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पानी की जगह शहद में मिलाकर खाएं डॉयफ्रूइट्स, मिलेगा दोगुना फायद : डॉ हृदयेश कुमार

Posted on :07-Oct-2024
पानी की जगह शहद में मिलाकर खाएं डॉयफ्रूइट्स, मिलेगा दोगुना फायद : डॉ हृदयेश कुमार

Health News : अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार ने शिव मंदिर तिरख़ा कॉलोनी बल्लबगढ़ फरीदाबाद में स्वास्थ हित के लिए जन सभा का आयोजन किया ड्राई फ्रूट्स को आप पानी में भिगोकर ही खाते हैं, अगर, मैं आपसे यह कहूं कि आप इसे पानी की जगह शहद में भिगोकर खाएं तो इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं. तो आप यकीन करेंगे. अगर, आपको इन बातों पर यकीन नहीं आ रहा है तो आजमाकर दे​खिए. 1-2 हफ्ते में ही आपको इसके परिणाम दिखाई देने लगेंगे. यह आयुर्वेद में भी वर्णित है कि अगर सूखे मेवा को शहद में भिगोकर खाते हैं तो इससे शरीर को ताकत मिलती है. ड्राई फ्रूट्स का स्वाद कई गुना बढ़ जाता है

आप वजन कम करने की सोच रहे हैं तो आपके लिए यह उपाए कारगर साबित होगा, जी नहीं. आप काजू, बादाम, अखरोट, छुहारा, अंजीर, प्लेन पिस्ता जैसे ड्राई फ्रूट्स को शहद में भिगोकर खा सकते हैं. आप चाहें को इसमें सीड्स भी मिला सकते हैं. बड़ा आसान है, जिस तरह से आप पानी में ड्राय फ्रूट्स को भिगोकर खाते हैं ठीक वैसे ही अपनी पसंद के ड्राय फ्रूट्स को शहद में भिगोकर खा सकते हैं. हां, ड्राय फ्रूट्स को आप दो हिस्सों में या पतला-पतला भी काट सकते हैं.

अगर, आप इसका स्वाद और बेहतर करना चाहते हैं तो इसमें खड़े मसाले जैसे- 3-4 हरी इलाइची, 4-5 काली मिर्च, 2 लौंग और 1 टुकड़ा दालचीनी हल्का कूटकर डाल सकते हैं. सारे ड्राय फ्रूट्स शहद में अच्छी तरह से मिल जाएं, इसके लिए आप इसे अच्छे से चला लें. ताकि इनके अंदर तक शहद अच्छी तरह से भर जाए.

सौंठ भी मिला सकते हैं

अगर, आप चाहें तो इस मिश्रण में 1 चम्मच सौंठ का पाउडर भी मिल सकते हैं. सौंठ स्वाद बढ़ाती है. यह गर्म तासीर की होती है तो यह रोगों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है. आप नियमित अपनी स्वेच्छा से 1-2 बार इस ​मिश्रण को खा सकते हैं.

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हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा पीने से दूर होती है ये 5 बीमारियाँ, घर पर ऐसे बनाएं काढ़ा

Posted on :04-Oct-2024
हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा पीने से दूर होती है ये 5 बीमारियाँ, घर पर ऐसे बनाएं काढ़ा

हरसिंगार: हरसिंगार के फूलों को परिजात के फूल के नाम से भी जाना जाता है। यह न सिर्फ आपके घर आंगन को खुशबूदार बनाता है, बल्कि आपके स्वास्थ्य के लिए भी हरसिंगार का पौधा काफी बेस्ट माना जाता है। इसके फूलों का इस्तेमाल कई तरह के किया जाता है, लेकिन इसकी पत्तियां भी स्वास्थ्य के लिहाज से कम नहीं है। हरसिंगार के पत्तों का प्रयोग भी कई तरह की परेशानियों को दूर करने के लिए किया जा सकता है। यह अर्थराइटिस में होने वाले दर्द से लेकर अस्थमा की परेशानियों को दूर करने में प्रभावी माना जाता है। आज इस लेख में हम आपको हरसिंगार के पत्तों (Parijat leaves Kadha Benefits ) का काढ़ा पीने से होने वाले फायदे और इसे किस तरह तैयार करें, इस बारे में विस्तार से बताएंगे। आइए जानते हैं हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा पीने से क्या फायदे हो सकते हैं?

अर्थराइटिस का करें इलाज

हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा पीने से आपके शरीर के कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण प्राप्त होते हैं, जो अर्थराइटिस में होने वाली सूजन और दर्द को कम कर सकते हैं। इससे जोड़ों में होने वाली दर्द और लालिमा को भी कम करने में मदद मिल सकती है।

गंजेपन का करे इलाज

हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा पीने से गंजेपन की परेशानी को कम किया जा सकता है। इसके काढ़े को आप कुछ दिनों तक अपने स्कैल्प पर एप्लाई करें। इससे कुछ ही दिनों में आपको झड़ते और बेजान बालों से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही इससे सफेद बालों की परेशानी को भी कम किया जा सकता है।

अस्थमा की परेशानी करे कम

हरसिंगार के पत्तों से तैयार काढ़ा का सेवन करने से अस्थमा की परेशानियों को कम किया जा सकता है। दरअसल, इसके पत्तों में एंटी-अस्थमैटिक और एंटी-एलर्जी गुण होते हैं, जो अस्थमा रोगियों को होने वाली परेशानियों से सुरक्षित रखते हैं। मुख्य रूप से इससे सांस संबंधी दिक्कतों को कम करने में मदद मिल सकती है।  

पेट में कीड़े को करे नष्ट

बच्चों को अक्सर पेट में कीड़े की परेशानी होने लगती है, जिसकी वजह से उन्हें पेट में दर्द, खुजली जैसी शिकायतें होने लगती है। इस स्थिति में हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इससे पेट में मौजूद कीड़े को नष्ट करने में मदद मिलती है। साथ ही यह आपके पाचन के लिए काफी अच्छा साबित हो सकता है।

डेंगू और चिकनगुनिया में है फायदेमंद

हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा पीने से डेंगू और चिकनगुनिया के दौरान होने वाली कमजोरी को दूर किया जा सकता है। साथ ही इससे शरीर के तापमान को कम करने में मदद मिल सकती है। अगर आपको डेंगू की दिक्कत है, तो एक बार अपने एक्सपर्ट से सलाह लेकर इसका सेवन जरूर करें। 

किस तरह तैयार करें हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा?

हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा तैयार करने के लिए सबसे पहले पत्तों को धोकर अच्छी तरह से सुखा लें। इसके बाद इन पत्तों को कूट लें। अब 2 कप पानी चढ़ाएं और इसमें कूटे हुए पत्तियों को डालकर आधा होने तक उबाल लें। जब पानी आधा हो जाए, तो इसे छानकर इसमें थोड़ा सा नींबू का रस मिक्स करके पिएं। ध्यान रखें कि इस काढ़ा का सेवन खाना खाने के बाद करें, खाने के बीच करीब 30 मिनट से लेकर 1 घंटे का गैप रखें। (एजेंसी)

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स्वस्थ के प्रति हर तरह से जागरूक कर रहे हैं आखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार

Posted on :01-Oct-2024
स्वस्थ के प्रति हर तरह से जागरूक कर रहे हैं आखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार

समाज हित में अनेक प्रकार से आम लोगों के साथ कनेक्ट हो कर रहे हैं स्वास्थ हित में कार्य 

रोजाना केला खाना किसी वरदान से कम नहीं है , मिलते हैं जबरदस्त फायदे डॉ हृदयेश कुमार 

रोजाना केला खाना किसी वरदान से कम नहीं है 

Health News : दुनिया में सबसे ज्यादा खाए जाने फल है केला है। केला में मिनरल और फाइबर से भरपूर होता है और इसके अनगिनत फायदे है।  एक रिपोर्ट के मुताबिक केला में मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट और फ्रुक्टोज, ग्लूकोज और सुक्रोज जैसे शर्करा होते हैं। ये सभी पदार्थ तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं। यही कारण है कि केला को खिलाड़ियों और सक्रिय जीवनशैली जीने वालों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसमें काफी मात्रा में फाइबर, खासकर पेक्टिन होता है, जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में मददगार होता है। यह स्वादिष्ट फल विटामिन बी6, विटामिन सी और पोटैशियम का भरपूर स्रोत है। केले में कई एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं।

यह हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है क्योंकि इसमें पोटेशियम भरपूर मात्रा में होता है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है और हृदय रोग के जोखिम को कम करता है। केले में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और कब्ज के साथ-साथ पेट के अल्सर को कम करने में मदद करता है।

इसमें ट्रिप्टोफैन नामक एमिनो एसिड होता है, जो सेरोटोनिन में बदल जाता है। सेरोटोनिन मूड को ठीक करने और तनाव को कम करने में मदद करता है। केले में विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ बनाते हैं। इसमें एंटी-एजिंग गुण भी होते हैं।

केला का सेवन किडनी की कार्यप्रणाली को भी बेहतर बनाता है क्योंकि इसमें पोटैशियम भरपूर मात्रा में होता है और यह किडनी स्टोन के खतरे को कम करता है। इसमें मौजूद उच्च फाइबर अधिक खाने से रोकता है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और वजन कम करने में मदद करता है।

