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    डा संजय तोमर को चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो के लिए मिला लोकपाल गुप्ता सम्मान

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    शक्तिपीठों में मनोकामना ज्योत प्रज्जवलन और पूजा- पाठ की तैयारी

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    कार में विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल के प्रदेशाध्यक्ष का नकली नेमप्लेट लगाकर साथियों के साथ कर रहा था चोरी... गिरफ्तार

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    छत्तीसगढ़ में पत्रकारों के हित और उनकी सुरक्षा के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ हो रहे कार्य: मुख्यमंत्री श्री बघेल

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    छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक-2023 के प्रारूप के अनुमोदन पर इंडियन जर्नलिस्ट्स फेडरेशन ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया*

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सोशल मीडिया / युथ गैलरी

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70 वर्ष बीत जाने के बाद भी, भारतीय जनता की मानशीकता नहीं बदली है

Posted on :29-Nov-2021
70 वर्ष बीत जाने के बाद भी, भारतीय जनता की मानशीकता नहीं बदली है

एड. रीता भुइयार की फेसबुक वॉल से 

70 वर्ष बीत जाने के बाद भी, भारतीय जनता की मानशीकता नहीं बदली है, इसका दोषी कौन है, जनता या वो लोग जो गरीब को कभी अधिकार ही नहीं देना चाहते,

जब एक आदेश पर पूरा देश दो महीने के लिए जाम हो सकता हैं, तो  क्यों नहीं पूरे देश में भ्रष्टाचार खत्म हो सकता हैं,
क्यों नहीं सभी पढ़ सकते, क्यों नहीं सभी को रोजगार मिल सकता, क्यों नहीं सभी को चिकित्सा मिल सकती,
आज एक व्यक्ति के लिए ही काम किया जा रहा है, पाखंडवाद को बढ़ावा दिया जा रहा, चुनाव में सही व्यक्ति को नकारा जा रहा है, भ्रष्ट व्यक्ति को बढ़ा दिया जा रहा है,
महापुरषों का नाम लेकर जनता को धोखा दिया जा रहा है, सब के सब लूट कर साथ जन्मों के लिए धन कमाना चाहते है, इस जन्म का तो पता नहीं लेकिन आने वाले जन्म के लिए धन एकत्रित करना चाहते है, मन बदलो व्यवहार बदलो दुनिया बदल जायेगी, सबको भारतीय समझो नफरत खत्म हो जाएगी,
जिसको हम दुश्मन कहते है, उसकी सोच मित्रता में बदल जायेगी, कहना था तो बहुत कुछ लेकिन पढ़ने की आदत नहीं, इस लिए कुछ शब्दो में ही कहना चाहते है अपने मन का विचार..

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काश कोई हिंदुत्व/बीजेपी समर्थक, मित्र अलोक मोहन की इस पोस्ट पर कुछ कहे

Posted on :23-Nov-2021
काश कोई हिंदुत्व/बीजेपी समर्थक, मित्र अलोक मोहन की इस पोस्ट पर कुछ कहे

संजीव त्यागी की फेसबुक वॉल से

मुसलमान हिंदुस्तान के सबसे सस्ते वोटर हैं, उन्हें सरकार से सुरक्षा के बदले में कुछ भी नहीं चाहिए. 
अपनी मेहनत के दम पर कमाने खाने वाले लोग हैं. साईकिल पंचर लगाने से लेकर भारत के राष्ट्रपति तक के पद को सुशोभित किया है. फल बेचने से लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज तक रहे. बिरयानी बनाने का काम करने से लेकर IB प्रमुख तक, कवाब बनाने से लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त तक; एक तो अभी सेना प्रमुख बनने तक रह गए किसानी से लेकर सेना में भर्ती होकर परमवीर चक्र लिया. पदमश्री से लेकर भारत रत्न तक प्राप्त किया मुसलमानों ने. मोटर वर्कशॉप का काम करने से लेकर अग्नि मिसाईल तक बनाई. 

हर क्षेत्र में डंका बजाया है फ़िल्म, कला, साहित्य, संगीत, आप भारत के होने की कल्पना ही नहीं कर सकते बिना मुसलमानों के...
और ये सब इन्होंने बिना आरक्षण, बिना सरकारी मदद और बिना भाई भतीजावाद के प्राप्त किया है यदि असली मेरिट की बात की जाये तो वो भारत के मुसलमानों की है, लेकिन आज 70 साल के बाद भी इन्हें अपने वोट के बदले में क्या चाहिए केवल सुरक्षा....
कितना सस्ता है मुसलमानों का वोट...

औरत बियर बार में नंगी नाचे तो किसी को कोई तकलीफ नहीं

औरत बिकनी में क्लब के अंडर पोल डांस करे तो किसी को कोई तकलीफ नहीं।

औरत जिस्म के धंधे में गैर मर्दो के साथ सोये तो किसी को कोई तकलीफ नहीं, लेकिन जब एक मुसलमान औरत नकाब से अपने जिस्म को ढांके तो पूरी दुनिया के लोगो के सीने पे सांप लोट जाता है, और कहते है इस्लाम में औरतो को आजादी नही...

वाह रे जाहिलो‬

समझ में नहीं आता ये औरतों को बेपर्दा क्यूँ करना चाहते है?

दुनिया की तारीख में किसने मासूमो का सबसे ज़्यादा क़त्ल किया है?

1हिटलर... 
आप जानते हैं ये कौन था?
हिटलर जर्मन "ईसाई" था लेकिन मीडिया कभी "ईसाईयों" को आतंकवादी नहीं कहता।

2"जोसफ स्टालिन"
इसने तक़रीबन 20 मिलियन इंसानी जाने ली जिसमे 14.5 मिलियन को तड़पा तड़पा कर मारा गया।
क्या ये मुसलमान था?

3 "माओ त्से तसुंग (चीन)"
इसने 14 से 20 मिलियन का क़त्ल किया।
क्या ये मुस्लमान था ?

4 "बेनितो मुस्सोलिनी" (इटली)"*l
इसने तक़रीबन 400 हज़ार लोगो का कत्लेआम कराया।
क्या ये मुसलमान था?

5 "अशोक" ने कलिंगा के युद्ध में 100 हज़ार लोगो का कत्लेआम किया । 
क्या ये मुसलमान था ?

6 "अम्बार्गो" (इराक) जिसे जॉर्ज बुश ने इराक भेजा था।

इराक में 1 मिलियन से ज़्यादा इंसानो की जाने ली गयी जिसमे मासूम बच्चे भी शामिल थे।
क्या ये भी मुसलमान था ?

आज देखा जाता है के ग़ैर मुस्लिम समाज में "जिहाद " के नाम से एक डर और दहशत बनी हुई है लेकिन मीडिया सच्चाई न बताता है और न दिखाता है।

"जिहाद" एक अरबी का शब्द है जो की एक और अरबी के शब्द "जहादा" से बना है, जिसका मतलब है "बुराई"  और "नाइंसाफी" के खिलाफ आवाज़ उठाना उसके खिलाफ खड़े होना या इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ना।
जिहाद का मतलब मासूमो व बेगुनाहो की जान लेना या क़त्ल करना हरगिज़ नहीं है।

फ़र्क़ सिर्फ इतना है के हम बुराई के खिलाफ खड़े है , बुराई के साथ नहीं।

क्या इस्लाम हक़ीक़त में परेशानी है ?

1.पहली आलमी जंग (फर्स्ट वर्ल्ड वॉर 1930 के दशक में ) जिसमे 17 मिलियन मौते हुयी
जिसे ग़ैर मुस्लिम देशों ने किया।

2. दूसरी आलमी जंग (सेकंड वर्ल्ड वॉर 1939 -1945 ) जिसमे 50 से 55 मिलियन मौते हुयी।
यह भी ग़ैर मुस्लिमो द्वारा किया गया।

3. नागासाकी हिरोशिमा एटॉमिक हमले जिसमे 200,000 लोगो की जाने गयी ये हमले भी ग़ैर मुस्लिम(अमेरिका) द्वारा किये गए।

4. वियतनाम की लड़ाई में 5 मिलियन लोग मारे गए, 
यह भी ग़ैर मुस्लिम ने किया।

5. बोस्निया/कोसोवो की लड़ाई में तक़रीबन 500,000 लोग मारे गए।
ग़ैर मुस्लिम ने किया

6. इराक की जंग में अब तक 12,000,000 लोग मारे गए।जिसे ग़ैर मुस्लिम ने किया।

7.1975-1979 तक कंबोडिया में तक़रीबन 3 मिलियन लोगो की जाने गयी, ग़ैर मुस्लिम ने किया।

8. और आज अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया , फिलिस्तीन, और बर्मा में लोग मारे जा रहे हैं।

क्या ये सब मुसलमानों ने किया ❓

मुसलमान आतंकवादी नहीं है और जो आतंकवादी है वो मुस्लमान नहीं है।

ये दोहरे चेहरे ज़रूर उजागर होने चाहिए।

जितना ज्यादा हो सके उतना शेयर करे, मिडिया ग़लत हाथ में है इसलिए वो लोग ग़लत जानकारी लोगो तक पहुचाते है, लेकिन मोबाइल फ़ोन हमारे हाथ में हैं इसलिए हमें सही जानकारी फैलानी होगी.... Cpd

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खुलासा: आम चुनाव से पहले फेसबुक ने खुद बनाई थी स्वैच्छिक आचार संहिता

Posted on :22-Nov-2021
खुलासा: आम चुनाव से पहले फेसबुक ने खुद बनाई थी स्वैच्छिक आचार संहिता

मीडिया रिपोर्ट 

नई दिल्ली : फेसबुक के आंतरिक दस्तावेजों से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सामने आया है कि 2019 में भारत के आम चुनावों से पहले फेसबुक ने चुनाव आयोग के सख्त सोशल मीडिया नियमों से बचने के लिए स्वैच्छिक संहिता लागू की थी, इसके लिए उसने चुनाव आयोग के अधिकारियों को भी राजी कर लिया था। यह खुलासा फेसबुक की मुखबिरी करने वाली पूर्व कर्मचारी फ्रांसेस हॉगेन की ओर से सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों से हुआ है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों में खुलासा हुआ है कि फेसबुक ने स्वैच्छिक आचार संहिता के लिए इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया(IAMAI) को आगे रखा था। 

वहीं चुनाव आयोग के दस्तावेज दिखाते हैं कि वह चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर लगाम लगाने के लिए एक सख्त नियामक ढांचा चाहता था। इस खुलासे के बाद चुनाव आयोग के प्रवक्ता का कहना है कि हम फेसबुक की आंतरिक रिपोर्ट से परिचित नहीं हैं, लेकिन यह दावा सही नहीं है। क्योंकि किसी भी चुनाव में वोटिंग से 48 घंटे पहले ही सोशल मीडिया के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर राजनीतिक विज्ञापन प्रतिबंधित होता है। 

