
पुणे : महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से पहली मौत की बात सामने आई है। ये मौत सोलापुर में हुई। महाराष्ट्र के स्वास्थ विभाग ने रविवार को इस केस की जानकारी दी, लेकिन डिटेल नहीं बताई।
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 26 जनवरी तक GBS के 101 एक्टिव मरीज हैं। इसमें पुणे से 81 मरीज, पिंपरी चिंचवाड़ से 14 और 6 मरीज अन्य जिलों से हैं। इनमें 68 मेल और 33 फीमेल मरीज हैं। पुणे में 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। पुणे में 9 जनवरी को अस्पताल में भर्ती मरीज GBS पॉजिटिव आया था, ये पहला केस था। अब पुणे में एक्टिव केसों की संख्या 101 हो गई है। इनमें 19 मरीज 9 साल से कम उम्र के हैं। 50-80 साल की उम्र वाले 23 मरीज हैं।
वैज्ञानिकों ने क्या कहा था
डॉक्टर आर्मंड एस गोल्डमैन के नेतृत्व में टेक्सास के वैज्ञानिकों की टीम ने फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट की बीमारी के लक्षणों का नए तरीके से विश्लेषण किया था। इसमें सामने आया था कि रूजवेल्ट पोलियो के चलते नहीं, बल्कि जीबीएस के चलते पैरालिसिस के शिकार हुए थे। रिसर्चर्स के मुताबिक पोलियो छोटी उम्र के लोगों पर असर डालता है। रूजवेल्ट की जो उम्र थी, उसमें उनके ऊपर पोलियो का असर होने की संभावना ना के बराबर थी।
शोधकर्ताओं ने इसके पीछे की ठोस वजहें भी बताई थीं। इसमें कहा गया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में भीषण दर्द होता था। जबकि पोलियो के शिकार व्यक्ति को दर्द नहीं होता है। इसके अलावा पोलियो, शरीर के ऊपरी हिस्से को भी प्रभावित नहीं करता है। टेक्सास यूनिवर्सिटी में मेडिसिन के प्रोफेसर रहे डॉक्टर आर्मंड गोल्डमैन का मानना है कि लैब टेस्ट के अभाव में रूजवेल्ट का गलत चिकित्सा परीक्षण हुआ था।
क्या है GBS
जीबीएस एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है। इसमें इम्यून सिस्टम अपने ही स्वस्थ सेल्स पर हमला करता है। हल्के से इंफेक्शन से भी यह बीमारी हो सकती है। पुणे में बड़ी संख्या में लोग इस बीमारी के शिकार हो चुके हैं। इसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं। 100 से ज्यादा लोगों में यह बीमारी फैली हुई है, वहीं 16 लोग वेंटीलेटर पर जा चुके हैं। एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है। बढ़ती हुई बीमारी को देखते हुए प्रदेश के साथ-साथ केंद्र सरकार भी अलर्ट हो चुकी है।(एजेंसी)