राजधानी

किसान सभा ने पूरे प्रदेश में जलाई बजट की प्रतियां, कहा : बजट

किसान सभा ने पूरे प्रदेश में जलाई बजट की प्रतियां, कहा : बजट

16 फरवरी को 'छत्तीसगढ़ ग्रामीण बंद' का आह्वान

रायपुर : कृषि व संबद्ध गतिविधियों, मनरेगा, उर्वरक और खाद्य सब्सिडी के लिए आबंटन घटाने, पिछले दरवाजे से किसान विरोधी कानूनों को लागू करने और सी-2 लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य सुनिश्चित न करने के खिलाफ  छत्तीसगढ़ किसान सभा ने आज पूरे प्रदेश में बजट की प्रतियां जलाई। ग्राम स्तर पर इस देशव्यापी प्रदर्शन का आह्वान संयुक्त किसान मोर्चा ने किया था, जिसका आरोप है कि मोदी सरकार द्वारा पेश यह अंतरिम बजट पूरी तरह से किसान विरोधी और कार्पोरेटपरस्त है।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य संयोजक संजय पराते, सह संयोजक ऋषि गुप्ता और वकील भारती ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज किसान सभा ने कोरबा, सरगुजा, बलरामपुर, सूरजपुर सहित कई जिलों में गांव-गांव में किसान विरोधी बजट की प्रतियां जलाई और विरोध प्रदर्शन किया। इस बजट के खिलाफ किसान सभा और संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को 'छत्तीसगढ़ ग्रामीण बंद' का आह्वान किया गया है।

किसान सभा नेताओं ने कहा कि यह अंतरिम बजट 'विकसित भारत' की राष्ट्रवादी लफ्फाजी की आड़ में वास्तव में अडानी और अंबानी जैसे कॉर्पोरेटों की सेवा करने वाला बजट है। वर्ष 2022-23 में हुए वास्तविक व्यय की तुलना में 2024-25 के बजट में कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए आबंटन में 81 हजार करोड़ रुपयों (22.3%) की, उर्वरक सब्सिडी में 87339 करोड़ रुपयों की और खाद्य सब्सिडी में 67552 करोड़ रुपयों की भारी कटौती की गई है, जो आम जनता की बदहाली को और बढ़ाएगी, जबकि कॉर्पोरेट टैक्स में छूट जारी है और अति-धनिकों पर कोई भी कर लगाने से इंकार किया गया है।

Open photo

इसी प्रकार, फसल कटाई के बाद के कार्यों में निजी निवेशों को बढ़ावा देने का प्रस्ताव वास्तव में पिछले दरवाजे से किसान विरोधी कृषि कानूनों को ही लागू करना है। इस बजट में भी सी-2 आधारित समर्थन मूल्य का प्रस्ताव न करना किसानों के साथ धोखाधड़ी ही है, जिसका लिखित समझौता मोदी सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा के साथ किया था। इस प्रकार यह बजट अपने सार और रूप में पूरी तरह से किसान विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त है और "फास्ट ड्रेन इंडिया" परियोजना का हिस्सा है।

किसान सभा ने आम जनता से अपील की है कि किसान और खेती-किसानी बचाने और भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए 16 फरवरी को आहूत देशव्यापी ग्रामीण बंद और औद्योगिक हड़ताल को सफल बनाएं। छत्तीसगढ़ में हसदेव जंगल के विनाश को रोकने, पेसा, वनाधिकार कानून और मनरेगा को प्रभावी तरीके से क्रियान्वित करने, बस्तर में आदिवासियों पर हो रहे राज्य प्रायोजित अत्याचारों को रोकने और एसईसीएल सहित सभी सार्वजनिक उद्योगों में अधिग्रहण प्रभावित परिवारों को स्थायी रोजगार देने और उनका उचित पुनर्वास करने जैसी मांगों को भी छत्तीसगढ़ बंद से जोड़ा गया है।

संजय पराते, संयोजक
(मो) 94242-31650
छत्तीसगढ़ किसान सभा 

More Photo

    Record Not Found!


More Video

    Record Not Found!


Related Post

Leave a Comments

Name

Contact No.

Email