
TNIS- आशीष मालवीय
छिंदवाड़ा मोहखेड: तहसील मोहखेड राजस्व मामलों का बड़ा केन्द्र है, जहाँ रोजाना अपने कामों के लिए सैकड़ों ग्रामीण महिला-पुरूष पहुंचते हैं। इस तहसील में पहुंचने वाले दैनिक जरूरत की चीजों के लिए भटकते हैं।
खासकर महिला और पुरूष शौचालय और मूत्रालय के उपयोग के नाम पर जगह तलाशते रहते हैं। ऐसा नहीं है कि तहसील में यह सुविधा नहीं है लेकिन अधिकारी वर्ग के लिए विशेष और सामान्य ग्रामीणों के लिए जर्जर और गंदगी से भरा प्रसाधन केन्द्र उपयोग के लायक नहीं है। बदबूदार और गंदगीयुक्त शौचालय और मूत्रालय होने से इसके उपयोग में परेशानी है।
आलम यह है कि लोगों को तहसील के भीतर खुली जगहों का उपयोग करते देखा जा सकता है। स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर सब पर दबाव डालने वाले इस प्रशासनिक केन्द्र में ही उपरोक्त सुविधा का अभाव होना आखिर किसकी जिम्मेदारी है।
"अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया"
स्थानीय राजस्व विभाग की ओर से कोई पहल नहीं की गई है। तहसील परिसर में वर्षों पुराने निर्मित शौचालय और मूत्रालय का हाल भी खराब है। जहां उपयोग तो दूर उसके समीप भी लोग जाना पसंद नहीं करते। गंदगी और बदबूदार शौचालय के सामने से प्रतिदिन कार्यालय जा रहे अधिकारियों ने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। इस महत्वपूर्ण सुविधा को मामूली समस्या मानकर इसकी तरफ से अंजान बने अधिकारी ग्रामीण महिलाओं की बेबसी से भी कोई वास्ता नहीं रखना चाहते। मोहखेड तहसील परिसर में पहुंचने वालों से लेकर यहां कार्य करने वाले कर्मचारी और न्यायालयीन कार्यों में लगे लोग संस्था प्रमुख से इस महत्वपूर्ण समस्या का समाधान चाहते हैं। एक ओर जहां शासन स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय और मूत्रालय के उपयोग और निर्माण पर लगातार ध्यान दे रही है, वहीं तहसील कार्यालय जैसी संस्था में लोगों के उपयोग के इस सुविधा का ना होना अपने आप में एक महत्वपूर्ण सवाल है।
"न्यायालय के बाहर इंतजार में मिलेंगे"
तहसील कार्यालय में मुत्रालय और शौचालय के लिए भटकते लोग पूछते मिलेंगें कि आखिर इस सुविधा के लिए वे कहां जाएं। रोजाना पहुंचने वाले सैकड़ों ग्रामीण घंटों तहसीलदार के न्यायालय के बाहर इंतजार मेें बैठे मिलेंगे। सामान्य मामलों में भी पेशी दर पेशी पहुंचने वाले ग्रामीण और आवेदकों की भीड़ के बीच इस सुविधा का अभाव होने से महिलाएं खास तौर पर शर्मसार होते रहती हैं. पेयजल से लेकर सामान्य सुविधाएं भी तहसील कार्यालय में उपलब्ध नहीं है और कहीं किसी ने इस सुविधा की मांग की तो उल्टे जवाब सुनना पड़ता है। ऐसी स्थिति में हालात के हाथों मजबूर ग्रामीण खुली जगहों का उपयोग मुत्रालय के तौर पर करते हैं.
इनका कहना-
सफाई एंव मरम्मत को लेकर कई बार इस बात को रखी गई है.किंतु इस ओर कोई भी ध्यान नही दिया जा रहा है.हमेशा राशि न होने का बहाना बताया जाता है.
गिरधारीलाल साहू,अध्यक्ष एडवोकेट संघ मोहखेड आशीष मालवीय जिला छिंदवाड़ा एमपी मध्य प्रदेश
तहसीलदार मेड़म को यहा आये हुए विगत माह बीत चुके.जिन्होंने स्वयं के केबिन में अपने लिए नया शौचालय निर्माण करवा लिया,किंतु यहा आने वाले अधिकारी-कर्मचारी और जनता के शौचालय के मरम्मत और सफाई को लेकर कोई ध्यान नही है.
रत्नाकर बाघ,एडवोकेट मोहखेड
सुलभ शौचालय की बहुत ही दुर्दशा खराब है.जिसमें लोग शौच के लिए तक नही जा सकते है.तहसीलदार की उदासीनता साफ दिखाई दे रही है,वह स्वच्छता को लेकर कितनी लापरवाह है.अगर वह इसको लेकर सुधार नही कर सकती तो हमे बताये हम लोग सभी चंदा एकत्रित कर सुधार कार्य करवा देंगे.
अनवार खान, एडवोकेट करेर