
सूरजपुर एवं बलरामपुर : सीएचओ का हुआ मानसिक स्वास्थ्य पर प्रशिक्षण
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में की जाएगी मानसिक स्वास्थ्य संबंधित स्क्रीनिंग- सीएमएचओ सूरजपुर
सूरजपुर : राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निम्हांस) बेंगलुरू के सहयोग से संचालित TORENT (टेलीमॉनिटरिंग फॉर रूरल हेल्थ ऑर्गेनाइजर ऑफ छत्तीसगढ़) प्रोजेक्ट के अंतर्गत सूरजपुर एवं बलरामपुर जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारीयों (सीएचओ) का मानसिक स्वास्थ्य पर चार दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहे लोगों की पहचान कर उन्हें समय रहते नजदीकी के स्वास्थ्य केंद्र एवम् जिला चिकित्सालय में संचालित स्पर्श क्लीनिक से जोड़ना है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला -सुरजपुर, डॉ.आरएस सिंह ने प्रशिक्षण की जानकारी देते हुए बताया, निम्हांस बेंगलुरु की मास्टर ट्रेनर पुष्पा के. (सीनियर नर्सिंग इंफॉर्मेटिक्स) के द्वारा बैच 1 में 46 एवं बैच 2 में 45 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारीयों (सीएचओ) को मानसिक रोगी के पहचान हेतु स्क्रीनिंग एवं काउंसलिंग के साथ-साथ साइकोसोशल इंटरवेंशन , मरीजों के रेफरल एवम् फॉलोअप को सुदृढ़ किए जाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इस प्रशिक्षण को मूल उद्देश मानसिक रोगियों को समय रहते पहचान कर सरकार द्वारा प्रदान की जा रही निशुल्क मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ना और उन्हे सामान्य जीवन यापन करने की ओर प्रेरित करना भी है ।“
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निम्हांस)बेंगलुरू से आयीं मास्टर ट्रेनर पुष्पा के. ने बताया, “शरीर के स्वास्थ्य के साथ दिमाग के स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। अगर किसी इंसान में नींद न आना, घबराहट, डर, बेचैनी, तनाव, हमेशा किसी बात की चिंता है, तो यह मानसिक बीमारी का लक्षण है। ऐसे में तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्ति को अकेले न छोड़ें। उनके साथ अच्छा व्यवहार करें और गीत-संगीत, योग, प्रेरक कहानियों के माध्यम से उन्हें अवसाद से बाहर निकालने का प्रयास करें।मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्तियों के प्रति सहानुभूति रखने पर जोर देना चाहिए।“
मानसिक रोग से जुड़ी आवश्यक जानकारी-
शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य का निकट संबंध है। मानसिक विकार व्यक्ति के स्वास्थ्य संबंधी बर्तावों जैसे, समझदारी से भोजन करने, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, सुरक्षित यौन व्यवहार, मद्य और धूम्रपान, चिकित्सकीय उपचारों का पालन करने आदि को प्रभावित करते हैं। मानसिक अस्वस्थता के कारण सामाजिक समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं जैसे, बेरोजगार, बिखरे हुए परिवार, गरीबी, नशीले पदार्थों का दुर्व्यसन और संबंधित अपराध। मानसिक अस्वस्थता रोग निरोधक क्रियाशीलता के ह्रास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
प्रशिक्षण में जिला नोडल अधिकारी (एनएमएचपी)डॉ. राजेश पैकरा ,जिला कार्यक्रम प्रबंधक गणपत नायक के साथ जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम के साइकोलॉजिस्ट सचिन मातुरकर, सीनियर नर्सिंग ऑफिसर नंदकिशोर वर्मा , सोशल वर्कर प्रियंका मण्डल एवं नर्सिंग ऑफिसर मनोज कुमार का विशेष सहयोग रहा ।