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    छत्तीसगढ़ रोजगार: काउंसलर पद हेतु 22 जनवरी तक आवेदन आमंत्रित

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    छत्तीसगढ़ रोजगार: अंग्रेजी माध्यम उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्याख्याता वाणिज्य की पद हेतु आवेदन पत्र आमंत्रित

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    छत्तीसगढ़ रोजगार: स्वास्थ्य विभाग मे तकनिकी स्टाॅफ एवं अन्य पद हेतु 'वाक-इन-इन्टरव्यू'

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रायपुर

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पीएम मोदी ने महिला दिवस पर छत्तीसगढ़ की दिवंगत कुंवर बाई को श्रद्धाजलि अर्पित की

Posted on :08-March-2018 6:13:06 am
पीएम मोदी ने महिला दिवस पर छत्तीसगढ़ की दिवंगत कुंवर बाई को श्रद्धाजलि अर्पित की

रायपुर : आज 8 मार्च को अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है महिला दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ की स्‍वच्‍छ भारत अभियान के लिए शुभंकर के तौर पर चुनी गयीं सामाजिक कार्यकर्ता दिवंगत कुंवर बाई को श्रद्धाजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार को कुंवर बाई से मुलाकात के अनुभव को बांटा, उन्‍होंने कहा- छत्‍तीसगढ़ दौरे के दौरान एक बार कुंवर बाई से मिलने का मौका मिला था जिसे हमेशा याद रखूंगा। कुंवर बाई उन सबके दिलों और दिमाग में हैं जो बापू के स्‍वच्‍छ भारत के सपने को हकीकत में बदलना चाहते हैं। उनसे मुझे प्रेरणा मिलती है। आपको बता दें की कुछ दिनों पहले ही 106 साल की उम्र में कुंवर बाई का निधन हो गया प्रधानमंत्री ने एक और ट्वीट किया जिसमें #SheInspiresMe के साथ लिखा- 106 वर्षीय कुंवर बाई का निधन इसी साल के शुरुआत में हो गया। छत्‍तीसगढ़ की कुंवरबाई ने शौचालय निर्माण के लिए अपनी बकरियों को बेच दिया। स्‍वच्‍छ भारत के लिए उनके इस योगदान को कभी भी नहीं भूला जा सकेगा।

पीएम मोदी और कुंवर बाई के लिए इमेज परिणाम

 

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अप्रैल से शराब के दुकानों में शराब की बिक्री पर अनिवार्य रूप से देना होगा बिल

Posted on :05-March-2018 11:35:21 am
अप्रैल से शराब के दुकानों में शराब की बिक्री पर अनिवार्य रूप से देना होगा बिल

रायपुर : अगले महीने यानि अप्रैल से शराब दुकानों में शराब की बिक्री पर अनिवार्य रूप से बिल देना होगा। चाहे शराब दुकान देशी हो या विदेशी यह दोनों पर लागू होगा आज सोमवार 5 मार्च को वाणिज्यिक कर एवं उद्योग मंत्री अमर अग्रवाल ने यह निर्देश दिए हैं उन्होंने कहा की दुकानों में भीड़ होने या और कोई बहाना स्वीकार नहीं किया जाएगा। बिलिंग नहीं होने की सूचना मिलने पर संबंधित जिले के आबकारी अधिकारी सीधे जिम्मेदार होंगे और उन पर कठोर कारवाई की जाएगी।

मंत्री अग्रवाल ने लोगों से भी अपील की यदि कोई शिकायत हो तो टोल फ्री नंबर 14405 पर शिकायत करें इन टोल फ्री नम्बर पर मिले शिकायतों पर गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी अग्रवाल ने आबकारी विभाग की टोल फ्री नंबर 14405 का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश भी दिए 
आबकारी मंत्री ने साफ चेताया है कि बिना बिलिंग और स्कैनिंग के शराब विक्रय किए जाने में यदि कोई तकनीकी दिक्कत अचानक सामने आती है, तो इसकी लिखित सूचना आबकारी संचालनालय को दी जाए। अन्यथा बख्शा नहीं जाएगा। अधिकारियांे ने बताया कि पिछले 11 महीनों में विभाग को 4 हजार 655 करोड़ रुपए की आबकारी राजस्व मिली है। श्री अग्रवाल ने जिलेवार देशी और विदेशी मदिरा दुकानों की खपत और आमदनी की समीक्षा भी की। उन्होंने अवैध मदिरा के खिलाफ अभियान तेज करने के निर्देश फ्लाईंग स्क्वायड के अधिकारियों को दिए। उन्होंने नए साल के लिए दुकानों के व्यवस्थापन और मदिरा परिवहन के लिए टेण्डर की प्रगति की भी जानकारी ली। बताया गया कि इस साल शराब परिवहन की दरें पिछले साल से तुलनात्मक रूप से कम आई है।

 

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बजट छत्तीसगढ़ की जनता को समर्पित ,जीएसडीपी में सात गुना की वृद्धि, वित्तीय प्रबंधन में छत्तीसगढ़ सबसे आगे : डॉ. रमन सिंह

Posted on :27-February-2018 6:42:49 am
बजट छत्तीसगढ़ की जनता को समर्पित ,जीएसडीपी में सात गुना की वृद्धि, वित्तीय प्रबंधन में छत्तीसगढ़ सबसे आगे : डॉ. रमन सिंह

विधानसभा में 87 हजार 463 करोड़ रूपए का विनियोग विधेयक ध्वनिमत से पारित

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा वित्त मंत्री की हैसियत से विधानसभा में प्रस्तुत 87 हजार 463 करोड़ रूपए के विनियोग विधेयक को सदन में चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि यह मेरे लिए ऐतिहासिक अवसर है, जब तीसरी पारी का पांचवां और लगातार प्रदेश का बारहवां बजट प्रस्तुत करने का सौभाग्य मिला। यह बजट अंत्योदय सहित समाज के सभी वर्गों को स्पर्श करता है। जनहितकारी योजनाओं के माध्यम से प्रदेश की जनता और छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा करने का मुझे अवसर मिला। हम प्रदेश को नई दिशा देने में सफल रहे। पिछले 14 वर्षों में आत्मविश्वास से भरपूर एक नई पीढ़ी तैयार हो गई है। उन्होंने कहा कि हमने जनहितकारी योजनाओं को जनता के अधिकार में बदल दिया, जिससे आने वाले समय में इन योजनाओं को बदला नहीं जा सकेगा, क्योंकि किसी कानूनी अधिकार को बदलना किसी निर्वाचित सरकार के लिए आसान नहीं होता। मैं इसे राईट बेस्ड इनटाईटलमेंट मानता हूं। डॉ. सिंह ने इस संबंध में खाद्य सुरक्षा कानून और कौशल का अधिकार कानून का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हमने भेदभाव को समाप्त करने के लिए योजनाओं का यथासंभव सभी वर्गों के लिए यूनिवर्सिलाईजेशन भी किया है। इनमें मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना, सरस्वती साईकल योजना, निःशुल्क गणवेश, पुस्तक प्रदाय योजना, किसानों को निःशुल्क बिजली, शून्य प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण, उज्ज्वला और स्काई के तहत स्मार्ट फोन वितरण शामिल हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ की जनता को धन्यवाद दिया और कहा कि जनता ने उन्हें लगातार बारहवीं बार बजट प्रस्तुत करने के लिए निमित्त बनाया। लोकतंत्र में जनता ही सर्वोच्च है और यह बजट छत्तीसगढ़ की जनता को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक आम धारणा है कि एक अच्छा वित्त मंत्री होने के लिए एक अच्छा अर्थशास्त्री होना जरूरी है, लेकिन मेरी नजर में बजट आर्थिक दस्तावेज से अधिक एक राजनीति दस्तावेज है, जिसमें आंकड़ों से ज्यादा महत्व विचारधारा का, जनता की अपेक्षाओं का, जनता के विश्वास का और उस सुख-दुःख का होता है, इसका सीधा असर लाखों जिन्दगियों पर पड़ता है। अच्छा बजट तो दिल से बनता है, जिसमें आम जनता के लिए संवेदनाएं जुड़ी हों। उन्होंने कहा कि पिछले 14 वर्षों में जीएसडीपी साढ़े गुना बढ़कर दो लाख 91 हजार 681 करोड़ रूपए हो गया है। यह हमारी ढाई करोड़ जनता के विकास और गौरव का विषय है। पिछले 14 वर्षों में बजट का आकार नौ गुना बढ़ा है। प्रतिव्यक्ति आय भी 2003 में 13 हजार रूपए से बढ़कर 92 हजार 035 रूपए सालाना हो गई है। यह जन-जन की सम्पन्नता का सूचक है। उन्होंने कहा कि स्वयं का कर राजस्व वर्ष 2003-04 में दो हजार 588 करोड़ की तुलना में वर्ष 2018-19 में बढ़कर 26 हजार 030 करोड़ रूपए हो गया है। यह दस गुना वृद्धि है। न केवल राज्य से बल्कि केन्द्र से भी संसाधन जुटाने में सफलता मिली है। केन्द्रीय करों में राज्य का हिस्सा 2003-04 में 1570 करोड़ रूपए की तुलना में 14 गुना बढ़कर 2018-19 में 22 हजार 955 करोड़ रूपए हो गया है। केन्द्र से प्राप्त सहायता अनुदान में भी 23 गुना वृद्धि हुई है। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में 14वें वित्त आयोग की राशि में राज्य का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया है। इसके फलस्वरूप राज्य की वित्तीय व्यवस्था में सुधार आया है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। राज्य का कुल व्यय 2003-04 में 8 हजार 174 करोड़ रूपए की तुलना में वर्ष 2018-19 में 83 हजार 179 करोड़ रूपए अनुमानित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आरबीआई की रिपोर्ट 2017 के अनुसार ऋण संकेतों में छत्तीसगढ़ देश में सबसे बेहतर स्थिति में है। छत्तीसगढ़ का ऋण भार कुल जीएसडीपी का 14.6 प्रतिशत है, जो सभी राज्यों के औसत 23.2 प्रतिशत से बहुत कम और देश में न्यूनतम है। सामाजिक क्षेत्र पर बजट में जीएसडीपी के अनुपात में सभी राज्यों के औसत 7.9 प्रतिशत प्रावधान की तुलना में सर्वाधिक 15.8 प्रतिशत का प्रावधान छत्तीसगढ़ के बजट में किया गया है, जो देश में प्रथम स्थान पर है। राज्य के बजट का 57.2 प्रतिशत भाग सामाजिक क्षेत्र पर खर्च किया जाता है, जो समाज कल्याण तथा सर्वोदय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सामान्यतः जीएसडीपी के तीन प्रतिशत तक वित्तीय घाटे की सीमा निर्धारित है। छत्तीसगढ़ उन चुनिंदा राज्यो में है, जिनकी ऋण सीमा बेहतर वित्तीय प्रबंधन के कारण जीएसडीपी के तीन प्रतिशत की सामान्य सीमा के स्थान पर 3.5 प्रतिशत है।  इससे 1500 करोड़ रूपए की अतिरिक्त ऋण सीमा प्राप्त करने की पात्रता मिलेगी। वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद का 2.96 प्रतिशत सकल वित्तीय घाटा अनुमानित है, जो निर्धारित सीमा के अंदर है।
कृषि बजट में 29 प्रतिशत की वृद्धि
    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य का कृषि बजट में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले 14 वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन में 58 प्रतिशत और बीज उत्पादन में 23 गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि इस खरीफ वर्ष में 12 लाख 6 हजार किसानों से आठ हजार 890 करोड़ रूपए का धान खरीदा गया। इस तरह प्रति किसान लगभग 73 हजार 700 रूपए का धान खरीदा गया। वर्ष 2018-19 में धान बोनस के लिए दो हजार 107 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि इस बजट में 6 नवीन कृषि महाविद्यालय की स्थापना, दो कृषि महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम तथा 100 उच्चतर माध्यमिक शालाओं में कृषि संकाय शुरू करने का प्रावधान किया है।
सूखे की स्थिति में किसानों के साथ खड़ी है छत्तीसगढ़ सरकार
    मुख्यमंत्री ने कहा कि सूखे की स्थिति में छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के साथ मजबूती से खड़ी है। प्रदेश के 96 तहसीलों में सूखे की स्थिति को देखते हुए सूखा राहत मद में वर्ष 2017-18 में 691 करोड़ रूपए की राशि आवंटित की गई है। अब तक लगभग पांच लाख किसानों को 350 करोड़ रूपए की मुआवजा राशि का वितरण किया जा चुका है। सूखा ग्रस्त 96 तहसीलों में मनरेगा के तहत 50 दिवस का अतिरिक्त रोजगार देने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को भारत सरकार से मंजूरी मिल गई है। इसलिए अब सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में 200 दिवस का रोजगार दिया जा सकेगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में भी सूखा प्रभावित किसानों को लगभग 450 करोड़ रूपए की क्लेम राशि के भुगतान की कार्रवाई की जा रही है।
जिला और सामुदायिक अस्पतालों में पैथोलॉजी एवं रेडियोलॉजी जांच मुफ्त
    स्वास्थ्य के क्षेत्र में जीएसडीपी का 5.7 प्रतिशत का प्रावधान किया गया है, जो पूरे देश में दूसरे स्थान पर है। इस वर्ष के बजट में प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी जैसी जांच सुविधा निःशुल्क उपलब्ध कराने के लिए 30 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना की राशि 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार कर दी गई है। इस योजना के अंतर्गत 38 लाख परिवारों को दो हजार करोड़ रूपए का चिकित्सा लाभ मिला है।
स्वच्छता दूत कुंवर बाई को श्रद्धांजलि
    मुख्यमंत्री ने विनियोग विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए छत्तीसगढ़ की स्वच्छता दूत श्रीमती कुंवरबाई को विशेष रूप से याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि कुंवरबाई अब हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उन्होंने जिले और राज्य में स्वच्छता के प्रति जो जनचेतना जागृत की, उससे पूरे प्रदेश में प्रेरणा का संचार हुआ। उन्होंने पूरे देश में छत्तीसगढ़ की अलग पहचान स्थापित की। प्रधानमंत्री ने भी उनका पैर छूकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि 2014 में प्रदेश में मात्र 20 ग्राम ओडीएफ थे। आज ओडीएफ ग्रामों की संख्या 18 हजार 800 हो चुकी है। इस तरह 95 प्रतिशत से अधिक गांव ओडीएफ हो चुके हैं।
भारत माला परियोजना से 410 किलोमीटर सड़क का निर्माण
    मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और श्री नितिन गड़करी की दूरदर्शी और महत्वकांक्षी योजना भारतमाला से छत्तीसगढ़ ईकानॉमिक कारिडोर डेव्हलपमेंट प्लान से जुड़ेगा और यहां 410 किलोमीटर सड़क का निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा। इसके तहत रायपुर से दुर्ग बायपास सिक्सलेन का निर्माण किया जा रहा है, जो राजनांदगांव के टेडेसरा से शुरू होकर दुर्ग, भिलाई, रायपुर शहरों को बायपास करते हुए सीधे आरंग से जुड़ेगा।
लगभग 19 लाख हितग्राहियों को मिलेगी सामाजिक सुरक्षा पेंशन
    मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे वृद्धजन, परित्यक्ता और निराश्रित जिनका नाम सर्वे सूची में छूट गया था। उनके लिए मुख्यमंत्री पेंशन योजना प्रारंभ की जा रही है। इससे लगभग तीन लाख वृद्धजन, परित्यक्ता और निराश्रित को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं में 16 लाख वृद्धजनों, विधवाओं और निराश्रितों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिल रही है। अब इनकी संख्या बढ़कर 19 लाख हो जाएगी।
भवन विहीन 663 आश्रम, छात्रावासों के लिए नया भवन
    मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में संचालित भवन विहीन 663 आश्रम, छात्रावासों के लिए नवीन भवन का निर्माण किया जाएगा। इससे प्रदेश में कोई भी छात्रावास और आश्रम भवन विहीन नहीं होंगे। उन्होंने बताया कि इस बजट में 30 नये महाविद्यालय प्रारंभ करने का प्रावधान भी किया गया है।
मुख्यमंत्री ने पूर्व वित्त मंत्री डॉ. सिंहदेव को किया याद
    मुख्यमंत्री ने विनियोग विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए छत्तीसगढ़ के प्रथम वित्त मंत्री डॉ. रामचंद्र सिंहदेव और पूर्व वित्त मंत्री श्री अमर अग्रवाल को याद किया। मुख्यमंत्री ने डॉ. सिंहदेव से मुझे और मेरी पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। उन्होंने श्री अमर अग्रवाल को भी धन्यवाद दिया और कहा कि श्री अग्रवाल ने वित्त मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह कुशलतापूर्वक किया।
 
