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पांचवी श्रीमती कांतिदेवी जैन स्मृति व्याख्यानमाला का प्रथम दिन दिनांक 21 सितंबर 2024

पांचवी श्रीमती कांतिदेवी जैन स्मृति व्याख्यानमाला का प्रथम दिन दिनांक 21 सितंबर 2024

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा-भारतवंशी राष्ट्रदूत के रूप में बढ़ा रहे हैं भारत का मान

भारत की सांस्कृतिक धरोहर अनमोल-रामेन डेका,राज्यपाल- छत्तीसगढ़

नई दिल्ली : भारत अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र, गुरुग्राम, चाणक्य वार्ता, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय ओडिशा, डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर, हंसराज कालेज दिल्ली विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित श्रीमती कांतिदेवी जैन स्मृति त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय व्याख्यानमाला के पंचम संस्करण के प्रथम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विशेष संदेश में कहा कि व्याख्यानमाला का विषय "भारतवंशी संस्कृति" सराहनीय है। जब भी मैं किसी विदेशी दौरे पर जाता हूँ तो मेरा यह प्रयास रहता है कि वहां रह रहे अपने देश से जुड़े लोगों से अवश्य मिल सकूं। उनसे मिलकर मैंने ये महसूस किया कि भारतवंशी विश्व के किसी भी हिस्से में हों, उनका अपनी संस्कृति व संस्कारों से गहरा जुड़ाव है। विदेशों में हमारे भारतवंशी साथी देश के राष्ट्रदूत के रूप में अपनी प्रतिभा, लगन व परिश्रम से एक अलग पहचान बनाते हुए भारत का मान बढ़ा रहे हैं। वह अपनी मातृभूमि की उपलब्धियों पर सीना तानकर, सर ऊंचा करके गर्व करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत काल में हम एक भव्य व विकसित भारत के निर्माण की दिशा में अग्रसर हैं। अवसरों से भरे इस कर्तव्य काल में हर भारतवंशी का प्रयास राष्ट्र को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में योगदान देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि श्रीमती कांतिदेवी जैन स्मृति न्यास, नई दिल्ली, पाक्षिक पत्रिका चाणक्य वार्ता और दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस व्याख्यानमाला में लोगों को "भारतवंशी संस्कृति" से जुड़े विभिन्न पहलुओं को जानने का अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री ने प्रतिभागियों व आयोजकों को अपनी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं भी दी।

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प्रथम दिन के मुख्य अतिथि छतीसगढ़ के राज्यपाल रामेन डेका ने श्रीमती कांतिदेवी जैन स्मृति व्याख्यानमाला के आयोजन में गत पांच वर्षों से देश- विदेश से जुड़ने वाले हजारों वरिष्ठ जनों, बुद्धिजीवियों, विद्वानों एवं आयोजक डॉ अमित जैन का अभिनंदन करते हुए कहा कि यह मेरा परम सौभाग्य है कि इस आयोजन से जुड़ने का मुझे मौका मिला। इस व्याख्यानमाला का विषय "भारतवंशी संस्कृति" सुनकर हमारा सीना गर्व से भर जाता है क्योंकि भारतवंशी जहाँ- जहाँ भी गए, वहाँ- वहाँ अपनी भाषा, अपना ज्ञान, अपनी संस्कृति लेकर गए और वहां अपना विशिष्ट स्थान बनाया। उन्होंने अफ्रीका, यूरोप, अमेरिका आदि देशों में जाकर भारतीय त्यौहार, संगीत व भारतीय मूल्यों को बनाये रखा। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की अनमोल विरासत है। जिसका पूरी दुनियां में प्रसार- प्रचार हो रहा है। भारतवंशियों ने फिजी, मारीशस, ब्रिटेन, अमेरिका आदि देशों में राजनीतिक, व्यवसायिक व आईटी क्षेत्रों में अपनी मेहनत, संघर्ष व भारतीय संस्कृति के बल पर अपना परचम लहराया है। राज्यपाल ने कहा कि भारतवंशी हर परीक्षा में खरे उतर रहे हैं। यहीं नहीं बल्कि भारत के वसुधैव कुटुम्बकम के संदेश को देश- विदेश ने अपनाया है और भारतवंशियों ने भारतीय मूल्यों व संस्कृति को पूरी तरह संजोकर रखा है। 

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राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति न केवल हमारी पहचान है बल्कि यह हमारी धरोहर भी है। इसे संजोकर रखना है ताकि अगली पीढ़ी भारत की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी रहे।
इस अवसर पर व्याख्यान माला की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय विश्वविद्यालय ओडिशा के कुलपति प्रो चक्रधर त्रिपाठी ने कहा कि कोरापोट(उड़ीसा) में जहाँ हमारा विश्वविद्यालय है, वह विश्व का ऐसा स्थान है, जहाँ सबसे पहले धान की खेती हुई। वह भी बिना रासायनिक खाद के। उन्होंने कहा कि यहां आदिवासी क्षेत्र है और केवल दो फ़ीसदी महिलाएं ही शिक्षित है लेकिन लोग सामूहिक व सामाजिक रूप से मिलकर खेती करते हैं और हिन्दू संस्कृति के मूलमंत्र,पंचतंत्र की पूजा करते हैं। 

