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नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बाजारों में बिक रही लेड वाली हल्दी? 36 नामी दुकानों से सैंपल लिए गए

नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बाजारों में बिक रही  लेड वाली हल्दी? 36 नामी दुकानों से सैंपल लिए गए

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लेड मिली हल्‍दी बिकने की आशंका

खाद्य विभाग की टीम ने 36 नामी प्रतिष्‍ठानों से सैंपल लिए हैं

हल्‍दी पाउडर की चमक बढ़ाने के लिए मिलाते हैं लेड क्रोमेट

नोएडा: वैसे तो हल्दी बेहद गुणकारी मानी जाती है, लेकिन बाजार में खुलेआम बिक रही मिलावटी हल्दी सेहत बेहतर करने के बजाय बीमार कर सकती है। हाल ही में आई बांग्लादेश के फूड सेफ्टी अथॉरिटी की जांच में सामने आया कि हल्दी में लेड की बहुत अधिक मात्रा है। इसे खाने से बच्चों के मानसिक स्तर और आईक्यू लेवल घट रहा है। इसे खाने से बच्चे बीमार हो रहे हैं। रिपोर्ट को आधार मानते हुए प्रदेश सरकार को अंदेशा है कि कहीं यूपी के बच्चों के मानसिक स्तर को तो मिलावटी हल्दी प्रभावित नहीं कर रही। शासन के निर्देश के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग ने नोएडा-ग्रेटर नोएडा में अभियान चलाकर 36 नामी प्रतिष्ठानों से हल्दी के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे हैं। आशंका है कि इस हल्दी में लेड और क्रोमियम की मिलावट की गई है।

जिला खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग के सहायक आयुक्त द्वितीय सर्वेश मिश्रा ने बताया कि दो सप्ताह पहले मुख्य सचिव के पास विश्व बैंक की टीम ने निगरानी के दौरान बांग्लादेश की केस हिस्ट्री को लेकर प्रेजेंटेशन किया था। इस दौरान बांग्लादेश में लेड मिश्रित हल्दी से हो रही बीमारियों पर चर्चा की गई। बच्चों का आईक्यू लेवल करीब सात पॉइंट और रक्त में लेड की मात्रा अधिक पाई गई। इस पर प्रदेश सरकार और नीति आयोग ने भी चिंता जताई है। प्रदेश में भी बच्चों के अंदर हल्दी खाने से आईक्यू लेवल कम होने और बीमारी बढ़ने का अंदेशा लगाया था। उन्होंने बताया कि शासन के आदेश पर विभाग ने टीम गठित करके नोएडा और ग्रेटर नोएडा में विभिन्न दुकानों व मुख्य विक्रेताओं के स्टोर से हल्दी के सैंपल एकत्र किए है। पूरे गौतमबुद्ध नगर से 36 से अधिक स्थानों से सैंपल एकत्र जांच के लिए आधुनिक लैब में भेजा गया है। इनकी रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट होगा कि हल्दी में लेड की मिलावट की स्थिति क्या है। खाद्य पदार्थों में मिलावट पर तीन माह से लेकर आजीवन कारावास और 10 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है।

5 माइक्रोग्राम से अधिक लेड तो स्थिति गंभीर
स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मानव शरीर में अधिकतम 5 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर लेड की उपस्थिति को खतरे की घंटी बताया है। जबकि बांग्लादेश के लोगों के खून में लेड की मात्रा 6.8 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर मिली थी, जोकि बेहद अधिक है। इस शोध में स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर डायरियल डिजीज रिसर्च बांग्लादेश की टीम भी साथ रही थी।(एजेंसी)

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