वहीं मेटा(पहले फेसबुक) के प्रवक्ता ने एचटी को एक ईमेल के माध्यम से इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत में हम अकेले नहीं हैं जिसने स्वैच्छिक आचार संहिता बनाई। चुनाव आयोग को इसके लिए मनाने वालों में अन्य सोशल मीडिया कंपनियां भी शामिल थीं।
 
जुलाई 2018 में सामने आया था नियामक ढांचा
चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगाम लगाने के लिए इस तरह का ढांचा बनाने के लिए तत्कालीन उप चुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था। जुलाई, 2018 में इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की कि चुनाव आयोग सोशल मीडिया एजेंसियों को निर्देश दे कि वे यह सुनिश्चित करें कि मतदान से 48 घंटे पहले कोई भी राजनीतिक विज्ञापन अपलोड नहीं किया जाएगा। इसके बाद 29 मई 2019 यानी आम चुनाव के पांच दिन बाद फेसबुक ने अपने कर्मचारियों को एक मेमो दिया। इसमें वह सब कुछ लिखा था जो फेसबुक ने चुनाव के दौरान किया। कंपनी ने कैसे सक्रिय निगरानी की और चुनाव आयोग द्वारा चयनित की गई सामग्री पर किस तरह से कार्रवाई की गई, यहां तक कि इस मेमो में स्वैच्छिक आचार संहिता तक का जिक्र था। 

पर्याप्त नहीं स्वैच्छिक आचार संहिता 
म्यूनिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सहाना उडुपा और हार्वर्ड विवि के जॉन शोरेंस्टीन फेलो कहते हैं कि स्वैच्छिक आचार संहिता पर्याप्त नहीं है। यह बेहद ही कमजोर भी है। क्योंकि जिस तरह से इसे बनाया गया है, इसे बहुत ही लचीला रखा गया है। सहाना उडुपा ने कहा कि इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के माध्यम से चुनाव आयोग को बातचीत करके सोशल मीडिया कंपनी ने उसे स्वैच्छिक आचार संहिता के लिए राजी किया, क्योंकि वे किसी भी प्रकार के विरोध से बचना चाहती थी। 

दबाव बनाने में कामियाब हुआ फेसबुक 
रिपोर्ट में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर नियामक ढांचा बनाने में लगने वाले वक्त के कारण फेसबुक चुनाव आयोग पर दबाव बनाने में कामियाब हुआ और उसने अधिकारियों को स्वैच्छिक आचार संहिता के लिए राजी कर लिया। नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि संसद के माध्यम से नियामक ढांच के को एक कानून का रूप लेने में समय लगता, ऐसे में स्वैच्छिक आचार संहिता एक उचित विचार था। अधिकारी ने कहा कि हमारी प्राथमिकता एक ऐसा नियामक ढांचा बनाने की थी, जहां शिकायतों का तेजी से समाधान हो और सोशल मीडिया कंपनियां चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन करें।

 

 

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चापलूसी, चाटुकारिता एक आधुनिक कलयुगी हथियार है

Posted on :22-Sep-2021
चापलूसी, चाटुकारिता एक आधुनिक कलयुगी हथियार है

त्रिभुवन सिंह जी के फेस बुक बाल से 

No description available.

यह एक ऐसा हथियार है ,जो इस्तेमाल करने वाले अक्षम निष्क्रिय ग़ैरउत्त्पादक आदमी के प्रभाव को ज़मीन से आसमान तक उठा कर महिमा मण्डित कर देता है।
इस हथियार  का इस्तेमाल किसी दूसरे के क्षमता दक्षता और ,प्रभाव-मण्डल का अनुचित लाभ लेने के लिये पाखण्ड पूर्ण होता है।
चापलूसी एक उपक्रम है,एक मिशन, एक तपस्या है,इसमें जादूगर की तरह मायाजाल ,नजरबन्द के हावभाव,भाठों की भाव-भंगिमा, अंग-प्रत्यंग से आकर्षण की कला, नाटक-नौटंकी का प्रयोग होता है ।

चापलूस एक अहिंसक चालबाज और भ्रमजाल फैलाने में माहिर मासूम परोपजीवी की तरह होता है। उसे मात्र बेअक्ल ,बेशर्म और निहित स्वार्थी होने की  जरूरत के बाद. सिर्फ़ अपने आका और महामना की हर इक्छा ,असंगत जो कहे, उसकी हर बात पर निःशर्त सहमति/समर्थन जताना परमकर्तव्य हो जाना जरूरी है। दरअसल चापलूसी चाटुकारिता का यही मूलाधार है।

चापलूसी की कोइ सीमा नहीं होती है। हालाँकि इसकी शुरूआत से ही गुमराह और अति के बाद भ्रान्तियाँ बढ़ जाती हैं अंततःकूशल नेतृत्व भी अलोकप्रिय एवं अहंकारी हो जाता है ,एकाधिकार के लिए हठी और तानाशाही रवैया अपनाता है, संवादहीनता बढ़ते जाने से वास्तविकता से दूर हो जाता है।सक्षम, गुनी, ज्ञानी, उपेक्षा के कारण दूर हो जाते हैं, लेकिन इसके बाद भी चापलूसी का प्रभाव/प्रचलन कम नहीं होता। बल्कि ऐसे में चापलूसी ही एकमात्र सहारा बचता है। जनसंपर्क का दायरा निष्प्रभावी हो जाने से असफलताओं का सामना करना पड़ता है । लोकप्रियता धीरे धीरे समाप्त जाती है।  
                       
चापलूसों की क्षमता/दक्षता की महिमा ही अलग है। यह स्वार्थ पूरा करने का ब्रह्मास्त्र है, हर समस्या की रामबाण औषधि है। इसके गिरफ़्त में जो आ जाता है वह महिमामंडित होकर भ्रमित हो जाता है, उचित-अनुचित का बोध नहीं कर पाता और अंततः विपरीत परिणाम भोगना ही पड़ता है ।

इसलिए कहा गया है कि प्रतिक्रिया और व्यवहार स्वाभाविक होनी चाहिए और ऐसा अगर ना हो तो चाटुकारिता होती है चापलूसी होती है ।                    
चापलूसी से व्यक्ति प्रोत्साहित तो होता है लेकिन इसके कुचक्र में फँस कर भ्रमित हो जाता है और अपने कर्तव्य/दायित्व का निर्वाह नहीं कर पाता। वास्तविकता से परे चापलूसों ,चाटुकारों से घिरा नेतृत्व समाज व राष्ट्र के लिए अहितकर हो जाता है ।        

जैसे अमरबेल किसी हरे-भरे वृक्ष को कमजोर कर देता है वैसे ही चापलूस,चाटुकार, सदा स्वपोषण के चक्कर में परजीवी हो सामाजिक,आर्थिक, एवं राजनैतिक परिवेश, और जन सरोकार को क्षतिग्रस्त करते रहते है।

ये मात्र चाटुकार और चापलुस ही नहीं ,कलिकाल के,कलुयग में कालनेमी हैं पद प्रतिष्ठा, मान, मर्यादा के मर्दन अवतार हैं।यही तो महामना आका भक्त हैं ।

 

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हिंदी के महान कवि गजानंद माधव मुक्तिबोध की रचनाएं घर्षण से उपजी चिंगारियां

Posted on :11-Sep-2021
हिंदी के महान कवि गजानंद माधव मुक्तिबोध की रचनाएं घर्षण से उपजी चिंगारियां

IAS- श्री तारन प्रकाश सिन्हा  जी की फेसबुक वॉल से 

Gajanan Madhav Muktibodh(गजानन माधव मुक्तिबोध) | Kavishala Sootradhar

हिंदी के महान कवि गजानंद माधव 'मुक्तिबोध' की रचनाएं घर्षण से उपजी चिंगारियां हैं। इन चिंगारियों में आग भी है और रौशनी भी। जो आग है, वह भूख और बेबसी के खिलाफ मुक्तिबोध की पताका है। जो रौशनी है वह शोषण और साजिशों के खिलाफ मुक्ति की राह है। जिन संघर्षों से ये रचनाएं उपजीं हैं, वह मुक्तिबोध के भीतर-बाहर, सब ओर पसरा हुआ है। 

अपने इर्द-गिर्द पसरी विसंगतियों से संघर्ष से पहले वे अपने अंतःकरण से संघर्ष करते हैं, खुद को बाहर पसरे हुए संघर्ष के लिए मजबूत करते हैं। उन्हें सबसे बड़ा आत्माभियोगी कवि कहा जाता है। मुक्तिबोध के चाहने वालों के लिए यह उनका सबसे बड़ा संदेश भी है। वे जानते हैं सपनों के भीतर भी सपने होते हैं, विचारधाराओं के भीतर विचारधाराएं होती हैं, मतिष्क के भीतर एक मतिष्क होता है, उसके भी भीतर एक कक्ष, फिर गुप्त प्रकोष्ठ, फिर उस प्रकोष्ठ के अंधेरे में एक बंद संदूक।

 उस मजबूत संदूक में कोई बंद है, शायद यक्ष, या फिर ओरांग उटांग। डर यह कि वह कहीं छूट न जाए। दुनिया जान न ले कि असत्य शक्ति का प्रतिरूप वह औरांग-उटांग भीतर ही कहीं छुपा हुआ है।

मुक्तिबोध अपनी एक अन्य कविता 'ओ अप्रस्तुत श्रोता' में स्वयं को अंगारे की तरह परिभाषित करते हैं, जो किसी कारखाने की चिमनी से निकलते स्याह धुंए के साथ निकल भागा है।  
ओ, अप्रस्तुत श्रोता,
ओ अनुपस्थित पाठक,
मैं अंधेर-कारखाने के
स्याह धुंए के बहाव में से निकल भागते
अंगारे-सा
उड़-तिरकर चुपचाप तुम्हारी छत पर
चोरी-चोरी आ पहुंचा हूँ;
पर जलाउंगा नहीं तुम्हें
मैं अपनी कविताओं से।
मैंने चोरी-चोरी भीतर का रेडियम संभाल रखा है।
आज अकेले उसी एक कोने में तुमको पाने,
ले जाने के लिए
तुम्हारे घर आया हूँ
ओ मेरे प्रिय पात्र!  
हम सभी के लिए यह गर्व की बात है कि हिंदी के ऐसे महान कवि ने अपनी कर्मभूमि छत्तीसगढ़ की साहित्य परंपरा को ऐसी समृद्धि दी, जिसका कभी क्षरण नहीं होगा। 
आज उनकी पुण्यतिथि है। उन्हें शत-शत नमन।

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ये उस दिन की बात है जिस दिन उन्होंने किसानों के सवाल पर आर्थिक नाकेबंदी का आह्वान किया था...