विटामिन बी6 और पोटैशियम के अलावा केले में कुछ मात्रा में कैल्शियम भी होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। नियमित रूप से केला खाने से हड्डियों का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है  केला में विटामिन सी और बी6 होता है, जो कई बीमारियों से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है। कई शोधों से पता चला है कि मधुमेह के रोगी भी केला खा सकते हैं क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।

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अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार ने शिव मंदिर परिसर तिरखा कॉलोनी बल्लबगढ़ फरीदाबाद में बदलते हुए मौसम में स्वस्थ के लिए आम लोगों को टिप्स दिए : - डॉ हृदयेश कुमार

Posted on :30-Sep-2024
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार ने शिव मंदिर परिसर तिरखा कॉलोनी बल्लबगढ़ फरीदाबाद में बदलते हुए मौसम में स्वस्थ के लिए आम लोगों को टिप्स दिए : - डॉ हृदयेश कुमार

फरीदाबाद : अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार ने शिव मंदिर परिसर तिरखा कॉलोनी बल्लबगढ़ फरीदाबाद में बदलते हुए मौसम में स्वस्थ के लिए आम लोगों को टिप्स देते हुए बताया कि आपके दिल को मजबूत करने के लिए 10 युक्तियाँ अपने दिल की देखभाल करना समग्र स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए आवश्यक है। अपनी दिनचर्या में सरल लेकिन प्रभावी आदतों को शामिल करने से आपके दिल के स्वास्थ्य और कार्य में काफी सुधार हो सकता है। 

स्वस्थ आहार बनाए रखें: फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और स्वस्थ वसा से भरपूर आहार चुनें। संतृप्त वसा, ट्रांस वसा, कोलेस्ट्रॉल और सोडियम का सेवन कम करें। संतुलित आहार आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करके और हृदय रोग के जोखिम को कम करके हृदय स्वास्थ्य का समर्थन करता है।

नियमित रूप से व्यायाम करें: हर हफ़्ते कम से कम 150 मिनट तक तेज़ चलना, जॉगिंग, साइकिल चलाना या तैराकी जैसे एरोबिक व्यायाम करें। इसके अलावा, हृदय की मांसपेशियों की ताकत और समग्र हृदय संबंधी फिटनेस को बेहतर बनाने के लिए सप्ताह में दो दिन शक्ति प्रशिक्षण अभ्यास शामिल करें।

तनाव का प्रबंधन करो: लगातार तनाव दिल की सेहत पर नकारात्मक असर डाल सकता है। तनाव कम करने की तकनीकें अपनाएँ जैसे गहरी साँस लेना, ध्यान, योग, या शौक जो विश्राम और भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देते हैं। धूम्रपान से हृदय और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिससे हृदयाघात का खतरा बढ़ जाता है। हृदय रोग. धूम्रपान छोड़ना यह जोखिम काफी हद तक कम हो जाता है और समग्र हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है।

उच्च रक्तचाप हृदय पर दबाव पड़ता है और हृदय रोग का जोखिम बढ़ जाता है। अपने रक्तचाप की नियमित निगरानी करें और इसे स्वस्थ सीमा में रखने के लिए अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के साथ मिलकर काम करें।

कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करें: एलडीएल कोलेस्ट्रॉल ("खराब" कोलेस्ट्रॉल) के उच्च स्तर से धमनियों में प्लाक का निर्माण हो सकता है, जिससे दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। आहार, व्यायाम और निर्धारित दवाओं के माध्यम से स्वस्थ कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखें।

पर्याप्त नींद लो: खराब नींद की गुणवत्ता या अपर्याप्त नींद रक्तचाप को बढ़ा सकती है और हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकती है। हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए प्रति रात 7-9 घंटे की अच्छी नींद लेने का लक्ष्य रखें। अत्यधिक शराब का सेवन रक्तचाप बढ़ा सकता है और हृदय रोग में योगदान दे सकता है। 

हाइड्रेटेड रहना: पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से स्वस्थ रक्त मात्रा बनाए रखने में मदद मिलती है और हृदय के लिए पूरे शरीर में कुशलतापूर्वक रक्त पंप करना आसान हो जाता है।

हृदय वाल्व को प्राकृतिक रूप से मजबूत बनाना

हृदय के माध्यम से रक्त के प्रवाह को विनियमित करने में हृदय वाल्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन वाल्वों को स्वस्थ रखना और सही ढंग से काम करना एक मजबूत, कुशल हृदय को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। 

हृदय-स्वस्थ खाद्य पदार्थों का सेवन करें: एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें, ओमेगा - 3 फैटी एसिड, और अन्य पोषक तत्व जो हृदय के स्वास्थ्य का समर्थन करते हैं, जैसे पत्तेदार साग, वसायुक्त मछली, नट्स और जामुन।

हाइड्रेटेड रहना: भरपूर मात्रा में पानी पीने से आपके हृदय वाल्वों की लचीलापन और कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है।

दीर्घकालिक तनाव हृदय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए ध्यान, योग या गहरी सांस लेने के व्यायाम जैसी तनाव कम करने वाली गतिविधियों में शामिल हों। अधिक वजन आपके दिल और उसके वाल्व पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है। 

हृदय को मजबूत बनाने वाले व्यायाम

नियमित शारीरिक गतिविधि आपके हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करने और इसके समग्र कार्य को बेहतर बनाने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। यहाँ कुछ व्यायाम दिए गए हैं जो आपके हृदय को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं:

एरोबिक व्यायाम: सप्ताह के अधिकांश दिनों में प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तेज चलना, जॉगिंग करना, तैरना या साइकिल चलाना जैसी गतिविधियों में भाग लें।

मज़बूती की ट्रेनिंग: मांसपेशियों के निर्माण और हृदय संबंधी फिटनेस में सुधार के लिए प्रतिरोध व्यायाम, जैसे भारोत्तोलन या शरीर के वजन वाले व्यायाम, को शामिल करें।

हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT): HIIT वर्कआउट, जिसमें तीव्र व्यायाम के बीच में विश्राम का समय भी शामिल होता है, हृदय को मजबूत बनाने में अत्यधिक प्रभावी हो सकता है।

योग और पिलेट्स: ये कम प्रभाव वाले व्यायाम लचीलेपन, संतुलन और समग्र हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।

एक पर्यवेक्षित हृदय पुनर्वास कार्यक्रम में भाग लेने से आपको धीरे-धीरे अपनी शारीरिक गतिविधि बढ़ाने और अपने हृदय की कार्यप्रणाली में सुधार करने में मदद मिल सकती है।

दाने और बीज: बादाम, अखरोट और अलसी में स्वस्थ वसा, फाइबर और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।

साबुत अनाज: ओट्स, क्विनोआ और ब्राउन राइस फाइबर के उत्कृष्ट स्रोत हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।

पत्तेदार साग: पालक, केल और अन्य पत्तेदार सब्जियां विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं जो हृदय की रक्षा करने में मदद कर सकती हैं। निष्कर्ष

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विश्व फार्मासिस्ट दिवस पर जानिए कुछ रोचक तथ्य, स्वास्थ्य देखभाल में फार्मासिस्टों का अहम योगदान।

Posted on :25-Sep-2024
विश्व फार्मासिस्ट दिवस पर जानिए कुछ रोचक तथ्य, स्वास्थ्य देखभाल में फार्मासिस्टों का अहम योगदान।

हर साल 25 सितंबर को वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे मनाया जाता है।

यह दिन हेल्थ केयर फील्ड में फार्मासिस्ट के अहम योगदान को उजागर करता है।

ऐसे में यह दिन उनके योगदान के प्रति आभार जताने का एक अच्छा जरिया है।

नई दिल्ली: दुनियाभर में आज का दिन फार्मासिस्ट डे के रूप में मनाया जा रहा है। यह दिन हर साल 25 सितंबर को मनाया जाता है। इसे मनाने का मकसद दुनियाभर के फार्मासिस्ट्स के मेडिकल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालता है। यह दिन ग्लोबल हेल्थ सिस्टम में फार्मासिस्ट्स के योगदान की सराहना करने और उसे उजागर करने के लिए हर साल मनाया जाता है। ऐसे में World Pharmacist Day के मौके पर आज जानेंगे इस दिन से जुड़ी कुछ जरूरी बातों के बारे में-

फार्मासिस्ट डे का इतिहास

इस तारीख का अपना अलग ऐतिहासिक महत्व है। दरअसल, यह वही दिन है, जब साल 1912 में इंटरनेशनल फार्मास्युटिकल फेडरेशन (एफआईपी) का गठन हुआ था। इसके बाद साल 2009 में एफआईपी परिषद ने फार्मासिस्ट्स को लेकर लोगों की समझ को बढ़ाने के मकसद से इस्तांबुल, तुर्की में एक सम्मेलन के दौरान वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे को औपचारिक रूप से मान्यता दी थी और तब से आज तक इस दिन को मनाया जा रहा है।विश्व फार्मासिस्ट दिवस की स्थापना 2009 में अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल फेडरेशन (FIP) द्वारा की गई थी।इसे पहली बार 25 सितम्बर 2010 को मनाया गया था।यह तिथि 1912 में एफआईपी की स्थापना के उपलक्ष्य में चुनी गई थी।इस दिवस का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा में फार्मासिस्टों की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।यह सुरक्षित और प्रभावी दवा उपयोग के महत्व पर प्रकाश डालता है।विश्व फार्मासिस्ट दिवस वैश्विक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में फार्मेसी पेशे के महत्व को बढ़ावा देता है। अपनी स्थापना के बाद से, यह दिवस दुनिया भर के फार्मासिस्टों के सम्मान में सभी देशों द्वारा मनाया जाता रहा है।

विश्व फार्मासिस्ट दिवस क्या है?

