
सुभाष गुप्ता
सूरजपुर : जिले में पुलिस के एक से बढ़कर एक कारनामे सामने आ रहे हैं। बलात्कार के आरोपी आरक्षक को बचाने के लिए जहां एक और पीड़िता पर प्रकरण उठाने का दबाव पुलिस के अधिकारी बना रहे हैं, तो वहीं एक महिला एसआई के बर्ताव की शिकायत करने वाले युवा पत्रकार को कथन हेतु ऐसी नोटिस थमा दी जा रही है जिसमें दिनांक का उल्लेख ही नहीं है, साथ ही इस नोटिस को कथन के लिए अंतिम अवसर निरूपित किया जा रहा है ! वाह... यह कैसी नोटिस है...? आप की मनमानी और सूझबूझ को किन शब्दों में सलामी दे यह समझ में ही नहीं आ रहा है।
क्या है नोटिस का पूरा मामला
एक बलात्कार पीड़िता की शिकायत पर आरक्षक के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध होने से पूर्व पीड़िता पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाने की कोशिश की गई थी, जिसमें एक महिला एसआई का नाम प्रमुखता से सामने आया था। जब शहर के एक युवा पत्रकार ने उक्त महिला एसआई से उनका पक्ष जानने की कोशिश की, तो पत्रकार को ही धमकी देकर शांत करने की असफल कोशिश की गई। एस आई की कार्यशैली और बर्ताव की शिकायत पत्रकारों द्वारा शीर्ष अधिकारियों से की गई तो जयनगर थाना प्रभारी ने आवेदक पत्रकार को तलब किया और नियत समय पर ना पहुंचने पर उन्हें कोरिया जिले के एडिशनल एसपी के माध्यम से बैकुंठपुर बयान हेतु बुलाया गया। बैकुंठपुर में बयान दर्ज कराने के बाद अचानक 12 दिसंबर को जयनगर के थाना प्रभारी ने अंतिम अवसर लिखकर एक नोटिस कथन हेतु पुनः जारी कर दी, लेकिन इस नोटिस में ना तो नोटिस का क्रमांक दर्ज है और ना ही उपस्थिति हेतु नियत की गई तिथि का ही उल्लेख है। ऐसे में आवेदक पत्रकार किस तिथि को बयान हेतु उपस्थित हो इसे लेकर वह असमंजस में है।