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क्या आपको भी है सेल देखकर कपड़े खरीदने की बीमारी? सावधान! आपकी लत बिगाड़ रही पर्यावरण की सूरत

क्या आपको भी है सेल देखकर कपड़े खरीदने की बीमारी? सावधान! आपकी लत बिगाड़ रही पर्यावरण की सूरत

 फैशन पॉल्यूशन: हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग हैं जो उत्साहित होकर शॉपिंग करते हैं और उन्हें इस बात का एहसास तक नहीं होता कि अपनी इस आदत पर वे कितना समय, श्रम और पैसा बर्बाद कर रहे हैं। दरअसल, किसी तरह की चिंता से ग्रस्त इन लोगों के लिए शॉपिंग स्ट्रेस बस्टर बन जाती है और शॉपिंग न कर पाने पर नकारात्मक भावनाएं घेर लेती हैं।

कपड़ों से बढ़ रहा फैशन पॉल्यूशन
लड़के हों या लड़कियां, उनके वॉर्डरोब में भले ही कितने कपड़े हों लेकिन शादी या फेस्टिवल में वह तुरंत मॉल से या ऑनलाइन ड्रेस ऑर्डर कर लेते हैं। दरअसल, ड्रेसिंग स्टाइल अब स्टेटस सिंबल है। शोऑफ के चलते यंगस्टर ड्रेस को रिपीट नहीं करना चाहते और उनकी यही आदत फैशन पॉल्यूशन को बढ़ा रही है। फैशन इंडस्ट्री से 10% कार्बन डाइऑक्साइड निकल रही है। इंडियन टेक्सटाइल जनरल के मुताबिक भारत में हर साल 10 लाख टन से ज्यादा टेक्सटाइल वेस्ट निकलता है। वहीं, लोग हर साल 10 लाख कपड़ें फेंक देते हैं। यह फेंके हुए कपड़े या तो जला दिए जाते हैं या डंपिंग ग्राउंड पर गलते रहते हैं।  इससे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड फैल रही हैं। वहीं, अधिकतर कपड़े सिंथेटिक फैब्रिक से बनते हैं इसलिए इनसे माइक्रोप्लास्टिक के कण जमीन और पानी में मिलकर उसे प्रदूषित कर रहे हैं। 

शॉपिंग की लत भी इसका कारण
कुछ लोगों को कंपल्सिव बाइंग डिसऑर्डर होता है जिसे आसान भाषा में शॉपिंग की लत कहते हैं।  ऐसे लोगों को कपड़ों पर पैसा खर्च करने से खुशी मिलती है। अमेरिकन साइकेट्रिक असोसिएशन ने शॉपिंग के एडिक्शन को भले ही कोई डिसऑर्डर ना माना हो, लेकिन कई रिसर्च इसे बीमारी ही मानती हैं। यह डिसऑर्डर लड़कों से ज्यादा लड़कियों में दिखता है। हेल्थलाइन के अनुसार ऐसे लोगों का इलाज बिहेवियरल थेरेपी और काउंसलिंग के जरिए किया जा सकता है।   

पुराने कपड़ों को करें सेल
आजकल ऐसी कई वेबसाइट्स हैं, जो लोगों को उनके पुराने कपड़े या डिफेक्टेड अनयूज्ड कपड़ों को बेचने का मौका देती है। इससे उन्हें पैसा कमाने का मौका भी मिलता है। यह कंपनियां पुराने कपड़ों को रिपेयर और री-डिजाइन कर कम दामों पर लोगों को री-सेल कर देती है। इसे री-लव और प्री-लव फैशन कहा जाता है। फैशन पॉल्यूशन को रोकने का यह एक बेहतरीन तरीका है। 

सोच समझकर खरीदें कपड़े
गारमेंट वेस्ट दुनिया के साथ-साथ भारत के लिए भी सिरदर्द बन गया है। एलन मैकआर्थर फाउंडेशन के अनुसार भारत में 2 में से 1 व्यक्ति कपड़े बिना पहने ही फेंक देता है। फैशन डिजाइनर भावना जिंदल कहती हैं कि फैशन का बाजार तेजी से उभरा है। ऑनलाइन और ऑफलाइन कस्टमर के पास कई वैरायटी की ड्रेसेज के विकल्प मौजूद हैं। सालभर चलने वाली सेल और डिस्काउंट ग्राहकों को आकर्षित करते हैं, जिसकी वजह से जरूरत ना होने पर भी लोग बेवजह कपड़े खरीदते रहते हैं। कपड़े तभी खरीदें जब जरूरत हो।  

पुराने कपड़ों को करें रिपीट या रीडिजाइन
आलिया भट्ट ने अपनी शादी की साड़ी को नेशनल फिल्म अवॉर्ड में पहना रिपीट किया। यमी गौतम ने शादी पर अपनी मां की 33 साल पुरानी लाल साड़ी पहनी जिसे उन्होंने अपनी मम्मी के दुपट्टे से ही पेयर किया। जब बॉलीवुड एक्ट्रेस पुराने कपड़े को रिपीट या रीडिजाइन कर सकती हैं, तो सब कर सकते हैं।  फैशन डिजाइनर भावना जिंदल के अनुसार पहले के जमाने में दादी-नानी बहू-बेटियों को अपनी साड़ी पहनने को देती थीं। जब बच्चा होता था तो उसे अपने बड़े भाई-बहनों के कपड़े पहनाए जाते थे। अगर इस ट्रेडिशनल को दोबारा अपनाया जाए तो पर्यावरण कपड़ों से दूषित नहीं होगा।(एजेंसी)  

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