
संवाददाता- प्रभात मोहंती..
नगर पालिका अध्यक्ष व उपाध्यक्ष ने किया उद्घाटन, महिला समूह करेगा संचालन
महासमुंद : महासमुंद नगर में आज सामाजिक सरोकार की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल हुई। स्टेशन रोड स्थित "मां की रोटी" नामक महिला संचालित कैंटीन का भव्य शुभारंभ नगर पालिका अध्यक्ष श्री निखिलकांत साहू एवं उपाध्यक्ष श्री देवीचंद राठी के करकमलों से किया गया। इस कैंटीन का संचालन शहर की जय गंगा मैया महिला समूह द्वारा किया जाएगा, जिसका उद्देश्य है—जनता को मात्र ₹50 में स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना।
इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष श्री निखिलकांत साहू ने कहा कि यह पहल न केवल लोगों को सस्ती दर पर भोजन उपलब्ध कराएगी, बल्कि महिला सशक्तिकरण का भी बेहतरीन उदाहरण बनेगी। महिला समूहों ने समय-समय पर अपनी कार्यकुशलता और प्रतिबद्धता सिद्ध की है, और मुझे विश्वास है कि वे इस जिम्मेदारी को भी बखूबी निभाएंगे।”
नगर पालिका उपाध्यक्ष श्री देवीचंद राठी ने महिला समूह को शुभकामनाएं देते हुए कहा,कि“हमारे नगर की महिलाओं को यह अवसर मिलना गौरव की बात है। हम आशा करते हैं कि यह कैंटीन स्वच्छता, गुणवत्ता और स्वाद तीनों मानकों पर खरा उतरेगी।”
जनपद उपाध्यक्ष श्रीमती हुलसी चंद्राकर ने महिला समूहों की कार्यक्षमता की सराहना करते हुए कहा की “महिला समूह कोई भी कार्य मन से करें तो उसमें सफलता निश्चित होती है। ‘मां की रोटी’ से आमजन को घर जैसा भोजन मिलेगा, यह विश्वास है।
कार्यक्रम में नगर के वार्ड पार्षद श्री नानू भाई, श्री धनेंद्र चंद्राकर, श्री नीरज चंद्राकर श्री पीयूष साहू,चंद्रशेखर बेलदार ,समेत कई गणमान्य नागरिक एवं मां फाउंडेशन मुंबई के श्री विलास कांबले,गणेश गुली, संजय तारम उपस्थित रहे। मां फाउंडेशन ने इस कैंटीन में सहयोग प्रदान किया है।
क्या मिलेगा "मां की रोटी" में?
कैंटीन की मार्गदर्शक श्रीमती प्रेमशीला बघेल ने जानकारी दी कि यह कैंटीन नगर पालिका की राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन योजना के अंतर्गत गठित महिला समूह द्वारा संचालित की जा रही है। समूह में कुल 12 सदस्य हैं।
यहां प्रतिदिन केवल ₹50 में एक प्लेट चावल, तीन रोटी, एक कटोरी दाल और सब्जी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा नाश्ते के विकल्प भी मौजूद है।
"मां के हाथों का स्वाद, घर जैसा प्यार"
"मां की रोटी" सिर्फ एक कैंटीन नहीं, बल्कि वह स्थान है जहां जरूरतमंदों को सस्ती दर पर पौष्टिक भोजन मिलेगा और महिला समूहों को आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नया आयाम मिलेगा।