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सितम्बर 2018 तक हर घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य : मुख्यमंत्री डॉ. सिंह

Posted on :24-February-2018 5:55:07 am
सितम्बर 2018 तक हर घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य : मुख्यमंत्री डॉ. सिंह

स्काई योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में 40 लाख, शहरी गरीबों तथा महाविद्यालयीन विद्यार्थियों को दिए जाएंगे पांच-पांच लाख स्मार्ट फोन
किसानों को निःशुल्क बिजली पर 5500 करोड़ से अधिक का अनुदान
क्षेत्रीय विमान कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने विमार्न इंधन पर वेट की दर एक प्रतिशत

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज छत्तीसगढ़ विधानसभा में अपने विभागों से संबंधित अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि पिछले 14 वर्षों में छत्तीसगढ़ में विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि पिछले 14 वर्षों में विद्युत के क्षेत्र में 28 हजार 151 करोड़ रूपए का निवेश हुआ है, जिसके फलस्वरूप राज्य विद्युत कम्पनी की उत्पादन क्षमता एक हजार 410 मेगावाट की तुलना में ढाई गुना बढ़कर तीन हजार 424 मेगावाट तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि हमने विद्युत आपूर्ति का ही लक्ष्य नहीं रखा है, बल्कि विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता को लक्ष्य बनाकर काम किया है, जिससे छत्तीसगढ़ को सरप्लस स्टेट से लेकर जीरो पावरकट स्टेट तक की ख्याति मिली है।  सदन में चर्चा के बाद मुख्यमंत्री के विभागों से संबंधित 9777 करोड़ 94 लाख 17 हजार रुपए की अनुदान मांगे ध्वनिमत से पारित कर दी गयीं। इनमें से सामान्य प्रशासन विभाग के लिए 324 करोड़ 98 लाख 10 हजार रुपए, सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय के लिए 28 करोड़ 36 लाख 80 हजार रुपए, वित्त विभाग से संबंधित व्यय के लिए 5494 करोड़ 53 लाख 46 हजार रुपए, जिला परियोजनाओं से संबंधित व्यय के लिए 52 करोड़ 75 लाख रुपए, ऊर्जा विभाग से संबंधित व्यय के लिए 2467 करोड़ 85 लाख 76 हजार रुपए, खनिज साधन विभाग से संबंधित व्यय के लिए 708 करोड़ 78 लाख 79 हजार रुपए, जनसंपर्क विभाग से संबंधित व्यय के लिए 225 करोड़ 47 लाख 50 हजार रुपए, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के लिए 416 करोड़ 07 लाख 84 हजार रुपए तथा विमानन विभाग के लिए 59 करोड़ 10 लाख 92 हजार रुपए की अनुदान मांगे शामिल हैं।
    मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि अब हम क्वालिटी पावर सप्लाई में भी पहचान बनाने में सफल हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली का उत्पादन और उपलब्धता के कारण प्रदेश में चार हजार 233 मेगावाट की अधिकतम मांग को पूरा करने का भी नया कीर्तिमान स्थापित किया है। बेहतर प्रबंधन से वितरण हानि की दर को 40 प्रतिशत से कम कर 19 प्रतिशत लाने में सफलता प्राप्त की है। जिससे हर वर्ष उपभोक्ताओं को लगभग 1500 करोड़ रूपए का लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के रिपोर्ट के मुताबिक स्टेट सेक्टर परफार्मेंस आधारित मूल्यांकन में राज्य की उत्पादन कम्पनी के विद्युत घरों को देश भर में अग्रणी होने का गौरव मिला है। राज्य उत्पादन कम्पनी संचालित संयंत्रों का पीएलएफ 72 प्रतिशत प्राप्त कर देश में चौथे स्थान पर है। राज्य सरकार की नीतियों के कारण प्रदेश में विभिन्न बिजली उत्पादकों के माध्यम से समग्र उत्पादन क्षमता चार हजार 313 मेगावाट से बढ़कर 22 हजार 851 मेगावाट हो गई है। डॉ. सिंह ने कहा कि हमने वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों पर भी काम किया है। हमने ’मुख्यमंत्री सौर शक्ति’ योजना प्रारंभ की है, जिससे अपने उपयोग की बिजली अपनी छत पर पैदा की जा सकती है। विद्युत पारेषण की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 14 वर्षों में राज्य में अति उच्च दाब उपकेन्द्रों की संख्या 39 से बढ़कर 97 हो गई है, वहीं अति उच्च दाब लाइन चार हजार 845 सर्किट किलोमीटर से बढ़कर 11 हजार 096 सर्किट किलोमीटर हो गई है। उन्होंने कहा कि ये काम किसी जादू से नहीं होता, बल्कि लगातार योजना बनाकर काम करने से होता है। निरंतर सुधार के कारण पारेषण हानि चार प्रतिशत से घटकर 2.81 प्रतिशत तक हो गई है। इससे भी बिजली की उपलब्धता बढ़ी है।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले गांव में एक बल्ब लटकाकर भी उस गांव को विद्युतीकृत घोषित कर दिया जाता था। इसके बावजूद 52 वर्षों में सिर्फ 89 प्रतिशत गांवों तक विद्युतीकरण किया जा सका था। अब विद्युतीकरण की परिभाषा बदल चुकी है। हमने मार्च 2018 तक प्रदेश के हर घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि मार्च 2015 की स्थिति में एक हजार 080 अविद्युतीकृत गांवों में बिजली अधोसंरचना तथा बीपीएल परिवारों को निःशुल्क विद्युत कनेक्शन के कार्य शेष थे, जिसमें 985 गांवों का विद्युतीकरण पूर्ण हो चुका है। शेष बचे सुकमा और बीजापुर जिले के 95 अविद्युतीकृत गांवों को मार्च 2018 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है। प्रदेश के सभी मजरा-टोलों को विद्युतीकृत करने के लिए हमने 2014-15 में मुख्यमंत्री मजरा-टोला योजना शुरू की थी। प्रदेश के 71 हजार 123 बसाहटों में बिजली पहुंच चुकी है। शेष छह हजार 317 बसाहटों को सितम्बर 2018 तक विद्युतीकृत करने का लक्ष्य। प्रधानमंत्री सहज बिजली-हर घर बिजली योजना (सौभाग्य) के तहत 832 करोड़ रूपए की लागत से अविद्युतीकृत छह लाख 24 हजार घरों में बिजली कनेक्शन प्रदान किया जा रहा है।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में विद्युतीकृत सिंचाई पम्पों की संख्या 73 हजार से बढ़कर चार लाख 70 हजार तक पहुंच गई है, जिसके कारण एग्रीकल्चर लोड 310 मेगावाट से बढ़कर 1048 मेगावाट तक पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि इनमें से चार लाख 57 हजार किसानों को कृषक जीवन ज्योति योजना के अंतर्गत 7500 यूनिट तक निःशुल्क विद्युत उपलब्ध कराई जा रही है। इस प्रकार प्रत्येक किसान को प्रतिवर्ष 37 हजार रूपए की सहायता मिल रही है, जो किसानों को वितरित धान बोनस की राशि से अधिक है। अब तक किसानों को विद्युत पर 5500 करोड़ रूपए से अधिक का अनुदान दिया जा चुका है।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को खनिज से मिलने वाले राजस्व में लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2003-04 में खनिजों से 637 करोड़ रूपए का राजस्व मिलता था, जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 4800 करोड़ रूपए होने का अनुमान है, जो 2003-04 की तुलना में 7.5 गुना अधिक है। उन्होंने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस नीति के तहत छत्तीसगढ़ सबसे सफल उदाहरण है। ई-ऑक्सन के माध्यम से खदानों के आवंटन में पारदर्शिता, सुगमता और जनसामान्य में आवंटन प्रक्रिया में विश्वसनीयता बढ़ी है। छत्तीसगढ़ में डीएमएफ में भी उल्लेखनीय काम हुए हैं। अब तक इस मद में 2557 करोड़ रूपए जमा हो चुका है। अब तक डीएमएफ से 2800 करोड़ रूपए की लागत से 26 हजार 664 कार्यों की स्वीकृति दी जा चुकी है। डीएमएफ की राशि से मुख्य खनिजों के खदानों के आसपास के 74 गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने के लिए 100 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत की गई है, जहां सभी बुनियादी सुविधा उपलब्ध होंगी। डीएमएफ की राशि से कई अभिनव कार्य भी हुए हैं, जिनमें दंतेवाडा और बीजापुर में सर्वसुविधायुक्त अस्पताल, कोरबा में विशाल शिक्षा परिसर, रायपुर में सेंट्रल लाईब्रेरी और ऑक्सी शैक्षणिक जोन तथा दंतेवाड़ा में युवा नामक बीपीओ कॉल सेंटर की स्थापना की गई है, जहां बस्तर के 450 युवाओं को रोजगार मिला है। छत्तीसगढ़ खनिज विकास निधि में अब तक एक हजार 419 करोड़ रूपए का अंशदान प्राप्त हुआ है। इससे 600 करोड़ रूपए सड़क के लिए, 275 करोड़ रूपए रेल नेटवर्क के लिए तथा 103 करोड़ रूपए विमानन सेवा नेटवर्क का विस्तार किया जाएगा।
    मुख्यमंत्री ने सामान्य प्रशासन विभाग के अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश में 27 जनजातियों के उच्चारण संबंधी विभेदों को मान्य किया गया है, इसके कारण पांच लाख परिवारों को राहत मिली है। इनके जाति प्रमाण पत्र बनने में आसानी हुई है। उन्होंने कहा कि अविवाहित अथवा विधुर शासकीय सेवक जिसके पुत्र-पुत्री नहीं है, उनके आश्रित माता-पिता, भाई-बहन को भी चतुर्थ श्रेणी के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति के लिए शैक्षणिक अर्हता मे छूट दी गई है।
    विमानन विभाग से संबंधित मांगों पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विमान सेवाओं में काफी विस्तार हुआ है। 2003 में रायपुर में तीन विमान आते थे, जिससे साल भर में एक लाख यात्री ही सफर कर पाते थे। अब यहां 23 फ्लाइट आती और जाती है, जिससे साल भर में 15 लाख से ज्यादा यात्री सफर करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विमान सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए विमान के इंधन पर वेट की दर 25 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत किया है। साथ ही रिजनल कनेक्टिविटी के विस्तार के लिए विमान के इंधन पर वेट की दर चार प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत किया गया है। अधोसंरचनात्मक विकास के अंतर्गत बलरामपुर और जशपुर में नवीन हवाई पट्टी विकसित की गई है। बीजापुर और दंतेवाड़ा में भी हवाई पट्टी का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रिजनल कनेक्टिविटी योजना के तहत राज्य के भीतर विमान सेवा प्रारंभ करने के लिए अम्बिकापुर और जगदलपुर एयरपोर्ट के विकास का कार्य पूर्ण हो चुका है। बिलासपुर के चकरभाटा एयरपोर्ट में भी निर्माण कार्य प्रगति पर है।
    इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि रोटी, कपड़ा, मकान और बिजली के साथ मोबाइल कनेक्टिविटी भी लोगों की सर्वोच्च आवश्यकताओं में शामिल हो गई है। इसलिए मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए योजनाबद्ध ढंग से काम कर रहे हैं। बस्तर नेट परियोजना के अंतर्गत बस्तर के सातों जिलों में 65 करोड़ रूपए की लागत से 836 किलोमीटर लम्बी ऑप्टिकल फाईबर केबल बिछाई जा रही है, जिसमें से 200 किलोमीटर का काम पूरा हो गया है। इसी तरह भारत नेट के प्रथम चरण में 65 विकासखण्डों की 4100 ग्राम पंचायतों को इंटरनेट कनेक्टिविटी दी जा चुकी है। इस परियोजना के द्वितीय चरण मे 1624 करोड़ रूपए की लागत से 5987 ग्राम पंचायतों को कनेक्टिविटी देने के लिए 32466 किलोमीटर ऑप्टिकल फाईबर केबल  बिछाया जाएगा। उन्होंने कहा कि संचार क्रांति योजना (स्काई) के तहत 50 लाख स्मार्ट फोन वितरित किए जाएंगे। इसमें से ग्रामीण क्षेत्रों में 40 लाख और शहरी गरीबों को पांच लाख तथा महाविद्यालयीन विद्यार्थियों को पांच लाख स्मार्ट फोन दिए जाएंगे। इसके लिए 700 टावर लगाए जाएंगे। केन्द्र सरकार के सहयोग से 146 मोबाइल टावर पहले ही लगाए जा चुके हैं। केन्द्र सरकार द्वारा 1800 करोड़ रूपए की लागत की 1028 नये टावर लगाने की स्वीकृति दी गई। इस प्रकार कुल दो हजार 646 टावर लगाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने योजनाओं के मॉनिटरिंग के लिए संचालित जनसंवाद परियोजना की भी जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने जनसम्पर्क विभाग के अनुदान मांगों पर चर्चा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत पत्रकारों के लिए 80 हजार रूपए तक के निःशुल्क इलाज की सुविधा दी गई है। उन्होंने मीडिया कर्मी दुर्घटना बीमा योजना, पत्रकार सम्मान निधि योजना और पत्रकार कल्याण निधि की भी जानकारी दी।
 
