महासमुन्द

डॉ. शुक्ला को पद्मश्री प्राप्त हस्तियों द्वारा सम्मानित किया गया

डॉ. शुक्ला को पद्मश्री प्राप्त हस्तियों द्वारा सम्मानित किया गया

प्रभात महंती 

महासमुंद : छत्तीसगढ़ राज्य के अंतर्राष्ट्रीय भरथरी गायिका सुरुज बाई खांडे के जयंती 12 जून को रायपुर मे आयोजित सुरुज उत्सव सम्मान समारोह के अवसर पर छत्तीसगढ़ के ख्याति प्राप्त नामचीन समाज सेवी, पर्यावरण प्रेमी, वन्यजीव प्रेमी, सेवा भावी पत्रकार, साहित्यकार तथा समाज के विभिन्न क्षेत्रो मे सेवा प्रदान कर रहे हस्तियों को सम्मानित किया गया,  उपरोक्त सम्मान समारोह का आयोजन सुरुज ट्रस्ट के द्वारा किया गया ट्रस्ट द्वारा उपरोक्त कार्यक्रम का आयोजन साल मे दो बार किया जाता है तथा ट्रस्ट के द्वारा दिया जाने वाला छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे बड़ा सम्मान है सम्मानित किये जाने वाले हस्तियों मे महासमुंद जिले के युवा सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सुरेश शुक्ला को नामित किया गया था

तथा छत्तीसगढ़ राज्य के पद्मश्री सम्मान प्राप्त अजय मंडावी, उषा बारले तथा ट्रस्ट प्रमुख दीप्ती ओगरे के द्वारा सम्मानित किया गया, डॉ. शुक्ला द्वारा महासमुंद जिले मे विगत 15 वर्षो से महिला, बच्चों, किसान, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा पर्यावरण जैसे जन हितैषी अनेक विषयो को लेकर समाज के पिछड़े तथा जरूरतमंद वर्गो के लिए कार्य किया जा रहा है उनके द्वारा किये जा रहे कार्य मे प्रमुख रूप से सपेरा जनजाति के बच्चों के स्कूली दाखिला कर शिक्षा व्यवस्था, समुदाय के मूलभूत जरूरतों की पूर्ति तथा शासकीय योजना से लाभान्वित किये जाने हेतु प्रदान किया गया, पूर्व मे भी डॉ. शुक्ला को महासमुंद जिले सरकार संचालित जन विकासीय कार्य मे अपना सहयोग प्रदान किये जाने हेतु राज्य के विभिन्न संस्थानों द्वारा पूर्व मे भी सम्मानित किया जा चुका है,

सम्मान समारोह के अवसर पर प्रमुख रूप से पधारे छत्तीसगढ़ के फ़िल्म निर्माता मोहन सुंदरानी तथा ट्रस्ट प्रमुख द्वारा सुरुज बाई खांडे की जीवनी पर प्रकाश ड़ालते हुए बताया गया की सुरुज बाई खांडे छत्तीसगढ़ की विख्यात भरथरी गायिका थीं। वे अहिल्या बाई सम्मान से सम्मानित थीं। उन्होने सात साल की उम्र से भरथरी गाने की शुरुआत अपने नाना स्वर्गीय राम साय घितलहरे के मार्गदर्शन में किया था। उन्होने रूस, दुसाम्बे, अमला के अलावा लगभग 18 देशों में अपनी कला की प्रस्तुति दी थी। इसके साथ ही देश में भोपाल, दिल्ली, इंदौर, सिरपुर, ओडिशा, महाराष्ट्र जैसे लगभग सभी राज्य में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकीं थी।

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