संवाददाता: प्रभात मोहंती
महासमुंद : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के द्वारा स्थानीय सेवाकेंद्र उपकार भवन में शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों के सम्मान में एक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया , कार्यक्रम को सफल बनाने मुख्य अतिथि विजय कुमार लहरें (जिला शिक्षा अधिकारी महासमुंद),विशिट अतिथी श्रीमती अनसुईया अग्रवाल(स्वामी आत्मानंद शासकीय .महा, श्रीमती करूणा दुबे प्राचार्य (शा.महा.वल.सना.महा.) बी के चन्द्रकला दीदी राजयोग -शिक्षिका रायपुर,रहे सभी अतिथियों ने कार्यक्रम प्रारंभ दीप प्रज्वलित कर एवं प्रभु स्मृति में स्थित होकर किया, इससे पहले ब्रम्हा कुमारी बहनों ने पुष्प गुलदस्ते और तिलक लगाकर अतिथियों का स्वागत सम्मान किया, मुख्य अतिथि लहरें जी ने कहा हमें एक आदर्श शिक्षक बनना पड़ेगा जो नैतिकता और मूल्यो के बगैर सम्भव नहीं राज्य विकास स्कूल में होता है।
सांसद में नहीं , शिक्षक का काम कार्य को विद्या में प्रसारित करने का है और राष्ट्र को निर्माण करने की बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है श्रेष्ठ नागरिक बनाने में शिक्षक का योगदान है और यह कार्य बहुत निष्ठा पूर्ण तरिके से करना चाहिए, विशिष्ट अतिथि बहन अनसुईया ने कहा आदिकाल में गुरूकुल की प्रथा थी गुरु ने जो कहा वह शिक्षक मानता था पर अभी समय थोडा विपरीत चल रहा है छोटा बच्चा माता के बाद सिधे स्कूल जाता और वहां जो भी विद्या ग्रहण करता गुरु से ही करता इस लिए शिक्षक का योगदान आज भी आदिकाल की तरह ही है जो शिक्षक बहुत अच्छे से निभा रहे हैं और प्रयास कर रहे हैं बहन करूणा दुबे ने कहा किसी भी बच्चे की प्रथम गुरु उसकी मां होती है इस लिए मां को भी संस्कारी होना अति आवश्यक है और उसी से पारिवारिक और सामाजिक वातावरण का निर्माण होता है शिक्षा का उद्देश्य चरित्र और नैतिक मूल्यो का निर्माण तो जरुरी है ही साथ साथ आध्यात्मिक बनना भी


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