
कुलेश्वर सिन्हा TNIS
छुरा :- कल कबाड़ से जुगाड़, शून्य निवेश नवाचार, TLM के उपयोग से शिक्षा में नवीनता रुचिकर बनाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। प्रत्येक विद्यालय अलग-अलग तरीके तरीकों से बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है। छुरा विकासखंड के दूरस्थ वनांचल ग्राम छतरपुर स्थित है। जहां विशेष पिछड़ी कमार जनजाति के लोग निवास करते हैं। यहां के लोगों की अलग बोली भाषा है। यहां के बच्चों को विद्यालय तक लाना टेढ़ी खीर है। ऐसे ग्राम में शिक्षा की अलख जगाने का जिम्मा शिव ठाकुर एवं श्रीमती गायत्री साहू ने बखूबी निभाया है।
शिक्षकों के मेहनत से आज बच्चों की स्वच्छता, वार्तालाप की शैली, अनुशासन एवं शिक्षा के प्रति रुचि अपने आप में मिसाल है। यहां के बच्चों ने शिक्षा के साथ-साथ खेल में भी राज्य स्तर पर प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।सुविधाविहीन पिछड़ा क्षेत्र होते हुए भी यहां के बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं, सुन्दर व स्पष्ट लिखावट में लिखते भी हैं। गणित, पर्यावरण सहित सभी विषयों पर बच्चों की दक्षता काबिले तारीफ है। विद्यालय की स्वच्छता, बागवानी, प्राकृतिक वातावरण और रंग रोगन बरबस ही आकर्षित करता है। शाला भवन में राष्ट्रीय व राजकीय चिन्ह, वर्णमाला, शिक्षा के अधिकार अधिनियम, विज्ञान एवं गणित के तथ्य, खेल खेल में शिक्षा का बेहतर माहौल निर्मित है।
छतरपुर में शिक्षा के प्रति किए जा रहे नवाचारी गतिविधियों को करीब से जानने एवं सीखने हेतु संकुल केंद्र छुरा का एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मां भारती की वंदना के साथ सेमिनार प्रारंभ हुआ। समन्वयक भारत साहू द्वारा प्रेरक गीत प्रस्तुत किया गया। गैदलाल नेताम, केशव राम निषाद, दीपक तिवारी द्वारा बच्चों की नियमित उपस्थिति हेतु विचार रखा गया। रोहित नेताम ने कहा कि बच्चों की मानसिकता को परखकर, उसके मजबूत पक्ष को निखारने से सफलता मिलेगी। शंकर यदु द्वारा कहा गया कि प्राथमिक शिक्षा नैतिक मूल्यों के उत्थान के लिए नींव होती है। उनमें अधिक से अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
छतरपुर की अभूतपूर्व सफलता पर शिव ठाकुर ने बताया कि पहले बच्चे शाला आने से डरते थे। बुलाये जाने पर जंगल की ओर भाग जाते थे। खेल के माध्यम से बच्चों को शाला से जोड़ने का प्रयास किया गया। खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाई की तरफ आकर्षित किया गया। यही नहीं कुमारी भूमिका, मोनिका, राधिका नाम की कमार बालिकाओं के माता-पिता का स्वर्गवास हो जाने के कारण बच्चे शाला नहीं आ पाते थे, जिनका पूरा खर्च स्वयं शिव ठाकुर ने वहन कर, उनको पढ़ाई हेतु प्रेरित किया। आज बच्चे शिक्षा में और खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। आगे कहा कि जीवन की बुनियाद अनुशासन है। नियमबद्ध एवं अनुशासित रहकर प्रतिभा को विकसित किया जा सकता है। शाला के विकास हेतु समन्वयक भी निरंतर प्रेरित करते हैं। प्रधान पाठक डीपी जांगड़े ने कहा कि नियमित अभ्यास से जड़ को चेतन बनाया जा सकता है। संकुल समन्वयक भारत साहू ने कहा कि वनांचल के बच्चों की नियमित उपस्थिति लाने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
आगामी बोर्ड परीक्षा, SLA, शाला सिद्धि के ऑनलाइन करने, लघु मरम्मत हेतु प्रस्ताव, मूल्यांकन कार्य, चुनाव ड्यूटी संबंधित एजेंडा को पटेल पर विस्तार से रखा। सेमिनार का संचालन शिक्षक अर्जुन धनंजय सिन्हा ने किया। आभार प्रदर्शन श्रीमती गायत्री साहू ने किया। इस कार्यक्रम में श्रीमती विद्या पहाड़िया, श्रीमती अमरिका ध्रुव, श्रीमती शबीना नाज, श्रीमती मीना यादव, श्रीमती शीला भक्त, एसआर पंकज, भगवान सिंह ध्रुव, हेमलाल सेन, परमेश्वर नागेश, बुधराम मरकाम, हेमलाल साहू, लवन साहू सहित संकुल केंद्र छुरा के शिक्षक उपस्थित थे।