पकवान भी खाते हैं। ऐसे में अपने मेकअप के सबसे आखिर में अच्छी क्वालिटी की लिपस्टिक का इस्तेमाल करें। लिपस्टिक का इस्तेमाल करते वक्त ध्यान रखें कि ये लॉंग लास्टिंग हो। 

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आज है करवा चौथ, यहां जानें पूजा का शुभ मुहूर्त...

Posted on :01-Nov-2023
आज है करवा चौथ, यहां जानें पूजा का शुभ मुहूर्त...

Karwa Chauth 2023: सनातन धर्म में करवा चौथ का पर्व एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख वैवाहिक जीवन के लिए के लिए व्रत रखती हैं। हिंदू पंचांग अनुसार, यह पर्व कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष के चौथे दिन मनाया जाता है। इस साल करवा चौथ 1 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा, जो कि सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होने वाला है।

करवा चौथ पूजा मुहूर्त और चंद्रोदय का समय 

करवा चौथ पूजा मुहूर्त - शाम 06:05 बजे से शाम 07:21 बजे तक

करवा चौथ व्रत का समय - सुबह 06:39 बजे से रात 08:59 बजे तक

चंद्रोदय का समय - रात्रि 08:59 बजे

भगवान चंद्रमा का पूजन मंत्र - ॐ सोमाय नमः

करवा चौथ पूजा विधि

करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक कठिन उपवास रखती हैं। इस अवधि के दौरान कुछ खाना या पानी पीना वर्जित होता है। इसके बाद जब चंद्रोदय हो जाता है, तो वे भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ गणेश जी की पूजा भी की जाती है।

इसके बाद चंद्र देव को अर्घ्य देती हैं, जिससे उनका व्रत संपूर्ण हो जाता है। जानकारी के लिए बता दें, पूजा आमतौर किसी पुजारी या फिर घर के किसी बुजुर्ग व्यक्ति की मदद से की जाती है।

चंद्र देव कवच 

श्रीचंद्रकवचस्तोत्रमंत्रस्य गौतम ऋषिः । अनुष्टुप् छंदः।

चंद्रो देवता। चन्द्रप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।

समं चतुर्भुजं वन्दे केयूरमुकुटोज्ज्वलम् ।

वासुदेवस्य नयनं शंकरस्य च भूषणम् ॥ १ ॥

एवं ध्यात्वा जपेन्नित्यं शशिनः कवचं शुभम् ।

शशी पातु शिरोदेशं भालं पातु कलानिधिः ॥ २ ॥

चक्षुषी चन्द्रमाः पातु श्रुती पातु निशापतिः ।

प्राणं क्षपाकरः पातु मुखं कुमुदबांधवः ॥ ३ ॥

पातु कण्ठं च मे सोमः स्कंधौ जैवा तृकस्तथा ।

करौ सुधाकरः पातु वक्षः पातु निशाकरः ॥ ४ ॥

हृदयं पातु मे चंद्रो नाभिं शंकरभूषणः ।

मध्यं पातु सुरश्रेष्ठः कटिं पातु सुधाकरः ॥ ५ ॥

ऊरू तारापतिः पातु मृगांको जानुनी सदा

अब्धिजः पातु मे जंघे पातु पादौ विधुः सदा ॥ ६ ॥

सर्वाण्यन्यानि चांगानि पातु चन्द्रोSखिलं वपुः ।

एतद्धि कवचं दिव्यं भुक्ति मुक्ति प्रदायकम् ॥

यः पठेच्छरुणुयाद्वापि सर्वत्र विजयी भवेत् ॥ ७ ॥

॥ इति श्रीब्रह्मयामले चंद्रकवचं संपूर्णम् ॥

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। 

 

 

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त्योहारी सीजन में फिट रहने के लिए अपनाएं ये टिप्स