Posted on :23-Aug-2021
ये उस दिन की बात है जिस दिन उन्होंने किसानों के सवाल पर आर्थिक नाकेबंदी का आह्वान किया था...

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श्री रुचिर गर्ग के फेसबुक वॉल से

पार्टी के नेता – कार्यकर्ता बड़ी तादाद में जुटे थे, लेकिन उनमें से ही उनके एक करीबी नेता को कुछ खटक रहा था. उस नेता ने धीरे से आ कर पूछा –‘ हम किसानों के सवाल पर यहां इकट्ठा हुए हैं पर किसान तो बहुत कम नजर आ रहे हैं !’

उन्होंने कहा –‘ जिस दिन यहां इतनी ही तादाद में किसान आ गए उस दिन हम पूरे बहुमत के साथ सरकार में होंगे ! ’ 

इसके बाद का संघर्ष सब ने देखा. 
सबने देखा कि पांच साल वो सड़क पर थे,गलियों में थे, गांवों में थे..वो जुलूस में थे ,प्रदर्शनों में थे!
सबने देखा कि हर  आह्वान की धार क्या थी ! 
जिन्हें नतीजा नजर नहीं आ रहा था उन्हें इतना तो नजर आ ही रहा था कि अब किसान कहां खड़ा हो रहा है!
...और नतीजा भी वही था जैसा उन्होंने कहा था.इस नतीजे में बाकी तबके तो थे ही पर गांव और किसान तो मानो फिजां बदलने ही निकले थे !
फिजां बदली और अब सत्ता की कमान उनको सौंपी गई.
वो अब भी गांवों में हैं ,खेतों, गलियों और सड़कों पर हैं.अब अपनी सरकार के फैसलों के साथ.तब जनाकांक्षाएं लड़ाई को धार दे रहीं थीं,आज वही जनाकांक्षाएँ परीक्षा ले रहीं हैं...हर रोज ! 
हर रोज़ वो लोकतंत्र की इस परीक्षा का मुकाबला कर रहे हैं पर जनाकांक्षाओं का सफर तो चुनौतियों से भरा और अंतहीन है!
इसमें रियायत भी कहां...इस पथ पर तो बिना थके जो चल सके मंजिल उसकी ही होगी...और ये इरादा तो उन्होंने उसी दिन अपने उस करीबी साथी के सामने जाहिर कर दिया था कि चुनौती बड़ी है ,सफर लंबा है!
चुनौती सिर्फ़ राजनीति के क्षितिज में उभरने की नहीं थी बल्कि प्रदेश और देश के सामाजिक - आर्थिक जीवन में बदलाव के विकल्प तराशने की भी थी। छत्तीसगढ़ का स्वाभिमान जगाने और अस्मिता के सवालों का सीधा हल देने की भी थी.आज समाधान आपकी पहचान बनकर उभरे हैं.इस पहचान को भी जनाकांक्षा का ही एक हिस्सा जानिए!
आपका जन्मदिन यह कामना करने  का अवसर दे रहा है – शुभ यात्रा मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल !
आप पर भरोसे की वजह कोई शोध का विषय नहीं बल्कि एक सीधी कार्यप्रणाली है ,जो जरूरतों की समझ और उसे कर गुजरने की मजबूत इच्छा शक्ति है.
जनता की कामना है कि उसकी उम्मीदें पूरी होती रहें...हम सब की भी यही शुभकामना है कि इस सफर पर आप बाधाओं का मुकाबला करते अनथक चलें..यही इरादे तो आपकी ताकत भी हैं.
पुनः जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं!
रुचिर

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नफरत भरी सामग्री के खिलाफ फेसबुक की बड़ी कार्रवाई, 3.15 करोड़ पोस्ट हटाए

Posted on :19-Aug-2021
नफरत भरी सामग्री के खिलाफ फेसबुक की बड़ी कार्रवाई, 3.15 करोड़ पोस्ट हटाए

एजेंसी 

नई दिल्ली : फेसबुक ने जून 2021 तिमाही में नफरत और द्वेष बढ़ाने वाली 3.15 करोड़ सामग्रियों को लेकर कार्रवाई की. वैश्विक स्तर पर इस सोशल मीडिया मंच पर इस तरह की सामग्री की व्यापकता में कमी आई है. हर 10,000 सामग्री पर नफरत और द्वेष फैलाने वाली सामग्री की संख्या घटकर पांच रह गई. कंपनी ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी.

फेसबुक के वाइस-प्रेसीडेंट (इंटेग्रेटी) गाय रोसेन ने कहा, "हमने इस तिमाही में 3.15 करोड़ नफरतपूर्ण सामग्रियां हटायीं, जबकि पहली तिमाही (मार्च 2021) में यह संख्या 2.52 करोड़ थी. वहीं और इंस्टाग्राम से 98 लाख सामग्रियां हटायी गयीं जबकि पहली तिमाही में यह संख्या 63 लाख थी. लगातार तीसरी तिमाही में फेसबुक पर नफरत बढ़ाने वाली सामग्रियों की व्यापकता में कुछ कमी देखी गयी है."

उन्होंने कहा कि जब से फेसबुक ने इस तरह की सामग्रियों की रिपोर्ट करना शुरू किया है, तब से फेसबुक और इंस्टाग्राम पर द्वेष, घृणा और नफरत फैलाने वाली सामग्रियों को हटाने में 15 गुना वृद्धि हुई है.

रोसेन ने कहा कि दूसरी तिमाही में, अभद्र भाषा की मौजूदगी 0.05 प्रतिशत थी या प्रति 10,000 सामग्रियों में पांच में इस तरह की भाषा थी. यह वर्ष की पहली तिमाही में 0.05-0.06 प्रतिशत थी या प्रति 10,000 सामग्रियों में पांच से छह थी.

आंकड़े 2021 की दूसरी तिमाही के लिए फेसबुक की सामुदायिक मानक प्रवर्तन रिपोर्ट का हिस्सा हैं.

रोसेन ने बताया कि यह कमी कंपनी की सक्रियता के साथ काम करने से इस तरह की सामग्रियों की पहचान करने में लगातार हुए सुधार की वजह से हुई है.

उन्होंने कहा, "एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) में हमारा निवेश हमें फेसबुक और इंस्टाग्राम पर नफरतपूर्ण भाषा से जुड़े और अधिक उल्लंघनों का पता लगाने में सक्षम बनाता है. यह तकनीक हमें अरबों उपयोगकर्ताओं और कई भाषाओं में अपनी नीतियों को लागू करने में मदद करती है."

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WhatsApp में आया Group Video/Voice Call से जुड़ा शानदार फीचर

Posted on :23-Jul-2021
WhatsApp में आया Group Video/Voice Call से जुड़ा शानदार फीचर

नई दिल्ली : WhatsApp अपने यूजर्स को खुश करने के लिए नए फीचर्स लाता रहता है। इसी कड़ी में हाल ही में वॉट्सऐप ने एक नया फीचर अपने प्लेटफार्म पर जोड़ा है। इस फीचर की मदद से यूजर्स मिस हुए ग्रुप वीडियो या फिर वॉयस कॉल को बाद में जॉइन कर सकेंगे। WhatsApp का इस फीचर को लाने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उपयोगकर्ता केवल इसलिए दोस्तों और परिवार के साथ वीडियो कॉल मिस न करें दें, कि जिस समय कॉल आया उस समय वे वे कुछ मिनटों के लिए कही व्यस्त थे। अगर कॉल चल रही है तो यूजर इस ग्रुप वीडियो या वॉयस कॉल को बीच में जॉइन कर सकता है।

बता दें कि अभी तक यूजर्स WhatsApp यूजर्स को ग्रुप कॉल ज्वाइन करने का ऑप्शन नहीं दिया जाता था। लेकिन अब यूजर्स आसानी से कॉल टैब में जाकर के मिस हुए वॉयस या वीडियो कॉल को जॉइन कर सकते हैं। यदि वो ग्रुप कॉल चल रही होगी जिसे आपने मिस कर दिया है तो आपको कॉल लॉग में एक "टैप टू जॉइन" ऑप्शन दिखाई देगा इस पर क्लिक कर आप कॉल में ज्वाइन हो सकते हैं। लेकिन इस फीचर को यूज करने के लिए पहले सुनिश्चित कर लें कि आपका व्हाट्सऐप ऐप अपडेटेड हो। आइए आपको बताते हैं WhatsApp पर मिस्ड विडियो और वॉयस कॉल को ज्वाइन करने का स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस: 

WhatsApp पर मिस हुए वीडियो और वॉयस कॉल को ऐसे करें जॉइन
>> ग्रुप वीडियो/वॉयस कॉल के मिस होने पर आपको एक नोटिफिकेशन मिलेगा।
>> अगर आप मिस हुई कॉल को जॉइन नहीं करना चाहते हैं तो ‘ignore’ पर टैप कर दें। वहीं अगर आप कॉल ज्वाइन करना चाहते हैं तो ‘join’ पर टैप करें।

>> कॉल मेन्यू पर आपको कॉल में भाग लेने वाले और अन्य इनवाइट्स को प्रीव्यू मिल जाएगा।
>> अगर और लोगों को जोड़ना चाहते हैं तो Add participant पर क्लिक करें।
>> वहीं इनवाइट किए जा चुके लोगों को नोटिफिकेशन भेजने के लिए ‘RING’ पर टैप करें।

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अब गूगल और फेसबुक को संसदीय पैनल ने भेजा समन, मिसयूज और जनता के अधिकार पर होगी बात

Posted on :28-Jun-2021
अब गूगल और फेसबुक को संसदीय पैनल ने भेजा समन, मिसयूज और जनता के अधिकार पर होगी बात

एजेंसी 

नई दिल्ली : सोशल मीडिया के बेजा इस्तेमाल और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के मुद्दे पर चर्चा के लिए आईटी मामलों की संसदीय समिति ने फेसबुक और गूगल को समन जारी किया है। दोनों कंपनियों के प्रतिनिधियों को मंगलवार को पैनल के समक्ष पेश होने को कहा गया है ताकि इन मुद्दों पर चर्चा की जा सके। इन दोनों दिग्गज टेक कंपनियों को नए आईटी नियमों को लेकर ट्विटर के अधिकारियों से बातचीत के 10 दिन बाद समन जारी किया गया है। इस मीटिंग के दौरान यूजर्स की ओर से प्लेटफॉर्म पर अपलोड की जाने वाली सामग्री और भारत में लागू कानूनों को लागू करने को लेकर बात की जाएगी। इससे पहले ट्विटर की टीम ने संसदीय समिति से कहा था कि वह अपनी नीतियों का ही पालन करता है।

