Poultry Farming : संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे। लोगों के घरों में सातो दिन खाये जाने वाले अंडे और मुर्गी से जुड़े कारोबार के बारे में आज हम बताने जा रहे हैं। आज हम जिस अण्डे की चर्चा करने जा रहे हैं। यह मुर्गी का अण्डा 100 रुपये प्रति नग की दर से बिकता है। अब आप समझ ही गये होंगे। हम जिस अण्डे की बात कर रहे हैं। वह मामूली अण्डा नहीं है। इस अण्डे की मार्केट में काफी डिमांड रहती है।
युवाओं में इन मुर्गी पालन का खूब क्रेज देखा जा रहा है। इस कार्य को अब प्रोफेशन के रुप में भी देखा जा रहा है। आज हम जिस नस्ल के मुर्गी के बारे में बताने जा रहे हैं। वह मुर्गी है असील नस्ल का। इस नस्ल के मुर्गी के अण्डों की डिमांड इतनी ज्यादा होती है कि प्रति नग अण्डे 100 रुपये बिकता है।
आपको बता दें कि असील मुर्गी का मुंह लंबा और बेलनाकार होता है जो कि पंखों, घनी आंखों, लंबी गर्दन वाला होता है। इनकी मजबूत और सीधी टांगे होती है। इस नसल के मुर्गे का भार 4-5 किलो और मुर्गी का भार 3-4 किलो होता है। इसके कोकराल (युवा मुर्गे) का औसतन भार 3.5-4.5 किलो और पुलैट्स (युवा मुर्गी) का औसतन भार 2.5-3.5 किलो पाया जाता है।
देश में कई जगह मुर्गी या मुर्गों की लड़ाई का भी चलन है। ऐसे में असील नस्ल की मुर्गी और मुर्गों को लड़ाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। सरकार की तरफ से इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है। कुछ इलाकों में मुर्गा लड़ाने का खेल खेला जाता है। ऐसे में ये मुर्गे काफी महंगे होते हैं।
असील प्रजाति के मुर्गे-मुर्गी के मांस लजीज होते हैं। जिसके चलते यह काफी प्रसिद्ध है। बड़े पैमाने पर बाजार में एक मुर्गे की कीमत करीब 5 हजार रुपए होती है। इसके लिए बाजार तैयार करने पर भी विचार किया जा रहा है। वैज्ञानिक ये भी परखने का प्रयास कर रहे हैं कि राजनांदगांव का वातावरण अनुकूल है या नहीं। कीमत काफी ज्यादा होने के साथ इसके फायदे भी बहुत ज्यादा है। इसी कारण यह इतनी महंगी बिकती है, और इस मुर्गी के एक अंडे की कीमत 100 रुपए है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मार्केट में इस मुर्गी की कितनी ज्यादा डिमांड होगी।
असील नस्ल के मुर्गे-मुर्गियां उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और आंध्रप्रदेश में पायी जाती है। इस नस्ल की मुर्र्गेे-मुर्गियों के अलग-अलग नाम होते हैं। रेजा (हल्की लाल), गागर (काली), यारकिन (काली और लाल) और पीला (सुनहरी लाल) हैं। कई-कई जगह ही इन्हे अलग नाम से जाना जाता है, और इसकी पहचान करना भी काफी आसान है।