Posted on :21-Oct-2023
त्योहारी सीजन में फिट रहने के लिए अपनाएं ये टिप्स

फेस्टिवल का मतलब है परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ मिलना और टेस्टी खाने को एंजॉय करना। हर त्योहार के मुताबिक अलग-अलग खाना बनाया जाता है। इस दौरान मिठाईयों और पूड़ी को खाना पसंद किया जाता है। हालांकि, फिटनेस फ्रीक लोग इस तरह के खाने से बचते हैं। वहीं वेट गेन के डर से भी लोग खाने से कतराते हैं। फेस्टिव सीजन में अपने फिटनेस को ट्रैक पर रखना भी बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन आप कुछ ट्रिक्स अपनाकर वेट भी मेंटेन रख सकते हैं और त्योहारों का भी फुल मजा ले सकते हैं।

त्योहारी सीजन पर फिटनेस को कैसे मेंटेन करें

रोजाना एक्सरसाइज करें- त्योहारी सीजन पर हर कोई खूब तैयारियां करता है। ऐसे में शेड्यूल काफी बिजी रहता है। लेकिन फिटनेस को मेंटेन करने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करना जरूरी है। एक्सरसाइज वजन कम करने में मदद करती है, और शरीर को फिट-टोंड रखने में मदद करती है।

ज्यादा ना खाएं- आप फेस्टिव सीजन के दौरान खाने पीने को एंजॉय कर सकते हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि बहुत ज्यादा खाना ना खाएं। खाने पर कंट्रोल रखें।

कम मीठा खाएं- शुगर फ्री मीठा खा सकते हैं। या फिर उन मिठाईयों को खाएं जो गुड़ या खजूर से बनी हों। चीनी से बनी मिठाई कम मात्रा में खाएं। क्योंकि यह शरीर में शुगर लेवल को बढ़ाती हैं, जिसकी वजह से वजन भी बढ़ता है।

मॉर्निंग ड्रिंक पीएं- फेस्टिव सीजन के दौरान अपने मॉर्निंग ड्रिंक को पीना ना भूलें। इससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। 

पर्याप्त नींद लें-वजन का बढ़ना और फिटनेस को मेंटेन करने के लिए स्लीप साइकिल का सही होना जरूरी है। फेस्टिवल की तैयारियों में भी कोशिश करें की आप 7-8 की नींद जरूर लें। 

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीकों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें। इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट से सलाह लें।

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रक्त थ्रॉम्बोसिस के बढ़ते खतरों से बचें-डॉक्टर शिवराज इंगोले

Posted on :04-Oct-2023
रक्त थ्रॉम्बोसिस के बढ़ते खतरों से बचें-डॉक्टर शिवराज इंगोले

अनिल बेदाग

मुंबई : ब्लड थ्रॉम्बोसिस को हिंदी में "रक्त थ्रॉमबोसिस" या "रक्त गांठन" कहा जाता है। यह एक मेडिकल स्थिति है जिसमें रक्त में गांठ या थ्रॉम्बस बन जाते हैं, जिससे खून की प्रवाहनी को बंद कर दिया जाता है। यह गांठ रक्त वाहिनियों में या गहरे नसों में विकसित हो सकती है और यदि यह बड़ी हो जाए, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। डॉक्टर्स आमतौर पर रक्त थ्रॉम्बोसिस के उपचार के लिए दवाओं और चिकित्सा प्रक्रियाओं का सुझाव देते हैं ताकि इस समस्या को नियंत्रित किया जा सके।

मुंबई के जे जे अस्पताल एवं ग्रांट मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर और इंटरवेंशनल रेडियोलाजिस्ट डॉक्टर शिवराज इंगोले कहते हैं कि रक्त थ्रॉम्बोसिस के कारण हिंदी में:वयस्कता: बढ़ती आयु और मोटापा थ्रॉम्बोसिस के बढ़ते कारण हो सकते हैं। अगर आप लम्बे समय तक बैठकर काम करते हैं, तो रक्त का प्रवाह सुधारने के लिए अपने पैरों के सिरे को कटने से रोकने के लिए जरूरी परिश्रम करें। दिल की बीमारियाँ, कैंसर, डायबिटीज जैसी चिकित्सा स्थितियाँ रक्त थ्रॉम्बोसिस के बढ़ने के खतरों को बढ़ा सकती हैं।