इस मीटिंग के दौरान संसदीय समिति ने ट्विटर को बताया था कि भारत कानून सर्वोच्च है और उसे यहां उसके मुताबिक ही काम करना होगा। यह मीटिंग भी ऐसे वक्त में होने वाली है, जब केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच नए आईटी नियमों को लेकर छिड़ा विवाद खत्म नहीं हुआ है। केंद्र सरकार ने ट्विटर से कहा है कि उसे भारत के उन नियमों का पालन करना ही होगा, जिन्हें लोगों की रक्षा के मकसद से लागू किया गया है। यही नहीं इसी विवाद के बीच शुक्रवार को ट्विटर ने एक घंटे के लिए देश के आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद के ही अकाउंट को ब्लॉक कर दिया था। हालांकि बाद में सफाई में कहा गया था कि कॉपीराइट के नियमों के उल्लंघन के चलते ऐसी कार्रवाई हुई है। 

भारत में 26 मई से नए आईटी नियमों को लागू किया गया है। इन्हें फॉलो न करने के चलते ट्विटर से पहले भी भारत में मिल रही लीगल इम्युनिटी को वापस ले लिया गया है। इसका अर्थ यह हुआ कि ट्विटर पर यह नहीं कह सकता कि वह सिर्फ एक प्लेटफॉर्म है। अब उसके मंच पर शेयर होने वाले किसी भी कॉन्टेंट के लिए उसे जिम्मेदार माना जाएगा। यहीं पुलिस और प्रशासन को उसके खिलाफ कार्रवाई करने का भी अधिकार होगा। हाल ही में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, आरएसएस चीफ मोहन भागवत समेत कई लोगों के अकाउंट से ब्लू टिक हटाए जाने के चलते भी ट्विटर विवादों में आ गया था। हालांकि इन अकाउंट्स के ब्लू बैज को कुछ देर में ही फिर से बहाल कर दिया गया।

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ट्विटर को भारत में मिल रहा कानूनी संरक्षण हुआ खत्म

Posted on :16-Jun-2021
ट्विटर को भारत में मिल रहा कानूनी संरक्षण हुआ खत्म

मीडिया रिपोर्ट 

नई दिल्ली : नए आईटी नियमों को लेकर भारत सरकार और ट्विटर के बीच चल रहा घमासान अब बढ़ता दिख रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार ट्विटर के खिलाफ कोई बड़ा लीगल एक्शन लेने की तैयारी कर रही है। सरकारी सूत्रों की मानें तो ट्विटर का इंडिया के अंदर कानूनी संरक्षण खत्म हो गया है और ऐसा इसलिए हुआ है कि नए आईटी नियमों के तहत ट्विटर को जो छूट मिली थी उसकी समयसीमा खत्म हो गई है। साथ ही ट्विटर ने नियमों के अनुसार जिन वैधानिक अधिकारियों की नियुक्ति करनी थी वो नहीं की है, जिसकी वजह से अब केंद्र सरकार ट्विटर के खिलाफ कोई बड़ा लीगल एक्शन ले सकती है।

नियमों का पालन नहीं करने की वजह से कानूनी संरक्षण खत्म

इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, सरकारी चिट्ठी मिलने के बावजूद भी ट्विटर ने नियमों का पालन नहीं किया और भारत में प्रमुख अधिकारियों की नियुक्ति भी नहीं की। इसके अलावा ट्विटर ने सोशल मीडिया से मध्यस्थता स्टेटस को हटाने का आदेश जारी नहीं किया। हालांकि मंगलवार को ट्विटर की तरफ से एक ऑफिशियल स्टेटमेंट में यही कहा गया था कि भारत सरकार के नए आईटी नियमों का पालन किया गया है और इसके लिए एक अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति कर दी गई है। ऐसे समझें पूरा मामला आपको बता दें कि नए आईटी नियम आने के बाद से ट्विटर को भारत में थर्ड पार्टी कंटेंट पर सरकार की तरफ से एक लीगल प्रोटेक्शन मिला हुआ था, जो अब खत्म हो गया है। आपको बता दें कि ट्विटर को ये कानूनी संरक्षण तभी तक मिला हुआ था, जब तक नए आईटी नियमों के तहत एक वैधानिक अधिकारी, भारत में एक प्रबंध निदेशक सहित एवं अन्य अधिकारियों की नियुक्ति करनी थी, लेकिन इन अधिकारियों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। अब कोई यूजर यदि ट्विटर पर 'गैर-कानूनी सामग्री' एवं 'भड़काऊ पोस्ट' शेयर करता है तो कंपनी आईपीसी की आपराधिक धाराओं एवं पुलिस पूछताछ का सामना करेगी। आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत ट्विटर को 'कानूनी संरक्षण' मिला हुआ था। जबकि गूगल, यूट्यूब, फेसबुक, वाट्सएप और इंस्टाग्राम को यह संरक्षण जारी रहेगा।

25 मई तक होनी थी अधिकारियों की नियुक्ति आपको बता दें कि ट्विटर को भारत में 25 मई तक अपने अधिकारियों को नियुक्ति करनी थी, लेकिन कंपनी ने कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन एवं अन्य तकनीकी पहलुओं का हवाला देकर इन नियुक्तियों में देरी की। ट्विटर ने शुरू में कुछ नियुक्तियां की थीं, लेकिन सरकार ने इन्हें यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ये अधिकारी बाहरी कानूनी परामर्शदाता थे या ऐसे लोग थे जो जिन्हें अमेरिकी कंपनी ने सीधे तौर पर नियुक्त नहीं किया था।

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सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म्‍स से कोरोना वायरस का 'भारतीय स्वरूप' बताने वाली सामग्री हटाई जाए :केंद्र सरकार

Posted on :22-May-2021
सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म्‍स से कोरोना वायरस का 'भारतीय स्वरूप' बताने वाली सामग्री हटाई जाए :केंद्र सरकार

एजेंसी 

नई दिल्ली: सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे अपने मंचों से उस सामग्री को हटाएं जिसमें कोरोना वायरस के कथित ‘भारतीय स्वरूप’ का उल्लेख किया गया है या संदर्भ दिया गया है. सरकार ने यह निर्देश कोविड-19 महमारी से जुड़ी गलत जानकारी को नियंत्रित करने के उद्देश्य से दिया है. 

डिजिटल मंचों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि उन्हें नवीनतम परामर्श मिला है. सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय ने शुक्रवार को सभी सोशल मीडिया मंचों ( social media platforms) को लिखे पत्र में जोर देकर कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस के ‘बी.1.617’ स्वरूप के साथ अपनी किसी रिपोर्ट में ‘भारतीय स्वरूप’ का उल्लेख नहीं किया है.

मंत्रालय द्वारा जारी नोटिस में कहा गया कि फर्जी बयान ऑनलाइन प्रसारित हो रहा है, जिसमें कहा गया है कि विभिन्न देशों में कोरोना वायरस का भारतीय स्वरूप फैल रहा है. आईटी मंत्रालय ने कहा कि 12 मई 2021 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय प्रेस विज्ञप्ति के जरिये स्थिति स्पष्ट कर चुका है. मंत्रालय ने सोशल मीडिया से कहा कि ”वे उस सभी सामग्री को अपने मंच से तुरंत हटाए जिसमें कोरोना वायरस के ‘भारतीय स्वरूप’ का संदर्भ दिया गया है.”

इससे पहले इलेक्ट्रानिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंचों पर कोरोना वायरस से जुड़ी फर्जी खबर/भ्रामक सूचना को रोकने के लिए परामर्श जारी किया था. गौरतलब है कि भारत गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसे डिजिटल मंचों के लिए सबसे बड़े बाजारों में से एक है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में 53 करोड़ व्हाट्सऐप उपयोगकर्ता, 44.8 करोड़ यूट्यूब उपयोगकर्ता, 41 करोड़ फेसबुक उपयोगकर्ता, 21 करोड़ इंस्टाग्राम उपयोगकर्ता और 1.75 करोड़ ट्विटर उपयोगकर्ता हैं.

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छत्तीसगढ़ में भोर हो रही है... बेहतरीन कोविड-प्रबंधन से संक्रमण की थमी रफ्तार...

Posted on :03-May-2021
छत्तीसगढ़ में भोर हो रही है... बेहतरीन कोविड-प्रबंधन से संक्रमण की थमी रफ्तार...

IAS- श्री तारन प्रकाश सिन्हा  जी की फेसबुक वॉल से 

अंततः अंधेरा फट रहा है। 

कोरोना : संकट से जूझ रहे पूरे देश के लिए छत्तीसगढ़ से अच्छी खबर है। अभी कुछ हफ्ते पहले तक सात राज्यों से घिरा यह प्रदेश देश के सर्वाधिक चुनौतिपूर्ण राज्यों की सूची में था, लेकिन अब थोड़े से ही समय में तमाम चुनौतियों पर विजय हासिल करते हुए कोरोना पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में कामयाब हो रहा है। पिछले एक हफ्ते के दौरान राज्य में जितने लोग कोरोना से संक्रमित हुए, उससे कहीं ज्यादा लोगों ने इससे मुक्ति पाई। 
देश के नक्शे में अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण छत्तीसगढ़ में इस महामारी को नियंत्रित करने की चुनौतियां कहीं ज्यादा बड़ी थी। 

छत्तीसगढ़ की यही स्थिति राज्य में तेज संक्रमण दर का कारण भी थी। सात राज्यों के बीच छत्तीसगढ़ से होकर होने वाली आवाजाही ने वायरस को अनुकूलता प्रदान की। पहले ही गंभीर रूप से संक्रमित महाराष्ट्र के पड़ोसी होने की वजह से अपने सघन सांस्कृति-आर्थिक संबंधों को कारण छत्तीसगढ़ को भी चपेट में आना ही था। 
देशभर में जितनी तेजी के साथ कोरना की दूसरी लहर उठी, छत्तीसगढ़ में भी वायरस ने उतनी ही तेजी से अपने पांव पसारे। यह तेजी यहां भी अप्रत्याशित ही थी। वायरस इतनी तेजी से फैला कि इससे निपटने के लिए संसाधन कम पड़ने लगे। 