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आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए बस्तर में डेढ़ सौ देवगुड़ी निर्माण की मुख्यमंत्री ने दी तुरंत मंजूरी

Posted on :23-February-2018 6:02:07 am
आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए बस्तर में डेढ़ सौ देवगुड़ी निर्माण की मुख्यमंत्री ने दी तुरंत मंजूरी

रायपुर : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य के सरगुजा और बस्तर आदिवासी विकास प्राधिकरणों के कार्यक्षेत्र में सौर सुजला योजना के तहत किसानों के खेतों में सोलर सिंचाई पम्पों की स्थापना के कार्यों में और भी ज्यादा तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बीते दिन 22 फरवरी अपरान्ह यहां सरगुजा और उत्तर क्षेत्र तथा बस्तर और दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरणों की अलग-अलग बैठकों में विभिन्न योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की। विधानसभा के नवीन समिति कक्ष में आयोजित दोनों बैठकों में सदस्यों ने अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के 27 समुदायों के जातिगत नामों के उच्चारण विभेदों को मान्य करने और जाति प्रमाण पत्र जारी करने के ऐतिहासिक निर्णय के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट करते हुए उनका अभिनंदन किया। डॉ. रमन सिंह ने इस अवसर पर सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की उपलब्धियों पर आधारित पुस्तिका का विमोचन भी किया।

    बैठक में बताया गया कि लगभग डेढ़ साल पहले (नवम्बर 2016) से राज्य शासन द्वारा शुरू की गई सौर सुजला योजना के तहत दोनों प्राधिकरणों के 22 जिलों में अब तक 19 हजार 025 सोलर पम्प स्वीकृत किए जा चुके हैं। इनमें से अब तक ग्यारह हजार 705 किसानों के खेतों में सोलर सिंचाई पम्प लगाए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि शेष मंजूरशुदा प्रकरणों में भी पम्प स्थापना का कार्य तेजी से किया जाएगा। सौर ऊर्जा से चलने वाले ये सिंचाई पम्प नाम मात्र कीमत पर किसानों को दिए जा रहे हैं।

 मुख्यमंत्री ने पहले बस्तर और दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक ली। इसमें संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) के सहयोग से बनने वाले 200 बिस्तरों के सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल निर्माण के प्रस्ताव पर भी चर्चा की गई। डॉ. रमन सिंह ने बस्तर संभाग के कमिश्नर और अन्य संबंधित अधिकारियों से कहा कि वे इस संबंध में एनएमडीसी के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक से बातचीत करें। डॉ. सिंह ने बस्तर प्राधिकरण की बैठक में अगले माह मार्च तक 150 देवगुड़ी निर्माण के लिए डेढ़ करोड़ रूपए तत्काल मंजूर कर दिए और संबंधित अधिकारियों से कहा कि यह राशि दस मार्च तक जारी कर दी जाए। प्रत्येक देवगुड़ी के लिए एक लाख रूपए मंजूर किए गए। अधिकारियों ने बताया कि बस्तर प्राधिकरण के कार्य क्षेत्र के 12 जिलों में आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और विकास के लिए वर्ष 2017-18 में 218 देवगुड़ी निर्माण का लक्ष्य है। इसके लिए एक-एक लाख रूपए के मान से दो करोड़ 18 लाख रूपए की धनराशि आवंटित की जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने आज की बैठक में 150 और देवगुड़ी निर्माण की स्वीकृति प्रदान कर दी।

    दोनों प्राधिकरणों की राशि से आदिम जाति विकास विभाग द्वारा संचालित शहीद वीरनारायण सिंह स्वावलंबन योजना के तहत आदिवासी युवाओं को स्व-रोजगार स्थापना के लिए दी जा रही वित्तीय सहायता की भी आज की बैठकों में समीक्षा की गई। इस योजना के तहत चयनित युवाओं को व्यवसाय प्रारंभ करने और दुकान निर्माण के लिए सहायता दी जाती है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दोनों प्राधिकरणों के जिलों में योजना के तहत स्वीकृत प्रकरणों और निर्मित दुकानों तथा व्यवसाय शुरू कर चुके हितग्राहियों का भौतिक सत्यापन करवाने के भी निर्देश दिए।
    बैठक में बताया गया कि बस्तर प्राधिकरण द्वारा चालू वित्तीय वर्ष को मिलाकर विगत तीन वित्तीय वर्षों में शहीद वीर नारायण सिंह स्वाललंबन योजना के तहत 600 हितग्राहियों के लिए दस करोड़ 62 लाख रूपए मंजूर किए जा चुके हैं।

वर्ष 2015-16 में 300 हितग्राहियों के लिए चार करोड़ 56 लाख रूपए, वर्ष 2016-17 में 250 हितग्राहियों के लिए पांच करोड़ 05 लाख रूपए और वर्तमान वित्तीय वर्ष 2017-18 में 50 हितग्राहियों के लिए एक करोड़ 01 लाख रूपए की धनराशि मंजूर की गई है।योजना के तहत उनके लिए दुकानों का निर्माण भी किया जा रहा है। अब तक स्वीकृत 600 प्रकरणों में लगभग 200 युवाओं ने स्वयं का व्यवसाय भी शुरू कर दिया है। सरगुजा और उत्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अंतर्गत शहीद वीरनारायण सिंह स्वावलंबन योजना में वर्ष 2016-17 और वर्ष 2017-18 में 300 हितग्राहियों के लिए छह करोड़ 05 लाख रूपए मंजूर किए जा चुके हैं। इनमें से 244 हितग्राहियों की दुकानों का निर्माण प्रगति पर है। इसके पहले के तीन वित्तीय वर्षों में वर्ष 2013-14 से 2015-16 तक शहीद वीर नारायण सिंह स्वावलंबन योजना में 800 युवाओं के लिए 12 करोड़ 16 लाख रूपए मंजूर किए गए थे। इनमें से 669 युवाओं ने स्वयं का व्यवसाय शुरू कर दिया है। दोनों प्राधिकरणों के जिलों में किसानों के असाध्य सिंचाई पम्पों को बिजली का कनेक्शन देने के लिए चल रहे कार्यों की समीक्षा भी आज की बैठकों में की गई।