विश्व फार्मासिस्ट दिवस प्रतिवर्ष 25 सितम्बर को मनाया जाता है।
यह स्वास्थ्य सेवा में फार्मासिस्टों की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने के लिए एक वैश्विक उत्सव है।
यह दिवस सुरक्षित और प्रभावी दवा उपयोग के महत्व पर जोर देता है।
फार्मासिस्ट दुनिया भर में मरीजों के स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
यह दिन फार्मेसी पेशे के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।(एजेंसी)

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लोग अपने तलवों पर सरसों का तेल क्यों मलते हैं? जानिए क्या हैं इसके फायदे

Posted on :23-Sep-2024
लोग अपने तलवों पर सरसों का तेल क्यों मलते हैं? जानिए क्या हैं इसके फायदे

सरसों के तेल से पैरों की मालिश के फायदे: ज्यादातर भारतीयों घरों में खाना बनाने में खासकर सब्जी बनाने के लिए सरसों तेल का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा माना भी जाता है कि सरसों तेल स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है. सिर्फ इतना ही नहीं यह कई सारे पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसमें हेल्दी फैट्स भी होते हैं. सरसों के तेल में पॉलीअनसेचुरेटेड और मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है. जो शरीर के लिए बहुत अच्छा होता है.

इसमें ओमेगा-3, 6 जैसे सैचुरेटेड फैट होते हैं. आज लेकिन आपको हम इसके खाने के नहीं बल्कि तलवे में लगाने के फायदे के बारे में विस्तार से बताएंगे. यह त्वचा को नैचुरल तरीके से मॉइस्चराइज करने का काम करता है. पैर के तलवों पर सरसों का तेल लगाने या मालिश करने से कई स्वास्थ्य से जुड़े फायदे होते हैं. इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे सरसों का तेल लगाने के फायदे. आज हम आपको इसे लगाने का सही तरीका बताएंगे.

तलवों पर सरसों के तेल की मालिश के फायदे 

सरसों का तेल आयुर्वेद में सेहत के लिए काफी कारगर कहा गया है. इसके सेवन के साथ साथ इसकी मालिश से भी मसल्स को काफी आराम मिलता है. दरअसल सरसों के तेल की मालिश से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है और शारीरिक गतिविधियों में तेजी आती है. ऐसे में अगर आप रात के समय तलवों पर सरसों के तेल की मालिश करेंगे तो पैरों की थकान दूर होगी और आपके माइंड को भी काफी रिलेक्स मिलेगा. ऐसे में आपको भरपूर और गहरी नींद आ जाएगी. जिन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पेट में ऐंठन और दर्द की शिकायत रहती है, उनको रात को सोने से पहले तलवों पर सरसों के तेल की मालिश करनी चाहिए. इससे पीरियड्स क्रेंप में काफी आराम मिलता है और मसल्स रिलेक्स होते हैं. (एजेंसी)

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संजीवनी बूटी से कम नहीं है ये लकड़ी, पेट से लेकर गले तक है असरदार, जानें उपयोग और फायदे

Posted on :18-Sep-2024
संजीवनी बूटी से कम नहीं है ये लकड़ी, पेट से लेकर गले तक है असरदार, जानें उपयोग और फायदे

मुलेठी : डॉ राजकुमार (डी. यू. एम) ने बताया कि मुलेठी में कई औषधीय गुण होते हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में सहायक हैं।  इसका वैज्ञानिक नाम Glycyrrhiza glabra है. इसमें ग्लिसराइजिक एसिड पाया जाता है, जो सूजन को कम करने और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। 

मुलेठी एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोग किया जाता है। इसके जड़ में मौजूद तत्व कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं।  यह मुख्य रूप से खांसी, गले की खराश, पाचन समस्याओं और जुखाम के इलाज में उपयोगी है. इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणों के कारण यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। मुलेठी का नियमित सेवन तनाव को कम करता है और त्वचा की समस्याओं को भी ठीक करता है। 

मुलेठी के औषधीय गुण

लोकल 18 के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित कायाकल्प हर्बल क्लिनिक के डॉ राजकुमार (डी. यू. एम) ने बताया कि मुलेठी में कई औषधीय गुण होते हैं,जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में सहायक हैं। इसका वैज्ञानिक नाम Glycyrrhiza glabra है.इसमें ग्लिसराइजिक एसिड पाया जाता है, जो सूजन को कम करने और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण गले की खराश, खांसी और श्वसन तंत्र की समस्याओं को दूर करने में प्रभावी होते हैं। मुलेठी पाचन तंत्र को सुधारने में सहायक होती है और पेट की गैस, एसिडिटी और अल्सर जैसी समस्याओं को कम करती है। यह तनाव कम करने, इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और त्वचा संबंधी विकारों के इलाज में भी उपयोगी है। 

मुलेठी के फायदे

मुलेठी के कई स्वास्थ्यवर्धक फायदे हैं।  यह खांसी, जुकाम और गले की खराश को ठीक करने में प्रभावी है, क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। मुलेठी पाचन तंत्र को सुधारती है और एसिडिटी, पेट की गैस व अल्सर जैसी समस्याओं से राहत देती है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है, जिससे शरीर संक्रमण से बेहतर ढंग से लड़ पाता है।  तनाव और थकान को कम करने में भी यह सहायक है।  इसके अलावा, मुलेठी त्वचा की समस्याओं और सूजन को दूर करने में मदद करती है। जिससे त्वचा स्वस्थ और साफ रहती है। (एजेंसी)

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क्या आपको भी है सेल देखकर कपड़े खरीदने की बीमारी? सावधान! आपकी लत बिगाड़ रही पर्यावरण की सूरत

Posted on :11-Sep-2024
क्या आपको भी है सेल देखकर कपड़े खरीदने की बीमारी? सावधान! आपकी लत बिगाड़ रही पर्यावरण की सूरत

 फैशन पॉल्यूशन: हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग हैं जो उत्साहित होकर शॉपिंग करते हैं और उन्हें इस बात का एहसास तक नहीं होता कि अपनी इस आदत पर वे कितना समय, श्रम और पैसा बर्बाद कर रहे हैं। दरअसल, किसी तरह की चिंता से ग्रस्त इन लोगों के लिए शॉपिंग स्ट्रेस बस्टर बन जाती है और शॉपिंग न कर पाने पर नकारात्मक भावनाएं घेर लेती हैं।

कपड़ों से बढ़ रहा फैशन पॉल्यूशन
लड़के हों या लड़कियां, उनके वॉर्डरोब में भले ही कितने कपड़े हों लेकिन शादी या फेस्टिवल में वह तुरंत मॉल से या ऑनलाइन ड्रेस ऑर्डर कर लेते हैं। दरअसल, ड्रेसिंग स्टाइल अब स्टेटस सिंबल है। शोऑफ के चलते यंगस्टर ड्रेस को रिपीट नहीं करना चाहते और उनकी यही आदत फैशन पॉल्यूशन को बढ़ा रही है। फैशन इंडस्ट्री से 10% कार्बन डाइऑक्साइड निकल रही है। इंडियन टेक्सटाइल जनरल के मुताबिक भारत में हर साल 10 लाख टन से ज्यादा टेक्सटाइल वेस्ट निकलता है। वहीं, लोग हर साल 10 लाख कपड़ें फेंक देते हैं। यह फेंके हुए कपड़े या तो जला दिए जाते हैं या डंपिंग ग्राउंड पर गलते रहते हैं।  इससे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड फैल रही हैं। वहीं, अधिकतर कपड़े सिंथेटिक फैब्रिक से बनते हैं इसलिए इनसे माइक्रोप्लास्टिक के कण जमीन और पानी में मिलकर उसे प्रदूषित कर रहे हैं। 

शॉपिंग की लत भी इसका कारण
कुछ लोगों को कंपल्सिव बाइंग डिसऑर्डर होता है जिसे आसान भाषा में शॉपिंग की लत कहते हैं।  ऐसे लोगों को कपड़ों पर पैसा खर्च करने से खुशी मिलती है। अमेरिकन साइकेट्रिक असोसिएशन ने शॉपिंग के एडिक्शन को भले ही कोई डिसऑर्डर ना माना हो, लेकिन कई रिसर्च इसे बीमारी ही मानती हैं। यह डिसऑर्डर लड़कों से ज्यादा लड़कियों में दिखता है। हेल्थलाइन के अनुसार ऐसे लोगों का इलाज बिहेवियरल थेरेपी और काउंसलिंग के जरिए किया जा सकता है।   

पुराने कपड़ों को करें सेल
आजकल ऐसी कई वेबसाइट्स हैं, जो लोगों को उनके पुराने कपड़े या डिफेक्टेड अनयूज्ड कपड़ों को बेचने का मौका देती है। इससे उन्हें पैसा कमाने का मौका भी मिलता है। यह कंपनियां पुराने कपड़ों को रिपेयर और री-डिजाइन कर कम दामों पर लोगों को री-सेल कर देती है। इसे री-लव और प्री-लव फैशन कहा जाता है। फैशन पॉल्यूशन को रोकने का यह एक बेहतरीन तरीका है। 