संक्रमण की रफ्तार बढ़ते-बढ़ते लगभग 15000 मरीज प्रतिदिन तक जा पहुंची। 
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पूरे देश में लगभग एक जैसी परिस्थितियां निर्मित हुई। अस्पतालों में बिस्तरों की कमी होने लगी, आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं, जैसे रेमडिसिविर इंजेक्शन, की कमी होने लगी, आक्सीजन की किल्लत होने लगी, कोरोना-मरीजों के उपचार के लिए मेडिकल स्टाफ की कमी होने लगी। एक तरह से अफरा-तफरी का वातावरण निर्मित होने लगा। जगह-जगह लाकडाउन लगाने और कंटेनमेंट जोन बनाए जाने के बावजूद लोगों का हुजूम अस्पतालों, दवा-दुकानों पर नजर आ रहा था। 
इस समय देश के दिगर राज्यों में जैसी गहमी-गहमी है, वैसी गहमा-गहमी छत्तीसगढ़ में नजर नहीं आती। ऐसा बेहतरीन कोविड-प्रबंधन के कारण संभव हो पाया है। 

इस समय छत्तीसगढ़ में रिकवरी दर 82.5 प्रतिशत हो चुकी है। प्रदेश में कोरोना की शुरुआत से अब तक 07 लाख 44 हजार 602 लोग पाजिटिव पाए गए हैं। इनमें से 06 लाख 14 हजार 693 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। 

कोविड-प्रबंधन का यह आंकड़ा भी गौर करने लायक है कि अब तक कुल संक्रमित मरीजों में से 04 लाख 88 हजार 988 मरीज होम आइसोलेशन में, और 01 लाख 25 हजार 705 विभिन्न अस्पतालों तथा कोविड सेंटरों में इलाज के बाद ठीक हुए हैं। आज की स्थिति में प्रदेश के अस्पतालों में बिस्तरों की कोई कमी नहीं है। 

रायपुर और बिलासपुर जैसे बड़े शहरों में, जहां के अस्पतालों में अपने जिले के साथ-साथ आस-पास के अनेक जिलों के मरीजों का भी उपचार किया जा रहा है, अब पर्याप्त संख्या में आक्सीजन, आईसीयू, वैंटिलेटर समेत विभिन्न तरह की सुविधाओं वाले बिस्तर उपलब्ध हैं। मरीजों तथा उनके परिजनों को सही समय में बिस्तरों की उपलब्धता के बारे में सटीक जानकारी मिल सके, इसके लिए पोर्टल की शुरुआत शासन द्वारा की गई है।
राज्य ने अपने यहां उत्पादित आक्सीजन को ठीक तरह से प्रबंधित करते हुए न केवल यहां के मरीजों तक पहुंचाया है, बल्कि दूसरे राज्यों को भी छत्तीसगढ़ से आक्सीजन मिल रहा है। इस तरह आक्सीजन के मामले में यह एक सरप्लस राज्य है। होम आइसोलेशन के दौरान जिन मरीजों को आक्सीजन की आवश्यकता होती है, उनके लिए आक्सीजन आन व्हील जैसी योजना की शुरुआत राज्य के सबसे बड़े शहर रायपुर से की जा चुकी है। इसी तरह रेमडिसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी पर रोक लगाने और हर जरूरतमंद मरीज के लिए इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अस्पतालों मे ही इसकी व्यवस्था की जा चुकी है। 


यह सारा प्रबंधन मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सीधी निगरानी में हो रहा है। वे हर रोज वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूरे प्रदेश की स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। विभिन्न विभागों, नगरीय तथा स्थानीय निकायों को आवश्यक दिशा निर्देश दे रहे हैं, ताकि संक्रमण को शहरों से कस्बों और गांवों की ओर बढ़ने से रोका जा सके। यदि यह आगे बढ़ता भी है तो उससे व्यापक तैयारियों के साथ तुरंत निपटा जा सके। 
दुनियाभर के विशेषज्ञों का यह मानना है कि जितनी तेजी से टेस्ट किए जाएंगे, कोरोना पर उतने ही प्रभावी तरीके से नियंत्रण पाया जा सकेगा। ठीक इसके समानांतर तेजी से टीकाकरण भी किए जाने की आवश्यकता है। टीकाकरण की शुरुआती रणनीति के तहत सबसे पहले उन लोगों को सुरक्षित किया जाना था, जिनको या तो खतरा ज्यादा है, या फिर जो लोग अग्रिम मोर्चे पर कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में प्रतिदिन प्रति 10 लाख की आबादी पर 2069 टेस्ट किए जा रहे हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिदिन प्रति 10 लाख आबादी यह संख्या 1430 है। राज्य की टेस्टिंग क्षमता को लगातार बढ़ाया जा रहा है। राज्य में वर्तमान में 31 शासकीय तथा 05 निजी लैब में टू-नाट जांच सुविधा उपलब्ध है। 07 शासकीय तथा 05 निजी लैब में आरटीपीसीआर की सुविधा है। रैपिड एंटीजन टेस्ट की सुविधा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक उपलब्ध है। इसके अलावा 04 नये शासकीय आरटीपीसीआर लैब महासमुंद, कांकेर, कोरबा एवं कोरिया में स्थापित किए जा रहे हैं। प्रत्येक जिले में अतिरिक्त मशीनें उपलब्ध कराकर ट्रूनाट लैब की जांच क्षमता बढ़ाई जा रही है। 

कोरोना से प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा कवच उपलब्ध कराने के लिए टीकाकरण का काम तेजी से किया जा रहा है। हर रोज औसतन 2.13 लाख लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है। अग्रिम मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों के टीकाकरण के मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में दूसरे नंबर पर है। 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को प्रथम डोज देने के मामले में चौथे स्थान पर है, सिर्फ लद्दाख, सिक्किम और त्रिपुरा ही छत्तीसगढ़ से आगे हैं। राज्य में अब 18 वर्ष से अधिक आयु-वर्ग के लोगों के टीकाकरण की शुरुआत भी की जा चुकी है। अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक भी सही समय पर टीके की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक सटीक रणनीति के तहत यह काम तेजी से किया जा रहा है। 
छत्तीसगढ़ में वायरस ने जितनी तेजी से पांव पसारे थे, उसे उतनी हो तेजी के साथ पीछे धकेला जा रहा है। छत्तीसगढ़ में रात गहराने से पहले ही अंधेरा छंटने लगा है। भोर होने लगी है। 

 

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दिल्ली HC से फेसबुक-व्हाट्सऐप को झटका, CCI जांच के खिलाफ याचिका खारिज

Posted on :22-Apr-2021
दिल्ली HC से फेसबुक-व्हाट्सऐप को झटका, CCI जांच के खिलाफ याचिका खारिज

एजेंसी 

नई दिल्ली : सोशल मीडिया मंच फेसबुक और व्हॉट्सएप की याचिका पर आज यानी गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय फैसला सुना दिया। दिल्ली हाईकोर्ट ने फेसबुक और व्हाट्सऐप की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सोशल मीडिया कंपनियों ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा नई निजता नीति की जांच के लिए जारी आदेश को चुनौती दी है। इसका मतलब है कि अब सीसीआई नई प्राइवेसी पॉलिसी की जांच करेगी।

न्यायमूर्ति नवीन चावला की अदालत ने 13 अप्रैल को फेसबुक और व्हॉट्सएप की दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई पूरी की थी। अदालत ने सुनवाई पूरी करते हुये टिप्पणी की थी कि सीसीआई प्रभुवत्व वाली स्थिति के दुरुपयोग की जांच को प्रतिबिंबित नहीं करता बजाय ऐसा लगता है कि ग्राहकों की निजता को लेकर चिंतित है।

अदालत ने यह टिप्पणी सीसीआई के उस रुख पर की जिसमें उसने कहा कि वह व्यक्तियों की निजता का उल्लंघन की जांच नहीं कर रहा जिसे उच्चतम न्यायालय देख रहा है। सीसीआई ने अदालत में तर्क दिया कि व्हॉट्सएप नई निजी निजता नीति के तहत बहुत अधिक आंकड़े एकत्र कर सकता है और लक्षित विज्ञापन के दायरे में और उपयोगकर्ताओं को लाने के लिए ग्राहकों की अवांछित निगरानी कर सकता है जो कथित प्रभुत्ववादी प्रभाव का दुरुपयोग होगा। फेसबुक और व्हॉट्सएप ने सीसीआई के 24 मार्च के आदेश को चुनौती दी है जिसमें उनकी नई निजता नीति के जांच करने के आदेश दिए हैं।

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गुजरात दंगे- 2002 के आइकॉनिक चेहरे, माथे पर भगवा पट्टी लपेटे अशोक परमार और रोते हुये हाथ जोड़े कुतुबुद्दीन अंसारी

Posted on :20-Mar-2021
गुजरात दंगे- 2002 के आइकॉनिक चेहरे, माथे पर भगवा पट्टी लपेटे अशोक परमार और रोते हुये हाथ जोड़े कुतुबुद्दीन अंसारी

पूर्व न्यायाधीश- प्रभाकर ग्वाल की फेसबुक वॉल से...

गुजरात : माथे पर भगवा पट्टी लपेटे अशोक परमार और रोते हुये हाथ जोड़े कुतुबुद्दीन अंसारी , दोनों गुजरात दंगों (2002) के आइकॉनिक चेहरे रहें हैं।

अशोक परमार को तब समझ नहीं थी तो वह साम्प्रदायिक और फासिस्ट वादियों का क्रूरतम मोहरा बना हुआ था । 
अशोक परमार दंगाइयों का पोस्टर ब्वाय बना हुआ था उसके दोनों हाथों में तलवारें थी । 
उस आधार पर अशोक परमार पर मुकदमा चला और धूर्त्त संघियों ने आंखें फेर ली थी । 
सजा काटते हुए अशोक परमार को नेताओं इस दोगलेपन ने आत्ममंथन करने को विवश किया ।

दंगाइयों ने जब कुतुबुद्दीन अंसारी को घेर लिया तब उसने रोकर गिड़गिड़ाकर अपनी जान बचाई थी संघियों ने तथाकथित हिंदूत्ववादी बहादुरी बखान करने हेतु इसका भी फोटो खींचा और प्रकाशित किया गया था।

इतने वर्षों बाद जब अपना अतीत देखते हैं तो दोनों गले लगकर रो देते हैं ! 
कुतुबुद्दीन ने जब अपनी पुस्तक का विमोचन किया तो अशोक को बुलाया और जब अशोक परमार ने जूते की दुकान खोली तो उसका उद्घाटन करने के लिए कुतुबुद्दीन अंसारी को बुलाया ! 

आज दोनों ने अतीत को पीछे छोड़ और सबक लेकर एक नई जिंदगी शुरू कर दी है . . .
नेताओं की सरकारें बन जाती हैं, उनके बच्चे विदेश पढ़ने चले जाते हैं, लौटते ही विरासत में कुर्सी तैयार . . .
पार्टी चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस हो या कोई और . . . नफ़रतों की आग में झुलसते आम आदमी ही हैं ! 
काश, आज के युवा वर्ग यह समझ पाते 
छोड़ेंगे या किसी को छुड़वाएँगे जी आरएसएस, कांग्रेस, भाजपा को?

