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गुलजार ने अमीर खुसरो की मशहूर गजल से प्रेरित होकर 1985 की फिल्म गुलामी के लिए एक गाना लिखा था

गुलजार ने अमीर खुसरो की मशहूर गजल से प्रेरित होकर 1985 की फिल्म गुलामी के लिए एक गाना लिखा था

अमीर खुसरो की मशहूर गजल से प्रेरित हो गुलजार ने लिखा कालजयी गाना, 99% लोग गुनगुनाते हैं, नहीं जानते मतलब। अमीर खुसरो की लोकप्रिय गज़ल से प्रेरित होकर जब गुलजार ने मोहब्बत पर कालजयी गाना लिखा तो वह इतना पॉपुलर हुआ कि 35 साल गुजरने के बाद भी लोग उसे वक्त-बेवक्त गुनगुनाते रहते हैं, पर जब इस नायाब गाने का अर्थ समझने की बात आती है, तो 99 फीसदी लोग बगले झांकने लगते हैं. अगर आपको अमीर खुसरो की गज़ल की पहली पंक्ति 'जेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तगाफुल दुराय नैनां बनाए बतियां' सुनी-सुनी सी लगती है, तो आपने कभी-न-कभी 1985 की फिल्म 'गुलामी' का वह गाना जरूर सुना होगा, जिसे लता मंगेशकर ने गाया था और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने उसका संगीत रचा था।

गुलजार ने अमीर खुसरो की मशहूर गजल से प्रेरित होकर 1985 की फिल्म ‘गुलामी’ के लिए एक गाना लिखा था जो रिलीज के 37 साल बाद भी पॉपुलर है. अगर आप हिंदी गानों और लता मंगेशकर की गायिकी के प्रशंसक हैं, तो आपने यह गाना जरूर सुना और देखा होगा, जिसे मिथुन चक्रवर्ती और अनीता राज पर फिल्माया गया है. महान कवि अमीर खुसरो (Amir Khusrow) की जिस गजल से प्रेरणा लेकर गुलजार ने यह गाना लिखा था, उसकी शुरुआती पंक्तियां पढ़कर शायद आपको वह गाना भी याद आ जाए। ज़े-हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल दुराय नैनाँ बनाए बतियाँ। कि ताब-ए-हिज्राँ नदारम ऐ जाँ न लेहू काहे लगाए छतियाँ। शबान-ए-हिज्राँ दराज़ चूँ ज़ुल्फ़ ओ रोज़-ए-वसलत चूँ उम्र-ए-कोताह।

सखी पिया को जो मैं न देखूँ तो कैसे काटूँ अँधेरी रतियाँ। यकायक अज़ दिल दो चश्म जादू ब-सद-फ़रेबम ब-बुर्द तस्कीं। किसे पड़ी है जो जा सुनावे पियारे पी को हमारी बतियाँ। चूँ शम-ए-सोज़ाँ चूँ ज़र्रा हैराँ ज़ मेहर-ए-आँ-मह बगश्तम आख़िर। न नींद नैनाँ न अंग चैनाँ न आप आवे न भेजे पतियाँ। ब-हक्क-ए-रोज़-ए-विसाल-ए-दिलबर कि दाद मारा ग़रीब ‘ख़ुसरव’। सपीत मन के वराय रखूँ जो जा के पाऊँ पिया की खतियाँ। फारसी और ब्रजभाषा में लिखी इस गजल की शुरुआती दो पंक्तियों का अर्थ कुछ यूं है- ‘बातें बनाकर और नजरें चुराकर मेरी लाचारी की अवहेलना न कर. जुदाई की अगन से जान जा रही है. मुझे अपनी छाती से क्यों नहीं लगा लेते.’ अब शायद आप समझ गए होंगे कि हम गुलजार के किस गाने की बात कर रहे हैं।


गुलजार ने इस गजल की शुरुआती पंक्तियों के भाव की खूबसूरती को अपने गाने ‘ज़े-हाल-ए मिस्कीं मकुन बरंजिश’ में पिरो दिया. लता मंगेशकर और शब्बीर कुमार की आवाज में रिकॉर्ड हुए इस गाने के शुरुआती बोल का अर्थ समझे बिना करोड़ों लोग इसके भाव को दिल से महसूस करते आ रहे हैं. गाने की शुरुआती पंक्तियां हैं-

‘जे-हाल-ए-मिस्कीं मकुन बरंजिश
बेहाल-ए-हिज्राँ बेचारा दिल है।
सुनाई देती है जिसकी धड़कन
तुम्हारा दिल या हमारा दिल है’

गाने ने प्रेम की गहराई को इतना खूबसूरती से शब्दों में बयां किया है कि लाखों-करोड़ों लोगों ने गाना तो सुना, पर इसके अर्थ को जानने की जहमत नहीं उठाई, लेकिन आप इसका अर्थ जान जाएंगे तो आपको हिंदी गानों से और ज्यादा मोहब्बत हो जाएगी जो कुछ इस प्रकार है।

‘मेरे दिल की परवाह करो, गुस्सा न जताओ. इस निसहाय दिल ने बिछड़ने का दुख सहा है.’
गुलजार की गीत की तरह इसका संगीत भी बहुत सुंदर है, जिसे लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने क्रिएट किया था. फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती और अनीता राज के अलावा धर्मेंद्र, नसीरुद्दीन शाह, रीना रॉय और स्मिता पाटिल ने भी काम किया है।
(गजल सोर्स: रेख्ता)

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