    उल्लेखनीय है कि सरगुजा और उत्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अंतर्गत राज्य के दस जिले क्रमशः सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर-रामानुजगंज, जशपुर, कोरिया, कोरबा, रायगढ़, बिलासपुर, मुंगेली और कबीरधाम को शामिल किया गया है। बस्तर और दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अंतर्गत 12 जिले-सुकमा, कांकेर, कोण्डागांव, दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर (जगदलपुर), नारायणपुर, गरियाबंद, धमतरी, बालोद, राजनांदगांव और कबीरधाम शामिल हैं। आज की बैठक में दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला क्षेत्र में लौह अयस्क मिश्रित पानी की समस्या को देखते हुए पूर्व में 32 गांवों के लिए स्वीकृत कुल 53 करोड़ 48 लाख रूपए की धुरली और नेरली समूह जल प्रदाय योजनाओं की भी समीक्षा की गई। अधिकारियों ने बताया कि दोनों योजनाओं में पचास-पचास प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुके हैं। इन योजनाओं को जून 18 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है।

इसी कड़ी में दंतेवाड़ा जिले के 66 गांवों की 68 बसाहटों में सौर ऊर्जा आधारित ड्यूल पम्प स्थापना के लिए क्रेडा को पूर्व की बैठक में पांच करोड़ 22 लाख रूपए मंजूर किए जा चुके हैं। बालोद जिले के विकासखण्ड डौंडी में दल्लीराजहरा लौह अयस्क खदान के नजदीक 75 गांवों में शुद्ध पेयजल के लिए सौर ऊर्जा आधारित पम्प स्थापना के बारे में भी बैठक में चर्चा की गई। अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार की एजेंसी क्रेडा द्वारा इनमें से 52 गांवों में सौर ऊर्जा से संचालित ड्यूल ऑपरेटेड पम्पों की स्थापना की जा चुकी है। कबीरधाम जिले के बोड़ला क्षेत्र के 247 गांवों में भी प्राधिकरण की राशि से शुद्ध पेयजल व्यवस्था के लिए चल रहे कार्यों की समीक्षा आज की बैठक में की गई। यह कार्य भी क्रेडा द्वारा किया जा रहा है। इन गांवों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा क्रेडा के सहयोग से सोलर पम्पों के जरिए पेयजल व्यवस्था की जा रही है। मुख्यमंत्री ने सदस्यों से चालू वित्तीय वर्ष के अंतर्गत प्राधिकरणों की शेष राशि को ध्यान में रखते हुए अपने प्रस्ताव जल्द मार्च से पहले प्रस्तुत करने का अनुरोध किया।

    सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण की बैठक में गृह मंत्री श्री रामसेवक पैकरा, स्कूल शिक्षा और आदिम जाति विकास मंत्री श्री केदार कश्यप, महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री श्रीमती रमशीला साहू, वन और विधि मंत्री श्री महेश गागड़ा, नगरीय प्रशासन और विकास मंत्री श्री अमर अग्रवाल, श्रम और खेल मंत्री श्री भईयालाल राजवाड़े, प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री राजशरण भगत, लोकसभा सांसद श्री कमलभान सिंह, संसदीय सचिव श्रीमती चम्पादेवी पावले, संसदीय सचिव श्री तोखन साहू, विधानसभा के नेताप्रतिपक्ष श्री टी.एस. सिंहदेव, विधायकगण सर्वश्री अमरजीत भगत, खेलसाय सिंह, उमेश पटेल, चिंतामणि सिंह, श्याम बिहारी जायसवाल, बृहस्पति सिंह , श्यामलाल कंवर, जयसिंह अग्रवाल और डॉ. (श्रीमती) रेणु जोगी, सहित प्राधिकरण के जिलों के अनेक विधायक तथा अन्य जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

 

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छत्तीसगढ़ का धान कैन्सर के इलाज में सक्षम : तीन किस्मों में पाए गए कैन्सर कोशिकाओं को नष्ट करने के गुण

Posted on :17-February-2018 5:46:32 am
छत्तीसगढ़ का धान कैन्सर के इलाज में सक्षम : तीन किस्मों में पाए गए कैन्सर कोशिकाओं को नष्ट करने के गुण

रायपुर : छत्तीसगढ़ का धान खतरनाक बीमारी कैन्सर से लड़ने में मददगार साबित हुआ है। भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर मुम्बई में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के सहयोग से किये जा रहे अनुसंधान में छत्तीसगढ़ की तीन औषधीय धान प्रजातियों - गठवन, महाराजी और लाईचा में फेफडे़ एवं स्तन के कैन्सर की कोशिकाओं को खत्म करने के गुण पाए गए हैं। इनमें से लाईचा प्रजाति कैन्सर की कोशिकाओं का प्रगुणन रोकने और उन्हें समाप्त करने में सर्वाधिक प्रभावी साबित हुई है। 

औषधीय धान की ये तीनों प्रजातियां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में संग्रहित जर्मप्लाज्म से ली गई हैं। इस नये अनुसंधान से कैन्सर के इलाज में आशा की एक नई किरण जागी है। मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंह और कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने अनुसंधान के परिणामों पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ने में प्रदेश की बहुमूल्य धान प्रजातियां समक्ष है। कृषि वैज्ञानिक स्वर्गीय डॉ रिछारिया की मेहनत से इस तरह की दुर्लभ प्रजातियों के धान जर्मप्लाज्म छत्तीसगढ़ के पास उपलब्ध है।

    इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर मुम्बई के मध्य हुए अनुबंध के तहत बार्क मुम्बई में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के एम.एस.सी. के छात्र श्री निषेष ताम्रकार द्वारा बार्क के वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा (रेडिएशन बायोलॉजी एवं हेल्थ साइंस डिविजन) एवं डॉ. बी.के. दास (न्यूक्लियर एग्रीकल्चर एण्ड बायोटेक्नोलॉजी डिविजन) के मार्गदर्शन में किये गए एक अनुसंधान में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के जर्मप्लाज्म में संग्रहित औषधीय धान की तीन किस्मों गठवन, महाराजी और लाईचा के एक्सट्रेक्ट का प्रयोग मानव ब्रेस्ट कैन्सर सेल्स (एम.सी.एफ.-7) एवं मानव लंग कैन्सर सेल्स (ए.-549) के प्रगुणन को रोकने के लिए किया गया।

प्रयोगशाला में किये गए अनुसंधान के निर्ष्कषों से पता चलता है कि इन तीनों किस्मों के मेथेनॉल में बने एक्सट्रेक्ट ने हयूमन ब्रेस्ट कैन्सर और हयूमन लंग कैन्सर कोशिकाओं की वृद्धि को ना केवल रोक दिया बल्कि कैन्सर कोशिकाओं को नष्ट भी कर दिया। धान की इन तीनों किस्मों में से लाईचा किस्म ब्रेस्ट कैन्सर सेल्स को नष्ट करने में सबसे प्रभावी साबित हुई। लंग कैन्सर सेल्स को नष्ट करने में तीनों किस्में लगभग बराबर प्रभावी रहीं। हयूमन ब्रेस्ट कैन्सर सेल्स के संबंध में किये गए अनुसंधान में गठवन धान के एक्सट्रेक्ट ने जहां 10 प्रतिशत कैन्सर सेल्स को नष्ट किया वहीं महाराजी के एक्सट्रेक्ट ने लगभग 35 प्रतिशत और लाईचा के एक्सट्रेक्ट ने लगभग 65 प्रतिशत कैन्सर सेल्स को नष्ट कर दिया। इसी प्रकार हयूमन लंग कैन्सर के संबंध में किये गए अनुसंधान में गठवन धान के एक्सट्रेक्ट ने जहां 70 प्रतिशत कैन्सर सेल्स को नष्ट किया वहीं महाराजी के एक्सट्रेक्ट ने लगभग 70 प्रतिशत और लाईचा के एक्सट्रेक्ट ने लगभग 100 प्रतिशत कैन्सर सेल्स को नष्ट कर दिया। कैन्सर सेल्स नष्ट करने के लिए आवश्यक एक्टिव इन्ग्रेडिएट की मात्रा 200 ग्राम चावल प्रति दिन खाने से प्राप्त की जा सकती है।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील ने अनुसंधान के परिणामों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा है कि डॉ. आर.एच. रिछारिया द्वारा संग्रहित छत्तीसगढ़ की धान की किस्मों में कैन्सर का इलाज पाया जाना विश्वविद्यालय और छत्तीसगढ़ राज्य के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अनुसंधान के परिणामों के आधार पर शीघ्र ही कैन्सर का इलाज खोजा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अनुसंधान के अगले चरण में इन चावल की किस्मों से एक्टिव तत्व अलग करने एवं उनका चूहों पर प्रयोग करने की योजना तैयार की जा रही है।

 

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बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि प्रभावित किसानों को जल्द मिलेगा मुआवजा, बैठक में फैसला

Posted on :15-February-2018 10:21:54 am
बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि प्रभावित किसानों को जल्द मिलेगा मुआवजा, बैठक में फैसला

रायपुर : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आज विधानसभा परिसर स्थित मुख्य समिति कक्ष में मंत्रि परिषद की बैठक आयोजित की गई। मुख्यमंत्री ने बैठक में प्रदेश के कुछ जिलों में हाल ही में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को राजस्व पुस्तक परिपत्र (आरबीसी) 6-4 के तहत मुआवजा वितरण जल्द से जल्द करने के निर्देश राजस्व विभाग को दिए।उन्होंने राजस्व विभाग से कहा कि फसल क्षति का सर्वेक्षण जल्द पूर्ण कर मुआवजा देने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना-सबके लिए आवास (शहरी) मिशन के तहत स्वीकृत और प्रस्तावित परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए राज्यांश राशि की प्रतिपूर्ति हेतु लगभग 3357 करोड़ रूपए का ऋण प्राप्त किया जाएगा। यह ऋण राज्य शहरी विकास अभिकरण द्वारा 20 वर्षों के लिए लिया जाएगा। ऋण अवधि वर्ष 2017-18 से 2036-37 तक होगी।

 

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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में ‘द इंडिया कॉन्फ्रेंस कॉन्क्लेव’ में शामिल हुए प्रमुख सचिव अमन सिंह

Posted on :13-February-2018 8:33:37 am
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में ‘द इंडिया कॉन्फ्रेंस कॉन्क्लेव’ में शामिल हुए प्रमुख सचिव अमन सिंह

अमेरिका /रायपुर : अमेरिका के मैसाचुसैट्स शहर के कैंब्रिज स्थित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में 10 और 11 फ़रवरी को हार्वर्ड कैनेडी स्कूल और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल द्वारा संयुक्त रूप से दो दिवसीय वार्षिक कांफ्रेंस ‘द इंडिया कॉन्फ्रेंस कॉन्क्लेव’ का आयोजन किया गया, इसमें छत्तीसगढ़ से मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के प्रमुख सचिव अमन सिंह शामिल हुए।

प्रमुख सचिव अमन सिंह ने “व्यापार और सरकार के मध्य तेजी से सहयोग” विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने इस विषय पर सरकार के नियंत्रण और अधिनियमों के बीच के अंतर के बारे में बात करते हुए कहा कि आवश्यक अधिनियम के बिना भी अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते  है और ट्राई इसका एक सफल उदाहरण है। अमन सिंह ने कांफ्रेंस में कहा कि देश में मजबूत पैरवी कानूनों की आवश्यकता है जिससे कि आपसी सहयोग को और बेहतर और सम्मानजनक बनाया जा सके।

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छत्तीसगढ़ की पंचायती राज व्यवस्था सबसे ज्यादा जागरूक: डॉ. रमन सिंह

Posted on :13-February-2018 6:12:37 am
छत्तीसगढ़ की पंचायती राज व्यवस्था सबसे ज्यादा जागरूक: डॉ. रमन सिंह

रायपुर : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की पंचायती राज व्यवस्था सबसे ज्यादा जागरूक और सक्रिय है। पंचायतों की सक्रियता से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत छत्तीसगढ़ सबसे पहले खुले में शौच मुक्त राज्य बन रहा है। मुख्यमंत्री कल यहां विधानसभा परिसर स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सभागार में हमर छत्तीसगढ़ योजना के अंतर्गत विधानसभा के भ्रमण पर आए धमतरी जिले के कुरूद, जांजगीर-चांपा जिले के चन्द्रपुर, कांकेर और बस्तर जिले से आए पंचायती राज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे।

      मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायतों की सक्रियता से स्वच्छ छत्तीसगढ़ और स्वच्छ भारत की कल्पना साकार होगी। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों को यह भी बताया कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना का लाभ पाने से बचे हुए पात्र वृद्धजन, विधवा और परित्यक्ताओं के नाम पेंशन योजना में जोड़े जाएंगे। वर्ष 2018-19 के बजट में इस योजना की घोषणा कर दी गई है। अनुमान के मुताबिक इन वर्गों के लगभग तीन लाख पात्र हितग्राहियों के नाम पेंशन योजना के लिए जोड़े जाएंगे। मुख्यमंत्री ने उन्हें विधानसभा के कार्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने शिवरात्रि पर्व की शुभकामनाएं भी जनप्रतिनिधियों को दी।

      विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल ने पंचायती राज जनप्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ देश में अकेला राज्य है। जहां पंचायत राज संस्थाओं के चुने हुए जनप्रतिनिधियों को राज्य सरकार द्वारा राजधानी में आमंत्रित कर उन्हें प्रदेश में हो रहे विकास कार्यों और शासन की योजनाओं की जानकारी दी जा रही है। जिससे हमारे जनप्रतिनिधि यह समझ सके कि छत्तीसगढ़ विकास के रास्ते पर कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस वर्ष के बजट में एक साथ 30 नए महाविद्यालय प्रारंभ करने की घोषणा की है।

उन्होंने यह भी बताया कि बजट में पंचायती राज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, मितानिनों के मानदेय में बढ़ोत्तरी की घोषणा मुख्यमंत्री ने की है। श्री अग्रवाल ने पंचायत प्रतिनिधियों को बताया कि बजट की घोषणा से प्रदेश की लगभग 70 हजार मितानिनों के मानदेय में 400 से 1000 रूपए तक की वृद्धि होगी।

त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के तहत जिला पंचायत अध्यक्ष का मानदेय 10 हजार रूपए से बढ़ाकर 15 हजार रूपए, जिला पंचायत सदस्यों का मानदेय चार हजार से बढ़कार छह हजार रूपए, जनपद पंचायत अध्यक्षकों का मानदेय साढ़े चार हजार रूपए से बढ़ाकर छह हजार रूपए, जनपद पंचायत उपाध्यक्षों का मानदेय 2500 से बढ़ाकर 4000 रूपए और जनपद सदस्यों का मानदेय 1200 से बढ़कार 1500 रूपए का दिया गया है। रोजगार सहायकों को कोटवारों के मानदेय में भी वृद्धि की गई है।

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अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर खरीदी मामले में रमन सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत, याचिका रद्द !

Posted on :13-February-2018 6:02:55 am
अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर खरीदी मामले में रमन सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत, याचिका रद्द !

रायपुर : मंगलवार 13 फरवरी महाशिवरात्रि के मौके पर आज सुप्रीम कोर्ट ने रमन सरकार को एक बड़ी राहत दी है दरअसल अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर खरीदने के मामले में जांच की मांग करने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी है आपको बता दें की विपक्ष अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर खरीदी को लेकर रमन सरकार पर लगातार हमलावर हो रही थी और बड़े घोटाले का आरोप भी लगा रहे थे लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष की आगे की रणनीति क्या होगी यह देखना होगा चूँकि इसी वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ।

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मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा- आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का चमत्कार है लेप्रोस्कोपिक सर्जरी

Posted on :09-February-2018 6:17:53 am
मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा- आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का चमत्कार है लेप्रोस्कोपिक सर्जरी

रायपुर : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि लेप्रोस्कोपिक सर्जरी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का चमत्कार है। मरीजों के लिए जीवन को बेहतर बनाने की कम तकलीफ वाली ,लाभप्रद और राहत देने वाली सर्जरी है। मुख्यमंत्री ने बीते दिन गुरुवार 8 फरवरी को राजधानी रायपुर में इंडियन एसोशिएसन ऑफ गस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडो सर्जन्स के तीन दिवसीय 15 वें राष्ट्रीय सम्मलेन का शुभारम्भ करते हुए इस आशय के विचार प्रकट किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता में स्वास्थ्य मंत्री श्री अजय चंद्राकर ने की। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर आयोजकों की ओर से कई वरिष्ठ चिकित्सकों को स्मृति चिन्ह और शॉल भेंटकर सम्मानित किया। डॉ. सिंह ने कार्यक्रम में एक स्मारिका और सीडी का भी विमोचन किया। सम्मेलन का आयोजन एसोसिएशन के सहयोग से जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर के सर्जरी विभाग और सर्जन्स क्लब रायपुर द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।

    उन्होंने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है कि यहां पहली बार राष्ट्रीय स्तर का यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जिसमें देश-विदेश के लगभग 850 लेप्रोस्कोपिक सर्जन शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन इसमें शामिल हो रहे सभी लोगों के लिए ज्ञानवर्धक और यादगार होगा। उन्होंने कहा कि पिछले 14 वर्षों में छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं में काफी वृद्धि हुई है। मेडिकल कॉलेजों की संख्या दो से बढ़कर दस और नर्सिंग कॉलेजों की संख्या दो से बढ़कर 96 हो गई है। राष्ट्रीय स्तर के सभी प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थान अब छत्तीसगढ़ में भी संचालित हो रहे हैं। लोगों के जीवन स्तर में भी काफी सुधार हुआ है।

 मुख्यमंत्री ने कहा-राज्य में बिजली का उत्पादन बढ़कर लगभग 30 हजार मेगावाट तक पहुंच गया है। पूरे देश में प्रतिव्यक्ति बिजली की औसत वार्षिक खपत छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा 1760 यूनिट है, जबकि राष्ट्रीय औसत 650 यूनिट का है। डॉ. सिंह ने सम्मेलन में छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि नक्सल समस्या को लेकर राज्य के बाहर के लोगों में कुछ भ्रांतियां हैं।

यह समस्या उतनी ज्यादा नहीं हैं, जितनी की छत्तीसगढ़ के बाहर के लोगों में इसे लेकर धारणा बनी हुई है।सच तो यह है कि छत्तीसगढ़ सबसे शांत और सबसे खूबसूरत राज्य है। छत्तीसगढ़ वन सम्पदा से परिपूर्ण है। अगर आप हमारे यहां के बस्तर या दंतेवाड़ा जैसे क्षेत्रों में जाएंगे तो वहां के स्वच्छ पर्यावरण में एक माह का ऑक्सीजन आपके स्वास्थ्य के लिए निःशुल्क मिलेगा।

 अध्यक्षीय आसंदी से स्वास्थ्य मंत्री श्री अजय चंद्राकर ने भी सम्मेलन को सम्बोधित किया। श्री चंद्राकर ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं का लगातार विस्तार हो रहा है और जरूरतमंद मरीजों के लिए कई अनोखी और लाभप्रद योजनाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री बाल मधुमेह सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना, बाल श्रवण योजना, संजीवनी कोष आदि योजनाओं का विस्तार से उल्लेख किया। इस मौके पर इंडियन एसोशिएसन ऑफ गस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडो सर्जन्स के संस्थापक अध्यक्ष पद्मभूषण सम्मानित डॉ. टी.ई. उड़वाड़िया और वर्तमान अध्यक्ष डॉ. जमीर पाशा सहित सम्मेलन के संयोजक डॉ. संदीप दवे ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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संतों के आशीर्वाद से ही छत्तीसगढ़ में शांति और समृद्धि: डॉ. रमन सिंह

Posted on :08-February-2018 11:21:29 am
संतों के आशीर्वाद से ही छत्तीसगढ़ में शांति और समृद्धि: डॉ. रमन सिंह

राजिम : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि संतों के आशीर्वाद से ही छत्तीसगढ़ में शांति और समृद्धि है। छत्तीसगढ़ में आज अगर कोई भूखा नहीं सोता, यदि प्रदेश विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, तो संतों के आशीर्वाद से ही यह संभव हो रहा है। मुख्यमंत्री ने आज राजिम कुंभ में संत समागम का शुभारंभ करते हुए इस आशय के विचार प्रकट किए। डॉ. सिंह वहां गंगा आरती में भी शामिल हुए। महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के पावन संगम पर राजिम कुंभ (कल्प) मेले में विराट संत-समागम का शुभारंभ जगत गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने किया।

    मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने संत-समागम में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सहित सभी संत-महात्माओं का स्वागत करते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में उनकी उपस्थिति सबको प्रेरणा देने वाली है। डॉ. सिंह ने कहा  - छत्तीसगढ़ के लोग धर्मपरायण हैं। मानवता के कल्याण की भावना के साथ संतों के सानिध्य में छत्तीसगढ़ की संस्कृति और अधिक समृद्ध हो इस उद्देश्य से राजिम के त्रिवेणी संगम में राजिम कुंभ का आयोजन शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की शांति और समृद्धि के लिए आज राजिम कुंभ में ढाई लाख से ज्यादा मिट्टी के दीये एक साथ प्रज्ज्वलित कर एक ऐतिहासिक कीर्तिमान बनाया गया है। राजिम में आयोजित नदी मैराथन में दस हजार लोगों ने शामिल होकर नदियों को बचाने का संकल्प लिया। डॉ. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ पर हमेशा संतों की कृपा रही है। आगे भी संतों की कृपा छत्तीसगढ़ पर बनी रहेगी।

    शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने संत समागम को संबोधित करते हुए प्रदेश की जनता को आशीर्वाद प्रदान किया। उन्होंने कहा-छत्तीसगढ़ राज्य धर्मपरायण क्षेत्र है, जहां संतों की सेवा होती है। उन्होंने युवाओं को देश की ताकत बताया और कहा कि युवा पीढ़ी को नशे की बुराई से दूर रहना चाहिए। अनेक सांसद और विधायक, जनप्रतिनिधि, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के सचिव श्री सोनमणि बोरा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस अवसर पर उपस्थित थे।

 

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मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पेश किया चौथा अनुपूरक बजट, कांग्रेस ने उठाया सवाल

Posted on :07-February-2018 3:40:08 pm
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पेश किया चौथा अनुपूरक बजट, कांग्रेस ने उठाया सवाल

रायपुर : विधानसभा में आज मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने चौथा अनुपूरक बजट पेश किया यह चौथा अनुपूरक बजट 1412 करोड़ 47 लाख 76 हजार 9 सौ रुपये का है। अनुपूरक बजट में चर्चा के दौरान कांग्रेसी नेता सत्यनारायण शर्मा ने कई सवाल उठाए जिसमें उन्होंने कहा की बार-बार अनुपूरक बजट लाने की जरूरत क्यों पड़ रही है, राजिम में नदी में 600 टॉयलेट क्यों बना दिए, वहां सरकारी खर्च पर दीये जलाने का फैसला क्यों लेना पड़ा। क्यों सरकारी पैसे को इसमें लगा रहे हैं। 

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राजिम कुंभ कल्प में आज शामिल होंगे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह

Posted on :07-February-2018 12:32:06 pm
राजिम कुंभ कल्प में आज शामिल होंगे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह

रायपुर : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह आज सात फरवरी को राजिम कुंभ (कल्प) 2018 में शामिल होंगे। डॉ. रमन सिंह रायपुर से शाम पांच बजे हेलीकॉप्टर द्वारा रवाना होकर 5.15 बजे राजिम पहुंचेंगे और वहां शाम 5.20 बजे अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय का उद्घाटन करेंगे। मुख्यमंत्री शाम 5.40 बजे राजिम कुंभ के मुख्य कार्यक्रम में शामिल होने के बाद रात्रि 8.15 बजे रायपुर लौट आएंगे।

 

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देश प्रेम, अनुशासन और नेतृत्व का पाठ सीखते हैं एनसीसी कैडेट : डॉ. रमन सिंह

Posted on :03-February-2018 5:08:02 pm
देश प्रेम, अनुशासन और नेतृत्व का पाठ सीखते हैं एनसीसी कैडेट : डॉ. रमन सिंह

रायपुर : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि राष्ट्रीय कैडेट कोर (एन.सी.सी.) के कैडेट के रुप में विद्याथियों में देश प्रेम, अनुशासन, साहस, सामूहिकता, एकता और समाज के प्रति जवाबदेही जैसे सर्वश्रेष्ठ गुणों का विकास होता है, जो जीवन भर साथ रहते हैं। व्यक्तित्व विकास के साथ विद्यार्थी एक जिम्मेदार नागरिक बनते हैं।

