
डॉ. समरेंद्र पाठक
वरिष्ठ पत्रकार
नयी दिल्ली : जांचकर्ताओं को अदालत में पेशी से छूट देने के आदेश के खिलाफ दिल्ली के जिला अदालतों में वकीलों की हड़ताल आज भी जारी रहने से न्यायालयों के काम काज पर व्यापक असर पड़ा है। वकीलों ने सोमवार को न सिर्फ अक्रामक हड़ताल किया, बल्कि अदालतों में जगह जगह रास्ता रोककर विरोध प्रकट किया।इस वजह से न्यायिक कार्यों पर असर पड़ा है। दिल्ली के उपराज्यपाल ने गत 13 अगस्त को जांचकर्ताओं को अदालतों में पेशी की अनिवार्यता से छूट दे दी ।इस आदेश के बाद से वे अब वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालतों में पेश हो सकते हैं।
इस फरमान का विरोध करते हुए गत शनिवार से जिला अदालतों के वलील हड़ताल पर हैं।डीबीसी सहित वकीलों के अनेक संगठनों ने इस हड़ताल का समर्थन किया है।चुनिंदे वकीलों एवं जानकारों ने इस मामले पर अपनी गंभीर प्रतिक्रियाएं भी दी है,जो इस प्रकार है:-
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता नवेश कुमार ने कहा है,कि सरकार के इस आदेश से न्याय प्रक्रिया पर गंभीर असर पड़ेगा।जांचकर्ताओं की पहचान से लेकर क्रास करने में भी कई समस्याएं खड़ी होगी।अदालतों को भी सत्यता परखने में कठिनाई होगी।इससे न्याय के नैसर्गिक सिद्धान्त का उलंघन होगा।
दिल्ली हाई कोर्ट की अधिवक्ता अंशु कुमारी कहती हैं,कि सरकार का इस संबंध में नोटिफिकेशन पूरी तरह से अतार्किक एवं रूल ऑफ लॉ का उलंघन है।नयी व्यवस्था से न सिर्फ न्याय प्रभावित होगा, वल्कि कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होगी।
सुप्रसिद्ध चार्टड एकाउटेंट संजय कुमार तिवारी कहते हैं,कि सरकार के इस कदम से पीड़ित को न्याय नही मिल पायेगा।जांचकर्ताओं की मोनोपोली बढ़ जाएगी।सरकार इस तरह के आदेश से अघोषित आपातकाल लागू करना चाहती है।एल.एस.