गर्भावस्था के दौरान रक्त थ्रॉम्बोसिस का खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि गर्भावस्था में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। लंबे समय तक बैठकर या लेट जागकर दूरी यातायात करने वाले लोगों में रक्त थ्रॉम्बोसिस का खतरा बढ़ सकता है। कुछ दवाएं जैसे कि हॉर्मोन थेरेपी और डिज़्यूल्फीराम जैसी दवाएं रक्त थ्रॉम्बोसिस के खतरों को बढ़ा सकती हैं।आपके स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव को समझने के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें, खासकर यदि आपके पास ऊपर दिए गए कारणों में से कोई भी है।

मैकेनिकल थ्रॉम्बेकटोमी एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसका उपयोग खून की गांठों (थ्रॉम्बाई) को खून की वाहिनियों से हटाने के लिए किया जाता है, आमतौर पर स्ट्रोक या गहरे नसों में गांठ (डीप वेन थ्रॉम्बोसिस) के इलाज के संदर्भ में। इस प्रक्रिया के दौरान, खून की गांठ को भंग करने या हटाने के लिए एक विशेषज्ञ डिवाइस का उपयोग किया जाता है, जिससे खून की चाल को पुनर्स्थापित किया जाता है और आगे के समस्याओं से बचाव किया जाता है। यह विशेष रूप से तब विचार किया जाता है जब गांठ तोड़ने वाली दवाओं (थ्रॉम्बोलिटिक्स) का प्रभावकारी नहीं होता या सुरक्षित नहीं होता। मैकेनिकल थ्रॉम्बेकटोमी का उपयोग कुछ वास्कुलर स्थितियों के इलाज में महत्वपूर्ण योगदान है, जो रोगियों के लिए परिणामों को बेहतर बनाने में मदद करता है।

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Health News : अखरोट खाना स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद, देखे पूरी जानकारी

Posted on :16-Sep-2023
Health News : अखरोट खाना स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद, देखे पूरी जानकारी

- खाने से होते हैं शरीर को यह लाभ

Health News : हेल्थ एक्सपर्टस की माने तो अखरोट सुपरफूड हैं और स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। अखरोट में प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फॉस्फोरस, कॉपर, सेलेनियम, ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे कई पोषक तत्व मौजूद रहते हैं।

अपने दिन को अच्छे से शुरू करने के लिए आप रोजाना सुबह इसे अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं। अगर आप अखरोट को रात भर के लिए भिगो कर अगले दिन खाते हैं तो भी आपको कई बेनिफिट मिलते हैं। आज हम अपने पाठकों को बताने जा रहे हैं कि अखरोट किस तरह सेहत को फायदे पहुंचाता है। अगर आप रोजाना इस जादुई ड्राई फ्रूट का सेवन करते हैं तो आपका ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है।डाइटरी फाइबर्स में रिच होने के कारण अखरोट ब्लड शुगर लेवल को कण्ट्रोल करने के लिए जाना जाता है।

Do Not Throw Walnut Shells Many Health Benefits You Can Make Healthy Tea  With Akhrot | Walnut: अखरोट के छिलकों को फेंके नहीं, इसका ऐसे करें  इस्तेमाल, शरीर को मिलेंगे कई फायदे

बता दें कि इससे आपकी नींद की समस्या खत्म हो जाएगी। अखरोट आयरन, पोटैशियम, जिंक और कैल्शियम से भरपूर होता है जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करता है और वजन कम करने में भी मदद करता है। इसी के साथ फाइबर की मात्रा शरीर को भरा रखती है जिससे आपको बार-बार स्नैकिंग से बचने में मदद मिल सकती है। ऐसे में आपना वजन भी कम होता है। मानव मस्तिषक के आकार का यह फल वाकई आपके मस्तिष्क के लिए बेहद फायदेमंद है। मौजूद ओमेगा 3 मस्तिष्क की समस्याओं को दूर कर तनाव कम करने में भी सहायक है। नियमित रूप से अखरोट को अपनी डाइट में शामिल कर आप मस्तिष्क को स्वास्थ बनाए रख सकते हैं। अखरोट का सेवन करने से कैंसर से बचाव किया जा सकता है। इससे प्रोस्टेट कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों का जोखिम कम हो सकता है।