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नीदरलैंड्स से जुड़े लेखक एवं वरिष्ठ चिंतक इंद्रेश कुमार ने कहा कि वर्षो पहले यहां आने के बाद भी भारतवंशियों ने अपनी संस्कृति को सहेज कर रखा है। यहां 2 प्रतिशत जनसंख्या भारतीयों की है। जिनमें डॉक्टर, इंजीनियर, आईटी क्षेत्र व अन्य क्षेत्रों में अपनी प्रतिभाओं को प्रदर्शित करने वाले युवा भारतीय देखे जा सकते है। उन्होंने कहा कि नीदरलैंड्स में भारतीय संस्कृति के अनुरूप राम- राम, नमस्कार की जाती है। होली, दिवाली, रक्षाबंधन पर्व भी यहां खुशी के साथ मनाए जाते हैं। योग को भी महत्व दिया जाता है। विवेकानंद आश्रम भी यहां पर है। भारतीय संस्कृति भारत के बाहर भारत का परिचय बखूबी दे रही है। यहां गाय जनित अर्थ व्यवस्था सराहनीय है। श्रीराम लिखी राम करेंसी की कीमत 10 यूरो के बराबर है। 

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ट्यूबिंगन यूनिवर्सिटी,जर्मनी से जुड़े दिव्यराज अमिय ने कहा कि

भारतवंशियों ने यहां आकर सारे त्योहार मनाकर उल्लास की भरपाई कर दी है। जर्मनी की भाषा में एक नही अनेकों शब्द ऐसे है, जो भारतीय भाषाओं से लिये गए हैं। ये शब्द दैनिक दिनचर्या में उपयोग किये जाते हैं। मीठी चीजों के नाम भी भारत से ही लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यहां होली, दिवाली, रक्षाबंधन सभी भारतीय त्यौहार मनाए जाते हैं लेकिन होली को मंच सजाकर मनाया जाता हैं। भारत में होली के दो-तीन महीने बाद यहां होली मनाई जाती है क्योंकि जिन दिनों भारत में होली का पर्व होता है उस समय यहां काफी ठंड होती है। 

अमेरिका से जुड़ी डिजिटल क्रियेटर डॉ निरुपमा गुप्ता ने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हम भारत में पैदा हुए। उन्होंने कहा कि सोने की चिड़िया भारत की संस्कृति को ब्रिटिश से आई ईस्ट इंडिया कंपनी ने नष्ट करने की कोशिश की। उससे पहले भारत में विदेशों से अनेक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे। जिनमें ब्रिटिश राज के बाद कमी आ गई। उन्होनें कहा कि अमेरिका में बच्चा पैदा होने के 24 घंटे बाद ही उसे मां बाप से अलग सुला दिया जाता हैं जबकि मेरे भारत में उसे जब तक अलग नही सुलाया जाता, जब तक वह बड़ा नही हो जाता। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका की तरह से भारत में भी महिलाओं व बच्चों को आज़ादी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति से अमेरिकी संस्कृति काफी प्रभावित है। वे हमें साड़ी पहने देखकर बहुत खुश होते हैं।

व्याख्यानमाला के प्रारंभ में अपने स्वागत भाषण में हंसराज कालेज की प्राचार्या प्रो. रमा ने कहा कि पिछले पांच वर्षों से श्रीमती कांतिदेवी जैन व्याख्यानमाला लगातार हो रही है। जिससे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में रह रहे भारतवंशियों को सटीक व ज्ञानप्रद जानकारी मिलती है। उन्होंने गुरुग्राम में बनाये जा रहे भारत अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र की भी सराहना की। डॉ रमा ने भारतवंशियों को इसके लिए बधाई दी कि वे अपनी संस्कृति को सदैव अपने मस्तिष्क में समाए रखते हैं। 

कार्यक्रम का सफल संचालन धर्मपाल महेंद्र जैन ने किया। आयोजक डॉ अमित जैन ने विषय प्रवर्तन किया और 2020 से 2023 तक की व्याख्यानमालाओं का सार प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ कौशल त्रिपाठी के धन्यवाद ज्ञापन से किया गया।कार्यक्रम में देश- विदेश से बड़ी संख्या में श्रोताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में आर.पी तोमर, हेमंत उपाध्याय, धीरेन बारोट, गौरव कुमार, प्रोफेसर अवनीश कुमार, डॉ हंसा दीप, सोनम जैन, अंकुर जैन, मनीष कुमार झा, ईश्वर करूण, डॉ अमर सिंघल, रमेश गुप्ता, डॉ मैथिली राव आदि का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ। आज व्याख्यानमाला का दूसरा सत्र gu शाम को 6:00 बजे से 8:00 बजे तक जूम के माध्यम से आयोजित होगा। ‌

प्रस्तुति- 
डॉ.भरत कुमार, मीडिया सलाहकार।
मनीष कुमार झा रायपुर छत्तीसगढ़ 
9425517092

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