नई दिल्ली: देश में मंकीपॉक्स (Mpox) के पहले केस की पुष्टि हो गई है। एमपॉक्स से प्रभावित देश की हाल में यात्रा करके आए व्यक्ति की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है। मरीज को एक बड़े अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में कड़ी निगरानी में रखा गया है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है और हर संदिग्ध मामले में स्क्रीनिंग और जांच पर फोकस करने को कहा है। मंत्रालय इस पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं और लोगों को पैनिक न होने की सलाह दी गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि लैब जांच में मरीज में वेस्ट अफ्रीकन क्लेड- 2 स्ट्रेन की पुष्टि हुई है और मरीज की हालत स्थिर बनी हुई है। मरीज में बीमारी के कोई लक्षण नहीं हैं और ना ही वह किसी अन्य बीमारी से पीड़ित है।
क्लेड 2 और क्लेड 1 स्ट्रेन में अंतर
स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में Mpox से प्रभावित देश से लौटे व्यक्ति में संक्रमण की पुष्टि होने के बाद कहा कि यह एक अलग मामला है और जुलाई 2022 से भारत में रिपोर्ट किए गए पहले 30 मामलों के समान है, उस समय भी क्लेड 2 स्ट्रेन की पुष्टि हुई थी। यह मामला डब्ल्यूएचओ द्वारा रिपोर्ट की गई वर्तमान पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी का हिस्सा नहीं है, जो एमपॉक्स के क्लेड 1 के बारे में है। अफ्रीका के देशों में इस समय क्लेड- 1 स्ट्रेन एक्टिव है, जो ज्यादा खतरनाक है। तय प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज किया जा रहा है, साथ ही मरीज के संपर्क ट्रेसिंग और मॉनिटरिंग सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय किए जा रहे हैं। मंत्रालय ने कहा है कि इस समय जनता के लिए किसी व्यापक जोखिम का कोई संकेत नहीं है। अफ्रीका के देशों में क्लेड-1 स्ट्रेन ही सबसे तेजी से फैल रहा है और इसमें चिकन पॉक्स जैसे लक्षण होते हैं। क्लेड-2 स्ट्रेन में जिसमें मृत्यु दर 0.1 प्रतिशत थी और इस बार क्लेड- 1 में मृत्यु दर का आकलन 3 पर्सेंट तक किया जा रहा है।
केंद्र सरकार की सलाह
इस बीच केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा की ओर से राज्यों को एडवाइजरी जारी कर अलर्ट किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अफ्रीका के कई हिस्सों में इस बीमारी के प्रसार और व्यापकता को देखते हुए दूसरी बार एमपॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) घोषित किया था। पिछले महीने 14 अगस्त को यह घोषणा की गई थी। हालांकि केंद्र ने पहले ही एयरपोर्ट, बंदरगाहों को अलर्ट कर दिया था और अब सभी राज्यों को कहा गया है कि अगर कोई भी संदिग्ध केस सामने आता है तो तुरंत स्क्रीनिंग, जांच हो और केंद्र को रिपोर्ट किया जाए।
राज्य और जिला स्तर पर भी हो तैयारियों की समीक्षा
डब्ल्यूएचओ ने बताया है कि पिछले छह महीनों में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एमपॉक्स के मामलों की लगातार बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया गया है। वहीं अब ईस्ट अफ्रीकन देशों जैसे बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा में भी एमपॉक्स के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। इन देशों में इस बीमारी के नये वैरिएंट (म्यूटेंट वैरिएंट) क्लेड1बी वायरस के मामले भी सामने आए हैं और अफ्रीकन देशों के पड़ोसी देशों में भी इसका प्रसार हो रहा है। केंद्र ने कहा है कि राज्यों को जागरूकता अभियान पर ध्यान देना होगा, साथ ही यह भी देखना होगा कि किसी भी तरह का पैनिक न हो। अस्पतालों में खास तौर पर आइसोलेशन फैसिलिटी हो, जहां पर संदिग्ध मरीजों को आइसोलेट किया जा सके। राज्य और जिला स्तर पर स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा हो।
एडवाइजरी में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से लोगों को एमपॉक्स बीमारी, इसके फैलने के तरीके और समय पर रिपोर्टिंग की जरूरत के बारे में जागरूक करने को कहा है।डब्ल्यूएचओ ने अपने हालिया अपडेट में इस बात पर प्रकाश डाला है कि मामलों की क्लीनिकल तस्वीर काफी हद तक एक जैसी रही है। अधिकांश मामले युवा पुरुषों के हैं, जिनकी औसत आयु 34 वर्ष (18-44 वर्ष) है। वैश्विक स्तर पर संक्रमण के जिन तरीकों की जानकारी सामने आयी है, उनमें यौन संपर्क सबसे आम है। उसके बाद व्यक्ति-से-व्यक्ति गैर-यौन संपर्क और ऐसे मामलों में, जिसमें कम से कम एक लक्षण की जानकारी सामने आयी है, सबसे आम लक्षण चकत्ते हैं, उसके बाद बुखार है। (एजेंसी)