सोच समझकर खरीदें कपड़े
गारमेंट वेस्ट दुनिया के साथ-साथ भारत के लिए भी सिरदर्द बन गया है। एलन मैकआर्थर फाउंडेशन के अनुसार भारत में 2 में से 1 व्यक्ति कपड़े बिना पहने ही फेंक देता है। फैशन डिजाइनर भावना जिंदल कहती हैं कि फैशन का बाजार तेजी से उभरा है। ऑनलाइन और ऑफलाइन कस्टमर के पास कई वैरायटी की ड्रेसेज के विकल्प मौजूद हैं। सालभर चलने वाली सेल और डिस्काउंट ग्राहकों को आकर्षित करते हैं, जिसकी वजह से जरूरत ना होने पर भी लोग बेवजह कपड़े खरीदते रहते हैं। कपड़े तभी खरीदें जब जरूरत हो।  

पुराने कपड़ों को करें रिपीट या रीडिजाइन
आलिया भट्ट ने अपनी शादी की साड़ी को नेशनल फिल्म अवॉर्ड में पहना रिपीट किया। यमी गौतम ने शादी पर अपनी मां की 33 साल पुरानी लाल साड़ी पहनी जिसे उन्होंने अपनी मम्मी के दुपट्टे से ही पेयर किया। जब बॉलीवुड एक्ट्रेस पुराने कपड़े को रिपीट या रीडिजाइन कर सकती हैं, तो सब कर सकते हैं।  फैशन डिजाइनर भावना जिंदल के अनुसार पहले के जमाने में दादी-नानी बहू-बेटियों को अपनी साड़ी पहनने को देती थीं। जब बच्चा होता था तो उसे अपने बड़े भाई-बहनों के कपड़े पहनाए जाते थे। अगर इस ट्रेडिशनल को दोबारा अपनाया जाए तो पर्यावरण कपड़ों से दूषित नहीं होगा।(एजेंसी)  

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जानिए डेंगू बुखार के लक्षण क्या हैं? मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए बरतें ये सावधानियां

Posted on :11-Sep-2024
जानिए डेंगू बुखार के लक्षण क्या हैं? मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए बरतें ये सावधानियां

Dengue Infection:  डेंगू इंफेक्शन के मामले बढ़ रहे हैं और कई लोगों की मौत दर्ज की गई है। यह मच्छर जनित जानलेवा बीमारी है, जो मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी मच्छर से फैलती है। खासकर मानसून के मौसम में जब मच्छरों की संख्या सबसे अधिक होती है और जनता के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि डेंगू कैसे फैलता है और इसे रोकने के लिए तुरंत कौन से कदम उठाने की जरूरत है।

इस साल भारत में डेंगू के मामलों में काफी तेजी देखी गई है, जिसने कई राज्यों के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों को प्रभावित किया है। रेड क्रॉस सोसाइटी के चेयरपर्सन डॉ. सुभाष गुप्ता ने बताया कि मच्छर बढ़ने का कारण ठहरा हुआ पानी, कचरे को ढंग से न फेंकना और अनियंत्रित शहरीकरण है। इसके अलावा रोकथाम के उपायों की कमी और इस बीमारी के बारे में जागरूकता की कमी ने डेंगू वायरस के तेजी से फैलने में भूमिका निभाई है।

डेंगू इंफेक्शन के लक्षण

डेंगू बुखार एक वायरस है जो फ्लू जैसे लक्षण पैदा कर सकता है। जैसे तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, थकान, मतली और त्वचा पर लाल चकत्ते। गंभीर मामलों में यह हेमरेजिक फीवर का कारण बन सकता है, जिससे इनर ब्लीडिंग, ऑर्गन फेल और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है। डेंगू वायरस के चार प्रकार हैं और एक व्यक्ति को अपनी जिंदगी में एक से ज्यादा बार यह इंफेक्शन हो सकता है। दूसरी बार डेंगू संक्रमण पहले से अधिक गंभीर हो सकता है।


मच्छरों के पनपने वाले स्थानों पर ध्यान दें

मच्छर अपने अंडे स्थिर पानी में देते हैं। फूलों के गमले, बाल्टी, पक्षियों के पानी पीने के स्थान और छोड़ी गई वस्तुओं जैसे कंटेनरों को खाली करें, ढकें या उन पर कीटनाशक का छिड़काव करें। समुदाय और स्थानीय सरकारी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी खुले वाटर सोर्स का नियमित रूप से कीटनाशकों से उपचार किया जाए और नालों को साफ रखा जाए।

पर्सनल सेफ्टी के साथ-साथ मच्छरों की पैदा होने वाली संभावित जगहों को खत्म करने के लिए मिलकर कदम उठाने की जरूरत है। पानी की टंकियां, गमले, छोड़े हुए टायर और वह कोई भी वस्तु जिसमें लंबे समय तक पानी भरा हो, जैसी जगहों पर नियमित रूप से नजर रखनी चाहिए क्योंकि एडीज मच्छर साफ और स्थिर पानी में पनपते हैं।

लोगों को स्वयं सावधानी बरतनी चाहिए

मच्छरों के काटने से बचने के लिए लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए। त्वचा के खुले हिस्सों को ढकने के लिए लंबी बाजू की शर्ट और पूरी लंबाई की पैंट पहनें, खासकर सुबह और शाम के समय जब मच्छर सबसे अधिक सक्रिय होते हैं। डीईईटी या पिकारिडिन युक्त रिपेलेंट्स के उपयोग से भी सुरक्षा प्राप्त की जा सकती है। घर पर एयर कंडीशनिंग, मच्छरदानी और खिड़कियों पर जाली लगाकर मच्छरों को दूर रखा जा सकता है।

लक्षणों को पहचानें और शीघ्र उपचार लें

यदि आपको तेज बुखार, सिरदर्द, मतली, उल्टी या आंखों के पीछे दर्द जैसे लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। सही समय पर देखभाल और इलाज से गंभीर डेंगू को रोका जा सकता है। इसमें दर्द का इलाज और पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन शामिल होता है।(एजेंसी )

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आपको भी बहुत ज्यादा गर्म खाने और पीने की है आदत? तो अभी सुधारें.ये सेहत को पहुंचाता है भारी नुकसान : डॉ हृदयेश कुमार

Posted on :09-Sep-2024
आपको भी बहुत ज्यादा गर्म खाने और पीने की है आदत? तो अभी सुधारें.ये सेहत को पहुंचाता है भारी नुकसान : डॉ हृदयेश कुमार

Health News : अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार समाज सेवा के साथ साथ समाज हित में अनेक प्रकार से लोगों को स्वास्थ के लिए जागरूक कर उनको उनकी ही ज़िम्मेदारी से बता रहे हैं कि किस प्रकार से अपने आप को स्वस्थ बनाए और बेहतर तरीके से जीवन का सद्प्रयोग कर जीवन का आनंद लें डॉ हृदयेश कुमार ने शिव मंदिर तिरखा कॉलोनी में श्री गणेश चतुर्थी के अवसर पर सभी कॉलोनी निवासीयों को जागरूक करते हुए बताया आपने देखा होगा कि बहुत लोग गरमा-गरम चाय पीना पसंद करते हैं.

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गरमा-गरम खाना खाना पसंद करते हैं. कई बार तो लोग बरसात में भीगने के बाद गर्म चाय, सूप, खिचड़ी खाते हैं, इससे ये लोग मानते हैं कि मूड अच्छा हो जाता है. थकान तुरंत दूर हो जाती है. बेहतर महसूस करते हैं. मगर, क्या आप जानते हैं कि गर्म खाना आपकी हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है. 

उमस या गर्मी वाले मौसम में अगर आप गर्म खाना खाते हैं तो इससे आपकी आंतों को भी नुकसान पहुंच सकता है. आंतों में जलन और गर्मी बढ़ सकती है. बहुत गर्म खाना खाने वाले लोगों की कई बार जीभ जल जाती है. इससे जीभ पर छाले पड़ सकते हैं जिसकी वजह से आपको लंबे समय तक दर्द और तकलीफ हो सकती है.

गर्म खाना आपके दांतों को नुकसान पहुंच सकता है. दांतों की ऊपरी परत (इनेमल) डैमेज हो सकती है. दांतों का रंग खराब हो सकता है और टूथ सेंसिटिविटी बढ़ सकती है. अगर, आप गर्म खाने के शौकीन है तो आपने यह कई बार महसूस किया होगा. इसके साथ ही बहुत गर्म खाना खाने वाले लोगों गले में सूजन ​की शिकायत रहती है. इससे फूड पाइप से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं
गर्म खाना खाने से पेट संबंधी बीमारियां पनप सकती हैं. पेट की स्किन जल सकती है. पेट में छाले पड़ जाते हैं. जिसके चलते एसिडिटी, उल्टी और पेट में जलन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं.