अखरोट में पाई जाने वाली पॉलिफेनॉल इलागिटैनिन्स पाया जाता है जो कैंसर से सुरक्षित रखने में आपकी मदद करता है। हृदय रोग के खतरे को बहुत हद तक कम करता है। साथ ही याददाश्त के लिए बहुत अच्छा होता है।गौरतलब है कि दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों की मौत हृदय रोग के कारण होती है। इसीलिए हृदय को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी होता है। अध्ययन में पाया गया है कि अखरोट के सेवन से हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है क्योंकि अखरोट का तेल एंडोथेलियल फ़ंक्शन के लिए अधिक अनुकूल होता है।

अखरोट के फायदे और नुकसान - Walnuts Benefits and Side-effects in Hindi

बता दें कि फाइबर को टूटने और पचने में ज्यादा समय लगता है,इसलिए ये ब्लड स्ट्रीम में शुगर की स्पीड को इंश्योर करता है। गौरतलब है कि मोबाइल फोन के ज्यादा प्रयोग की आदत और दूसरे कारणों से आजकल बहुत से लोगों को नींद न आने की समस्या का सामना करना पड़ता है और आपको ये जानकर आश्चर्य हो सकता है कि ये ड्राई फ्रूट आपको बिस्तर पर पर्याप्त नींद देने में अच्छा है। नींद की परेशानी को दूर करने के लिए आपको अपने डेली की डाइट में अखरोट को शामिल करना चाहिए।(एजेंसी)

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US के डॉक्टरों ने किया कमाल, मानव शरीर में लगाई सूअर की किडनी, बढ़िया तरीके से कर रही काम

Posted on :15-Sep-2023
US के डॉक्टरों ने किया कमाल, मानव शरीर में लगाई सूअर की किडनी, बढ़िया तरीके से कर रही काम

दुनियाभर में कई ऐसे लोग हैं जो अंग दान के इंतजार में अपनी जिंदगी गुजार देते हैं, कई बार तो जरूरत के हिसाब से अंग ना मिल पाने की वजह से मौत ही हो जाती है. ह्युमन बॉडी पार्ट्स मिलना बहुत ही मुश्किल काम है. इस परेशानी से उबरने के लिए अब जानवरों के अंगों को ह्युमन बॉडी में ट्रांसप्लांट करने को लेकर प्रयोग किया जा रहा है, जिसमें डॉक्टर्स को सफलता भी हासिल हो रही है. फ्रांस प्रेस की खबर के मुताबिक हालही में अमेरिका के सर्जनों ने सूअर की किडनी को मानव शरीर में ट्रांसप्लांट कर इसे सफल पाया है. सर्जनों का कहना है कि मानव शरीर में प्रत्यारोपित की गई सूअर की किडनी 32 दिनों से बिल्कुल सही काम कर रही है.

मानव शरीर में लगाई सूअर की किडनी
अमेरिका के सर्जनों ने ब्रेन डेड घोषित एक व्यक्ति के शरीर में सूअर की किडनी को उसके जीन में बदलाव कर प्रत्यारोपित की थी. सर्जनों ने गुरुवार को बताया कि उन्होंने 61 दिन बाद इस प्रयोग को खत्म कर दिया है, क्यों कि सूअर की किडनी मानव शरीर में सही से काम कर रही है. इस सफलता के बाद डॉक्टर्स की उम्मीदें जोनोट्रांसप्लांट के क्षेत्र में काफी बढ़ गई हैं. बता दें कि जब किसी जानवर के अंग मानव शरीर में ट्रांसप्लांट किए जाते हैं तो उसे जोनोट्रांसप्लांट कहा जाता है.

