महासमुन्द

राज्य में आजीविका सुधार पर विशेष बैठक, अंतिम व्यक्ति तक अवसर पहुँचाने का संकल्प

राज्य में आजीविका सुधार पर विशेष बैठक, अंतिम व्यक्ति तक अवसर पहुँचाने का संकल्प

संवाददाता: प्रभात मोहंती

महासमुंद : दिव्यांगजनों की आजीविका उन्नयन, रोजगार सृजन और स्थानीय स्तर पर सरल स्वरोजगार व्यवस्थाओं को मजबूत करने के उद्देश्य से राज्य स्तर पर एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में विभिन्न विभागों, संस्थानों एवं विशेषज्ञों ने भाग लेकर समाज के अंतिम एवं जरूरतमंद व्यक्ति तक आजीविका के अवसर पहुँचाने पर विचार-विमर्श किया।

बैठक की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ स्टेट निशक्तजन वित्त एवं विकास निगम आयोग के अध्यक्ष श्री लोकेश कावड़िया द्वारा की गई। उन्होंने अपने संबोधन में राज्य में आजीविका उन्नयन और सुधार के साथ-साथ दिव्यांग अनुकूल स्वरोजगार को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री कावड़िया ने कहा कि दिव्यांगजन केवल सहानुभूति के पात्र नहीं हैं, बल्कि सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और अवसर मिलने पर वे आत्मनिर्भर और सक्षम उद्यमी बन सकते हैं। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि विभिन्न दक्षताओं वाले दिव्यांगों को पूरक बनाकर उन्हें पूर्ण और सक्षम उद्यमी के रूप में विकसित करना ही वर्तमान समय की प्राथमिकता है।

बैठक में महासमुंद जिले के समाजसेवी एवं आजीविका विशेषज्ञ डॉ. सुरेश शुक्ला ने दिव्यांगजनों के हित में किए गए सफल आजीविका प्रयासों की जानकारी प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि दिव्यांगजनों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए रोजगार की तुलना में स्वरोजगार अधिक स्थायी, सरल और प्रभावी विकल्प है। डॉ. शुक्ला ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि स्थानीय संसाधनों, कौशल विकास प्रशिक्षण और ऋण-सहायता योजनाओं के समुचित उपयोग से दिव्यांगजन न केवल अपना व्यवसाय सफलतापूर्वक संचालित कर रहे हैं, बल्कि अपने परिवारों को भी आर्थिक रूप से सशक्त बना रहे हैं।

बैठक में उपस्थित विशेषज्ञों ने स्वरोजगार के मॉडल को और अधिक सुलभ, सरल एवं दिव्यांग-मैत्रीपूर्ण बनाने पर सुझाव दिए। साथ ही ऐसे व्यवसायों की पहचान करने पर भी चर्चा हुई, जो कम लागत, कम जोखिम और अधिक स्थायित्व के साथ दिव्यांगजन आसानी से संचालित कर सकें।

कार्यक्रम के अंत में यह निष्कर्ष निकाला गया कि राज्य स्तर पर विभिन्न विभागों, सामाजिक संगठनों और वित्तीय संस्थानों के सामूहिक सहयोग से दिव्यांगजनों के लिए एक मजबूत, सरल और समावेशी आजीविका तंत्र विकसित किया जा सकता है। इस पहल से राज्य में दिव्यांगजनों के जीवन स्तर में महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलाव आने की संभावना है।

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