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अगर आप पहली बार हरतालिका व्रत रख रहे हैं, तो जानिए इसकी पूजा विधि

Posted on :04-Sep-2024
अगर आप पहली बार हरतालिका व्रत रख रहे हैं, तो जानिए इसकी पूजा विधि

Hartalika Teej : हरतालिका तीज हिंदू धर्म का एक प्रमुख व्रत है, जो भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। हरतालिक तीज व्रत पति की लंबी उम्र और सफल वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है। तीज का पहली बार व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए जानने लायक जरूरी बातें। भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विशेष महत्व है और कहा जाता है कि हरतालिका तीज का व्रत कुंवारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। हरतालिका तीज व्रत बिना अन्न और जल के रखा जाता है।

मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था। हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पंडित जी ने बताया की हरतलिका व्रत के लिए किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। और किस विधि से पूजा करना चाहिए। 

पूजा-अर्चना से मिलता है विशेष आशीर्वाद

हरतालिका तीज व्रत का पौराणिक महत्व के बारे में बताया की हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में माता में मनाया जाता है, एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था, और भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई। 

इस दौरान भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की आराधना में मग्न होकर रात्रि जागरण किया,माता पार्वती के कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती जी की इच्छानुसार उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया तभी से अच्छे पति की कामना और पति की दीर्घायु के लिए कुंवारी कन्या और सौभाग्यवती स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। 

हरतालिका तीज व्रत के नियम 

• जो भी महिलाएं एक बार हरतालिका तीज व्रत को रखना शुरू कर देती है उसके बाद इस व्रत को पूरे जिंदगी भर रखना होता है, इस व्रत को बंद नही कर सकते है। 

• यह हरतालिका तीज एक निर्जला व्रत है, इसमें किसी भी प्रकार से अन्न-जल ग्रहण नहीं किया जाता है। हरतालिका तीज पूजन प्रदोष काल यानी शाम के समय सूर्य के डूबने के समय और रात होने से पहले किया जाता है। 

• इस दिन व्रती महिलाओं को रातभर जगराता कर भजन-कीर्तन करना चाहिए और जागकर मिट्टी के बनाए शिवलिंग की प्रहर अनुसार पूजा करनी चाहिए है, अगले दिन मां पार्वती की पूजा-आरती कर सिंदूर चढ़ाया जाता है और व्रत का पारण ककड़ी या खीरा और हलवे से किया जाता है। 

• हरतालिका तीज की पूजा और उपवास का संकल्प लेकर व्रत को शुरू करना चाहिए, और व्रत के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा जरूर सुनना चाहिए, व्रत के दिन मेहंदी सहित 16 श्रृंगार करना अनिवार्य है। 

• पूजा के लिए शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाकर पूजा करते हैं और अगले दिन सुबह इन्हें विधिवत विसर्जित करने के बाद पारण ही किया जाता है। 


• पूजा के समय सुहाग की सामान माता पार्वती को अर्पित करते हैं। पूजा के बाद सुहाग की सामग्री को किसी ब्राह्मण स्त्री या गरीब विवाहित महिला को दे देना चाहिए इससे व्रत का पुण्य फल बढ़ जाता है। 

• इनके साथ ही हरियाली तीज के काला कपड़ा धारण नही करना चाहिए, व्रत के दिन सोना नहीं चाहिए, अन्यथा व्रत भंग हो जाता है।(एजेंसी)

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शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करेंगी 5 फूड्स, आज से ही बना लें अपनी डाइट का हिस्सा

Posted on :03-Sep-2024
शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करेंगी 5 फूड्स, आज से ही बना लें अपनी डाइट का हिस्सा

Hemoglobin Level: शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाए, तो एनीमिया की कंडीशन पैदा हो जाती है। आमतौर पर हीमोग्लोबिन के जरिए शरीर में खून के स्तर का अनुमान लगाया जाता है। हीमोग्लोबिन शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन ले जाने का काम करता है। जब हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है, तो लोगों को थकान, कमजोरी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए खाने-पीने का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। कई फूड्स में ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो तेजी से हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ा सकते हैं। 

आयरन हीमोग्लोबिन प्रोडक्शन को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है और इससे एनीमिया से छुटकारा मिल सकता है। हालांकि जिन लोगों में हीमोग्लोबिन की कमी खाने-पीने से दूर नहीं हो पाती है, उन्हें डॉक्टर आयरन सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं, ताकि शरीर में इस जरूरी तत्व की कमी न रहे। 

हरी पत्तेदार सब्जियां

पालक को आयरन का बेहतरीन सोर्स माना जा सकता है. पालक खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन प्रोडक्शन बढ़ सकता है। इसमें विटामिन C भी होता है, जो आयरन के अब्जॉर्प्शन को बेहतर बनाता है। पालक खाना बेहद लाभकारी हो सकता है। शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बूस्ट करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां अपने आहार में शामिल करना बहुत जरूरी है। इसके लिए साग, पालक, शिमला मिर्च और ब्रोकली खाना चाहिए। इसके अलावा मौसमी फल-सब्जियां भी आप ले सकते हैं। बता दें, इनमें विटामिन ए, बी 12, मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करते हैं।

चुकंदर

चुकंदर खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी दूर हो सकती है. चुकंदर में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन C होते हैं, जो हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाने में मदद करते हैं। चुकंदर का जूस पीना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। 

दालें  

हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए दालों का सेवन करना भी फायदेमंद हो सकता है। मसूर, चना और राजमा में भरपूर मात्रा में आयरन व प्रोटीन होता है। इन्हें नियमित रूप से खाने से आपके शरीर में आयरन की कमी पूरी हो सकती है और हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ सकता है। 

अनार

अनार के सेवन से भी ब्लड काउंट में इजाफा होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन ए, सी और ई, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट और भरपूर मात्रा में आयरन होता है। ऐसे में ये आपके हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में काफी फायदेमंद है। इसलिए डॉक्टर्स भी खून की कमी होने पर इसका जूस पीने की सलाह देते हैं।

खजूर

शरीर में खून की कमी पूरी करने में खजूर भी बेहद असरदार है। लेकिन बता दें कि अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो इसकी जगह आप पंपकिन सीड्स का सेवन कर सकते हैं। आयरन और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी भी इससे पूरी हो जाती है। (एजेंसी)

 

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सिर्फ दो चीजों की रोटी खाने से आपका मोटापा होगा कम ? यकीन नहीं होता तो कुछ दिन आजमा के देखें, पेट की चर्बी होगी कम

Posted on :03-Sep-2024
सिर्फ दो चीजों की रोटी खाने से आपका मोटापा होगा कम ? यकीन नहीं होता तो कुछ दिन आजमा के देखें, पेट की चर्बी होगी कम

 

Weight Loss Tips- गेंहू और चावल हमारे देश का दो प्रमुख अनाज है जिनसे कई चीजें बनाकर खाई जाती है। भारत देश में गेहूं और चावल को अलग-अलग रूपों में बनाकर खाया जाता है। उत्तर भारत में अक्सर हम लोग गेहूं के आटे से बनी रोटियां खाते हैं, ये रोटियां हमारी जरूरत के अधिकांश कार्बोहाइड्रैट की भरपाई कर देता है जिससे शरीर में एनर्जी बनती है और हम इसके सहारे दिन भर काम करते रहते हैं। रोटी के साथ अक्सर हम दाल या सब्जी का सेवन करते हैं और पूरा दिन इस पर टिके रहते हैं। लेकिन यदि आपको अपना वजन कम करना है, तो गेहूं से बनी रोटियों का मोह छोड़ना होगा क्योंकि इसमें कैलोरी बहुत होती है और यह शरीर में अतिरिक्त चर्बी को बढ़ा सकती है। ऐसे में आपको हम यहां दो खास तरह की रोटियां के बारे में बता रहे हैं जिन्हें खाकर आप अपने मोटापे पर बहुत हद तक काबू पा सकते हैं। आइए जानते हैं-

दो तरह के आटे से बनी रोटियां

1. रागी के आटे की रोटी-रागी यानी फिंगर मिलेट।  ये छोटे से गोल मटोल दाने में इतना डेंस पौष्टिक तत्व होता है कि आप सोच में नहीं सकते।  वैज्ञानिकों ने जब इसके गुण के बारे में ज्यादा जाना तो यह सुपरफूड बन गया। अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो रागी के आटे की रोटियां खाइए। इसमें इतना अधिक फाइबर होता है कि अगर आप इसे सुबह नाश्ते में खा लें तो दिन भर आपको भूख का अहसास बिल्कुल कम हो जाएगा। रागी में अत्यधिक मात्रा में कैल्शियम, आयरन और एसेंशियल एमिनो एसिड होता है। हाई फाइबर के कारण इसका डाइजेशन बहुत स्लो होता है जिससे ब्लड शुगर भी कंट्रोल रहता है।. रागी के आटे से बनी रोटी को आप कई चीजों के साथ खा सकते हैं। इसे दाल, विभिन्न तरह की सब्जियां और यहां तक कि छाछ के साथ भी खा सकते हैं। हालांकि यदि आपको थायराइड की समस्या है, तो आपको रागी की रोटी खाने से बचना चाहिए। फिर आपके लिए आगे बताए जा रहे रोटी फायदेमंद साबित हो सकती है। 

2. ज्वार की रोटी सुबह के नाश्ते के लिए एकदम परफेक्ट है। ज्वार की रोटी में अत्यधिक मात्रा में डायट्री फाइबर होता है। ज्वार की रोटी से आपका डाइजेशन बुलंद रहेगा और जब डाइजेशन ठीक रहेगा तो अधिकांश बीमारियां यूं ही शरीर से दूर भागती रहेगी। दूसरी तरफ जबर्दस्त डायट्री फाइबर के कारण ज्वार की रोटी को खाने के बाद बहुत देर तक भूख नहीं लगेगी। बहुत देर तक भूख नहीं लगने से आप ज्यादा कैलोरी नहीं ले पाएंगे और इससे यूं ही वजन आप बढ़ा नहीं पाएंगे। ज्वार में बहुत अधिक तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, इसके साथ ही इसमें प्रोटीन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस आदि भरा रहता है।  ज्वार का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम रहता है, इसलिए यह ब्लड शुगर को मैंटेन रखता है और वजन को बढ़ने नहीं देता। ज्वार की रोटी को भी आप दाल और विभिन्न तरह की सब्जियों और छाछ आदि के साथ खा सकते हैं। ज्वार में ग्लूटीन बेहद कम होता है इसके कारण यह पथरीला हो जाता है यानी टाइट हो जाता है, इसलिए जब आप ज्वार की रोटी बनाए तो इसके आटे को गूंथते समय गर्म पानी का इस्तेमाल करें। इससे रोटी की लोई सही से बन पाएगी वरना यह बहुत टाइट हो जाएगा। हालांकि जिसे पेट की बीमारी सेलिएड डिजीज है उन्हें ज्वार की रोटी खाने से बचना चाहिए। 