    मुख्यमंत्री आज राजधानी रायपुर के सेजबहार स्थित शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के रायपुर समूह के 126 कैडेटों के सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश एनसीसी निदेशालय की ओर से इन 126 कैडेटों ने 26 जनवरी को नई दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय समारोह की परेड में शानदार प्रदर्शन किया था। इन कैडेटों के सम्मान के लिए इस समारोह का आयोजन किया गया। कैडेटों के इस समूह में रायपुर ग्रुप के 38 कैडेट शामिल थे। रायपुर ग्रुप के कैडेटों ने गणतंत्र दिवस की राष्ट्रीय परेड में शानदार प्रदर्शन करके प्रतिष्ठित ‘मुख्यमंत्री चैम्पियनशिप बैनर’ जीता। मुख्यमंत्री ने रायपुर ग्रुप को मुख्यमंत्री चैम्पियनशिप बैनर और ट्राफी प्रदान की। उन्होंने कैडेटों के इंदौर, जबलपुर सहित अन्य ग्रुप के कैडेटो को अलग-अलग वर्गों में शानदार प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने बेस्ट एन.सी.सी. अधिकारी, बेस्ट एन.सी.सी. कैडेटो को अवार्ड, मेडल और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि वे भी स्कूल के समय एन.सी.सी. कैडेट थे। एन.सी.सी. कैडेट के रूप में उन्होंने अनुशासन, नेतृत्व और साहस जैसे गुण सीखे। कैडेट बनने के बाद उनके व्यक्तित्व में निखार आया। मुख्यमंत्री ने कहा कि एन.सी.सी. कैडेट के रूप में सीखे गए गुण जीवन भर काम आते हैं। कैडेटो को अपने इन गुणों को और अधिक विकसित करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि इस वर्ष  एनसीसी निदेशालय मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के 126 सर्वश्रेष्ठ कैडेटों के दल को विगत माह नवम्बर -दिसम्बर 2017 में रायपुर ग्रुप द्वारा प्रशिक्षण दिया गया और गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय समारोह के लिए तैयार किया गया। इन सभी कैडेटों ने नई दिल्ली के गणतंत्र दिवस समारोह में कई कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और कई पदक जीते।  

    मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनांदगांव और कोरबा में एन.सी.सी. की दो बटालियन स्थापित की जा रही है और रायपुर जिले के आरंग विकासखंड के लखोली गांव में एन.सी.सी. विशेष प्रशिक्षण अकादमी खोली जा रही है। देश में ऐसी मात्र चार प्रशिक्षण अकादमी हैं। उन्होंने सम्मानित होने वाले सभी कैडेटों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उन्होंने गणतंत्र दिवस की राष्ट्रीय परेड में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से छत्तीसगढ़ और मध्यप्र्रदेश को गौरवान्वित किया।

एन.सी.सी. के मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ निदेशालय के एडिशनल डायरेक्टर जनरल मेजर जनरल श्री मुकेश के दत्ता और एन.सी.सी. छत्तीसगढ़ के ग्रुप कमांडर ब्रिगेडियर डी.बी पाणि ने भी समारोह को सम्बोधित किया। संचालक लोक शिक्षण श्री एस. प्रकाश सहित स्थानीय एन.सी.सी. यूनिट के कमान अधिकारी, विश्वविद्यालय के कुलपति,कॉलेज और स्कूलों के प्राचार्य, एन.सी.सी. कैडेट और उनके अभिभावक, अनेक वरिष्ठ अधिकारी और प्रबुद्ध नागरिक इस अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित थे। एन.सी.सी. कैडेटो ने इस अवसर पर गणतंत्र दिवस के अवसर पर नई में प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की झलक दिखायी।

मुख्यमंत्री ने हर्बल कंपनियों को दिया राज्य में पूंजी निवेश का न्यौता

 छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने वनौषधियों के उत्पादन के लिए देश की बड़ी नामी-गिरामी हर्बल कम्पनियों को राज्य में पूंजी निवेश और उद्योग लगाने का न्यौता दिया है। डॉ. सिंह ने आज यहां वनौषधियों पर केन्द्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी - वनौषधि छत्तीसगढ़  2018’‘का शुभारंभ करने के बाद समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर आयोजक संस्था छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय पादप बोर्ड द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विमोचन भी किया।

    मुख्यमंत्री ने संगोष्ठी में आए वनौषधि निर्माता कंपनियों को छत्तीसगढ़ में वनौषधियों की खेेती, उनके उत्पादन और बाजार व्यवस्था की संभावनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की बहुमूल्य वन सम्पदा में वनौषधियों के पेड़-पौधे का भी बड़ा योगदान है। राज्य में हर्बल खेती का भी तेजी से विकास हो रहा है। यह हमारे वनवासी परिवारों की अतिरिक्त आमदनी का एक बड़ा जरिया है। वनौषधि आधारित उद्योग लगने पर इनके संग्रहण में लगे वनवासी भाई-बहनों को रोजगार के लिए अच्छा बाजार मिलेगा।

डॉ. रमन सिंह ने निवेशकों से कहा -  अगर आप चाहें तो अपनी पांच वर्ष की कार्य योजना बनाकर सम्मेलन के दूसरे दिन यानी कल ही इसके लिए यहां पर राज्य सरकार के साथ एम.ओ.यू. कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने उनसे आग्रह किया कि वे इसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य वनौषधि बोर्ड और राज्य औद्योगिक विकास निगम के पदाधिकारियों के साथ चर्चा करें। राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री श्री विष्णु साय ने की। छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय पादप बोर्ड द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में लगभग 400 परम्परागत वैद्यों सहित कई बड़ी कम्पनियों के पदाधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। इसका आयोजन यहां शासकीय विज्ञान महाविद्यालय परिसर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय आडिटोरियम में किया गया है।

मुख्य अतिथि की आसंदी से शुभारंभ समारोह में डॉ. रमन सिंह ने कहा पूरी  परम्परागत खेती के साथ-साथ पशुपालन, डेयरी, उद्यानिकी और वानिकी से संबंधित कार्य भी कृषि क्षेत्र से सम्बद्ध  हैं। दुनिया में और विशेष रूप से भारत के छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में वनोपजों का उत्पादन और संग्रहण वनवासियों के आर्थिक स्वावलंबन का एक बड़ा महत्वपूर्ण जरिया है।     डॉ. सिंह ने कहा - पूरी दुनिया में हर्बल दवाइयों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। निकट भविष्य में यह सबसे बड़ा बाजार होगा। आज की स्थिति में हर साल इसमें 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। दुनिया के हर्बल बाजार का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा चीन के हाथों में है। ऐसे में भारत को भी इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है। इसमें भारत के छत्तीसगढ़ जैसे नये राज्य की भी एक बड़ी भागीदारी होगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में वनौषधियों की खेती, हर्बल दवाइयों के उत्पादन और उन्हें बाजार तक पहुंचाने की काफी अच्छी संभावनाएं है।

हमारे यहां काफी बड़ा वन क्षेत्र है। बस्तर जैसे इलाके में हजारों-लाखों एकड़ में वन हल्दी, वन तुलसी आदि प्रजातियों के पौधे मिल सकते हैं। इसके लिए व्यापक सर्वेक्षण की भी जरूरत है।  धमतरी में हर्रा, बहेड़ा, आंवला आदि वनोपजों और जड़ी-बूटियों  का एक बड़ा राष्ट्रीय बाजार विकसित हो गया है। प्रदेश का मौसम भी काफी अनुकूल है। इन तमाम अनुकूलताओं को देखते हुए राज्य में निवेशकों को वनौषधि प्रसंस्करण उद्योग लगाने के लिए सरकार हर जरूरी मदद करने को तैयार है। मुख्यमंत्री ने कहा - राज्य सरकार ने सभी जिलों में स्थानीय स्तर पर मिलने वाले वनौषधीय महत्व के पेड़-पौधों को चिन्हांकित किया है। नर्सरी भी विकसित की जा रही है।

 डॉ. सिंह ने कहा - नया रायपुर स्थित जंगल सफारी के नजदीक प्रदेश सरकार ने 500 एकड़ में हर्बल गार्डन विकसित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय पादप बोर्ड द्वारा पूरे प्रदेश में वनौषधियों के संरक्षण, संवर्धन और उनकी खेती को बढ़ावा देने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य औद्योगिक विकास निगम द्वारा वनौषधि निर्माताओं को प्रदेश की उद्योग नीति के तहत सभी जरूरी सुविधाएं दी जाएंगी। टैक्स में कुछ रियायत देने के बारे में भी विचार किया जा सकता है। संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्तर के वनौषधि निर्माता और विषय विशेषज्ञ मौजूद हैं, जिनके विचार हम सबके लिए काफी उपयोगी है।

डॉ. सिंह ने कहा कि देश और दुनिया में लगभग 76 प्रकार के औषधीय महत्व के पेड़-पौधों की प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। उन्हें संरक्षित करने के लिए भी प्रयास जरूरी है। टिश्यू कल्चर के जरिये ऐसा किया जा सकता है। इसके लिए हमने छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में लैब की भी स्थापना की है। मुख्यमंत्री ने कहा - वन क्षेत्र के लोगों और वन समितियों को साथ लेकर वनौषधियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार पूरी गंभीरता से प्रयास कर रही है। इसके लिए फंड की कोई कमी नहीं है। कैम्पा निधि, जिला खनिज विकास निधि (डी.एम.एफ.) आदि मदों से हम उन्हें फंडिंग कर सकते हैं।

शुभारंभ समारोह  की अध्यक्षता करते हुए केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि लगभग 44 प्रतिशत वन क्षेत्र वाले छत्तीसगढ़ में वनौषधियों के पेड़-पौधों की भरमार है। इनका समुचित और संतुलित दोहन किया जा रहा है। एक बहुत बड़ी ग्रामीण आबादी का पालन -पोषण इन्हीं वनौषधियों के संग्रहण कार्य से होता है। सम्पूर्ण आयुर्वेद वनौषधियों पर ही आधारित है। इसके महत्व को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र में अलग से आयुष मंत्रालय की भी स्थापना की है। केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री साय ने छत्तीसगढ़ में वनौषधियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।

संगोष्ठी के शुभारंभ समारोह में छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय पादप बोर्ड के अध्यक्ष श्री रामप्रताप सिंह, उपाध्यक्ष श्री जे.पी. शर्मा,  वन विकास निगम के अध्यक्ष श्री श्रीनिवास राव मद्दी, छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (सी.एस.आई.डी.सी.) के अध्यक्ष श्री छगन लाल मुंदड़ा, राज्य कृषि एवं बीज निगम के अध्यक्ष श्री श्याम बैस, राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक) के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज, माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष श्री चन्द्रशेखर पांडे़, छत्तीसगढ़ दुग्ध सहकारी महासंघ के अध्यक्ष श्री रसिक परमार, राज्य अन्त्यावसायी सहकारी विकास निगम के अध्यक्ष श्री निर्मल सिन्हा, मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मिर्जा एजाज बेग, प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव श्री अजय सिंह, वन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री सी.के. खेतान, छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय पादप बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री शिरीष चन्द्र अग्रवाल और अन्य संबंधित संस्थाओं के पदाधिकारी, कॉलेजों के विद्यार्थी तथा अनेक वरिष्ठजन उपस्थित थे। राज्य औषधीय पादप बोर्ड के अध्यक्ष श्री रामप्रताप सिंह ने स्वागत भाषण दिया। वन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री सी.के. खेतान ने भी शुभारंभ समारोह को सम्बोधित किया।

 

 

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देश के पर्यटन नक्शे पर बिखरेगा मैनपाट का अनुपम सौन्दर्य : डॉ रमन सिंह

Posted on :03-February-2018 12:14:29 pm
देश के पर्यटन नक्शे पर बिखरेगा मैनपाट का अनुपम सौन्दर्य : डॉ रमन सिंह