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राज्य की महिलाएं अब फोन, टेक्सट मैसेज या वॉईस मैसेज से भी कर सकती हैं शिकायत दर्ज

Posted on :15-Mar-2021
राज्य की महिलाएं अब फोन, टेक्सट मैसेज या वॉईस मैसेज से भी कर सकती हैं शिकायत दर्ज

'द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा' से साभार 

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने व्हाट्सएप कॉल सेंटर स्थापित किया 

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने महिला आयोग द्वारा महिलाओं के आवेदन के लिए व्हाट्सएप नंबर जारी किया है।  अब महिलाएं ‘‘व्हाट्सएप कॉल सेंटर’’ मोबाइल नंबर 9098382225 के माध्यम से संपर्क कर या मैसेज या वॉइस मैसेज के माध्यम से आवेदन पत्र, शिकायत, सुझाव, आदि प्रेषित कर सकती हैं।

    राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की विशेष पहल पर यह व्हाट्सएप कॉल सेंटर स्थापित किया गया है। इससे महिलओं को राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रम, प्रचार-प्रसार तथा महिलाओं के सशक्तिकरण एवं अपने अधिकारों को प्राप्त करने जाने में अधिक सक्षम बनाने तथा उत्पीड़न संबंधी मामलों एवं अपराधों के रोकथाम हेतु सहायता मिलेगी।

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ऑस्ट्रेलिया में पास हुआ कानून, Google और Facebook को समाचार के लिए देने होंगे पैसे

Posted on :25-Feb-2021
ऑस्ट्रेलिया में पास हुआ कानून, Google और Facebook को समाचार के लिए देने होंगे पैसे

एजेंसी 

ऑस्ट्रेलिया : ऑस्ट्रेलिया में गूगल और फेसबुक को समाचार के लिए भुगतान करने के लिए मजबूर करने वाला कानून प्रभावी होने के लिए तैयार है। हालांकि कानूनों बनाने वालों का कहना है कि फिलहाल इसमें समय लगेगा। संसद ने गुरुवार को तथाकथित मीडिया सौदेबाजी संहिता में संशोधन पारित किया। मंगलवार को कोषाध्यक्ष जोश फ्राइडेनबर्ग और फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग के बीच इस मामले में सहमति बनी थी।

इसके बदले में फेसबुक ऑस्ट्रेलिया के लोगों द्वारा फेसबुक पर न्यूज साझा करने और एक्सेस करने से प्रतिबंध हटाने पर सहमत हो गया। रॉड सिम्स, जो प्रतियोगिता नियामक है, ने कोड का मसौदा तैयार किया। उन्होंने कहा कि वह खुश थे कि संशोधित कानून ऑस्ट्रेलियाई समाचार प्रकाशकों और इंटरनेट के दो प्रवेश द्वारों के बीच बाजार के असंतुलन को ठीक करेगा। सिम्स ने ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्प को बताया कि सभी संकेत अच्छे हैं।

उन्होंने कहा, "कोड का उद्देश्य बाजार की शक्ति को संबोधित करना है जो स्पष्ट रूप से Google और फेसबुक के पास है। Google और फेसबुक को मीडिया की आवश्यकता है, लेकिन उन्हें किसी विशेष मीडिया कंपनी की आवश्यकता नहीं है। इसका मतलब है कि मीडिया कंपनियां कॉमर्सियल सौदे नहीं कर सकती हैं।" उन्होंने कहा कि बाकी कानून पहले पारित हो गए थे, इसलिए अब उन्हें लागू किया जा सकता है।

Google ने हाल के हफ्तों में न्यूज़ कॉर्प और सेवन वेस्ट मीडिया सहित प्रमुख ऑस्ट्रेलियाई समाचार व्यवसायों के साथ सौदे किए हैं। फ्राइडेनबर्ग ने कहा कि वह ऑस्ट्रेलियाई समाचार व्यवसायों के साथ कॉमर्सियल सौदों तक पहुंचने के लिए Google और हाल ही में फेसबुक की प्रगति देखकर खुश थे।

लेकिन देश भर में 161 क्षेत्रीय समाचार पत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले कंट्री प्रेस ऑस्ट्रेलिया ने चिंता जताई है कि बड़े शहरों के बाहर छोटे प्रकाशन इसमें छूट सकते हैं। सिम्स ने कहा कि वह आश्चर्यचकित नहीं थे कि प्लेटफॉर्म पहले बड़े शहर के व्यवसायों के साथ सौदे करेंगे। 

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विनम्र श्रद्धांजलिः कैप्टन सतीश शर्मा

Posted on :19-Feb-2021
विनम्र श्रद्धांजलिः कैप्टन सतीश शर्मा

(UNI)

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श्री अशोक सोहू के फेसबुक वाल से 

गांधी परिवार के करीबी कैप्टन सतीश शर्मा के निधन से अमेठी, सुलतानपुर एवं रायबरेली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं, समर्थकों का जहां एक सच्चा हितैषी उनसे बिछुड़ गया, वहीं एक युग का भी अन्त हो गया। उनके निधन से कांग्रेस कार्यकर्ताओं, समर्थकों ने एक ऐसे उदार एवं मददगार नेता को खो दिया जिसने सत्ता में शिखर पर रहते हुए उनकी मदद की,उनके सुख दुख का ख्याल किया। सत्ता के शिखर पर पहुंचकर आज के दौर में नेताओं का बड़ा वर्ग कार्यकर्ताओं,समर्थकों से दूरी बनाने की कोशिश करता हैं,इसके इतर कैप्टन शर्मा ने उनकी खूब मदद की,और बदले में कोर्ट कचेहरी के भी चक्कर लगाए।वह ऐसे नेता थे जिन्होने लोगो को दिय़ा खूब और बदले में नही लिया कुछ।

इन्दिरा जी की हत्या के बाद अमेठी से सांसद श्री राजीव गांधी ने जब प्रधानमंत्री पद की बागडोर संभाली तो उन्होने अमेठी के विकास एवं कार्यकर्ताओं से जीवंत सम्पर्क का दायित्व कैप्टन शर्मा को सौंपा।कैप्टन शर्मा और राजीव जी में बहुत करीबी दोस्ती थी और दोनो इन्डियन एयरलाइन्स में पायलट थे।कैप्टन शर्मा नौकरी में राजीव जी से वरिष्ठ थे पर दोनो में अभिन्न मित्रता थी।अमेठी में तो कांग्रेसजनों और आमलोगो में उनका नामकरण राम(राजीव जी) के हनुमान के रूप में था।कैप्टन की टीम में नेहरू युवा केन्द्र के महानिदेशक पद से इस्तीफा देकर जुड़े श्री अखिल बख्शी थे तो पांचों विधानसभा क्षेत्रों में पांच समन्वयक श्री किशोरीलाल शर्मा(जगदीशपुर)श्री जी.ए.मीर(तिलोई)श्री प्रकाश अग्रवाल (अमेठी)  (स्वं चन्द्रशेखर यादव(गौरीगंज) एवं श्री विनोद शुक्ला(सलोन) थे। यह सभी राजीव जी की आंख नाक कान थे।राजीव जी के प्रधानमंत्री रहते अमेठी में विकास के जो भी बड़े छोटे काम हुए इसके सूत्रधार कैप्टन शर्मा एवं उनकी टीम ही थी।कैप्टन के मंत्री बनने पर बाद में यह टीम फिर उनके मंत्रालय से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन में मददगार बनी।   

अमेठी में कांग्रेस की राजनीति में अग्रणी शुक्ला परिवार(शिवमूर्ति जी-राममूर्ति जी)का पारिवारिक स्नेह प्राप्त होने के कारण मेरा कैप्टन की टीम से जल्द ही जुड़ाव बन गया।पहले नवभारत टाइम्स(लखनऊ) एवं अमृतप्रभात इलाहाबाद/लखनऊ फिर संवाद समिति यूएनआई/यूनीवार्ता के संवाददाता के रूप में सांसद फिर प्रधानमंत्री के रूप में राजीव जी का बाद में कैप्टन साहब एवं सोनिया जी का खूब कवरेज करने का मौका मिला।कैप्टन ने बहुत स्नेह दिया।पेट्रोलियम मंत्री रहते उन्होने अपने हर दौरे पर अपने मंत्रालय की बहुत सारी अहम खबरें दी।उनकी खबरों का देशव्यापी इम्पेक्ट भी मिला।कैप्टन साहब को अपने प्रचार में जरा भी रूचि नही थी लेकिन पत्रकारों से वह पूरी गर्मजोशी से बात करते थे।खासकर अमेठी के पत्रकारों को बहुत तरजीह देते थे।वह आत्मीयता से बगैर किसी लाग-लपेट के बाते करते थे।    

 कैप्टन शर्मा में 1996 में अमेठी से दूसरा चुनाव जीतने के बाद पहली बार जब दौरे पर आए तो मीर साहब उनकी जिप्सी चला रहे है और मैं भी उनके साथ था,वह बहुत अधिक अन्तर से चुनाव नही जीतने से दुखी थे।उन्होने पूछा साहू मैंने इतना किया इसके बाद भी जीत का अन्तर कम रहा,क्या कारण रहा..मैने उनसे कहा कि चर्चा हैं कि बहुत उन लोगो ने पूरी ताकत से काम नही किया जिन्हे आपने बढ़ाया,इसमें पम्प एवं गैस एजेन्सी भी पाने वाले लोग शामिल है..।कैप्टन शर्मा का इस पर दिया जबाव ढ़ाई दशक बाद भी मुझे याद हैं..उन्होने कहा कि मैंने क्या गलत किया,मेरी सोच थी कि हर ब्लाक में दो तीन कार्यकर्ता ज्यादा मजबूत होने चाहिए जोकि अपने आसपास के कार्यकर्ताओं के पहुंचने पर उनको नाश्ता चाय पिलाने की स्थिति में हो,उन्हे अपने वाहनों से पार्टी के कार्यक्रमों में मुंशीगंज,गौरीगंज और अन्य स्थानों पर बैठाकर ले आए।कार्यकर्ता पार्टी के लिए बूथ तक लड़ते है,उन्हे क्या मिलता है।उन्होने कहा कि मुझे उनसे गिला नही है बल्कि बहुत समर्पित लोगो की मदद नही करने का दुख है।मौका मिला तो इस अधूरे काम को पूरा करूंगा।कैप्टन शर्मा की मदद से अमेठी के बहुत बच्चों का मेडिकल,इंजीनियरिंग और अन्य व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिला हुआ,इनमें से तमाम के लिए यह एक सपने के समान था।     

