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गूगल की रिपोर्ट: राष्ट्रपति भवन क्षेत्र में बढ़ता प्रदूषण संकट

गूगल की रिपोर्ट: राष्ट्रपति भवन क्षेत्र में बढ़ता प्रदूषण संकट

नई दिल्ली : स्वच्छ हवा प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहे इस जलवायु तकनीकी संगठन द्वारा जारी की गई डिकोडिंग अर्बन एयर: हाइपरलोकल इनसाइट्स इन टू पीएम 2.5 पॉल्यूशन एक्रॉस इंडियन मेट्रोपोलिज़ नामक रिपोर्ट दिल्ली के लिए विशिष्ट वायु गुणवत्ता के रुझान और प्रदूषण हॉटस्पॉट का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करती है।

रेस्पिरर लिविंग साइंसेज की रिपोर्ट में सीपीसीबी मॉनिटरिंग डेटा और गूगल मैप्स एयर क्वालिटी एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) से ओवरलेड स्थानिक अंतर्दृष्टि का उपयोग करके अपने एटलसएक्यू प्लेटफार्म से वायु गुणवत्ता विश्लेषण को जोड़ा गया है। गूगल ने पूरे भारत में वायु गुणवत्ता निगरानी बढ़ाने के लिए एयरव्यू प्लस पहल पर रेस्पिरर के साथ साझेदारी की है। गूगल मेप्स एक्यू के आधार पर दिल्ली का सबसे प्रदूषित एरिया उत्तर पश्चिमी दिल्ली का चांदपुर गांव है। यहां पर पीएम 2.5 का स्तर 391 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा।इसके बाद मध्य दिल्ली के प्रेसीडेंट एस्टेट में पीएम 2.5 का स्तर 385 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और बवाना में 373 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। रिपोर्ट के अनुसार गूगल मैप्स एक्यू डेटा के आधार पर प्रेसीडेंट इस्टेट को हॉटस्पॉट दिखाया गया है।

प्रेसीडेंट इस्टेट में प्रदूषण की वजह इस एरिया में ट्रैफिक का काफी अधिक होना बताया गया है। जबकि सरकारी मॉनिटरिंग नेटवर्क में यह एरिया शीर्ष पांच प्रदूषित एरिया में शामिल नहीं है। दोनों तरह की रिपोर्ट में एक मात्र कामन हॉटस्पॉट बवाना है।रेस्पिरर लिविंग साइंसेज के संस्थापक और सीईओ रौनक सुतारिया कहते हैं, हाइपरलोकल यानी स्थानीय अंतर्दृष्टि वायु गुणवत्ता निगरानी शहरी भारत के लिए एक गेम-चेंजर है। यह पारंपरिक प्रणालियों द्वारा छोड़े गए अंतराल को पाटता है, प्रदूषण पैटर्न में वास्तविक समय, सड़क-स्तरीय अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। यह ग्रैन्युलैरिटी लक्षित हस्तक्षेपों को सशक्त बनाती है, जिससे यह वायु प्रदूषण के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपकरण बन जाता है।(एजेंसी) 

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