दोनों में से कौन बेहतर

यह डिपेंट करता है कि आपकी हेल्थ किस तरह की है। यदि आपकी हेल्थ अच्छी है तो दोनों तरह की रोटियां वजन कम करने के लिए परफेक्ट है लेकिन यदि कोई कंडीशन है, तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।  जैसा कि उपर बताया गया है कि थायराइड वाले को रागी और सिलिएक डिजीज वाले को ज्वार की रोटी से परहेज करना चाहिए। (एजेंसी)

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जानिए बरसात के दिनों में अपने घर के गार्डन की देखभाल कैसे करें, ताकि पेड़-पौधे कभी नहीं होंगे खराब

Posted on :02-Sep-2024
जानिए बरसात के दिनों में अपने घर के गार्डन की देखभाल कैसे करें, ताकि पेड़-पौधे कभी नहीं होंगे खराब

Care Of Plants In Rain: आज के दौरान में हर किसी व्यक्ति को अपने घर और गार्डन में गार्डिनिंग करने का शौक होता हैं और इसमें वह लोग कई प्रकार के पौधे भी लगाते हैं। ऐसे में बारिश का मौसम में जहां बारिश का पानी पौधों के लिए फायदेमंद हैं, तो इसके नुकसान भी हैं। बारिश के कारण गार्डन में रखे जाने वाले पौधों को नुकसान भी होता हैं, ऐसे में जानते है बारिश में किस तरह अपने किचन गार्डन का ध्यान रखना चाहिए। 

इन दिनों कभी बारिश तो कभी तेज धूप रहती है।  इस मौसम में इंसान तो प्रभावित होता ही है साथ ही घर के बगीचे में लगे पौधों की भी विशेष देखरेख की जरूरत होती है।  मानसून के दौरान पौधों का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। लगातार बारिश के चलते और हवा में नमी होने के वजह से पौधों में कम पानी देना चाहिए और यदि गमलों में पानी भर जाता है,तो समय-समय पर उन्हें खाली करते रहें। इससे पौधों को नुकसान नहीं पहुंचेगा। लंबी बारिश के बाद 2 से 3 दिनों के बाद ही पौधों को पानी देना चाहिए। गमलों में ज्यादा पानी देने से कहीं-कहीं पौधे भी नष्ट हो सकते हैं। 

सही मात्रा में यदि पौधों को धूप मिले तो वह अच्छे से फल फूल सकते हैं। इसके लिए ग्रीन नेट से पौधों को ढकना जरूरी है। इसके साथ ही पोधौं के लिए गोबर की खाद, अच्छी मिट्टी, बालू आदि बराबर मात्रा में मिलाकर मिट्टी तैयार करें। उसी में पौधे लगाएं। मिट्टी, प्रॉपर पानी और कभी-कभी रोशनी में रख देने से ये प्लांट्स जल्दी खराब नहीं होंगे। 

गार्डन में गड्ढे और नालियां बनाएं

अत्यधिक बारिश से गार्डन में जलभराव की समस्या हो सकती है। इसको रोकने के लिए आपको बगीचे में पर्याप्त गड्ढे और नालियां बनाना बेहद जरूरी है। नालियां बनाते वक्त ध्यान रखें कि यह ढलान पर हों। तभी ये पानी को आसानी से बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं।

पौधों को सहारा देने के लिए करें उपाय

तेज हवाओं और बारिश से पौधों को बचाने के लिए उन्हें सहारा देना जरूरी है। इसके लिए आप लकड़ी के खंभे या बांस की छड़ें का उपयोग करके पौधों को सहारा दे सकते हैं। ऐसा करने से आपके पौधे तेज तूफान से बच सकते हैं।

बीमार पौधों को हटा दें

बारिश के मौसम में बीमारियां और कीट पनपने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, अगर आपके बगीचे में कोई बीमार या कीड़े लगे हुए पौधे हैं, तो उसे पहले ही हटा दें। यह उपाय आपके अन्य पौधों को बीमारी से बचाने में मदद कर सकता है। (एजेंसी) 

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पुराना माइग्रेन हो या सिर दर्द, अपराजिता के फूल का काढ़ा पीने से मिल जाएगा छुटकारा, जानें एक्सपर्ट की राय

Posted on :02-Sep-2024
पुराना माइग्रेन हो या सिर दर्द, अपराजिता के फूल का काढ़ा पीने से मिल जाएगा छुटकारा, जानें एक्सपर्ट की राय

Ayurveda tips for migraine :  आजकल भागदौड़ की जिन्दगी में हम माइग्रेन सिर दर्द का गंभीर बीमारी से ग्रसित होते जा रहे हैं। इसमें दर्द कई दिनों तक बना रहता है, जिसके चलते आपकी दिनचर्या पर बुरा असर पड़ता जाता है। इसमें सिर में दर्द के साथ उल्टी और मतली भी महसूस होती है। अगर आप भी इस परेशानी से लंबे समय से जूझ रहे हैं, तो फिर आप यहां पर एक्सपर्ट के बताए नुस्खे को अपना सकते हैं,जिससे न सिर्फ माइग्रेन बल्कि पुराने से पुराना सिरदर्द और बुखार भी ठीक हो सकता है। 

दरअसल, हम यहां पर आपको अपराजिता फूल के काढ़े को पीने की बात कर रहे हैं, जिसके बारे में  एक्सपर्ट डॉक्टर प्रियंका त्रिवेदी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर बताया है। इसको बनाने के लिए आपको 4 से 5 अपराजिता के फूल को 1 कप पानी में उबाल लेना है फिर छानकर चाय की तरह सिप-सिप करके पी लेना है, इसको प्रतिदिन पिएंगे तो जल्द ही माइग्रेन के दर्द से छुटकारा मिलेगा ही साथ में पुराना बुखार और शरीर का दर्द भी दूर होगा। 

इस नुस्खे को इस तरह अपनाया जा सकता है

माइग्रेन के दर्द में लौंग का पाउडर 1/4 चम्मच एक गिलास पानी में एक रात के लिए भिगोकर रख देना है, फिर अगली सुबह पी लेना है. ऐसा आप 2 महीने लगातार कर लेते हैं, तो आपको इसका फायदा जल्दी महसूस होगा। 

ठंडी या गर्म पट्टी: दर्द वाली जगह पर ठंडी या गर्म पट्टी रखने से राहत मिल सकती है। ठंडी पट्टी से सूजन कम हो सकती है,जबकि गर्म पट्टी से मांसपेशियों को आराम देता है। 

पानी पीना: माइग्रेन के दौरान शरीर में पानी की कमी हो सकती है, इसलिए पानी पीते रहें इससे निर्जलीकरण से बचा जा सकता है। (एजेंसी)

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हेल्दी लाइफ के लिए दिन की शुरुआत इन 5 नियमों से कीजिए, जिंदगी बदल देगा ये अभ्यास

Posted on :26-Aug-2024
हेल्दी लाइफ के लिए दिन की शुरुआत इन 5 नियमों से कीजिए, जिंदगी बदल देगा ये अभ्यास

Morning habits for healthy and fit: हेल्दी लाइफ के बारे में ज्यादातर लोगों के मन में नकारात्मक बातें ही रहती हैं. अक्सर लोग कहते हैं कि आजकल के जमाने में हेल्दी रहना बहुत मुश्किल है. लेकिन यकीन मानिए हेल्दी रहना इतना भी मुश्किल नहीं है. बस इसके लिए दिनचर्या में कुछ सुधार करनी पड़ती है. अगर आप सही डाइट लें, रोजाना सही एक्सरसाइज करें, पर्याप्त नींद लें, सुकून से खुश रहे तो हेल्दी रहना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है. आइए इसकी शुरुआत हम सुबह से आपको करवाते हैं. सुबह के कुछ खास नियम से दिन की शुरुआत कीजिए, इससे आप हमेशा फिट और हेल्दी रहेंगे.

हेल्दी रहने के शुरुआती सूत्र

1. ध्यान से शुरुआत– टीओआई की खबर के मुताबिक यदि आप हेल्दी रहना चाहते हैं तो दिन की शुरुआत छोटे से ध्यान से कीजिए. साइकेट्री जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सुबह-सुबह मेडिटेशन करने से आपको दिन भर तनाव और एंग्जाइटी नहीं होगी. इसके लिए ज्यादा नहीं बल्कि 10 से 15 मिनट का समय दें. बिस्तर से उठते ही सबसे पहले ये काम कर लें. कुछ ही दिनों में फर्क दिखने लगेगा.

