बुलडोजर एक्शन पर Supreme Court हुआ सख्त, कहा- मंदिर हो या दरगाह, अवरोध पर हटाना ही होगा
Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश में लोगों की सुरक्षा सबसे ऊपर है। मंदिर हो या दरगाह…सडक़, जलमार्ग या रेल मार्ग को अवरोध कर रहे हैं तो उन्हें हटाना ही होगा। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के..वी. विश्वनाथन की पीठ ने मंगलवार को अपराध के आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। पीठ ने कहा कि फैसला आने तक देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक जारी रहेगी। कोर्ट ने फैसले की तारीख तय नहीं की है। यह भी स्पष्ट किया गया कि अदालत की प्राथमिकता नागरिकों की सुरक्षा है, और कोई भी धार्मिक ढांचा जो सार्वजनिक आवागमन में बाधा डालता है, उसे हटाना जरूरी है। अदालत ने यह भी कहा कि अनधिकृत निर्माण के लिए एक स्पष्ट कानून होना चाहिए, जो किसी धर्म या संप्रदाय
भारत धर्मनिरपेक्ष देश है-SC
पीठ ने कहा कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है। बुलडोजर एक्शन को लेकर उसका आदेश सभी नागरिकों के लिए होगा, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। अनाधिकृत निर्माणों के लिए एक कानून होना चाहिए। जस्टिस गवई ने कहा कि फैसला लिखते समय हम साफ कर देंगे कि अगर कोई महज आरोपी या दोषी है तो बुलडोजर एक्शन नहीं किया जा सकता। इस मुद्दे पर हम जो गाइडलाइन बनाएंगे, पूरे देश के लिए होगी।यह भी स्पष्ट किया गया कि अदालत की प्राथमिकता नागरिकों की सुरक्षा है, और कोई भी धार्मिक ढांचा जो सार्वजनिक आवागमन में बाधा डालता है, उसे हटाना जरूरी है। अदालत ने यह भी कहा कि अनधिकृत निर्माण के लिए एक स्पष्ट कानून होना चाहिए, जो किसी धर्म या संप्रदाय पर निर्भर नहीं होना चाहिए।
घर गिराने पर दिया जाएगा मुआवजा
।सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर को एक अंतरिम आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि आरोपियों और अन्य लोगों की संपत्तियों को बिना अदालत की अनुमति के एक अक्टूबर तक नहीं गिराया जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि अगर अवैध ध्वस्तीकरण का कोई भी मामला सामने आता है, तो यह संविधान के मूल्यों के खिलाफ होगा। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इसका आदेश केवल अनधिकृत संरचनाओं पर लागू होगा जो सार्वजनिक स्थानों जैसे सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों, या जलाशयों पर बनी हैं। इसके साथ ही, यह आदेश उन मामलों पर भी लागू नहीं होगा जहां अदालत ने पहले से ही ध्वस्तीकरण का आदेश दिया है।एक याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने पीठ से पूछा कि अगर किसी का घर गिराया तो वह क्या करेगा? जस्टिस गवई ने कहा कि अगर आदेश नहीं माना गया तो संपत्ति का नवीनीकरण होगा और पीडि़त को मुआवजा दिया जाएगा। सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सुझाव दिया कि नवीनीकरण और मुआवजे की रकम तोडफ़ोड़ करने वालों से ली जाए। जस्टिस गवई ने जस्टिस विश्वनाथन की ओर इशारा करते हुए कहा- मेरे भाई यह पहले ही कह चुके हैं। (एजेंसी)