सरगुजा : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कल सरगुजा जिले के मैनपाट में आयोजित तीन दिवसीय मैनपाट महोत्सव का शुभारंभ किया। डॉ. सिंह ने कहा कि देश के पर्यटन नक्शे पर जल्द बिखरेगा मैनपाट का अनुपम सौंदर्य। उन्होंने इस अवसर पर मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत सामूहिक विवाह में 251 नव दम्पतियों को आशीर्वाद दिया। उन्होंने इस अवसर पर क्षेत्रवासियों को 31 करोड़ 80 लाख रूपए की लागत के 13 विभिन्न निर्माण कार्यो की सौगात दी। इसके साथ ही उन्होंने विभिन्न योजनाओं के तहत 5 हजार 676 हितग्राहियों को सामग्री तथा चेक प्रदान किये। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उन्होंने ग्राम पेट से पीडि़या तक 15 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए वन विभाग को तैयार कराने, लोक निर्माण विभाग द्वारा विश्राम गृह निर्माण कराने तथा मैनपाट में महाविद्यालय खोलने के लिए बजट में आवश्यक प्रावधान करने का आश्वासन दिया। उल्लेखनीय है कि अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण मैनपाट में वर्ष 2012 में मैनपाट महोत्सव की शुरूआत की गई थी तथा इस वर्ष छठवां मैनपाट महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्जवलित कर समारोह का शुभारंभ किया।

    डॉ. रमन सिंह ने जनता को सम्बोधित करते हुए कहा कि मैनपाट का प्राकृतिक सौन्दर्य अनुपम है। हरी-भरी वादियों एवं मनोरम स्थलों से परिपूर्ण मैनपाट की ठण्डी सर्द हवाएं पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती हैं। उन्होंने कहा कि मैनपाट में अनेक प्राकृतिक मनोरम स्थल स्थित है, जिसके कारण इसे छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैनपाट का आकर्षण इतना अधिक है कि मेरी धर्म पत्नी श्रीमती वीणा सिंह ने यहां आने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि मैनपाट में पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए आवागमन सहित पर्यटकों के लिए सभी सुविधाओं का विकास किया जाएगा।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि मैनपाट के खाली पड़े स्थानों पर साल के वृक्ष लगाए जाएंगे, ताकि हरियाली सदैव कायम रह सके। उन्होंने कहा कि साल का वृक्ष स्थानीय लोगों के जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी होता है और यह हर्ष का विषय है कि साल के वृक्षों का पुनरुत्पादन प्रारंभ हो गया है। उन्होंने कहा कि मैनपाट महोत्सव में स्थानीय जनजातीय संस्कृति के साथ ही तिब्बती संस्कृति का मिश्रित स्वरूप झलकता है। मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि मैनपाट महोत्सव को प्रदेश के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है। उन्होंने महोत्सव के दौरान स्थानीय कलाकारों की प्रतिभाओं को निखारने के लिए मंच उपलब्ध कराने तथा प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों द्वारा दी जाने वाली मनमोहक प्रस्तुति और रैपलिंग, बोटिंग, आर्चरी, ट्रमपोलिन आदि रोमांचक खेलों के आयोजन की भी प्रशंसा की।

उन्होंने कहा कि शीघ्र ही अम्बिकापुर हवाई सेवा से जुड़ जाएगा, जिससे देश-दुनिया के लोग भी आसानी से मैनपाट आ सकेंगे और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने मैनपाट महोत्सव को भव्य रूप से आयोजित करने पर कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल की सराहना की। उन्होंने इस अवसर पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती के दौरान सरगुजा जिले में आयोजित कार्यक्रमों पर आधारित पुस्तिका और इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कार्य योजना संबंधी पुस्तिका का विमोचन किया।

मैनपाटवासियों के जीवन में होगा उजाला

  मुख्यमंत्री ने कहा कि दूरस्थ ग्रामों में निवासरत ग्रामीणों के जीवन में उजाला लाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संचालित सौभाग्य योजना के तहत आने वाले छः महीने में दूरस्थ ग्रामों के सभी घरों में विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराया जाएगा।

सरगुजा का चहुमुँखी विकास

   डॉ. रमन सिंह ने कहा कि सरगुजा संभाग में आवश्यकता के अनुरूप सभी आधारभूत संरचनाओं के विकास के साथ ही विद्यालय, महाविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, पॉलिटेक्निक कॉलेज, कौशल विकास केन्द्र सहित सभी संस्थाओं का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में बेहतर परिवहन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 15 से 20 हजार करोड़ रूपए की लागत के सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लगभग 18 लाख महिलाओं को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत रसोई गैस कनेक्षन प्रदान किया गया है। सभी गरीबों को खाद्यान्न सुरक्षा के तहत सभी गरीबों के घरों में अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत प्रदेश के सभी परिवारों को 50 हजार रूपए तक की निःशुल्क चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा रही है। तेंदुपत्ता मानक बोरा की कीमत 2 हजार 500 रूपए हो जाने पर संग्राहकों को बेहतर आमदनी प्राप्त हो रही है।

    प्रदेश के गृह जेल एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी तथा जिले के प्रभारी मंत्री श्री रामसेवक पैकरा ने अपने उद्बोधन में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को छत्तीसगढ़  का विकास पुरूष बताते हुए कहा कि पिछले डेढ़ दशकों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पुल-पुलिया सहित सभी क्षेत्रों में तेजी से गुणवत्तापूर्ण विकास सुनिश्चित हुआ है। प्रदेश भय और हिंसा से मुक्त होकर शांतिपूर्वक विकास के नए सोपान तय कर रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में किसान, गरीब, मजदूर सहित सभी वर्गो के कल्याण के लिए अनेक जनकल्याणकारी शासकीय योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हाथियों के आवागमन को दृष्टिगत रखकर हाथियों से सुरक्षा के लिए एलीफेन्ट प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। उन्होंने मैनपाट को प्रकृति की गोद में बसा एक मनोरम और आकर्षक स्थल बताया। सरगुजा सांसद श्री कमलभान सिंह ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष मैनपाट महोत्सव का स्थल बदलकर रोपाखार जलाशय के पास किया गया है।           

    इस अवसर पर मुख्यमंत्री की धर्म पत्नी श्रीमती वीणा सिंह, छत्तीसगढ़  हस्तशिल्प विकास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष श्री अनिल सिंह मेजर, जिला पंचायत सरगुजा की अध्यक्ष श्रीमती फुलेश्वरी सिंह, उपाध्यक्ष श्री प्रभात खलखो, राज्य सहकारी बैंक के संचालक मण्डल के सदस्य श्री अखिलेश सोनी, अम्बिकापुर नगर निगम के पूर्व महापौर श्री प्रबोध मिंज, पूर्व विधायक प्रोफेसर गोपाल राम, पूर्व विधायक श्री विजयनाथ सिंह, कमिश्नर श्री अविनाश चम्पावत, पुलिस महानिरीक्षक श्री हिमांशु गुप्ता, जनपद पंचायत मैनपाट की अध्यक्ष श्रीमती पति बाई, ग्राम पंचायत रोपाखार की सरपंच श्रीमती खोरी बाई सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं कर्मचारी तथा बड़ी की संख्या में पर्यटक एवं स्थानीय ग्रामीण उपस्थित थे।    

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अपने गांवों को विकास योजनाओं से जोड़ें : डॉ. रमन सिंह

Posted on :01-February-2018 11:44:43 am
अपने गांवों को विकास योजनाओं से जोड़ें : डॉ. रमन सिंह

रायपुर : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पंचायत प्रतिनिधियों का आव्हान किया है कि वे अपने अपने गांवों को शासन की विकास योजनाओं से जोड़े। विभिन्न योजनाओं के पात्र हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद करें। मुख्यमंत्री ने कल यहां अपने निवास पर भाटापारा (जिला बलौदाबाजार), मरवाही (जिला बिलासपुर) और धरमजयगढ़ (जिला रायगढ़) से आये 541 पंचायत प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे। ये पंचायत प्रतिनिधि हमर छत्तीसगढ़ योजना के अंतर्गत राजधानी रायपुर के भ्रमण पर आये हैं। इस योजना में अब तक प्रदेश के विभिन्न जिलों के लगभग एक लाख 40 हजार पंचायत प्रतिनिधि रायपुर आ चुके हैं।

मुख्यमंत्री ने पंचायत प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमर छत्तीसगढ़ योजना वास्तव में पंचायत प्रतिनिधियांे का प्रशिक्षण भी है। राजधानी आकर हमारे प्रतिनिधि विधानसभा, सचिवालय की कार्यप्रणाली से परिचित होते हैं। फिल्म, विभागों के विभिन्न प्रकाशनांे , लोक कलाकारों के कार्यक्रमों के जरिए उन्हें योजनाओं की जानकारी मिलती है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में खेती किसानों के आधुनिक तौर तरीकों से परिचित होने का मौका मिलता है। इनका क्रियान्वयन गांवों में किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना, मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का अधिक से अधिक संख्या में ग्रामीणों को लाभ दिलाएं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में अब तक गरीब परिवारों की 18 लाख से अधिक महिलाओं को मात्र दो सौ रुपए के पंजीयन शुल्क पर रसोई गैस कनेक्शन दिए गए हैं।

अभी और 18 लाख रसोई गैस कनेक्शन दिए जाने हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत अब तक दो लाख 40 हजार आवास स्वीकृत किए जा चुके हैं। इन योजनाओं से अधिक से अधिक पात्र लोगों को लाभान्वित किया जाना चाहिए। यदि गांव में हर परिवार का मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का स्मार्ट कार्ड बन जाता है, तो जीवन भर के लिए उस परिवार के लिए एक बड़ी सहायत होगी।

स्मार्ट कार्ड से अब 50 हजार रुपए तक का निःशुल्क इलाज की सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों को गांव में टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, स्कूल, आंगनबाड़ी केन्द्रों की व्यवस्था का ध्यान रखना चाहिए, सभी बच्चे स्कूल जा रहे हैं या नहीं, शिक्षक नियमित रुप से बच्चों को पढ़ा रहे हैं या नहीं। उन्होंने गांवों को साफ-सुथरा और हरा-भरा बनाये रखने, गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य कराने का सुझाव दिया।

 

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मुख्यमंत्री ने अचानक फोन लगाया और किसानों को दी सलाह: गर्मियों में धान की खेती के बदले गेहूं और चने की फसल लें

Posted on :31-January-2018 4:48:07 pm
मुख्यमंत्री ने अचानक फोन लगाया और किसानों को दी सलाह: गर्मियों में धान की खेती के बदले गेहूं और चने की फसल लें

रायपुर : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के किसानों को आज एक बार फिर गर्मी के मौसम में धान की फसल नहीं लेने और उसके स्थान पर चना और गेहूं की खेती करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि गर्मियों में वैसे भी आम तौर पर भू-जल स्तर कुछ नीचे चला जाता है और इस मौसम में धान की फसल को पानी की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। गांव का पूरा पानी गर्मी का धान खींच लेता है, जबकि रबी की फसलों में पानी कम लगता है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि इसे देखते हुए सभी किसानों को गर्मियों में गेहूं और चने जैसी रबी फसलों की खेती पर ध्यान देना चाहिए। मुख्यमंत्री ने आज अपने निवास कार्यालय से राजनांदगांव जिले के ग्राम पेण्ड्रीकला (विकासखंड-खैरागढ़)  एक किसान श्री योगेश कुमार को टेलीफोन पर यह सलाह दी। डॉ. सिंह ने हर महीने होने वाले अपने ‘जनसंवाद’ कार्यक्रम के तहत श्री योगेश कुमार सहित सूरजपुर जिले के ग्राम रघुनाथपुर (विकासखंड प्रेमनगर) निवासी श्री सुरेश कुमार, बस्तर  जिले के ग्राम दरभा निवासी श्री सोमसिंह और रायगढ़ जिले ग्राम धानीगनवां (विकासखंड-बरमकेला) के श्री हेमानंद को अचानक टेलीफोन लगाया और उनसे अलग-अलग बाचतीत करते हुए उनके गांवों का, गांव वालों का और घर परिवार का हाल-चाल पूछा।