पांचवा जोनोट्रांसप्लांट रहा सफल
अमेरिका में 103,000 से ज्यादा लोग बॉडी पार्ट्स के ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं, जिनमें से 88,000 को किडनी की जरूरत हैं. जुलाई महीने में सर्जरी को लीड करने वाले न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी लैंगोन ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के निदेशक रॉबर्ट मोंटगोमरी ने कहा कि उन्होंने पिछले दो महीने में काफी विश्लेषण और गहन अवलोकन किया और इससे बहुत कुछ सीखा है. अब वह भविष्य को लेकर काफी आशावादी हैं. बता दें कि सर्जन मोंटगोमरी ने यह पांचवा कथित जोनोट्रांसप्लांट था. उन्होंने सितंबर 2021 में दुनिया का पहला जीन मोडिफाइड सूअर की किडनी का ट्रांसप्लांट किया था. 

2022 में इंसान को लगाया था सूअर का हार्ट 

रिसर्च के दौरान लिए गए टिशू के सैंपल से संकेत मिलता है कि रिजेक्शन की हल्की प्रक्रिया शुरू हुई थी जिसके लिए 
 इम्यूनोसप्रेशन दवा की जरूरत थी. बता दें कि मानव शरीर में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सूअर को वर्जीनिया की बायोटेक कंपनी रेविविकोर द्वारा पाले गए झुंड से लाया गया था. बता दें कि जनवरी 2022 में, यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल स्कूल के सर्जनों ने एक जिंदा मरीज पर दुनिया का पहला ट्रांसप्लांट सूअर से मानव शरीर पर किया था.यह एक हार्ट ट्रांसप्लांट था. हालांकि दो महीने बाद उसकी मौत हो गई थी. मौत का कारण अंग मे पोर्सिन साइटोमेगालोवायरस पाया गया था.

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मधुमेह के पैर के अल्सर में एंडोवस्कुलर प्रबंधन के महत्व की पड़ताल-डॉक्टर शिवराज इंगोले

Posted on :12-Sep-2023
मधुमेह के पैर के अल्सर में एंडोवस्कुलर प्रबंधन के महत्व की पड़ताल-डॉक्टर शिवराज इंगोले

अनिल बेदाग

मुंबई : मधुमेह (डायबिटीज मेलिटस)  एक वैश्विक स्वास्थ्य चिंता है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। इसकी सबसे दुर्बल जटिलताओं में से एक मधुमेह संबंधी पैर के अल्सर (डीएफयू) का विकास है, जो अक्सर गंभीर संक्रमण, निचले छोर के विच्छेदन और मृत्यु दर में वृद्धि का कारण बनता है। सौभाग्य से, चिकित्सा प्रौद्योगिकी में प्रगति ने डीएफयू ( डायबेटिक फूट अल्सर) के प्रबंधन में एक आशाजनक दृष्टिकोण के रूप में एंडोवास्कुलर हस्तक्षेप पेश किया है। मुंबई के जे जे अस्पताल एवं ग्रांट मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर और इंटरवेंशनल रेडियोलाजिस्ट डॉक्टर शिवराज इंगोले कहते हैं कि यह निबंध मधुमेह के पैर के अल्सर में एंडोवस्कुलर प्रबंधन के महत्व की पड़ताल करता है, इसके लाभों, प्रक्रियाओं और रोगी के परिणामों पर संभावित प्रभाव पर प्रकाश डालता है।
      
मधुमेह संबंधी पैर के अल्सर को समझना

डीएफयू ( डायबेटिक फूट अल्सर) पुराने घाव हैं जो मुख्य रूप से न्यूरोपैथी, खराब परिसंचरण और प्रतिरक्षा शिथिलता के कारण मधुमेह वाले व्यक्तियों को प्रभावित करते हैं। ये अल्सर अक्सर मामूली आघात, दबाव या घर्षण के कारण होते हैं और अगर तुरंत इलाज न किया जाए तो ये तेजी से गंभीर जटिलताओं में बदल सकते हैं। प्रभावित क्षेत्र में संवेदना की कमी के कारण शीघ्र पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है, और विलंबित हस्तक्षेप से संक्रमण, ऊतक परिगलन और यहां तक ​​कि अंग विच्छेदन भी हो सकता है।

