
एजेंसी
नई दिल्ली : देश के दीर्घकालिक विकास को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार के थिंकटैंक नीति आयोग ने एक पंचतंत्र फॉर्मूला तैयार किया है। आयोग को भरोसा है इस नए विकल्प से देश में निजी क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही देश के विकास के लिए बनाए जा रहे प्रोजेक्ट में सरकार की तरफ से खर्च किए जाने वाली रकम की भी बचत होगी।
नीति आयोग इस नए फॉर्मूले के आधार पर अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप में विकास का काम कर रहा है। पंचतंत्र फॉर्मूले में आयोग की सिफारिशें हैं कि सरकार किसी भी छोटे या बड़े विकास के काम के लिए इलाके में सभी तरह की जरूरी मंजूरियां पहले से ही मुहैया कराए और उसके बाद निजी क्षेत्र को वहां निवेश के लिए आमंत्रित करे।
ऐसा करने से इलाके में निवेश करने वाले कारोबारी को जरूरी मंजूरियों के लिए तमाम दफ्तरों में भटकना नहीं पड़ेगा। साथ ही ये भी कहा गया है कि ऐसे प्रोजेक्ट में सरकार, निजी क्षेत्र के साथ-साथ उन व्यक्तियों की भी साझेदारी होनी चाहिए जो प्रोजेक्ट के लिए अपनी जमीन दे रहे हों। इसके पीछे नीति आयोग का तर्क है कि प्रोजेक्ट में हिस्सेदारी होने के कारण उस इलाके में बेरोजगारी की समस्या खत्म होगी ही और जमीन अधिग्रहण के बाद होने वाले आंदोलन भी खत्म हो जाएंगे।
फॉर्मूले के मुताबिक, पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से इन परियोजनाओं डीजल के इस्तेमाल पर रोक रहेगी। ऊर्जा के लिए सोलर एनर्जी जैसे विकल्पों को अपनाया जा रहा है। इस बारे में सभी राज्य सरकारों को भी जानकारी भेजी जा रही है ताकि वहां भी इसका इस्तेमाल से विकास के काम किए जा सकें। अगर फॉर्मूला सफल रहा तो देश के दूसरे हिस्सों में भी इसे लागू करने की कवायद तेज की जाएगी।