कैप्टन शर्मा की कृपा से हमारे क्षेत्र में इन्डेन का गैस बाटलिंग प्लांट की स्थापना हुई,इसे मैं कैसे भूल सकता हूं।कैप्टन शर्मा पेट्रोलियम मंत्री रहते दौरे पर अमेठी पहुंचे और मैं उनके वाहन पर जायस के आगे सवार हो गया।बातचीत में उन्होने बताया कि इस बार अमेठी को दो बाटलिंग प्लांट की सौगात दूंगा।एक टिकरिया में लगेगा जबकि दूसरे का स्थान तय नही है।मैं एचएएल के पास उनके वाहन से उतर गया और अपने क्षेत्र के मवइया में आयोजित कार्यक्रम में एक मित्र की मदद से पहुंच गया।वहां मैंने सभी कांग्रेसजनों को बताया कि कैप्टन साहब से इस बार कोई छोटी मांग नही करना है,उनसे त्रिसुन्ड़ी में राजीव जी के समय अधिगृहित भूमि में बाटलिंग प्लांट की मांग करना है।सभी सहमत हो गए।कैप्टन साहब के काफिले में उस समय ढाई तीन सौ गाडियां रहती थी और उनका कार्यक्रम चार चार घँटे बिलम्ब से चलता था।मवइया में आखिरी कार्यक्रम में कई घंटे बिलम्ब से वह पहुंचे और मंच से इसके लिए जैसे खेद व्यक्त किया,अग्रेसर के जुझारू नेता दिवंगत उग्रसेन सिंह ने जोरदार ढ़ग से बाटलिंग प्लांट की मांग कर दी।इसका सभी ने जोरदार समर्थन किया और लोग अड़ गए कि इसकी घोषणा अभी करिए।उन्होने मुस्कराते हुए घोषणा की।अब इस संयंत्र काफी विस्तार हो चुका है।शेष पड़ी अधिगृहित भूमि के बड़े हिस्से पर राहुल जी के सांसद रहते और यूपीए सरकार में सीआरपीएफ का बड़ा ग्रुप सेन्टर एवं प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित हो चुका है।जिससे हमारे इलाके की तस्वीर बदल रही है।
   कैप्टन का स्नेह ही था कि अमेठी,रायबरेली की बहुत सारी अहम राजनीतिक खबरें मुझे पहले मिल जाती थी।कैप्टन ने ही मुझे अमेठी से सोनिया जी के चुनाव लड़ने एवं उनके प्रचार में प्रियंका जी के उतरने की जानकारी सबसे पहले दी।उनके कहने पर ही अमेठी में प्रियंका जी का सबसे पहले मुझे साक्षात्कार करने का मौका मिला।लखनऊ और बाद में रायपुर तैनाती होने के बाद भी उनसे आत्मीय स्नेह मिलता रहा।वह एक अभिभावक के समान थे और बड़ा आत्मविश्वास रहता था कि कैप्टन से बात कर लेंगे। रायपुर में तैनाती होने पर स्वं चन्द्रशेखर यादव के साथ साल में एक दो बार बैठकर कैप्टन की दरियादिली के बारे में बाते करते थे।कैप्टन से आखिरी मुलाकात अमेठी मे पिछले लोकसभा चुनाव में हुई थी।पहले राममूर्ति जी ने सूचित किया था कि वह हमारे घर पहुंचेंगे,बाद में मुझे मुंशीगंज ही बुलवाया।कैप्टन से जुड़ी बहुत ही यादें जेहन में है,लेकिन सभी की चर्चा संभव नही है।    

 कैप्टन की पुरानी टीम के एक मात्र सदस्य आदरणीय सोनिया गांधी जी के प्रतिनिधि श्री के.एल.शर्मा जी हैं जोकि उस दौर के सक्रिय अधिकांश लोगो को आज भी तरजीह देते है,उनके दुख सुख को सुनकर उनकी यथासंभव मदद करने का पूरा प्रयास करते है।पुरानी एवं नई टीम के बीच वह सेतु का भी काम करते है।मीर भाई साहब जम्मू कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष होने एवं वहां की परिस्थितियों के कारण के नाते जहां ज्यादा व्यस्त रहते हैं वहीं श्री प्रकाश अग्रवाल जी का पुराने लोगो से अभी भी जीवंत सम्पर्क बना रहता है।  

 फिलहाल कैप्टन साहब अब इस दुनिया में नही है,लेकिन उन्हे अमेठी के विकास के सूत्रधार ,कार्यकर्ताओं के मददगार और एक सच्चे एवं अच्छे राजनेता के रूप में हमेशा याद किया जायेंगा।जीवंतपर्यन्त उन्हे गांधी परिवार के हितैषी एवं नजदीकी होने के लिए भी याद किया जायेंगा।अलविदा कैप्टन साहब,आपको भूल पाना संभव नही हैं।

अशोक साहू यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया  

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फ्रांस के सुरक्षा विशेषज्ञ का दावा: मेड इन इंडिया 'कू एप' पर यूजर्स का डाटा सुरक्षित नहीं!

Posted on :11-Feb-2021
फ्रांस के सुरक्षा विशेषज्ञ का दावा: मेड इन इंडिया 'कू एप' पर यूजर्स का डाटा सुरक्षित नहीं!

एजेंसी 

नई दिल्ली : सोशल मीडिया यूजर्स के बीच मेड इन इंडिया 'कू एप' की चर्चा जोरों पर है। कई यूजर्स ने तो इसपर अकाउंट बनाने शुरू कर दिए हैं। इस एप को ट्विटर के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और रविशंकर प्रसाद ने भी कू एप पर अपना अकाउंट बना लिया है। Koo एप की चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम में भी कर चुके हैं।

वहीं अब इन सब के बीच फ्रांस के सुरक्षा विशेषज्ञ ने 'कू एप' के यूजर्स को चेतावनी देते हुए कहा है कि इस एप पर जिनके भी अकाउंट हैं वे सुरक्षित नहीं हैं। उनके डाटा को लीक किया जा रहा है।

सुरक्षा विशेषज्ञ बैपटिस्ट ने कहा कि उन्होंने ट्विटर पर यूज़र्स के अनुरोध पर कू एप पर 30 मिनट बिताए और पाया कि भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म अपने यूज़र्स की संवेदनशील जानकारी जैसे कि ईमेल एड्रेस, नाम और जन्मदिन के साथ-साथ कई अन्य जानकारियां लीक कर रहा है। उन्होंने कू एप के बारे में अपनी इस शोध को विस्तार से बताने के लिए कई ट्वीट किए।

बता दें कि भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को मार्च 2020 में लॉन्च किया गया था, लेकिन ट्विटर और सरकार के बीच चल रहे मतभेद के चलते पिछले कुछ दिनों में कू को अचानक काफी लोकप्रियता हासिल हो गई है। ट्विटर पर पोस्ट किए गए स्क्रीनशॉट का हवाला देते हुए बैपटिस्ट ने दावा किया है कि कू के यूजर्स की व्यक्तिगत जानकारी किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं है और इसे लीक किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि हैकर ने एप को हैक कर यह साबित किया है कि कू में यूजर्स की ईमेल, जन्म तिथि, मैरिटल स्टेटस जैसी किसी भी तरह की निजी जानकारियां सुरक्षित नहीं है। कुछ अन्य स्क्रीनशॉट में, बैप्टिस्ट ने यह भी सुझाव दिया कि कू के डोमेन को चीन में स्थित रजिस्ट्रेंट के साथ अमेरिका में रजिस्टर किया गया है।

विस्तार से जानें क्या है 'कू एप'
वैसे तो आपमें से कई लोग कू एप के बारे में जानते होंगे लेकिन कई लोग अभी इससे अनजान हैं। कू एक भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग साइट है जिसे ट्विटर की टक्कर में पेश किया गया है। सीधे शब्दों में कहें तो कू एक मेड इन इंडिया ट्विटर है। यह हिंदी, अंग्रेजी समेत आठ भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। कू को एप और वेबसाइट दोनों तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका भी इंटरफेस ट्विटर जैसा ही है। इसमें शब्दों की सीमा 350 है।

 

 

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दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा फैलाने वाले 550 ट्विटर अकाउंट सस्पेंड

Posted on :27-Jan-2021
दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा फैलाने वाले 550 ट्विटर अकाउंट सस्पेंड

एजेंसी 

नई दिल्ली : 72 वें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के सिलसिले में ट्विटर ने बुधवार को 550 से अधिक अकाउंट निलंबित कर दिया। ट्विटर के प्रवक्ता ने एएनआई को बताया कि प्लेटफार्म ने उन ट्वीट्स को भी लेबल किया है जो इसकी मीडिया नीति के उल्लंघन में पाए गए थे।

प्रवक्ता ने कहा कि हमने हिंसा, दुर्व्यवहार, और धमकियों से उकसाने का प्रयास करने वाले अकाउंड के निलंबित किया है। ऐसे लोग नियमों को तोड़कर नुकसान या जोखिम पैदा कर सकते है, जो हमारे नियमों का उल्लंघन हैं।

ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा कि हमने हिंसा, दुर्व्यवहार और धमकियों को उकसाने के प्रयासों वाले संवाद से सर्विस को बचाने के लिए सख्त कार्रवाई की है, जो कुछ नियमों को तोड़कर ऑफलाइन नुकसान का जोखिम पैदा कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए ट्विटर ने बड़े पैमाने पर काम किया और सैकड़ों अकाउंट्स और ट्वीट्स पर एक्शन लिया जो ट्विटर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। स्पैम और प्लैटफॉर्म पर हेरफेर करने में जुटे 550 अकाउंट्स को निलंबित किया गया है।

माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म की ओर से कहा गया है कि इसने उन ट्वीट्स पर लेबल लगाए हैं जो मीडिया पॉलिसी का उल्लंघन करते हुए पाए गए। प्रवक्ता ने कहा कि हम स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए हैं और सतर्क हैं और उन्हें लोगों को प्रोत्साहित करते हैं कि यदि वे किसी चीज को नियमों के खिलाफ पाते हैं तो रिपोर्ट करें।

मंगलवार को किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर बैरिकेड्स को तोड़कर राजधानी में प्रवेश किया और जगह-जगह उपद्रव किया। किसानों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर शांतिपूर्ण ट्रैक्टर रैली की अनुमति दिल्ली पुलिस से ली थी, लेकिन शर्तों को नहीं माना गया। हिंसा में 300 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। दिल्ली पुलिस ने करीब दो दर्जन एफआईआर दर्ज करते हुए 200 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है।

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Signal App ने बजाई WhatsApp की बैंड!

