
अंबिकापुर (सरगुजा) : जिले में हाल ही में जारी की गई शिक्षकों की अतिशेष सूची को लेकर शिक्षकों में तीव्र असंतोष देखा जा रहा है। प्रभावित शिक्षकों का कहना है कि उनके नाम गलत तरीके से सूची में शामिल कर दिए गए हैं, जबकि वे वर्षों से उसी विद्यालय में कार्यरत हैं और संस्था की आवश्यकता अनुसार सेवा दे रहे हैं।
शिक्षकों का आरोप है कि उन्होंने इस अन्याय के विरुद्ध संयुक्त संचालक अंबिकापुर और जिला शिक्षा अधिकारी, सरगुजा के समक्ष कई बार आवेदन प्रस्तुत किए। आवेदन में उन्होंने अतिशेष सूची में नाम जोड़ने की प्रक्रिया को अनुचित बताया और इस पर पुनर्विचार की माँग की थी। बावजूद इसके अब तक किसी भी स्तर पर न तो कार्रवाई की गई है और न ही कोई जवाब प्रदान किया गया। इस चुप्पी और उपेक्षा के रवैये ने शिक्षकों की व्यथा को और गहरा कर दिया है।
शिक्षकों ने यह भी गंभीर आपत्ति जताई है कि जिन विषयों के आधार पर उन्हें अतिशेष घोषित किया गया, उसी विषय की आवश्यकता को नजरअंदाज करते हुए उन्हें दूसरे विद्यालय में पदस्थ किया गया, काउंसलिंग समय उनके विषय का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया कि वे किस विषय की शिक्षा देंगे। इसपर शिक्षकों का कहना है विषय की अनदेखी करते हुए केवल प्रशासनिक औपचारिकता पूरी की गई है, जो न केवल शिक्षकों के साथ अन्याय है, बल्कि छात्रों की शैक्षणिक गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
जिसके साथ ही प्रक्रियागत पारदर्शिता के अभाव में उनकी समस्या को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है। उनका यह भी कहना है कि न तो उनकी शिकायतों पर विचार किया गया और न ही अतिशेष सूची की दोबारा जाँच की गई। इससे शिक्षकों में रोष व्याप्त है और वे इसे अपने सम्मान और सेवा के प्रति अन्याय मान रहे हैं। पीड़ित शिक्षकों ने प्रशासन से अपील की है कि उनकी आपत्तियों को गंभीरता से लिया जाए और त्वरित जाँच कर उन्हें न्याय दिया जाए। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वे संघर्ष की राह पर उतरने को बाध्य होंगे।