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भारत के कई राज्यों में कुष्ठ रोग एक गंभीर समस्या :डॉ. पंकज

भारत के कई राज्यों में कुष्ठ रोग एक गंभीर समस्या :डॉ. पंकज

उषा पाठक वरिष्ठ पत्रकार।

नयी दिल्ली (एजेंसी)।सुप्रसिद्ध चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ.प्रीतम पंकज ने आज कहा कि भारत के कई राज्यों में कुष्ठ रोग अभी भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। डॉ.पंकज ने यह बात यहाँ एक इंटरव्यू के दौरान कही।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम से इस रोग के रोकथाम पर काफी असर पड़ा है,लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश के कुछ इलाके, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा, तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश आदि में कुष्ठ रोग का पूरी तरह से उन्मूलन नहीं हो पाया है।पलायनवाद इस रोग के फैलाव का मुख्य कारण है।

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बिहार के सहरसा जिले के रहने बाले डॉ.पंकज ने कहा कि पहले कुष्ठ रोगियों को जीवन भर दवा लेनी पड़ती थी।उसके बाद दो वर्षों तक दवा निर्धारित की गयी।अब नियमित रूप से एक वर्ष तक दवा लेने से इस रोग से मुक्त पायी जा सकती है।

डॉ.पंकज ने कहा कि कुष्ठ रोग पांच तरह के होते हैं।सामान्यतः इस रोग में नर्व प्रभावित होता है।इस वजह से अपंगता भी आ सकती है।जब कुष्ठ रोग की बैक्टीरिया श्वास नली में पंहुच जाता है, तो ऐसे लोगो के संपर्क में आने वालों से यह रोग फैलता है।अन्य स्थिति में यह रोग एक दूसरे के संपर्क में आने से नहीं फैलता है।

उन्होंने कहा कि कभी कभी ऐसा भी देखा गया है,कि निर्धारित अवधि तक दवा लेने के बाद भी इस रोग का पूरी तरह से निदान नहीं हो पाता है।फिर रोगी सरकारी इलाज के बजाय निजी चिकित्सकों से संपर्क करते हैं।लेकिन इसकी दवा निजी क्षेत्र में आसानी से उपलव्ध नहीं होने से उन्हें  कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।वैसे वर्त्तमान समय में रिफेमशील की एक गोली कुष्ठ रोग के 99 प्रतिशत बैक्टीरिया को समाप्त करने में सक्षम है,जो रोगी को इलाज के दौरान महीने में एक बार दी जाती है।
 
लेजर तकनीक के विशेषग्य डॉ.पंकज ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि इस तकनीक से चेहरे पर दाग,धब्बे,झुर्रियां,अनचाहे बालों आदि को हटाया जा सकता है।पहले देश में इस तकनीक की सुविधा सरल नहीं थी,लेकिन अब यह सुविधा है।खासकर सौंदर्यीकरण के इस दौर में यह काफी प्रासंगिक हो गया है।

सर्दी के मौसम में हो रहे खुजली एवं शरीर पर लाल धब्बे की बढ़ती समस्या के बारे में पूछे जाने पर डॉ.पंकज ने कहा कि ऐसी शिकायतें सर्द के मौसम में आती है।इससे बचाव के लिए लोगों को सर्द से बचने का उपाय करना चाहिए।यह स्वतः भी ठीक हो जाता है।इसके बाबजूद कोई विशेष परेशानी हो तो चिकित्सकों की देख रेख में दवा लेनी चाहिए।जिन्हें एक बार ऐसी समस्या हुयी है,उन्हें अगले सर्द के मौसम में भी ऐसी समस्या हो सकती है।एल.एस।

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