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संत कबीर की रचनाएं आज भी प्रासंगिक:डॉ.मिश्रा

संत कबीर की रचनाएं आज भी प्रासंगिक:डॉ.मिश्रा

अपर्णा कुमारी

पत्रकार

नयी दिल्ली : सुप्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ. बी.एन. मिश्रा ने कहा है,कि महान संत कबीर की रचनाएं आज भी प्रासंगिक है और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है। राजधानी के राजेन्द्र ऑडिटोरियम में गत दिनों आयोजित "अंतरराष्ट्रीय  कबीर संत सम्मेलन" में हिस्सा लेने आये डॉ.मिश्रा ने यह बात एक इंटरव्यू के दौरान कही।उन्होंने कहा कि संत कबीर ने धर्म ही नहीं कर्म, अर्थ एवं समाजबाद पर जो रचनाऐं 5-6 शतक पहले की उसकी प्रासंगिकता इस भौतिक युग में भी बनी हुई है और उस पर अमल कर हम बेहतर समाज एवं राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।

लोकमान्य तिलक लिखित गीता सार का अंगेजी भाषा मे अनुवाद करने वाले डॉ. मिश्रा ने कहा कि संत कबीर की रचनाओं पर श्रीमद् भगवत गीता का पूरा प्रभाव रहा,लेकिन उन्होंने आम जन की भाषा में इसे लोगों तक पहुंचाने में अपना अतुलनीय योगदान दिया।

पेशे से इंजीनियरिंग के प्रोफेसर रहे डॉ. मिश्रा ने कहा कि संत कबीर ने कहा कि " सांई इतना दीजिए जामें कुटुम समाय, मैं भी भूखा न रहूं साधु न भूखा जाय।" इस पंक्ति में धर्म,अर्थ,कर्म एवं समाजबाद समग्र रूप से निहित है।

डॉ.मिश्रा ने कहा कि इनकी रचनाएँ इतनी सरल एवं लोक भाषा में है,जिस वजह से सैकड़ों साल पूर्व समाज के बहुसंख्य लोगों को कई लाभकारी ज्ञान मिले।यही वजह है,कि देश- विदेश में संत कबीर के अनुयायियों की संख्या करोड़ो में है।एल.एस.

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