Posted on :14-Jan-2021
Signal App ने बजाई WhatsApp की बैंड!

एजेंसी 

नई दिल्ली : अगर आप भी पिछले कुछ दिनों में Signal App के बारे में बहुत सारी बातें कई बार सुन चुके हैं और इस ऐप के बारे में विस्तार में जानना चाहते हैं तो आप सही आर्टिकल पढ़ रहे हैं। इस आर्टिकल में हम आपको इस सिग्नल ऐप के बारे में ही विस्तार से बताने जा रहे हैं। आपको बात दें कि व्हाट्सऐप ने अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी के बारे में खुलासा कुछ दिन पहले किया है। व्हाट्सऐप का कहना है कि अ्गर यूज़र्स उनकी पॉलिसी से सहमत नहीं है तो उन्हें अपना व्हाट्सऐप अकाउंट बंद करना होगा।

Signal App ने बजाई WhatsApp की बैंड

अब यूज़र्स को व्हाट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी बिल्कुल पसंद नहीं आ रही है। ऐसे में यूज़र्स दूसरे ऐप्स की तरफ रूख कर रहे हैं। व्हाट्सऐप के विकल्प के रूप में ही लोग सिग्नल ऐप को पसंद कर रहे हैं और पिछले कुछ दिनों में सिग्नल ऐप को इतने सारे लोगों ने डाउनलोड कर लिया है कि सिग्नल ऐप का सर्वर ही डाउन हो गया है। इस बात की जानकारी खुद सिग्नल ऐप ने ट्वीट करके दी है।

सिग्नल ऐप ने ट्वीट कर दी जानकारी 
सिग्नल ऐप ने ट्वीट के जरिए जानकारी दी है बहुत सारे लोगों के द्वारा अचानक एक साथ ऐप को डाउनलोड करने की वजह से वेरिफिकेशन कोड में दिक्कत आ रही है लेकिन इसके लिए उनकी टीम काम कर रही है। आपको बता दें कि सिग्नल ऐप एप्पल के ऐप स्टोर में फ्री ऐप की लिस्ट में टॉप पर आ गया है।

क्या टेलीग्राम से भी सिग्नल ऐप बेहतर है...? 
व्हाट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी सामने आने के बाद यूज़र्स व्हाट्सऐप का विकल्प ढूंढ रहे हैं। इस विकल्प के तौर पर यूज़र्स खासतौर पर दो ऐप को पसंद कर रहे हैं एक Signal App और दूसरा Telegram ऐप है। टेलीग्राम के बारे में काफी बातें की जा रही है बहुत सारे लोगों ने उस ऐप को भी डाउनलोड किया है लेकिन सिग्नल ऐप ने सिक्योरिटी और परमिशन के लिहाज से टेलीग्राम समेत बाकी सभी विकल्पों को पीछे छोड़ दिया है। ऐसे में अब व्हाट्सऐप के विकल्प ढूंढने वाले इस दौर में टेलीग्राम और सिग्नल ऐप दोनों यूज़र्स को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए तमाम हथकंडे जरूर अपनाएगी। बरहाल, चलिए हम आपको सिग्नल ऐप के बारे में कुछ जरुरी बाते बताते हैं।

सिग्नल का मतलब

'Say Hello to Privacy' व्हाट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी का कहना है कि वो यूज़र्स का निजी डेटा का इस्तेमाल अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए उपयोग करेगी। वहीं व्हाट्सऐप के सबसे बड़े विकल्प Signal App का टैगलाइन ही है 'Say Hello to Privacy'. ऐसे में यह तो निश्चित है कि इस ऐप के जरिए यूज़र्स को प्राइवेसी का गारंटी मिलेगी, जो किसी भी यूज़र्स के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है।

सिग्नल ऐप के फीचर्स

Signal भी व्हाट्सऐप की तरह ही एक मैसेजिंग ऐप है। इस ऐप को भी आप एंड्रॉयड डिवाइस के साथ-साथ आईओएस यानि एप्पल डिवाइस, मैक और विंडो डिवाइस में भी यूज़ कर सकते हैं। इस ऐप को बनाने वाली कंपनी का नाम Signal Foundation है। यह एक नॉन प्रॉफिट कंपनी है। इस ऐप को बनाने वाले इंसान का नाम मॉक्सी मार्लिनस्पाइक (Moxie Marlinspike) है। यह अमेरिका के रहने वाले एक क्रिप्टोग्राफर हैं, लिहाजा सिग्नल ऐप भी एक अमेरिकन ऐप ही है। इस ऐप की नींव को 2013 में रखी गई थी लेकिन इसका निर्माण 10 जनवरी 2018 को किया गया था।

सिग्नल ऐप के ग्रुप में 150 लोगों को जोड़ने की अनुमति 
सिग्नल ऐप के फीचर्स लगभग व्हाट्सऐप जैसे ही है। इस ऐप के जरिए भी आप किसी के साथ भी चैटिंग करने के साथ फोटो और वीडियो को सेंड कर सकते हैं या रिसीव कर सकते हैं। इसके अलावा इस ऐप के जरिए भी आप ऑडियो और वीडियो कॉलिंग कर सकते हैं। इस ऐप में भी आप व्हाट्सऐप की तरह ग्रुप बना सकते हैं लेकिन इस ऐप में एक ग्रुप में अधिकतम 150 लोगों को ही एड करने की सुविधा है। हालांकि अब ऐसा हो सकता है कि सिग्नल कंपनी एक ग्रुप में 150 से ज्यादा लोगों को एड करने की अनुमति दे।

Delete For Everyone 

फीचर इस ऐप के जरिए आप सीधे किसी भी व्यक्ति को किसी ग्रुप में एड नहीं कर पाएंगे। आप जिस व्यक्ति को ग्रुप में एड करने के लिए प्रोसेस करेंगे, तो पहले उसके बाद एक नोटिफिकेशन जाएगा और फिर अगर वो चाहेंगे यानि एप्रुव करेंगे तभी आप उन्हें अपने ग्रुप में एड कर पाएंगे। इस ऐप के जरिए आप ग्रुप के किसी भी चैट को  Delete For Everyone फीचर के जरिए सभी के डिलीट कर सकते हैं। Signal की सिक्योरिटी अब इस ऐप की सिक्योटी की बात करते हैं, जो इस वक्त सबसे जरूरी है। सिग्नल ऐप की सिक्योरिटी की तारीफ कोई और नहीं बल्कि खुद व्हाट्सऐप के ही को-फाउंडर कर ब्रायन एक्टन भी कर चुके हैं। 2017 में ब्रायन ने व्हाट्सऐप को अलविदा कहा था और सिग्नल ऐप में 59 मिलियन डॉलर की फंडिंग दी थी। उसी दौरान व्हाट्सऐप के को-फाउंडर ने खुद सिग्नल ऐप के सिक्योरिटी की काफी तारीफ की थी। 

व्हाट्सऐप से कितनी ज्यादा सुरक्षित प्राइवेसी 
असल में सिग्नल व्हाट्सऐप से कहीं ज्यादा सुरक्षित है क्योंकि व्हाट्सऐप आपको अपने ऐप को यूज़ करने के लिए यूज़र्स से उनकी 16 तरह की जानकारी स्टोर करता है। वहीं सिग्नल सिर्फ यूज़र्स का मोबाइल नंबर स्टोर करती है क्योंकि उसी के जरिए यूज़र्स का सिग्लन अकाउंट चलता है। वहीं व्हाट्सऐप सिर्फ मैसेज और कॉल को एंड टू एंड एंक्रिप्टेड करती है जबकि सिंग्नल ऐप मेटा डाटा भी एंड टू एंड एंक्रिप्टेड करता है यानि ना सिर्फ यूज़र्स मैसेज और कॉल बल्कि उनका निजी डेटा भी एंड टू एंड एंक्रिप्टेड होता है। इन्हीं वजहों से सिग्नल ऐप व्हाट्सऐप से कहीं बेहतर है और अगर व्हाट्सऐप अपने बनाई हुई नई प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव नहीं करेगी तो यूज़र्स निश्चित तौर पर व्हाट्सऐप का बायकॉट कर सिग्नल ऐप को अपना लेंगे।

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नेत्रदान महादान, नेत्रदान करें और दूसरों के जीवन में प्रकाश फैलाएं

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एक शांत दिमाग के साथ थके हुए दिमाग से बेहतर सोच सकता है: डॉ हृदयेश कुमार

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दान व पुण्य वही है जो एक हाथ से करें तो दुसरे हाथ को भी पता न हो : डॉ. हृदयेश

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कोरबा में भूविस्थापितों का संघर्ष : कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ तेज होती लड़ाई...

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ज्योतिष और हेल्थ

अपोलो ने पूरे किए 500 बच्चों के सफल लिवर प्रत्यारोपण

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नारको टेस्ट के लिए छत्तीसगढ़ से बाहर नही जाना पड़ेगा अब एम्स में नारको टेस्ट कराने की मिल गई मंजूरी

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जागरूकता से कैंसर पर काबू पाना संभव - डा विभाष राजपूत

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जागरूकता और उचित खानपान से बचा जा सकता है कैंसर से - डॉ एमपी सिंह

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खेल

कल क्रिकेट का फ़ाइनल मैंच समापन ग्राम पंचायत चिनिया में संपन्न हुआ

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छत्तीसगढ़ प्रीमियर लीग टी 20 : अबूझमांड टाइगर्स और रायपुर कैपिटल्स ने अपने अपने मुकाबले जीते...

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बड़ी खबर : भारतीय क्रिकेटर ने किया संन्यास का ऐलान, उम्र को लेकर कही यह बात...

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ऑल इंडिया सिविल सर्विसेस में सूरजपुर जिले से सोमेश सिंह लामा का चयन...

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व्यापार

होण्डा ने लॉन्च की नई शाईन 100

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आइडियाफोर्ज ने एनडब्लू इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक निवेश समझौता किया..

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जेके टायर ने रेंजर सीरीज़ में लॉन्च किए दो नए एक्सट्रीम टैरेन

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स्टार इन्वेस्टर्स ने लिया लोगों को आर्थिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने का संकल्प

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गैजेट्स

भारत में लॉन्च हुआ OnePlus 10T 19 मिनट में होगा चार्ज...

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बम की तरह फटा OnePlus Nord 2 स्मार्टफोन, कंपनी ने शुरू की जांच

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MotoG 5G को टक्कर देने के लिए Xiaomi लाने वाली है 15000 रुपए से भी सस्ता 5G स्मार्टफोन!

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Redmi K30 Ultra पॉप-अप सेल्फी कैमरा के साथ लॉन्च

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Entertainment

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