उन्होंने इन ग्रामीणों से गांव में उपलब्ध चिकित्सा व्यवस्था, राशन दुकानों स्कूलों, और आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति, सिंचाई और सड़क सुविधाओं की भी जानकारी ली। मुख्यमंत्री का फोन अचानक पहुंचने पर इन ग्रामीणों में आश्चर्य मिश्रित खुशी देखी गई। डॉ. सिंह ने ग्रामीणों से कहा - आज कल मैं गांव वालों को सीधे फोन लगाकर उनका हालचाल और गांवों में योजनाओं तथा विकास कार्याें की स्थिति के बारे में पूछ रहा हूं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री का जनसंवाद कार्यक्रम 17 सितम्बर 2017 से शुरू हुआ है।

    डॉ. रमन सिंह ने आज के ‘जनसंवाद’ राजनांदगांव जिले के पेण्ड्रीकला निवासी श्री योगेश कुमार को फोन लगाकर कहा - डॉ. रमन बोलत हं। का हाल हे योगेश जी ? गांव म सब बने-बने तो हवय ? पिये के पानी के का सुविधा हे ? राशन दुकान कइसे चलत हे ? योगेश ने बताया - राशन दुकान ठीक चल रही है समय पर राशन मिल जाता है। पेयजल के लिए नल लगा है, लेकिन बोरिंग में कुछ समस्या है। गांव में आठवीं कक्षा तक स्कूल है। शिक्षक भी है दर्ज संख्या भी पर्याप्त है। आंगनबाड़ी केन्द्र में हर हफ्ते टीकाकरण हो रहा है। श्री योगेश ने कहा कि गांव की गलियों में सीमेंट कांक्रीटीकरण हुआ था, जो अब कहीं-कहीं पर कुछ खराब हो गया है। मरम्मत की जरूरत है।

बिजली की कोई दिक्कत नहीं है। गांव में सिंचाई पम्प भी पर्याप्त संख्या में है। मुख्यमंत्री ने जब उनसे पूछा कि गर्मियों के मौसम में कौन-सी फसल लेने की तैयारी है, इस पर उन्होंने बताया कि किसान रबी में धान की खेती करते हैं। मुख्यमंत्री ने उनसे कहा कि किसानों को समझाएं कि धान की फसल गर्मियों में नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि गर्मी के मौसम में पेयजल हम सबकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इस मौसम में धान की खेती करेंगे तो अधिकांश पानी धान सोख लेगा। इसलिए गेहूं और चने जैसी फसलों की खेती करें। मुख्यमंत्री ने योगेश को स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड के बारे में भी बताया और कहा कि राज्य सरकार अब इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार को वार्षिक 30 हजार रूपए के स्थान पर 50 हजार रूपए तक निःशुल्क इलाज की सुविधा दे रही है। अगर किसी परिवार का कार्ड नहीं बना है तो जल्द बनवा ले। योगेश ने मुख्यमंत्री को बताया कि ग्राम पेण्ड्रीकला से जिला मुख्यालय राजनांदगांव और कवर्धा सहित अपने ब्लॉक मुख्यालय खैरागढ़ तक बारह मासी सड़क की सुविधा है।  

    डॉ. सिंह ने सूरजपुर जिले के ग्राम रघुनाथपुर (विकासखंड-प्रेमनगर) निवासी सुरेश कुमार से भी उनके पंचायत क्षेत्र में संचालित योजनाओं के बारे में जानकारी ली। उन्होंने सुरेश से पूछा - गांव में शौचालय का निर्माण हो गया है क्या ? इस पर सुरेश कुमार ने उन्हें बताया कि शत-प्रतिशत घरों में शौचालय बन चुके हैं। राशन दुकान उनके घर से एक किलोमीटर की दूरी पर है और स्व-सहायता समूह के जरिये उसका संचालन सुंदर ढंग से हो रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में हर हफ्ते टीकाकरण भी हो रहा है।

मिडिल स्कूल तक शिक्षा की व्यवस्था है। मुख्यमंत्री ने उनसे शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में पूछा तो सुरेश ने बताया कि गुणवत्ता ठीक है, लेकिन कभी-कभी शिक्षक हड़ताल पर चले जाते हैं तो दिक्कत होती है। स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में पूछने पर सुरेश कुमार ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रेमनगर के अस्पताल में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। सौर सुजला योजना में दो किसानों के खेतों में सोलर सिंचाई पम्प लग चुके हैं। गांव में शत-प्रतिशत विद्युतीकरण हो गया है। हर घर में बिजली पहुंच गई है। मुख्यमंत्री ने उनसे कहा - प्रेमनगर आहूं त सुरेश तुंहर से मुलाकात होही।

 

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अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

Posted on :31-January-2018 2:30:04 pm
अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

रायपुर/नई दिल्ली 

छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार के द्वारा खरीदे गए अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है और पक्षकारों को कहा कि जिसको भी लिखित जवाब दाखिल करने है वो कर सकता है. आपको बता दें की राज्य सरकार पर आरोप है की सरकार ने ने खरीदी के लिए काग़ज़ात इस तरह से तैयार किए गए थे कि अगस्ता-वेस्टलैंड के अलावा कोई दूसरी कंपनी इस प्रक्रिया में शामिल ही नहीं हो पाए. 

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जगार 2018 : छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्पियों के हाथों में हजारों वर्ष पुरानी कला को जीवित रखने का जादू: डॉ. रमन सिंह

Posted on :30-January-2018 3:52:14 pm
जगार 2018 : छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्पियों के हाथों में हजारों वर्ष पुरानी कला को जीवित रखने का जादू: डॉ. रमन सिंह

रायपुर : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि हमारे हस्तशिल्पियों के हाथ में अपनी हजारों वर्षों की परम्परागत कला को जीवित रखने का जादू है। मुख्यमंत्री आज यहां पंडरी स्थित छत्तीसगढ़ हाट परिसर में छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा आयोजित दस दिवसीय जगार 2018 के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। यह अखिल भारतीय हस्तशिल्प एवं हाथ करघा वस्त्रों की भव्य प्रदर्शनी सात फरवरी तक प्रतिदिन पूर्वान्ह 11 बजे से रात्रि नौ बजे तक आम जनता के लिए खुली रहेगी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ हाट परिसर पंडरी में पद्मश्री सम्मान प्राप्त हस्तशिल्पी स्वर्गीय श्री जयदेव बघेल के नाम पर हस्तशिल्पियों के लिए 20 लाख रूपए की लागत से विश्राम भवन का निर्माण कराने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हाट परिसर में आने वाले शिल्पियों के लिए यह भवन निःशुल्क उपलब्ध रहेगा। स्वर्गीय श्री जयदेव बघेल कोण्डागांव के सुप्रसिद्ध बेलमेटल शिल्पी थे, जिन्हें शिल्प गुरू का सम्मान भी प्राप्त है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया।

    कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल ने की। ग्रामोद्योग मंत्री श्री पुन्नूलाल मोहले, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशीला साहू और छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री दीपक ताराचंद साहू, बोर्ड के संचालक मंडल की सदस्य श्रीमती मीना लहरे और श्री प्रदीप सागर विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित थे। इस प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ सहित 14 राज्यों मध्यप्रदेश, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, तेलंगना, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, नईदिल्ली, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल के लगभग 200 कलाकारों ने अपनी हस्तशिल्प और हाथकरघा वस्त्रों की प्रदर्शनी लगाई है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पांच शिल्पियों को उनकी उत्कृष्ट कलाकृतियों के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया।

    मुख्यमंत्री ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि जगार के माध्यम से छत्तीसगढ़ सहित देशभर के हस्तशिल्पियों को एक मंच प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है, जहां  उन्हें अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन करने के साथ-साथ दूसरे कलाकारों से भी सीखने का अवसर मिलता है। इस दौरान हस्तशिल्पियों के लिए कार्यशाला का आयोजन भी किया जाता है और उनके कलाकृतियों की बिक्री भी होती है। इस प्रदर्शनी में हस्तशिल्पियों ने ढोकरा, बेलमेटल, टेराकोटा, लौहशिल्प, तुंबाशिल्प, काष्ठशिल्प सहित हाथकरघा वस्त्रों की प्रदर्शनी लगाई है। राजधानी रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के लोगों को भी हर वर्ष आयोजित होने वाली जगार प्रदर्शनी का इंतजार रहता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी चाहते हैं हस्तशिल्पी अधिक से अधिक संख्या में शासकीय योजनाओं का लाभ लेकर आगे बढ़े। प्रधानमंत्री ने खादी को बढ़ावा देने के लिए एक व्यक्ति एक खादी वस्त्र का आव्हान किया था। उनके इस आव्हान से खादी वस्त्रों की मांग में 60 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। छत्तीसगढ़ में भी लगभग 42 लाख लोग हाथकरघा वस्त्रों के उत्पादन से जुड़े हैं।राज्य सरकार इन्हें बढ़ावा देने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।

    डॉ. सिंह ने कहा कि हस्तशिल्प जीवित रखने और इसे बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्पियों ने अपनी कलाकृतियों से देश-विदेश में छत्तीसगढ़ की पहचान बनाई है। समय के साथ-साथ हमारे शिल्पियों की कला में निखार आ रहा है। उन्होंने नई पीढ़ी को भी हस्तशिल्प से जोड़ने की आवश्यकता बतायी। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि गा्रमोद्योग मंत्री श्री पुन्नूलाल मोहले ने बताया कि प्रदेश में 15 हजार हस्तशिल्पी परिवार बोर्ड में पंजीकृत हैं। बोर्ड की प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत 8957 हस्तशिल्पियों को विभिन्न शिल्प में उन्नत प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ा गया है।

प्रदेश में 1215 हस्तशिल्पियों को औजार उपकरण अनुदान के अंतर्गत 60 लाख 75 हजार रूपए की सहायता दी गई है, 286शिल्पियों को कर्मशाला निर्माण के लिए 28 लाख 60 हजार रूपए का अनुदान दिया गया है। साठ वर्ष से अधिक आयु के 20 शिल्पियों को प्रति माह 5 हजार रूपए मासिक पेंशन दी जा रही है। अब तक 84 शिल्पियों को राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। छत्तीसगढ़ के शिल्पियों को भारतीय शिल्प संस्थान जयपुर में डिजाइन शिक्षा के लिए भेजा जाता है। इस योजना में 35 शिल्पियों को प्रशिक्षण दिलाया गया। प्रति हितग्राही चार लाख रूपए के मान से एक करोड़ 40 लाख रूपए की सहायता दी गई है।

    छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री दीपक ताराचंद साहू ने लोगों से आव्हान किया कि हर व्यक्ति कम से कम एक हस्तशिल्प प्रदर्शनी में खरीदे। इससे हस्तशिल्पियों को सहायता मिलेगी और राष्ट्र निर्माण में भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी। ग्रामोद्योग विभाग की सचिव श्रीमती निहारिका बारिक सिंह ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने बताया कि जगार 2018 में अनुमान है कि हस्तशिल्पी लगभग एक करोड़ रूपए का व्यवसाय करेंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 14 प्रकार की हस्तशिल्प बेलमेटल, लौहशिल्प, काष्ठ शिल्प, बांस शिल्प, पत्थर शिल्प, कौड़ी शिल्प, कशीदाकारी, भित्ती चित्र, गोदना शिल्प, तुम्बा शिल्प, टेराकोटा, जूट शिल्प, ड्राय फ्लावर, ट्रायबल पेंटिंग आदि प्रचलित हैं। आभार प्रदर्शन छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के प्रबंध संचालक श्री श्याम धावड़े ने किया।

    मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में पांच हस्तशिल्पियों को राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया। इनमें रायगढ़ जिले के एकताल के बेलमेटल शिल्पी श्री अभिमन्यु झारा, कोण्डागांव जिले के ग्राम किड़ईचेपड़ा की लौह शिल्पी श्रीमती सोनादयी बाई विश्वकर्मा, बस्तर जिले के भोंड गांव के काष्ठशिल्पी श्री रामनाथ कश्यप, सरगुजा जिले के सिरकोतंगा गांव की भित्ती चित्र कलाकार श्रीमती सुंदरी बाई और सरगुजा जमगला गांव की गोदना शिल्प की कलाकार श्रीमती सफियानों पावले शामिल हैं। इन कलाकारों को पुरस्कार स्वरूप 25-25 हजार रूपए की राशि के चेक, शाल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में हस्तशिल्पी उपस्थित थे।

 

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