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राज्य शिक्षा सेवा के माध्यम से शिक्षा विभाग में हो जिला शिक्षा अधिकारी, उप संचालक, संयुक्त संचालक, अपर संचालक के पद पर अधिकारियों का चयन...

राज्य शिक्षा सेवा के माध्यम से  शिक्षा विभाग में हो जिला शिक्षा अधिकारी, उप संचालक, संयुक्त संचालक, अपर संचालक के पद पर अधिकारियों का चयन...

हाशिम खान 

"देश में शिक्षा गुणवत्ता और शिक्षा के बेहतर विकास के लिए आई.ए.एस, आई.पी.एस, आई.एफ.एस की तरह "भारतीय शिक्षा सेवा" (आई.ई.एस.) परीक्षा की हो शुरुआत .. शिक्षाविद् सतीश प्रकाश सिंह"                                       

रायपुर/ देश में शिक्षा गुणवत्ता और शिक्षा के बेहतर विकास के लिए आई.ए.एस, आई.पी.एस, आई.एफ.एस की तरह "भारतीय शिक्षा सेवा" (आई.ई.एस.) परीक्षा के माध्यम से स्कूल शिक्षा विभाग में अधिकारियों का चयन किये जाने की शिक्षाविद् सतीश प्रकाश सिंह द्वारा मांग की गई हैं । छत्तीसगढ़ राज्य में इसकी शुरुआत "राज्य शिक्षा सेवा" परीक्षा (एस.ई.एस.) के माध्यम से किये जाने की मांग की गई हैं । प्रख्यात शिक्षाविद् सतीश प्रकाश सिंह राष्ट्रीय संयोजक "अखिल भारतीय प्रगतिशील एवं नवाचारी शिक्षक महासंघ" ( All India Progressive and innovative Teacher's Federation AIPITF ) ने देश में शिक्षा के गुणवत्ता विकास और भविष्योंमुखी शिक्षा को उत्कृष्टता की ओर ले जाने के लिये तथा देश में शिक्षा के बेहतर विकास के लिए अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा  आई.ए.एस, आई.पी.एस, आई.एफ.एस की तरह "अखिल भारतीय शिक्षा सेवा" (आई.ई.एस.) परीक्षा की शुरुआत करने की मांग की हैं। शिक्षाविद् सतीश प्रकाश सिंह ने प्रदेश के पूर्ववर्ती सरकार द्वारा विगत वर्ष जारी किए गए छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग के एक आदेश का हवाला देते हुए बताया कि उक्त आदेश में राज्य प्रशासनिक सेवा राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के दो अधिकारियों की पोस्टिंग "अपर संचालक" के पद पर कार्यालय संचालक लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़  रायपुर में की गई थी । जिसके विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर में  याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिका दायर करके चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर के द्वारा जिस पर बाद में रोक लगा दी गई थी। किंतु ये विचारणीय प्रश्न हैं कि स्कूल शिक्षा विभाग में राज्य प्रशासनिक सेवा, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों को पदस्थ किया जाना कहां तक न्यायसंगत और उचित हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में राजपत्रित प्रथम श्रेणी तथा राजपत्रित द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों की सेवानिवृति होने से लगातार कमी होते जा रही हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में एक तरफ 11 वर्षो से नियमित व्याख्याता एवं प्रधान पाठकों से राजपत्रित द्वितीय श्रेणी के प्राचार्य पद पर पदोन्नति नहीं दी गई हैं । प्रदेश में 3266 से अधिक शासकीय हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल में पूर्णकालिक प्राचार्य नहीं हैं। जहां प्रभारी के भरोसे काम चलाया जा रहा हैं। प्राचार्य पद जो कि स्कूल शिक्षा विभाग में राजपत्रित प्रथम श्रेणी तथा राजपत्रित द्वितीय श्रेणी का प्रशासनिक तथा एकेडमिक महत्वपूर्ण पद होता हैं। उक्त प्राचार्य पद को पार करके ही विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी, उप संचालक, संयुक्त संचालक,अपर संचालक जैसे उच्च पद पर पदस्थापित होने का अवसर मिलता हैं।  छत्तीसगढ़ राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग में प्राचार्य तथा विकास खण्ड शिक्षा अधिकारियों से पदोन्नति के माध्यम से भरे जाने वाले इन पदों पर कार्यरत अधिकारियों के लिए स्कूल शिक्षा विभाग की मूल अवधारणा तथा नितांत आवश्यक शैक्षणिक योग्यता में डी. एड., बी.एड., एम.एड. आदि व्यवसायिक डिग्री का होना बहुत जरूरी हैं।  राष्ट्रीय संयोजक सतीश प्रकाश सिंह ने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग का बेसिक मूल मंत्र "बाल केंद्रित शिक्षा प्रणाली" पर बेस्ड हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में "शिक्षक प्रशिक्षण" का बड़ा व्यापक महत्व हैं , क्योंकि स्कूल शिक्षा विभाग की समस्त  शैक्षणिक गतिविधियां  एवं क्रियाकलाप बाल मनोविज्ञान पर आधारित होती हैं । ऐसे में यह चिंतनीय हैं कि बिना डी. एड., बी.एड., एम.एड. आदि व्यवसायिक डिग्री के अप्रशिक्षित अधिकारियों के द्वारा बिना बालमनोविज्ञान को समझे और जाने बिना "शिक्षा विभाग की महत्वपूर्ण योजनाओं" का संचालन कैसे किया जा सकता हैं। छत्तीसगढ़ राज्य सहित देश के सभी प्रदेशों में हजारों की संख्या में युवा प्रतिवर्ष कला, वाणिज्य, विज्ञान, कंप्यूटर साइंस आदि विषयों में स्नातक, स्नातकोत्तर डिग्री के साथ बैचलर ऑफ एजुकेशन बी.एड., मास्टर ऑफ एजुकेशन एम.एड. की व्यवसायिक डिग्री हासिल करते हैं, अनेक प्रतिभाशाली युवा एजुके…

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