एंडोवास्कुलर प्रबंधन की भूमिका को लेकर डॉक्टर शिवराज कहते हैं कि एंडोवास्कुलर प्रबंधन एक न्यूनतम आक्रामक दृष्टिकोण है जिसने डीएफयू के उपचार में प्रमुखता प्राप्त की है। इसमें प्रभावित अंग में रक्त के प्रवाह को बहाल करने, अल्सर के विकास में योगदान देने वाले अंतर्निहित संवहनी मुद्दों को संबोधित करने के लिए विभिन्न तकनीकों और उपकरणों का उपयोग शामिल है। एंडोवास्कुलर प्रबंधन के प्रमुख तत्वों में एंजियोप्लास्टी, स्टेंट प्लेसमेंट और एथेरेक्टॉमी प्रक्रियाएं शामिल हैं।

एंजियोप्लास्टी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें संकुचित या अवरुद्ध धमनियों के भीतर एक गुब्बारे को फुलाया जाता है, जिससे प्रभावित पैर में रक्त के प्रवाह में सुधार होता है। यह गैर-सर्जिकल तकनीक उन मामलों में विशेष रूप से प्रभावी है जहां एथेरोस्क्लेरोटिक सजीले टुकड़े रक्त वाहिकाओं में बाधा डालते हैं, जिससे इस्किमिया होता है। कुछ मामलों में, पर्याप्त रक्त प्रवाह बनाए रखने के लिए अकेले एंजियोप्लास्टी पर्याप्त नहीं हो सकती है। स्टेंट लगाने में धमनी को खुला रखने के लिए उसमें एक छोटी धातु की ट्यूब (स्टेंट) डालना शामिल है। स्टेंट धमनी को दोबारा सिकुड़ने से रोकने और निरंतर रक्त आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद करती हैं।

एथेरेक्टॉमी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें धमनी की दीवारों से प्लाक के निर्माण को हटाना शामिल है। यह तकनीक विशेष रूप से फायदेमंद हो सकती है जब रुकावट भारी रूप से शांत हो जाती है, क्योंकि यह रक्त प्रवाह को बहाल करने और घाव भरने में सुधार करने में मदद करती है। एंडोवास्कुलर प्रबंधन रोगियों के समग्र परिणामों में काफी सुधार कर सकता है, क्योंकि यह न केवल अंगों को बचाता है बल्कि बार-बार होने वाले अल्सर और संबंधित जटिलताओं के जोखिम को भी कम करता है।

मधुमेह संबंधी पैर के अल्सर मधुमेह की एक चुनौतीपूर्ण और संभावित जीवन-घातक जटिलता का प्रतिनिधित्व करते हैं। एंडोवास्कुलर प्रबंधन तकनीकों के आगमन ने डीएफयू के इलाज के दृष्टिकोण में क्रांति ला दी है। अल्सर के विकास में योगदान देने वाले अंतर्निहित संवहनी मुद्दों को संबोधित करके, एंडोवस्कुलर प्रक्रियाएं अंगों को संरक्षित करने, घाव भरने में सुधार करने और रोगी के परिणामों को बढ़ाने के लिए न्यूनतम आक्रामक तरीका प्रदान करती हैं। जैसे-जैसे एंडोवास्कुलर चिकित्सा का क्षेत्र आगे बढ़ रहा है, यह मधुमेह के पैर के अल्सर के विनाशकारी परिणामों को कम करने और मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों के जीवन में सुधार लाने की बड़ी संभावनाएं रखता है।

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डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट काउंट बढाने के लिए ये 5 फूड्स रामबाण

Posted on :08-Sep-2023
डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट काउंट बढाने के लिए ये 5 फूड्स रामबाण

Health News : डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट काउंट बढाने के लिए पांच फूडस का सेवन करना चाहिए। इन पांच फूड्स का सेवन करने से प्लेटलेट काउंट में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है। विटामिन सी आपके शरीर में प्लेटलेट्स बढ़ाने और बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है। यह आयरन को अब्जॉर्ब करके प्लेटलेट काउंट बढ़ाता है।