2. लेमन वाटर- दिन भर आपको तरोताजा रहना पड़ता है. इसलिए आपको भरपूर पानी की जरूरत होती है. ऐसे में मेडिटेशन करने के बाद या पहले एक गिलास गुनगुने पानी और नींबू के साथ दिन की शुरुआत कीजिए. नींबू में विटामिन सी होता है जो इम्यूनिटी को बढ़ाएगा और मेटाबोलिज्म को भी बूस्ट करेगा. जर्नल ऑफ क्लीनिकल बायोकेमिस्ट्री की रिसर्च के मुताबिक नियमित रूप से नींबू पानी शरीर में अतिरिक्त चर्बी को घटा देता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस का जोखिम कम करता है. इससे स्किन की सुंदरता भी बढ़ती है.

3. फिजिकली एक्टिव- मेडिटेशन और लेमन वाटर के बाद अब समय आ गया है कि एक्सरसाइज का. एक्सरसाइज में वो ताकत है तो आपके शरीर को हेल्दी और हसीन तरीन बना सकती है. इससे वजन कम रहता है डाइजेशन बूस्ट होता है. अगर डाइजेशन सही रहे और वजन कम हो तो मुश्किल से ही कोई बीमारी हो. ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स की रिसर्च के मुताबिक सुबह-सुबह एक्सरसाइज करने से दिमाग सही से काम करता है और बौद्धिक क्षमता बढ़ जाती है. इसके लिए आप किसी एक्सरसाइज को चुन सकते हैं. जरूरी नहीं ये जिम में ही हो. आप साइक्लिंग, रनिंग, जॉगिंग इत्यादि कर सकते हैं. योग से भी बहुत फायदा होगा.

4. पोषक तत्वों से भरपूर ब्रेकफास्ट- इन सबके बाद अब समय आता है पावरफुल नाश्ते का. सुबह का नाश्ता ऐसा होना चाहिए जो आपको पूरे दिन भर एनर्जी देता रहे. इसके लिए इस तरह के फूड का चयन करें जिसमें ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्व है. सबसे पहले आप कुछ भीगे हुआ बादाम खाएं और नाश्ते में साबुत अनाज से बनी चीजें और हरी पत्तीदार सब्जियां जरूर हो. अंडा बी इसके लिए बेहतरीन साबित हो सकता है. इसके साथ ही ताजे फल को जरूर शामिल करें. ये कुदरती चीजें आपके हार्ट को बीमारियों से बचाएगी और दिमाग को तरोताजा रखेगा.

5. ग्रेटीट्यूट- ग्रेटीट्यूट का मतलब है लोगों का आभार प्रकट करना. सुबह-सुबह आप अपनों में ही या किसी को भी आभार प्रकट करें. यानी आपको लगे कि इस व्यक्ति ने हमारे जीवन को एक पल के लिए भी बेहतरीन महसूस कराया तो उस व्यक्ति का अभार प्रकट करें. ऐसा करने से किसी दूसरे के प्रति मन में द्वेष या ईर्ष्या नहीं रहेगी. यह सोचें कि हर किसी की मेरे जीवन में योगदान है इसलिए उन सबका आभार प्रकट करना कर्तव्य है. इससे मन में नकारात्मक भावना नहीं आएगी और मन हमेशा खुश रहेगा. अगर आप अंदर से खुश रहेंगे तो शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से हेल्दी रहेंगे.(एजेंसी)

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क्या आपने खाएं लाल आलू? भर-भर के मिलेगी एनर्जी...

Posted on :20-Aug-2024
क्या आपने खाएं लाल आलू? भर-भर के मिलेगी एनर्जी...

Health News : सभी सब्जियों का राजा कहलाने वाला आलू तो आपने कई बार खाया होगा, लेकिन क्या आपने कभी लाल आलू का स्वाद चखा है? अगर नहीं, तो आज हम आपको लाल आलू से बनने वाली डिश और इसके सेवन के फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं.

सभी सब्जियों का राजा कहलाने वाला आलू तो आपने कई बार खाया होगा, लेकिन क्या आपने कभी लाल आलू का स्वाद चखा है? अगर नहीं, तो आज हम आपको लाल आलू से बनने वाली डिश और इसके सेवन के फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं. बीकानेर के बाजारों में लाल आलू की बड़ी मांग है. इन आलू को पहाड़ी आलू के नाम से भी जाना जाता है.

दुकानदार श्याम तंवर ने बताया कि ये लाल आलू, जिन्हें पहाड़ी आलू भी कहा जाता है, बाजार में 20 रुपए प्रति किलो की दर से बेचे जाते हैं. ये आलू पंजाब से आते हैं और बेहद स्वादिष्ट होते हैं. लाल आलू का उपयोग सब्जी के अलावा चिप्स, पकोड़े, आलू परांठे, आलू चाट, आलू सलाद आदि में किया जाता है. आलू को हर घर में सबसे सामान्य और प्रिय सब्जी माना जाता है, क्योंकि इसे किसी भी सब्जी में मिलाकर तैयार किया जा सकता है.

आयुर्वेदिक डॉक्टर अमित कुमार के अनुसार, लाल आलू खाने से कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ होते हैं. ये आलू पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और इनमें एंटीऑक्सीडेंट्स, विशेष रूप से एंथोसायनिन, अधिक मात्रा में पाया जाता है, जिसकी वजह से इसका रंग लाल होता है. लाल आलू में फाइबर, पोटेशियम, विटामिन बी6, विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं.

लाल आलू के फायदे:

ब्लड प्रेशर मेंटेन रखने में मददगार: लाल आलू में पाया जाने वाला पोटेशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में सहायक होता है, जिससे हाइपरटेंशन और हार्ट अटैक का खतरा कम होता है.

इम्युनिटी को मजबूत बनाता है: लाल आलू में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन सी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं, जिससे हमारा शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है.

पाचन क्रिया को सुधारता है: लाल आलू में डाइटरी फाइबर पाया जाता है, जो पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है और आंतों की सेहत को बढ़ावा देता है.

मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद: लाल आलू में मौजूद विटामिन सी मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक है. यह मेमोरी पावर और ध्यान केंद्रित करने की शक्ति को बढ़ाता है.

एनर्जी से भरपूर: लाल आलू में कार्बोहाइड्रेट्स की भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है, जिससे आप पूरे दिन ऊर्जावान बने रहते हैं.

स्किन हेल्थ में सुधार: लाल आलू में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स की उच्च मात्रा होती है, जो त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है और इसे स्वस्थ और चमकदार बनाए रखती है.

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गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार ने डायबिटीज के लक्षण और बचाव के विस्तार से उपाय बताए

Posted on :22-Jul-2024
गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार ने  डायबिटीज के लक्षण और बचाव के विस्तार से उपाय बताए

फरीदाबाद हरियाणा : बल्लबगढ़ के तिरखा कॉलोनी शिव मंदिर परिसर में गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पूजा अर्चना कर डायबिटीज पर विशेस रूप से चर्चा करते हुए विस्तार से जानकारी दी 

  • टाइप 1 मधुमेह – इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज
  • टाइप 2 मधुमेह – नॉन-इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज 

खुशी के हर पल में मिठाई का होना हमारी परंपरा का एक अभिन्न भाग रहा है। दिवाली हो या होली, लोग मीठे से बिल्कुल भी परहेज नहीं करते हैं। लेकिन आज के भागदौड़ भरे जीवन में यह मीठा धीरे-धीरे कई बीमारियों का कारण बन रहा है, जिनमें से सबसे प्रमुख है मधुमेह या डायबिटीज। यह एक ऐसी बीमारी है, जो एक बार हो जाए तो जीवन भर साथ रहती है। अनियंत्रित मधुमेह हृदय रोग, स्ट्रोक, नर्व डैमेज, गुर्दे की बीमारी और अंधापन जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है। इसलिए, अपने मधुमेह को प्रबंधित करने और अपने रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रण में रखने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने डॉक्टर के साथ परामर्श करें या हमारे  एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉक्टरों से बात करें।

डायबिटीज के प्रकार

टाइप 1 मधुमेह – इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज

डायबिटीज के सभी प्रकारों में टाइप 1 डायबिटीज एक साधारण प्रकार है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब पैंक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। डायबिटीज का यह प्रकार जेनेटिक है, जिसकी पहचान बचपन में ही हो जाती है और बचपन से ही इसका बचाव संभव होता है। सामान्यतः इस प्रकार के मधुमेह में कम उम्र के लोगों को इंसुलिन की जरूरत पड़ती है। फिलहाल इस स्थिति का कोई उपचार उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसको सही समय पर पहचान कर इस स्थिति का इलाज संभव है। 

टाइप 2 मधुमेह – नॉन-इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज 

टाइप 2 डायबिटीज को सबसे आम प्रकार का डायबिटीज माना जाता है। मुख्यतः यह डायबिटीज किशोरों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इस प्रकार के डायबिटीज में पैंक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निर्माण नहीं कर पाता है, जिसके कारण रक्त में ग्लूगोज की मात्रा बढ़ती जाती है। मुख्य रूप से इस रोग के कारण मोटापा और अधिक मीठा भोजन खाना है। 


गर्भावधि मधुमेह या गर्भावस्था मधुमेह: गर्भावस्था के दौरान, कई महिलाएं के शरीर में रक्त शर्करा स्तर बढ़ जाता है। यह इसलिए होता है, क्योंकि उस दौरान महिला का शरीर इंसुलिन के प्रति संवेदनशील नहीं होता है।

प्रीडायबिटीज: इसे आप टाइप 2 डायबिटीज से पहले वाला स्टेज मान सकते हैं। इसमें रक्त में ग्लूकोज का स्तर बॉर्डर लाइन पर होता है, जिसके इलाज के लिए जीवनशैली में बदलाव करने को कहा जा सकता है। 

डायबिटीज के लक्षण और उपाय?

