राष्ट्रीय

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान जोर पकड़ने लगा

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान जोर पकड़ने लगा

डॉ. समरेन्द्र पाठक 

वरिष्ठ पत्रकार। 

नयी दिल्ली :  दिल्ली विधान सभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान अब धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगा है। आज नामांकन की आखिरी तिथि होने के कारण जगह-जगह गहमा-गहमी एवं जाम से लोगों को जुझना पड़ा। दिल्ली की सभी 70 सीटों पर 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे एवं गिनती 8 फरवरी को होगी। दिल्ली के कुल एक करोड़ 55 लाख 24 हजार 858 मतदाता प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला करेंगे। 

भाजपा की कल अंतिम सूची आने के बाद से हर क्षेत्र की तस्वीरें सामने आ गयी है। भाजपा ने अपने दो सहयोगियों जदयू के लिए बुराड़ी एवं लोजपा( आर)के लिए देवली सीटें छोड़ी है। कई अन्य सहयोगी कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशी पहले ही उतार चुके हैं। वर्ष 2020 के चुनाव में जदयू दो सीटों पर चुनाव मैदान में उतरा था। इस बार जदयू का कद केंद्र में बढ़ने के बावज़ूद उसको दिल्ली में मिलने वाली हिस्सेदारी आधी कर दी गई है। 

जदयू ने अपने कोटे की सीट पर पुराने प्रत्याशी शैलेन्द्र कुमार को फिर से मैदान में उतारा है,जो गत चुनाव में बुरी तरह हार गए थे। स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं में भी यह सीट फिर जदयू को देने को लेकर भारी रोष है। इस बीच चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय राजधानी में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान तेज कर दिया है। मतदाताओं की सुविधा के लिए इस चुनाव में 13 हजार 33 पोलिंग बूथ बनाए जाएंगे। हर बूथ पर औसतन 1191 मतदाता होंगे। 85 वर्ष से अधिक आयु के लोग घर से वोट कर सकते हैं। उधर इस चुनाव को लेकर प्रबुद्ध लोगों ने कयास लगाना भी शुरू कर दिया है। कुछ लोग सत्ता बदलने की बात कह रहे हैं,तो कुछ का कहना है, कि आप की सीटें जरूर कम होगी, मगर सरकार बनाने लायक सीटें उसे जरूर मिल जाएगी। कॉंग्रेस भी पहले के मुकाबले में बेहतर प्रदर्शन करेगी।


पूर्व प्रधानमंत्री स्व.इंदिरा गांधी के ज़माने में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे सुभाष गोयल कहते हैं, कि आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल में अब 2012 एवं उसके बाद के चुनावों वाली  चमक नहीं रही। दिल्ली की जनता इस बार भाजपा को सत्ता सौंपने का मन बना चुकी है। श्री गोयल ने एक सवाल के जबाव में कहा कि भाजपा इस बार 50 से 55 सीटें हासिल कर सरकार बनाएगी, क्योंकि दिल्ली की जनता केजरीवाल के शासन से अब मुक्त चाहती है। जाने माने समाज सेवी एवं पूर्वांचल के कद्दावर नेताओं में सुमार अरविंद पाठक कहते हैं, कि आप ने इस बार भी जातीय एवं क्षेत्रीय समीकरण को ध्यान में रखकर प्रत्याशी उतारे हैं, लेकिन अब उसे ऐसा प्रचण्ड बहुमत नहीं मिलने बाला है। लंबे शासन के बाद जनता बदलाव चाहती है।

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