ताजा रिपोर्ट के अनुसार कीवी फ्रूट खाने से प्लेटलेट काउंट तेजी से बढ़ता है। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है, जिसकी वजह से यह फल डेंगू के मरीजों के लिए वरदान है। नींबू, संतरा और अंगूर का सेवन करने से भी डेंगू के मरीजों को रिकवरी में मदद मिल सकती है। दूध पीने से भी प्लेटलेट काउंट को तेजी से बढ़ाने में मदद मिलती है। कई स्टडी में यह बात सामने आई है कि गाय का दूध प्लेटलेट्स प्रोडक्शन को बूस्ट कर सकता है। इसके अलावा डेंगू के मरीज कम मात्रा में दूध-पनीर और अंडा का सेवन कर सकते हैं। इन सभी चीजों में विटामिन बी 12 होता है, जो आपकी रक्त कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसकी कमी होने से प्लेटलेट्स की संख्या में गिरावट हो सकती है।

फोलेट एक विटामिन बी है, जो रक्त कोशिकाओं सहित आपकी कोशिकाओं को हेल्दी रखने में मदद करता है। इससे प्लेटलेट काउंट तेजी से बढ़ाने में कारगर माना गया है। अगर आप नेचुरल तरीकों से प्लेटलेट काउंट बढ़ाना चाहते हैं, तो मूंगफली और राजमा का सेवन कर सकते हैं। ये चीजें भी शरीर को कई फायदे देती हैं और शरीर को मजबूती प्रदान कर सकती हैं। कद्दू के बीज भी प्लेटलेट्स बढ़ा सकते हैं।आयरन से भरपूर फूड्स खाने से डेंगू के मरीजों के प्लेटलेट काउंट में जल्द उछाल आ सकता है। आयरन आपके शरीर की स्वस्थ रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक है। आप कुछ खाद्य पदार्थों से आयरन की भरपूर मात्रा प्राप्त कर सकते हैं।

इनमें मसूर की दाल और अन्य दालों का पानी है। इसके अलावा टमाटर, ब्रोकली, फूलगोभी जैसी सब्जियां प्लेटलेट्स बढ़ाने में काफी असरदार हो सकती हैं।डेंगू के मरीजों को नारियल पानी पीने की सलाह दी जाती है। एक अध्ययन के अनुसार, नारियल पानी के नियमित सेवन से हमारी लाल रक्त कोशिकाओं और हीमोग्लोबिन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।(एजेंसी)

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बच्चों में वायरल, टॉयफाइड व पीलिया रोग की समस्या, सतर्कता जरूरी:डॉ. सिंह।

Posted on :28-Aug-2023
बच्चों में वायरल, टॉयफाइड व पीलिया रोग की समस्या, सतर्कता जरूरी:डॉ. सिंह।

वरिष्ठ पत्रकार

उषा पाठक 

नयी दिल्ली : सुप्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.आर.बी.सिंह ने कहा है,कि बच्चों में इन दिनों वायरल, टॉयफाइड व पीलिया रोग की समस्या अधिक आ रही है,इसलिए सतर्कता जरूरी है। डॉ.सिंह ने यह बात एक इन्टरव्यू के दौरान कही। उन्होंने कहा कि खासकर बरसात के मौसम में हर साल इस तरह की समस्याएं आती है। उन्होंने कहा कि इस दौरान कभी कभी उल्टी एवं दस्त की शिकायतें भी आती हैं। 

डॉ.सिंह ने कहा कि इस समय में प्रायः वायरल बुखार होता है, जो सामान्यतया 5-7 दिनों में ठीक हो जाता है, इसके लिए कोई खास दवा लेने की जरूरत नहीं होती है। केवल अत्यधिक बुखार न हो इसके लिए पैरासिटामोल का इस्तेमाल किया जा सकता है।अन्य स्थिति में डाक्टरों की सलाह से ही दवा का इस्तेमाल करना चाहिए। 