मधुमेह के लक्षण मधुमेह के प्रकार के आधार पर भिन्न होते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण होते हैं जैसे - 

  • प्यास और भूख में अचानक वृद्धि होना
  • ज़्यादा यूरिनेशन होना
  • थकान
  • धुंधली दृष्टि
  • घाव का धीरे-धीरे भरना 
  • हाथ और पैर में झुनझुनी या सुन्न होना
  • यीस्ट संक्रमण या यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण

मधुमेह का इलाज कई कारकों पर आधारित होता है, जैसे मधुमेह के प्रकार और आयु, समग्र स्वास्थ्य और रक्त शर्करा के स्तर। डायबिटीज के कुछ सामान्य उपचार इस प्रकार है - 

दवाएं: मधुमेह के प्रकार के आधार पर, ब्लड ग्लूकोज के स्तर को प्रबंधित करने के लिए दवाएं जैसे इंसुलिन, मेटफॉर्मिन, इत्यादि का सुझाव दिया जा सकता है। 

जीवनशैली में बदलाव: स्वस्थ जीवनशैली में बदलाव करना जैसे स्वस्थ आहार का पालन, नियमित व्यायाम करना और जरूरत पड़ने पर वजन कम करना रक्त शर्करा स्तर को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।

रक्त शर्करा की निगरानी: रक्त शर्करा स्तर की नियमित निगरानी पैटर्न की पहचान करने और उपचार के निर्णयों को निर्देशित करने में मदद कर सकती हैं।

शिक्षा और समर्थन: मधुमेह की जानकारी रख कर तथा एक पंजीकृत एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डाइटिशियन और डॉक्टर की मदद से स्व-देखभाल और प्रबंधन कर सकते हैं। इससे रोगी को बहुत लाभ मिलेगा।

डायबिटीज में क्या खाना चाहिए?

मधुमेह के प्रबंधन के लिए स्वस्थ और संतुलित आहार बहुत महत्वपूर्ण है। मधुमेह में स्वस्थ भोजन के लिए कुछ सामान्य दिशा-निर्देश दिए जाते हैं जैसे - 

संपूर्ण खाद्य पदार्थों पर ध्यान दें: साबुत अनाज, ताजे फल और सब्जियां, लीन प्रोटीन और स्वस्थ फैट चुनें।

कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) वाले खाद्य पदार्थ चुनें: कम जीआई मूल्य वाले खाद्य पदार्थों से रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि होने की संभावना कम होती है। उदाहरण के तौर पर देखें तो गैर-स्टार्च वाली सब्जियां, साबुत अनाज, नट्स और फलियां शामिल हैं।

प्रोसेस्ड फूड को सीमित करें: प्रोसेस्ड फूड को सीमित करने से रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में बहुत मदद मिलती है। 

आहार में नियंत्रण: किसी भी भोजन का बहुत अधिक सेवन करने से रक्त शर्करा स्तर बढ़ सकता है। प्रयास करें कि हर कुछ समय में थोड़ा-थोड़ा खाएं।

कार्बोहाइड्रेट: कार्बोहाइड्रेट रक्त शर्करा के स्तर पर बढ़ा सकता है, इसलिए कार्बोहाइड्रेट के स्वस्थ स्रोत जैसे साबुत अनाज, फलों और सब्जियों को चुनें और कितना भोजन आप कर रहे हैं, इसकी निगरानी करें। 

हाइड्रेटेड रहें: खूब पानी पीने से रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने और डिहाइड्रेशन को रोकने में मदद मिलती है।

डायबिटीज में दर्द शरीर के कई हिस्सों में हो सकता है, जिनमें से डायबिटीज में पैर दर्द होना एक आम समस्या है। इसके अतिरिक्त डायबिटीज के कारण हाथ में भी दर्द होता है। दर्द के साथ रोगी को शरीर के विभिन्न अंगों में झुनझुनी और जोड़ों में दर्द और ऐंठन का सामना करना पड़ता है।

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बड़ा कारगर है यह जंगली पौधा, डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में रामबाण...

Posted on :11-Jul-2024
बड़ा कारगर है यह जंगली पौधा, डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में रामबाण...

Shatavari plant benefits: कई बार डिलीवरी के बाद महिलाओं में दूध नहीं बनने की शिकायत देखी जाती है. इसके लिए लोग डॉक्टर से सलाह लेते हैं. वहीं शहर से दूर रहने वाले आदिवासी जंगल में मिलने वाले खास तरह के पौधे का इस्तेमाल करते हैं. आइए जानते हैं. 

पलामू. कई बार डिलीवरी के बाद महिलाओं में दूध नहीं बनने की शिकायत देखी जाती है. इसके लिए लोग डॉक्टर से सलाह लेते हैं. वहीं शहर से दूर रहने वाले आदिवासी जंगल में मिलने वाले खास तरह के पौधे का इस्तेमाल करते हैं. जिससे डिलीवरी के बाद महिलाओं के दूध आसानी से बनने लगता है. इसके साथ साथ ये दूसरी कई बीमारियों में भी रामबाण है.

आदिवासी महिला नीलम देवी बताती हैं कि जंगल में मिलने वाला सतावर (शतावरी) नामक पौधा बेहद लाभदायक है. इसका इस्तेमाल वो तीन चार साल से कर रही हैं. इसका पाउडर खून की कमी के साथ कमजोरी जैसी समस्या को दूर करता है.

दूध बनाने में करता है मदद

उन्होंने कहा कि सतावर का पाउडर डिलीवरी के बाद महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इसमें मौजूद पोषक तत्व दूध बनाने में मदद करते हैं. जिन महिलाओं के दूध नहीं बन रहा है, वो महिलाएं इसका इस्तेमाल कर सकती हैं. ये शरीर में ताकत भी बढ़ाता है.

ऐसे होता है तैयार

उन्होंने बताया कि इसका पाउडर तैयार करने के लिए सतावर की जड़ का इस्तेमाल किया जाता है. सतावर की जड़ को जमीन से निकालकर किसी छांव वाली जगह में सुखाया जाता है. दो से तीन दिन में सुख जाने के बाद इसे किसी बर्तन या ओखली के प्रयोग से पाउडर तैयार किया जाता है. जिससे आप डब्बे में पैक कर रख सकते हैं.

ऐसे करें प्रयोग

उन्होंने कहा कि इसका प्रयोग करने के लिए आप सुबह शाम कभी भी कर सकते हैं. उन्होंने बताया की पानी के साथ एक चम्मच पाउडर को ले सकते हैं. खून की कमी होने पर एक हफ्ते में असर दिखना शुरू हो जाएगा. वहीं डिलीवरी वाली महिलाओं को दो से तीन दिन में असर दिखने लगेगा.

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. garjachhattisgarhnews.com किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.(एजेंसी)

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स्वास्थ्य के लिए अच्छा है रक्त दान महादान यही है मानवता की पहचान डॉ हृदयेश कुमार

Posted on :17-Jun-2024
स्वास्थ्य के लिए अच्छा है रक्त दान महादान यही है मानवता की पहचान डॉ हृदयेश कुमार

फ़रीदाबाद हरियाणा : बल्लबगढ़ के तिरखा  कॉलोनी स्थित शिव मंदिर परिसर में स्वास्थ्य के लिए अच्छा है रक्त दान महादान के नाम से वीडियो कांफ्रेंस मीटिंग का आयोजन किया गया आयोजन ट्रस्ट के राष्टीय अध्यक्ष डॉ एम पी सिंह ने के द्वारा किया गया जिसमे राष्टीय अध्यक्ष डॉ एम पी सिंह ने अनेक प्रकार से लोगों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए टिप्स दिए और जागरूक किया उन्होंने बताया कि स्वास्थ ही जीवन है और पर्यावरण संरक्षण भी हमारे स्वस्थ के लिए बहुत जरूरी है अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार ने स्वास्थ के लिए सभी मानव जीवन जीने वाले लोगों से एक अपील करते हुए कहा कि 

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स्वास्थ्य के लिए अच्छा है रक्त दान महादान 

यही है मानवता की पहचान 

रक्तदान बहुत ही बड़ा दान होता है. जिससे आप एक साथ कई लोगों की जान बचा सकते हैं. हर साल जून की 14 तारीख को रक्‍तदान दिवस मनाया जाता है जिसका मकसद लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करना है. क्या आप जानते हैं रक्तदान सिर्फ खून प्राप्त करने वालों के लिए ही फायदेमंद नहीं होता, बल्कि इससे रक्‍तदाता को भी कई सारे फायदे मिलते हैं. वैसे तो कोई भी स्वस्थ वयस्क पुरुष और महिला (18-65 साल) रक्तदान कर सकते हैं. पुरुष जहां हर 3 महीने में वहीं महिलाएं हर 4 महीने में रक्तदान कर सकती हैं.

लेकिन कुछ सिचुएशन में दोनों को ही रक्तदान करने की मनाही होती है। प्रेग्नेंट, स्तनपान कराने वाली और गर्भपात करवा चुकी महिला और दवाइयों का सेवन करने वाले लोग और वैक्सिनेशन के बाद और कमज़ोर लोग और अल्कोहल लेने के बाद रक्तदान नहीं कर सकते हैं   ब्लड डोनेशन से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है इस आयोजन में के एल अग्रवाल शिव शंकर राय, पंडित तरसेम वत्स और अनेक कॉलोनी निवासी लोग मौजूद रहे

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