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नई दिल्ली : हमारे भोजन का सीधा संबंध हमारी सेहत से है। यानी भोजन जितना पौष्टिक होगा, हमारी सेहत उतनी ही दुरुस्त रहेगी। अपने भोजन में पौष्टिकता का ध्यान कैसे रखें, जानकारी देता देवाशीष उपाध्याय का आलेख
चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं के तीव्र विकास और विस्तार के बावजूद देश के अस्पतालों में मरीजों की संख्या में दिन-प्रतिदिन बढ़ोत्तरी होती जा रही है। इसका प्रमुख कारण हमारे दैनिक खानपान में नमक, तेल और चीनी की बढ़ती मात्रा है। शारीरिक श्रम के अभाव और आरामदायक दिनचर्या के कारण शरीर में बड़े पैमाने पर विषैले तत्व एकत्रित हो जाते हैं, जो अनेक गंभीर बीमारियों को जन्म देते हैं।
नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थ
परंपरागत भारतीय खानपान के स्थान पर आधुनिक और पाश्चात्य शैली पर आधारित रेडी-टू-ईट, पैकेज्ड या डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, जंक फूड और फास्ट फूड के सेवन से हमारे शरीर में हानिकारक तत्वों की वृद्धि होती है। जंक फूड और फास्ट फूड में ट्रांसफैट, शुगर, सोडियम और लेड जैसे खतरनाक रसायनों का प्रयोग कर उसे टेस्टी तो बनाया जाता है, लेकिन वह हेल्दी नहीं रह जाता। इससे मनुष्य की भूख तत्काल तो मिट जाती है, परन्तु शरीर की पोषण से संबंधित जरूरतों की पूर्ति नहीं हो पाती। इसमें प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स आदि पोषक तत्वों का अभाव होता है। नुकसान की बात करें, तो इसमें ट्रांसफैट, सिंथेटिक कलर, एसेन्स के रूप में रासायनिक पदार्थों और शुगर की काफी मात्रा होती है। इसमें फाइबर का अभाव और चिकनाई की अधिकता होने के कारण इसके सेवन से पाचन तंत्र भी बुरी तरह से प्रभावित होता है।
प्रतिरोधक क्षमता का रखें ध्यान
आवश्यक पोषक तत्वों के अभाव के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। नमक, तेल, चीनी और हानिकारक तत्वों की बढ़ती मात्रा के कारण मोटापा, शुगर, ब्लडप्रेशर, कैंसर, किडनी, कब्ज, लिवर जैसी अनेक बीमारियां बड़े पैमाने पर हो रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक, 60-70 प्रतिशत बीमारियां मनुष्य की अनियमित दिनचर्या, असंतुलित एवं असुरक्षित खान-पान के कारण होती हैं। वैज्ञानिक सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ है कि मनुष्य अपने दैनिक खानपान में शारीरिक आवश्यकताओं की तुलना में लगभग दोगुना नमक, तेल, और चीनी का सेवन करता है।
खाएं घर की बनी चीजें
महानगरों में भागदौड़ भरी जीवनशैली और काम के तनाव के कारण युवा घर पर निर्मित खाद्य पदार्थों के सेवन की बजाय मार्केट में उपलब्ध रेडी-टू-ईट खाद्य पदार्थों का सेवन कर भोजन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। परन्तु होटल और टिफिन वाले भोजन में पौष्टिकता की बजाय स्वाद पर बल दिया जाता है। इसीलिए स्वाद और फैशन के चक्कर में खाद्य पदाथार्ें के निर्माण में टेस्ट मेकर, हानिकारक रसायनों, सिंथेटिक कलर, वसा, शुगर, ट्रांस फैट आदि का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है। हम स्वाद के चक्कर में यह भूल ही जाते हैं कि ऐसे भोजन के सेवन से अनेक खतरनाक बीमारियां जन्म लेती हैं।
बरतें सावधानी
छोटी-छोटी सावधानी बरतकर देश में खाद्यजनित बीमारियों, कम पोषण, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और मोटापे व गैर-संचारी रोगों की बढ़ती घटनाओं को नियंत्रित किया जा सकता है। मौसमी फल-सब्जियों के सेवन से शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है। दैनिक खान-पान में फोर्टीफाइड फूड के सेवन और संतुलित व सुरक्षित खाद्य सामग्री के प्रयोग से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है और आप खुद को अधिक स्वस्थ महसूस करते हैं।
अभियान की जरूरत
देश में स्वास्थ्य संबंधी बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) आम जनमानस को सुरक्षित और संतुलित खाद्य पदार्थों के सेवन तथा खाद्य कारोबारकर्ताओं द्वारा सुरक्षित खाद्य पदार्थ निर्माण हेतु जागरूकता कार्यक्रम के अंर्तगत ईट राइट इंडिया मूवमेंट चला रहा है। इसके तहत आम जनमानस को सही और गुणवत्ता युक्त खाद्य पदार्थों के विषय में जानकारी प्रदान की जा रही है।
लें सुरक्षित व सेहतमंद आहार
सुरक्षित व सेहतमंद आहार लें, क्योंकि वही अच्छे स्वास्थ्य का आधार होता है।
फोर्टीफाइड फूड का सेवन करें।
चमकीले और रंगीन खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।
फल और सब्जियों का सेवन सदैव धोकर करें।
फलों पर स्टीकर का प्रयोग न करें।
पौष्टिक भोजन, स्वस्थ जीवन पर ध्यान दें।
डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के उपयोग से पूर्व लेबल अवश्य देखें।
अखबार एवं पॉलिथिन का प्रयोग खाद्य पदार्थों को रखने के लिए न करें।
कटे-सड़े-गले फल एवं सब्जियों का सेवन न करें।