कोरोना काल में बच्चों को मुफ्त चिकित्सा उपलब्ध करा चुके डॉ. सिंह ने कहा कि इस तरह की शिकायतें ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों से आ रही है, इसलिए सतर्कता बरतने की जरूरत है। खासकर बच्चे बाहर का खाना नहीं खाए, स्वच्छ पानी का उपयोग करें एवं जहां तक संभव हो आराम करें या घर से बाहर नहीं निकले,क्योंकि बाहर इंफेक्शन की समस्या अधिक होती है। अगर घर के कोई सदस्य इंफेक्शन से पीड़ित हैं, तो बच्चों को उनसे भी दूर रखना चाहिए। 

एक सवाल के जवाब में डॉ.सिंह ने कहा कि अभी तक कोई लक्षण नहीं दिखा है,कि कोरोना का प्रभाव है या कोरोना फिर से शुरू हो गया है, लेकिन सतर्कता जरूरी है। उन्होंने कहा कि बच्चों में बैसे तो कुछ न कुछ समस्याएं आती रहती है ,जैसे कम वजन का होना एवं पौष्टिक आहार लेने से आना कानी करना। इसलिए अभिभावकों को इन चीजों पर खास तौर से ध्यान देना चाहिए। एल.एस.

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ये 2 योगासन आपकी लटकती तोंद से छुटकारा दिला सकते हैं, देखे पूरी जानकारी

Posted on :24-Aug-2023
ये 2 योगासन आपकी लटकती तोंद से छुटकारा दिला सकते हैं, देखे पूरी जानकारी

Yoga For Belly Fat : अपने खानपान के साथ सुस्त लाइफस्टाइल को भी एक्टिव बनाया जाए। आइए जानते हैं ऐसे दो योगासनों के बारे में जिन्हें करने से कुछ दिनों में आपकी लटकती तोंद टोंन होने के साथ आपकी पतली कमर क

जरूरत से ज्यादा मोटापा न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक परेशानियों का भी कारण बनने लगता है। समय रहते अगर इसे कंट्रोल न किया जाए तो व्यक्ति का आत्मविश्वास कम होने के साथ उसे कई रोग भी घेरने लगते हैं। ऐसे में जरूरी है कि अपने खानपान के साथ सुस्त लाइफस्टाइल को भी एक्टिव बनाया जाए। आइए जानते हैं ऐसे दो योगासनों के बारे में जिन्हें करने से कुछ दिनों में आपकी लटकती तोंद टोंन होने के साथ आपकी पतली कमर का सपना भी पूरा हो जाएगा। 

पाद हस्तासन-

पादहस्तासन योग करने का तरीका और लाभ – Padahastasana Yoga Steps And Benefits  In Hindi

पादहस्तासन करते समय व्यक्ति को सीधे खड़े होकर अपने कूल्हों से झुकते हुए अपनी अंगुलियों के साथ अपने पैरों को छूने की कोशिश करनी है। कुछ देर इसी अवस्था में बने रहने के बाद शरीर को रिलैक्स करें। पाद हस्तासन के दौरान नीचे की ओर झुकने पर पेट पर दबाव पड़ने से पेट की चर्बी कम होने में मदद मिलती है।

त्रिकोणासन- 

त्रिकोणासन योग क्या है? जानें इसके फायदे, सावधानियां और इसे करने का सही  तरीका | How To Do Trikonasana And Its Benefits

त्रिकोणासन करने के लिए अपने दोनों पैरों को फैलाकर अपने हाथों को बाहर की ओर खोलते हुए सीधे हाथ को धीरे-धीरे नीचे की तरफ सीधे पैर की तरफ लेकर आएं। ऐसा करते हुए कमर को नीचे की ओर झुकाकर नीचे की तरफ देखें। अब सीधी हथेली को जमीन पर रखते हुए उल्टे हाथ को ऊपर की ओर ले जाएं और दूसरी तरफ भी यही प्रक्रिया दोहराएं। जितना हो सके इस अवस्था में गहरी सांस लेते रहें। त्रिकोणासन करने से वेट लॉस ही नहीं पेट और कमर में चर्बी  को कम करने में भी मदद मिलती है। इस आसन को करने से शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है और जांघों का भी फैट बर्न होता है।

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